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भाग ३०
आज कालदूत को आजाद हुए पुरे १४ दिनों का समय बीत गया था और इन चौदा दिनों से कालदूत लगातार अपने ध्यान मैं लगा हुआ था वही उसके भक्त जो अपने आप को कालसेना कहलवाते थे उन्होंने कच्छ के उस रेगिस्तान मे आसपास के गांवों मैं हडकंप मचाया हुआ था, कालसेना ने अपनी ताकत के बल पर कई गांवों को घुटने पर ला दिया था और जहा भी कोई भी व्यक्ति उनलोगों का विरोध करता उसे वो लोग इतनी दर्दनाक मौत देते जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था और इसी डर के चलते कई लोग कालदूत की गुलामी स्वीकारने लगे थे
कालदूत के पृथ्वी पर आते ही उसका असर साफ़ मालूम हो रहा था , जहा इस समय कालदूत था उसके आसपास के पुरे इलाके मैं एक अजीब सी मनहूसियत फैली हुयी थी मनो किसी ने वातावरण से साडी ख़ुशी चूस ली हो जबकि अभी तो कालदूत अपने पूर्ण प्रभाव मैं भी नहीं था और आनेवाले समय मैं ये लडाई राघव और बाकि सब के लिए काफी मुश्किल होने वाली थी
इन पिछले चौदा दिनों मैं राघव ने अपनी शक्तियों पर पूर्ण नियंत्रण पा लिया था जिसमे उसकी मदद अविनाश और चेतन ने की थी, अविनाश चेतन और शिवानी trained fighters थे और उन तीनो ने राघव को न सिर्फ अपनी शक्तियों को कण्ट्रोल करना सिखाया बल्कि साथ ही उनका योग्य इस्तमाल और लडाई के कई और पैतरे भी सिखाये
इन [पिछले चौदा दिनों मैं हिडन वारियर्स की हालत कुछ ज्यादा अच्छी नहीं थी, उनके कई सरे छिपे हुए ठिकानो पर कालसैनिको ने हमला किया था और उन ठिकानो को तबाह किया था पर ये हिडन वारियर्स की खुशकिस्मती रही के उनके सबसे घटक हथियार अब तक कालसैनिको के हाथ नहीं लगे थे,
राघव अपनी ट्रेनिंग के साथ साथ कालदूत की उस काले जादू की किताब का अध्यन कर रहा था ताकि किसी भी तरह से वो कालदूत के दिमाग से संपर्क बनाकर उसका ठिकाना पता कर सके पर इसमें वो अब तक पूरी तरफ असफल रहा था, कालदूत की शक्तियों की झलक वो कब्रिस्तान मैं देख चूका था जब कालदूत ने अपनी शक्ति का एक छोटा सा हिस्सा सुशेन को दिया था जिससे वो और रूद्र दोनों ही मात खा गए थे इन दिनों बस एक ही अच्छी घटना हुयी थी वो ये की राघव अब अपनी शक्तियों के पूर्ण नियंत्रण मैं था और इसी दौरान उसे अपने अंदर की कई और भीनई शक्तियों के बारे मैं पता चला था
संक्षेप मे कहा जाये तो इन चौदा दिनों मैं पूरी टीम के हाल ज्यादा अच्छे नहीं थे सबकी बैंड बजी हुयी थी, जहा हिडन वारियर्स अपने ठिकानो पर लगातार हो रहे हमले से परेशां थे और लगातार अपने साथियों से जुड़े हुए थे वही राघव कालदूत के बारे मैं और उससे निकट भविष्य मैं होने वाली लडाई की कल्पना से डर रहा था उसका कॉन्फिडेंस पूरी तरह हिला हुआ था साथ ही उसके मन मैं ये बात घर कर गयी थी के वो एक अजन्मे बच्चे की मृत्यु का कारन है वो चाहता तो रूद्र को समय रहते रोक सकता था, राघव इस समय अपने घर की छत पर बैठा यही सब बातो के बारे मैं सोच रहा था तभी उसके पिता अनिरुद्ध शास्त्री वहा आये
अनिरुद्ध-यु अकेले बैठे बैठे क्या सोच रहे हो बेटे
राघव-सोच रहा हु के जिंदगी भी कितनी अजीब है पिताजी, कुछ ही दिनों मैं सब कुछ एकदम से बदल गया, एक साधा पंडित का बेटा आज दुनिया का रखवाला बना हुआ है, मैंने कभी अपने लिए ये नहीं चाह था पिताजी, सोच रहा हु के क्या इस जिम्मेदारी के लिए मैं सही इंसान हु?
अनिरुद्ध-और तुमने ये कैसे मान किया की तुम सही इंसान नहीं हो, देखो राघव ये सब शक्तिया सिद्धिया किसी भी इंसान को इतनी आसानी से नहीं मिलती है काफी वर्षो के कठिन ताप के बाद मनुष्य इसे हासिल कर पता है पर ये सभी खुभिया तुम्हे तुम्हारे जन्म के साथ ही प्राप्त हुयी है इसके पीछे कुछ तो कारण होगा, मैं अपने पिताजी को जानता था वो कोई भी काम बगैर सोचे विचारे नहीं करते थे और यदि उन्होंने तुम्हे ये कार्य दिया है की तुम कालदूत से लड़ो तो वो ये भी अवश्य जानते होंगे की तुम इस काबिल हो
राघव-पर मैं कोई हत्यारा नहीं हु, उस दिन कब्रिस्तान मैं मैंने न जाने कितने लोगो को मारा है
अनिरुद्ध-मानवता की रक्षा के लिए की गयी हत्या को मैं हत्या नहीं मानता राघव, यदि उस दिन तुम उन लोगो को नहीं मारते तो आज वोही लोग नजाने कितने परिवार उजाड़ते, उनलोगों को मारकर तुमने तो कई लोगो की जान बचायी है
राघव-पर हम कालदूत को आजाद होने से तो नहीं रोक पाए
अनिरुद्ध-पर अब भी कहा बात बिगड़ी है कालदूत अब तक प्रत्यक्ष रूप से दुनिया के सामने नहीं आया है मुझे लगता है इतने वर्षो की कैद ने उस राक्षस को कमजोर बना दिया होगा यही सही समय है उसे रोकने का
राघव-उससे लड़ना इतना आसन नहीं है पिताजी, मैं कालदूत की शक्ति का नजारा उस कब्रिस्तान मैं देख चूका हु जिसके छोटे से हिस्से ने मुझे हरा दिया था वो कमजोर भले ही होगा पर फिर भी हम सब को मार सकता है
अनिरुद्ध-तो मैंने ये समझू की तुम डर रहे हो
राघव-मैंने ऐसा नहीं कहा पिताजी
अनिरुद्ध-जीत या हार हमारे हाथ मैं नहीं है राघव, और इससे कोई फर्क भी नहीं पड़ता मायने रखती है जीतने की कोशिश, कभी हार न मानने का जज्बा, उस रात तुम इसलिए हरे क्युकी तुमने अपने प्रतिद्वंदी को अपने से कम आँका और पूरी तयारी नहीं की पर अब तुम पूर्ण रूप से तयार को और अपने दुश्मनों की क्षमता जानते हो इसीलिए ऐसे हतोत्साहित होकर मत बैठो बल्कि इस बारे मैं सोचो की आगे क्या करना है, तुमपर बाकि लोग निर्भर है बेटे और शक्तियों के साथ जिम्मेदारी भी आती है, तुम ही ऐसे हतोत्साहित हो जाओगे तो ये लडाई हम लड़े बगैर ही हार जायेंगे
राघव-शुक्रिया पिताजी मुझे समझाने के लिए
अनिरुद्ध-तुम जीतो या हरो बस इतना ध्यान मैं रखना की तुम्हारे पिता को तुमपर गर्व है.....
अगली सुबह
आज कालदूत को अपनी तपस्या मैं बैठे १५ दिन हो चुके थे और अब जाकर उसने अपनी आँखें खोली वही राघव अपने घर मैं कालदूत की किताब को हाथ मैं लेकर ध्यान लगाये हुए थे और कालदूत के दिमाग से संपर्क जोड़ने की कोशिश कर रहा था, इधर जैसे ही कालदूत ही अपनी आँखें खोली उसी पल राघव का उसके दिमाग से संपर्क जुड़ गया पर ये सिर्फ कुछ सेकंड्स के लिए हुआ था जिसके बाद कालदूत अपने दिमाग मैं किसी की उपस्तिति जान गया था और वो राघव के दिमाग तक पहुच पता इससे पहले ही राघव ने संपर्क तोड़ दिया पर इन चाँद सेकंड्स मैं राघव ने ये तो पता लगा लिया था के कालदूत किसी रेगिस्तानी इलाके मैं है पर कहा ये वो नहीं जान पाया था
वही घर के बाहर की तरफ अविनाश अपने एक साथी से बात कर रहा था और उसके चेहरे पर कुछ ख़ुशी थी अपनी बात ख़तम करके को अंदर आया और ठीक उसी समय राघव भी अपने ध्यान से निकल कर बाहर आया और वो दोनों बाकि सभी से एकसाथ बोले
राघव और अविनाश-कालदूत का पता चल गया है!
पहले राघव ने उन सबको बताया जो उसने देखा था और कैसे उसे ये पता चला की कालदूत किसी रेगिस्तान मैं है जिसके बाद अविनाश ने बोलना शुरू किया
अविनाश-हमने आपको बताया था की हमारे पास ऐसे यंत्र है जो वातावरण मैं फैली तामसिक उर्जा को पाकड़ सकते है, अभी अभी मेरी हमारे एक साथी से बात हो रही थी हमारे मशीन ठीक हो गए है और सबसे ज्यादा तामसिक उर्जा का प्रवाह कच्छ के मरुस्थल के पास देखने को मिल रहा है, जिस हिसाब से राघव ने कहा है की कालदूत किसी रेगिस्तानी इलाके मैं है तो हो न हो हमारे मशीन से जिस तामसिक उर्जा को महसूस किया है वो कालदूत ही है
रूद्र-तो अब जब हमें पता चल ही गया है के वो कहा है वो अब देर नहीं करनी चाहिए.......