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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

A.A.G.

Well-Known Member
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#60

“आँखे खोल मनीष, मैं तुझे कुछ नहीं होने दूंगी . जब तक मैं हूँ ये साथ नहीं छुटेगा ” मीता ने मुझे थपथपाते हुए कहा.

मैंने उसके हाथ को थाम लिया. तलवार आर पार थी , खून लबालब बह रहा था . हलकी सी आंखे खोल कर मैंने मीता को इशारा दिया की थोड़ी जान बाकी है . आहिस्ता आहिस्ता मीता ने वो तलवार मेरे सीने से खींची और अपनी चुनरिया को इस तरह से बाँध दिया की वो खून को रोक सके.

आंसुओ से भरा चेहरे लिए मुझे अपनी गोद में लिए बैठी मीता सुबक रही थी . सहला रही थी मेरे तन को . सब कुछ शांत था सिवाय उसकी सुबकियो और मेरी सांसो के .

“क्या कहते है तेरे सितारे , पूछ कर बता जरा ” मैंने खांसते हुए कहा

मीता- सितारे जो भी कहे , आज मैं उनकी एक नहीं सुनने वाली.

मैं- सहारा दे जरा मुझे .

मीता ने मुझे अपने कंधे का सहारा देकर खड़ा किया. शिवाला अब भी रोशन था. जिसका मतलब था की अभी ये रात अभी और रोशन थी , कहानी अभी और बाकी थी .

“थोडा पानी पिला दे ” मैंने कहा

मीता तुरंत ही एक घड़ा उठा लाइ . ठन्डे पानी ने बदन को जैसे आराम दिया.

मीता- हमें डाक्टर के पास जाना चाहिए.

मैं- ये डॉक्टर के बस का रोग नहीं है मीता

मीता- तो क्या ऐसे ही तडपता रहेगा तू

इस से पहले की मैं मीता को जवाब दे पाता , शिवाले के सरे दिए एक झटके में बुझ गए . काले मनहूस अँधेरे ने सब कुछ अपने कब्ज़े में ले लिया. आसमान कडकने लगा. एकाएक ही घटा चढ़ आई मौसम में .

“मनीष उधर देख जरा ” मीता ने उस तरफ इशारा किया जहाँ देवता का कमरा था . बस वही पर ही उजाला था , मीता का सहारा लिए मैं वहां पर पहुंचा . अन्दर का सारा नजारा बदल गया था , इतना बदला की मीता और मैं दोनों ही हैरत में रह गए. अन्दर की दीवारे चांदी के तेज से जगमगा रही थी . देवता की मिटटी की मूर्ति काले सफ्तिक में बदल गयी थी जिस पर चन्दन का त्रिपुंड बना था . ये को शक्ति थी जो हमें वहां पर अपने होने का अहसास करवा रही थी .

मैंने अपने हाथो से सफ्टीक को छुआ, और माथे से लगाया , मीता ने भी वैसा ही किया जैसे ही हम दोनों का खून उस मूर्ति को अर्पण हुआ वहां पर आग लग गयी . शायद देवता क्रोधित हो गया था . दीवारों की चांदी पिघल कर बहने लगी. मेरे घाव में तपिश बढ़ने लगी थी . मीता की खाल जलने लगी . और फिर सब शांत हो गया जैसे कुछ हुआ ही नहीं हो. पर ये सब हुआ था इसका सबूत थी दिवार पर पिघली चांदी से बनी वो आकृति .

वो आकृति जिसका वहां होना हमारे लिए कोई पहेली थी या फिर कोई सन्देश था .

“कौन होगी ये ” मीता ने पूछा

मैं- अभी तो नहीं मालूम पर पता कर लेंगे हम

मैंने अपने हाथ से उस आक्रति को छुआ ही था की एक बार फिर से हमारे कदम लडखडा गए. ऐसे लगा की भूकंप ने दस्तक दी हो .

मैं- इस से मेरा कोई तो रिश्ता है मीता , ये पहचान रही है मुझे

मैंने फिर से अपनी हथेली आक्रति पर रखी. आकृति से पानी रिसने लगा.

“पानी ” मैंने कहा

मीता- नहीं पानी नहीं आंसू .

मीता ने इशारा किया , मैंने देखा उस छाया की आँखों से आंसू बह रहे थे . पर बस दो पल के लिए फिर वो आकृति राख बन कर मिट गयी . मैंने उस राख को मुट्ठी में भर लिया. जैसे ही राख में मेरे बदन को महूसस किया मुझे अलग ही ताजगी, स्फूर्ति लगने लगी. थोड़ी देर पहले मैं दर्द में था पर अब ठीक लग रहा था . बस मेरा जख्म भरा नहीं था . जितनी भी वो राख थी मैंने अपने बदन पर लगा ली. शक्ति का संचार तो हुआ पर जख्म ताज्जा ही रहा ये अजीब बात थी .

मैं और मीता वापिस आये तब तक रीना का वहां कोई नामो निशान नहीं था . ख़ामोशी से चलते हुए मैं और मीता कुवे पर पहुंचे . मीता कमरे में गई और पट्टियों वाली थैली ले आई ,

मीता- पट्टी से काम नहीं चलेगा. डॉक्टर से तो दिखाना ही पड़ेगा

मैं- ठीक है बाबा . अब ये हुलिया बदल ले कोई देखेगा तो भूतनी समझ के खौफ से मर जाएगा.

जब मीता अपना हुलिया ठीक कर रही थी तो मैंने देखा उसको भी बहुत चोट लगी थी . कुछ देर बाद वो और मैं बिस्तर पर लेटे थे.

मैं- तो किस बात पर आपस में तकरार कर बैठी तुम लोग

मीता- तेरी जानेमन मौत का आह्वान कर रही थी मैं उसे रोक रही थी .

मैं- और वो तुझसे उलझ पड़ी

मीता- मुझसे चाहे लाख बार उलझ पड़े कोई दिक्कत नहीं है . दिक्कत बस ये है की वो जो कर रही है उसका मकसद क्या है , नाहरविरो से लड़ना चाहती है पर किसलिए ,

मैं- शायद नाहर वीर को साधना चाहती है रीना

मीता- मनीष, मैं घुमा फिरा कर नहीं कहूँगी पर मुझे लगता है की उस जमीन में कुछ है , नाहर वीर को बेहतरीन सुरक्षा करने वाले माना जाता है तो इतना तो तय है की किसी बेहद कीमती चीज की रक्षा कर रहे है वो .

मीता की बात से मुझे वो द्रश्य याद आया जब संध्या चाची ने अपना मांस जमीन पर फेंक कर कुछ किया था तो जमीन से सोना चांदी निकले थे .

मैं- उस जमीन में खजाना है

मीता- मुझे संदेह था , पर रीना क्या करेगी सोने-चांदी का

मैं- यही तो मेरे भी समझ में नहीं आ रहा , बात इतनी सरल नहीं है . संध्या चाची को भी सोने से जयादा किसी और चीज में दिलचस्पी थी . उसने कहा था मुझे नहीं चाहिए ये सब .

मीता- और हम इस काबिल नहीं है की संध्या का मुह खुलवा सके. इन सबका अतीत हमारे आज पर भारी पड़ रहा है , संध्या के अतीत को तलाश कर ही हम कुछ सुराग तलाश कर पाएंगे.

मैं- हम जरुर कामयाब होंगे.

मैंने मीता के कंधे पर सर रखा और सोने की कोशिश करने लगा. शिवाले की उस राख ने मुझे काफी राहत दे दी थी पर फिर भी अगले दिन मैं डॉक्टर के पास चला गया . उसने जैसे तैसे करके टाँके लगाये और कुछ दवाइयां भी दी. मैं वहां से ताई के पास चला गया जो घर पर ही थी .

ताई- आजकल कहाँ गायब है तू

मैं- बस ऐसे ही कुछ कामो में उलझा था .

ताई- सब ठीक है न

मैं- हाँ सब बढ़िया है .

ताई- सुन खाना खा लेना अभी बना कर ही रखा है , तेरा ताऊ आज आने वाला है तो घर पर ही रहना मैं रीना के घर पर जा रही हूँ , कुछ मेहमान आने वाले है आज कोई काम हो तो बुला लेना मुझे

मैं- कौन मेहमान आने वाले है ताई


ताई- तुझे नहीं मालूम क्या , रीना के लिए रिश्ता आया है .....
Nice update..!!
Muze Manish aur meeta ki soch galat lag rahi hai..yeh samajh rahe hai ki Reena ko kuchh chahiye shivale se..lekin Manish hi tha jisne woh dhaga Reena ko diya aur Reena inn sab chakkaro me fas gayi hai..Manish aur meeta ko yeh sochna chahiye ki apni Reena ko inn sab se kaise bachaya Jaye..fir Reena pehle jaisi hojaye..!! Manish me hote huye kaise Reena ko dekhne koi aasakta hai..Manish Aisa kabhi nahi hone dega..Manish kyun atit ke pichhe pada hai..sab bhulkar apne pyaar Reena ko hasil kare jo uska future banane wali hai..Manish kabhi nahi hone dega Reena ko kisi aur ki..Reena sirf Manish ki hai aur rahegi..!!
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#61



ताई- तुझे नहीं मालूम क्या रीना के लिए रिश्ता आया है .

एक पल को मुझे मेरे कानो पर यकीन नहीं हुआ.

मैं- क्या कहा तुमने

ताई- यही की रीना के लिए रिश्ता आया है मैं उसके घर जा रही हूँ, एक मिनट क्या रीना ने तुझे नहीं बताया

मैं- बताया था , बस मेरे दिमाग से निकल गयी थी .

अपने भावो को छुपाते हुए मैं बस इतना ही कह पाया. और कहता भी तो क्या , इस दिन की शुरुआत ऐसे हुई थी तो अंजाम की क्या ही कहे. सर में अचानक से ही दर्द हो गया था . समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करू, क्या कहूँ. इस छोटे से दिल में ज़माने भर का बोझ उठाये मैं पागल ही हो गया था . दिल चाहता था की मैं रोकर इस बोझ को हल्का कर लू . पर वो आशिकी ही क्या जिसका इम्तिहान न हो.

चाहता तो अभी उसका हाथ पकड कर पूछ सकता था की ये सब क्घया है पर उसमे भी मेरी ही रुसवाई थी घर से निकल तो आया था पर रीना की दहलीज पर जाने की हिम्मत नहीं हुई तो उसी नीम के निचे बैठ गया . सीने में आग सी लगी थी मेरे न , न जाने ये दर्द जख्म का था या मोहब्बत का पर जल रहा था मैं. जब दिल दीवाने पर कोई जोर नहीं चला तो मैं गाँव से बाहर आ गया . दिन , दोपहार से शाम , शाम से रात में बदल गया था पर इस मनीष को चैन नहीं था .

अपनी बेचैनी लिए मैं शिवाले में बैठा था . उस देवता से मेरी आँखे न जाने कितने सवाल पूछ रही थी जिसने मेरे भाग को अपनी वीरानियो से जोड़ दिया था .

“क्या लिखा है मेरे नसीब में तुमने ” मैंने सवाल किया उस से और तभी पायल की उस झंकार ने मेरा ध्यान खींच लिया , उस पायल की झंकार जिसे मैं एक हजारो में नहीं लाखो में पहचान सकता था ,एक पल में मेरी सारी बेचैनी, सारी तन्हाई जैसे ख़ाक में मिल गयी .

“रीना ” मैंने अपने आप से कहा . और बस एक पल में ही मैंने उसे अपनी तरफ आते हुए देखा. मेरा दिया हुआ नीला सूट पहने हुए, हाथो में मेहँदी लगाये . जैसे जैसे वो कदम बढ़ाये मेरी तरफ आ रही थी एक के बाद एक शिवाले के दिए जलने लगने लगे थे. पर आज उसकी आँखों में वो दहशत नहीं थी , आज वो जानी पहचानी लग रही थी . मुस्कुराते हुए उसने मेरी पीठ से अपनी पीठ टिकाई और बैठ गयी .

“जानती थी तुम यही मिलोगे ” उसने कहा

मैं- जाये तो कहाँ जाये अब . ये महफिले ये दुनिया सब बेगानी सी लगती है

रीना- ये फितरत है इस दुनिया की

मैं- ऐसा लगता है की मुद्दत हुई तुम्हारे संग यूँ बैठे वो तमाम शामे जो हमने डूबते सूरज को देखते हुए बिताई, वो तमाम लम्हे जो हमने जिए

रीना- ये लम्हा भी तो खास है हम है तुम हो और ये जवान रात है .

मैं- ये लम्हा बस यही थम जाये बैठी रहो तुम आगोश में , देखता रहूँ बस तुम्हे .

रीना- बचपन से जवानी तक का सफ़र कैसे बीत गया ऐसा लगता है जैसे बस कल की ही बात हो .

मैं- मुझे कल से नहीं आने वाले कल से डर लगने लगा है .

रीना -डरना किसलिए भला

मैंने अपना चेहरा रीना की तरफ किया और उसके हाथ को थाम लिया.

मैं- डर लगता है मुझे, तुझसे दूर हो जाने का तुझे खो देने का .

रीना- मैं हमेशा तेरे संग रहूंगी, तेरे दिल में रहूंगी.

मैं- सुना की आज मेहमान आये थे

रीना- तुझे मालूम ही है तो क्यों पूछता है

मैं- तूने बताया भी तो नहीं .

रीना- क्या बताऊ तुझे मेरे सनम , कुछ भी तो नहीं मेरे पास बताने को .

मैं- ऐसा लग रहा है की वक्त रेत के जैसे मेरी मुट्ठी से फिसल रहा है , रीना सच बता तू मुझे छोड़ कर तो नहीं जाएगी न , तेरे बिना कैसे जियूँगा मैं नहीं जी पाउँगा मैं , नहीं जी पाउँगा मैं . बचपन से लेकर आज तक इस दुनिया ने ठुकराया है मुझे, दुत्कारा है मुझे, एक तू ही थी जिसने मुझ गरीब का हाथ थामा. मेरे दुःख में मेरे सुख में , मेरी ख़ुशी में बस तू ही थी . और आज ऐसा लगता है की कोई आ गया है मुझसे मेरी ख़ुशी छीनने के लिए.

जो दर्द मैंने बचपन से पीया हुआ था आज आंसू बन कर इस शिवाले में रीना के सामने बह रहा था , उसकी आँखे भी नाम हो गयी .

मैं- बचपन से मेरा कोई नहीं था सिवाय तेरे. मेरे माँ- बाप मुझे छोड़ गए . वो तू ही तो थी जिसने मुझे थामा मैं कब का टूट कर बिखर गया होता अगर तू नहीं होती . मुझे पराया मत कर अपने से दूर मत कर मेरी जान

रीना- मेरे दिल से पूछ , ये हवाए, ये फिजाए मेरी हर एक सांस गवाह है मेरे सनम मेरी हर सुबह ने बस तेरा दीदार किया मेरी हर शाम ने तेरा इंतज़ार किया मेरा दिल चीर कर देख हर धड़कन पर बस तेरा ही नाम लिखा होगा. मैंने तो अभी सोचा ही नहीं था की जिंदगी मुझे इस मोड़ पर ले आयेगी, मेरे पैरो में बेडिया है मेरे हाथो में तेरा हाथ है बता मैं करू तो क्या करू मेरे सनम. हर घडी, हर लम्हा, मेरा एक एक मिनट मैंने तेरे नाम किया . मैं कोसती हूँ खुद को काश उस दिन मैंने तुझसे जिद न की होती इस मनहूस जगह आने की . सारी दुनिया जान गयी मेरी-तेरी मोहब्बत के बारे में. मैं करू तो क्या तुझसे कहूँ तो क्या कहूँ मेरी माँ ने मेरे पैरो में उसके नाम की बेडिया बान्ध दी है

मैं- मैं बात करूँगा उनसे , माँ है वो औलाद के मन की बात समझेगी .

रीना- काश वो समझ पाती, तुझे क्या लगता है मैंने कहा नहीं उससे. उसे ज़माने की फ़िक्र है मेरी नहीं .

मैं- और तुझे किसकी फ़िक्र है मेरी जान

रीना- मैं तो दोराहे पर खड़ी हूँ , तुझे छोड़ दू तो रुसवाई से मरूंगी माँ को छोड़ दिया तो जलालत से मरूंगी. दोनों तरफ से मरना तो मेरा ही है .

मैं- क्या तूने इस रिश्ते के लिए हाँ कह दी है

रीना- मेरी हां न की किसे परवाह है .

मैं- मैं मर जाऊंगा रीना तेरे बिना

रीना- मैं तो वो भी नहीं कर सकती

मैं- तो ठीक है , तू एक काम कर मुझे अभी इसी वक्त मार दे. इस किस्से को यही पर ख़तम कर दे.जीना का मकसद तू है तो मेरा अंजाम भी तू ही बन

रीना- यही बात अगर मैं तुझसे कहूँ तो तू कर पायेगा ऐसा.

मैं- तो तू ही बता क्या करूँ मैं

रीना- यही तो मैं तुझसे पूछ रही हूँ

रीना ने अपने गले में हाथ डाला और वो हीरे वाला धागा निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया बोली- इसकी जरुरत नहीं मुझे. तू ही रख इसे

मैं- मैं भला क्या करूँगा इसका. तू ही रख

मैंने वो धागा वापिस रीना को दे दिया. रीना ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली- मुझे सदा अफ़सोस रहेगा इस जख्म के लिए

मैं- तू जानती थी , तुझे पता था

रीना- मैं हर दम हर पल अपने होश में थी .

मैं- तो तू सब जानती है

रीना- मैं बस तुझे जानती हूँ , मैंने बस तुझे जाना है

एक एक कर के शिवाले के दिए बुझने लगे.

रीना- मेरे सनम ये दर्द जो तुझे दिया है इसका कोई तोड़ नहीं है , पर मैंने इसे आधा बाँट लिया है दर्द उठेगा तेरे सीने में साथ तडपना मुझे है .

मैं- नहीं , तू ऐसा नहीं कर सकती

रीना- प्रेम की लौ जलाई है सुलगना तो पड़ेगा.

मैं- वो दुनिया , दुनिया नहीं होगी , जिसमे तू नहीं होगी मैं जलाकर ख़ाक कर दूंगा उस दुनिया को .

रीना- उस ख़ाक से धुआ भी मेरे ही प्यार का उठेगा.

मैं कुछ कहता उस से पहले ही रीना ने आगे बढ़ कर मेरे होंठो को चूम लिया और चली गयी शिवाले के अँधेरे ने मुझे लील लिया.
 

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ताई- तुझे नहीं मालूम क्या रीना के लिए रिश्ता आया है .

एक पल को मुझे मेरे कानो पर यकीन नहीं हुआ.

मैं- क्या कहा तुमने

ताई- यही की रीना के लिए रिश्ता आया है मैं उसके घर जा रही हूँ, एक मिनट क्या रीना ने तुझे नहीं बताया

मैं- बताया था , बस मेरे दिमाग से निकल गयी थी .

अपने भावो को छुपाते हुए मैं बस इतना ही कह पाया. और कहता भी तो क्या , इस दिन की शुरुआत ऐसे हुई थी तो अंजाम की क्या ही कहे. सर में अचानक से ही दर्द हो गया था . समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करू, क्या कहूँ. इस छोटे से दिल में ज़माने भर का बोझ उठाये मैं पागल ही हो गया था . दिल चाहता था की मैं रोकर इस बोझ को हल्का कर लू . पर वो आशिकी ही क्या जिसका इम्तिहान न हो.

चाहता तो अभी उसका हाथ पकड कर पूछ सकता था की ये सब क्घया है पर उसमे भी मेरी ही रुसवाई थी घर से निकल तो आया था पर रीना की दहलीज पर जाने की हिम्मत नहीं हुई तो उसी नीम के निचे बैठ गया . सीने में आग सी लगी थी मेरे न , न जाने ये दर्द जख्म का था या मोहब्बत का पर जल रहा था मैं. जब दिल दीवाने पर कोई जोर नहीं चला तो मैं गाँव से बाहर आ गया . दिन , दोपहार से शाम , शाम से रात में बदल गया था पर इस मनीष को चैन नहीं था .

अपनी बेचैनी लिए मैं शिवाले में बैठा था . उस देवता से मेरी आँखे न जाने कितने सवाल पूछ रही थी जिसने मेरे भाग को अपनी वीरानियो से जोड़ दिया था .

“क्या लिखा है मेरे नसीब में तुमने ” मैंने सवाल किया उस से और तभी पायल की उस झंकार ने मेरा ध्यान खींच लिया , उस पायल की झंकार जिसे मैं एक हजारो में नहीं लाखो में पहचान सकता था ,एक पल में मेरी सारी बेचैनी, सारी तन्हाई जैसे ख़ाक में मिल गयी .

“रीना ” मैंने अपने आप से कहा . और बस एक पल में ही मैंने उसे अपनी तरफ आते हुए देखा. मेरा दिया हुआ नीला सूट पहने हुए, हाथो में मेहँदी लगाये . जैसे जैसे वो कदम बढ़ाये मेरी तरफ आ रही थी एक के बाद एक शिवाले के दिए जलने लगने लगे थे. पर आज उसकी आँखों में वो दहशत नहीं थी , आज वो जानी पहचानी लग रही थी . मुस्कुराते हुए उसने मेरी पीठ से अपनी पीठ टिकाई और बैठ गयी .

“जानती थी तुम यही मिलोगे ” उसने कहा

मैं- जाये तो कहाँ जाये अब . ये महफिले ये दुनिया सब बेगानी सी लगती है

रीना- ये फितरत है इस दुनिया की

मैं- ऐसा लगता है की मुद्दत हुई तुम्हारे संग यूँ बैठे वो तमाम शामे जो हमने डूबते सूरज को देखते हुए बिताई, वो तमाम लम्हे जो हमने जिए

रीना- ये लम्हा भी तो खास है हम है तुम हो और ये जवान रात है .

मैं- ये लम्हा बस यही थम जाये बैठी रहो तुम आगोश में , देखता रहूँ बस तुम्हे .

रीना- बचपन से जवानी तक का सफ़र कैसे बीत गया ऐसा लगता है जैसे बस कल की ही बात हो .

मैं- मुझे कल से नहीं आने वाले कल से डर लगने लगा है .

रीना -डरना किसलिए भला

मैंने अपना चेहरा रीना की तरफ किया और उसके हाथ को थाम लिया.

मैं- डर लगता है मुझे, तुझसे दूर हो जाने का तुझे खो देने का .

रीना- मैं हमेशा तेरे संग रहूंगी, तेरे दिल में रहूंगी.

मैं- सुना की आज मेहमान आये थे

रीना- तुझे मालूम ही है तो क्यों पूछता है

मैं- तूने बताया भी तो नहीं .

रीना- क्या बताऊ तुझे मेरे सनम , कुछ भी तो नहीं मेरे पास बताने को .

मैं- ऐसा लग रहा है की वक्त रेत के जैसे मेरी मुट्ठी से फिसल रहा है , रीना सच बता तू मुझे छोड़ कर तो नहीं जाएगी न , तेरे बिना कैसे जियूँगा मैं नहीं जी पाउँगा मैं , नहीं जी पाउँगा मैं . बचपन से लेकर आज तक इस दुनिया ने ठुकराया है मुझे, दुत्कारा है मुझे, एक तू ही थी जिसने मुझ गरीब का हाथ थामा. मेरे दुःख में मेरे सुख में , मेरी ख़ुशी में बस तू ही थी . और आज ऐसा लगता है की कोई आ गया है मुझसे मेरी ख़ुशी छीनने के लिए.

जो दर्द मैंने बचपन से पीया हुआ था आज आंसू बन कर इस शिवाले में रीना के सामने बह रहा था , उसकी आँखे भी नाम हो गयी .

मैं- बचपन से मेरा कोई नहीं था सिवाय तेरे. मेरे माँ- बाप मुझे छोड़ गए . वो तू ही तो थी जिसने मुझे थामा मैं कब का टूट कर बिखर गया होता अगर तू नहीं होती . मुझे पराया मत कर अपने से दूर मत कर मेरी जान

रीना- मेरे दिल से पूछ , ये हवाए, ये फिजाए मेरी हर एक सांस गवाह है मेरे सनम मेरी हर सुबह ने बस तेरा दीदार किया मेरी हर शाम ने तेरा इंतज़ार किया मेरा दिल चीर कर देख हर धड़कन पर बस तेरा ही नाम लिखा होगा. मैंने तो अभी सोचा ही नहीं था की जिंदगी मुझे इस मोड़ पर ले आयेगी, मेरे पैरो में बेडिया है मेरे हाथो में तेरा हाथ है बता मैं करू तो क्या करू मेरे सनम. हर घडी, हर लम्हा, मेरा एक एक मिनट मैंने तेरे नाम किया . मैं कोसती हूँ खुद को काश उस दिन मैंने तुझसे जिद न की होती इस मनहूस जगह आने की . सारी दुनिया जान गयी मेरी-तेरी मोहब्बत के बारे में. मैं करू तो क्या तुझसे कहूँ तो क्या कहूँ मेरी माँ ने मेरे पैरो में उसके नाम की बेडिया बान्ध दी है

मैं- मैं बात करूँगा उनसे , माँ है वो औलाद के मन की बात समझेगी .

रीना- काश वो समझ पाती, तुझे क्या लगता है मैंने कहा नहीं उससे. उसे ज़माने की फ़िक्र है मेरी नहीं .

मैं- और तुझे किसकी फ़िक्र है मेरी जान

रीना- मैं तो दोराहे पर खड़ी हूँ , तुझे छोड़ दू तो रुसवाई से मरूंगी माँ को छोड़ दिया तो जलालत से मरूंगी. दोनों तरफ से मरना तो मेरा ही है .

मैं- क्या तूने इस रिश्ते के लिए हाँ कह दी है

रीना- मेरी हां न की किसे परवाह है .

मैं- मैं मर जाऊंगा रीना तेरे बिना

रीना- मैं तो वो भी नहीं कर सकती

मैं- तो ठीक है , तू एक काम कर मुझे अभी इसी वक्त मार दे. इस किस्से को यही पर ख़तम कर दे.जीना का मकसद तू है तो मेरा अंजाम भी तू ही बन

रीना- यही बात अगर मैं तुझसे कहूँ तो तू कर पायेगा ऐसा.

मैं- तो तू ही बता क्या करूँ मैं

रीना- यही तो मैं तुझसे पूछ रही हूँ

रीना ने अपने गले में हाथ डाला और वो हीरे वाला धागा निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया बोली- इसकी जरुरत नहीं मुझे. तू ही रख इसे

मैं- मैं भला क्या करूँगा इसका. तू ही रख

मैंने वो धागा वापिस रीना को दे दिया. रीना ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली- मुझे सदा अफ़सोस रहेगा इस जख्म के लिए

मैं- तू जानती थी , तुझे पता था

रीना- मैं हर दम हर पल अपने होश में थी .

मैं- तो तू सब जानती है

रीना- मैं बस तुझे जानती हूँ , मैंने बस तुझे जाना है

एक एक कर के शिवाले के दिए बुझने लगे.

रीना- मेरे सनम ये दर्द जो तुझे दिया है इसका कोई तोड़ नहीं है , पर मैंने इसे आधा बाँट लिया है दर्द उठेगा तेरे सीने में साथ तडपना मुझे है .

मैं- नहीं , तू ऐसा नहीं कर सकती

रीना- प्रेम की लौ जलाई है सुलगना तो पड़ेगा.

मैं- वो दुनिया , दुनिया नहीं होगी , जिसमे तू नहीं होगी मैं जलाकर ख़ाक कर दूंगा उस दुनिया को .

रीना- उस ख़ाक से धुआ भी मेरे ही प्यार का उठेगा.


मैं कुछ कहता उस से पहले ही रीना ने आगे बढ़ कर मेरे होंठो को चूम लिया और चली गयी शिवाले के अँधेरे ने मुझे लील लिया.
Dil tut gaya update pad ke aage kya hoga dekhte hai
 

Mastmalang

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ताई- तुझे नहीं मालूम क्या रीना के लिए रिश्ता आया है .

एक पल को मुझे मेरे कानो पर यकीन नहीं हुआ.

मैं- क्या कहा तुमने

ताई- यही की रीना के लिए रिश्ता आया है मैं उसके घर जा रही हूँ, एक मिनट क्या रीना ने तुझे नहीं बताया

मैं- बताया था , बस मेरे दिमाग से निकल गयी थी .

अपने भावो को छुपाते हुए मैं बस इतना ही कह पाया. और कहता भी तो क्या , इस दिन की शुरुआत ऐसे हुई थी तो अंजाम की क्या ही कहे. सर में अचानक से ही दर्द हो गया था . समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करू, क्या कहूँ. इस छोटे से दिल में ज़माने भर का बोझ उठाये मैं पागल ही हो गया था . दिल चाहता था की मैं रोकर इस बोझ को हल्का कर लू . पर वो आशिकी ही क्या जिसका इम्तिहान न हो.

चाहता तो अभी उसका हाथ पकड कर पूछ सकता था की ये सब क्घया है पर उसमे भी मेरी ही रुसवाई थी घर से निकल तो आया था पर रीना की दहलीज पर जाने की हिम्मत नहीं हुई तो उसी नीम के निचे बैठ गया . सीने में आग सी लगी थी मेरे न , न जाने ये दर्द जख्म का था या मोहब्बत का पर जल रहा था मैं. जब दिल दीवाने पर कोई जोर नहीं चला तो मैं गाँव से बाहर आ गया . दिन , दोपहार से शाम , शाम से रात में बदल गया था पर इस मनीष को चैन नहीं था .

अपनी बेचैनी लिए मैं शिवाले में बैठा था . उस देवता से मेरी आँखे न जाने कितने सवाल पूछ रही थी जिसने मेरे भाग को अपनी वीरानियो से जोड़ दिया था .

“क्या लिखा है मेरे नसीब में तुमने ” मैंने सवाल किया उस से और तभी पायल की उस झंकार ने मेरा ध्यान खींच लिया , उस पायल की झंकार जिसे मैं एक हजारो में नहीं लाखो में पहचान सकता था ,एक पल में मेरी सारी बेचैनी, सारी तन्हाई जैसे ख़ाक में मिल गयी .

“रीना ” मैंने अपने आप से कहा . और बस एक पल में ही मैंने उसे अपनी तरफ आते हुए देखा. मेरा दिया हुआ नीला सूट पहने हुए, हाथो में मेहँदी लगाये . जैसे जैसे वो कदम बढ़ाये मेरी तरफ आ रही थी एक के बाद एक शिवाले के दिए जलने लगने लगे थे. पर आज उसकी आँखों में वो दहशत नहीं थी , आज वो जानी पहचानी लग रही थी . मुस्कुराते हुए उसने मेरी पीठ से अपनी पीठ टिकाई और बैठ गयी .

“जानती थी तुम यही मिलोगे ” उसने कहा

मैं- जाये तो कहाँ जाये अब . ये महफिले ये दुनिया सब बेगानी सी लगती है

रीना- ये फितरत है इस दुनिया की

मैं- ऐसा लगता है की मुद्दत हुई तुम्हारे संग यूँ बैठे वो तमाम शामे जो हमने डूबते सूरज को देखते हुए बिताई, वो तमाम लम्हे जो हमने जिए

रीना- ये लम्हा भी तो खास है हम है तुम हो और ये जवान रात है .

मैं- ये लम्हा बस यही थम जाये बैठी रहो तुम आगोश में , देखता रहूँ बस तुम्हे .

रीना- बचपन से जवानी तक का सफ़र कैसे बीत गया ऐसा लगता है जैसे बस कल की ही बात हो .

मैं- मुझे कल से नहीं आने वाले कल से डर लगने लगा है .

रीना -डरना किसलिए भला

मैंने अपना चेहरा रीना की तरफ किया और उसके हाथ को थाम लिया.

मैं- डर लगता है मुझे, तुझसे दूर हो जाने का तुझे खो देने का .

रीना- मैं हमेशा तेरे संग रहूंगी, तेरे दिल में रहूंगी.

मैं- सुना की आज मेहमान आये थे

रीना- तुझे मालूम ही है तो क्यों पूछता है

मैं- तूने बताया भी तो नहीं .

रीना- क्या बताऊ तुझे मेरे सनम , कुछ भी तो नहीं मेरे पास बताने को .

मैं- ऐसा लग रहा है की वक्त रेत के जैसे मेरी मुट्ठी से फिसल रहा है , रीना सच बता तू मुझे छोड़ कर तो नहीं जाएगी न , तेरे बिना कैसे जियूँगा मैं नहीं जी पाउँगा मैं , नहीं जी पाउँगा मैं . बचपन से लेकर आज तक इस दुनिया ने ठुकराया है मुझे, दुत्कारा है मुझे, एक तू ही थी जिसने मुझ गरीब का हाथ थामा. मेरे दुःख में मेरे सुख में , मेरी ख़ुशी में बस तू ही थी . और आज ऐसा लगता है की कोई आ गया है मुझसे मेरी ख़ुशी छीनने के लिए.

जो दर्द मैंने बचपन से पीया हुआ था आज आंसू बन कर इस शिवाले में रीना के सामने बह रहा था , उसकी आँखे भी नाम हो गयी .

मैं- बचपन से मेरा कोई नहीं था सिवाय तेरे. मेरे माँ- बाप मुझे छोड़ गए . वो तू ही तो थी जिसने मुझे थामा मैं कब का टूट कर बिखर गया होता अगर तू नहीं होती . मुझे पराया मत कर अपने से दूर मत कर मेरी जान

रीना- मेरे दिल से पूछ , ये हवाए, ये फिजाए मेरी हर एक सांस गवाह है मेरे सनम मेरी हर सुबह ने बस तेरा दीदार किया मेरी हर शाम ने तेरा इंतज़ार किया मेरा दिल चीर कर देख हर धड़कन पर बस तेरा ही नाम लिखा होगा. मैंने तो अभी सोचा ही नहीं था की जिंदगी मुझे इस मोड़ पर ले आयेगी, मेरे पैरो में बेडिया है मेरे हाथो में तेरा हाथ है बता मैं करू तो क्या करू मेरे सनम. हर घडी, हर लम्हा, मेरा एक एक मिनट मैंने तेरे नाम किया . मैं कोसती हूँ खुद को काश उस दिन मैंने तुझसे जिद न की होती इस मनहूस जगह आने की . सारी दुनिया जान गयी मेरी-तेरी मोहब्बत के बारे में. मैं करू तो क्या तुझसे कहूँ तो क्या कहूँ मेरी माँ ने मेरे पैरो में उसके नाम की बेडिया बान्ध दी है

मैं- मैं बात करूँगा उनसे , माँ है वो औलाद के मन की बात समझेगी .

रीना- काश वो समझ पाती, तुझे क्या लगता है मैंने कहा नहीं उससे. उसे ज़माने की फ़िक्र है मेरी नहीं .

मैं- और तुझे किसकी फ़िक्र है मेरी जान

रीना- मैं तो दोराहे पर खड़ी हूँ , तुझे छोड़ दू तो रुसवाई से मरूंगी माँ को छोड़ दिया तो जलालत से मरूंगी. दोनों तरफ से मरना तो मेरा ही है .

मैं- क्या तूने इस रिश्ते के लिए हाँ कह दी है

रीना- मेरी हां न की किसे परवाह है .

मैं- मैं मर जाऊंगा रीना तेरे बिना

रीना- मैं तो वो भी नहीं कर सकती

मैं- तो ठीक है , तू एक काम कर मुझे अभी इसी वक्त मार दे. इस किस्से को यही पर ख़तम कर दे.जीना का मकसद तू है तो मेरा अंजाम भी तू ही बन

रीना- यही बात अगर मैं तुझसे कहूँ तो तू कर पायेगा ऐसा.

मैं- तो तू ही बता क्या करूँ मैं

रीना- यही तो मैं तुझसे पूछ रही हूँ

रीना ने अपने गले में हाथ डाला और वो हीरे वाला धागा निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया बोली- इसकी जरुरत नहीं मुझे. तू ही रख इसे

मैं- मैं भला क्या करूँगा इसका. तू ही रख

मैंने वो धागा वापिस रीना को दे दिया. रीना ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली- मुझे सदा अफ़सोस रहेगा इस जख्म के लिए

मैं- तू जानती थी , तुझे पता था

रीना- मैं हर दम हर पल अपने होश में थी .

मैं- तो तू सब जानती है

रीना- मैं बस तुझे जानती हूँ , मैंने बस तुझे जाना है

एक एक कर के शिवाले के दिए बुझने लगे.

रीना- मेरे सनम ये दर्द जो तुझे दिया है इसका कोई तोड़ नहीं है , पर मैंने इसे आधा बाँट लिया है दर्द उठेगा तेरे सीने में साथ तडपना मुझे है .

मैं- नहीं , तू ऐसा नहीं कर सकती

रीना- प्रेम की लौ जलाई है सुलगना तो पड़ेगा.

मैं- वो दुनिया , दुनिया नहीं होगी , जिसमे तू नहीं होगी मैं जलाकर ख़ाक कर दूंगा उस दुनिया को .

रीना- उस ख़ाक से धुआ भी मेरे ही प्यार का उठेगा.


मैं कुछ कहता उस से पहले ही रीना ने आगे बढ़ कर मेरे होंठो को चूम लिया और चली गयी शिवाले के अँधेरे ने मुझे लील लिया.
उफ ये कशमकश
 

Raj_sharma

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#61



ताई- तुझे नहीं मालूम क्या रीना के लिए रिश्ता आया है .

एक पल को मुझे मेरे कानो पर यकीन नहीं हुआ.

मैं- क्या कहा तुमने

ताई- यही की रीना के लिए रिश्ता आया है मैं उसके घर जा रही हूँ, एक मिनट क्या रीना ने तुझे नहीं बताया

मैं- बताया था , बस मेरे दिमाग से निकल गयी थी .

अपने भावो को छुपाते हुए मैं बस इतना ही कह पाया. और कहता भी तो क्या , इस दिन की शुरुआत ऐसे हुई थी तो अंजाम की क्या ही कहे. सर में अचानक से ही दर्द हो गया था . समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करू, क्या कहूँ. इस छोटे से दिल में ज़माने भर का बोझ उठाये मैं पागल ही हो गया था . दिल चाहता था की मैं रोकर इस बोझ को हल्का कर लू . पर वो आशिकी ही क्या जिसका इम्तिहान न हो.

चाहता तो अभी उसका हाथ पकड कर पूछ सकता था की ये सब क्घया है पर उसमे भी मेरी ही रुसवाई थी घर से निकल तो आया था पर रीना की दहलीज पर जाने की हिम्मत नहीं हुई तो उसी नीम के निचे बैठ गया . सीने में आग सी लगी थी मेरे न , न जाने ये दर्द जख्म का था या मोहब्बत का पर जल रहा था मैं. जब दिल दीवाने पर कोई जोर नहीं चला तो मैं गाँव से बाहर आ गया . दिन , दोपहार से शाम , शाम से रात में बदल गया था पर इस मनीष को चैन नहीं था .

अपनी बेचैनी लिए मैं शिवाले में बैठा था . उस देवता से मेरी आँखे न जाने कितने सवाल पूछ रही थी जिसने मेरे भाग को अपनी वीरानियो से जोड़ दिया था .

“क्या लिखा है मेरे नसीब में तुमने ” मैंने सवाल किया उस से और तभी पायल की उस झंकार ने मेरा ध्यान खींच लिया , उस पायल की झंकार जिसे मैं एक हजारो में नहीं लाखो में पहचान सकता था ,एक पल में मेरी सारी बेचैनी, सारी तन्हाई जैसे ख़ाक में मिल गयी .

“रीना ” मैंने अपने आप से कहा . और बस एक पल में ही मैंने उसे अपनी तरफ आते हुए देखा. मेरा दिया हुआ नीला सूट पहने हुए, हाथो में मेहँदी लगाये . जैसे जैसे वो कदम बढ़ाये मेरी तरफ आ रही थी एक के बाद एक शिवाले के दिए जलने लगने लगे थे. पर आज उसकी आँखों में वो दहशत नहीं थी , आज वो जानी पहचानी लग रही थी . मुस्कुराते हुए उसने मेरी पीठ से अपनी पीठ टिकाई और बैठ गयी .

“जानती थी तुम यही मिलोगे ” उसने कहा

मैं- जाये तो कहाँ जाये अब . ये महफिले ये दुनिया सब बेगानी सी लगती है

रीना- ये फितरत है इस दुनिया की

मैं- ऐसा लगता है की मुद्दत हुई तुम्हारे संग यूँ बैठे वो तमाम शामे जो हमने डूबते सूरज को देखते हुए बिताई, वो तमाम लम्हे जो हमने जिए

रीना- ये लम्हा भी तो खास है हम है तुम हो और ये जवान रात है .

मैं- ये लम्हा बस यही थम जाये बैठी रहो तुम आगोश में , देखता रहूँ बस तुम्हे .

रीना- बचपन से जवानी तक का सफ़र कैसे बीत गया ऐसा लगता है जैसे बस कल की ही बात हो .

मैं- मुझे कल से नहीं आने वाले कल से डर लगने लगा है .

रीना -डरना किसलिए भला

मैंने अपना चेहरा रीना की तरफ किया और उसके हाथ को थाम लिया.

मैं- डर लगता है मुझे, तुझसे दूर हो जाने का तुझे खो देने का .

रीना- मैं हमेशा तेरे संग रहूंगी, तेरे दिल में रहूंगी.

मैं- सुना की आज मेहमान आये थे

रीना- तुझे मालूम ही है तो क्यों पूछता है

मैं- तूने बताया भी तो नहीं .

रीना- क्या बताऊ तुझे मेरे सनम , कुछ भी तो नहीं मेरे पास बताने को .

मैं- ऐसा लग रहा है की वक्त रेत के जैसे मेरी मुट्ठी से फिसल रहा है , रीना सच बता तू मुझे छोड़ कर तो नहीं जाएगी न , तेरे बिना कैसे जियूँगा मैं नहीं जी पाउँगा मैं , नहीं जी पाउँगा मैं . बचपन से लेकर आज तक इस दुनिया ने ठुकराया है मुझे, दुत्कारा है मुझे, एक तू ही थी जिसने मुझ गरीब का हाथ थामा. मेरे दुःख में मेरे सुख में , मेरी ख़ुशी में बस तू ही थी . और आज ऐसा लगता है की कोई आ गया है मुझसे मेरी ख़ुशी छीनने के लिए.

जो दर्द मैंने बचपन से पीया हुआ था आज आंसू बन कर इस शिवाले में रीना के सामने बह रहा था , उसकी आँखे भी नाम हो गयी .

मैं- बचपन से मेरा कोई नहीं था सिवाय तेरे. मेरे माँ- बाप मुझे छोड़ गए . वो तू ही तो थी जिसने मुझे थामा मैं कब का टूट कर बिखर गया होता अगर तू नहीं होती . मुझे पराया मत कर अपने से दूर मत कर मेरी जान

रीना- मेरे दिल से पूछ , ये हवाए, ये फिजाए मेरी हर एक सांस गवाह है मेरे सनम मेरी हर सुबह ने बस तेरा दीदार किया मेरी हर शाम ने तेरा इंतज़ार किया मेरा दिल चीर कर देख हर धड़कन पर बस तेरा ही नाम लिखा होगा. मैंने तो अभी सोचा ही नहीं था की जिंदगी मुझे इस मोड़ पर ले आयेगी, मेरे पैरो में बेडिया है मेरे हाथो में तेरा हाथ है बता मैं करू तो क्या करू मेरे सनम. हर घडी, हर लम्हा, मेरा एक एक मिनट मैंने तेरे नाम किया . मैं कोसती हूँ खुद को काश उस दिन मैंने तुझसे जिद न की होती इस मनहूस जगह आने की . सारी दुनिया जान गयी मेरी-तेरी मोहब्बत के बारे में. मैं करू तो क्या तुझसे कहूँ तो क्या कहूँ मेरी माँ ने मेरे पैरो में उसके नाम की बेडिया बान्ध दी है

मैं- मैं बात करूँगा उनसे , माँ है वो औलाद के मन की बात समझेगी .

रीना- काश वो समझ पाती, तुझे क्या लगता है मैंने कहा नहीं उससे. उसे ज़माने की फ़िक्र है मेरी नहीं .

मैं- और तुझे किसकी फ़िक्र है मेरी जान

रीना- मैं तो दोराहे पर खड़ी हूँ , तुझे छोड़ दू तो रुसवाई से मरूंगी माँ को छोड़ दिया तो जलालत से मरूंगी. दोनों तरफ से मरना तो मेरा ही है .

मैं- क्या तूने इस रिश्ते के लिए हाँ कह दी है

रीना- मेरी हां न की किसे परवाह है .

मैं- मैं मर जाऊंगा रीना तेरे बिना

रीना- मैं तो वो भी नहीं कर सकती

मैं- तो ठीक है , तू एक काम कर मुझे अभी इसी वक्त मार दे. इस किस्से को यही पर ख़तम कर दे.जीना का मकसद तू है तो मेरा अंजाम भी तू ही बन

रीना- यही बात अगर मैं तुझसे कहूँ तो तू कर पायेगा ऐसा.

मैं- तो तू ही बता क्या करूँ मैं

रीना- यही तो मैं तुझसे पूछ रही हूँ

रीना ने अपने गले में हाथ डाला और वो हीरे वाला धागा निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया बोली- इसकी जरुरत नहीं मुझे. तू ही रख इसे

मैं- मैं भला क्या करूँगा इसका. तू ही रख

मैंने वो धागा वापिस रीना को दे दिया. रीना ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली- मुझे सदा अफ़सोस रहेगा इस जख्म के लिए

मैं- तू जानती थी , तुझे पता था

रीना- मैं हर दम हर पल अपने होश में थी .

मैं- तो तू सब जानती है

रीना- मैं बस तुझे जानती हूँ , मैंने बस तुझे जाना है

एक एक कर के शिवाले के दिए बुझने लगे.

रीना- मेरे सनम ये दर्द जो तुझे दिया है इसका कोई तोड़ नहीं है , पर मैंने इसे आधा बाँट लिया है दर्द उठेगा तेरे सीने में साथ तडपना मुझे है .

मैं- नहीं , तू ऐसा नहीं कर सकती

रीना- प्रेम की लौ जलाई है सुलगना तो पड़ेगा.

मैं- वो दुनिया , दुनिया नहीं होगी , जिसमे तू नहीं होगी मैं जलाकर ख़ाक कर दूंगा उस दुनिया को .

रीना- उस ख़ाक से धुआ भी मेरे ही प्यार का उठेगा.


मैं कुछ कहता उस से पहले ही रीना ने आगे बढ़ कर मेरे होंठो को चूम लिया और चली गयी शिवाले के अँधेरे ने मुझे लील लिया.
Bohot Hi umda, pyar bharo or senti. Update Tha foji bhai.
Lajabaab
 

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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#61



ताई- तुझे नहीं मालूम क्या रीना के लिए रिश्ता आया है .

एक पल को मुझे मेरे कानो पर यकीन नहीं हुआ.

मैं- क्या कहा तुमने

ताई- यही की रीना के लिए रिश्ता आया है मैं उसके घर जा रही हूँ, एक मिनट क्या रीना ने तुझे नहीं बताया

मैं- बताया था , बस मेरे दिमाग से निकल गयी थी .

अपने भावो को छुपाते हुए मैं बस इतना ही कह पाया. और कहता भी तो क्या , इस दिन की शुरुआत ऐसे हुई थी तो अंजाम की क्या ही कहे. सर में अचानक से ही दर्द हो गया था . समझ ही नहीं आ रहा था की क्या करू, क्या कहूँ. इस छोटे से दिल में ज़माने भर का बोझ उठाये मैं पागल ही हो गया था . दिल चाहता था की मैं रोकर इस बोझ को हल्का कर लू . पर वो आशिकी ही क्या जिसका इम्तिहान न हो.

चाहता तो अभी उसका हाथ पकड कर पूछ सकता था की ये सब क्घया है पर उसमे भी मेरी ही रुसवाई थी घर से निकल तो आया था पर रीना की दहलीज पर जाने की हिम्मत नहीं हुई तो उसी नीम के निचे बैठ गया . सीने में आग सी लगी थी मेरे न , न जाने ये दर्द जख्म का था या मोहब्बत का पर जल रहा था मैं. जब दिल दीवाने पर कोई जोर नहीं चला तो मैं गाँव से बाहर आ गया . दिन , दोपहार से शाम , शाम से रात में बदल गया था पर इस मनीष को चैन नहीं था .

अपनी बेचैनी लिए मैं शिवाले में बैठा था . उस देवता से मेरी आँखे न जाने कितने सवाल पूछ रही थी जिसने मेरे भाग को अपनी वीरानियो से जोड़ दिया था .

“क्या लिखा है मेरे नसीब में तुमने ” मैंने सवाल किया उस से और तभी पायल की उस झंकार ने मेरा ध्यान खींच लिया , उस पायल की झंकार जिसे मैं एक हजारो में नहीं लाखो में पहचान सकता था ,एक पल में मेरी सारी बेचैनी, सारी तन्हाई जैसे ख़ाक में मिल गयी .

“रीना ” मैंने अपने आप से कहा . और बस एक पल में ही मैंने उसे अपनी तरफ आते हुए देखा. मेरा दिया हुआ नीला सूट पहने हुए, हाथो में मेहँदी लगाये . जैसे जैसे वो कदम बढ़ाये मेरी तरफ आ रही थी एक के बाद एक शिवाले के दिए जलने लगने लगे थे. पर आज उसकी आँखों में वो दहशत नहीं थी , आज वो जानी पहचानी लग रही थी . मुस्कुराते हुए उसने मेरी पीठ से अपनी पीठ टिकाई और बैठ गयी .

“जानती थी तुम यही मिलोगे ” उसने कहा

मैं- जाये तो कहाँ जाये अब . ये महफिले ये दुनिया सब बेगानी सी लगती है

रीना- ये फितरत है इस दुनिया की

मैं- ऐसा लगता है की मुद्दत हुई तुम्हारे संग यूँ बैठे वो तमाम शामे जो हमने डूबते सूरज को देखते हुए बिताई, वो तमाम लम्हे जो हमने जिए

रीना- ये लम्हा भी तो खास है हम है तुम हो और ये जवान रात है .

मैं- ये लम्हा बस यही थम जाये बैठी रहो तुम आगोश में , देखता रहूँ बस तुम्हे .

रीना- बचपन से जवानी तक का सफ़र कैसे बीत गया ऐसा लगता है जैसे बस कल की ही बात हो .

मैं- मुझे कल से नहीं आने वाले कल से डर लगने लगा है .

रीना -डरना किसलिए भला

मैंने अपना चेहरा रीना की तरफ किया और उसके हाथ को थाम लिया.

मैं- डर लगता है मुझे, तुझसे दूर हो जाने का तुझे खो देने का .

रीना- मैं हमेशा तेरे संग रहूंगी, तेरे दिल में रहूंगी.

मैं- सुना की आज मेहमान आये थे

रीना- तुझे मालूम ही है तो क्यों पूछता है

मैं- तूने बताया भी तो नहीं .

रीना- क्या बताऊ तुझे मेरे सनम , कुछ भी तो नहीं मेरे पास बताने को .

मैं- ऐसा लग रहा है की वक्त रेत के जैसे मेरी मुट्ठी से फिसल रहा है , रीना सच बता तू मुझे छोड़ कर तो नहीं जाएगी न , तेरे बिना कैसे जियूँगा मैं नहीं जी पाउँगा मैं , नहीं जी पाउँगा मैं . बचपन से लेकर आज तक इस दुनिया ने ठुकराया है मुझे, दुत्कारा है मुझे, एक तू ही थी जिसने मुझ गरीब का हाथ थामा. मेरे दुःख में मेरे सुख में , मेरी ख़ुशी में बस तू ही थी . और आज ऐसा लगता है की कोई आ गया है मुझसे मेरी ख़ुशी छीनने के लिए.

जो दर्द मैंने बचपन से पीया हुआ था आज आंसू बन कर इस शिवाले में रीना के सामने बह रहा था , उसकी आँखे भी नाम हो गयी .

मैं- बचपन से मेरा कोई नहीं था सिवाय तेरे. मेरे माँ- बाप मुझे छोड़ गए . वो तू ही तो थी जिसने मुझे थामा मैं कब का टूट कर बिखर गया होता अगर तू नहीं होती . मुझे पराया मत कर अपने से दूर मत कर मेरी जान

रीना- मेरे दिल से पूछ , ये हवाए, ये फिजाए मेरी हर एक सांस गवाह है मेरे सनम मेरी हर सुबह ने बस तेरा दीदार किया मेरी हर शाम ने तेरा इंतज़ार किया मेरा दिल चीर कर देख हर धड़कन पर बस तेरा ही नाम लिखा होगा. मैंने तो अभी सोचा ही नहीं था की जिंदगी मुझे इस मोड़ पर ले आयेगी, मेरे पैरो में बेडिया है मेरे हाथो में तेरा हाथ है बता मैं करू तो क्या करू मेरे सनम. हर घडी, हर लम्हा, मेरा एक एक मिनट मैंने तेरे नाम किया . मैं कोसती हूँ खुद को काश उस दिन मैंने तुझसे जिद न की होती इस मनहूस जगह आने की . सारी दुनिया जान गयी मेरी-तेरी मोहब्बत के बारे में. मैं करू तो क्या तुझसे कहूँ तो क्या कहूँ मेरी माँ ने मेरे पैरो में उसके नाम की बेडिया बान्ध दी है

मैं- मैं बात करूँगा उनसे , माँ है वो औलाद के मन की बात समझेगी .

रीना- काश वो समझ पाती, तुझे क्या लगता है मैंने कहा नहीं उससे. उसे ज़माने की फ़िक्र है मेरी नहीं .

मैं- और तुझे किसकी फ़िक्र है मेरी जान

रीना- मैं तो दोराहे पर खड़ी हूँ , तुझे छोड़ दू तो रुसवाई से मरूंगी माँ को छोड़ दिया तो जलालत से मरूंगी. दोनों तरफ से मरना तो मेरा ही है .

मैं- क्या तूने इस रिश्ते के लिए हाँ कह दी है

रीना- मेरी हां न की किसे परवाह है .

मैं- मैं मर जाऊंगा रीना तेरे बिना

रीना- मैं तो वो भी नहीं कर सकती

मैं- तो ठीक है , तू एक काम कर मुझे अभी इसी वक्त मार दे. इस किस्से को यही पर ख़तम कर दे.जीना का मकसद तू है तो मेरा अंजाम भी तू ही बन

रीना- यही बात अगर मैं तुझसे कहूँ तो तू कर पायेगा ऐसा.

मैं- तो तू ही बता क्या करूँ मैं

रीना- यही तो मैं तुझसे पूछ रही हूँ

रीना ने अपने गले में हाथ डाला और वो हीरे वाला धागा निकाल कर मेरे हाथ में रख दिया बोली- इसकी जरुरत नहीं मुझे. तू ही रख इसे

मैं- मैं भला क्या करूँगा इसका. तू ही रख

मैंने वो धागा वापिस रीना को दे दिया. रीना ने मेरे सीने पर हाथ रखा और बोली- मुझे सदा अफ़सोस रहेगा इस जख्म के लिए

मैं- तू जानती थी , तुझे पता था

रीना- मैं हर दम हर पल अपने होश में थी .

मैं- तो तू सब जानती है

रीना- मैं बस तुझे जानती हूँ , मैंने बस तुझे जाना है

एक एक कर के शिवाले के दिए बुझने लगे.

रीना- मेरे सनम ये दर्द जो तुझे दिया है इसका कोई तोड़ नहीं है , पर मैंने इसे आधा बाँट लिया है दर्द उठेगा तेरे सीने में साथ तडपना मुझे है .

मैं- नहीं , तू ऐसा नहीं कर सकती

रीना- प्रेम की लौ जलाई है सुलगना तो पड़ेगा.

मैं- वो दुनिया , दुनिया नहीं होगी , जिसमे तू नहीं होगी मैं जलाकर ख़ाक कर दूंगा उस दुनिया को .

रीना- उस ख़ाक से धुआ भी मेरे ही प्यार का उठेगा.


मैं कुछ कहता उस से पहले ही रीना ने आगे बढ़ कर मेरे होंठो को चूम लिया और चली गयी शिवाले


के अँधेरे ने मुझे लील ल
Yeh kya hogaya......
Pyar hai, itna asaan nahi bhulana!!!
Majra kuch alag hai .
 
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