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Incest क्या ये गलत है ? (completed)

Rakesh1999

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वो खुद भी मुस्कुराई। उसकी आँखों में पानी आ गया था। लेकिन फिर दुबारा हिम्मत करके पेशाब की पीली धार के नीचे आ गयी। जय ने उसे अपने पेशाब से माथे से लेकर घुटनों तक भिगो दिया। उसकी सख्त जवान चुच्चियाँ तन कर खड़ी थी। बाल गीले हो चुके थे। उसके खुले मुंह से पेशाब भरकर तेजी से चू रहा था। दूसरी ओर ममता घुटनों पर बैठी अपनी बारी का इंतज़ार कर रही थी। कविता के बदन से छींटे उड़कर उससे टकरा रही थी। तभी जय ने पेशाब की धार ममता के गोरे मुखड़े पर मारी। उसकी आंखें अनायास बंद हो गयी और पूरे चेहरे पर जय का बदबूदार पेशाब फैल गया। तभी कविता ने जय का लण्ड पकड़ लिया, जो अब तक वो पकड़े था। उसने जय का हाथ हटा दिया जैसे कह रही हो कि आप क्यों तकलीफ करते हैं। और खुद उसकी आँखों में देखकर लण्ड को ऊपर नीचे करके ममता को भिगोने लगी। ममता हिम्मत करके करीब एक डेढ़ कप पेशाब पी गयी होगी। इस बार भी उसे कई बार उबकाई आई लेकिन वो बेचारी डटी रही। जय उन दोनों को इस स्थिति में देख बहुत संतुष्ट था। दोनों ने बहुत ही अभूतपूर्व प्रयास किया था। कविता - कैसा है माँ, इसका स्वाद?
ममता- बिल्कुल वैसा जैसा तुमने कहा। बारिश में भीगी हुई कच्ची फुआर की खुशबू है। बचपन से लेकर आजतक ऐसा ही पेशाब करता है ये। बचपन में भी हमको गीला कर देता था, अब बड़ा होकर तो नहलायेगा अपने मूत से।" बोलकर वो हंस पड़ी। जय और कविता भी हसने लगे।
जय- तुम दोनों को इसकी आदत लगाने के लिए बियर पीनी चाहिए। बियर का स्वाद बिल्कुल अच्छा नहीं होता।"
ममता- तुम कबसे बियर पीने लगा? तुम तो दारू हाथ नहीं लगाते?
जय- हम आज भी दारू नहीं पीते हैं, माँ। वो तो दोस्तों ने एक बार पिलाया था। हमको बहुत खराब लगा था।"
कविता- फिर ठीक है, हमलोग आज ही बियर पियेंगे देखते हैं, कैसा लगता है।"
ममता- लेकिन जय तुम मत पीना, दारू बेहद खराब चीज़ है।
कविता- अरे मां, बियर में दारू उतना नहीं होता है। उसे पीने में कोई खतरा नहीं है।"
ममता- ना एक ही बेटा है हमको वो भी ये सब करेगा। ना ना।
कविता- बेटा तुम्हारा अब हम दोनों का पति है, माँ। तुम कब तक इसको समझाती रहोगी। ये बड़ा हो चुका है। सही गलत समझता है।"
ममता- ठीक है पहले हम पियेंगे, तभी जय पियेगा।"
कविता- सब साथ में पियेंगे, ये हमारा फैसला है भूलना मत हम तुमसे बड़े हैं। हम जय की पहली बीवी हैं और तुम दूसरी।
जय उन दोनों को देख मुस्कुराया। अब तीनों बाथरूम में भीग चुके थे। पूरे कमरे में पेशाब की महक आ रही थी। जय ने फैसला लिया कि अभी उन तीनों को नहा लेना चाहिए। जय ने शावर ऑन किया और तीनों उसमें भीगने लगे। जय उन दोनों को बांहों में भर चुका था। इस वक़्त वो शाहरुख और कविता और ममता करिश्मा और माधुरी लग रही थी, बिल्कुल दिल तो पागल है जैसे। दोनों उससे चिपकी हुई थी।
 

Rakesh1999

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जय को वो दोनों रगड़कर नहला रही थी। दोनों का साया उनसे गीला होकर चिपक गया था। उनकी गाँड़ उनकी जांघ सबका उभार साफ पता चल रहा था। गाँड़ की दरार में साया घुस गया था। जय उनको हर संभव जगह स्पर्श कर रहा था। कभी उनकी चुच्चियों को दबाता तो कभी गाँड़ को। जब उन्होंने जय को नहला दिया तो फिर दोनों ने एक दूजे को पकड़ लिया और एक दूसरे को रगड़ने लगी। तभी अचानक दोनों चुम्मा में उलझ पड़ी। उफ्फ क्या दृश्य था। दो औरतें जिनकी चुच्चियाँ नंगी थी, साया घुटनो तक उठा हुआ था और गीला होकर बदन से चिपक गया था। पूरे बदन से पानी चू रहा था। और दोनों चुम्बन करते हुए जय को कनखियों से देख रही थी। जय का लण्ड ये देख खड़ा हो गया। ममता और कविता भी कामुक हो चुकी थी। जय के लण्ड को पकड़कर कविता हिलाने लगी। उसने शावर बंद कर दिया और दोनों को टॉवल दे दिया। ममता ने टॉवल से जय को पोछा फिर कविता को। कविता ने ममता को पोछा। दोनों ने अपना साया बाथरूम में ही खोल दिया। अपनी कमर हिलाकर साया को नीचे सरकाया। वो धडाक से नीचे गिर गया।

दोनों माँ बेटी पूरी तरह नग्न थे। फिर दोनों उसी अवस्था में जय से चिपककर बाथरूम से बाहर आई। जय उनके चूतड़ों को सहलाते मसलते हुए मज़े ले रहा था। दोनों जय को सोफे पर बिठा कमरे में चली गयी। वहां उन दोनों ने फिर से श्रृंगार किया और अपनी नग्नता को सिर्फ टॉवल से ढके थी। जय ने तभी सत्यप्रकाश को फ़ोन किया यानी उसका मामा जो अब साला था। उधर से माया की हंसी ठिठोली की आवाज़ आ रही थी। जय बोला," सुनो बे साले एक कार्टून बियर की बोतल भेजवा दो।" सत्य बोला," जी जीजाजी 10 मिनट में पहुंच जाएगा।"
उसने फिर फोन काट दिया। 10 मिनट के भीतर एक लड़का पूरा कार्टून लेकर आ गया। जय ने वो ले लिया और बियर को फ्रिज में डाल दिया। उसकी दोनों पत्नियों ने सिर्फ साया और ब्रा पहनी हुई थी। जय ने उनको अपनी तरफ बुलाया। ममता उसके पास पहुंची बोली," कुछ खाओगे नहीं ताक़त कैसे आएगी? दो दो बीवियां चोदना है तुमको। हम खाना लगाते हैं। कविता बोली," उसके पहले बियर पियेंगे हमलोग। क्यों जय?
जय- बिल्कुल, खाने से पहले बियर पियेंगे, फिर खाएंगे।"
कविता- माँ हम बियर लेकर आते हैं, तुम चखना लेकर आओ।" दोनों काम पर लग गयी और थोड़े ही देर में बियर और चखने से टेबल सज गयी। ममता ने कभी पी नही थी, इसलिए वो चियर्स का मतलब समझ नहीं पाई। तीनों ने एक एक सिप लिया। कविता और ममता का मुंह पीने के साथ ही वैसे बन गया जैसे, मूत पीने से हो गया था। दोनों ने एक साथ चखना उठाकर मुंह में डाला।
ममता- इससे अच्छा तो मूत पीना है।"
जय- धीरे धीरे पियो अच्छा लगेगा।" थोड़ी देर बाद तीनों आधी आधी बोतल पी चुके थे। और अब उनपर मस्ती चढ़ रही थी। ममता और कविता को तो अब हल्का नशा भी हो गया था।
कविता- माँ, हम तीनों एक साथ हनीमून मनाने चले। हम तो गोआ जाएंगे। तुम्हारा कहां मन है, और तुम भी बताओ जय।
जय- ठीक है, कविता दीदी। बहुत मस्त जगह है।
ममता- हमको क्या पता? हम कहां जाएंगे। तुम दोनों सोच लो और हो आयो। तुम दोनों जवान हो जाकर मजा करो।
 

Rakesh1999

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जय- माँ तुमको तो साथ चलना ही पड़ेगा, नहीं तो मज़ा नहीं आएगा।
कविता- माँ, तुमको जाने की इच्छा नहीं है क्या?
ममता- नहीं कविता, तुमलोग हो आओ।
जय- पर तुम नहीं जाओगी, तो हम भी नहीं जाएंगे।
कविता- अरे झगड़ो मत, इसका फैसला हो जाएगा। पहले खाना खाते हैं। ममता जाओ खाना लगाओ।
ममता हंसते हुए बोली- जी ठीक है दीदी। अभी लाते हैं।
कहकर वो चली गयी। उसके जाते ही कविता नशे में उठकर जय के पास आ गयी और बोली," जय क्यों ना हम दोनों ही चलें। मां को यहीं छोड़ देते हैं। ताकि हम तुमको अच्छे से प्यार कर सकें। तुम जो बोलोगे हम सब करेंगे। तुम्हारा हर गंदा से गंदा फरमाइश पूरा करेंगे। वो रहेगी तो हम पर ध्यान ठीक से नहीं दे पाओगे।"
जय कविता की ओर देखा और बोला," साली आ गयी ना औकात पर। यही करना था, तो क्यों मां को अपनी सौतन बनाई। हम तुमको उतना ही चाहते हैं जितना मां को। तुमदोनो हमारे लिए बराबर हो। तुमने सिर्फ हमारे साथ कसमें खाई हैं, पर हम तो तुम दोनों के साथ सात फेरे लिए हैं। चलोगी तो दोनों हमारे साथ। हमको तुमदोनों के साथ हनीमून मनाना है।"


कविता हंस पड़ी," अरे भैया हम तो मज़ाक कर रहे थे। हमदोनों ही तुम्हारे साथ चलेंगी। तुम्हारा पूरा मनोरंजन करेंगे। तुम्हारा प्यार हम दोनों माँ बेटी के लिए कितना गहरा है, ये आज पता चल गया। मां हमारी सौतन बाद में बनी, उससे पहले तुम्हारी छोटी पत्नी है।"
जय- कविता ऐसा मज़ाक कभी मत करना।
तभी ममता खाना लेकर आई," दीदी इनको छोड़ोगी। तभी तो खाओगी।"
तीनों बियर पी चुके थे, और खाना खाने लगे। कविता खाना परोस रही थी। तब ममता बोली," जय को अच्छे से खिलाओ।"
जय- तुमभी अच्छे से खाओ।
खाने खाने के दौरान जय ममता और कविता को और खाने के लिए बोलता रहा।
थाली वाली वैसे ही छोड़कर सब उठ गए। तीनों फिर कमरे में चले आये। कमरे का दरवाजा बंद होने से पहले दोनों की ब्रा कमरे के बाहर फेंक दी गयी।
 

Rakesh1999

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कहानी जारी रहेगी।अगला अपडेट जल्दी ही दूँगा।कहानी के बारे में अपने विचार अवश्य दें।थैंक्स
 
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prkin

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धन्यवाद भाई.

आशा है आपके यहाँ सभी सकुशल होंगे।
 
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doctorchodu

MILFLOVER
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Ye kahani already completed hai , aap ek hi baar me sabhi updates post kar dijiye , raj sharma stories wali site par aap ne hi post ki hai
 
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Rakesh1999

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नशे में दोनों माँ बेटी मस्त हो रही थी। उनको तो पता भी नहीं चला कि कब जय ने उनकी ब्रा उतार दी और चुच्चियों को नंगा कर दिया। उनके बदन पर सिर्फ साया था। ममता का भरा पूरा शरीर, खुले बाल, चाल में उछाल, मस्ती से डोलता उसका पूरा बदन जय के लण्ड में तनाव लाने के लिए काफी था। दूसरी ओर उसकी माँ की जवान प्रतिबिम्ब उसकी सगी बड़ी बहन कविता बिल्कुल लापरवाह होकर जय को चूमती जा रही थी। अपनी नंगी चुच्चियों को खुद से निचोड़कर जय को पिलाने के लिए बेताब थी।


जय कविता के भूरे चुचकों को एक एक करके चूस रहा था। दूसरी ओर ममता के बड़े चुच्चियों को हाथों से मसल रहा था। कविता के चूचक खजूर के बीज की तरह तने हुए थे। कविता जय के सर को पकड़ अपने चुच्चियों में समा लेना चाहती थी। वो जय के माथे को चूम रही थी। जय की लार से चुच्चियाँ काफी गीली हो चुकी थी।


कविता- भैया, तुम जब हमारे चूचियों को चूसते हो, तो बदन में उमंग तैरने लगता है। हम औरतों को भगवान ने बच्चों को दूध पिलाने के लिए चुच्चियाँ दी है, पर जब मर्द सेक्स के दौरान इनको मसलकर दूध पीते हैं, तो बुर में चुदने की प्यास उठ जाती है। बुर से पानी अनायास बहने लगता है। तुम भी तो हमारे दूध को पियोगे ही, जब हम तुम्हारे बच्चे की माँ बनेंगे। इस्सस.... काटते क्यों हो..... आप.....
ममता- इसने हमारा दूध पिया है, और आज बियर पिलाकर, हमारा बुर का पानी पियेगा। क्यों है ना? तुम बड़े ही मादरचोद बेटा हो।


जय जोश में था, पर उनकी ओर देखकर हंसा, और ममता को अपने पास खींच लिया," अब तो तुमदोनो और मस्त होकर चुदवाओगी। दोनों का सेक्स का प्यास चुच्चियों को मसलने से बढ़ता है। इधर आना रंडी कहीं की।"
जय भी थोड़ा नशे में था, उसने कविता और ममता के चेहरों को एक साथ चिपका दिया और उनके होंठों को एक साथ चूमने लगा। उनके होंठ जय के जबरदस्त चुम्बन से कांपने लगे। जय ने उनका साया उठाना चाहा, पर वो जल्दी से उठ नहीं रहा था। शायद नशे की वजह से वो ठीक से खींच नहीं पाया। उसने बगल से कैंची ली, और ममता के साये को घुटनों के पास से काटकर अलग कर दिया। अब ममता के घुटनों से ऊपर के हिस्से ही ढके थे। मतलब ममता की जाँघे, दूसरी ओर कविता ने अपना साया उतार दिया, और अपने भाई की तरह बिल्कुल नंगी हो गयी। जय ने कविता को उसके गाँड़ पर सहलाते हुए 3 4 थप्पड़ मारे। हर थप्पड़ के बाद कविता, आउच बोलती पर उसको रोकती नहीं थी।
जय उसकी ओर देख बोला- क्यों रे रंडी, क्या चाहती है तुम?
 

Rakesh1999

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कविता- आपका मस्त लौड़ा, चुदवाने के लिए।
जय- क्या चुदवायेगी?
कविता- अपनी बुर और गाँड़ मरवाऊंगी जमके।
जय- और तू रे रंडी की माँ। तुमको भी गाँड़ मरवाने का मन है।
ममता मुस्कुराते हुए- हमसे पूछ रहे हो, की अपनी मर्ज़ी बता रहे हो?
जय चुच्ची पर एक थप्पड़ मारा, जिससे ममता कराह उठी।" जितना पूछे उतना बोल कुत्ती की बच्ची, बुरमरानी गदही, हरामखोर की पिल्ली।
ममता- हहम्म, हां गाँड़ मरवाने को बेताब हैं। मारो ना।
जय- लौड़ा चाहिए, तो तुमदोनों को अब हमको खुश करना पड़ेगा। कविता चल हमारा गाँड़ चाटो, ममता तुम हमारा लौडा चुसो।"
दोनों बिना देर किये घुटनों पर बैठ गयी। और ममता सीधा लंड के पीछे पड़ गयी। उससे भी फुर्ती दिखाई, कविता ने उसने जय के पीछे जाकर, उसके चूतड़ अलग किये। वहां जय के गाँड़ के छेद के पास काफी बाल थे। कविता ने बिना देर किए, उसके गाँड़ के छेद को, अपनी जीभ से चाटा। वहां से बदबू आ रही थी, पसीने की पर नशे में वो सब सूंघ रही थी। आगे उसकी मां, जय के लण्ड को प्यार करने में मशगूल थी।


दोनों जय को अपने स्तर से खुश करने में लगी थी। जय का ये सपना था, की दो औरतें उसको ऐसे प्यार करें। जय तो सातवें आसमान पर था। उसने दोनों के माथे को दाएं और बाएं हाथ से पकड़ रखा था। कविता धीरे धीरे और आक्रामक तरीके से चूसने लगी। जय के चूतड़ों को बीच की दरार को जीभ से साफ कर रही थी। जय की गाँड़ में ज़ुबान भी घुसाना चाह रही थी। उधर ममता अपने कौशल का परिचय दे रही थी। वो जय का पूरा लण्ड समेत आंड़ भी मुंह में भर ली थी। और जय के झाँटों तक होंठ चिपकाए हुए थी।

इस तरह की माँ और बहन पाकर, किसको मज़ा ना आये। दोनों, एक से बढ़कर एक सेक्स की प्यासी, रंडियों की तरह चुदनी की तड़प शायद ही जय ने ब्लू फिल्म की हीरोइनों में भी देखी हो। जय खुद को किसी जन्नत में महसूस कर रहा था। उसने ममता को देखा और इनाम के तौर पर मुंह से थूक फेंका, जो सीधा ममता के माथे पर गिरा।
जय- तुम दोनों से हम कितना खुश हो रहे हैं, ये तय ऐसे होगा, की जब हमको अच्छा लगेगा, हम उसके मुंह पर थूकेंगे। और जिसके ऊपर जितना बार थूकेंगे, इसका मतलब वो हमको खूब खुश कर रही है। ये सुनकर दोनों के कान खड़े हो गए। कविता अपने भाई के गाँड़ को चाट चाटके साफ कर रही थी। उसकी जीभ जय के गाँड़ के छेद के अंदरूनी हिस्से को छू गयी। जिससे उसकी जीभ पर बदबूदार महक फैल गयी। पर बेचारी ने उसको सुगंध समझ चाट लिया। जय को ये पसंद आया, उसने कविता के ऊपर भी गर्दन घुमाकर थूका, कविता जैसे इसी इंतज़ार में थी। वो उसके थूक को सीधे मुंह खोलकर ले ली और पी गयी।

जय उन दोनों का समर्पण देख बहुत खुश था। उसकी थूक को अपना मैडल समझ रही उसकी माँ बेक़रार थी, की कब जय और थूके। इस तरह कुछ ही देर बाद दोनों का चेहरा जय की थूक से तर हो चुका था। जय ममता के चेहरे पर लौडे से पिटाई कर रहा था। कभी गालों पर, तो कभी होंठों पर, कभी माथे पर तो कभी ठुड्ढी पर। जय ने आखिर ममता और कविता को कुत्ती की तरह चौपाया कर दिया और दोनों के बाल पकड़ उनको बिस्तर की ओर ले चला। दोनों के बदन में मस्ती चढ़ चुकी थी। दोनों बिस्तर में चढ़ गई, और अपने अपने चूतड़ों को मसल रही थी। दोनों लण्ड की प्यासी हो गई थी। उनके बुर से पानी लगातार चू रहा था। उनदोनों के पिछवाड़े को आपस में चिपका दिया। और उनके बुर और गाँड़ एक साथ चाटने लगा। इस चटाई के दौरान उनका मुंह कभी बन्द ही नहीं हुआ, दोनों कराह रही थी और मौका मिलने पर किस कर लेती थी। जय की जीभ ने अपना जादू कर दिया आखिर ममता बोल उठी," अब देर ना करो, चोदो ना।
 
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