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Incest किस्सा ठकुराइन का

Tilak810

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ये कहानी एक छोटे से गांव की है जो कुछ ३० से ३५ परिवार का समूह था
 
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Tilak810

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Part 1
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ये कहानी एक छोटे से गांव की है जहा एक ठाकुर का मक़ान था . गांव काफी सूंदर था . सभी लोग हस्सी खुसी मिलज़ुल के रहते थे इसी गांव में एक मकान ठाकुर का भी था जो बड़े जमींदार थे . करीब ८० अस्सी बीघा जमीन के मालिक महेर घर में बस ठाकुर ठकुराइन और बेटा जो शेहेर में पड़ता था .

Introduction

1
ठाकुर - वीर बहादुर सिंह (59)
ठकुराइन - पद्मा देवी (52)
ठाकुर का बॉडीगार्ड - राजेश (45)
ठाकुर का दूसरा बॉडीगार्ड - कल्लू (38)
ठाकुर ठकुराइन का बेटा - अमन (26)
और एक कामवाली - कलमा (30)

काफी अच्छा गांव था सब कुछ ठीक था ठाकुर भी अपने काम वयस्थ , सुबह उठाना योग करना नास्ता कर के अपनी जीप में बैठ के अपनी जमीन पे फसल अच्छे से ध्यान रखना और शाम को घर आ के खाना खा के सो जाना
,ठकुराइन भी सुबह उठ के योग करती घर के काम में कमला का साथ देती और गांव की महिलाओ से मिलती उनकी दिक्कत को सुनती और दूर करने की कोशिश करती .
ठकुराइन को अपनी कामवाली कलमा पे काफी विश्वाश था वो उसे काफी मानती थी . और उसे कभी भी कोई दिकत नहीं आने देती .
कलमा भी ठकुराइन का ऐसे ही ख्याल रखती और उनकी हर बात मानती
 
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Tilak810

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Part2

काफी दिन बीत गए ऐसे ही सब कुछ चलता रहा .
एक दिन की बात है ठाकुर हर रोज की तरह अपने खेत के काम के लिए अपने दोनों बॉडीगार्ड के साथ जीप से जा चुके थे ठकुराइन नाहा के नास्ता किया ुर गांव की महिलाओ के साथ किसी काम में वयस्थ हो गयी कलमा भी घर के काम में जुट गयी करीब १ बजे दुपहर को , ठाकुर की जीप तेजी से घर की तरफ को आने लग्गी कलमा भाग के गेट खोलती है और गाड़ी रुकते ही राजेश और कल्लू दोनों तेजी के साथ जीप की पीछे की सीट पे लेते ठाकुर को उठा के घर के आंगन में तखत पे ठाकुर को लुटाते है​

ठकुराइन भागते हुए आती है

ठकुराइन - अरे क्या हुआ
कल्लू - मालकिन पता नहीं कैसे मालिक कुर्शी से अचानक नीचे गिर पड़े और इनकी सास तेज तेज चलने लगी , हम लोग कुछ समझ पते तब तक मालिक बेहोश हो गए। हमें कुछ समझ नहीं आ रहा था तो हम इन्हे यहाँ ले आये
राजेश - है मालकिन पता नहीं मालिक को क्या हुआ और ये बैठे बैठे ही बेहोसध हो गए।
ठकुराइन - अरे जल्दी से डॉक्टर को फ़ोन करो , बुलाओ ,, कमला जल्दी जा और डॉकटर को फ़ोन कर

कमला भागते हुए जाती है और डॉक्टर को फ़ोन कर के बुलाती है।

कमला- मालकिन मैंने बोल दिया है वो बस आता ही होगा आप रोना बंद करिये।
ठकुराइन - अरे पगलाई रोयु न तो क्या करू अचे भले गए थे न जाने किसकी नज़र लग गयी इनको कुछ बोल ही नहीं रहे है देख तो ,

इतना कहते हुए ठकुरियन रोने लगी तभी गेट पे आवाज आयी , डॉक्टर हाथ में बैग लिए आया और सीधा मरीज के पास जा के पहले उसकी नब्ज चेक कर्री ,

डॉक्टर - अरे घबराइए नहीं , सब ठीक हो जयेगा , इनको बस आराम की जरुतत है मई अभी एक इंजेक्शन दिए देता हु,

कहते हुए डॉक्टर ने एक इंजेक्शन निकली और लगा दी। और बैठे के ठाकुर के आराम के लिए कहने लगा। १० मिंट बाद ठाकुर को कुछ होश आया और उन्होंने आंखे खोली , और पानी पिया ये देख सब को सुकून आया। मगर ठकुराइन को अभी अभी कुछ ठीक नहीं लग रहा था। तभी डॉक्टर की आवाज से ठकुराइन मनो जाग सी गयी हो ।

डॉक्टर - मैडम आप थोड़ा मेरे साथ किनारे आइये।

ठकुरियन थोड़ी घबराते हुए।

ठकुराइन- जी डॉक्टर। बताइये क्या बात है सब ठीक तो है न
डॉक्टर - फ़िलहाल के लिए तो सब ठीक है मगर , अब जो मै कहने जा रहा हु उससे धयान से समझिये। मुझे पता है की इनको दर्रू का काफी शौक है , मुझे लगता है की शयद लिवर कलप्स कर गया है आपको इनको जल्दी ही किसी अचे हॉस्पिटल मै भेज के इलाज करना होगा वरना इनके बचने की उम्मीद काम है।

इतना सुनते ही ठकुराइन हक्का बक्का हो गयी उनको समझ नहीं आया इसका क्या जवाब दू , और बस सिर हिलाते हुए सांत हो गयी

डॉक्टर- देखिये आप परेशां मत होइए ऐसा होता है बस आपको इनका जितना जल्दी से जल्दी हो सके िज्जल करना चाहिए

और डॉक्टर फिर एक पर्ची पे कुछ दवाई लिखता है और उसे ठकुराइन के हाथ में दे के उन दवाई को लेन को कहता है। ठकुराइन परचा ले के डॉक्टर को उनकी फीस देती है और गेट तक छोड़ के आती है और फिर वापिस आ के ठाकुर के बगल में कुर्सी लगा के चुप चाप बैठ जाती । जैसे उसको किसी साप ने दस् लिया हो , की तभी एक आवाज जो की कमला की थी उससे उसका धयान भांग होता ह।

कमला- मालिकन पानी पी लीजिये मै , आप दोनों के लिए चाय बना लती हु, वैसे मालकिन क्या हुआ है मालिक को , क्या कहा डॉक्टर साहब ने,,,
ठकुराइन पानी न्पीते हुए,
ठकुराइन- कमला मै क्या करू बता ये परचा दिया है डॉक्टर ने और बोलै है की जल्दी ही इनका इलाज शहर के किसी बड़े अस्पताल में करना होगा इनका लिवर ख़राब हो गया है,,,( इतना कहते हुए ठकुराइन की आँखों से आँसू गिरने लगता है ।

कमला पर्ची ठकुराइन के हाथ से ले के कल्लू को थमा देती है और

कमला- कल्लू जी जल्दी से ये दवाई ले के आइये मालकिन ने मगाया है , ( और भाग के फिर मालकिन के पास आती है )
कमला- मालकिन शांत हो जाइये सब ठीक हो जायेगा कुछ नहीं होगा मालिक को ,

तभी ठाकुर इंजेक्शन के असर से होश में आ जाता है और उठ के बैठ के पानी पीने को मांगता है कमला उससे पानी देती है।।।

ठाकुर- क्या हुआ था मुझे।
ठकुराइन - आप ठीक तो है न , आप को क्या हुआ है, मुझे तो कुछ समझ नहीं आ रहा ( rote हुए )
ठाकुर- अरे रोना बंद करो और साफ़ साफ़ पूरी बात बातो क्या हुआ मुझे , मै यहाँ कैसे आया। मै तो खेतो में था।
ठकुराइन - आपको नहीं याद आप बेहोश हो गए थे
( ठाकुर को कुछ कुछ याद अत है )।
ठाकुर- हां।। हां।। याद आया पता नहीं शायद गर्मी आज कुछ ज्यादा ही है ,, इस वजह से चक्केर आ गया होगा ,, इसमें इतना रोने की क्या बात है।। तुम भी न खा माँ खा ऐसे ही रोती हो।
ठकुराइन ने फिर शुरू से सर्जरी बात ठाकुर को बताई।
ठाकुर - ऐसा कहा docotor ने , रुको मै अभी उससे बात किये लेता हु आखिर क्या बात है

ठाकुर कमला को कहे के फ़ोन मांगता है और फिर आराम से काफी देर तक डॉक्टर से बात करता है।
अउर फिर फोन रख के थोड़ी देर शांत हो जाता है। ठकुराइन वही पास में बैठी चुप चाप बस बात सुनने के कोशिश कर रही होती है मगर उसको कुछ नहीं पता चलता है ,और फिर थोड़ी देर बाद वो अपनी चुप्पी तोड़ती है ,

ठकुराइन- क्या हुआ जी क्या कहा डॉक्टर ने , आप चुप को हो गए ,बोलिये तो
ठाकुर - अरे कुछ नहीं , बस ज्यादा नहीं तुम परेशान न हो मै बिलकुल ठीक हु , वैसे आज रात क्या बना रही हो।
ठकुराइन- phele आप मुझे साडी बात बतिये आप बात को ताल रहे है।। आप ऐसा को कर रहे है, क्या हुआ ,,जी ( और ठकुराइन फिर से थोड़ा रोवासी हो जाती है )
ठाकुर- ( थोड़ा डॉटते हुए ) अरे भगवान् तू फिर सुरु हो गयी मैंने कहा न कुछ नहीं हुआ , आज रात कुछ ाचा बनाओ जैसे मटन या मछली।। (कहते हुए ठाकुर तखत से उठा और अपनी बीड़ी जला के अपने बगीचे में टहलने को चला गया )
ठकुराइन- देख रही है कमला इस आदमी को बीमार है मगर बीड़ी दारु , मटन से फुर्सत नहीं है।
कमला - मालकिन आप मत परेशां होइए मालिक कुछ सोच ही रहे होंगे आप थोड़ा चाय पी के आराम कर लीजिये तब तक्क मै रात के कहने का इन्तिजाम करती हु।

ठकुराइन धीमे पॉव से अपने कमरे में चली जाती है और कमला रसोई में जा के रात के खाना बनाने में जुट जाती है।
उधर ठाकुर राजेश और कल्लू को बुलाता है,

ठाकुर- कल्लू ,,,, राजेश इधर सुनो दोनों जन
राजेश - जी मालिक
ठाकुर - अब जो मै कहे रहा हु उससे ध्यान से सुनो , कल मुझे सहर जाना है आज रात को ही तुम दोनों जीप को चेक कर लो कुछ खरबई हो तो उससे ठीक करा लो , हमें शायद सहर में एक हफ्ता या उससे ज्यादा लग सकता है , और है कल्लू तुम यही रहो गए खेतो की जिम्मेदारी तुम्हारी है एक हफ्ते के लिए , और धायण रहे कुछ गड़बड़ न हो

दोनों जन हां में सर हिलाते है , ठीक है मालिक

कल्लू- मालिक क्या आप वह सच में इलाज कराने जा रहे है क्या
ठाकुर -हां कल्लू , बीमारी है ही ऐसी नहीं गया तो दक्कत और बढ़ सकती है
कल्लू - ठीक है मालिक मै अभी चेक कर देता हु जीप को।
राजेश - है कल्लू चलो मै भी तुम्हारी मदद करता हु ,

कहते हुए दोनों अपने अपने काम में जुट जाते है उधर कमला रसोई में आज मटन बनाने की तयारी कर रही थी , ठाकुर भी कुछ देर बगीचे में टहलते हुए फिर अपने कमरे को चल देता है।
कमरे में ठकुरिन बेड पे लेती अधूरी नींद में आ चुकी थी मगर उसकी नींद दरवाजे की आवाज से खुलती है और सामने अपने पति को देखती है और उठ कड़ी हो जाती है।

ठकुराइन - बैठिये जी क्या हुआ आप कुछ बोल नहीं रहे ,
ठाकुर - अरे सास तो लेने दो तुम तो सरे सवाल दाग देती हो एक साथ , बताता हु रुको जरा
ठकुराइन - अच्छा , आप पानी लेंगे ।
ठाकुर - नहीं , सुनो पद्मा , मैंने सहर जा के इलाज करने का सोचा है तुम ज्यादा परेशान न हो , मुझे ज्यादा से ज्यादा १ हफ्ता लगेगा , तब तक तुम अपने आप को सम्भालो और घर का ध्यान रखना होगा
ठकुराइन- अच्छा जी ,
ठाकुर- हा , तुमको थोड़ा हिम्मत से काम लेना होगा और घबराना नहीं मै जल्दी ही आ जाऊंगा ,
ठकुराइन अभी भी चिंता मै डूबी हुई थी ,
ठाकुर - अरे ठकुराइन तुम तो उदास हो गयी , चलो अब एक अछि सी पप्पी दे दो , और आज रात को क्या बना रही हो।
ठकुराइन के चहरे पे हलकी सी मुसक्कन आयी और वो उठ के , बेड पे गयी और ठाकुर के गाल पे एक पप्पी दे के बोली
ठकुराइन- आपका पसंदीदा मटन
ठाकुर- अरे वाह क्या बात। चलो आज जल्दी भूक लगी है।
ठकुराइन - अआप आराम करिये मै देख के आती हु की कमला क्या कर रही है।
कहते हुए ठकुराइन थोड़ी मुस्कान के साथ गलियारे से होती हुई कमला को आवाज देते हुए रसोई के तरफ जाती है
ठकुराइन- कमला।।। आरी ओ कमला क्या कर रही है ,
कमला - जी मालकिन
ठकुराइन - क्या क्र रही है कमला , बन गया खाना आज सब जल्दी खाएँगे खाना जल्दी जल्दी हाथ चला।। ला मई भी कुछ करती हु
कमला- मालकिन बस हो गया सब काम आप लोग बइठिओइये मै खाना लगाती हु

थोड़ी देर बाद सब खाना खाने इक्कठा होते है , ठाकुर ठकुराइन एक साथ टेबल पे और कल्लू राजेश नीचे जमीन पे बैठे थे कमला सब को खाना खिलाती है , कमला के हाथ का मटन काफी बढ़िया बना था ठाकुर और ठकुराइन दोनों उसकी तारीफ करते है और खाना कहते वक़्क़क्त अपने बेटे अमन से फ़ोन पे बात कर के साडी बात उससे बताते है ,सब अपने कमरे चले जतए है सोने के लिए , उसके बाद कमला बचा हुआ काम कर के खाना कहती है , और अपने कमरे मै सोने को चली जाती है।
कमला का कमरा रसोई के साथ मै ही था , जबकि कल्लू और राजेश का कमरा नीचे था और ठाकुर ठकुराइन का बेड रूम ऊपर था बालकनी के साथ वाला वैसे तो पुरे बांगले मै कई कमरे थे मगर ज्यादा तर मै सामान और कुछ कमरे मेहमानो के लिए थे। खेर आज के लम्बे दिन के बाद एक सांत नींद काफी आराम दायक थी सब अपने आप को थका मन के जल्दी ही सोने चले जाते है।
 
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Mass

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Where is part 1? earlier in the morning i had seen part 1..now not seen. Delete kar diya hain kya?
 
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