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Incest खेती का मोसम

Smoker king

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ट्रेन के सीट पर बैठा अपना हीरो सौरभ बैठे बैठे ही अपनी सीट पर सो गया था. काफी लंबा सफर तय करके वो अपने घर वापस जा रहा था. 10 घंटे के लंबे सफ़र ने उसे काफी थका दिया था जिसके कारण वह ट्रेन की सीट पर ही बैठे बेठे सो गया|

तभी ट्रेन एक झटके के साथ रुक जाता है. ट्रेन के एक झटके से रुक जाने के कारण, सौरभ जोगी गहरी नींद में था वो सामने बेठी एक महिला के ऊपर जा गिरता है.

गिरते ही सोरभ का नींद टूट जाता है जिसके बाद वह हढ़बढ़ाते हुए महिला के ऊपर से उठता है और उससे माफी मांगता है महिला जो भी खुद काफी थकी हुई थी वह सौरभ के हालात को समझ सकती थी इसीलिए वो उसे कुछ नहीं कहती है.

सौरभ उबासी लेते हुए एक आदमी से पूछता है - भैया कौन सा स्टेशन है ये.

आदमी उसके बात का जवाब देते हुए केहता है - अर्जुन नगर.

उस आदमी के बात को सुन सौरभ एक झटके से अपने सामान को उठाते हुए कहता है - अरे मेरेको यही उतरना है जरा साइड होइएगा प्लीज.

उसके बात को सुन सीट से लेकर गेट तक खड़े सारे आदमी साइड होगे उसके जाने के लिए जगह छोड़ देता है.

अर्जुन नगर स्टेशन अपनी एरिया का एकमात्र स्टेशन है. सौरभ लंबी सांस भरने के बाद अपने सारे सामान को उठा स्टेशन के बाहर चल पड़ता है.
 
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Smoker king

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स्टेशन के बाहर निकलते ही वो देखता है कि सामने एक औटो खड़ा है. जिसके अंदर 21 साल के आसपास का एक लड़का बैठा हुआ था.

वो लड़का भी सौरभ को देता है और उसे देखते हुए कहता है - अरे भैया कहां जाना है.

सौरभ उसके बात का जवाब देते हुए कहता है - फूलपुर गांव जाना है.

वो लड़का फूलपुर जाने के लिए तैयार हो जाता है जिसके बाद सौरभ जाके उसके औटो में बैठ जाता है. सौरभ के बैठते ही औटो भी फूलपुर की तरफ चल पड़ता है.

चलिए जब तक सौरभ अपने घर की तरफ जा रहा है तब तक मैं आपको उसके बारे में कुछ जानकारी दे देता हूं.

सौरभ एक 21 साल का जवान लड़का है जो फूलपुर गांव का रहने वाला है. फूलपुर और फूलपुर जैसी ही 14 गांव से मिलकर अर्जुन नगर बना है, अर्जुन नगर में रहने वाले लोगों के लिए कमाई का सबसे बड़ा शोध खेती है. लेकिन सौरभ के पास दो तीन ही खेत था जिसके कारण सौरभ 16 साल की उम्र में ही अपने घर से दूर मुंबई काम करने चला गया था. वहां पे उसने 5 सालों था काफी अच्छा पैसा कमाया. वहां पर कमाऐ गए पैसों को वह अपने पिता के पास भेज दिया करता था ताकि वो खेती के लिए जमीन खरीद सके. 5 साल बाद वह अपने घर वापस आ रहा था.
 
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Smoker king

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अब वापस कहानी में :-

5 सालों में गांव काफी ज्यादा बदल चुका था सौरभ उन्हीं चीजों को देख रहा था. सौरभ जहां इधर-उधर देखने में बिजी था. वही औटो चला रहा लड़का उसे एक तक नजर से औटो के बगल में लगे आईने मैं उसे देखें जा रहा था.

सौरभ उसे खुद को ऐसे देखते हुए नोटिस कर लेता है और उससे कहता है - तुम रमेश हो ना

औटो चला रहा लड़का कोई और नहीं बल्कि सौरभ के बचपन का दोस्त रमेश था. रमेश भी सौरभ के मुंह से अपने नाम सुन से पहचान जाता है. जिसके बाद वो औटो को एक झटके के साथ रोक देता है.

औटो को रोकने के बाद रमेश सौरभ के तरफ पीछे मुड़ते हुए कहता है - आर सौरभ तु कितने साल बाद वापस आया है. तेरा चेहरा तो काफी बदल गया. लेकिन फिर भी मेने तुझे पहचान लिया देखा.

फिर रमेश और सौरभ में बचपन की बातें होने लगता है. और बातों ही बातों में रमेश सौरभ को उसके घर तक छोड़ देता है. रमेश सौरभ को उससे घर छोड़ने के बाद कल मिलते हैं केह कर चला जाता है.

रमेश के जाने के बाद सौरभ अपने घर की तरफ देखने लगता है.उसका घर अब कोई दो कमरों वाला झोपड़ी नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा पक्का मकान बन चुका था.

सौरभ कुछ देर तक अपने घर को निहारता है और उसके बाद अपने सारे समान को उठा कर घर के दरवाजे के पास जाता हे और उसे अपने हाथ से पीटते हुए आवाज देता है. कुछ देर में दरवाजा खुलता है और वह देखता है कि......


सौरव क्या देखता है यह जाने के लिए आप अगले अपडेट का इंतजार करें. तब तक के लिए लाइक करें और रिप्लाई करें
 
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malikarman

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अब वापस कहानी में :-

5 सालों में गांव काफी ज्यादा बदल चुका था सौरभ उन्हीं चीजों को देखवह रहा था. सौरभ जहां इधर-उधर देखने में बिजी था. वही औटो चला रहा लड़का उसे एक तक नजर से औटो के बगल में लगे आईने मैं उसे देखें जा रहा था.

सौरभ उसे खुद को ऐसे देखते हुए नोटिस कर लेता है और उससे कहता है -
तुम रमेश हो ना

औटो चला रहा लड़का कोई और नहीं बल्कि सौरभ के बचपन का दोस्त रमेश था. रमेश भी सौरभ के मुंह से अपने नाम सुन से पहचान जाता है. जिसके बाद वो औटो को एक झटके के साथ रोक देता है.

औटो को रोकने के बाद रमेश सौरभ के तरह पीछे मुड़ते हुए कहता है -
आर सौरभ तु कितने साल बाद वापस आया है. तेरा चेहरा तो काफी बदल गया. लेकिन फिर भी मेने तुझे पहचान लिया देखा.

फिर रमेश और सौरव मैं बचपन की बातें होने लगता है. और बातों ही बातों में रमेश सौरभ को उसके घर तक छोड़ देता है. रमेश सौरभ को उससे घर छोड़ने के बाद कल मिलते हैं केह कर चला जाता है.

रमेश के जाने के बाद सौरभ अपने घर की तरफ देखने लगता है.उसका घर अब कोई दो कमरों वाला झोपड़ी नहीं बल्कि एक बहुत बड़ा पक्का मकान बन चुका था.

सौरभ कुछ देर तक अपने घर को निहारता है और उसके बाद अपने सारे समान को उठा कर घर के दरवाजे के पास जाता हे और उसे अपने हाथ से पीटते हुए आवाज देता है. कुछ देर में दरवाजा खुलता है और वह देता है कि......


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Lovely story
 
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