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भाग ३१
सभी लोग अपनी अपनी जरूरतों का सामान पैक कर रहे थे, कालदूत की लोकेशन प्राप्त होने के बाद हाथ पर हाथ धर कर नहीं बैठ सकते थे
रूद्र एक कोने मैं बैठा अपनी जरुरत का सामान पैक कर रहा था, उसपर नरेशजी की मौत का काफी गहरा असर हुआ था भले ही वो किसी से कुछ नहीं कहता था पर वो अब भी अंदर से काफी दुखी था तभी शिवानी उसके पास आई
शिवानी-तुम पर चाचा की मौत का काफी गहरा असर हुआ है
शिवानी की बात सुन कर रूद्र बाद पैक करते करते रुक गया और शिवानी की तरफ देख कर बोला
रूद्र-वो मेरे पिता नहीं थे शिवानी लेकिन फिर भी उन्होंने मेरे लिए इतना कुछ किया, उनको न बचा पाने का गम तो साडी जिंदगी रहेगा
शिवानी-तुम एक मानव नहीं हो, मतलब वैसे नहीं हो जैसे हम सब है फिर भी तुम्हारे अंदर भी वैसी ही भावनाए है जैसी हममे है ये देख कर मैं हतप्रभ हु
रूद्र(मुस्कुराकर)- मैं कोई रोबोट नहीं हु शिवानी, मेरा शारीर भी उसी तरह काम करता है जैसीक सामान्य मनुष्य का बस उसमे फर्क सिर्फ इतना है के मेरी हड्डिया और त्वचा का कम्पोजीशन सामान्य इंसान से बेहद भिन्न है
शिवानी-मैंने कभी सोचा नहीं था के जिंदगी मैं तुमसे मिलना होगा, मैंने हिडन वारियर्स के साथ काम करते हुए अपने पिता महेश के बारे मैं काफी बाते सुनी थी लेकिन कभी सोचा नहीं था की उनकी रचना से मिलने का मौका मिलेगा, अब चाचा और पिताजी दोनों ही इस दुनिया मैं नहीं है पर कही न कही वे दोनों ही तुमसे जुड़े हुए है और यही बात तुम्हे खास बनती है
रूद्र और शिवानी बात कर ही रहे थे के राघव अपने कमरे से बाहर आया, उसने टीशर्ट जीन्स और एक ब्लैक लेदर जैकेट पहना हुआ था और कंधे पर उसका बैग टंगा हुआ था, उसको देख कर शिवानी उसके पास आयी और आँखों मे देख कर बोली
शिवानी- क्या बात है शास्त्री बड़े हैण्डसम लग रहे हो तुम कालदूत से लड़ने जा रहे हो या गुजरात की लडकियों को पटाने
राघव-तुम ठीक तो हो ऐसी बहकी बहकी बाते क्यों कर रही हो आज तक तो कभी तुम्हारे मुह से ये नहीं सुना मैंने
शिवानी-कमाल है अब तुम आचे लग रहे हो तो बोलू भी ना मैं भी लड़की हु यार हा मानती हु दिनभर दुनिया को बुरी शक्तियों से बचाती हु पर कभी कभी तो अरमान जाग ही जाते है शास्त्रीजी
शिवानी की बात सुनकर राघव मुस्कुराने लगा, दोनों थोड़ी देर एक दुसरे को देखते रहे पर ये समय इन बातो मैं उलझने का नहीं था अजीब सी स्तिथि को नकारने के लिए राघव के बात बदली और शिवानी से प्रश्न कर डाला
राघव-वैसे एक बात बताओ शिवानी, तुम लोग अपनी आर्गेनाईजेशन के लिए लोगो का चयन कैसे करते हो ?
शिवानी-वो काम हमलोग नहीं हमसे उपर के लोग करते है, ऐसा तभी होता है जब बहुत जरुरत हो और ऐसा बहुत कम होता है, हमें हमेशा बेस्ट लोग चाहिए अपने साथ
राघव-तो मान लो की आर्गेनाईजेशन का कोई आदमी काम छोड़ना चाहे या आर्गेनाईजेशन के राज दुनिया के सामने लेन की धमकी दे तो?
शिवानी-तो दोनों ही सूरतो मे एक विशेष प्रकार की गैस का इस्तमाल करके व्यक्ति की याददाश्त मिटा दी जाती है, और अगर वो इससे बाख भी गया तो भी अगर वो दुनिया के सामने चिल्ला चिल्ला कर भी हमारी आर्गेनाईजेशन के बारे मैं बताएगा तो कोई भला उसपर यकीन क्यों करेगा क्युकी हमारी उपस्तिति का कोई सबूत भी तो होना चाहिए, वैसे छोडो इन बातो को तुम्हारी ट्रेनिंग आचे से हो गयी है और उस काले जादू की किताब से तुम भी telekinesis जानते हो और तो अगर सोचो की लडाई है सेकड़ो कालसैनिक तुमपर हमला करे तो बाख जाओगे न?
राघव-तुम्हे कोई डाउट है क्या? वैसे शक्तिशाली होने के अपने फायदे है कालसैनिको से तो मैं चुटकी बजा के निपट लू
शिवानी-तो कालदूत से भिड़ने के लिए तयार हो?
राघव-हा अब ऐसा कह सकते है पर सच बहुँत तो अंदर से काफी घबराया हुआ हु, कालसैनिको से लड़ना एक बात है और कालदूत का मुकाबला करना अलग बात, कालदूत कुछ और ही है, उसको मैं अकेला नहीं हरा सकता, उसने अपने एक भक्त हो अपनी शक्ति का हिस्सा दे दिया तो वो मुझपर और रूद्र पर भरी पड़ गया तो कालदूत की शक्ति की तो कल्पना भी नहीं की जा सकती, हम लोग जब तक साथ है हम उसे हरा पाएंगे जिसमे हमें हिडन वारियर्स के हथियारों की भी जरुरत पद सकती है अकेले तो कालदूत के सामने जाना आत्महत्या के समान है
रमण और संजय बडी देर से राघव और शिवानी को बात करते हुए देख रहे थे
रमण-संजय भाई मुझे यहाँ कुछ कुछ होता है टाइप फीलिंग क्यों आ रही है
संजय-तुम शिवानी के बारे मैं बात कर रहे हो
रमण-मुझे लगता है अपना छोटा भाई पसंद करता है उसे क्या बोलते हो?
संजय(हसकर)- वाह इंस्पेक्टर बाबु दस मिनट की बातचीत से कितना कुछ पता कर लिया तुमने तो
तभी चेतन और अविनाश घर के अंदर आये जो बाहर लगातार किसी से फ़ोन पर बात कर रहे थे
चेतन-मेरी बात राहुल से हो गयी है अब हम लोगो को निकलना होगा
रमण-ये राहुल कौन है?
चेतन-हमारी आर्गेनाईजेशन के जिन खतरनाक हथियारों का हमने जिक्र किया था उनका इंस्पेक्शन राहुल ही करता है वो सिर्फ देख कर किसी भी आधुनिक हथीयार के अंदर की बारीक़ बारीक़ खराबी को न सिर्फ पहचान सकता है बल्कि ठीक भी कर देता है, हिडन वारियर्स के पास छोटे मोटे पिस्तौल राइफल जैसे हथियारों के साथ कई ऐसे भी हथीयार है जिनका निर्माण कई देशो मैं बन है,ऐसे हथीयार जो आजतक कभी चलाये नहीं गए, वो अलग अलग जगहों पर रखे गए थे ताकि किसी अमानवीय शक्ति से सामना हो तो काम आ सके, राहुल उन्ही हथियारों को सुरक्षित करने मैं लगा हुआ था ताकि वो किसी गलत हाथ मैं न पड़े, वो हमारे उन गिने चुने लोगो मैं से है जो न सिर्फ आधुनिक हथीयार की समझ ररखते है बल्कि उन्हें चलाना भी जानते है, वो गुजरात पहुच चूका है इसीलिए हमें भी निकलना होगा समय बहुत कम है हमारे पास
संजय-लेकिन इतने कम समय मैं गुजरात कैसे पहुचेंगे हम जब तक वहा पहुचेंगे कालदूत वहा से निकल भी सकता है
अविनाश-आप सफ़र की चिंता मत्कारिये बस बाहर चलकर देखए
सभी लोग अपने अपने बग्स टांग कर बाहर आ गए
रमण-यहाँ तो कुछ भी नहीं है
तभी अचानक एक बेहद आधुनिक जेट हवा मैं प्रकट होने लगा जिसे देखकर राघव रमण रूद्र संजय बुरी तरह चौक गए
रमण-अरे! ये क्या है?
चेतन-हम लोग हिडन वारियर्स है रमण जी और एक शताब्दी से दुनिया के सर्वश्रेष्ट वैज्ञानिको से साथ काम कर रहे है और अब विज्ञान के ऐसे अजूबे देखने की आदत दाल लीजिये वैसे आपसब की जानकारी के लिए बता दू के ये जेट हमें सिर्फ १ घंटे मैं गुजरात पंहुचा देगा सामान्य लोगो की नजरो मैं न आने के लिए हम हमेशा अपना इनविजिबल मोड ओं रखते है अब सभी लोग अंदर चलो ताकि हम आगे कूच कर सके
उसके बाद सभी लोग एक एक करके जेट मे जाने लगे पर राघव ने रमण को बाहर रोक लिया
राघव-भैया आपका आना जरुरी है क्या? वह क्या होगा हम मे से कोई नहीं जानता आपको कुछ हो गया तो?
रमण-बकवास बंद करो अपनी राघव भलेही तुम्हारे पास पावर्स होंगी पर हो तुम मेरे छोटे भाई ही इसीलिए मैं इस लडाई से पीछे नहीं हटने वाला और अब चलो चुपचाप हमें देर हो रही है
उसके बाद राघव और रमण भी जेट मैं चले गए.....
To Be Continue........
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