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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

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भाग ३३


चेतन अविनाश और शिवानी तेज कदमो से चलते हुए होटल MKB मे पहुच चुके थे और राहुल उनको बाहर रिसेप्शन के पास ही खड़ा मिल गया और राहुल ने उनको तेजी से अपनी और आते देख पूछा

राहुल-इतनी देर कहा लगा दी?

चेतन-लम्बी कहानी है, रास्ते मे कुछ ज्यादा ही एक्शन हो गया था

राहुल-गेट वे गन लाये हो?

चेतन(काला बैग दिखाकर)- हा वो तो हम लाये ही है लेकिन क्या तुम पक्के तौर पर कह सकते हो की ब्लैक होल कुछ समय तक प्रकट होकर अपने आप बंद हो जायेगा? अगर कालदूत को अपने भीतर खींचने के बाद भी ये बंद नहीं हुआ तो? अगर पृथ्वी हमारी वजह से खतरे मे आ गयी तब क्या होगा?

राहुल-देखो दोस्त, जब ये गन बन रही थी तो मैं भी बाकि वैज्ञानिकों के साथ मिलकर प्रोसेसिंग देख रहा था तो मैं पूरी तरह से आश्वस्त हु के ब्लैक होल कुछ ही क्षणों के लिए खुलेगा उम बस इसकी दुआ करो की उतने समय मे हम कालदूत को उसमे कैद करने मे सफल हो जाये, बस अपना निशाना सही रखना, द्वार कालदूत के आसपास ही खुलना चाहिए, वो बहुत ताकतवर है और जरा सी भी चुक हमारी मौत का कारण बनेगी रुकोमें उसकी पोजीशन देख लेता हु

फिर राहुल ने अपनी जेब से एक लोकेटर यंत्र निकला और उसमे ध्यान से देखते हुए बोला

राहुल-ये कच्छ का रण मरुस्थल ७५०० वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल मे फैला हुआ है लेकिन सबसे तेज तामसिक उर्जा का सिग्नल यहाँ से कुछ की दूर पश्चिम दिशा के वीरान रेगिस्तान से कैच हो रहा है वह कुछ छोटे छोटे गाँव भी है कालदूत वही होगा

अविनाश-ठीक है अब ज्यादा समय नष्ट मत करो अगर राघव पहुच गया तो बेकार मे काम मे बाधा आएगी

वो लोग राहुल को साथ लेकर होटल से निकल गए और उनके निकलने के कुछ देर बाद राघव और बाकि सब भी होटल पहुच गए

रूद्र-यहाँ तो आसपास कोई नजर नहीं आ रहा

रमण-लगता है वो लोग राहुल को साथ लेकर कालदूत से भिड़ने निकल गए है

रूद्र-राहुल कुछ समय के लिए यहाँ रुका था तो हो सकता है उसने किसी रूम मे चेक इन किया हो?

रमण-चलो चलकर रिसेप्शन पर पूछते है

उनलोगों ने जाकर रिसेप्शन पर राहुल के बारे मैं पूछा पर रिसेप्शन ने उन्हें बता ने मन कर दिया जिसके बाद संजय ने एक २००० का नोट उस आदमी को दिए और उसने सारी बात बता दी

रिसेप्शनिस्ट(नोट लेकर)-हा सर किसी राहुल नाम के लड़के ने कुछ समय पहले ही चेक आउट किया है वो यही कुछ लोगो का इंतजार कर रहा था और वो बडी अजीब बाते कर रहे थे जैसे कोई ‘गेटवे’ ‘ कालदूत’ ‘बालकक होल’ पता नहीं क्या क्या मेरे पल्ले बस इतना पड़ा के वो लोग पश्चिम दिशा के सुनसान रेगिस्तान मैं जाने की बात कर रहे थे

राघव-क्या वो इलाका पूरी तरह से सुनसान है?

रिसेप्शनिस्ट-नहीं पूरी तरफ नहीं वहा कुछ छोटे मोटे गाँव बसे हुए है

राघव-पता चल गया है वो लोग कहा पर है, अब हमको बिना देर किया यहाँ से निकलना चाहिए, वे मुर्ख कालदूत से निपटने के लिए खुद ही मुसीबत बनते जा रहे है, अगर उसका यंत्र वाकई ब्लैक होल उत्पन्न कर सकता है तो नजाने पपृथ्वी का क्या होगा

------------

रण के दूर दराज के इलाके मे बसा एक छोटा सा गाँव जो शहर और बाकि आसपास के गांवों से थोडा कटा हुआ था, गाँव की सीमा कर लल्लन पान वाले की एक छोटी सी दुकान थी और वहा कुछ दो चार लोग खड़े बातचीत कर रहे थे

विनोद-भाई सरकार का दावा है के इस बार अपने गाँव मे बिजली पानी की व्यस्था आ ही जाएगी

मनोज-अरे भैया अभी १० घंटे आ जाये बस काफी है फ़िलहाल तो हालात इतने ख़राब है की लोग गाँव छोड़कर शहर की तरफ भाग रहे है

लल्लन-अरे वो सब छोडो भैया ये बताओ की आज दुकान ज्यादा देर तक खोलना ठीक रहेगा या नहीं? क्युकी कुछ दिनों से मौसन बड़ा ख़राब चल रहा है, दिन मे मानो शाम हो गयी हो, हमें लग रहा है आज तेज आंधी तूफान आने वाला है

विनोद-अरे क्यों मनहूसियत की बाते कर रहे हो पहले ही हमारी मुसीबते कम है क्या जो अब आंधी तूफान भी झेले?

तभी अचानक ही तेज बिजली चमकी और पुरे गाँव की बिजली चली गयी, हालाँकि दिन मैं बिजली जाने का पता कम ही लगता था पर आसमान मे घने बादल होने की वजह से दिन मे शाम वाला माहोल हो गया था

लल्लन-लो भाई आ गयी २४ घंटे बिजली, हा हा हा

विनोद-जब तक सरकार मैं निकम्मे लोग रहेंगे यही हाल रहेगा

मनोज-वैसे इस टाइम तो बिजली हमेशा रहती है आज क्या हुआ

विनोद-हम्म, बात तो सही है कटिया चोर रघु का काम तो नह्जी है ये?

तभी दूर से सबको रघु आता दिखा

रघु-अरे भैया हम ये सब गलत काम छोड़ दिए है हम बिजली विजली नहीं चुराते अब

विनोद-फिर कोई नया होगा

तभी शांत वातावरण मे कुत्तो बिल्लियों के रोने की आवाजे एक साथ गूंजने लगी

लल्लन-अब ये सब क्यों चिल्लम चिल्ली मचा रहे है?

विनोद-सब एकसाथ रो रहे है कोई बड़ा अपशगुन है

मनोज-ये कैसी बाते कर रहे हो

तभी सबको गाँव के बाहरी हिस्से से दो जानवरनुमा अकृतिया गाँव के भीतर की और आतियो दिखी. दूर होने के कारण पहले तो किसी को स्पष्ट कुछ नहीं दिखा पर वो तेजी से आगे बढ़ रही थी

विनोद-अबे ये क्या है?

रघु-भ....भैया...ये तो बड़े जानवर से लग रहे है

उन दो जानवरों को पास आते देर नहीं लगी, ये वही दो मछुवारे थे जो कालदूत की शक्ति के प्रभाव से दरिंदे बन चुके थे, उनका भयानक स्वरुप देख कर लल्लन की दुकान पर बैठे लोगो के पैरो तले जमीन खिसक गयी

मनोज-भ..भागो....

विनोद-हा हा जल्दी भागो!

मनोज और विनोद उन मछुवारो के वहा पहुचने के पहले ही भाग चुके थे पर लल्लन और रघु की किस्मत उतनी अच्छी नहीं थी, उनकी जोरदार चीखे तेजी से भागते मनोज और विनोद के कानो मे पड़ी लेकिन वो पीछे नहीं मुड़े और भागते हुए सीधे ठाणे पहुचे जहा इंस्पेक्टर सीताराम आराम से पैर पसरकर बैठा था, मनोज और विनोद दौड़ते हुए अंदर गए, पसीने से तरबतर हाफते हुए

सीताराम-अबे क्या तूफानमेल की तरफ आ रिये हो

विनोद-वो..रघु और लल्लन, वो दोनों...

सीताराम-रघु? फिर से बिजली चोरी के धंदे पर लग गया क्या?

मनोज-नहीं साब! मारा गया, दोनों मारे गए

सीताराम-मारे गए? किसने मारा?

वोनोद-दो जानवर थे, पता नहीं क्या थे

सीताराम-जानवर? अबे यहाँ आजतक कभी लकड़बग्घे को भी घूमते देखा है? एक तो बिजली नहीं ऊपर से तुम दोनों गांजा मार्के आ गए दिमाग का दही करने

मनोज-सच बोल रहे है हम आप चलिए हमारे साथ अगर कुछ नहीं रहा तो अंदर कर देना

सीताराम-ठीक है, गाड़ी निकाल प्रजापति चल थोडा टहल के आया जाये

पुलिस जीप मैं बैठकर वो सब लोग लल्लन की दुकान पर पहुचे तो वहा का नजारा दिल देहला देने वाला था, सामने लल्लन और रघु के लाशे पड़ी हुयी थी और वो दो मछुवारे उनका सीना चिर कर दिल निकालकर खा रहे थे, ये देखकर जीप मैं बैठे हर व्यक्ति की हालत ख़राब हो गयी, जीप उनसे बस १० कदम दूर थी

सीताराम- प्रजापति ब..बन्दूक निकाल, अबे जल्दी कर!

प्रजापति भी बुरी तरफ घबराया हुआ था वो बोला

प्रजापति-साहब! वहा जाना जरुरी है क्या मैं तो कहता ही गाड़ी निकालो और निकलते है यहाँ से

सीताराम(दांत भींचकर)- अबे गाड़ी भागकर जायेगा कहा इनके यहाँ नहीं रोका तो गाँव मे घुसकर पता नहीं कितने लोगो को मार दे

सीताराम की बात प्रजापति को ठीक लगी, वो दोनों और बाकि दो हवलदार धीरे धीरे सावधानी से जीप से निचे उतरे लेकिन उनकी आहात राक्षसरूपी मछुवारो को मिल गयी लेकिन इससे पहले की वो किसी की तरफ बढ़ते धडाधड गोलिया चलने लगी, एक मछुवारे के शारीर को तो एक साथ कई गोलियों ने छलनी कर डाला लेकिन दूसरा मछुवारा फुर्तिसे बचकर आगे खड़े हवलदार के पास पंहुचा और पंजा मारकर उसकी गर्दन चिर डाली, मुह से खून फेकते हवलदार का शारीर कठोर धरातल से जा टकराया, ये खतरनाक दृश्य देख कर बाकि सब और भी बुरी तरह डर गए फिर आँखों मे अंगारे लिए वो दरिंदा बाकि सब की तरफ बढ़ा, उसका शारीर हवा मे उछला ही था के सीताराम ने निशाना लगा कर उसपर गोली चलायी और गोली उसके पेट को चीरती हुयी निकल गयी, मौका देखकर बाकियों ने भी उसपर गोलिया चलाना शुरू किया और उसका हश्र भी पहले वाले मछुवारे जैसा हुआ, अब उन दोनों मछुवारो का निर्जीव शारीर धरातल पर पड़े हुए थे, उनका विचित्र स्वरुप देखकर बाकि सब भी हैरान थे

सीताराम-ये आखिर है क्या चीज़? इंसान जैसे जानवर?

प्रजापति-ये तो राक्षस जैसे लग रहे है, ऐसे प्राणी न तो कभी देखे न सुने

तभी उन सबसे सामने से आते काले चोगे वाले नकाबपोश लोगो को देखा, जिसमे सबसे आगे संतोष था

वही दूसरी तरफ कालदूत अपनी तपस्या से जान चूका था और उसके चेहरे पर एक विजयी मुस्कान थी, कालदूत खड़ा होकर अपने हठी को हवा मे इधर उधर घुमा रहा था और अचानक ही उसका हाथ एक जगह पर रुक गया और उसके चेहरे पर एक भयानक मुस्कान फैलती चली गयी और वो अपनी प्रभावशाली गंभीर आवाज मे बोला “आख़िरकार मुझे दूसरी दुनिया का आयाम द्वार मिल ही गया, अब मुझे इसे अपनी शक्तियों से खोलना चाहिए”

उसके हाथो से एक तरंग निकली जिसने कुछ दूर जाकर हवा मे एक गोल उज घेरा बना लिया

कालदूत-हा हा हा! बस कुछ देर की बात है और फिर इस आयाम से आजाद हो जायेंगे मेरे गुलाम प्राणी जो इस पृथ्वी को गुलाम बनाने की क्षमता रखते है, अब जरा ये भी देख लू के मेरे भक्त क्या कर रहे है.......
 
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Adirshi

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भाग ३४


जब सीताराम ने उन काले चोगे वाले लोगो को आते देखा तो उसे कुछ समझ नहीं आया तो वो तुरंत उनकी तरफ अपनी बन्दूक तानकर खड़ा हो गया लेकिन संतोष ने telekinesis द्वारा उसकी बंदूक गिरवा दी तभी अचानक तेज हवाए चलने लगी, हवा की मार इतनी तेज थी के खड़े रहना भी मुश्किल लग रहा था, बिजली की तेज गडगडाहट और तेज रेतीली आंधी के कारण गांववाले भी बुरी तरह आशंकित हो गए थे

सीताराम ने आगे बढ़कर घबराते हुए पूछा

सीताराम-क...कौन हो तुम लोग? और क्या चाहते हो?

तब संतोष अपनी बुलंद आवाज मे बोला

संतोष-गाँव वालो! तुमको कालसेना की तरफ से ये सुचना दी जाती है की हमारे देवता कालदूत लाखो वर्षो की कैद से बाहर आ चुके है, वे तुम्हे वो सब देंगे जो तुम जीवन मे पाना चाहते हो उसके लिए तुम सभी अलग अलग धर्मो और संप्रदाय के लोगो को आज से सिर्फ एक ही इश्वर की पूजा करनी होगी और वे होंगे महान कालदूत!

सीताराम-और अगर हमने ऐसा नहीं किया तो

संतोष(कुटिलता से सीताराम की और देखकर)-तो फिर तुम्हारे इस छोटे से गाँव का नामोनिशान मिटा दिया जायेगा, हर उस जगह का नामोनिशान मिटा दिया जायेगा जहा लोग हमारे इश्वर की भक्ति को अस्वीकार करेंगे

शोर शराबे के कारण बाकि गांववाले भी बाहर निकल आये थे और संतोष की बाते और कालसेना की अजीब वेशभूषा देखकर वो हसने लगे तभी संतोष ने अपना एक हाथ हवा मैं घुमाया और एक गांववाले की गर्दन धड से अलग हो गयी और ये देखकर वहा मौजूद सभी घबरा गए

संतोष(मुस्कुराते हुए)- तुम सबको अपनी जान बचने का एक मौका दिया गया लेकिन लगता है तुममे से कोई भी अपने प्राणों को लेकर गंभीर नहीं है, खैर तुम सबकी जान लेने मे मजा आएगा

तभी कही से आवाज आई “रुक जाओ!”

सभी गांववाले और कालसेना का ध्यान उस तरफ गया जहा रेत का टीला थोडा सा उठा हुआ था और उसके उपर खड़े थे चारो हिडन वार्रोर्स- चेतन, अविनाश, शिवानी और राहुल

संतोष-अब तुम लोग कौन हो?

चेतन-हिडन वारियर्स का नाम तो सुना ही होगा तुमने

संतोष-वो तो लगभग हर कालसैनिक ने सुना है सभी कल्सैनिको को तुम्हारे बारे मे पता है पर तारीफ़ करनी होगी तुम्हारी संस्था की जो इतने सालो से हमारी नाक मे दम कर रखा है पर अब हमारे प्रभि आजाद है अब तुममे से कोई हमारा कुछ नहीं बिगाड़ सकता

अविनाश-मानवता को हराने मे कोई सफल नहीं हो सकता न तुम न तुम्हारा भगवान

संतोष-वाकई? जरा हम भी देखे तुम चार क्या कर सकते हो

संतोष ने अपना हाथ हवा मे उठाया और अविनाश ने अपनी छाती पर दबाव महसूस किया

अविनाश-ये लोग telekinesis का इस्तमाल कर रहे है अपना हथीयार निकालो राहुल

राहुल ने अपने बैग से एक विशेष प्रकार की रॉड निकली और उस रेगिस्तानी रेतीली जमीन पर गाड दी, उस यांत्रिक रॉड ने अपने आप उस रेतीले धरातल पर अपनी पकड़ बना ली

संतोष-हा हा हा! कुछ नहीं हुआ तुम्हारे इस हथीयार से अब मरने के लिए तयार.......अरे, telekinesis क्यों काम नहीं कर रहा?

राहुल-ये रॉड वातावरण मे फैली हर प्रकार की ताकतवर तामसिक उर्जकिरनो को काट सकती है, तुम्हारी शक्तिया कालदूत की दें है और वो भी इसलिए की तुम उससे मानसिक रूप से जुड़े हुए हो अब अब तुम्हारा संपर्क कालदूत से टूट गया है, अब तुमको हमसे पीटना पड़ेगा

वही कालदूत भी अपने गुलामो को आजाद करके इनकी तरफ बढ़ रहा था

कालसेना और हिडन वारियर्स तेज़ कदमों से एक दूसरे की तरफ बढ़ रहे थे


चेतन - तैयार हो जाओ दोस्तों, इनके पास telekinesis भले ही न हो लेकिन असाधारण शारीरिक बल अभी भी है हमें पूरी जान लगाकर इनसे भिड़ना होगा


अविनाश- अगर ये शक्तिशाली हैं तो हम भी अपनी आर्गेनाइजेशन के सबसे प्रशिक्षित योद्धा हैं। हमसे पार पाना इनके लिए इतना आसान ना होगा



एक कालसैनिक अवनीश की तरफ बढ़ा और उसके चेहरे पर तेज़ मुक्का मारने का प्रयास किया लेकिन अवनीश तेज़ी से नीचे झुककर बच गया और उस कालसैनिक के घुटनों पर तेज़ लात मारी जिससे वह पीछे गिर पड़ा। चेतन और शिवानी भी असाधारण फुर्ती से अपने विरोधियों से बच रहे थे और साथ ही साथ वार भी कर
रहे थे लेकिन लड़ते लड़ते ही अचानक एक कालसैनिक का लोहे जैसा घूंसा चेतन के चेहरे पर पड़ा और उसने अपने मुंह से खून फेंक दिया वह ज़मीन पर बैठ गया, तेज़ मुक्के के कारण कुछ पलों के लिए उसके आंखों के आगे अंधकार छा गया था। शिवानी का ध्यान भी अचानक घायल चेतन की तरफ चला गया जिसके कारण
दो कालसैनिको ने उसे पकड़ लिया, उनकी बेहिसाब ताकत के कारण उनकी पकड़ से छूटना उसके लिए मुश्किल था, कई सारे कालसैनिक अवनीश की तरफ भी बढ़ते चले जा रहे थे कि तभी अचानक एक ऊर्जा ब्लास्ट हुआ और एक कालसैनिक के शरीर के चिथड़े हो गए



राहुल ने एक विचित्र सी गन निकाल ली थी जिससे वह एक एक करके कालसैनिको को निशाना बना रहा था उसने एक गन अवनीश की तरफ भी फेंक दी जिससे सबसे पहले अवनीश ने उन कालसैनिको को निशाना बनाया जिन्होंने चेतन और शिवानी को पकड़ रखा था और उसके बाद वे एक एक करके सभी कालसैनिको को निशाना बनाने लगे।





राहुल ने गन चलाते हुए अवनीश से पूछा



राहुल-मेरी ब्लास्टर कैसी लगी भाई? यह एक बार में पूरी फौज को उड़ा सकती है, ये कालसैनिक नहीं टिकने वाले अब अपने सामने



अवनीश(चिढ़कर)- बहुत अच्छी लगी, अगर हम लोगों के मार खाने से पहले, निकाल लेते तो और ज़्यादा अच्छा होता।



राहुल- सॉरी भाई। दरअसल इतना डर गया था कि मैं भूल ही गया कि मैं दो ब्लास्टर्स अपने साथ लाया हूँ



वे लोग इतनी कुशलता से ब्लास्टर को चला रहे थे की कालसैनिक उन तक पहुंचने से पहले ही चीथड़ों में तब्दील हो जा रहे थे



दस मिनट बाद रेगिस्तान की रेतीली ज़मीन पर सैकड़ों कालसैनिको की लाशें पड़ी हुई थीं, सिर्फ संतोष बचा हुआ था, जब अवनीश और चेतन ब्लास्टर थामे उसके पास पहुंचे तब भी उसके चेहरे पर मौत का भय नहीं था, वह मुस्कुराता हुआ बोला



संतोष-तुम्हें क्या लगता है कि हमको खत्म करके तुम हमारे अभियान को खत्म कर सकते हो? हमारे प्रभु की शरण में जाने वाले लोगों की कमी नहीं है दुनिया में कालसेना कभी खत्म नहीं हो सकते क्योंकि हम कुछ "लोग" नहीं बल्कि एक विचारधारा हैं तुम लोगों को खत्म कर सकते हो लेकिन एक विचारधारा को नहीं


अवनीश गुस्से से संतोष के माथे पर ब्लास्टर को टिकाकर बोला



अविनाश-और क्या विचारधारा है तुम्हारी? यही की सब तुम्हारे प्रभु की भक्ति करें और जो ना करें उन्हें तुम निर्ममता से मार डालो, लोगों को उनके धर्म और आस्था के विरुद्ध कोई और विश्वास उन पर जबरन थोपने की विचारधारा एडोल्फ हिटलर की भी थी लेकिन उसका क्या हश्र हुआ? उसे खुद को गोली मारकर आत्महत्या करनी पड़ी मुझे वाकई तुम लोगो पर तरस आता है क्योंकि तुमने एक समुद्र से निकले एक जीव को ना सिर्फ भगवान का दर्जा दे दिया बल्कि उसके नाम पर मारकाट करने पर भी उतारू हो, तुम्हें तो ये भी नज़र नहीं आता कि तुम्हारा आराध्य देव कालदूत इतना स्वार्थी है कि वह बस अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए तुम जैसे हज़ारों की बलि चढ़वा देगा और उफ तक नहीं करेगा जब तक उसे सुशेन की ज़रूरत थी तब तक उसने उसे शक्ति दी लेकिन समुद्र से स्वतंत्र होते ही अपनी शक्ति का वह अंश वापस ले लिया? अगर तुममें थोड़ी सी भी समझदारी होती तो तुम लोग उसी वक्त समझ जाते कि तुम्हारी भक्ति सिर्फ एक जरिया है जिससे कालदूत इस दुनिया पर राज कर सकता है और यहाँ धरती पर वह तुम लोगों के दुख दर्द दूर करने नहीं बल्कि अपना उल्लू सीधा करवाने आया है लेकिन अगर तुम इतने समझदार होते तो उसकी भक्ति के लिए अपने पतन के मार्ग पर न निकल पड़ते खैर, तुम्हें ये सब समझाने का कोई मतलब नहीं क्योंकि तुम उसके अंधभक्त हो, तुम जैसों से निपटने का तरीका सिर्फ एक ही है



इतना कहकर अवनीश ने ब्लास्टर का ट्रिगर दबा दिया और संतोष की खोपड़ी की राख धरती पर जा गिरी


कुछ देर तक पूरे वातावरण में मौत जैसी खामोशी थी कि तभी अचानक चेतन का ध्यान अपने लोकेटर की तरफ गया जिसकी स्क्रीन पर तेजी से जल बुझ रहा एक बिंदु उन्हीं की तरफ बढ़ रहा था


चेतन – कालदूत! वो इसी तरफ आ रहा है! गेटवे गन तैयार करो जल्दी!


राहुल- इतनी जल्दी मत करो! कालदूत को अपने भक्तों की नाकामयाबी का पता तो चल ही गया होगा, हमें छुपकर उसका इंतजार करना होगा हथियार मुझे दो ज़रा


चेतन (बैग थमाते हुए)-ये लो, क्या करोगे इसका?


राहुल- गेटवे गन में कोई ट्रिगर नहीं है जिसे दबाते ही यह एकदम से चल पड़ेगी, इसे चालू करने के बाद यह दो मिनट की लोडिंग लेगी और उसके बाद चलने के लिए रेडी हो जाएगी


तभी वातावरण में एक आवाज़ गूंजी " मुझसे लड़ने की कोई आवश्यकता नहीं बच्चों, मैं तो धरती पर सभी मानवों का उद्धार करने आया हूँ तुम्हें वह शक्ति देने आया हूँ जो तुमको मानव से महामानव बना देगी।" सभी ने आवाज़ की दिशा में मुड़कर देखा तो एक दिल दहला देने वाला दृश्य पाया मनुष्यरूपी कालदूत धीरे
धीरे हवा में उड़ता हुआ उन्हीं की तरफ आ रहा था और साथ मे थी उन एक आंख वाले भयानक प्राणियों की सेना जिसे उसने उस आयामद्वार को सक्रिय करके बाहर निकाला था। वे छह फुट लंबे एक आंख वाले प्राणी बेहद बलिष्ठ शरीर के स्वामी थे, उनका पूरा शरीर हल्के नीले रंग का था, उनके दांत और पंजे इतने तीक्ष्ण थे कि किसी को भी फाड़ खाने की क्षमता रखते थे वे संख्या में अधिक नहीं थे लेकिन उनको देखकर ही किसी आम इंसान के शरीर में सिहरन दौड़ सकती थी


कालदूत- तुम बालकों ने मेरे भक्तों को इतनी आसानी से खत्म कर दिया मतलब की तुममें असाधारण कौशल है इस दुनिया मे मेरा राज कायम करने में मेरी मदद करो और मैं तुमको इतनी शक्तियां दूंगा जिसके बारे में तुमने कभी सोचा भी नहीं होगा मैं तुम्हारे निर्दयी ईश्वर की तरह नहीं हूं, मैं सबकी सुनूँगा और सबकी इच्छाएं पूरी करूंगा
शिवानी- गेटवे गन लोड करिए राहुल भैया, जल्दी


राहुल- ह..हां, मैं कर रहा हूँ पर इसमें अभी भी थोड़ा वक्त है


कालदूत हवा में तैरता हुआ राहुल के समीप आ गया उसके पीछे एक आंख वाले राक्षसों की टुकड़ी बिल्कुल स्थिर सावधान की मुद्रा में खड़ी थी जैसे कि बस कालदूत से आदेश मिलने की ही प्रतीक्षा कर रही हो।



कालदूत राहुल की तरफ ध्यान से देखकर बोला

कालदूत-तुमको तुम्हारी माँ वापिस चाहिए, जिनका देहांत बचपन में हो गया था, क्यों है ना?"


राहुल (अचंभित होकर)-त..तुम्हें कैसे पता?


कालदूत- मैं तुमको अवसर देता हूँ, मेरी मदद करो और मैं तुम्हारी माँ को जिंदा
वापिस ले आऊंगा


राहुल (आंखों में आंसू भरकर)-क्या तुम..आप ऐसा कर सकते हैं?


कालदूत- बिल्कुल, मैं तुमको वो सब दे सकता हूँ जो तुम्हारा ईश्वर कभी नहीं देगा


चेतन (फुसफुसाकर)-उसकी मत सुनो राहुल, ये कालदूत भी मरे हुए इंसान को वापिस नहीं ला सकता


अब राहुल पर किसी की भी बातों का कोई असर नहीं हो रहा था, कालदूत के शब्दों ने जैसे उसपर कोई जादुई असर कर दिया था वह अपने घुटनों पर बैठकर बोला " अमर रहे कालदूत!"


कालदूत धीरे धीरे धरती पर आया और चेतन के सर पर हाथ रखा ये देखकर अवनीश सबसे पहले विचलित हुआ, उसने दौड़कर राहुल के पास पड़ी गेटवे गन उठाना चाही लेकिन कालदूत ने उसे क्रोध भरी नजरों से देखा और उसके नेत्रों से निकली ऊर्जा तरंगों ने अवनीश के शरीर को धूल बनाकर वहीं रेतीले मरुस्थल पर
बिखेर दिया ये देखकर चेतन और शिवानी की हृदय विदारक चीख निकली " नहीं!", उनकी चीख के कारण कालदूत का ध्यान उनकी तरफ भी चला गया वे दोनों ही इस अप्रत्याशित घटना से इस कदर घबरा गए थे कि वे उल्टे पांव भागने लगे, कालदूत ने अभी तक मूर्ति की तरह खड़े एक आंख वाले राक्षसों में से एक को
आदेश दिया



कालदूत-उन दोनों को ढूंढकर खत्म कर दो वे बचने नहीं चाहिए।"


आदेश मिलते ही वह राक्षस मुड़ा और तूफानी गति से चेतन और शिवानी की तरफ भागा चेतन और शिवानी की गति बहुत तेज़ थी और वे कालदूत से काफी दूर निकल भी आये थे, काफी दूर पहुंचकर वे हांफने लगे।


चेतन- रुको शिवानी, थोड़ा दम लेने दो


शिवानी- दम लेने का समय नहीं है हमारे पास, उस हैवान ने अवनीश भैया का कत्ल कर दिया है और देर सवेर हम भी उसके चंगुल में आ ही जायेंगे


चेतन- हमें इस तरह निराश नहीं होना चाहिए कृति, ज़रूर कोई
न कोई हल ….


इससे पहले कि चेतन अपनी बात पूरी कर पाता, एक खौफनाक हाथ पीछे से उसकी छाती को फाड़ते हुए आगे की तरफ निकल आया ये खौफनाक दृश्य देखकर शिवानी बुरी तरह चीखी " नहीं!"


एक आंख वाला वह राक्षस अब चेतन की लाश को वहीं रेतीले धरातल पर फेंककर शिवानी के पीछे भागा, शिवानी अपनी पूरी जान लगाकर भाग रही थी लेकिन राक्षस की गति उससे कहीं अधिक तेज़ थी, जल्द

ही उसका भयानक पंजा शिवानी को भी अपना शिकार बनाने वाला था। शिवानी को अब अपने जिंदा रहने की उम्मीद भी खत्म सी होती लग रही थी, वह बुरी तरह हांफ रही थी, अब उसके कदम भी थकने लगे थे राक्षस अब भयानकहुंकार भरता शिवानी के एकदम पीछे आ चुका था लेकिन तभी एक मजबूत हाथ ने शिवानी को अपनी तरफ खींचा और एक लात मारकर उस राक्षस को पीछे धकेल दिया.............
 
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शिवानी को अब अपने जिंदा रहने की उम्मीद भी खत्म सी होती लग रही थी, वह बुरी तरह हांफ रही थी, अब उसके कदम भी थकने लगे थे राक्षस अब भयानकहुंकार भरता शिवानी के एकदम पीछे आ चुका था लेकिन तभी एक मजबूत हाथ ने शिवानी को अपनी तरफ खींचा और एक लात मारकर उस राक्षस को पीछे धकेल दिया…

शिवानी ने अपने मददगार की और देखा, राघव उसकी मदद के लिए वहा पहुच चूका था और उसके साथ थे रूद्र रमण और संजय, उस राक्षस के चेहरे पर क्रोध के भाव स्पष्ट नजर आ रहे थे वो एक बार फिर से शिवानी की तरफ बढ़ने लगा मगर इसबार उसके और शिवानी के बीच मे राघव नाम की दिवार थी

वो राक्षस शिवानी को मारने के लिए उसकी तरफ बढ़ा और राघव उससे भीड़ गया, राक्षस ने तेजी से राघव पर प्रहार किया, उसके पंजे का वार इतना तेज था के आम इंसान की अंतड़िया मगर राघव का सिर्फ शर्ट थोडा सा फटा और हलकी खरोचे आयी जिसके बाद उस राक्षस का प्रचंड घुसा राघव के मुह पर पड़ा

राघव-उफ्फ! ये राक्षस शक्तिशाली है इसे जल्दी से ख़तम करना पड़ेगा

उसके बाद राघव ने अपनी तेजी का प्रदर्शन करते हुए उस राक्षस पर प्रहार करना शुरू किया जसके बाद उसे संभलने का मौका ही नहीं मिला और कुछ ही क्षणों मे वो राक्षस शांत पड गया

राघव उसके शारीर को छोड़कर खड़ा हो गया और वापिस शिवानी की तरफ मुडा, शिवानी दौड़कर राघव के पास आई और उससे लिपटकर रोने लगी

शिवानी-उसने मार दिया, उसने मेरे भाइयो को मार दिया

राघव-तुम ये क्या कह रही हो शिवानी?

शिवानी-हा, राहुल ने ऐन मौके पे हमें धोका दे दिया और पूरा मिशन फेल हो गया

रूद्र-वो...वो गेटवे गन कहा है?

शिवानी-वो अब भी वही पड़ी है लेकिन वहा जाना खातेरे से खली नहीं है, वो तुमलोगों को भी मार डालेगा वो सबको मार डालेगा

शिवानी की हालत देखकर र५अमन ने उसे अपने बैग से पानी निकालकर दिया, पानी पीकर शिवानी थोड़ी शांत हुयी तब रूद्र ने उस राक्षस की और गौर से देखा और शिवानी से पूछा

रूद्र-इस एक आँखवाले राक्षस को कालदूत ने तुम्हारे पीछे भेजा था

शिवानी-हा पर ये अकेला नहीं था, कालदूत के पास ऐसे राक्षसों की पूरी फ़ौज है

उसके बाद शिवानी ने उनके साथ हुयी सारी घटनाये उन लोगो को सुनाई

संजय-अब क्या करे?

राघव-अब स्तिथि हद से ज्यादा बिगड़ गयी है और कोई उपाय नजर नहीं आ रहा

रूद्र-देखो राघव मैं ऐसा कहना नहीं चाहता लेकिन मुझे लगता है की गेटवे गन इस्तमाल करना ही हमारे पास अंतिम विकल्प है

राघव-शायद तुम सही कह रहे हो

संजय-ये तुमलोग क्या कह रहे हो तुम्ही दोनों ने गेटवे गन का सबसे ज्यादा विरोध किया था और अब तुम ही ऐसी बात कर रहे हो

राघव-विरोध तब किया था संजय भाई जब हमें दुनिया को बचने की कोई उम्मीद नजर आ रही थी लेकिन आप खुद सोचिये की क्या हमारे पास कालदूत को रोकने का कोई विकल्प है, मानता ही हमारे पास शक्तिया है हिम्मत है लेकिन हम कालदूत जितने शक्तिशाली नहीं है और अब वो उसके पास अजीबोगरीब भयानक प्राणियों की पूरी फ़ौज है, चेतन और अविनाश मारे गए है, हम सब लोग अगर साथ होतेतो शायद उन्हें बचाया जा सकता था लेकिन ऐसा नहीं हुआ, नरेशजी अरुण भाई चेतन अविनाश की कुर्नाबी व्यर्थ न जाने देने का यही एक तरीका है और आपलोगों के पास बेहतर विकल्प है तो मैं सुनने को तयार हु

जब कुछ समय तक कोई कुछ नहीं बोला तो राघव समझ गया की उसे सबकी मूक सहमती मिल गयी है

राघव-रूद्र क्या तुम इस राक्षसों से निपटकर इन्हें ख़तम कर सकते हो

रूद्र-थोडा मुश्किल है क्युकी ये कालसेना जैसे आम इंसान नहीं है मगर हा मैं इन्हें मार सकता हु

राघव-गुड, मेरे दिमाग मे कुछ है लेकिन हमें जल्द ही उसपर काम करना होगा अब सुना मेरा प्लान....

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कालदूत और राहुल अब एकसाथ खड़े थे

राहुल-क्या हमें उस लड़की को नहीं पकड़ना चाहिए महान कालदूत?

कालदूत-नहीं, वो फिलहाल के लिए कोई खतरा पैदा नहीं करेगी अब जरा अपना ये हथीयार तो दिखाओ जिसके बलपर ये मुझे पराजित करने का सोच रहे थे, क्या मनुष्य के विज्ञान मे वाकई इतनी क्षमता है के मेरा सामना कर सके?

राहुल-अवश्य महान कालदूत मैं अभी इस यंत्र को चलाकर दिखाता हु

इससे पहले की राहुल कालदूत को उस यंत्र की कार्यप्रणाली समझाता वहा अचानक से राघव आ गया

राघव(तेज आवाज मे)- अमर रहे कालदूत!

कालदूत और राहुल दोनों का ध्यान राघव की तरफ चला गया, कालदूत राघव को अपने संमे देख हैरान हुआ क्युकी कालसैनिको से मनसिक रूप से जुड़े होने के कारण कालदूत राघव को भली भांति जानता था की राघव उसकी राह का सबसे बड़ा काँटा है और कुछ समय पहले वो अपने दिमाग मे राघव की उपस्तिति महसूस कर चूका था इसीलिए राघव के मुह से अपनी जय जयकार सुनकर उसे यकीन नहीं हो रहा था

कालदूत-वो अलौकिक मनुष्य वो मेरे भक्तो के नरसंहार के लिए जवाबदेह है आज मेरे समक्ष खड़ा है पर तुम्हारा साथी वो कृत्रिम मानव कहा है

राघव-उसे मैंने मार दिया है और ये सब मैंने बस आपकी नजरो मे आने के लिए किया है ताकि आपको बता सकू की मैं आपके लिए सुशेन से बेहतर सिष्य साबित हो सकता हु, मैं नास्तिक हु और उसी को अपना इश्वर मानूंगा जिसे देखूंगा और इस समय आप मेरे सामने है तो आपही मेरे आराध्य देव है

कालदूत के चेहरे पर एक कुटिल मुस्कुहारत आ गयी

कालदूत-नाटक अच्छा खेल लेते हो बच्चे पर कालदूत मुर्ख नहीं है उसे मुर्ख समझने की तुम्हारी गलती आखरी गलती साबित हो सकती है, इस तरह मेरे सामने आने के पीछे अवश्य ही तुम्हारी कोई मंशा है और मुझे वही जाननी है

राघव से बहस करने के कारण कालदूत का ध्यान भटक गया था जिसके चलते रूद्र ने बडी सफाई से बगैर आवाज किये कई राक्षसों को मार गिराया था क्युकी वो सब एक कतार मे खड़े बस कालदूत को देख रहे थे और उसके आदेश के बगैर कुछ नहीं कर सकते थे वही दूसरी तरफ संजय धीरे धीरे आगे बढ़ रहा था और अब वो राहुल के एकदम करीब पहुच गया था और इससे पहले की राहुल कुछ समझ पता संजय ने उसके हाथ से गेटवे गन छीन की और रमण की और फेकी और रमण ने उछालकर बीच हवा मे ही उस गन को पकड़ लिया

शिवानी-इसे जल्दी से चालू कर दीजिये रमण जी क्युकी ये लोड होने मे २ मिनट का समय लेगी फिर कालदूत पर प्रहार किया जा सकता है

रमण(गन को चालू करते हुए)- यानि हमें कालदूत और इसके गुलामो को २ मिनट रोकना होगा

राहुल ने अपने निकट खड़े संजय के पेट मे जोरदार घुसा मारा जिससे संजय के मुह से खून निकलने लगा और फिर राहुल ने संजय का सर अपने घुटनों पर दे मारा, संजय को सँभालने का मौका नहीं मिल रहा था तभी संजय को मार खता देख शिवानी बीच मे आ गयी और और उसे आता देख राहुल अधमरे संजय को छोड़ कर शिवानी की तरफ लपका, राहुल हथियारों का एक्सपर्ट था लडाई का नहीं इसिलए वो शिवानी के सामने कुछ पल भी नहीं टिक पाया और शिवानी ने उसे अधमरा करके छोड़ा

कालदूत इस प्रकरण से अनजान नहीं था और अब वो पूरी तरफ क्रोधित हो चूका था, और अब उन राक्षसों को भी रूद्र के होने का आभास हो गया था और वो रूद्र की तरफ लपके पर रूद्र पूरी हिम्मत के साथ उनका मुकाबला करने मे लगा हुआ था

कालदूत-ओह! तो यह थी तुम्हारी योजना अपने इस हथीयार को वापिस पाना और मेरे सेवको को संख्या कम करना

राघव-तुम्हे क्या लगा मैं वाकई तुम्हारा भक्त बन गया? अच्छाई के उपर बुराई कभी हावी नहीं हो सकती

कालदूत(मुस्कुराकर)- क्या तुम्हे वाकई लगता है के अच्छाई के ऊपर बुराई हावी नहीं हो सकती लेकिन तुम अपनी गिनती अच्छे लोगो मे कैसे कर रहे हो जो न नाजे कितने लोगो की मौत का जिम्मेदार है जिसमे के अजन्मी नन्ही जी जान भी है

कालदूत की बात सुन कर राघव के पैरो तले जमीन खिसक गयी

राघव-तू...तुम्हे कैसे पता

कालदूत-मैं लोगो के अंतर्मन मे झक सकता हु, अंतर्मन की दमित इच्छाए और काले रहस्य को जान सकता हु

कालदूत के इतना कहते ही राघव के दिमाग मे सुशेन की कहिगायी आखरी बाते गूंजने लगी जिसमे उसने राघव और रूद्र को भी अपने जैसा राक्षस बताया था, राघव कमान उसे कचोट रहा था और वो वही जमीन पर घुटनों के बल बैठ गया कालदूत उसके दिमाग पर पूरी तरह हावी था

कालदूत-तुम्हारे लिए कालदूत की सृष्टि मे एक ही सजा है मौत की सजा

कालदूतने कुछ राक्षसों को इशारा किया और वेरघव की तरफ बढ़ने लगे पर राघव को इस बात का एहसास ही नहीं था की उसकी तरफ मौत बढ़ रही है तभी रूद्र उन राक्षसों से लड़ते हुए चिल्लाया

रूद्र-राघव कालदूत को अपने उपर हावी मत होने को तुमने कुछ नहीं किया है वो मेरी गलती थी पर मैं यहाँ लड़ रहा हुउठो और मुकाबला करो

शिवानी-उठो राघव अपने आप को बचाओ

रूद्र और शिवानी की आवाजो ने जैसे राघव के अंतर्मन को जगा दिया और राघव कालदूत की शक्ति से प्रभाव से निकल आया पर तब तक वो राक्षस उसके बेहद करीब पहुच चुके थे पर अब राघव को उससे ज्यादा फरक नहीं पड़ने वाला था उसने अपनी रफ़्तार से कालदूत की और दौड़ लगायी और पुई तेजी के साथ कालदूत पर वार किया वही शिवानी ने वह पड़ी ब्लास्टर गन उठा ली और वो और रूद्र उन गनो से उन राक्षसों को सफाया करने लगे वही रमण संजय को बचा कर साइड मे ले आया था और गेटवे गन की लोड हने की प्रतीक्षा कर रहा था

कालदूत-काफी समय बाद किसी शातिशाली पुरुष से मुकाबला हुआ है

कालदूत ने अपने हाथ हवा मे उठाये और वो धीरे धीरे हवा मे उपर उठने लगा और उसके अपने हाथो को इस कदर लहराया की वह एक रेट का तूफान उठने लगा और वो राघव की तरफ बढ़ने लगा मानो राघव को अपने अंदर समां लेगा पर राघव तेजी से दौड़ कर एक राक्षस के कंधे पर चढ़ कर कालदूत की और कुढ़ और कालदूत के शारीर पर एक जोरदार लात का प्रहार किया जिससे कालदूत जमीन पर आ गिरा

कालदूत-बस बहुत हुआ तुमलोग समझते हो की तुम मेरी सेना को हरा दोगे और मुझे हरा दोगे ऐसा नहीं होगा अभी तो मेरे और भी गुलाम आयेंगे पर उससे पहले मैं ही तुम सब का सफाया कर दूंगा

उसके बाद कालदूत ने अपनी सारी शक्ति के साथ राघव पर प्रहार किया, उसके हाथ से पीले रंग उर्जा किरने निकलकर राघव की तरफ बढ़ने लगी, राघव ने अपने गले मे पहनी रुद्राक्ष माला को अपने हाथ मे लिए और कुछ मंत्र पाहते हुए उसने भी अपने हाथ कालदूत की तरफ कर दिए और राघव के हाथ ने नीली उर्जा निकलली और राघव और कालदूत की शक्तिया आपस मे टकराई जिससे वह एक छोटा सा धमाका हो गया जिसके बाद कालदूत ने एपने एक गुलाम राक्षस को राघव की और भेजा और जब्रक राघव उस राक्षस को ख़तम करता कालदूत ने राघव पर एक और वार किया जब राघव असावधान था पर एक बाद रूद्र ने उस वार को राघव के शारीर तक पहुचने से पहले ही अपने उपर ले लिए और वही गिर गया

राघव ने जब ये देखा तो वो क्रोध से भर गया

राघव-मुझे पता था तेरे लिए तेरे भक्तो की जान कोई मायने नहीं रखती लेकिन तेरे लिए तो मानवता भी कोई मायने नहीं रखती तू इस सृष्टि पर कब्ज़ा करना चाहता है न पर ऐसा होगा नहीं, हम मनवो की वजह से तू हारेगा

तभी रमण ने पुरी तरह लोड हो चुकी गेटवे गन राघव की तरफ उछाली और राघव ने उसे उठाकर उसका मुह कालदूत की तरफ कर दिया “भक्क” की आवाज के साथ उस गन से इतनी भरी मात्र मे उर्जा निकली के उसके धक्के से गन को मजबूती से पकड़ा राघव भी कई फूट पीछे सरक गया

उस गन से निकली उर्जा ने कालदूत के आसपास मैटर को डिसटॉर्ट करना और अत्यधिक गुरुत्वाकर्षण के कारण वातावरण को सघन करना शुरू कर दिया धीरे धीरे हवा मे एक हल्का सा स्याह छिद्र बना जो धीरे धीरे बड़ा होने लगा, वो ब्लैक होल अपने आसपास की चीजों को अंदर खीचने लगा, कालदूत भी उस आकर्षण शक्ति से खुद को बचा नहीं पा रहा था तो वो क्रोधित होकर बोला

कालदूत-तुम मानव ऐसे नहीं मानोगे मुझे अपने असली रूप मे आना ही होगा

उसके बाद काल्दूर ने अपना मानव रूप त्यागा और अपने उस असल १०० वाले भयानक रूप मे आ गया लेकिन उसका ये शक्तिशाली रूप भी उसे ब्लैक होल से नहीं बचा पा रहा था धीरे धीरे उसके पो जमीन से उखाड़ने लगे राघव रूद्र के घायल शारीर को लेकर उस ब्लैक होल के चुम्बकीय क्षेत्र से बाहर आ गया था उर बाकि अब भी उस ब्लैक होल से दूर थे और कालदूत की राक्षसी सेना भी अब ब्लैक होल मे सामने लगी थी कालदूत बुरी तरह हताश होकर चीखा

कालदूत-नही! ऐसा नहीं हो सकता, मेरा अभियान विफल नहीं हो सकता

राघव-सच्चाई को स्वीकार कर लो कालदूत तुमिश्वर से भिड़ने चले थे पर उसी इश्वर के बनाये चंद तुच्छ जीवो ने तुम्हे पराजित कर दिया जिन्हें ‘मनुष्य’ कहा जाता है

“नहीं मैं पराजित नहीं हो सकता, मुझे मनुष्य पराजित नहीं कर सकते” ये कालदूत के आखरी शब्द थे इसके बाद वो और उसकी सेना उस ब्लैक होल मैं समां गयी पर अब भी उस ब्लैक होल का प्रभाव खातान नहीं हुआ था बल्कि अब तो उसका चुम्बकीय प्रभाव बढ़ गया था और अब राघव और बाकि सब भी उसे महसूस करने लगे थे....
 
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भाग ३६


“नहीं मैं पराजित नहीं हो सकता, मुझे मनुष्य पराजित नहीं कर सकते” ये कालदूत के आखरी शब्द थे इसके बाद वो और उसकी सेना उस ब्लैक होल मैं समां गयी पर अब भी उस ब्लैक होल का प्रभाव खातान नहीं हुआ था बल्कि अब तो उसका चुम्बकीय प्रभाव बढ़ गया था और अब राघव और बाकि सब भी उसे महसूस करने लगे थे....

रमण- उफ्फ! ये क्या मुसीबत मोल ले ली कालदूतको हराने के चक्कर में!

राघव- शिवानी! इस ब्लैक होल को नष्ट करने का क्या रास्ता हो सकता है!


शिवानी- इसका तरीका मुझे नहीं पता राघव।


संजय- जब कालदूत जैसा शक्तिशाली जीव अपनी पूरी शक्ति के इस्तेमाल के बावजूद खुद को इस ब्लैक होल में समाने से नहीं रोक पाया तो भला हम कितनी देर तक बचे रहेंगे?

तभी शिवानीसे मार खाकर धरती पर पड़ा हुआ राहुल उठा और रमण की तरफ आकर बोला

राहुल- मुझे ये गन दे दो! मैं इसकी पोलेरिटी रिवर्स करके फिर से इस कृत्रिम ब्लैक होल पर दागूंगा जिससे सघन गुरत्वाकर्षण क्षेत्र खत्म हो जाएगा और सब सामान्य हो जाएगा


रमण- लेकिन हम तुम्हारी बात क्यों मानें?


राहुल- शिवानीकी मार ने मेरे दिमाग के उस हिस्से को भी मुक्त कर दिया जो कालदूतके प्रभाव में आ गया था और मैं भला आप लोगों को धोखा देकर करूँगा भी क्या? ब्लैक होल यदि ऐसे ही खुला रहा तो कुछ ही समय में पूरी पृथ्वी को निगल जाएगा, इससे अच्छा मुझ पर विश्वास करके आप मुझे एक मौका दें


सबने एक दूसरे की तरफ देखा, राघव बोला


राघव-सोचने विचारने का समय नहीं है हमारे पास, अगर राहुल कह रहा है कि वह हमें बचा सकता है तो एक कोशिश करने में क्या हर्ज है।मर तो वैसे ही रहे हैं, कोशिश करके मर लेंगे

रमण ने गेटवे गन राहुल को पकड़ा दी राहुल उसके यंत्रों से कुछ छेड़खानी करने लगा

राघव- उफ्फ! थोड़ा जल्दी करो राहुल, ब्लैक होल का प्रभावबढ़ता ही जा रहा है!

अचानक से राहुल उठा और बोला

राहुल-मैंने इस यंत्र की पोलेरिटी रिवर्स कर दी है लेकिन ….

रमण-लेकिन क्या?

राहुल- इस यंत्र को चलाने के वाली बायो एनर्जी का स्टोर कृत्रिम ब्लैक होल के निर्माण में खत्म हो चुका है अब अगर इस गन को चलाना है तो इस गन से अटैच्ड पारदर्शी नली (Transparent tube) को चालक (operator) को अपने शरीर से कनेक्ट करना पड़ेगा ऐसे केस में गेटवे चालक की प्राण ऊर्जा (life force) को सोखकर उसे कई गुना अधिक magnify करके ऐसी ऊर्जा किरण छोड़ेगी जो सघन गुरुत्वाकर्षण और मैटेरियल डिस्टॉर्शन के प्रभाव को समाप्त करके ब्लैक होल को नष्ट कर देगी लेकिन जो भी इस यंत्र को चलाने के लिए अपनी प्राण ऊर्जा देगा उसका जीवित बचना मुश्किल है

रमण- यानी कि हमारी प्राण ऊर्जा इस यंत्र के लिए ईंधन का काम करेगी?

राहुल- बिल्कुल ठीक समझे आप और मैंने सोच लिया है कि यह काम कौन करेगा


रमण - कौन?

राहुल (नज़रें झुकाकर)-मैं, मैं दूंगा अपनी कुर्बानी।

शिवानी- लेकिन राहुल …..
राहुल (बात बीच में काटकर)-ना नुकुर का तो प्रश्न ही नहीं उठता शिवानी, मैं कमज़ोर था इसलिए कालदूतने मुझे अपने वश में कर लिया मेरी वजह से चेतन और अवनीश की जान चली गयी, अगर मैं अपनी जान दे भी दूंगा तो यह उस सच्चे योद्धाओं को मेरी तरफ से श्रद्धांजलि होगी


रूद्र- अगर ऐसी बात है तो मेरा गुनाह तुमसे ज़्यादा बड़ा है राहुल, एक नवजात
के इस दुनिया में आने से पहले ही उसकी सांसें छीन लीं मैंने तुमने तो जो किया वह
कालदूतके वश में किया लेकिन मैंने तो अपने होशोहवास में यह सब किया


रमण- लेकिन तुम नहीं जानते थे कि वह महिला गर्भवती थी रूद्र वरना तुम
ऐसा कभी नहीं करते और वैसे भी तुमिस वक़्त इस हाल मे नहीं हो की ये काम कर पाओ


रूद्र - लेकिन इससे यह सच्चाई नहीं बदल जाती रमण की मेरे हाथों यह जघन्य
पाप हुआ है गेटवे मुझे दे दो राहुल, मैं अपनी प्राण ऊर्जा देकर नष्ट करूँगा इस ब्लैक होल को


राघव- यहाँ इस वक़्त हम सबमे शक्तिशाली मैं हु और वैसे भी कालदूत से दुनीया को बचने का जिम्मा दादाजी ने मुझे सौपा था इसीलिए कोई बीच मे नहीं आएगा और ये काम मैं करूँगा



राहुल- नहीं राघव, तुम्हारे जैसे लोगों की दुनिया को ज़रूरत है मैं तुम्हें अपनी प्राण ऊर्जा व्यर्थ नहीं करने दूंगा


तभी राघव का जोरदार घूसा राहुल के मुंह पर पड़ा, जिसके बाद राघव ने गेटवे उससे छीन लिया


राघव- इस घूसे के लिए माफी चाहूंगा राहुल लेकिन फिलहाल दुनिया को बचाना ज़्यादा ज़रूरी है


राघव ने पारदर्शी नली को अपनी कलाई से कनेक्ट कर लिया और ब्लैक होल की तरफ बढ़ चला
शिवानी पीछे से चिल्लाई " रुक जाओ राघव! प्लीज रुक जाओ!" उसने राघव के पीछे भागने की भी कोशिश की लेकिन रमण और राहुल ने उसे रोक दिया


रमण- और आगे जाना हमारे लिए खतरे से खाली नहीं है शिवानी, वो मेरा भाई है मैं जानता हु उसे वो नहीं रुकेगा लेकिन मैं तुम्हें नहीं जाने दे सकता


तभी राघव ने एक बार पीछे मुड़कार देखा रमण जो उसका बड़ा भाई था और संजय को वो अपना बड़ा भाई मानने लगा था और शिवानी जिसकी वह ज़रूरत से ज़्यादा ही परवाह करने लगा था, सभी की आंखों में
आंसू थे, वे सभी राघव को रोकना चाहते थे लेकिन जानते थे कि राघव रुकने
वालों में से नहीं, कुछ करके दिखाने वालों में से है


राघव धीमे से बोला " शायद यही है इस लडाई अंत।" और गेटवे से एक प्रचंड किरण निकलकर ब्लैक होल की ओर बढ़ी, जैसे ही वह किरण ब्लैक होल से टकराई, एक भीषण चमक के साथ सब कुछ सामान्य हो गया अब ना तो धरती को कालदूतसे खतरा था और ना ही ब्लैक होल से


जब चमक कुछ धुंधली पड़ी तो सबसे पहले शिवानी राघव को ढूंढने भागी, रेत के बीच में राघव का शांत शरीर पड़ा हुआ था गेटवे यंत्र भी पूरी तरह से नष्ट हो चुका था, उसके आंतरिक पुर्जे इतना तीव्र ऊर्जा प्रवाह झेल सकने योग्य नहीं थे शिवानी, रमण और संजय के आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे


शिवानी रोते हुए बोली " तुम भी मुझे छोड़कर चले गए राघव! क्यों आखिर क्यों?"


तभी राहुल ने महसूस किया कि राघव की उंगलियों में हल्की सी हरकत हुई, फिर धीरे धीरे उसका हाथ हिला वह राघव के समीप गया और गेटवे यंत्र की पारदर्शी नली को उसकी कलाई से अलग कर दिया अचानक से सराघव बुरी तरह खांसने लगा, सभी दौड़ते हुए उसके पास पहुंचे वह ज़िंदा था लेकिन बुरी तरह से अशक्त हो चुका था


शिवानीने उसे उठाकर बैठाया और उससे गले लगकर रोने लगी, रमण और संजय बस उसे दूर से देखकर मुस्कुरा दिए



दो दिन बाद-


रमण और संजय अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर खड़े थे


रमण- भाई यह चारो कहाँ रह गए? कह रहे थे कि हमसे पहले पहुँच जाएंगे, देखो अभी तक नहीं आये


संजय- लगता है गुजरात से मन नहीं भरा इनका।


तभी राघव, शिवानी और राहुल भी अपने अपने सामान के साथ उनकी तरफ आते दिखे उनके साथ रूद्र भी था जो फिलहाल व्हील चेयर पर था और ठीक होने क बाद हिडन वारियर्स ज्वाइन करने वाला था


रमण- अब जल्दी चलो भाई, मुंबई तक फ्लाइट लेकर फिर वहाँ से गाड़ी में जाना पड़ेगा राजनगर के लिए।


शिवानीके चेहरे पर दुख के भाव देखकर राघव रमण और संजय से बोला



राघव-आप लोग चलिए, मैं अभी आता हूँ


रमण (मुस्कुराकर)- जल्दी आ जाना साहब, फ्लाइट उड़ान भरने से पहले इंतज़ार नहीं करेगी आपका


रमण ने जाते जाते राघव और शिवानी को देखा और फिर हल्के से मुस्कुराकर राघव को आंख मारी जिससे राघव ने उसे हाथ हिलाकर जल्दी जल्दी जाने का इशारा किया अब केवल राघव, शिवानी राहुल और रूद्र वहा थे, राघव ने प्यार से शिवानी के गाल पर हाथ रखकर पूछा "क्या बात है?"


शिवानी(दुखी आवाज़ में)- मुझे नहीं लगता कि अब मैं ये काम जारी रख पाऊंगी। मुझे हिडन वारियर्स का हिस्सा नहीं बने रहना वरना मैं चेतन और अवनीश भैया की मौत को कभी भुला नहीं पाऊंगी



राघव- तुमको मजबूत बने रहना होगो शिवानी


रूद्र- तुम्हारे दो भाई नहीं रहे तो क्या हुआ, ये भाई तो ज़िंदा है ना मेरी खातिर हिडन वारियर्स मत छोड़ो शिवानी क्यों राहुल


राहुल-हा शिवानी रूद्र सही कह रहा है

राघव – रूद्र सही कह रहा है, फिलहाल कालदूत नाम के खतरे को हमने भले ही टाल दिया हो लेकिन क्या पता कि भविष्य में कैसा खतरा सर उठा ले उससे निपटने के लिए हमें तैयार रहना होगा


शिवानी- इस जंग ने मेरा सब कुछ ले लिया राघव, पिता, चाचा, दो भाई, पूरा परिवार बलि चढ़ गया


राघव (भरे गले से)- सही कहा तुमने, अच्छी बात यह है कि कालसेना समाप्त हो गयी और दुनिया को नरक बनाने की उनकी योजना धराशायी हो गयी


शिवानी- तो अब आगे क्या करने का सोचा है


राघव- फिलहाल तो घर जाऊंगा और मस्त भाभी के हाथ का खाना खा के कुछ दिन आराम करूँगा, उसके बाद ज़िन्दगी जहाँ ले जाये वहीं चले जायेंगे


राहुल- तुम हिडन वारियर्स को जॉइन क्यों नहीं कर लेते राघव? हमारी आर्गेनाइजेशन को तुम जैसे लोगों की ज़रूरत हमेशा ही रहती है


राघव- मैं इस बारे में ज़रूर सोचूंगा राहुल, पूछने के लिए धन्यवाद (फिर वह शिवानीकी ओर देखकर बोला) अब जाने का समय हो गया है


शिवानीकी आंखों से आंसू की धार बह निकली थी, राघव ने उसके कंधे पर सांत्वना देने के लिए हाथ रखा तो शिवानी उसके सीने से जा लगी।


शिवानी- अगर मुझे कभी किसी काम मे मदद की ज़रूरत पड़ी तो क्या तुम मेरा साथ दोगे?


राघव(मुस्कुराकर)- हमेशा, बस एक कॉल कर देना।


शिवानी- मुझे कुछ समय तक कुछ नहीं करना, बस अकेले रहना है


राघव- मैं समझ सकता हूँ, जिन मुश्किल हालातों से तुम गुज़रीहो, उसके बाद एक ब्रेक तो बनता ही है

शिवानी - अब मैं चलती हूँ


राघव - तुम्हारे पास मेरा नंबर तो है ना?


शिवानी(मुस्कुराकर पीछे पलटते हुए)- हां है, व्हाट्सएप पर मैसेज कर दूंगी


राहुल- अब हमें चलना चाहिए, हिडन वारियर्स का जेट हमारी प्रतीक्षा कर रहा होगा


राघव शिवानीको तब तक जाते देखता रहा जब तक वो उसकी नज़रों से ओझल नहीं हो गयी, फिर वह अपनी फ्लाइट की तरफ जाने लगा जिसमें बैठे रमण और संजय उसका इंतज़ार कर रहे थे.........



समाप्त....
(रुको जरा कहा चले जरा निचे के पोस्ट्स पढ़ के जाओ यार)
 
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अरे कहा चल दिए थे दोस्तों क्या लगता है आप लोगो को कालदूत की कहानी बस यही ख़तम हो गयी और अब आपकी मुलाकात राघव रमण शिवानी से नहीं होगी?
तो रुको जरा सबर करो ये अंत नहीं शुरुवात है दोस्तों!
हिडन वारियर्स के बारे मैं और जानने की इच्छा नहीं है आपकी? रूद्र की उत्पत्ति, राघव का जन्म और उसके दादा शिवदास के बारे मैं नहीं जानना चाहते?
अब भाई जरा ये भी तो सोचो जब कालदूत इतना शक्ति शाली है तो क्या ये ब्लैक होल उसे अपने अंदर रोक पायगा?
भैया सवाल बहुत है और जवाब भी मिलेगा बस इतना कहूँगा की कालदूत वापिस आएगा और जब वो आएगा तब ऐसा आतंक फैलेगा की कोई उसे रोक नहीं पायेगा, पर..... उसमे अभी वक़्त है!
लाइफ मे थ्रिल काफी हो गया है अब थोडा रोमांस का समय है तो मिलते है किसी नई कहानी के साथ....

धन्यवाद..!
 
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आज इस कहानी के समापन के साथ साथ मैं अपने सभी पाठको का धन्यवाद करना चाहता हु जिन्होंने अपने बहुमूल्य कमेंट्स से इस कहानी को सफल बनाया

Yug Purush nain11ster Moon Light The_Punisher दो update के बाद दिखे ही नहीं :bat:

Naina mashish Mr.Marlega DARK WOLFKING ashish_1982_in Naik AverageNB ragish7357 A-Star Shanu Mahi Maurya Xabhi Ajay Killerpanditji(pandit) Raj_sharma Nevil singh Avir Vk248517 Chutiyadr Qaatil sunoanuj Manoj Kumar sharma Rohit1988 Iron Man Kapil Bajaj Black water Sudeep6 Rahul Mahakaal prakash2piyush Rudrathakur (comment nahi kiya par update padhe) Ajju Landwalia और भी बहुत लोग है और जिनके नाम रह गए है उनसे माफ़ी मांगता हु, आप सब के बगैर ये कहानी अपने मुकाम तक नहीं पहुचती और सबसे बड़ा धन्यवाद साइलेंट रीडर्स को जिन्होंने चुप चाप ये कहानी पढ़ी पर अगर आप इसे पढ़कर अपनी प्रतिक्रिया देते तो ज्यादा अच्छा लगता
आप सभी को तहे दिल से धन्यवाद

आपका

Adirshi
 
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एक और बात कोई भी सज्जन कहानी कैसी लगी ये बताये बगैर, कमेंट करे बगैर नहीं जायेगा
बहुत बहुत आभार....
 
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