मैंने भी धीरे से कहा- कभी नही अम्मा, तू चिंता मत कर…...तुझे आते हुए किसी ने देखा तो नही।
अम्मा ने फिर धीरे से कहा- नही…..तेरे दादा दादी ओसारे में सो रहे हैं
ठंड न जाने कहाँ एक पल के लिए गायब हो गयी थी, मैंने अम्मा को कस के अपने से चिपका लिया, आज फिर मैंने उनके मुंह से सिसकी सुनी तो मेरा लंड तौलिए में फुंकार मारकर खड़ा हो गया, वो सिसकारी लेकर मुझसे लिपट गयी, मैं उन्हें चूमने लगा, उनकी सांसे तेजी से ऊपर नीचे होने लगी। कितना अजीब सा सेंसेशन पूरे बदन में दोनों माँ बेटे के हो रहा था, दोनों की गरम गरम सांसें एक दूसरे के चेहरे पर टकरा रही थी, गालों को चूमने के बाद मैंने जैसे ही उनके होंठों पर अपने होंठ रखे मेरा पूरा जिस्म उत्तेजना से कांप गया, आज पहली बार महसूस हुआ कि अपनी सगी माँ के होंठ चूमने पर कैसा लगता है। इस उत्तेजना की कोई तुलना नही है, मैं उनके होंठों को चूमने लगा और वो मेरा साथ देने लगी, होंठों को चूमते चूमते जब मैंने अपना हाँथ उनके नितंबों पर रखा तो उनके बदन में अजीब सी थिरकन हुई, अपनी ही माँ के नितंब छूकर भी मुझे विश्वास नही हो रहा था, मैंने जैसे ही उनके नितंबों को दबाया वो सिसक कर मुझसे कस के लिपट गयी, मैंने उन्हें बाहों में उठाया और अंधेरे में ही बिस्तर पर लिटाया, और "ओह अम्मा" कहते हुए उनके ऊपर चढ़ गया और ऊपर से रजाई ओढ़ ली, "धीरे से बोल" ऐसा कहते हुए उन्होंने मुझे अपने आगोश में भर लिया, रजाई के अंदर दोनों एक दूसरे से लिपट गए, मेरा लंड लोहे की तरह तनकर जैसे ही उनकी बूर के ऊपर चुभा वो मुझसे लजाकर और लिपटती चली गयी, मैं उनके गालों, गर्दन, कान, माथा, नाक, आंख, ठोढ़ी पर ताबड़तोड़ चुम्बनों की बरसात करने लगा, वो धीरे धीरे कसमसाते हुए सिसकने लगी।
जैसे ही मैंने दुबारा उनके होंठों पर अपने होंठ रखे उन्होंने मेरे बालों को सहलाते हुए मेरे होंठों को चूमना शुरू कर दिया, चूमते चूमते मैंने अपनी जीभ जैसे ही उनके होंठों से छुवाई उनके होंठ खुलते चले गए और मैंने जैसे ही अपनी जीभ उनके मुंह में डाली दोनों सिरह उठे, वो मेरी जीभ को चूसने लगी मैंने महसूस किया कि उनकी बूर उत्तेजना में सुंकुचन कर रही थी, कभी वो मेरी जीभ को चूसती तो कभी मैं उनकी जीभ से खेलने लगता, एकएक मेरा हाँथ उनकी चूची पर गया तो वो फिर सिसक उठी, मुझसे रहा नही गया तो मैं ब्लॉउज के बटन खोलने लगा, अंधेरे में कुछ दिख नही रहा था, किसी तरह ब्लॉउज के बटन खोला तो अम्मा ने खुद ही उसे निकाल कर बगल रख दिया, अब वो खाली ब्रा में थी, मेरा तो दिल उनकी 36 साइज की उत्तेजना में तनी हुई दोनों चूचीयों को महसूस कर बदहवास सा हो गया, जल्दी से मैंने ब्रा को ऊपर उठाया तो मोटी मोटी चूचीयाँ उछलकर बाहर आ गयी, जिनपर अंधेरे में मुँह लगाकर मैंने उन्हें काफी देर महसूस किया और अम्मा मुझे उत्तेजना में सिसकते हुए अपनी चूची पर दबाने लगी।
मैं तो आज रात सातवें आसमान में था, सोचा न था कि नियति मुझपे इतनी महेरबान होगी, जब देगी तो छप्पड़ फाड़ के देगी। रजाई के अंदर मैं अपनी अम्मा की चूची को मुंह मे भरकर पीने और दबाने लगा, वो न चाहते हुए भी अब सिसकने लगी, अपने दांतों को होंठों से काटने लगी, उनके निप्पल उत्तेजना में तनकर किसी काले अंगूर की तरह हो चुके थे, उनकी दोनों चूचीयाँ फूलकर किसी गुब्बारे की तरह हो चुकी थी, एकएक मैंने अपना हाँथ उनकी नाभि पर रखा तो वो समझ गयी कि अब मैं किस तरफ बढ़ रहा हूँ, मैंने जैसे ही अपना हाँथ उनकी साड़ी की गांठ पर रखा और हल्का सा अंदर सरकाया तो उन्होंने मेरा हाँथ शर्माते हुए पकड़ लिया, मैंने धीरे से बोला- एक बार दिखा दो अम्मा।
वो थोड़ी देर चुप रहीं, मैं फिर बोला- दिखा दो न अम्मा, मैंने कभी देखा नही है।
अम्मा धीरे से बोली- मुझे शर्म आती है।
मैं- बस एक बार जल्दी से।