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Adultery गुजारिश 2 (Completed)

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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एक मनीष भाई और दूसरे डॉक्टर साहब (Chutiyadr ) इन दोनों की कहानियों पर कमेन्ट करके इनको फिर से लीपापोती में लगाने में मुझे हमेशा मजा आता है :D
Xossip से ही :hehe:
हमारे लिए ये सम्मान की बात है भाई
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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भाई पहली कहानी ही 2 साल से लटकी पड़ी है....
कुछ छोटी कहानियों की शुरुआत भी की लेकिन...

जल्दी ही फिर लिखना शुरू करूंगा....
और अब सिर्फ लिखूंगा पढ़ूंगा ही...

बाकी... वक्त के हाथों में है
उम्मीद है कि जल्दी ही आप लिखना शुरू करेंगे
 

HalfbludPrince

मैं बादल हूं आवारा
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#42

“कैसा दर्द , कैसी रुसवाई चाची ” मैंने कहा

चाची ने मुड कर मुझे देखा और बोली- कुछ चीजो पर जमी धुल को हटाना नहीं चाहिए, हम सबकी जिन्दगी में कुछ पल ऐसे होते है जो निजी होते है , हमें उन लम्हों की कद्र करनी चाहिए. मैं तेरी सोच पर पहरा नहीं लगा सकती तू चाहे जो सोच सकता है मेरे और जेठ जी के बारे में और मुझे फर्क भी नहीं पड़ेगा. पर कुछ रिश्ते बस होते है उनका कोई नाम नहीं होता जैसे की तेरा और रीना का . दुनिया चाहे कुछ भी कहेगी पर तुम दोनों एक दुसरे के लिए जो हो वो हमेशा रहोगे.

मैं- अगर आप पिताजी से प्रेम करती थी तो फिर चाचा से शादी क्यों की

चाची- उफ़ तेरे ख्याल भी तेरे जैसे न लायक ही है. पर तेरे ख्याल अगर ऐसे है तो तू लाख कोशिश कर ले अर्जुन को कभी समझ नहीं पायेगा. वो एक दिया थे उन्हें समझने के लिए तुझे बाती बनना होगा.

मैं- इन निशानों के बारे में बता सकती हो तुम मुझे

चाची- ये घाव मुझे लगाव भी है इनसे और नाराजगी भी है इनसे.

मैं- तुम चाचा केसाथ खुश नहीं हो, मैंने सुना था आप दोनों की बातचीत

चाची- वो मेरा और उसका मसला है , तुम्हे जानने की जरुरत नहीं . ख़ुशी गमी बस हमारे नजरिये की बात है . खैर बाते बहुत हुई मुझे और भी काम है .

चाची मुझे छोड़ कर चली गयी . मैं खिड़की के पास खड़ा रहा . पर इतना तो मुझे मालूम हो ही गया की ताई और चाची गहरी जुडी थी मेरे पिता से. पर क्या राज़ थे इनके , क्या मेरे पिता का सम्बन्ध भी चुदाई वाला था इनसे, क्या ताई मुझसे इसलिए चुद गयी की वो मुझमे मेरे पिता का अक्स देखती हो. पर दोनों ने ही इस बात को नकारा था . अब मुझे बस ये ही मालूम करना था किसी भी हाल में.



मैं फिर ताई के घर चला गया तो देखा की ताऊ आज घर आया हुआ था. मैं उसके पास ही बैठ गया बाते करने लगा.

मैं- ताऊ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है

ताऊ- हां

मैं-ताऊ, मुझे नहीं मालूम की ये सही समय है या नहीं पर मैं ये जानना चाहता हूँ की ऐसी कौन सी बात है जिसकी वजह से तुम ताई को हमेशा गाली बकते हो .

ताऊ- छोड़ न क्या उस का जिक्र करता है

मैं- ताऊ, आज तुम्हे बताना ही होगा.

ताऊ- उस कुलटा से ही जाकर पूछ लेना तू.

मैं- कहते की एक न एक दिन ऐसा आता है जब आदमी ओ अपने दिल के बोझ को हल्का कर लेना चाहिए, मैं तेरा बेटा हु . मेरे सामने अपना दिल खोल सकता है तू

ताऊ- मेरे दिल में कुछ नहीं

मैं- फिर भी

ताऊ- सुनना चाहता है तो सुन, ये हरामजादी ऐसी नागिन है जो किसी को भी डस जाये. ये किसी की नहीं हो सकती, अब मैं तुझसे क्या कहूँ पर इतना समझ ले घर बसाने लायक नहीं है ये.

मैं- इस बात का कोई सबूत है तुम्हारे पास या फिर किसी ने कान भरे है तुम्हारे.

ताऊ- मुझे सबूत की क्या जरुरत , मैंने तो खुद उसे ..........

ताऊ ने बात अधूरी छोड़ दी.

मैं- उसे क्या ताऊ

ताऊ- कुछ नहीं, कुछ नहीं तू जा बाहर खेल . मुझे वापिस शहर जाना है

मैं- ताऊ क्या तुमने ताई को मेरे पिता के साथ देखा था .

ताउ- मैंने कहा न तू जा यहां से

मैं- मुझे समझ आ गया वो मेरे पिता के साथ ही थी .

ताऊ- मैंने कहा न चला जा यहाँ से . अभी तू इतना बड़ा नहीं हुआ है जितना तू समझ रहा है .

मैं घर से बाहर आकर नीम के पेड़ के निचे बैठ गया और विचार करने लगा. मेरी बात सच होने की पूरी सम्भावना लग रही थी मुझे, ताई जब ठेकेदार से चुद सकती है , मुझसे चुद सकती है तो अर्जुन चौधरी से क्यों नहीं चुद सकती. क्या मेरे पिता अपनी भाभी और छोटे भाई की पत्नी को रगड़ रहे थे . क्या यही वो वजह थी की ताऊ ने उन्हें ताई के साथ देख लिया हो तो वो घर छोड़ गये.

पर यहाँ आकार मेरा अनुमान गड़बड़ा रहा था , घर छोड़ना जम नहीं रहा था . घर छोड़ने की वजह ये नहीं हो सकती . मैंने सोचा इस घर की औरते इतनी शातिर है तो मर्दों का कहना ही क्या होगा. इन सवालो के जवाब किसी के पास थे तो वो थे चौधरी अर्जुन सिंह और अब समय आ गया था मेरा उनसे मिलने का.

अगले दिन सुबह सुबह ही मैंने अपना बैग लिया और शहर के लिए बस पकड़ ली.शाम तक मैं उस भर्ती सेंटर पर पहुँच गया जिसका पता मुझे रीना की मामी ने लाकर दिया था . वहां जाकर मालूम हुआ की वहां पर नए फौजियों को कुछ समय के लिए ही रखते है फिर ट्रेनिंग के लिए भेज देते है . मैंने उस फौजी को अपनी व्यथा बताई तो उसका दिल पसीज गया वो मुझे अपने साथ बड़े अफसर के पास ले गया . मैंने अफसर को पूरी कहानी बताई.

अफसर- देखो बेटे, मैं तुम्हारे जज्बात समझता हूँ और जितना हो सके मैं तुम्हारी मदद करूँगा. मैं रिकॉर्ड की जांच करवाता हूँ . थोडा समय लगेगा पर तुम्हारा काम मैं आज ही करूँगा.

मैंने हाथ जोड़ कर उसका धन्यवाद किया.

करीब दो घंटे बाद अफसर ने मुझे बुलाया और बोला- अर्जुन सिंह नाम का बन्दा भर्ती तो यही से हुआ था पर उसकी ट्रेनिंग अलवर में हुई थी. तुम्हे वहां जाना होगा. मैं वहां के लिए एक ख़त लिख देता हूँ तुम्हे आसानी होगी .

अफसर ने मुझे एक चिट्ठी दी और बोला की वहां किसी को भी दिखा देना . मैंने तुरंत अलवर के लिए बस पकड़ी और अगली शाम पहुँच गया . वहां के आर्मी सेंटर पर जाकर मैंने चिट्ठी दिखाई और फिर जो मुझे मालूम हुआ मैं हैरान रह गया .............................
 

Tiger 786

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#42

“कैसा दर्द , कैसी रुसवाई चाची ” मैंने कहा

चाची ने मुड कर मुझे देखा और बोली- कुछ चीजो पर जमी धुल को हटाना नहीं चाहिए, हम सबकी जिन्दगी में कुछ पल ऐसे होते है जो निजी होते है , हमें उन लम्हों की कद्र करनी चाहिए. मैं तेरी सोच पर पहरा नहीं लगा सकती तू चाहे जो सोच सकता है मेरे और जेठ जी के बारे में और मुझे फर्क भी नहीं पड़ेगा. पर कुछ रिश्ते बस होते है उनका कोई नाम नहीं होता जैसे की तेरा और रीना का . दुनिया चाहे कुछ भी कहेगी पर तुम दोनों एक दुसरे के लिए जो हो वो हमेशा रहोगे.

मैं- अगर आप पिताजी से प्रेम करती थी तो फिर चाचा से शादी क्यों की

चाची- उफ़ तेरे ख्याल भी तेरे जैसे न लायक ही है. पर तेरे ख्याल अगर ऐसे है तो तू लाख कोशिश कर ले अर्जुन को कभी समझ नहीं पायेगा. वो एक दिया थे उन्हें समझने के लिए तुझे बाती बनना होगा.

मैं- इन निशानों के बारे में बता सकती हो तुम मुझे

चाची- ये घाव मुझे लगाव भी है इनसे और नाराजगी भी है इनसे.

मैं- तुम चाचा केसाथ खुश नहीं हो, मैंने सुना था आप दोनों की बातचीत

चाची- वो मेरा और उसका मसला है , तुम्हे जानने की जरुरत नहीं . ख़ुशी गमी बस हमारे नजरिये की बात है . खैर बाते बहुत हुई मुझे और भी काम है .

चाची मुझे छोड़ कर चली गयी . मैं खिड़की के पास खड़ा रहा . पर इतना तो मुझे मालूम हो ही गया की ताई और चाची गहरी जुडी थी मेरे पिता से. पर क्या राज़ थे इनके , क्या मेरे पिता का सम्बन्ध भी चुदाई वाला था इनसे, क्या ताई मुझसे इसलिए चुद गयी की वो मुझमे मेरे पिता का अक्स देखती हो. पर दोनों ने ही इस बात को नकारा था . अब मुझे बस ये ही मालूम करना था किसी भी हाल में.



मैं फिर ताई के घर चला गया तो देखा की ताऊ आज घर आया हुआ था. मैं उसके पास ही बैठ गया बाते करने लगा.

मैं- ताऊ मुझे तुमसे कुछ बात करनी है

ताऊ- हां

मैं-ताऊ, मुझे नहीं मालूम की ये सही समय है या नहीं पर मैं ये जानना चाहता हूँ की ऐसी कौन सी बात है जिसकी वजह से तुम ताई को हमेशा गाली बकते हो .

ताऊ- छोड़ न क्या उस का जिक्र करता है

मैं- ताऊ, आज तुम्हे बताना ही होगा.

ताऊ- उस कुलटा से ही जाकर पूछ लेना तू.

मैं- कहते की एक न एक दिन ऐसा आता है जब आदमी ओ अपने दिल के बोझ को हल्का कर लेना चाहिए, मैं तेरा बेटा हु . मेरे सामने अपना दिल खोल सकता है तू

ताऊ- मेरे दिल में कुछ नहीं

मैं- फिर भी

ताऊ- सुनना चाहता है तो सुन, ये हरामजादी ऐसी नागिन है जो किसी को भी डस जाये. ये किसी की नहीं हो सकती, अब मैं तुझसे क्या कहूँ पर इतना समझ ले घर बसाने लायक नहीं है ये.

मैं- इस बात का कोई सबूत है तुम्हारे पास या फिर किसी ने कान भरे है तुम्हारे.

ताऊ- मुझे सबूत की क्या जरुरत , मैंने तो खुद उसे ..........

ताऊ ने बात अधूरी छोड़ दी.

मैं- उसे क्या ताऊ

ताऊ- कुछ नहीं, कुछ नहीं तू जा बाहर खेल . मुझे वापिस शहर जाना है

मैं- ताऊ क्या तुमने ताई को मेरे पिता के साथ देखा था .

ताउ- मैंने कहा न तू जा यहां से

मैं- मुझे समझ आ गया वो मेरे पिता के साथ ही थी .

ताऊ- मैंने कहा न चला जा यहाँ से . अभी तू इतना बड़ा नहीं हुआ है जितना तू समझ रहा है .

मैं घर से बाहर आकर नीम के पेड़ के निचे बैठ गया और विचार करने लगा. मेरी बात सच होने की पूरी सम्भावना लग रही थी मुझे, ताई जब ठेकेदार से चुद सकती है , मुझसे चुद सकती है तो अर्जुन चौधरी से क्यों नहीं चुद सकती. क्या मेरे पिता अपनी भाभी और छोटे भाई की पत्नी को रगड़ रहे थे . क्या यही वो वजह थी की ताऊ ने उन्हें ताई के साथ देख लिया हो तो वो घर छोड़ गये.

पर यहाँ आकार मेरा अनुमान गड़बड़ा रहा था , घर छोड़ना जम नहीं रहा था . घर छोड़ने की वजह ये नहीं हो सकती . मैंने सोचा इस घर की औरते इतनी शातिर है तो मर्दों का कहना ही क्या होगा. इन सवालो के जवाब किसी के पास थे तो वो थे चौधरी अर्जुन सिंह और अब समय आ गया था मेरा उनसे मिलने का.

अगले दिन सुबह सुबह ही मैंने अपना बैग लिया और शहर के लिए बस पकड़ ली.शाम तक मैं उस भर्ती सेंटर पर पहुँच गया जिसका पता मुझे रीना की मामी ने लाकर दिया था . वहां जाकर मालूम हुआ की वहां पर नए फौजियों को कुछ समय के लिए ही रखते है फिर ट्रेनिंग के लिए भेज देते है . मैंने उस फौजी को अपनी व्यथा बताई तो उसका दिल पसीज गया वो मुझे अपने साथ बड़े अफसर के पास ले गया . मैंने अफसर को पूरी कहानी बताई.

अफसर- देखो बेटे, मैं तुम्हारे जज्बात समझता हूँ और जितना हो सके मैं तुम्हारी मदद करूँगा. मैं रिकॉर्ड की जांच करवाता हूँ . थोडा समय लगेगा पर तुम्हारा काम मैं आज ही करूँगा.

मैंने हाथ जोड़ कर उसका धन्यवाद किया.

करीब दो घंटे बाद अफसर ने मुझे बुलाया और बोला- अर्जुन सिंह नाम का बन्दा भर्ती तो यही से हुआ था पर उसकी ट्रेनिंग अलवर में हुई थी. तुम्हे वहां जाना होगा. मैं वहां के लिए एक ख़त लिख देता हूँ तुम्हे आसानी होगी .


अफसर ने मुझे एक चिट्ठी दी और बोला की वहां किसी को भी दिखा देना . मैंने तुरंत अलवर के लिए बस पकड़ी और अगली शाम पहुँच गया . वहां के आर्मी सेंटर पर जाकर मैंने चिट्ठी दिखाई और फिर जो मुझे मालूम हुआ मैं हैरान रह गया .............................
Behtreen lazwaab update
 

Studxyz

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कहानी में कई नाटकीय व् दिलचस्प मोड़ आ रहे हैं अब अगर मनीष चाची का बेटा निकल गया तो चाची की चुदाई तो फिर होने से रही फिर तो सारी ज़िंदगी सुखी ही निकलेगी इस उम्र में किसी और से गीला होने की कोई उम्मीद नहीं | इसलिए समय आ गया है की अब रीना व् मीता से प्यार का लेवल ऊँचा किया जाये कुछ रोमांस के साथ साथ गरमा गर्म बातें भी हो जाएं और बाकि का काम मनीष के मुक़दर पर आधारित रहेगा

मनीष अर्जुन सिंह की खोज में निकला है ये बहुत से राज़ खोल सकता है
 

Studxyz

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एक मनीष भाई और दूसरे डॉक्टर साहब (Chutiyadr ) इन दोनों की कहानियों पर कमेन्ट करके इनको फिर से लीपापोती में लगाने में मुझे हमेशा मजा आता है :D
Xossip से ही :hehe:

:D वैसे chutiyadr है कहाँ गायब बहुत अरसे से दही का रायता होते नहीं पढ़ा :D
 
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SKYESH

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अब आपको क्या कहूँ....
आप कहानी की कह रहे हैं यहाँ ज़िन्दगी के पन्ने पर यही इबारत लिखी है....
तन बेशक एक के पास है पर मन में तो अनेक लिये बैठी हैं... आज कल की नहीं बरसों पुराने घाव हैं, जो सूखकर निशान नहीं बने.... रिसकर नासूर बन गये हैं

पहले सिर्फ ख्वाबों में मिला और गिला करते थे....
अब तो फोन इन्टरनेट पर छुपना और भुलाना भी मुश्किल हो गया है
Enjoy the life :wink:
 
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