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Incest कुंवारे लण्ड के कारनामे

Neraj

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इस कहानी के पात्र की उम्र १८ वर्ष या उससे अधिक है । पाठक अपने रूचि अनुसार कोई भी उम्र मान सकते है।
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सेक्स स्टोरी मुझेहाय दोस्तों, मेरा नाम नीरज सिंह है और यह मेरी पहली कहानी है। अगर इसमें कोई गलती हो तो आप लोग मुझे जरूर बताइए।
अब मैं सीधे अपनी कहानी पर आता हूं। मेरे पिताजी का देहांत 3 साल पहले हो गया था। पर भगवान की दया से मुझे उसी साल एक एमएनसी कंपनी में नौकरी लग गई। मुझे मेरी जॉब के कारण तीन-चार महीने तक लगातार घर से बाहर रहना पड़ता है और उसके बाद 3 से 4 हफ्ते घर रहता हूं।
घर पर मेरी मां शकुंतला अकेले ही रहती है, मेरी बड़ी बहन सीमा की शादी हमारे ही शहर में हुई है तो जब मैं बाहर रहता हूं तब मेरी बहन हमारे घर आती-जाती रहती हैं और हमारी मां का ख्याल रखती हैं।

मेरी दो भांजीया हैं शीतल और प्राची। मेरे जीजा एक प्राइवेट कंपनी में ऑपरेटर का काम करते हैं। मैं जब भी घर आता था तो अपने दोनों भांजीयो के लिए हमेशा कुछ ना कुछ लेकर आता था।
बात 3 महीने पहले की है जब मैं छुट्टियों में घर आया था। सुबह अचानक मेरी नींद खुल गई और जब मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के 7:00 बज रहा था। मैं सीधे टॉयलेट गया फिर जब मैं वापस आ रहा था तो मुझे किचन से कुछ आहट सुनाई दी।मैं दबे पांव किचन की तरफ गया और मैंने देखा की मेरी मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर फ्रिज में से सब्जियां निकाल रही थी।
मैंने पहली बार रियल में किसी औरत को अर्धनग्न देखा था और वह भी मेरी मां। मां जब झुककर फ्रिज में से सब्जियां चुन रही थी तो उनके 40 इंच के गोल गोल चूतड़ का उभार देख कर मेरा लन्ड हरकत करने लगा और मैं वहीं रुक गया।
गर्मियों का समय था शायद इसीलिए मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में काम कर रही थी और मैं हमेशा सुबह लेट उठता था शायद इसीलिए वह निश्चिंत भी थी।
उन्होंने फ्रिज में से 5 ककड़िया निकालकर डाइनिंग टेबल पर रखा और फिर उन्होंने अपना ब्लाउज और पेटिकोट भी उतार दिया यह देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई और मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो गया।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ आज तो मेरी लॉटरी लग गई थी, मुझे पहली बार हकीकत में किसी औरत को ब्रा और पेंटी में देखने का मौका मिला था
मैं अपना 7 इंच का लन्ड चड्डी में से निकाल कर हिलाने लगा। पर किसी ने सही कहा है जब ऊपरवाला देता है तो छप्पर फाड़ के देता है। क्योंकि अगले ही पल में उन्होंने ब्रा और पेंटी भी निकाल दी।
उनकी पीठ मेरी तरफ था उनके गोरे गोरे गांड को देख कर मैं तो पागल ही हो गया था, उनके गांड की गोलाई 42 इंच से कम ना होगी (आज तक मैंने इतनी मोटी गांड ब्लू फिल्म में भी नहीं देखी थी), अगर यह मेरी मां ना होती तो मैं इनको पटक कर इनकी गांड में अपना 7 इंच का लोड़ा घुसा दिया होता।
अब वह मुड़कर कुर्सी पर बैठ गई , उनकी चूची भी काफी बड़े थे शायद 38 से 39 इंच के होंगे चूची के सेंटर वाला भाग ढाई इंच का डार्क ब्राउन सर्किल वाला था। मेरा तो मन कर रहा था अभी जाकर उनके दोनों चुचियों को चूस चूस कर चूस चूस कर निचोड़ लू। पर मैंने अपने आप पर काबू रखा और सामने का सीन देख कर अपना लौड़ा हिला रहा था।
अब वह कुर्सी के किनारे अपनी गांड रखकर अपना सर और गर्दन कुरसली से सटा दिया और अपनी गांड को थोड़ा सा उठाकर दोनों पैर फैला दिया, जिससे उनकी चूत के अंदर का गुलाबी वाला भाग भी मुझे दिखने लगा।
मेरा ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था, जिस चीज का मैं बचपन से सपना देखता था आज वो मेरे सामने दिख रही थी। मेरे मुँह में पानी आ रहा था पर मेरा दिमाग कह रहा था की वो तेरी माँ है माधरचोद। अगर मेरा दिल मेरे दिमाग पर हावी हो जाता तो मै उन्हें वही पटक कर चोद देता। पर मै वही खड़े होकर आगे का तमाशा देखने लगा।
अब उन्होंने ककड़ी को उठा ली। मुझे लगा वो सीधे ककड़ी को अपने चुत में डालेंगी पर उन्होंने उसे अपने मुंह में ले लिया। मै कन्फ्यूज्ड हो गया की माँ नंगी होकर ककड़ी को चुत में डालने के बजाय उसे खा रही है। लेकिन वो ककड़ी खा नहीं रही थी चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में लड़किया लण्ड चूसती है।
उन्होंने काकड़ी को पूरा गिला किया और फिर उसे लेकर अपनी चूत पर रगड़ने लगी और धीरे-धीरे उसे अपने चूत में डालने लगे अब उनके मुंह से सिसकारियां निकल रही थी।
फिर उन्होंने दूसरी ककड़ी ली और उसे भी अपनी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी। एक एक करके चारों ककड़ी को उन्होंने अपने अंदर बाहर किया फिर उन्होंने पांचवी ककड़ी उठाई यह वाली ककड़ी एक साइड से पतली और दूसरे साइड से बहुत ही मोटी थी।
उसे देख कर जो उन्होंने कहा वह सुनकर मुझे अपने कानों पर भी विश्वास नहीं हुआ।
मां बोली “अहा …अहा..अरे नीरज के लोड़े, अपनी मां की बुर को चोद चोद कर फाड़ डाल…अहा..अहा……अहा… कितना मोटा है नीचे से तेरा…अहा…अहा. फट गई रे मेरी चूत..अहा”
और फिर उन्होंने वो ककड़ी अपने चुत में घुसा ली।
सचमुच मेरा लोड़ा भी ऐसा ही है मेरा सुपाड़ा 2 इंच मोटा और लण्ड का निचला भाग 3 इंच मोटा होगा मतलब आगे से नुकीला और पीछे की तरफ ज्यादा मोटा जैसा वह ककड़ी था जिसे मां तेजी से अंदर बाहर कर रही थी।
यह सुनकर की मां मेरा नाम लेकर हस्तमैथुन कर रही है मैं बहुत एक्साइट हुआ और मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी, मैंने झट से दीवार पर से अपना वीर्य को पोछ दिया।
तभी मा भी बोली “अहा..अहा…. मैं झड़ने वाली…. हूं….अहा..अहा.. तू भी …अहा..अहा…..अपना वीर्य मेरे अंदर गिरा दे…अहा..अहा..अहा..अहा..”
मेरी मां भी शांत हो गई थी मैं चुपचाप वहां से निकल कर अपने कमरे में जाने लगा ताकि मां मुझे देख ना ले, पर मेरा दिल मुझे वहां से हिलने नहीं दे रहा था क्योंकि अभी तक मां नंगी ही थी और मैं उनके नंगी जिस्म का दीदार करते रहना चाहता था जब तक वह कपड़े ना पहन ले।
10 मिनट तक ऐसे ही कुर्सी पर बैठी रहे फिर उन्होंने उन ककड़ियो को काटना शुरू कर दिया। ककड़ियो को काटने के बाद उन्होंने कपड़े पहने और चाय बनाने लगी। चाय बनाने के बाद मुझे जगाने आती थी इसलिए मैं तुरंत वहां से निकल कर अपने कमरे में जाकर सो गया, सच कहे तो सोने का नाटक करने लगा।
10 मिनट बाद मां कमरे में आई और उन्होंने मुझे जगाया।
अब तो उनके हाथों के स्पर्श से भी मुझे गुदगुदी सी हो रही थी।
मां” उठ जा बेटा कितना सोता रहेगा. देख सूरज निकल आया है।”
मैं” मां थोड़ा और सोने दो ना 10 मिनट और।”
मां “जल्दी उठ बेटा नाश्ता करके तुझे सीमा के घर भी जाना है, बच्चो के सामान उन्हें देने है।”
मैं “ठीक है मा उठकर चला जाऊंगा थोड़ा और सोने दो”
मां ने मुझे खींचकर उठा बैठा दिया, जिससे मेरा मुंह सीधा उनके चूची पर आ गया ऐसा तो पहले भी हुआ था पर आज मुझे ऐसा लग रहा था जैसे की मुझे जन्नत मिल गई हो, मेरे दिमाग में सिर्फ यही ख्याल आ कहा था कि अगर मां ने कपड़े ना पहने होते तो उनकी चूची मेरे मुंह में होती और सुबह सुबह जी भर कर उनका दूध पीता। पर अगले ही पल मां ने मुझे हिला कर बिठा दिया मैं भी नाटक छोड़ कर उठा और मुंह-हाथ धोने चला गया।
फिर मैं जब किचन में डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने गया तो देखा मां ने सैंडविच बनाई थी। मैं समझ गया की मा ककड़ी क्यों काट रही थी। उनके चूत के रस की सेंडविच खाने के बारे में सोच कर ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैं उनके चुत पानी का स्वाद डायरेक्ट लेना चाहता था इसलिए मैं ब्रेड हटाकर सीधा ककड़ी ढूंढ ढूंढ कर खाने लगा है जो अभी भी उनकी चूत के रस से गीली थी और उससे कुछ नमकीन सा स्वाद आ रहा था।
यह देख कर मां बोली” नीरज, सेंडविच मे से सिर्फ ककड़ी क्यों खा रहा है।”
मैंने कहा” मुझे ककड़ी बहुत पसंद है, इसलिए पहले ककड़ी खा लू फिर सैंडविच खाऊंगा।”
मां के बुर के पानी का स्वाद पाकर मेरा लोड़ा चड्डी में टन टना उठा। उन्होंने भी यह नोटिस किया और तिरछी नजर से मेरे चड्ढे के उभार को देख रही थी। शायद उन्हें शक हो गया था की मैंने सब देख लिया है, पर वो नार्मल ही बिहेव कर रही थी।
मैंने नाश्ता ख़तम किया और फिर अपनी बहन के घर जाने क लिए निकल गया। मैंने शीतल और प्राची के लिए कपडे लिए थे वही देने जाना था।
जब मै अपनी बहन सीमा के घर पहुंच तो दीदी घर पर अकेले ही थी। जीजा जॉब पर गए थे और बच्चे स्कूल गए हुए थे। मुझे देखते ही दीदी बहुत खुश हुयी।
सीमा ” अरे नीरज, कब आया मेरे भाई? फ़ोन भी नहीं किया? कैसा है? माँ कैसी है? ”
मै ” दीदी बाहर ही सब पूछ लोगी या घर में बुलाओगी ?” और हम दोनों हसने लगे।
सीमा ” ये किसी और का घर थोड़े ही है जो तुझे परमिशन लेनी पड़ेगी?”
सीमा ” चल अंदर बैठ मै तेरे लिए चाय बनती हु ”
यह कहकर सीमा मुड़ी और घर के अंदर जाने लगी। मैं उनके मटकते हुए सुडोल गांड को निहारने लगा। आज से पहले मैंने कभी अपनी बहन की गांड को नोटिस नहीं किया था।
सीमा गांड के मामले में पूरी तरह अपने मां पर गई थी उसकी गांड की गोलाई 38 इंच की है। वैसे सीमा एक साधारण औरत है, उसका रंग थोड़ा सांवला है और उसकी हाइट थोड़ी छोटी है सिर्फ 4 फुट। सीमा की उम्र 36 साल और उसकी चूची 36 इंच की है।
उन्होंने मुझे घर में बिठाया और खुद किचन में चाय नाश्ता बनाने चली गयी। मैं अब बैठे बैठे सीमा की नंगी गांड और नंगी चूची की कल्पना करने लगा और पैंट में मेरा लण्ड पूरा कड़क हो गया। मैंने अपना ध्यान भटकाने के लिए टीवी चालू किया। सोनी पर क्राइम पेट्रोल आ रहा था तभी मेरी दीदी अंदर आई और उन्होंने मुझे चाय दिया।
सीमा “देखा भैया दुनिया में कितना क्राइम बढ़ गया है”
मैं “हां दीदी ”
क्राइम पेट्रोल की कहानी में एक भाई अपनी बहन को नींद की गोली खिलाकर उसकी चुदाई करता है। यह सब देख कर मेरा लण्ड और उछलने लगा। पर मेरी बहन ने शायद उस पर ध्यान नहीं दिया और वो टीवी देखने लगी। तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई।
सीमा “लगता है शीतल और प्राची आ गए”
सीमा दरवाजा खोलने गेट पर गई। शीतल और प्राची स्कूल ड्रेस में अंदर आए, सीमा किचन में खाना बनाने चली गई।
शीतल अंदर आते ही चिल्ला उठी।
” आप आए हो मुझे बताया नहीं, जाओ मैं आपसे कट्टी”
पर प्राची आते ही मेरे गोद में कूद पड़ी और बोली ” मामा मेरा गिफ्ट कहां है।”
प्राची के मेरी गोद में बैठते ही मेरा लण्ड सीधा उसके गांड को टच करने लगा। मैंने भी उसे अपनी बाहों में कस कर अपनी ओर खींच लिया और ऐसा करते समय मैंने अपना लण्ड उसके गांड के दरार के बीच में एडजस्ट कर दिया।
प्राची की पीठ मेरे पेट से सटी हुई थी।मैंने प्राची को अपने दोनों हाथो से जकड रखा था। ऊपर की तरफ मेरे बाए हाथ से उसके दोनों निम्बू जैसे चूचिया दबी हुई थी और दाहिना हाथ से मैंने उसकी कमर का दबोच रखा था।
मेरे हाथ के दबाव से उसका चुत्तड़ निचे मेरे लण्ड पर धसता जा रहा था और मै निचे से भी को ऊपर दबा रहा था।मेरे लण्ड और उसके गांड के बीच में हमारे कपड़े थे पर फिर भी मुझे बहुत अच्छा लगा।
अब मैं धीरे धीरे अपने लण्ड का दबाव उसकी गांड में बढ़ाने लगा। प्राची तो बच्ची थी उसे लगा कि शायद मामा की जेब में कोई चीज है जो उसको चुभ रही है इसलिए उसने कुछ नहीं कहा।
कहते हैं ना खड़े लण्ड को दिमाग नहीं होता। मै प्राची के अंगो का मजा लेने में इतना मशगूल हो गया की कमरे में शीतल की मौजूदगी भूल गया।
तभी प्राची ने फिर से कहा “मामा मेरा गिफ्ट कहां है”
फिर मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ मैंने तुरंत कपड़े वाला बैग प्राची को दिया।
मैं “यह तुम दोनों का गिफ्ट है”
प्राची तुरंत मेरे गोद से उठकर शीतल के पास गयी कपडे देखने के लिए। प्राची के उठते ही मेरे लण्ड का उभार शीतल को साफ़ साफ़ दिखा पैंट के ऊपर से वह एकदम हॉट डॉग जैसा दिख रहा था | वह बड़े ध्यान से मेरे लण्ड के उभार को देख रही थी। फिर दोनों कपड़े देखने लगे।
कपड़े देखने के बाद शीतल ” थैंक यू मामा”
प्राची “तू तो कटी थी ना मामा से, चल तू अपना गिफ्ट को वापस दे दे”
शीतल “मेरे मामा ने इतने प्यार से मेरे लिए ले है मैं वापस थोड़ी करूंगी”
शीतल “थैंक यू मामा वंस अगेन” शीतल धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी।
शीतल का रिस्पांस सुनकर मुझे चैन की सांस आई।
मैं” मुझे लेट हो रहा है मम्मी मेरा इंतजार कर रही होंगी। तुम लोग छुट्टी के दिन घर पर आना।”
और मैं घर से बाहर निकल गया।
मैं ” बाई शीतल बाई प्राची ”
दोनों” बाई मामा ”
मैं घर की तरफ निकल गया, रास्ते में मेडिकल स्टोर पर मुझे मेरा दोस्त सुनील नजर आया।
सुनील” नीरज कब आया भाई”
मैं” कल, और बता भाई कैसा है तू”
सुनील”बिल्कुल ठीक हूं भाई”
मैं”और भाई क्या करता है आजकल तू ”
सुनील” भाई, पापा ने यह मेडिकल स्टोर खोला है, यही काम करता हूं।”
मैं “बधाई हो भाई”
अचानक से मुझे क्राइम पेट्रोल वाला सीन याद आ गया। मैंने भी नींद की गोली खरीदने का सोचा।
मैं ” भाई मुझे नींद नहीं आ रही कुछ दिनों से कुछ नींद की गोलियां हो तो देना”
सुनील” भाई नींद की गोली तो डॉक्टर के परमीशन से ही देते हैं”
मैं ” भाई कम से कम दो ही गोली देते हैं खाकर आराम करूंगा”
सुनील “ठीक है भाई, तू मेरा दोस्त है, रुक अभी लाया।”
सुनील ने मुझे २ टेबलेट लाकर दी , मै मन ही मन बहुत खुश हुआ और घर की और चल पड़ा।
घर पहुंचते ही मा ने कहा ” आ गया बेटा चल दोनों साथ में खाना खा लेते हैं”
मैं “हां ठीक है मां मैं भी हाथ मत होकर आया” मैंने जानबूझकर अपना फोन अपने कमरे में रख दिया और आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया।
मा ने हम दोनों की प्लेट मैं खाना निकालकर डायनिंग टेबल पर रखा। मैंने मां से कहा” मां मैं अपना मोबाइल कमरे में भूल गया हूं, प्लीज ला कर दो ना… शायद जरूरी कॉल आ जाए”
मां “ठीक है बेटा, अभी लाइ”
जैसे ही मां मेरे कमरे की तरफ गई मैंने झट से नींद की दोनों गोलियां निकाली और मसलने लगा।
मां कमरे के अंदर से” बेटा, कहां रखा है फोन मिल नहीं रहा”
मैं” देखो मां वही होगा बेड पर, टेबल में”
और मैं जल्दी जल्दी गोलियों को मसल कर पाउडर बनाने लगा।
मां कमरे के अंदर से” बेटा, बेड और टेबल पर नहीं है, तू कहीं अपनी बहन के यहां तो नहीं भूल गया।”
मैं” बैग में चेक कर लो शायद उसमे हो ”
अब तक मैंने नींद की गोलियों का पाउडर मां की दाल में डालकर मिला दिया।
मां” मिल गया बेटा”
मां फोन लेकर कमरे से बाहर आई।
मैं माँ से “मिशन कंपलीट”
मां हंसते हुए “मिशन कंपलीट” और फोन मुझे दे दिया।
मैं मन में” दोनों का मिशन कंपलीट हो गया “।
खाना खाने के बाद मैं मां के सोने का इंतजार करने लगा।
मां के सोने के 15 मिनट बाद मैं उनके कमरे में गया। माँ बेड पर पीठ के बल सोई हुई थी। सोते समय उनके साडी पल्लू निचे गिरा हुआ था और मुझे उनका ब्लॉउज देखकर सुबह का सीन याद आ गया।
पहले तो मैंने मां को आवाज लगाई” मां…मां..”
मां का कोई रिस्पांस नहीं आया तो मैं उनके पास गया और उन्हें हिलाया। ऐसा लग रहा था जैसे मां बेहोश हो गई हैं उनके शरीर से कोई रिस्पांस नहीं दिया था।
मुझे लगा दवाई का असर हो गया है, आज तो मां को चोद ही देंगे। पर फिर भी मन में एक डर सा लग रहा था अगर मैंने अपना लण्ड मां की चुत में डाला और उनकी नींद खुल गई तो।
मैं मां को नंगा करना चाह रहा था पर इसी डर से असमंजस में पड़ गया।
फिर मेरे दिमाग में आइडिया आया। मैं किचन में गया और वहां से एक गाजर ले आया और उनके सर के पास आकर बैठ गया।
मैंने मां के गालों को दबाया जिससे उनका मुंह थोड़ा खुल गया फिर मैंने उनके खुले हुए मुंह में गाजर का पतला वाला भाग डाला और धीरे-धीरे गाजर उनके मुंह में घुसाने लगा।
मैंने कहा “माँ लो गाजर खा लो”
मुझे पता था की माँ मेरी बाते सुन नहीं रही है पर मुझे उन्हें सम्बोधित करने में अच्छा लग रहा था।
उनका मुंह धीरे धीरे गाजर के दबाव से खुलने लगा। फिर मैंने 5 मिनट तक गाजर को उनके मुँह के अंदर बाहर किया। अब मैं निश्चिंत हो चुका था की उनके मुंह को चोदने से उनकी नींद नहीं टूटेगी।
मैंने कहा ” माँ लगता है आपको गाजर नहीं खाना चलो मै आपको कुछ और खिलता हु, जरा इस गाजर को पकड़ कर रखो मुँह में, मै अभी आया”
और गाजर उनके मुँह में छोड़कर कर मै अपने कपडे उतारकर पूरा नंगा हो गया।
मेरा 7 इंच का लण्ड पूरी तरह खड़ा हो गया था। मैं अपने दोनों पैर के घुटनो को उनके गर्दन के दोनों साइड टिकाकर बैठ गया, जिससे मेरा लण्ड सीधा उनके गालों को छू रहा था।
मै ” चलो माँ अब लण्ड चखने का समय हो गया है।”
अब मैंने गाजर को मां के मुंह से निकाला। उनका मुंह खुला ही था और मैंने अपना लोड़ा उनके मुंह में डाल दिया। ऐसा करते ही मेरे मुँह से आह निकल गयी …”अह्ह्ह …”
मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया, मैं तो जैसे जन्नत की सैर करने लगा। अभी तो सिर्फ मेरा सुपाड़ा उनके मुंह में था ,उनका मुँह गाजर के कारण सिर्फ २ इंच तक खुला था। मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता जिससे कोई गलती हो और मां की नींद टूट जाये। मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को उनके मुंह के अंदर बाहर कर रहा था, मतलब सुपाड़े को…। क्योंकि मेरे लण्ड का सुपाड़ा ही २ इंच का है और लण्ड का निचला भाग और मोटा है, जबकि माँ का मुँह सिर्फ २ इंच ही खुला था..
मै ” कैसा लगा मेरे लण्ड का सूपड़ा माँ”
मैं उनका मुंह फैलाना चाहता था, पर आराम से। 10 मिनट धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बाहर करने के बाद मैंने लण्ड का दबाव थोड़ा बढ़ाया जिससे मेरा आधा इंच और लण्ड उनके मुंह में घुस गया। अब मैं धीरे धीरे धक्के मारकर उनके मुंह की चुदाई करने लगा। मेरे इस चुदाई से माँ की सांसे भी तेज हो रही थी।
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५ मिनट धक्के मारने के बाद मैंने एक हाथ बिस्तर पर रख कर सहारा लेते हुवे दूसरे हाथ से माँ के सर को निचे से पकड़कर सर को उठाया और उसी समय ऊपर से अपने कमर को निचे दबाया , जिससे मेरा लण्ड ५ इंच तक माँ के मुँह में घुस गया और ऐसा लगा रहा था की अब उनका मुँह फट जायेगा।
उनकी आँखे तो बंद थी पर फिर भी मेरे इस हमले से उनके बंद आँखों के किनारे से पानी आ गया।
मै ” अरे माँ रोना आ गया क्या, चलो आराम से करता हु ” ऐसा कहकर मैंने अपनी कमर पीछे की और सिर्फ २ इंच लण्ड बाहर आया मतलब ३ इंच इन्दर ही था फिर से लण्ड अंदर पेल दिया। और ऐसे ही २ मिनट चोदने पर ही उनकी साँसे फूलने लगी।
मैंने अपना लण्ड बहार निकाला।
मैने माँ को कहा ” माँ लगता है इस पोजीशन में पूरा लण्ड नहीं जायेगा चलो पोजीशन चेंज करते है”
पर माँ तो बेहोश थी गोली के असर से। मुझे भी एक हाथ से सपोर्ट लेना पड़ रहा था तो थोड़ी परेशानी हो रही थी|
मैंने मां को बेड पर ही पीठ के बल ही घुमा दिया और उन्हें इस तरह सुलाया कि उनका गर्दन से नीचे का पूरा भाग बिस्तर पर और सर बिस्तर से नीचे झूलने लगा | मैं बिस्तर से नीचे उतर कर उनके सर के ऊपर बिस्तर से सटकर खड़ा हो गया अब उनका सर बिस्तर से नीचे और मेरे दोनों पैरों के बीच में था, उनकी चोटी जमीन को छू रही थी|
मैंने नीचे से उनके सर को दोनों हाथों से पकड़कर उठाया और उनके खुले मुंह में ऊपर से लण्ड पेल दिया|
ऐसा करते ही मुझे ऐसा लगा मानो मेरा लण्ड उनके गले में घुस गया हो जब मैंने नीचे अपने लण्ड की तरफ देखा तो पाया कि मेरा लण्ड 6 इंच तक तक मां के मुंह में घुस चुका था और उनकी गले में मेरा लण्ड का उभार साफ नजर आ रहा था… मैंने अपना पूरा लण्ड उनके मुंह से निकाला एक झटके में ही 6 इंच तक फिर से घुसा दिया| और ऐसे ही चुदाई करने लगा |
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मैं ” मां तुम दुनिया की सबसे अच्छी मां हो…अह्ह्ह . आई लव यू मा…अह्ह्ह…आई लव यू… ”
मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं| तो मैंने सोचा झड़ने से पहले एक बार पूरा लण्ड मां के मुंह में घुसा लू |
मैंने झट से अपना लण्ड बाहर निकाल दिया | मैंने नीचे मां का चेहरा देखा, उनके मुँह से लार बह रही थी जो उनके दोनों गालो से होते हुवे गर्दन पर और फिर जमीन पर गिर रही थी। उनके आँखों के कोने से भी पानी की बूंदे बह रही थी। ये सब मेरे मोटे लण्ड से उनकी गले की चुदाई का नतीजा था।
मां की ऐसी हालत देखकर मैं समझ गया था की उन्होंने बड़ी मुश्किल से मेरा 6 इंच का लण्ड अपने मुंह में लिया है| पर मुझे तो अपना पूरा लण्ड घुसाने का भूत सवार हो गया था|
मैंने मां से कहा” मां, मैं झड़ने वाला हूं, तुमने मेरा 6 इंच का लण्ड में मुंह में ले लिया बस 1 इंच और बचा है| प्लीज.. बस एक बार पूरा लण्ड ले लो मुंह में.. मेरे झड़ने से पहले|”
मैं अपनी बेहोश मा से रिक्वेस्ट कर रहा था जैसे वह मेरी बातें सुन रही हो और मैं उन्हें मना रहा हूं कि वह मेरा पूरा लण्ड मुंह में ले ले|
मुझे पता था कि इस पोजीशन में शायद मैं अपना पूरा लण्ड घुसा नहीं पाऊंगा|
मैंने माँ को उठा कर निचे जमीं पर बिठाया और उनका पीठ बेड से चिपका दिया ताकि उन्हें सहारा मिल सके।
अब मै उनके सामे खड़ा था और वो बैठी हुई थी उनके दोनों हाथ निचे जमीन पर थे। उनका सर बेड की हाइट से ऊपर था बेड की हाइट सिर्फ उनके गर्दन तक ही थी। अभी भी उनके मुंह से पानी बह रहा था|
मैंने कहा “चलो मैं तैयार हो जाओ पूरा लेने के लिए”
ऐसा कहकर मैंने उनके सर को दोनों हाथों से पकड़कर अपना लौड़ा उनके मुंह में पेल दिया| और उनके सर को दोनों हाथो से पकड़कर अपने लण्ड पर दबा दिया।ऐसा करते ही मुझे मरी माँ के होठो का स्पर्श मेरे आंड पर हुआ यानी मेरा पूरा लण्ड उनके मुँह में था। मुझे ऐसा अहसास हो रहा था मानो मेरा लण्ड उनके गले के निचे तक चला गया है। मैंने अपना लौड़ा उनके मुंह से बाहर निकाला|
इस समय उनके मुंह से लार की धार छूटी थी| मेरा लण्ड से भी लार टपक रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसे अभी तेल के डिब्बे में डुबोकर निकाला गया हो | मां का ब्लाउज आगे से पूरा गीला हो गया उनके मुंह के पानी से| अब तक की चुदाई में यह मेरा सबसे आनंदित अनुभव था|
मैं “मां एक बार फिर से”

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यह कह कर मैंने फिर से उनका मुंह पकड़ के अपना लण्ड उनकी गले के नीचे उतार दिया इस बार मैं कुछ पल रुककर लण्ड को पूरा बाहर निकाला और और फिर से पेल दिया|
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अब मैंने ऐसे ही चुदाई शुरू कर दी| मेरे मुंह से आहे निकल रही थी “आह्ह्ह्हह्ह…. आह्ह्ह्हह्ह…….आआह्ह्ह्हह्ह …माँ…….आह्ह्ह्हह्ह….मै गया ….” और मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी|


मैंने 2-3 धक्के और लगाकर पूरा वीर्य मां के मुंह में निकाल दिया कुछ तो सीधा उनके गले के नीचे ही गया| और बाकी सब उनके मुंह में रह गया| मैंने लण्ड उनके मुँह से बहार निकाल कर उनका मुँह बंद कर दिया ताकि मेरा वीर्य उनके मुहसे बहार न आये|
मैंने अपने कपड़े पहने और मां को उठाकर बिस्तर पर सुला दिया| अपने कमरे में जाने से पहले मैंने उनका मुंह खोलकर चेक किया तो पाया मेरा सारा वीर्य मां नींद में ही पी चुकी थी, उनके मुंह में कुछ नहीं था|
मैं खुशी खुशी अपने कमरे में जाकर सो गया…
 
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kamdev99008

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नीरज भाई ये बहुत जबर्दस्त कहानी है.............. लेकिन इस फॉरम पर पहले से ही Evanstonehot भाई रिपोस्ट कर रहे हैं...............

अगर आप असली लेखक हैं और इस कहानी को पूरा करना चाहते हैं तभी लिखें.............वरना एक ही कहानी बार-बार अधूरी पोस्ट करने का क्या फाइदा

 
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इस कहानी के पात्र की उम्र १८ वर्ष या उससे अधिक है । पाठक अपने रूचि अनुसार कोई भी उम्र मान सकते है।
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सेक्स स्टोरी मुझेहाय दोस्तों, मेरा नाम नीरज सिंह है और यह मेरी पहली कहानी है। अगर इसमें कोई गलती हो तो आप लोग मुझे जरूर बताइए।
अब मैं सीधे अपनी कहानी पर आता हूं। मेरे पिताजी का देहांत 3 साल पहले हो गया था। पर भगवान की दया से मुझे उसी साल एक एमएनसी कंपनी में नौकरी लग गई। मुझे मेरी जॉब के कारण तीन-चार महीने तक लगातार घर से बाहर रहना पड़ता है और उसके बाद 3 से 4 हफ्ते घर रहता हूं।
घर पर मेरी मां शकुंतला अकेले ही रहती है, मेरी बड़ी बहन सीमा की शादी हमारे ही शहर में हुई है तो जब मैं बाहर रहता हूं तब मेरी बहन हमारे घर आती-जाती रहती हैं और हमारी मां का ख्याल रखती हैं।

मेरी दो भांजीया हैं शीतल और प्राची। शीतल दसवीं कक्षा में और प्राची सातवीं में पढ़ती है और मेरे जीजा एक प्राइवेट कंपनी में ऑपरेटर का काम करते हैं। मैं जब भी घर आता था तो अपने दोनों भांजीयो के लिए हमेशा कुछ ना कुछ लेकर आता था।
बात 3 महीने पहले की है जब मैं छुट्टियों में घर आया था। सुबह अचानक मेरी नींद खुल गई और जब मैंने घड़ी की तरफ देखा तो सुबह के 7:00 बज रहा था। मैं सीधे टॉयलेट गया फिर जब मैं वापस आ रहा था तो मुझे किचन से कुछ आहट सुनाई दी।मैं दबे पांव किचन की तरफ गया और मैंने देखा की मेरी मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट पहन कर फ्रिज में से सब्जियां निकाल रही थी।
मैंने पहली बार रियल में किसी औरत को अर्धनग्न देखा था और वह भी मेरी मां। मां जब झुककर फ्रिज में से सब्जियां चुन रही थी तो उनके 40 इंच के गोल गोल चूतड़ का उभार देख कर मेरा लन्ड हरकत करने लगा और मैं वहीं रुक गया।
गर्मियों का समय था शायद इसीलिए मां सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में काम कर रही थी और मैं हमेशा सुबह लेट उठता था शायद इसीलिए वह निश्चिंत भी थी।
उन्होंने फ्रिज में से 5 ककड़िया निकालकर डाइनिंग टेबल पर रखा और फिर उन्होंने अपना ब्लाउज और पेटिकोट भी उतार दिया यह देख कर मेरी आंखें फटी की फटी रह गई और मेरा लौड़ा पूरा खड़ा हो गया।
मैं मन ही मन बहुत खुश हुआ आज तो मेरी लॉटरी लग गई थी, मुझे पहली बार हकीकत में किसी औरत को ब्रा और पेंटी में देखने का मौका मिला था
मैं अपना 7 इंच का लन्ड चड्डी में से निकाल कर हिलाने लगा। पर किसी ने सही कहा है जब ऊपरवाला देता है तो छप्पर फाड़ के देता है। क्योंकि अगले ही पल में उन्होंने ब्रा और पेंटी भी निकाल दी।
उनकी पीठ मेरी तरफ था उनके गोरे गोरे गांड को देख कर मैं तो पागल ही हो गया था, उनके गांड की गोलाई 42 इंच से कम ना होगी (आज तक मैंने इतनी मोटी गांड ब्लू फिल्म में भी नहीं देखी थी), अगर यह मेरी मां ना होती तो मैं इनको पटक कर इनकी गांड में अपना 7 इंच का लोड़ा घुसा दिया होता।
अब वह मुड़कर कुर्सी पर बैठ गई , उनकी चूची भी काफी बड़े थे शायद 38 से 39 इंच के होंगे चूची के सेंटर वाला भाग ढाई इंच का डार्क ब्राउन सर्किल वाला था। मेरा तो मन कर रहा था अभी जाकर उनके दोनों चुचियों को चूस चूस कर चूस चूस कर निचोड़ लू। पर मैंने अपने आप पर काबू रखा और सामने का सीन देख कर अपना लौड़ा हिला रहा था।
अब वह कुर्सी के किनारे अपनी गांड रखकर अपना सर और गर्दन कुरसली से सटा दिया और अपनी गांड को थोड़ा सा उठाकर दोनों पैर फैला दिया, जिससे उनकी चूत के अंदर का गुलाबी वाला भाग भी मुझे दिखने लगा।
मेरा ख़ुशी का कोई ठिकाना ही नहीं था, जिस चीज का मैं बचपन से सपना देखता था आज वो मेरे सामने दिख रही थी। मेरे मुँह में पानी आ रहा था पर मेरा दिमाग कह रहा था की वो तेरी माँ है माधरचोद। अगर मेरा दिल मेरे दिमाग पर हावी हो जाता तो मै उन्हें वही पटक कर चोद देता। पर मै वही खड़े होकर आगे का तमाशा देखने लगा।
अब उन्होंने ककड़ी को उठा ली। मुझे लगा वो सीधे ककड़ी को अपने चुत में डालेंगी पर उन्होंने उसे अपने मुंह में ले लिया। मै कन्फ्यूज्ड हो गया की माँ नंगी होकर ककड़ी को चुत में डालने के बजाय उसे खा रही है। लेकिन वो ककड़ी खा नहीं रही थी चूस रही थी जैसे ब्लू फिल्म में लड़किया लण्ड चूसती है।
उन्होंने काकड़ी को पूरा गिला किया और फिर उसे लेकर अपनी चूत पर रगड़ने लगी और धीरे-धीरे उसे अपने चूत में डालने लगे अब उनके मुंह से सिसकारियां निकल रही थी।
फिर उन्होंने दूसरी ककड़ी ली और उसे भी अपनी चूत में डाल कर अंदर बाहर करने लगी। एक एक करके चारों ककड़ी को उन्होंने अपने अंदर बाहर किया फिर उन्होंने पांचवी ककड़ी उठाई यह वाली ककड़ी एक साइड से पतली और दूसरे साइड से बहुत ही मोटी थी।
उसे देख कर जो उन्होंने कहा वह सुनकर मुझे अपने कानों पर भी विश्वास नहीं हुआ।
मां बोली “अहा …अहा..अरे नीरज के लोड़े, अपनी मां की बुर को चोद चोद कर फाड़ डाल…अहा..अहा……अहा… कितना मोटा है नीचे से तेरा…अहा…अहा. फट गई रे मेरी चूत..अहा”
और फिर उन्होंने वो ककड़ी अपने चुत में घुसा ली।
सचमुच मेरा लोड़ा भी ऐसा ही है मेरा सुपाड़ा 2 इंच मोटा और लण्ड का निचला भाग 3 इंच मोटा होगा मतलब आगे से नुकीला और पीछे की तरफ ज्यादा मोटा जैसा वह ककड़ी था जिसे मां तेजी से अंदर बाहर कर रही थी।
यह सुनकर की मां मेरा नाम लेकर हस्तमैथुन कर रही है मैं बहुत एक्साइट हुआ और मेरे लण्ड ने पिचकारी छोड़ दी, मैंने झट से दीवार पर से अपना वीर्य को पोछ दिया।
तभी मा भी बोली “अहा..अहा…. मैं झड़ने वाली…. हूं….अहा..अहा.. तू भी …अहा..अहा…..अपना वीर्य मेरे अंदर गिरा दे…अहा..अहा..अहा..अहा..”
मेरी मां भी शांत हो गई थी मैं चुपचाप वहां से निकल कर अपने कमरे में जाने लगा ताकि मां मुझे देख ना ले, पर मेरा दिल मुझे वहां से हिलने नहीं दे रहा था क्योंकि अभी तक मां नंगी ही थी और मैं उनके नंगी जिस्म का दीदार करते रहना चाहता था जब तक वह कपड़े ना पहन ले।
10 मिनट तक ऐसे ही कुर्सी पर बैठी रहे फिर उन्होंने उन ककड़ियो को काटना शुरू कर दिया। ककड़ियो को काटने के बाद उन्होंने कपड़े पहने और चाय बनाने लगी। चाय बनाने के बाद मुझे जगाने आती थी इसलिए मैं तुरंत वहां से निकल कर अपने कमरे में जाकर सो गया, सच कहे तो सोने का नाटक करने लगा।
10 मिनट बाद मां कमरे में आई और उन्होंने मुझे जगाया।
अब तो उनके हाथों के स्पर्श से भी मुझे गुदगुदी सी हो रही थी।
मां” उठ जा बेटा कितना सोता रहेगा. देख सूरज निकल आया है।”
मैं” मां थोड़ा और सोने दो ना 10 मिनट और।”
मां “जल्दी उठ बेटा नाश्ता करके तुझे सीमा के घर भी जाना है, बच्चो के सामान उन्हें देने है।”
मैं “ठीक है मा उठकर चला जाऊंगा थोड़ा और सोने दो”
मां ने मुझे खींचकर उठा बैठा दिया, जिससे मेरा मुंह सीधा उनके चूची पर आ गया ऐसा तो पहले भी हुआ था पर आज मुझे ऐसा लग रहा था जैसे की मुझे जन्नत मिल गई हो, मेरे दिमाग में सिर्फ यही ख्याल आ कहा था कि अगर मां ने कपड़े ना पहने होते तो उनकी चूची मेरे मुंह में होती और सुबह सुबह जी भर कर उनका दूध पीता। पर अगले ही पल मां ने मुझे हिला कर बिठा दिया मैं भी नाटक छोड़ कर उठा और मुंह-हाथ धोने चला गया।
फिर मैं जब किचन में डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने गया तो देखा मां ने सैंडविच बनाई थी। मैं समझ गया की मा ककड़ी क्यों काट रही थी। उनके चूत के रस की सेंडविच खाने के बारे में सोच कर ही मेरा लण्ड फिर से खड़ा हो गया।
मैं उनके चुत पानी का स्वाद डायरेक्ट लेना चाहता था इसलिए मैं ब्रेड हटाकर सीधा ककड़ी ढूंढ ढूंढ कर खाने लगा है जो अभी भी उनकी चूत के रस से गीली थी और उससे कुछ नमकीन सा स्वाद आ रहा था।
यह देख कर मां बोली” नीरज, सेंडविच मे से सिर्फ ककड़ी क्यों खा रहा है।”
मैंने कहा” मुझे ककड़ी बहुत पसंद है, इसलिए पहले ककड़ी खा लू फिर सैंडविच खाऊंगा।”
मां के बुर के पानी का स्वाद पाकर मेरा लोड़ा चड्डी में टन टना उठा। उन्होंने भी यह नोटिस किया और तिरछी नजर से मेरे चड्ढे के उभार को देख रही थी। शायद उन्हें शक हो गया था की मैंने सब देख लिया है, पर वो नार्मल ही बिहेव कर रही थी।
मैंने नाश्ता ख़तम किया और फिर अपनी बहन के घर जाने क लिए निकल गया। मैंने शीतल और प्राची के लिए कपडे लिए थे वही देने जाना था।
जब मै अपनी बहन सीमा के घर पहुंच तो दीदी घर पर अकेले ही थी। जीजा जॉब पर गए थे और बच्चे स्कूल गए हुए थे। मुझे देखते ही दीदी बहुत खुश हुयी।
सीमा ” अरे नीरज, कब आया मेरे भाई? फ़ोन भी नहीं किया? कैसा है? माँ कैसी है? ”
मै ” दीदी बाहर ही सब पूछ लोगी या घर में बुलाओगी ?” और हम दोनों हसने लगे।
सीमा ” ये किसी और का घर थोड़े ही है जो तुझे परमिशन लेनी पड़ेगी?”
सीमा ” चल अंदर बैठ मै तेरे लिए चाय बनती हु ”
यह कहकर सीमा मुड़ी और घर के अंदर जाने लगी। मैं उनके मटकते हुए सुडोल गांड को निहारने लगा। आज से पहले मैंने कभी अपनी बहन की गांड को नोटिस नहीं किया था।
सीमा गांड के मामले में पूरी तरह अपने मां पर गई थी उसकी गांड की गोलाई 38 इंच की है। वैसे सीमा एक साधारण औरत है, उसका रंग थोड़ा सांवला है और उसकी हाइट थोड़ी छोटी है सिर्फ 4 फुट। सीमा की उम्र 36 साल और उसकी चूची 36 इंच की है।
उन्होंने मुझे घर में बिठाया और खुद किचन में चाय नाश्ता बनाने चली गयी। मैं अब बैठे बैठे सीमा की नंगी गांड और नंगी चूची की कल्पना करने लगा और पैंट में मेरा लण्ड पूरा कड़क हो गया। मैंने अपना ध्यान भटकाने के लिए टीवी चालू किया। सोनी पर क्राइम पेट्रोल आ रहा था तभी मेरी दीदी अंदर आई और उन्होंने मुझे चाय दिया।
सीमा “देखा भैया दुनिया में कितना क्राइम बढ़ गया है”
मैं “हां दीदी ”
क्राइम पेट्रोल की कहानी में एक भाई अपनी बहन को नींद की गोली खिलाकर उसकी चुदाई करता है। यह सब देख कर मेरा लण्ड और उछलने लगा। पर मेरी बहन ने शायद उस पर ध्यान नहीं दिया और वो टीवी देखने लगी। तभी दरवाजा खटखटाने की आवाज आई।
सीमा “लगता है शीतल और प्राची आ गए”
सीमा दरवाजा खोलने गेट पर गई। शीतल और प्राची स्कूल ड्रेस में अंदर आए, सीमा किचन में खाना बनाने चली गई।
शीतल अंदर आते ही चिल्ला उठी।
” आप आए हो मुझे बताया नहीं, जाओ मैं आपसे कट्टी”
पर प्राची आते ही मेरे गोद में कूद पड़ी और बोली ” मामा मेरा गिफ्ट कहां है।”
प्राची के मेरी गोद में बैठते ही मेरा लण्ड सीधा उसके गांड को टच करने लगा। मैंने भी उसे अपनी बाहों में कस कर अपनी ओर खींच लिया और ऐसा करते समय मैंने अपना लण्ड उसके गांड के दरार के बीच में एडजस्ट कर दिया।
प्राची की पीठ मेरे पेट से सटी हुई थी।मैंने प्राची को अपने दोनों हाथो से जकड रखा था। ऊपर की तरफ मेरे बाए हाथ से उसके दोनों निम्बू जैसे चूचिया दबी हुई थी और दाहिना हाथ से मैंने उसकी कमर का दबोच रखा था।
मेरे हाथ के दबाव से उसका चुत्तड़ निचे मेरे लण्ड पर धसता जा रहा था और मै निचे से भी को ऊपर दबा रहा था।मेरे लण्ड और उसके गांड के बीच में हमारे कपड़े थे पर फिर भी मुझे बहुत अच्छा लगा।
अब मैं धीरे धीरे अपने लण्ड का दबाव उसकी गांड में बढ़ाने लगा। प्राची तो बच्ची थी उसे लगा कि शायद मामा की जेब में कोई चीज है जो उसको चुभ रही है इसलिए उसने कुछ नहीं कहा।
कहते हैं ना खड़े लण्ड को दिमाग नहीं होता। मै प्राची के अंगो का मजा लेने में इतना मशगूल हो गया की कमरे में शीतल की मौजूदगी भूल गया।
तभी प्राची ने फिर से कहा “मामा मेरा गिफ्ट कहां है”
फिर मुझे मेरी गलती का एहसास हुआ मैंने तुरंत कपड़े वाला बैग प्राची को दिया।
मैं “यह तुम दोनों का गिफ्ट है”
प्राची तुरंत मेरे गोद से उठकर शीतल के पास गयी कपडे देखने के लिए। प्राची के उठते ही मेरे लण्ड का उभार शीतल को साफ़ साफ़ दिखा पैंट के ऊपर से वह एकदम हॉट डॉग जैसा दिख रहा था | वह बड़े ध्यान से मेरे लण्ड के उभार को देख रही थी। फिर दोनों कपड़े देखने लगे।
कपड़े देखने के बाद शीतल ” थैंक यू मामा”
प्राची “तू तो कटी थी ना मामा से, चल तू अपना गिफ्ट को वापस दे दे”
शीतल “मेरे मामा ने इतने प्यार से मेरे लिए ले है मैं वापस थोड़ी करूंगी”
शीतल “थैंक यू मामा वंस अगेन” शीतल धीरे धीरे मुस्कुरा रही थी।
शीतल का रिस्पांस सुनकर मुझे चैन की सांस आई।
मैं” मुझे लेट हो रहा है मम्मी मेरा इंतजार कर रही होंगी। तुम लोग छुट्टी के दिन घर पर आना।”
और मैं घर से बाहर निकल गया।
मैं ” बाई शीतल बाई प्राची ”
दोनों” बाई मामा ”
मैं घर की तरफ निकल गया, रास्ते में मेडिकल स्टोर पर मुझे मेरा दोस्त सुनील नजर आया।
सुनील” नीरज कब आया भाई”
मैं” कल, और बता भाई कैसा है तू”
सुनील”बिल्कुल ठीक हूं भाई”
मैं”और भाई क्या करता है आजकल तू ”
सुनील” भाई, पापा ने यह मेडिकल स्टोर खोला है, यही काम करता हूं।”
मैं “बधाई हो भाई”
अचानक से मुझे क्राइम पेट्रोल वाला सीन याद आ गया। मैंने भी नींद की गोली खरीदने का सोचा।
मैं ” भाई मुझे नींद नहीं आ रही कुछ दिनों से कुछ नींद की गोलियां हो तो देना”
सुनील” भाई नींद की गोली तो डॉक्टर के परमीशन से ही देते हैं”
मैं ” भाई कम से कम दो ही गोली देते हैं खाकर आराम करूंगा”
सुनील “ठीक है भाई, तू मेरा दोस्त है, रुक अभी लाया।”
सुनील ने मुझे २ टेबलेट लाकर दी , मै मन ही मन बहुत खुश हुआ और घर की और चल पड़ा।
घर पहुंचते ही मा ने कहा ” आ गया बेटा चल दोनों साथ में खाना खा लेते हैं”
मैं “हां ठीक है मां मैं भी हाथ मत होकर आया” मैंने जानबूझकर अपना फोन अपने कमरे में रख दिया और आकर डायनिंग टेबल पर बैठ गया।
मा ने हम दोनों की प्लेट मैं खाना निकालकर डायनिंग टेबल पर रखा। मैंने मां से कहा” मां मैं अपना मोबाइल कमरे में भूल गया हूं, प्लीज ला कर दो ना… शायद जरूरी कॉल आ जाए”
मां “ठीक है बेटा, अभी लाइ”
जैसे ही मां मेरे कमरे की तरफ गई मैंने झट से नींद की दोनों गोलियां निकाली और मसलने लगा।
मां कमरे के अंदर से” बेटा, कहां रखा है फोन मिल नहीं रहा”
मैं” देखो मां वही होगा बेड पर, टेबल में”
और मैं जल्दी जल्दी गोलियों को मसल कर पाउडर बनाने लगा।
मां कमरे के अंदर से” बेटा, बेड और टेबल पर नहीं है, तू कहीं अपनी बहन के यहां तो नहीं भूल गया।”
मैं” बैग में चेक कर लो शायद उसमे हो ”
अब तक मैंने नींद की गोलियों का पाउडर मां की दाल में डालकर मिला दिया।
मां” मिल गया बेटा”
मां फोन लेकर कमरे से बाहर आई।
मैं माँ से “मिशन कंपलीट”
मां हंसते हुए “मिशन कंपलीट” और फोन मुझे दे दिया।
मैं मन में” दोनों का मिशन कंपलीट हो गया “।
खाना खाने के बाद मैं मां के सोने का इंतजार करने लगा।
मां के सोने के 15 मिनट बाद मैं उनके कमरे में गया। माँ बेड पर पीठ के बल सोई हुई थी। सोते समय उनके साडी पल्लू निचे गिरा हुआ था और मुझे उनका ब्लॉउज देखकर सुबह का सीन याद आ गया।
पहले तो मैंने मां को आवाज लगाई” मां…मां..”
मां का कोई रिस्पांस नहीं आया तो मैं उनके पास गया और उन्हें हिलाया। ऐसा लग रहा था जैसे मां बेहोश हो गई हैं उनके शरीर से कोई रिस्पांस नहीं दिया था।
मुझे लगा दवाई का असर हो गया है, आज तो मां को चोद ही देंगे। पर फिर भी मन में एक डर सा लग रहा था अगर मैंने अपना लण्ड मां की चुत में डाला और उनकी नींद खुल गई तो।
मैं मां को नंगा करना चाह रहा था पर इसी डर से असमंजस में पड़ गया।
फिर मेरे दिमाग में आइडिया आया। मैं किचन में गया और वहां से एक गाजर ले आया और उनके सर के पास आकर बैठ गया।
मैंने मां के गालों को दबाया जिससे उनका मुंह थोड़ा खुल गया फिर मैंने उनके खुले हुए मुंह में गाजर का पतला वाला भाग डाला और धीरे-धीरे गाजर उनके मुंह में घुसाने लगा।
मैंने कहा “माँ लो गाजर खा लो”
मुझे पता था की माँ मेरी बाते सुन नहीं रही है पर मुझे उन्हें सम्बोधित करने में अच्छा लग रहा था।
उनका मुंह धीरे धीरे गाजर के दबाव से खुलने लगा। फिर मैंने 5 मिनट तक गाजर को उनके मुँह के अंदर बाहर किया। अब मैं निश्चिंत हो चुका था की उनके मुंह को चोदने से उनकी नींद नहीं टूटेगी।
मैंने कहा ” माँ लगता है आपको गाजर नहीं खाना चलो मै आपको कुछ और खिलता हु, जरा इस गाजर को पकड़ कर रखो मुँह में, मै अभी आया”
और गाजर उनके मुँह में छोड़कर कर मै अपने कपडे उतारकर पूरा नंगा हो गया।
मेरा 7 इंच का लण्ड पूरी तरह खड़ा हो गया था। मैं अपने दोनों पैर के घुटनो को उनके गर्दन के दोनों साइड टिकाकर बैठ गया, जिससे मेरा लण्ड सीधा उनके गालों को छू रहा था।
मै ” चलो माँ अब लण्ड चखने का समय हो गया है।”
अब मैंने गाजर को मां के मुंह से निकाला। उनका मुंह खुला ही था और मैंने अपना लोड़ा उनके मुंह में डाल दिया। ऐसा करते ही मेरे मुँह से आह निकल गयी …”अह्ह्ह …”
मेरे पुरे शरीर में करंट दौड़ गया, मैं तो जैसे जन्नत की सैर करने लगा। अभी तो सिर्फ मेरा सुपाड़ा उनके मुंह में था ,उनका मुँह गाजर के कारण सिर्फ २ इंच तक खुला था। मैं कोई जल्दबाजी नहीं करना चाहता जिससे कोई गलती हो और मां की नींद टूट जाये। मैं धीरे धीरे अपने लण्ड को उनके मुंह के अंदर बाहर कर रहा था, मतलब सुपाड़े को…। क्योंकि मेरे लण्ड का सुपाड़ा ही २ इंच का है और लण्ड का निचला भाग और मोटा है, जबकि माँ का मुँह सिर्फ २ इंच ही खुला था..
मै ” कैसा लगा मेरे लण्ड का सूपड़ा माँ”
मैं उनका मुंह फैलाना चाहता था, पर आराम से। 10 मिनट धीरे धीरे सुपाड़ा अंदर बाहर करने के बाद मैंने लण्ड का दबाव थोड़ा बढ़ाया जिससे मेरा आधा इंच और लण्ड उनके मुंह में घुस गया। अब मैं धीरे धीरे धक्के मारकर उनके मुंह की चुदाई करने लगा। मेरे इस चुदाई से माँ की सांसे भी तेज हो रही थी।
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५ मिनट धक्के मारने के बाद मैंने एक हाथ बिस्तर पर रख कर सहारा लेते हुवे दूसरे हाथ से माँ के सर को निचे से पकड़कर सर को उठाया और उसी समय ऊपर से अपने कमर को निचे दबाया , जिससे मेरा लण्ड ५ इंच तक माँ के मुँह में घुस गया और ऐसा लगा रहा था की अब उनका मुँह फट जायेगा।
उनकी आँखे तो बंद थी पर फिर भी मेरे इस हमले से उनके बंद आँखों के किनारे से पानी आ गया।
मै ” अरे माँ रोना आ गया क्या, चलो आराम से करता हु ” ऐसा कहकर मैंने अपनी कमर पीछे की और सिर्फ २ इंच लण्ड बाहर आया मतलब ३ इंच इन्दर ही था फिर से लण्ड अंदर पेल दिया। और ऐसे ही २ मिनट चोदने पर ही उनकी साँसे फूलने लगी।
मैंने अपना लण्ड बहार निकाला।
मैने माँ को कहा ” माँ लगता है इस पोजीशन में पूरा लण्ड नहीं जायेगा चलो पोजीशन चेंज करते है”
पर माँ तो बेहोश थी गोली के असर से। मुझे भी एक हाथ से सपोर्ट लेना पड़ रहा था तो थोड़ी परेशानी हो रही थी|
मैंने मां को बेड पर ही पीठ के बल ही घुमा दिया और उन्हें इस तरह सुलाया कि उनका गर्दन से नीचे का पूरा भाग बिस्तर पर और सर बिस्तर से नीचे झूलने लगा | मैं बिस्तर से नीचे उतर कर उनके सर के ऊपर बिस्तर से सटकर खड़ा हो गया अब उनका सर बिस्तर से नीचे और मेरे दोनों पैरों के बीच में था, उनकी चोटी जमीन को छू रही थी|
मैंने नीचे से उनके सर को दोनों हाथों से पकड़कर उठाया और उनके खुले मुंह में ऊपर से लण्ड पेल दिया|
ऐसा करते ही मुझे ऐसा लगा मानो मेरा लण्ड उनके गले में घुस गया हो जब मैंने नीचे अपने लण्ड की तरफ देखा तो पाया कि मेरा लण्ड 6 इंच तक तक मां के मुंह में घुस चुका था और उनकी गले में मेरा लण्ड का उभार साफ नजर आ रहा था… मैंने अपना पूरा लण्ड उनके मुंह से निकाला एक झटके में ही 6 इंच तक फिर से घुसा दिया| और ऐसे ही चुदाई करने लगा |
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मैं ” मां तुम दुनिया की सबसे अच्छी मां हो…अह्ह्ह . आई लव यू मा…अह्ह्ह…आई लव यू… ”
मुझे लगा कि अब मैं झड़ने वाला हूं| तो मैंने सोचा झड़ने से पहले एक बार पूरा लण्ड मां के मुंह में घुसा लू |
मैंने झट से अपना लण्ड बाहर निकाल दिया | मैंने नीचे मां का चेहरा देखा, उनके मुँह से लार बह रही थी जो उनके दोनों गालो से होते हुवे गर्दन पर और फिर जमीन पर गिर रही थी। उनके आँखों के कोने से भी पानी की बूंदे बह रही थी। ये सब मेरे मोटे लण्ड से उनकी गले की चुदाई का नतीजा था।
मां की ऐसी हालत देखकर मैं समझ गया था की उन्होंने बड़ी मुश्किल से मेरा 6 इंच का लण्ड अपने मुंह में लिया है| पर मुझे तो अपना पूरा लण्ड घुसाने का भूत सवार हो गया था|
मैंने मां से कहा” मां, मैं झड़ने वाला हूं, तुमने मेरा 6 इंच का लण्ड में मुंह में ले लिया बस 1 इंच और बचा है| प्लीज.. बस एक बार पूरा लण्ड ले लो मुंह में.. मेरे झड़ने से पहले|”
मैं अपनी बेहोश मा से रिक्वेस्ट कर रहा था जैसे वह मेरी बातें सुन रही हो और मैं उन्हें मना रहा हूं कि वह मेरा पूरा लण्ड मुंह में ले ले|
मुझे पता था कि इस पोजीशन में शायद मैं अपना पूरा लण्ड घुसा नहीं पाऊंगा|
मैंने माँ को उठा कर निचे जमीं पर बिठाया और उनका पीठ बेड से चिपका दिया ताकि उन्हें सहारा मिल सके।
अब मै उनके सामे खड़ा था और वो बैठी हुई थी उनके दोनों हाथ निचे जमीन पर थे। उनका सर बेड की हाइट से ऊपर था बेड की हाइट सिर्फ उनके गर्दन तक ही थी। अभी भी उनके मुंह से पानी बह रहा था|
मैंने कहा “चलो मैं तैयार हो जाओ पूरा लेने के लिए”
ऐसा कहकर मैंने उनके सर को दोनों हाथों से पकड़कर अपना लौड़ा उनके मुंह में पेल दिया| और उनके सर को दोनों हाथो से पकड़कर अपने लण्ड पर दबा दिया।ऐसा करते ही मुझे मरी माँ के होठो का स्पर्श मेरे आंड पर हुआ यानी मेरा पूरा लण्ड उनके मुँह में था। मुझे ऐसा अहसास हो रहा था मानो मेरा लण्ड उनके गले के निचे तक चला गया है। मैंने अपना लौड़ा उनके मुंह से बाहर निकाला|
इस समय उनके मुंह से लार की धार छूटी थी| मेरा लण्ड से भी लार टपक रही थी ऐसा लग रहा था जैसे उसे अभी तेल के डिब्बे में डुबोकर निकाला गया हो | मां का ब्लाउज आगे से पूरा गीला हो गया उनके मुंह के पानी से| अब तक की चुदाई में यह मेरा सबसे आनंदित अनुभव था|
मैं “मां एक बार फिर से”

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यह कह कर मैंने फिर से उनका मुंह पकड़ के अपना लण्ड उनकी गले के नीचे उतार दिया इस बार मैं कुछ पल रुककर लण्ड को पूरा बाहर निकाला और और फिर से पेल दिया|
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अब मैंने ऐसे ही चुदाई शुरू कर दी| मेरे मुंह से आहे निकल रही थी “आह्ह्ह्हह्ह…. आह्ह्ह्हह्ह…….आआह्ह्ह्हह्ह …माँ…….आह्ह्ह्हह्ह….मै गया ….” और मेरे लण्ड से वीर्य की पिचकारी छूट पड़ी|


मैंने 2-3 धक्के और लगाकर पूरा वीर्य मां के मुंह में निकाल दिया कुछ तो सीधा उनके गले के नीचे ही गया| और बाकी सब उनके मुंह में रह गया| मैंने लण्ड उनके मुँह से बहार निकाल कर उनका मुँह बंद कर दिया ताकि मेरा वीर्य उनके मुहसे बहार न आये|
मैंने अपने कपड़े पहने और मां को उठाकर बिस्तर पर सुला दिया| अपने कमरे में जाने से पहले मैंने उनका मुंह खोलकर चेक किया तो पाया मेरा सारा वीर्य मां नींद में ही पी चुकी थी, उनके मुंह में कुछ नहीं था|
मैं खुशी खुशी अपने कमरे में जाकर सो गया…
Jaldi se aage badha ke aage likhe 👏👏👏👏
 

Neraj

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नीरज भाई ये बहुत जबर्दस्त कहानी है.............. लेकिन इस फॉरम पर पहले से ही Evanstonehot भाई रिपोस्ट कर रहे हैं...............

अगर आप असली लेखक हैं और इस कहानी को पूरा करना चाहते हैं तभी लिखें.............वरना एक ही कहानी बार-बार अधूरी पोस्ट करने का क्या फाइदा

नीरज भाई ये बहुत जबर्दस्त कहानी है.............. लेकिन इस फॉरम पर पहले से ही Evanstonehot भाई रिपोस्ट कर रहे हैं...............

अगर आप असली लेखक हैं और इस कहानी को पूरा करना चाहते हैं तभी लिखें.............वरना एक ही कहानी बार-बार अधूरी पोस्ट करने का क्या फाइदा


आप सही कह रहे है । यह कहानी मैंने ही शुरू की थी फोरम पर । कोशिश करूँगा इसे पूरा करू , आप सबका समर्थन चाहिए सिर्फ ।
 

kamdev99008

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आप सही कह रहे है । यह कहानी मैंने ही शुरू की थी फोरम पर । कोशिश करूँगा इसे पूरा करू , आप सबका समर्थन चाहिए सिर्फ ।
besabri se intzar rahega ...............naye updates ka
purane updates jyadatar readers ke padhe huye hain.......islie thoda jaldi-jaldi post kar do

:welcome1: back
 
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