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भाग ३३
चेतन अविनाश और शिवानी तेज कदमो से चलते हुए होटल MKB मे पहुच चुके थे और राहुल उनको बाहर रिसेप्शन के पास ही खड़ा मिल गया और राहुल ने उनको तेजी से अपनी और आते देख पूछा
राहुल-इतनी देर कहा लगा दी?
चेतन-लम्बी कहानी है, रास्ते मे कुछ ज्यादा ही एक्शन हो गया था
राहुल-गेट वे गन लाये हो?
चेतन(काला बैग दिखाकर)- हा वो तो हम लाये ही है लेकिन क्या तुम पक्के तौर पर कह सकते हो की ब्लैक होल कुछ समय तक प्रकट होकर अपने आप बंद हो जायेगा? अगर कालदूत को अपने भीतर खींचने के बाद भी ये बंद नहीं हुआ तो? अगर पृथ्वी हमारी वजह से खतरे मे आ गयी तब क्या होगा?
राहुल-देखो दोस्त, जब ये गन बन रही थी तो मैं भी बाकि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर प्रोसेसिंग देख रहा था तो मैं पूरी तरह से आश्वस्त हु के ब्लैक होल कुछ ही क्षणों के लिए खुलेगा उम बस इसकी दुआ करो की उतने समय मे हम कालदूत को उसमे कैद करने मे सफल हो जाये, बस अपना निशाना सही रखना, द्वार कालदूत के आसपास ही खुलना चाहिए, वो बहुत ताकतवर है और जरा सी भी चुक हमारी मौत का कारण बनेगी रुकोमें उसकी पोजीशन देख लेता हु
फिर राहुल ने अपनी जेब से एक लोकेटर यंत्र निकला और उसमे ध्यान से देखते हुए बोला
राहुल-ये कच्छ का रण मरुस्थल ७५०० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल मे फैला हुआ है लेकिन सबसे तेज तामसिक उर्जा का सिग्नल यहाँ से कुछ की दूर पश्चिम दिशा के वीरान रेगिस्तान से कैच हो रहा है वह कुछ छोटे छोटे गाँव भी है कालदूत वही होगा
अविनाश-ठीक है अब ज्यादा समय नष्ट मत करो अगर राघव पहुच गया तो बेकार मे काम मे बाधा आएगी
वो लोग राहुल को साथ लेकर होटल से निकल गए और उनके निकलने के कुछ देर बाद राघव और बाकि सब भी होटल पहुच गए
रूद्र-यहाँ तो आसपास कोई नजर नहीं आ रहा
रमण-लगता है वो लोग राहुल को साथ लेकर कालदूत से भिड़ने निकल गए है
रूद्र-राहुल कुछ समय के लिए यहाँ रुका था तो हो सकता है उसने किसी रूम मे चेक इन किया हो?
रमण-चलो चलकर रिसेप्शन पर पूछते है
उनलोगों ने जाकर रिसेप्शन पर राहुल के बारे मैं पूछा पर रिसेप्शन ने उन्हें बता ने मन कर दिया जिसके बाद संजय ने एक २००० का नोट उस आदमी को दिए और उसने सारी बात बता दी
रिसेप्शनिस्ट(नोट लेकर)-हा सर किसी राहुल नाम के लड़के ने कुछ समय पहले ही चेक आउट किया है वो यही कुछ लोगो का इंतजार कर रहा था और वो बडी अजीब बाते कर रहे थे जैसे कोई ‘गेटवे’ ‘ कालदूत’ ‘बालकक होल’ पता नहीं क्या क्या मेरे पल्ले बस इतना पड़ा के वो लोग पश्चिम दिशा के सुनसान रेगिस्तान मैं जाने की बात कर रहे थे
राघव-क्या वो इलाका पूरी तरह से सुनसान है?
रिसेप्शनिस्ट-नहीं पूरी तरफ नहीं वहा कुछ छोटे मोटे गाँव बसे हुए है
राघव-पता चल गया है वो लोग कहा पर है, अब हमको बिना देर किया यहाँ से निकलना चाहिए, वे मुर्ख कालदूत से निपटने के लिए खुद ही मुसीबत बनते जा रहे है, अगर उसका यंत्र वाकई ब्लैक होल उत्पन्न कर सकता है तो नजाने पपृथ्वी का क्या होगा
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रण के दूर दराज के इलाके मे बसा एक छोटा सा गाँव जो शहर और बाकि आसपास के गांवों से थोडा कटा हुआ था, गाँव की सीमा कर लल्लन पान वाले की एक छोटी सी दुकान थी और वहा कुछ दो चार लोग खड़े बातचीत कर रहे थे
विनोद-भाई सरकार का दावा है के इस बार अपने गाँव मे बिजली पानी की व्यस्था आ ही जाएगी
मनोज-अरे भैया अभी १० घंटे आ जाये बस काफी है फ़िलहाल तो हालात इतने ख़राब है की लोग गाँव छोड़कर शहर की तरफ भाग रहे है
लल्लन-अरे वो सब छोडो भैया ये बताओ की आज दुकान ज्यादा देर तक खोलना ठीक रहेगा या नहीं? क्युकी कुछ दिनों से मौसन बड़ा ख़राब चल रहा है, दिन मे मानो शाम हो गयी हो, हमें लग रहा है आज तेज आंधी तूफान आने वाला है
विनोद-अरे क्यों मनहूसियत की बाते कर रहे हो पहले ही हमारी मुसीबते कम है क्या जो अब आंधी तूफान भी झेले?
तभी अचानक ही तेज बिजली चमकी और पुरे गाँव की बिजली चली गयी, हालाँकि दिन मैं बिजली जाने का पता कम ही लगता था पर आसमान मे घने बादल होने की वजह से दिन मे शाम वाला माहोल हो गया था
लल्लन-लो भाई आ गयी २४ घंटे बिजली, हा हा हा
विनोद-जब तक सरकार मैं निकम्मे लोग रहेंगे यही हाल रहेगा
मनोज-वैसे इस टाइम तो बिजली हमेशा रहती है आज क्या हुआ
विनोद-हम्म, बात तो सही है कटिया चोर रघु का काम तो नह्जी है ये?
तभी दूर से सबको रघु आता दिखा
रघु-अरे भैया हम ये सब गलत काम छोड़ दिए है हम बिजली विजली नहीं चुराते अब
विनोद-फिर कोई नया होगा
तभी शांत वातावरण मे कुत्तो बिल्लियों के रोने की आवाजे एक साथ गूंजने लगी
लल्लन-अब ये सब क्यों चिल्लम चिल्ली मचा रहे है?
विनोद-सब एकसाथ रो रहे है कोई बड़ा अपशगुन है
मनोज-ये कैसी बाते कर रहे हो
तभी सबको गाँव के बाहरी हिस्से से दो जानवरनुमा अकृतिया गाँव के भीतर की और आतियो दिखी. दूर होने के कारण पहले तो किसी को स्पष्ट कुछ नहीं दिखा पर वो तेजी से आगे बढ़ रही थी
विनोद-अबे ये क्या है?
रघु-भ....भैया...ये तो बड़े जानवर से लग रहे है
उन दो जानवरों को पास आते देर नहीं लगी, ये वही दो मछुवारे थे जो कालदूत की शक्ति के प्रभाव से दरिंदे बन चुके थे, उनका भयानक स्वरुप देख कर लल्लन की दुकान पर बैठे लोगो के पैरो तले जमीन खिसक गयी
मनोज-भ..भागो....
विनोद-हा हा जल्दी भागो!
मनोज और विनोद उन मछुवारो के वहा पहुचने के पहले ही भाग चुके थे पर लल्लन और रघु की किस्मत उतनी अच्छी नहीं थी, उनकी जोरदार चीखे तेजी से भागते मनोज और विनोद के कानो मे पड़ी लेकिन वो पीछे नहीं मुड़े और भागते हुए सीधे ठाणे पहुचे जहा इंस्पेक्टर सीताराम आराम से पैर पसरकर बैठा था, मनोज और विनोद दौड़ते हुए अंदर गए, पसीने से तरबतर हाफते हुए
सीताराम-अबे क्या तूफानमेल की तरफ आ रिये हो
विनोद-वो..रघु और लल्लन, वो दोनों...
सीताराम-रघु? फिर से बिजली चोरी के धंदे पर लग गया क्या?
मनोज-नहीं साब! मारा गया, दोनों मारे गए
सीताराम-मारे गए? किसने मारा?
वोनोद-दो जानवर थे, पता नहीं क्या थे
सीताराम-जानवर? अबे यहाँ आजतक कभी लकड़बग्घे को भी घूमते देखा है? एक तो बिजली नहीं ऊपर से तुम दोनों गांजा मार्के आ गए दिमाग का दही करने
मनोज-सच बोल रहे है हम आप चलिए हमारे साथ अगर कुछ नहीं रहा तो अंदर कर देना
सीताराम-ठीक है, गाड़ी निकाल प्रजापति चल थोडा टहल के आया जाये
पुलिस जीप मैं बैठकर वो सब लोग लल्लन की दुकान पर पहुचे तो वहा का नजारा दिल देहला देने वाला था, सामने लल्लन और रघु के लाशे पड़ी हुयी थी और वो दो मछुवारे उनका सीना चिर कर दिल निकालकर खा रहे थे, ये देखकर जीप मैं बैठे हर व्यक्ति की हालत ख़राब हो गयी, जीप उनसे बस १० कदम दूर थी
सीताराम- प्रजापति ब..बन्दूक निकाल, अबे जल्दी कर!
प्रजापति भी बुरी तरफ घबराया हुआ था वो बोला
प्रजापति-साहब! वहा जाना जरुरी है क्या मैं तो कहता ही गाड़ी निकालो और निकलते है यहाँ से
सीताराम(दांत भींचकर)- अबे गाड़ी भागकर जायेगा कहा इनके यहाँ नहीं रोका तो गाँव मे घुसकर पता नहीं कितने लोगो को मार दे
सीताराम की बात प्रजापति को ठीक लगी, वो दोनों और बाकि दो हवलदार धीरे धीरे सावधानी से जीप से निचे उतरे लेकिन उनकी आहात राक्षसरूपी मछुवारो को मिल गयी लेकिन इससे पहले की वो किसी की तरफ बढ़ते धडाधड गोलिया चलने लगी, एक मछुवारे के शारीर को तो एक साथ कई गोलियों ने छलनी कर डाला लेकिन दूसरा मछुवारा फुर्तिसे बचकर आगे खड़े हवलदार के पास पंहुचा और पंजा मारकर उसकी गर्दन चिर डाली, मुह से खून फेकते हवलदार का शारीर कठोर धरातल से जा टकराया, ये खतरनाक दृश्य देख कर बाकि सब और भी बुरी तरह डर गए फिर आँखों मे अंगारे लिए वो दरिंदा बाकि सब की तरफ बढ़ा, उसका शारीर हवा मे उछला ही था के सीताराम ने निशाना लगा कर उसपर गोली चलायी और गोली उसके पेट को चीरती हुयी निकल गयी, मौका देखकर बाकियों ने भी उसपर गोलिया चलाना शुरू किया और उसका हश्र भी पहले वाले मछुवारे जैसा हुआ, अब उन दोनों मछुवारो का निर्जीव शारीर धरातल पर पड़े हुए थे, उनका विचित्र स्वरुप देखकर बाकि सब भी हैरान थे
सीताराम-ये आखिर है क्या चीज़? इंसान जैसे जानवर?
प्रजापति-ये तो राक्षस जैसे लग रहे है, ऐसे प्राणी न तो कभी देखे न सुने
तभी उन सबसे सामने से आते काले चोगे वाले नकाबपोश लोगो को देखा, जिसमे सबसे आगे संतोष था
वही दूसरी तरफ कालदूत अपनी तपस्या से जान चूका था और उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी, कालदूत खड़ा होकर अपने हठी को हवा मे इधर उधर घुमा रहा था और अचानक ही उसका हाथ एक जगह पर रुक गया और उसके चेहरे पर एक भयानक मुस्कान फैलती चली गयी और वो अपनी प्रभावशाली गंभीर आवाज मे बोला “आख़िरकार मुझे दूसरी दुनिया का आयाम द्वार मिल ही गया, अब मुझे इसे अपनी शक्तियों से खोलना चाहिए”
उसके हाथो से एक तरंग निकली जिसने कुछ दूर जाकर हवा मे एक गोल उज घेरा बना लिया
कालदूत-हा हा हा! बस कुछ देर की बात है और फिर इस आयाम से आजाद हो जायेंगे मेरे गुलाम प्राणी जो इस पृथ्वी को गुलाम बनाने की क्षमता रखते है, अब जरा ये भी देख लू के मेरे भक्त क्या कर रहे है.......
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