HalfbludPrince
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#57
भोर से कुछ पहले मीता हमें छोड़ कर चली गयी. रहे गए मैं और रीना. पूरी रात बस एक मैं ही था जो एक पल भी नहीं सोया था ये सोचकर की आज की ये रात इतनी भयानक है तो आगे और न जाने क्या देखने को मिलेगा. कुछ देर बाद रीना भी उठ गयी .
रीना- मैं यहाँ कैसे
मैं- ये सवाल तो मैं तुझसे पूछता हूँ
रीना की आँखों में कशमकश थी जिसका मतलब ये था की उसे कल रात की घटना याद नहीं थी .
मैं- कल तू मुझसे मिलने आई थी और फिर यही रुक गयी .
रीना- और मेरे बदन पर ये तेरी शर्ट क्या कर रही है , रात को कुछ हुआ था क्या तेरे मेरे बीच .
मैं- क्या बात कर रही है तु, आजतक मैंने कभी ऐसा वैसा कुछ किया है क्या तेरे साथ .
रीना- तो फिर क्या छिपा रहा है तू
मैं-कुछ नहीं छिपा रहा तुझसे मेरी जान, सच ये है की कल रात तू मुझे रुद्रपुर के शिवाले में बेहोश मिली थी , मैं तुझे उठा कर यहाँ ले आया. सोचा की तू होश में आएगी तो तुझसे बात करूँगा.
रीना- मुझे याद नहीं मैं कब गयी वहां पर.
मैं- रीना मेरी बात ध्यान से सुन, मुझे तेरी हद से ज्यादा परवाह है तुझे अगर कुछ भी हुआ तो मैं सह नहीं पाउँगा. आज के बाद तू घर से बिना बताये कही भी नहीं आयेगी-जाएगी. मुझे चाहे लाख काम हो पर मैं हर कदम तेरे साथ रहूँगा.
रीना- मैं समझती हूँ
मैं- तो वादा कर , आज के बाद चाहे कुछ भी हो जाये तू रुद्रपुर की तरफ देखेगी भी नहीं .
रीना- ठीक है
मैं- क्या तुझे कुछ भी याद नहीं कल रात के बारे में
रीना - तेरी कसम
मेरे लिए ये अजीब स्तिथि हो गयी थी . रीना कल मरते मरते बची थी और उसे कुछ भी याद नहीं था . उसके जख्म् भी गायब थे .
मैं- तू चल मेरे साथ
रीना- कहाँ
मैं- संध्या चाची के पास.
मैं रीना को लेकर संध्या चाची के पास गया .
मैं- चाची मैं गोल मोल बात नहीं करूँगा पर कल रात सात अश्व्मान्वो की हत्या हो गयी है .
मेरी बात सुनकर चाची के चेहरे का रंग उड़ गया.
चाची- असंभव
मैं- तुम खुद जाकर पड़ताल कर लो रुद्रपुर में
संध्या- ऐसा कौन माई का लाल पैदा हो गया जिसने मृत्यु का वरन करने की ठान ली है .
मैं- वो कोई भी हो . पर अब मुझे तुम्हारी मदद की जरुरत है . तुम ही हो जो नहारविरो को काबू में कर सकती हो .
मेरी बात सुनकर चाची की आँखों की पुतलिया फ़ैल गयी .
चाची- किसने कहा तुमसे की मैं ऐसा कर सकती हूँ
मैं- किसी अपने ने , पर मैं तुमसे मदद की भीख मांगता हूँ
चाची- तूने सिर्फ नाहरविरो का जिक्र सुना है उनके बारे में तू जानता नहीं है
मैं- तुम बताओ
चाची- इस दुनिया में दो तरह के सच होते है एक जो सामने होता है दूसरा जो सामने होकर भी अनजान होता है . दुनिया में पूजा पाठ है तो तंत्र-मन्त्र भी है . कुछ लोग किताबी ज्ञान प्राप्त करते है , कुछ लोग दुनिया के अनसुने, अनसुलझे ज्ञान की तलाश करते है , भटकते रहते है बिना किसी बात के पर वो ही जानते है की वो बात क्या है . तो नाहरविरो की कहानी ये है की वो ऐसे रक्षक है जो सिर्फ साधने वाले या फिर साधक के बताये प्रमाण को ही पहचानते है , साधक उन्हें अपनी किसी खास चीज की सुरक्षा के लिए वचन घेरे में ले सकता है . एक नाहार्वीर ही बहुत होता है अपने आप में .
मैं- उन्हें कैसे साधा जाता है
चाची- तंत्र में कुछ मुमकिन है कुछ नहीं, साधक की जिजीविषा देखि जाती है
मैं- तुमने कैसे साधा था उन्हें.
चाची- मेरे गुरु का सामर्थ्य और मेरा हठ
मैं- जिसने सात अश्व मानवो को ढेर कर दिया उसका सामर्थ्य कितना होगा
चाची- मैं भी यही सोच रही हूँ, मेरी लालसा है उस से मिलने की
मैं- रीना ने कल ये काम किया है
जैसे ही मैंने ये कहा चाची ने अपने मुह पर हाथ रख लिया , उसे जरा भी यकीन नहीं था.
चाची-जो मैं कह रही हूँ रीना उसे ध्यान से समझना ये जो भी हुआ है , या नहीं हुआ है मुझे मतलब नहीं है पर अगर तू जिन्दा रहना चाहती है तो रुद्रपुर से दूर रहना . मैंने इन आँखों से बहुत कुछ देखा है, इतना कुछ देखा है की तू सोच भी नहीं सकती. इन हाथो से एक और चिता का बोझ नहीं उठाया जायेगा. वहां पर मौत है , और सबसे पहले उस तपिश में तू ही झुलसेगी. आगे तेरी मर्जी है , किस्मत हर दफा साथ नहीं देगी. जो चिंगारी बरसो पहले बुझ गयी उसे सुलगाने की गलती मत करना.
मैं- तुम बताती क्यों नहीं आखिर ऐसा क्या हुआ था बरसो पहले.
चाची- काश मैं जानती , काश मैं जानती तो आज हालात बेहतर होते. और तुम रीना मेरी बात पर विचार करना
चाची उठ कर चली गयी .रह गए हम दोनों.
मैं- सब मेरी गलती है मैं वो धागा तुझे नहीं देता तो ये सब होता ही नहीं
रीना- शायद यही नियति है .
मैं- बदल दूंगा मैं इस नियति को . अगर मौत भी तेरी तरफ आई तो उसे मुझसे पार पाना ही होगा.
रीना- अगर मैं मर भी गयी तो तेरी बाँहों में जान निकले मेरी
मैं- पागल हुई है क्या ये क्या बोल रही है तू तुझे जीना है मेरे साथ जीना है . तू अभी उतार फेंक उस धागे को
रीना- नहीं कर सकती
मैं- क्यों
रीना- क्योंकि वो मेरे गले में नहीं है , मुझे लगता है की वो मेरे अन्दर है .
रीना की बात सुनकर मैं और चिंतित हो गया .
मैं- तू फ़िक्र मत कर, मैं जल्दी ही मेरे पिता को तलाश कर लूँगा. उनके पास कोई समाधान जरुर होगा.
रीना- पर ऐसा कौन सा बोझ है जिसे मैं उठा रही हूँ तू नहीं
मैं- इसका जवाब अब चौधरी अर्जुन ही देंगे. तू बस घर पर ही रहना.
रीना- एक बात और थी
मैं- दो बात पूछ तू
रीना- वो लड़की कौन थी ...........
मैं- कौन लड़की
रीना- मुझे दोहराने की जरुरत नहीं
मैं- ठीक है फिर तू जब उस से मिले तो खुद पूछ लेना
रीना मेरे पास आई, इतना पास की उसकी सांसे मेरे सीने में उतरने लगी.
रीना- मैं कौन हूँ तेरी ये याद रखना हमेशा
मैं- तू मेरी सबकुछ है
रीना को छोड़कर मैं घर से बाहर तो आ गया था पर दिल में ये भी था की हालात ठीक नहीं होंगे जब ये दोनों सामने आएँगी. और मेरे लिए दोनों ही मेरी जिन्दगी थी , ये भी था की चाची जैसी घाघ औरत खुल कर मुझे अपना अतीत कभी नहीं बताएगी. रात को मैं और मीता एक बार फिर से कुवे पर बैठे रीना के लिए सोच रहे थे की मैंने तभी उसे आते हुए देखा..............................
भोर से कुछ पहले मीता हमें छोड़ कर चली गयी. रहे गए मैं और रीना. पूरी रात बस एक मैं ही था जो एक पल भी नहीं सोया था ये सोचकर की आज की ये रात इतनी भयानक है तो आगे और न जाने क्या देखने को मिलेगा. कुछ देर बाद रीना भी उठ गयी .
रीना- मैं यहाँ कैसे
मैं- ये सवाल तो मैं तुझसे पूछता हूँ
रीना की आँखों में कशमकश थी जिसका मतलब ये था की उसे कल रात की घटना याद नहीं थी .
मैं- कल तू मुझसे मिलने आई थी और फिर यही रुक गयी .
रीना- और मेरे बदन पर ये तेरी शर्ट क्या कर रही है , रात को कुछ हुआ था क्या तेरे मेरे बीच .
मैं- क्या बात कर रही है तु, आजतक मैंने कभी ऐसा वैसा कुछ किया है क्या तेरे साथ .
रीना- तो फिर क्या छिपा रहा है तू
मैं-कुछ नहीं छिपा रहा तुझसे मेरी जान, सच ये है की कल रात तू मुझे रुद्रपुर के शिवाले में बेहोश मिली थी , मैं तुझे उठा कर यहाँ ले आया. सोचा की तू होश में आएगी तो तुझसे बात करूँगा.
रीना- मुझे याद नहीं मैं कब गयी वहां पर.
मैं- रीना मेरी बात ध्यान से सुन, मुझे तेरी हद से ज्यादा परवाह है तुझे अगर कुछ भी हुआ तो मैं सह नहीं पाउँगा. आज के बाद तू घर से बिना बताये कही भी नहीं आयेगी-जाएगी. मुझे चाहे लाख काम हो पर मैं हर कदम तेरे साथ रहूँगा.
रीना- मैं समझती हूँ
मैं- तो वादा कर , आज के बाद चाहे कुछ भी हो जाये तू रुद्रपुर की तरफ देखेगी भी नहीं .
रीना- ठीक है
मैं- क्या तुझे कुछ भी याद नहीं कल रात के बारे में
रीना - तेरी कसम
मेरे लिए ये अजीब स्तिथि हो गयी थी . रीना कल मरते मरते बची थी और उसे कुछ भी याद नहीं था . उसके जख्म् भी गायब थे .
मैं- तू चल मेरे साथ
रीना- कहाँ
मैं- संध्या चाची के पास.
मैं रीना को लेकर संध्या चाची के पास गया .
मैं- चाची मैं गोल मोल बात नहीं करूँगा पर कल रात सात अश्व्मान्वो की हत्या हो गयी है .
मेरी बात सुनकर चाची के चेहरे का रंग उड़ गया.
चाची- असंभव
मैं- तुम खुद जाकर पड़ताल कर लो रुद्रपुर में
संध्या- ऐसा कौन माई का लाल पैदा हो गया जिसने मृत्यु का वरन करने की ठान ली है .
मैं- वो कोई भी हो . पर अब मुझे तुम्हारी मदद की जरुरत है . तुम ही हो जो नहारविरो को काबू में कर सकती हो .
मेरी बात सुनकर चाची की आँखों की पुतलिया फ़ैल गयी .
चाची- किसने कहा तुमसे की मैं ऐसा कर सकती हूँ
मैं- किसी अपने ने , पर मैं तुमसे मदद की भीख मांगता हूँ
चाची- तूने सिर्फ नाहरविरो का जिक्र सुना है उनके बारे में तू जानता नहीं है
मैं- तुम बताओ
चाची- इस दुनिया में दो तरह के सच होते है एक जो सामने होता है दूसरा जो सामने होकर भी अनजान होता है . दुनिया में पूजा पाठ है तो तंत्र-मन्त्र भी है . कुछ लोग किताबी ज्ञान प्राप्त करते है , कुछ लोग दुनिया के अनसुने, अनसुलझे ज्ञान की तलाश करते है , भटकते रहते है बिना किसी बात के पर वो ही जानते है की वो बात क्या है . तो नाहरविरो की कहानी ये है की वो ऐसे रक्षक है जो सिर्फ साधने वाले या फिर साधक के बताये प्रमाण को ही पहचानते है , साधक उन्हें अपनी किसी खास चीज की सुरक्षा के लिए वचन घेरे में ले सकता है . एक नाहार्वीर ही बहुत होता है अपने आप में .
मैं- उन्हें कैसे साधा जाता है
चाची- तंत्र में कुछ मुमकिन है कुछ नहीं, साधक की जिजीविषा देखि जाती है
मैं- तुमने कैसे साधा था उन्हें.
चाची- मेरे गुरु का सामर्थ्य और मेरा हठ
मैं- जिसने सात अश्व मानवो को ढेर कर दिया उसका सामर्थ्य कितना होगा
चाची- मैं भी यही सोच रही हूँ, मेरी लालसा है उस से मिलने की
मैं- रीना ने कल ये काम किया है
जैसे ही मैंने ये कहा चाची ने अपने मुह पर हाथ रख लिया , उसे जरा भी यकीन नहीं था.
चाची-जो मैं कह रही हूँ रीना उसे ध्यान से समझना ये जो भी हुआ है , या नहीं हुआ है मुझे मतलब नहीं है पर अगर तू जिन्दा रहना चाहती है तो रुद्रपुर से दूर रहना . मैंने इन आँखों से बहुत कुछ देखा है, इतना कुछ देखा है की तू सोच भी नहीं सकती. इन हाथो से एक और चिता का बोझ नहीं उठाया जायेगा. वहां पर मौत है , और सबसे पहले उस तपिश में तू ही झुलसेगी. आगे तेरी मर्जी है , किस्मत हर दफा साथ नहीं देगी. जो चिंगारी बरसो पहले बुझ गयी उसे सुलगाने की गलती मत करना.
मैं- तुम बताती क्यों नहीं आखिर ऐसा क्या हुआ था बरसो पहले.
चाची- काश मैं जानती , काश मैं जानती तो आज हालात बेहतर होते. और तुम रीना मेरी बात पर विचार करना
चाची उठ कर चली गयी .रह गए हम दोनों.
मैं- सब मेरी गलती है मैं वो धागा तुझे नहीं देता तो ये सब होता ही नहीं
रीना- शायद यही नियति है .
मैं- बदल दूंगा मैं इस नियति को . अगर मौत भी तेरी तरफ आई तो उसे मुझसे पार पाना ही होगा.
रीना- अगर मैं मर भी गयी तो तेरी बाँहों में जान निकले मेरी
मैं- पागल हुई है क्या ये क्या बोल रही है तू तुझे जीना है मेरे साथ जीना है . तू अभी उतार फेंक उस धागे को
रीना- नहीं कर सकती
मैं- क्यों
रीना- क्योंकि वो मेरे गले में नहीं है , मुझे लगता है की वो मेरे अन्दर है .
रीना की बात सुनकर मैं और चिंतित हो गया .
मैं- तू फ़िक्र मत कर, मैं जल्दी ही मेरे पिता को तलाश कर लूँगा. उनके पास कोई समाधान जरुर होगा.
रीना- पर ऐसा कौन सा बोझ है जिसे मैं उठा रही हूँ तू नहीं
मैं- इसका जवाब अब चौधरी अर्जुन ही देंगे. तू बस घर पर ही रहना.
रीना- एक बात और थी
मैं- दो बात पूछ तू
रीना- वो लड़की कौन थी ...........
मैं- कौन लड़की
रीना- मुझे दोहराने की जरुरत नहीं
मैं- ठीक है फिर तू जब उस से मिले तो खुद पूछ लेना
रीना मेरे पास आई, इतना पास की उसकी सांसे मेरे सीने में उतरने लगी.
रीना- मैं कौन हूँ तेरी ये याद रखना हमेशा
मैं- तू मेरी सबकुछ है
रीना को छोड़कर मैं घर से बाहर तो आ गया था पर दिल में ये भी था की हालात ठीक नहीं होंगे जब ये दोनों सामने आएँगी. और मेरे लिए दोनों ही मेरी जिन्दगी थी , ये भी था की चाची जैसी घाघ औरत खुल कर मुझे अपना अतीत कभी नहीं बताएगी. रात को मैं और मीता एक बार फिर से कुवे पर बैठे रीना के लिए सोच रहे थे की मैंने तभी उसे आते हुए देखा..............................