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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

Royal कारभार 👑
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भाग २९



कच्छ के विशाल रेगिस्तान मैं दूर नजर दौड़ाने पर तीन आकृतिया नजर आई, एक था मानव स्वरूपी काल्दोत और बाकि वो दोनों मछुवारे जिनको काल्दोत ने अपनी शक्ति द्वारा एक जानवर जैसा खूंखार बना दिया था

कालदूत ने उन जानवर रूपी मछुवारो के सर पर हाथ फेरते हुए कहा



कालदूत-ये कोई आम स्थल नहीं है वत्स, इस स्थान से और भी कई रहस्यमयी संसारो का द्वार खुलता है, आमतौर पर हमें हमारा संसार ही नजर आता है परंतु हमारे आसपास ऐसे अनगिनत संसारो के द्वार हर पल तैरते रहते है जिन्हें मनुष्य की सामान्य आँखें नहीं देख सकती, उन अदृश्य संसारो तक पहुचने वाले द्वरो को कहते है आयाम! सामान्यतः एक आयाम द्वार खोलने के लिए हमें अत्यधिक उर्जा चाहिए, मुझे भी एक आयाम द्वार खोलना है परंती इतने वर्षो तक समुद्र की गहराइयों मैं कैद रहने की वजह से हमारे शारीर मैं अभी आयाम द्वार खोलने के लिए पर्याप्त उर्जा नहीं है, सर्वप्रथम हम अपने शारीर को पहले की भांति शक्तिशाली बनायेंगे और फिर इस दुष्कर कार्य को संपन्न करेंगे इस धरती को और बेहतर बनाने का समय आ गया है, अब विश्व को ये बताने का समय आ गया है के कालदूत स्वतंत्र को चुके है आने वाले कुछ समय मैं हम इस धरती को अपने अधीन कर लेंगे

तभी अचानक ही कालदूत की नजर कुछ दुरी पर पड़ी वह उसने कुछ लोगो को ऊँटो की सवारी करते देखा तो उसकी भोहे तन गयी और वो बोला

कालदूत-मेरी सृष्टि मैं कोई भी जीव मेरे अलावा किसी और की सत्ता को नहीं स्वीकारेगा! इन मनवो को हमेशा से ही अपने से कमजोर का लाभ उठाने की आदत रही है पर मेरे राज मैं ऐसा अन्याय नहीं होगा

फिर कालदूत ने उन दो मछुवारो को कुछ इशारा किया जिसके बाद वो दोनों दौड़ते हुए उन मनवो की तरफ गए, ऊंट पर बैठे लोगो ने दूर से किसी चीज़ को अपनी तरफ दौड़ कर आते देखा तो पहले तो वो समझ नहीं पाए की ये, उनमे से एक आदमी बोला, “अरे ये क्या है? ये कैसे जानवर है?” बाकि लोगो को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन जब राक्षसी रूप मैं वो दो मछुवारे उन लोगो के पास पहुचे तो वो बुरी तरह घबरा गए और उनमे से एक ऊंट सवार बोला “भागो यहाँ से! ये..ये कोई जानवर नहीं है ये तो राक्षस लग रहे है!”

लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी, दोनों मछुवारो ने एक एक ऊंट सवार पर छलांग लगा दी, फिर उनको रेट मैं पटककर अपने पैने पंजेनुमा हाथो से उनकी छाती चिर दी और उनका धड़कता हुआ दिल निकाल कर खाने लगे, इतना भयंकर और वीभत्स दृश्य देख कर बाकि ऊंट सवारों ने अपना ऊंट तेजी से हाकना शुरू किया लेकिन वे भी ज्यादा डोर नहीं जा पाए और उनका भी उन राक्षसी मछुवारो ने वही हाल किया,

कच्छ की धरती उन ऊंट सवारों केव रक्त से लाल हो चुकी थी, वो मछुवारे किसी आज्ञाकारी पालतू कुत्ते की तरफ कालदूत के पास वापिस लौट आये

कालदूत-हा हा हा! अब इन तुच्छ मनवो की अक्ल ठिकाने आएगी, अब मुझे संसार भर मैं पीले अपने भक्तो को अपनी शक्ति द्वारा अपने पास बुला लेता हु ताकि देवताओ की इस सृष्टि पर अधिकार करने की अपनी योजना क्रियान्वित कर सकू.....

कालदूत ने अपने दोनों हाथो को हवा मैं उठाकर अपनी आँखें बंद कर ली और उसके ऐसा करते ही आसपास के वातावरण मैं एक अजीब सी उर्जा का प्रवाह होने लगा और अचानक एक एक करके संसार के सभी बचे हुए कालसैनिक काले चोगे और काले नकाब धारण किये हुए अपनी पारंपरिक वेशभूषा मैं कालदूत के समक्ष खड़े थे, कालदूत के अपनी शक्ति के बल पर सबको वहा इकठ्ठा कर लिया था और कालदूत को सामने देख कर वो सब अपने घुटनों पर बैठ गए

कालदूत इतनी सिमित संख्या मैं भक्तो को देखकर हैरान था, पिछले १००० वर्षो मैं कई लोगो ने कालदूत की भक्ति करनी शुरू की थी लेकिन जब कालदूत ने इतनी कम संख्या मे पने भक्तो कोदेखा तो उसे काफी निराशा हुयी, वो बोला

कालदूत-बस इतने ही लोग है? ये तो ५०० के आसपास होंगे,

तभी एक कालसैनिक नकाब उतारकर कालदूत के सामने जाकर खड़ा हुआ, वो और कोई नहीं बल्कि संतोष था जो उस रात कब्रिस्तान से बचकर भागने मैं कामयाब हो गया था, संतोष कालदूत से बोला

संतोष-लोग तो और भी थे प्रभि लेकिन उस राघव रुद्र और किसी गुप्त संस्था की वजह से अब हम लोग आधे भी नहीं बचे है, हालाँकि हम सभी कालसैनिक को आपके आगमन की सुचना मिल गयी थी लेकिन सुशेन और शक्ति की अकस्मात मृत्यु के कारण अब हमारा नेतृत्व करने वाला कोई नहीं बचा है, ब्लू हुड तो शक्ति के साथ पूरी तरह ख़तम हो गया था जिसके कारण हम ब्लू हुड के बचे हुए लोग भी ब्लैक हुड मैं शामिल हो गए थे लेकिन आपके परम विरोधियो ने ब्लैक हुड को भी नहीं छोड़ा

कालदूत-कोई बात नहीं वत्स! मेरे रहते लोगो की संख्या मैं अब कोई कमी नहीं आएगी और न ही अब इससे कोई फर्क पड़ता है,अब तो पूरी दुनिया कालदूत की बहती स्वीकारने वाली है और जो विरोध करेगा उसे तुरंत मृत्यु के घाट उतार दिया जायेगा, रही बात सुशेन की तो उसके हश्र से मैं पूर्णतः वाकिफ हु क्युकी मैं न सिर्फ सुशेन से अपितु तुम सभी से मानसिक रूप से जुडा हु, सुशेन को मैंने अपनी शक्ति का कुछ हिस्सा दिया था ताकि वो मेरे विरोधियो से निपट सके लेकिन जब आखरी कुर्बानी संपन्न हुयी तो युगों युगांतर से समुद्र की गहरायी मैं पड़े मेरे अशक्त शारीर को बाहर निकालने के लिए मुझे मेरी शक्ति का एक एक कतरा चाहिए थे इसीलिए कुछ समय मुझे सुशेन को प्रदान की गयी अपनी शक्ति वापस लेनी पड़ी लेकिन उतनी देर मैं उसकी हत्या कर दी गयी, अपने भक्त के इस हश्र के लिए मन कही न कही स्वयं को दोषी मानता हु और आपलोगों को नया नेता देना भी आवश्यक है इसीलिए मैं आज से संतोष को आपका नया मुखिया बनाता हु, आप सब संतोष के नेतृत्व मे मेरे विरोधियो का सामने करेंगे

कालदूत की बात सुनकर संतोष उसके चरणों मे गिर गया और कालदूत ने अपना हाथ उसके सर पर रखा

कालदूत-मुझे उम्मीद मैं वत्स तुम भी सुशेन की तरह अपने लोगो के लिए अच्छे मुखिया साबित होंगे

संतोष खड़ा हुआ और बाकि कालसैनिको की तरफ देख कर बुलंद आवाज़ मैं बोला

संतोष-मेरे मित्रो,आज हम सबको हमारी इतने वर्षो की तपस्या का फल मिला है, हमारे इश्वर लाखो वर्षो की कैद से मुक्त होकर इस धरती पर वापिस आये है लेकिन ये समय ख़ुशी मानाने का नहीं है बल्कि दुनिया को दुनिया को अपनी मुट्ठी मैं करने का है जिसकी शुरुवात आसपास के गाँव से होगी, सब लोग दक्षिण दिशा के गाँव की और जाओ और भगवान कालदूत की और से सन्देश पहुचाओ की ये हमारे साथ मिल जाये या एक दर्दनाक मौत के लिए तयार रहे.

वहा मौजूद सभी कालसैनिको ने संतोष की बात मणि और उनके जाते ही कालदूत संतोष से बोला

कालदूत-वत्स संतोष! हमें कुछ दिनों के लिए संपूर्ण एकांत की आवशकता है तो ध्यान रहे कोई भी हमें न छेड़े

संतोष-जो आज्ञा प्रभु!


फिर कालदूत ने हवा मैं हाथ लहराकर अपने लिए वहा एक आसन की व्यस्था कर ली और अपनी आँखें मूंद ली.......
 
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ashish_1982_in

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कच्चा के विशाल रेगिस्तान मैं दूर नजर दौड़ाने पर तीन आकृतिया नजर आई, एक था मानव स्वरूपी काल्दोत और बाकि वो दोनों मछुवारे जिनको काल्दोत ने अपनी शक्ति द्वारा एक जानवर जैसा खूंखार बना दिया था

कालदूत ने उन जानवर रूपी मछुवारो के सर पर हाथ फेरते हुए कहा



कालदूत-ये कोई आम स्थल नहीं है वत्स, इस स्थान से और भी कई रहस्यमयी संसारो का द्वार खुलता है, आमतौर पर हमें हमारा संसार ही नजर आता है परंतु हमारे आसपास ऐसे अनगिनत संसारो के द्वार हर पल तैरते रहते है जिन्हें मनुष्य की सामान्य आँखें नहीं देख सकती, उन अदृश्य संसारो तक पहुचने वाले द्वरो को कहते है आयाम! सामान्यतः एक आयाम द्वार खोलने के लिए हमें अत्यधिक उर्जा चाहिए, मुझे भी एक आयाम द्वार खोलना है परंती इतने वर्षो तक समुद्र की गहराइयों मैं कैद रहने की वजह से हमारे शारीर मैं अभी आयाम द्वार खोलने के लिए पर्याप्त उर्जा नहीं है, सर्वप्रथम हम अपने शारीर को पहले की भांति शक्तिशाली बनायेंगे और फिर इस दुष्कर कार्य को संपन्न करेंगे इस धरती को और बेहतर बनाने का समय आ गया है, अब विश्व को ये बताने का समय आ गया है के कालदूत स्वतंत्र को चुके है आने वाले कुछ समय मैं हम इस धरती को अपने अधीन कर लेंगे

तभी अचानक ही कालदूत की नजर कुछ दुरी पर पड़ी वह उसने कुछ लोगो को ऊँटो की सवारी करते देखा तो उसकी भोहे तन गयी और वो बोला

कालदूत-मेरी सृष्टि मैं कोई भी जीव मेरे अलावा किसी और की सत्ता को नहीं स्वीकारेगा! इन मनवो को हमेशा से ही अपने से कमजोर का लाभ उठाने की आदत रही है पर मेरे राज मैं ऐसा अन्याय नहीं होगा

फिर कालदूत ने उन दो मछुवारो को कुछ इशारा किया जिसके बाद वो दोनों दौड़ते हुए उन मनवो की तरफ गए, ऊंट पर बैठे लोगो ने दूर से किसी चीज़ को अपनी तरफ दौड़ कर आते देखा तो पहले तो वो समझ नहीं पाए की ये, उनमे से एक आदमी बोला, “अरे ये क्या है? ये कैसे जानवर है?” बाकि लोगो को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन जब राक्षसी रूप मैं वो दो मछुवारे उन लोगो के पास पहुचे तो वो बुरी तरह घबरा गए और उनमे से एक ऊंट सवार बोला “भागो यहाँ से! ये..ये कोई जानवर नहीं है ये तो राक्षस लग रहे है!”

लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी, दोनों मछुवारो ने एक एक ऊंट सवार पर छलांग लगा दी, फिर उनको रेट मैं पटककर अपने पैने पंजेनुमा हाथो से उनकी छाती चिर दी और उनका धड़कता हुआ दिल निकाल कर खाने लगे, इतना भयंकर और वीभत्स दृश्य देख कर बाकि ऊंट सवारों ने अपना ऊंट तेजी से हाकना शुरू किया लेकिन वे भी ज्यादा डोर नहीं जा पाए और उनका भी उन राक्षसी मछुवारो ने वही हाल किया,

कच्छ की धरती उन ऊंट सवारों केव रक्त से लाल हो चुकी थी, वो मछुवारे किसी आज्ञाकारी पालतू कुत्ते की तरफ कालदूत के पास वापिस लौट आये

कालदूत-हा हा हा! अब इन तुच्छ मनवो की अक्ल ठिकाने आएगी, अब मुझे संसार भर मैं पीले अपने भक्तो को अपनी शक्ति द्वारा अपने पास बुला लेता हु ताकि देवताओ की इस सृष्टि पर अधिकार करने की अपनी योजना क्रियान्वित कर सकू.....

कालदूत ने अपने दोनों हाथो को हवा मैं उठाकर अपनी आँखें बंद कर ली और उसके ऐसा करते ही आसपास के वातावरण मैं एक अजीब सी उर्जा का प्रवाह होने लगा और अचानक एक एक करके संसार के सभी बचे हुए कालसैनिक काले चोगे और काले नकाब धारण किये हुए अपनी पारंपरिक वेशभूषा मैं कालदूत के समक्ष खड़े थे, कालदूत के अपनी शक्ति के बल पर सबको वहा इकठ्ठा कर लिया था और कालदूत को सामने देख कर वो सब अपने घुटनों पर बैठ गए

कालदूत इतनी सिमित संख्या मैं भक्तो को देखकर हैरान था, पिछले १००० वर्षो मैं कई लोगो ने कालदूत की भक्ति करनी शुरू की थी लेकिन जब कालदूत ने इतनी कम संख्या मे पने भक्तो कोदेखा तो उसे काफी निराशा हुयी, वो बोला

कालदूत-बस इतने ही लोग है? ये तो ५०० के आसपास होंगे,

तभी एक कालसैनिक नकाब उतारकर कालदूत के सामने जाकर खड़ा हुआ, वो और कोई नहीं बल्कि संतोष था जो उस रात कब्रिस्तान से बचकर भागने मैं कामयाब हो गया था, संतोष कालदूत से बोला

संतोष-लोग तो और भी थे प्रभि लेकिन उस राघव रुद्र और किसी गुप्त संस्था की वजह से अब हम लोग आधे भी नहीं बचे है, हालाँकि हम सभी कालसैनिक को आपके आगमन की सुचना मिल गयी थी लेकिन सुशेन और शक्ति की अकस्मात मृत्यु के कारण अब हमारा नेतृत्व करने वाला कोई नहीं बचा है, ब्लू हुड तो शक्ति के साथ पूरी तरह ख़तम हो गया था जिसके कारण हम ब्लू हुड के बचे हुए लोग भी ब्लैक हुड मैं शामिल हो गए थे लेकिन आपके परम विरोधियो ने ब्लैक हुड को भी नहीं छोड़ा

कालदूत-कोई बात नहीं वत्स! मेरे रहते लोगो की संख्या मैं अब कोई कमी नहीं आएगी और न ही अब इससे कोई फर्क पड़ता है,अब तो पूरी दुनिया कालदूत की बहती स्वीकारने वाली है और जो विरोध करेगा उसे तुरंत मृत्यु के घाट उतार दिया जायेगा, रही बात सुशेन की तो उसके हश्र से मैं पूर्णतः वाकिफ हु क्युकी मैं न सिर्फ सुशेन से अपितु तुम सभी से मानसिक रूप से जुडा हु, सुशेन को मैंने अपनी शक्ति का कुछ हिस्सा दिया था ताकि वो मेरे विरोधियो से निपट सके लेकिन जब आखरी कुर्बानी संपन्न हुयी तो युगों युगांतर से समुद्र की गहरायी मैं पड़े मेरे अशक्त शारीर को बाहर निकालने के लिए मुझे मेरी शक्ति का एक एक कतरा चाहिए थे इसीलिए कुछ समय मुझे सुशेन को प्रदान की गयी अपनी शक्ति वापस लेनी पड़ी लेकिन उतनी देर मैं उसकी हत्या कर दी गयी, अपने भक्त के इस हश्र के लिए मन कही न कही स्वयं को दोषी मानता हु और आपलोगों को नया नेता देना भी आवश्यक है इसीलिए मैं आज से संतोष को आपका नया मुखिया बनाता हु, आप सब संतोष के नेतृत्व मे मेरे विरोधियो का सामने करेंगे

कालदूत की बात सुनकर संतोष उसके चरणों मे गिर गया और कालदूत ने अपना हाथ उसके सर पर रखा

कालदूत-मुझे उम्मीद मैं वत्स तुम भी सुशेन की तरह अपने लोगो के लिए अच्छे मुखिया साबित होंगे

संतोष खड़ा हुआ और बाकि कालसैनिको की तरफ देख कर बुलंद आवाज़ मैं बोला

संतोष-मेरे मित्रो,आज हम सबको हमारी इतने वर्षो की तपस्या का फल मिला है, हमारे इश्वर लाखो वर्षो की कैद से मुक्त होकर इस धरती पर वापिस आये है लेकिन ये समय ख़ुशी मानाने का नहीं है बल्कि दुनिया को दुनिया को अपनी मुट्ठी मैं करने का है जिसकी शुरुवात आसपास के गाँव से होगी, सब लोग दक्षिण दिशा के गाँव की और जाओ और भगवान कालदूत की और से सन्देश पहुचाओ की ये हमारे साथ मिल जाये या एक दर्दनाक मौत के लिए तयार रहे.

वहा मौजूद सभी कालसैनिको ने संतोष की बात मणि और उनके जाते ही कालदूत संतोष से बोला

कालदूत-वत्स संतोष! हमें कुछ दिनों के लिए संपूर्ण एकांत की आवशकता है तो ध्यान रहे कोई भी हमें न छेड़े

संतोष-जो आज्ञा प्रभु!


फिर कालदूत ने हवा मैं हाथ लहराकर अपने लिए वहा एक आसन की व्यस्था कर ली और अपनी आँखें मूंद ली.......
very nice update bhai
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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भाग २८


अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है

रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......

चेतन-हालाँकि हमारी संस्था के अस्तित्व से ये दुनिया अनभिज्ञ है पर आप लोग नरेश जी के साथ है इसीलिए मुझे नहीं लगता के आप लोगो को यह राज बताने मैं कोई बुरे है, ये बात तो बहुत छोटी है उनके सामने..हम लोग हिडन वारियर्स है, छिपे हुए योद्धा, हम अपनी आर्गेनाईजेशन मैं ऐसे लोगो का चुनाव करते है जिन्होंने युद्ध काला, हथियार और विज्ञान मे क्षेत्र मैं बहुत अधिक प्रशिक्षण हासिल किया हो, यह आर्गेनाईजेशन पिछली एक शताब्दी से अस्तित्व मैं है, हमारे पास दुनिया के बड़े बड़े वैज्ञानिक, वेपन एक्सपर्ट अलग अलग देशो की मिलिट्री इत्यादि से जुड़े लोग भी है, कालसेना की तरह ही हमारी भी पहुच रॉ इण्टरकॉम FBI जैसे संगठनो मैं है, हम लोग मुख्य रूप से पैरानोर्मल या कह लीजिये की ऐसी चीजों से लड़ने का प्रयास करते है जिनके अस्तित्व पर या तो दुनिया को यकीन नहीं होता या फिर बाकि नमी गिरामी संस्थाए इस लायक नहीं होती की उन असाधारण शक्तियों को रोक सके, पीछे १०० सालो मैं अगर हम किसी को रोक नहीं पाए है तो वो है कालसेना, इसके पीछे एक कारन यह भी था के इनके लोग भी हमारी तरफ कई पावरफुल पोजीशन पर थे, हमने समय समय पर इनसे भिड़ने की कोशिश भी की लेकिन कभी भी इनको पूरी तरह से नष्ट नहीं कर पाए ,कालसेना से लड़ने के दौरान हमारी आर्गेनाईजेशन को कालदूत नाम के प्राणी का पता कुछ सालो पहले ही चला और तब हमारी आर्गेनाईजेशन ने रूद्र को बनाने का निर्णय लिया क्युकी आम मनुष्य उनके आगे घुटने टेक सकता था पर कृत्रिम मानव नहीं, हमें तब राघव के बारे मैं पता नहीं था हमें तो राघव के बारे मैं महेश जी के गुरूजी ने बताया था जब वे रूद्र के शारीर मैं आत्मा डालने आये थे तभी से हमारी नजर राघव पर भी बनू हुयी थी अब रूद्र को बनाने के बाद कैसे कालसैनिको ने उसके निर्माता और हमारे पिता को मारा ये तो आप सब जानते ही होंगे

हमारी संस्था चौबीसों घंटे वातावरण मं फैली तामसिक उर्जाओ को ढूंढती रहती है और हम एजेंट्स का काम होता है उस उर्जा को कैद करना या नष्ट करना, कालदूत की स्वतंत्रता के बाद हमें वातावरण मैं बेहद भीषण तामसिक उर्जा के संकेत मिले है इतनी भरी मात्र मे ये उर्जा हमारे यंत्रो ने कभी महसूस नहीं की थी, जब हमें पता चला की नरेशजी यानि हमारे चाचा इनके भिड़ने मैं लगे है तब शिवानी ने उन्से संपर्क किया था और हम तो यहाँ उन्हें अपने साथ शामिल करने आये है

संजय-आपको कैसे पता चला के हमलोग और नरेशजी कालसेना को ढूंढ कर ख़तम कर रहे है?

शिवानी-हमारे संपर्क सूत्र कालसेना से बेहतर है दुनिया के किसी भी हिस्से की जानकारी हम तक पहुचने मैं समय नहीं लगता

रूद्र(दुखी होकर)- अफ़सोस लेकिन एक जानकारी तुम्तक समय रहते नहीं पहुची..

शिवानी-क्या?

रूद्र-कालदूत की जागने की प्रक्रिया मैं जो आखरी कुर्बानी थी को नरेशजी की ही थी, वो अब इस दुनिया मैं नहीं रहे हम अभी उनका अंतिम संस्कार करके लौटे है

रूद्र की बात सुनकर शिवानी अविनाश और चेतन एकदम सन्न रह गए थे, उन्हें समझ नहीं आ रहा था की इस बात पर कैसे प्रतिक्रिया दे, शिवानी के चेहरे पर दुःख साफ़ झलक रहा था, वो अपनी भावनाओ को काबू मैं नहीं रख पाई और उसकी आँखों से आसू निकलने लगे, उसके दोनों भाई उसे सँभालने की कोशिश कर रहे थे पर आँखें उनकी भी नाम थी, शिवानी कोरोता देख कर राघव का भी मन भरी होने लगा था परिस्तिथि सो सँभालने के लिए रमण बोला

रमण-चलिए अब जब साडी बाते स्पष्ट हो गयी है तो निचे चलकर बात कर लेते है

वो सब लोग निचे सोफे पर आकर बैठ गए रूद्र उनसब के पिए पानी ले आया था पानी पीकर शिवानी थोड़ी शांत हुयी

शिवानी-हिडन वारियर्स मैं शामिल होने के बाद हम कभी नरेश चाचा से नहीं मिल पाए थे बस एक सुचना मिली थी के चाचाजी रूद्र के साथ राजनगर मे है, मुझे लगा था कोई तो है जो पिताजी के रिक्त स्थान को भर सकता है लेकिन कालसेना से हमारी वो उम्मीद भी छीन ली

रूद्र भी शिवानी के आक्रोश को महसूस कर सकता था उसी आक्रोश के चलते उसने और राघव ने कब्रिस्तान मैं एक भी कालसैनिक को जिन्दा नहीं छोड़ा था

रमण से उनतीनो को विस्तार से एक एक घटना बताई जो कल रात हुयी थी

अविनाश-आप लोगो के साथ एक और इंसान भी था जिसका नाम हमारे रिकार्ड्स मैं है जिसके पिता कालसैनिक थे

रमण-आप शायद अरुण की बात कर रहे है पर अफ़सोस वो भी अब नहीं रहा

अविनाश-उफ्फ...अगर वो होते तो उनसे काले जादू की किताब के बारे मैं पता चल सकता था

राघव-कही आप इस किताब की बात तो नहीं कर रहे

राघव ने अरुण की दी हुयी किताब अविनाश को दखाई

अविनाश-हा यही तो है वो

रमण-पर ये तो सिर्फ एक कॉपी है ऐसी और कई होंगी

अविनाश-कॉपी...नहीं ये कॉपी नहीं है..एक किताब कालदूत ने बिरजू को दी थी जिसने कालसेना की स्थापना की थी १००० साल पहले फिर उई ने बस ४-५ किताबे लिखी थी बिलुल ऐसी ही

रमण-ओह....

चेतन-ये किताब सिर्फ काल्सूत के बारे मैं नहीं है ये वो ज्ञान है को कालदूत ने अर्जित किया है अपने जीवन के अनुभवों से, जो बाते और रहस्य हम इस ब्रह्माण्ड के बारे मैं नहीं जानते वो सब इसी किताब मैं है बस एक एक बेहद प्राचीन भाषा मैं है जिसे डिकोड करना इस दुनिया मैं किसी के बस की बात नहीं है, साथ ही काले जादू और telekinesis के बारे मैं भी बहुत कुछ है जो भी इसे सीखता है वो कालदूत से मानसिक संपर्क मैं आ जाता है

संजय-ये बाते तो हमने कभी सोची भी नहीं थी

अविनाश-हम यहाँ जल्दी आ जाये लेकिन नहीं आ सके क्युकी कल रात दुनिया भर के हमारे गुप्त अड्डो पर कालसेना से धावा बोला था, कालसेना से अपने कुछ लोग हिडन वारियर्स मैं भी छोड़ रखते थे शाय, उनसे निपटने मैं समय लग गया अब समझ आ रहा है की उनलोगों ने हमारा वक़्त क्यों नष्ट करवाया ताकि हम यहाँ समय से न पहुच पाए और जैसा उन्होंने सोचा था वैसा ही हुआ हम नरेश चाचा को नही बचा पाए और न ही कालदूत को आजाद होने से रोक पाए

रमण-देखो जो होना था हो गया उसे हम बदल नहीं सकते लेकिन जो सामने है उससे निपटने का प्रयास जरुर कर सकते है क्या तुम लोगो के पास कोई प्लान है कालदूत को रोकने का

अविनाश-फिलहाल हमारे पास कोई प्लान नहीं है कल रात हमारे ठिकाने पर हुए हमले मैं हमारे काफी सारे यन्त्र नष्ट हो गए है वरना हम उनकी मदद से कालदूत की लोकेशन का पता लगा सकते थे हमारे काफी हथीयार भी नष्ट हो गए है हमारा एक साथी बची हुयी चीजों को सँभालने मैं लगा हुआ है उससे बात करके देखता हु यदि को कोई मदद कर दे

रमण-तुम लोग तांत्रिको की तरह भुत पकड़ते ही क्या अगर कालदूत का पता भी चला तो उसका सामना कैसे करोगे

चेतन-हमारा सामना कई तरह ही चीजों से होता है दोस्त हमारी संस्था के पास कई ऐसे गुप्त हथियार है जिसके सामने अमेरिका रूस या जापान के सबसे विध्वंसक हथीयार भी खिलौने लगेंगे, अभी तक ऐसी नौबत नहीं आयी के उन्हें इस्तमाल करना पड़े पर अब लगता है उनके इस्तमाल का समय आ गया है पर अफ़सोस अभी वो हथियार हमारे पास नहीं है राहुल उन्हें सुरक्षित करने मैं लगा है और न ही हमारे पास कालदूत का पता है

राघव-तुमने कहा था इस किताब को पढ़ कर समझने वाला कालदूत के दिमाग से जुड़ सकता है

चेतन-हा

राघव-मैं इस किताब को पढ़ सकता हु मैं इसे जरिये कोशिश कर सकता हु के कालदूत के दिमाग मैं झांक कर उसकी लोकेशन पता कर सकू पर इसमें कितना समय लगेगा पता नहीं

अविनाश-यदि तुम सच मैं ऐसा कर सकते हो तो ये बहुत बढ़िया बात है मैं राहुल के बात करके उसे हमारे यन्त्र ठीक करने कहता हु एक बार हमें पता चल जाये कालदूत कहा है तो उससे लड़ा जा सकता है


इसके बाद राघव ने उस किताब को उठाया और पढने लगा और कोशिश करने लगा की वो कालदूत के दिमाग से संपर्क बना सके वही बाकि लोग भी आगे की रणनीति पर चर्चा करने लगे.......
:lol: Are is kaaldoot ko kabhi kaalsut kabhi kaalodat are kya kya bana diya... :D
Khair waise hidden warriors ke baare ek details jaan kari mili...
hmm.. wo kitab original hai...
kitab ko padhne se madad to mile... lekin ek sabse badi problem ye hai wo Azad ho ho gaya hai.. aur ab pehle zyada saksham aur shaktisali hai dimag se bhi aur saririk taur pe bhi.. kya aise mein dimag se sampark karne dega kaaldoot.. bich mein sampark tod nahi dega?
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :applause: :applause:
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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भाग २९



कच्चा के विशाल रेगिस्तान मैं दूर नजर दौड़ाने पर तीन आकृतिया नजर आई, एक था मानव स्वरूपी काल्दोत और बाकि वो दोनों मछुवारे जिनको काल्दोत ने अपनी शक्ति द्वारा एक जानवर जैसा खूंखार बना दिया था

कालदूत ने उन जानवर रूपी मछुवारो के सर पर हाथ फेरते हुए कहा



कालदूत-ये कोई आम स्थल नहीं है वत्स, इस स्थान से और भी कई रहस्यमयी संसारो का द्वार खुलता है, आमतौर पर हमें हमारा संसार ही नजर आता है परंतु हमारे आसपास ऐसे अनगिनत संसारो के द्वार हर पल तैरते रहते है जिन्हें मनुष्य की सामान्य आँखें नहीं देख सकती, उन अदृश्य संसारो तक पहुचने वाले द्वरो को कहते है आयाम! सामान्यतः एक आयाम द्वार खोलने के लिए हमें अत्यधिक उर्जा चाहिए, मुझे भी एक आयाम द्वार खोलना है परंती इतने वर्षो तक समुद्र की गहराइयों मैं कैद रहने की वजह से हमारे शारीर मैं अभी आयाम द्वार खोलने के लिए पर्याप्त उर्जा नहीं है, सर्वप्रथम हम अपने शारीर को पहले की भांति शक्तिशाली बनायेंगे और फिर इस दुष्कर कार्य को संपन्न करेंगे इस धरती को और बेहतर बनाने का समय आ गया है, अब विश्व को ये बताने का समय आ गया है के कालदूत स्वतंत्र को चुके है आने वाले कुछ समय मैं हम इस धरती को अपने अधीन कर लेंगे

तभी अचानक ही कालदूत की नजर कुछ दुरी पर पड़ी वह उसने कुछ लोगो को ऊँटो की सवारी करते देखा तो उसकी भोहे तन गयी और वो बोला

कालदूत-मेरी सृष्टि मैं कोई भी जीव मेरे अलावा किसी और की सत्ता को नहीं स्वीकारेगा! इन मनवो को हमेशा से ही अपने से कमजोर का लाभ उठाने की आदत रही है पर मेरे राज मैं ऐसा अन्याय नहीं होगा

फिर कालदूत ने उन दो मछुवारो को कुछ इशारा किया जिसके बाद वो दोनों दौड़ते हुए उन मनवो की तरफ गए, ऊंट पर बैठे लोगो ने दूर से किसी चीज़ को अपनी तरफ दौड़ कर आते देखा तो पहले तो वो समझ नहीं पाए की ये, उनमे से एक आदमी बोला, “अरे ये क्या है? ये कैसे जानवर है?” बाकि लोगो को भी कुछ समझ नहीं आ रहा था लेकिन जब राक्षसी रूप मैं वो दो मछुवारे उन लोगो के पास पहुचे तो वो बुरी तरह घबरा गए और उनमे से एक ऊंट सवार बोला “भागो यहाँ से! ये..ये कोई जानवर नहीं है ये तो राक्षस लग रहे है!”

लेकिन तबतक बहुत देर हो चुकी थी, दोनों मछुवारो ने एक एक ऊंट सवार पर छलांग लगा दी, फिर उनको रेट मैं पटककर अपने पैने पंजेनुमा हाथो से उनकी छाती चिर दी और उनका धड़कता हुआ दिल निकाल कर खाने लगे, इतना भयंकर और वीभत्स दृश्य देख कर बाकि ऊंट सवारों ने अपना ऊंट तेजी से हाकना शुरू किया लेकिन वे भी ज्यादा डोर नहीं जा पाए और उनका भी उन राक्षसी मछुवारो ने वही हाल किया,

कच्छ की धरती उन ऊंट सवारों केव रक्त से लाल हो चुकी थी, वो मछुवारे किसी आज्ञाकारी पालतू कुत्ते की तरफ कालदूत के पास वापिस लौट आये

कालदूत-हा हा हा! अब इन तुच्छ मनवो की अक्ल ठिकाने आएगी, अब मुझे संसार भर मैं पीले अपने भक्तो को अपनी शक्ति द्वारा अपने पास बुला लेता हु ताकि देवताओ की इस सृष्टि पर अधिकार करने की अपनी योजना क्रियान्वित कर सकू.....

कालदूत ने अपने दोनों हाथो को हवा मैं उठाकर अपनी आँखें बंद कर ली और उसके ऐसा करते ही आसपास के वातावरण मैं एक अजीब सी उर्जा का प्रवाह होने लगा और अचानक एक एक करके संसार के सभी बचे हुए कालसैनिक काले चोगे और काले नकाब धारण किये हुए अपनी पारंपरिक वेशभूषा मैं कालदूत के समक्ष खड़े थे, कालदूत के अपनी शक्ति के बल पर सबको वहा इकठ्ठा कर लिया था और कालदूत को सामने देख कर वो सब अपने घुटनों पर बैठ गए

कालदूत इतनी सिमित संख्या मैं भक्तो को देखकर हैरान था, पिछले १००० वर्षो मैं कई लोगो ने कालदूत की भक्ति करनी शुरू की थी लेकिन जब कालदूत ने इतनी कम संख्या मे पने भक्तो कोदेखा तो उसे काफी निराशा हुयी, वो बोला

कालदूत-बस इतने ही लोग है? ये तो ५०० के आसपास होंगे,

तभी एक कालसैनिक नकाब उतारकर कालदूत के सामने जाकर खड़ा हुआ, वो और कोई नहीं बल्कि संतोष था जो उस रात कब्रिस्तान से बचकर भागने मैं कामयाब हो गया था, संतोष कालदूत से बोला

संतोष-लोग तो और भी थे प्रभि लेकिन उस राघव रुद्र और किसी गुप्त संस्था की वजह से अब हम लोग आधे भी नहीं बचे है, हालाँकि हम सभी कालसैनिक को आपके आगमन की सुचना मिल गयी थी लेकिन सुशेन और शक्ति की अकस्मात मृत्यु के कारण अब हमारा नेतृत्व करने वाला कोई नहीं बचा है, ब्लू हुड तो शक्ति के साथ पूरी तरह ख़तम हो गया था जिसके कारण हम ब्लू हुड के बचे हुए लोग भी ब्लैक हुड मैं शामिल हो गए थे लेकिन आपके परम विरोधियो ने ब्लैक हुड को भी नहीं छोड़ा

कालदूत-कोई बात नहीं वत्स! मेरे रहते लोगो की संख्या मैं अब कोई कमी नहीं आएगी और न ही अब इससे कोई फर्क पड़ता है,अब तो पूरी दुनिया कालदूत की बहती स्वीकारने वाली है और जो विरोध करेगा उसे तुरंत मृत्यु के घाट उतार दिया जायेगा, रही बात सुशेन की तो उसके हश्र से मैं पूर्णतः वाकिफ हु क्युकी मैं न सिर्फ सुशेन से अपितु तुम सभी से मानसिक रूप से जुडा हु, सुशेन को मैंने अपनी शक्ति का कुछ हिस्सा दिया था ताकि वो मेरे विरोधियो से निपट सके लेकिन जब आखरी कुर्बानी संपन्न हुयी तो युगों युगांतर से समुद्र की गहरायी मैं पड़े मेरे अशक्त शारीर को बाहर निकालने के लिए मुझे मेरी शक्ति का एक एक कतरा चाहिए थे इसीलिए कुछ समय मुझे सुशेन को प्रदान की गयी अपनी शक्ति वापस लेनी पड़ी लेकिन उतनी देर मैं उसकी हत्या कर दी गयी, अपने भक्त के इस हश्र के लिए मन कही न कही स्वयं को दोषी मानता हु और आपलोगों को नया नेता देना भी आवश्यक है इसीलिए मैं आज से संतोष को आपका नया मुखिया बनाता हु, आप सब संतोष के नेतृत्व मे मेरे विरोधियो का सामने करेंगे

कालदूत की बात सुनकर संतोष उसके चरणों मे गिर गया और कालदूत ने अपना हाथ उसके सर पर रखा

कालदूत-मुझे उम्मीद मैं वत्स तुम भी सुशेन की तरह अपने लोगो के लिए अच्छे मुखिया साबित होंगे

संतोष खड़ा हुआ और बाकि कालसैनिको की तरफ देख कर बुलंद आवाज़ मैं बोला

संतोष-मेरे मित्रो,आज हम सबको हमारी इतने वर्षो की तपस्या का फल मिला है, हमारे इश्वर लाखो वर्षो की कैद से मुक्त होकर इस धरती पर वापिस आये है लेकिन ये समय ख़ुशी मानाने का नहीं है बल्कि दुनिया को दुनिया को अपनी मुट्ठी मैं करने का है जिसकी शुरुवात आसपास के गाँव से होगी, सब लोग दक्षिण दिशा के गाँव की और जाओ और भगवान कालदूत की और से सन्देश पहुचाओ की ये हमारे साथ मिल जाये या एक दर्दनाक मौत के लिए तयार रहे.

वहा मौजूद सभी कालसैनिको ने संतोष की बात मणि और उनके जाते ही कालदूत संतोष से बोला

कालदूत-वत्स संतोष! हमें कुछ दिनों के लिए संपूर्ण एकांत की आवशकता है तो ध्यान रहे कोई भी हमें न छेड़े

संतोष-जो आज्ञा प्रभु!


फिर कालदूत ने हवा मैं हाथ लहराकर अपने लिए वहा एक आसन की व्यस्था कर ली और अपनी आँखें मूंद ली.......
is tharki villain ki to.. :chop:
ek baat samajh se pade hai puri universe mein aise supernatural wale villain logis kya dharti hi milti hai tandav karne ke liye :mad:

Actually ye lead villain koi kaalsut kaaldut nahi balki ek bhikhmanga hai jishe shayad mangal ya Pluto grah se bhaga diya ye bolke ki waha bhikhmango ke liye koi jagah nahi.. phir waha se nikale jaane ke baad is khubsurat si pyaari dharti pe aaya aur jab dekha ki uske paas thodi bahot zyada power hai insaano se to socha ki chalo dharti ko hi hathiya liya jaaye...
ye bhikhmanga, parjivi, dhokhebaz, dagabaaz, chindi chor, tharki kaaldoot kahi jaake chullu paani mein dub kar kyun nahi mar jaata... :dwarf:

pata nahi raghav kab is chindi chor ko saza dega..

Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill :yourock: :yourock:
 
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