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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Sr. Moderator
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304
भाग २७



रूद्र-हमें एक बडी संख्या मैं उनलोगों को खत्म किया है राघव पर अब भी कई कालसैनिक बचे हुए है और मुझे लगता है कालदूत जरूर अपने उन बचे हुए कालसैनिको एक जगह इकठ्ठा करेगा

तभी उन्हें घर मैं उपर की तरफ की कुछ हलचल सुनाई दी और सबका ध्यान उस और चला गया.......

राघव मुह पर ऊँगली रखकर धीमी आवाज मैं बोला

राघव-श्श्श...सब लोग धीरे बोलो लगता है कोई घर के अंदर चोरी से घुसा है

रमण(धीमी आवाज मैं)- ये जरूर उन कालसैनिको मैं से कोई होगा चलो चलकर देखते है उपर क्या है, रूद्र क्या है वैसे उपर?

रूद्र-कुछ खास नहीं नहीं जो चीज़े रोजमर्रा के काम नहीं आती थी उन्हें नरेश जी उपर के कमरे मैं रखवा देते थे, वहा बड़े बड़े कांच के शीशे लगे है जहा से घर मैं घुसना आसन है

राघव-ठीक है उपर चल कर देखते है कौन है रूद्र तुम यही पीछे रुको ताकि अगर उपर कुछ गड़बड़ हो तो तुम हमारे बैकअप की तरह काम आ सको

रूद्र-ठीक है

सब धीरे धीरे सीढियो से उपर की तरफ बढे, कोशिश कर रहे थे की उनकी कदमो की आवाज न हो, जल्द ही वो लोग उपर पहुच गए, उपर के फ्लोर पर कोई बल्ब वगैरा भी नहीं लगा हुआ था जो भिओ रौशनी आ रही थी खिड़की पर लगे शिशो से आ रही थी, राघव संजय और रमण बडी सावधानी से आगे बढ़ रह थे

संजय-यहाँ तो कोई नहीं दिख रहा है

राघव(गुस्से से चिल्लाकर)- ये चूहे बिल्ली का खेल बहुत हुआ अब अगर अपनी जान प्यारी हो तो चुपचाप बाहर निकल आओ वरना अगर मैं ढूंढने लगा तो अच्छा नहीं होगा

तभी संजय का ध्यान छत की तरफ गया जिसके दो कोनो मैं दो लड़के अपने शारीर को एक विशिष्ट कोण मैं रखकर छत से मकड़ी की तरह चिपके हुए थे संजय की उनपर नजर पड़ते ही वो अपनी जगह से कूदे और उन्होंने राघव रमण और संजय पर धावा बोल दिया....

उन्होंने साधे टीशर्ट और जीन्स पहन रखे थे और चेहरे पर नाक से निचे वाले हिस्से को काले नकाब से ढक रखा था ताकि पहचान मैं न आये, रमण ने उस लड़के से भिड़ने की कोशिश की लेकिन वो गजब का निकला, रमण कुछ करता या कुछ समझ पाटा उससे पहले ही उसके पेट पीठ और गर्दन मैं पर तीन चार मुक्के पड़ चुके थे, संजय ने भी दुसरे लड़के से निपटने की कोशिश की लेकिन वो लड़का फुर्ती से संजय के हर वार से बच रहा था, उसने हवा मैं घूमकर एक तेज़ लात संजय के सीने पर मारी जिससे संजय खुद को संभल नहीं पाया और गिर पड़ा राघव ने उस लड़के को उसका कॉलर पकड़कर खिंचा, उस लड़के ने राघव के पेट पर भी तेज लात मारी जिससे राघव पर कोई असर नहीं हुआ, कल रात के हत्या काण्ड के बाद राघव की शक्तिया जागृत थी जिससे उसकी शारीरिक क्षमता मैं बहुत बढ़त हुयी थी, अब तो सामान्य इंसानों के प्रहारों का उसपर ज्यादा असर नहीं होता था पर उस लड़के के पैर मैं जरूर चोट लग गयी और राघव ने उसे गर्दन से पकड़कर हवा मैं उठा लिया और रमण से लड़ते लड़के को देखकर राघव चिल्लाया

राघव-रुक जाओ! वरना तुम्हारे साथी की गर्डर तोड़ दूंगा मैं और ये बेकार ही मारा जायेगा, पहले बताओ तुम लोग ककून हो? यहाँ क्या करने आये हो?

राघव की बात सुनकर उन नकाबपोश ने भी रमण की गर्दन पर एक छोटा सा चाकू रख दिया

नकाबपोश-कोशिस तो करो तुम्हारा साथी भी जान से जायेगा

तभी वहा रूद्र भी पहुच गया लड़ने की आवाज सुन कर उसे गड़बड़ का अंदाजा हुआ और वो वहा आ गया

रूद्र-तुम जो कोई भी हो इसका अंजाम नहीं जानते तुम रमण की गर्दन से चाकू हटाओ

राघव(क्रोधित होकर)- आखिर कितनी जाने लोगे तुम कालसैनिक?कितने निर्दोशो की मौत से पेट भरेगा तुम्हारा?

राघव के प्रश्न पर रमण को गिरफ्त मैं लिए लड़के की भोहे चौड़ी हो गयी, वो भी गुस्से मैं बोला

नकाबपोश-क्या बकवास कर रहा है? हम कालसैनिक? हम तो यहाँ नरेश जी से मिलने आये थे पर जब यहाँ उके घर मैं अजनबियों को देखा तो हमें कुछ गड़बड़ लगी इसीलिए इसतरह अंदर आये, हमें लगा तुम कालसैनिक हो

रूद्र से बहस करते हुए उस लड़के की पकड़ रमण की गर्दन पर ढीली पद गयी जिसका फायदा उठाते हुए रमण से उसका हाथ पकड़कर उसे एक जोरदार धोबी पछाड़ दी

रमण-अगर हम कालसैनिक होते तो तुमको telekinesis के प्रयोग से रोकते कुश्ती नहीं खेलते तुम्हारे साथ

तभी वहा एक लड़की की बुलंद आवाज गूंजी “बस करो तुम सब लोग”

वहा उस कमरे मैं मौजूद सभी का ध्यान उस कमरे मैं अँधेरे कोने की तरफ गया जहा से अभी तक खामोश कड़ी लडकी निकलकर आगे की तरफ आई थी, खिड़की से आते मद्धिम प्रकाश मैं उसकी लहराती जुल्फे और खुबसूरत बडी सी आँख साफ़ दिखाई देने लगी थी, अब तक बाकि दोनो लड़के बभी अपना नकाब उतर चुके थे, वो लगभग राघव के ही उम्र के थे

लड़की थोडा आगे बढ़ी और रूद्र को गौर से देखते हुए उन दोनों लडको से बोली “हमें ग़लतफहमी हो गयी थी, ये लोग कालसैनिक नहीं हो सकते क्युकी ये कृत्रिम मानव इनके साथ है

ये बात सुन कर सबको झटका लगा और सबसे ज्यादा तो उन दोनों लडको को उनमे से एक बोला

लड़का-तुम जो कह रही हो जानती हो न? तुम्हे कैसे पता की ये वही है जिसका निर्माण हमारी संस्था ने करवाया था

लड़की-मैं जानत हु मैं क्या कह रही हु मुझे नरेश जी ने इसके बारे मैं बताया था और मैंने इसकी फोटो देखि थी वही ये दूसरा लड़का शायद राघव है नरेश जी ने इसके बारे मैं भी बताया था बस मैं पहचान नहीं पायी

लड़का-तुम जानतो हो न क्या कह रही हो?
लड़की-तुम जब इनसे लड़ रहे थे तब मैं अँधेरे मैं छिप कर तुम्हारी लडाई का एक एक मोमेंट नोटिस कर रही थी, अविनाश की किक से ये हिला तक नहीं जभी अविनाश अकेला ही १० से भीड़ जाये पर इसने उसे आसानी से काबू कर लिया, तुम लोग ये बात नोटिस नहीं कर पाए क्युकी तुम लड़ने मैमश्गुल थे

तभी रूद्र के अचानक ध्यान मैं आया और उसने पूछा

रूद्र-शिवानी??

लड़की-हा सही पहचाना

रूद्र-माफ़ करना पर मैंने पहले तुम्हे कभी देखा नहीं था बस नरेश जी से तुम्हारे बारे मैं सुना था इसीलिए तुमलोगों को पहचान नहीं पाया

शिवानी-कोई बात नहीं....

उनलोगों के वार्तालाप से राघव भ्रमित सा हो गया था वो उनकी तरफ देखकर बोला

राघव-आपलोगों की बात मुझे समझ मैं नहीं आ रही है थोडा विस्तार से बताओ रूद्र ये लोग कौन है और यहाँ क्या करने आये है

शिवानी-हमलोग उसी गुप्त संस्था के लोग है जिसने रूद्र को बनाने के लिए महेश जी को फंडिंग किया था, मेरा नाम शिवानी है और ये मेरे भाई है चेतन और अविनाश

रूद्र-तो इसका मतलब आपलोग मेरे निर्माता महेश को भी जानते होंगे?

अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है

रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......



To Be Continue......
 

mashish

BHARAT
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भाग २७



रूद्र-हमें एक बडी संख्या मैं उनलोगों को खत्म किया है राघव पर अब भी कई कालसैनिक बचे हुए है और मुझे लगता है कालदूत जरूर अपने उन बचे हुए कालसैनिको एक जगह इकठ्ठा करेगा

तभी उन्हें घर मैं उपर की तरफ की कुछ हलचल सुनाई दी और सबका ध्यान उस और चला गया.......

राघव मुह पर ऊँगली रखकर धीमी आवाज मैं बोला

राघव-श्श्श...सब लोग धीरे बोलो लगता है कोई घर के अंदर चोरी से घुसा है

रमण(धीमी आवाज मैं)- ये जरूर उन कालसैनिको मैं से कोई होगा चलो चलकर देखते है उपर क्या है, रूद्र क्या है वैसे उपर?

रूद्र-कुछ खास नहीं नहीं जो चीज़े रोजमर्रा के काम नहीं आती थी उन्हें नरेश जी उपर के कमरे मैं रखवा देते थे, वहा बड़े बड़े कांच के शीशे लगे है जहा से घर मैं घुसना आसन है

राघव-ठीक है उपर चल कर देखते है कौन है रूद्र तुम यही पीछे रुको ताकि अगर उपर कुछ गड़बड़ हो तो तुम हमारे बैकअप की तरह काम आ सको

रूद्र-ठीक है

सब धीरे धीरे सीढियो से उपर की तरफ बढे, कोशिश कर रहे थे की उनकी कदमो की आवाज न हो, जल्द ही वो लोग उपर पहुच गए, उपर के फ्लोर पर कोई बल्ब वगैरा भी नहीं लगा हुआ था जो भिओ रौशनी आ रही थी खिड़की पर लगे शिशो से आ रही थी, राघव संजय और रमण बडी सावधानी से आगे बढ़ रह थे

संजय-यहाँ तो कोई नहीं दिख रहा है

राघव(गुस्से से चिल्लाकर)- ये चूहे बिल्ली का खेल बहुत हुआ अब अगर अपनी जान प्यारी हो तो चुपचाप बाहर निकल आओ वरना अगर मैं ढूंढने लगा तो अच्छा नहीं होगा

तभी संजय का ध्यान छत की तरफ गया जिसके दो कोनो मैं दो लड़के अपने शारीर को एक विशिष्ट कोण मैं रखकर छत से मकड़ी की तरह चिपके हुए थे संजय की उनपर नजर पड़ते ही वो अपनी जगह से कूदे और उन्होंने राघव रमण और संजय पर धावा बोल दिया....

उन्होंने साधे टीशर्ट और जीन्स पहन रखे थे और चेहरे पर नाक से निचे वाले हिस्से को काले नकाब से ढक रखा था ताकि पहचान मैं न आये, रमण ने उस लड़के से भिड़ने की कोशिश की लेकिन वो गजब का निकला, रमण कुछ करता या कुछ समझ पाटा उससे पहले ही उसके पेट पीठ और गर्दन मैं पर तीन चार मुक्के पड़ चुके थे, संजय ने भी दुसरे लड़के से निपटने की कोशिश की लेकिन वो लड़का फुर्ती से संजय के हर वार से बच रहा था, उसने हवा मैं घूमकर एक तेज़ लात संजय के सीने पर मारी जिससे संजय खुद को संभल नहीं पाया और गिर पड़ा राघव ने उस लड़के को उसका कॉलर पकड़कर खिंचा, उस लड़के ने राघव के पेट पर भी तेज लात मारी जिससे राघव पर कोई असर नहीं हुआ, कल रात के हत्या काण्ड के बाद राघव की शक्तिया जागृत थी जिससे उसकी शारीरिक क्षमता मैं बहुत बढ़त हुयी थी, अब तो सामान्य इंसानों के प्रहारों का उसपर ज्यादा असर नहीं होता था पर उस लड़के के पैर मैं जरूर चोट लग गयी और राघव ने उसे गर्दन से पकड़कर हवा मैं उठा लिया और रमण से लड़ते लड़के को देखकर राघव चिल्लाया

राघव-रुक जाओ! वरना तुम्हारे साथी की गर्डर तोड़ दूंगा मैं और ये बेकार ही मारा जायेगा, पहले बताओ तुम लोग ककून हो? यहाँ क्या करने आये हो?

राघव की बात सुनकर उन नकाबपोश ने भी रमण की गर्दन पर एक छोटा सा चाकू रख दिया

नकाबपोश-कोशिस तो करो तुम्हारा साथी भी जान से जायेगा

तभी वहा रूद्र भी पहुच गया लड़ने की आवाज सुन कर उसे गड़बड़ का अंदाजा हुआ और वो वहा आ गया

रूद्र-तुम जो कोई भी हो इसका अंजाम नहीं जानते तुम रमण की गर्दन से चाकू हटाओ

राघव(क्रोधित होकर)- आखिर कितनी जाने लोगे तुम कालसैनिक?कितने निर्दोशो की मौत से पेट भरेगा तुम्हारा?

राघव के प्रश्न पर रमण को गिरफ्त मैं लिए लड़के की भोहे चौड़ी हो गयी, वो भी गुस्से मैं बोला

नकाबपोश-क्या बकवास कर रहा है? हम कालसैनिक? हम तो यहाँ नरेश जी से मिलने आये थे पर जब यहाँ उके घर मैं अजनबियों को देखा तो हमें कुछ गड़बड़ लगी इसीलिए इसतरह अंदर आये, हमें लगा तुम कालसैनिक हो

रूद्र से बहस करते हुए उस लड़के की पकड़ रमण की गर्दन पर ढीली पद गयी जिसका फायदा उठाते हुए रमण से उसका हाथ पकड़कर उसे एक जोरदार धोबी पछाड़ दी

रमण-अगर हम कालसैनिक होते तो तुमको telekinesis के प्रयोग से रोकते कुश्ती नहीं खेलते तुम्हारे साथ

तभी वहा एक लड़की की बुलंद आवाज गूंजी “बस करो तुम सब लोग”

वहा उस कमरे मैं मौजूद सभी का ध्यान उस कमरे मैं अँधेरे कोने की तरफ गया जहा से अभी तक खामोश कड़ी लडकी निकलकर आगे की तरफ आई थी, खिड़की से आते मद्धिम प्रकाश मैं उसकी लहराती जुल्फे और खुबसूरत बडी सी आँख साफ़ दिखाई देने लगी थी, अब तक बाकि दोनो लड़के बभी अपना नकाब उतर चुके थे, वो लगभग राघव के ही उम्र के थे

लड़की थोडा आगे बढ़ी और रूद्र को गौर से देखते हुए उन दोनों लडको से बोली “हमें ग़लतफहमी हो गयी थी, ये लोग कालसैनिक नहीं हो सकते क्युकी ये कृत्रिम मानव इनके साथ है

ये बात सुन कर सबको झटका लगा और सबसे ज्यादा तो उन दोनों लडको को उनमे से एक बोला

लड़का-तुम जो कह रही हो जानती हो न? तुम्हे कैसे पता की ये वही है जिसका निर्माण हमारी संस्था ने करवाया था

लड़की-मैं जानत हु मैं क्या कह रही हु मुझे नरेश जी ने इसके बारे मैं बताया था और मैंने इसकी फोटो देखि थी वही ये दूसरा लड़का शायद राघव है नरेश जी ने इसके बारे मैं भी बताया था बस मैं पहचान नहीं पायी

लड़का-तुम जानतो हो न क्या कह रही हो?
लड़की-तुम जब इनसे लड़ रहे थे तब मैं अँधेरे मैं छिप कर तुम्हारी लडाई का एक एक मोमेंट नोटिस कर रही थी, अविनाश की किक से ये हिला तक नहीं जभी अविनाश अकेला ही १० से भीड़ जाये पर इसने उसे आसानी से काबू कर लिया, तुम लोग ये बात नोटिस नहीं कर पाए क्युकी तुम लड़ने मैमश्गुल थे

तभी रूद्र के अचानक ध्यान मैं आया और उसने पूछा

रूद्र-शिवानी??

लड़की-हा सही पहचाना

रूद्र-माफ़ करना पर मैंने पहले तुम्हे कभी देखा नहीं था बस नरेश जी से तुम्हारे बारे मैं सुना था इसीलिए तुमलोगों को पहचान नहीं पाया

शिवानी-कोई बात नहीं....

उनलोगों के वार्तालाप से राघव भ्रमित सा हो गया था वो उनकी तरफ देखकर बोला

राघव-आपलोगों की बात मुझे समझ मैं नहीं आ रही है थोडा विस्तार से बताओ रूद्र ये लोग कौन है और यहाँ क्या करने आये है

शिवानी-हमलोग उसी गुप्त संस्था के लोग है जिसने रूद्र को बनाने के लिए महेश जी को फंडिंग किया था, मेरा नाम शिवानी है और ये मेरे भाई है चेतन और अविनाश

रूद्र-तो इसका मतलब आपलोग मेरे निर्माता महेश को भी जानते होंगे?

अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है

रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......




To Be Continue......
awesome update
 

Naik

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भाग २६



दूर हिन्द महासागर मे वो स्याह काली भयानक आकृति उपर आ रही थी, धीरे धीरे वो आकृति पूरी तरह समुद्र से बाहर निकल आई थी और एकटक उन मछुवारो को घूर रही थी वही उस शैतान को देख कर उन मछुवारो की सिट्टी पिट्टी गुम हो गयी ही और घबराहट के मारे उनके पैर कांप रहे थे,

हरिया-हे भगवान....ये...ये कैसा प्राणी है!!!

रघु-हरिया...बोल मत जाल निकाल और जल्दी नाव घुमा वरना हम नहीं बचेंगे.....

कालदूत कोदेख कर रघु और हरिया दोनों की हालत काफी खराब थी, हो भी क्यों न कालदूत का रूप ही इतना भयंकर था की सामान्य मनुष्य उसे देख कर ही डर के मरे मर जाये यहाँ तो तब भी रघु और हरिया ने थोड़ी हिम्मत दिखाई और अपनी जान बचने के लिए वहा से भागने लगे

तभी कालदूत की आवाज रघु और हरिया के दिमाग मैं गूंजी “शांत हो जाओ मनुष्यों! हमसे डरने की तुम्हे कोई आवशकता नहीं है, यदि हमें तुम्हे क्षति पहुचानी होती तो ये कार्य हम कबका कर चुके होते, तुम्हारे यहाँ से भागने की प्रतीक्षा नहीं करते पर हमें तुम्हारा डर नै बल्कि भक्ति चाहिए, तुम मुझे भक्ति दो और मैं तुम्हे ऐसी शक्तिया दूंगा जिसकी तुमने कभी अपने जीवन मैं कल्पना भी नहीं की होगी! ऐसी शक्तिया जो तम्हारा तथाकथित इश्वर तुम्हे कभी नहीं दे सकेगा! हमारी शरण मे आ जाओ हम तुम्हारा कल्याण कर देंगे!”

उन डरे हुए नाविकों पर कालदूत की बातो ने जादुई असर किया और वे अपना डर भुलाकर तुरंत कालदूत के सामने झुक गए, उन्होंने कालदूत के सामने घुटनों पर बैठकर अपना सर उसके सामने झुका लिया,

जैसे ही कालदूत ने देखा की ये नाविक उसके सामने झुक गए है,उसकी शरण मे आ गए है कालदूत के भयानक नेत्रों से एक विशेष प्रकार की तरंगे निकली जो सीधी जाकर उन मछुवारो के शारीर से जा टकराई, हरिया और रघु इन तरंगो के प्रभाव से निचे गिर गए और बुरी तरह तड़पने लगे पर फिर धीरे धीरे उनमे कुछ आश्चर्यजनक शारीरिक परिवर्तन होने लगे, उनके शारीर का आकर बदलने लगा, उनके दांत पैने, आँखें लाल और चमड़ी नीली हो गयी थी, देखते ही देखते वो सामान्य से नाविक अब एक भयानक दरिंदे बन चुके थे...

कालदूत ने अपने आज़ादी के साथ ही अपने लिए दो भयानक सेवको का निर्माण किया था और फिर कालदूत ने तुरंत अपना वो भयानक और विशाल रूट त्यागा और एक खतरनाक लेकिन प्रभावशाली मनुष्य का रूप धारण कर लिया,

कालदूत का मानव रूप उसके असल रूप से कम प्रभावशाली नहीं था,एक लम्बा चौड़ा व्यक्ति जिसने काली शेरवानी जैसा वस्त्र परिधान कर रखा था ये रूप भी सामान्य लोगो के मन मैं सिरहन पैदा करने के लिए पर्याप्त था

कालदूत(मुस्कुराकर)- इस दुनिया को महान कालदूत के आगमन का पैगाम दिया जाये......

---------------

सुबह के ६ बज चुके थे, घनी अँधेरे कालरात्र के बाद एक बार फिर से सूरज चारो और अपनी छटा बिखेरता नजर आ रहा था, दुनिया के लिए नई उम्मीद नई उमंगो और नए खतरों के साथ ये सुबह आयी थी, वही इस दुनिया मैं एक इंसान ऐसा भी था जिसने इस सुबह के साथ अपना सब कुछ खो दिया था, ये दुनिया इस वक़्त कालदूत के आगमन से भले ही अनजान हो लेकिन लेकिन उसके आगमन के बाद इस पृथ्वी पर कई जगहों पर भयानक हादसे देखने मिले थे पर फिलहाल जिनपर इस दुनिया की रक्षा का, कालदूत से लड़ने का जिम्मा था वो इस वक़्त इन सब घटनाओ से अनजान अपनों के जाने के शोक मैं बैठे थे

नरेश और अरुण के अंतिम संस्कार की क्रिया पूरी करके सभी लोग इस वक़्त नरेश के घर मैं बैठे हुए थे, रूद्र ने भी अपने आप को काफी हद तक संभल लिया था लेकिन वो चुपचाप बैठा हुआ था, नरेश के बगैर ये घर उसे कचोट रहा था, राघव भी एकदम शांत था कुछ ही घंटो मैं उसे नरेश से एक जुडाव महसूस होने लगा था साथ ही उसके मन मैं नरेश को न बचा पाने का मलाल था और सारा के अजन्मे बच्चे के मरने का दुःख, राघव को बार बार ये बात खाए जा रही थी के अगर वो चाहता तो रूद्र को कब्रिस्तान मैं रोक सकता था और कही न कही इस बात ने राघव के मन मैं घर किया हुआ था के एक अजन्मे बच्चे को उसने दुनिया मैं आने से ही रोक दिया, पर ये बात राघव ने अभी तक किसी से कही नहीं थी

रमण और संजय भी वही बैठे हुए थे पर किसी से भी कुछ भी बोलते नहीं बन रहा था आखिरकार रूद्र ने ही चुप्पी तोड़ी

रूद्र-अब मैं राजनगर मे नहीं रुकने वाला

रमण-ऐसा क्यों?

रूद्र-नरेशजी ने मुझे अपने बच्चे की तरह पाला, उन्होंने अपनी पत्नी के मरने के बाद कभी दूसरी शादी भी नहीं की लेकिन इस सब के बदले मैं उन्हें क्या मिला...एक दर्दनाक मौत!

राघव रूद्र की बात सुन रहा था पर कुछ बोल नहीं रहा था

संजय-ये तूम कैसी बात कर रहे हो ? उनकी मृत्यु के जिम्मेदार तुम नहीं हो

रूद्र-आपलोग कुछ भी बोले लेकिन ये सच्चाई कभी कोई नहीं बदल पायेगा की हम लोग उनके साथ हुयी अनहोनी को नहीं रोक पाए

रमण उठ कर रूद्र के पास गया और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोला

रमण-मेरी बात सुनो लड़के और राघव तुम भी, तुम दोनों अपने आप मैं बेहद खास हो और इसका नजारा हम कल रात उस कब्रिस्तान मैं देख चुके है जहा तुम दोनों इतने सरे लोगो से भीड़ गए थे, तुम लोगो ने अपनी तरफ से पूरी कोशिश की है, तुमदोनो ने जो हो सकता था किया है, ये सब जो कुछ हुआ है उसमे तुम्हारी कोई गलती नहीं थी, नरेश भाई की मौत का दुःख हम सबको है लेकिन ये वक्त शोक मैं डूबने का नहीं है, इस तरह तो नरेश जी का बलिदान व्यर्थ चला जायेगा अगर हम यही बैठे रहेंगे और कालदूत को रोकने के लिए कुछ नहीं करेंगे तो....

संजय-अब हमें कालदूत को रोकना तो होगा ही वरना ये दुनिया ख़तम होते देर नहीं लगेगी

राघव(मुट्ठी भींचते हुए)- कमर कास लो भैया नरेश जी की मौत व्यर्थ नहीं जाएगी कालदूत को हम रोककर करेंगे रूद्र तुम साथ हो न?

रूद्र-हमेशा....

संजय-उसके पहले हमें दुनिया की खोज खबर ले लेनी चाहिए, आखिर पता तो चले की कालदूत के आगमन ने दुनिया पर किस प्रकार असर डाला है

संजय की बात सुन कर रूद्र ने टीवी चालू किया और वो सब लोग टीवी देखने बैठ गए

न्यूज़ फ़्लैश- कल रात दुनियाभर के मौसम मैं कई तरह के अजीबोगरीब परिवर्तन पाए गए, अमेरिका के कई शहरो मे भयानक बिजली गिरी जिससे सडको और इमारतों को भरी नुकसान हुआ तो भारत मैं भी कई जगह भारी वर्षा के कारन फसलो को काफी नुकसान हुआ है साथ ही देश मैं कई जगह आंधी तूफान आने की खबरे मिली है,लेकिन सबसे अजीबोगरीब खबर मिली थी कच्छ मरुस्थल से उस भाग से जिसकी सीमा समुद्र तट से जुडी हुयी है, स्थानीय लोगो के अनुसार उन्होंने किसी बडी की आकृति को रात के अँधेरे मैं समुद्र के पास देखा था हालाँकि ये बात एक अफवाह ही साबित हुयी है पर वहा के कुछ मछुवारो के गायब होने की खबर जरुर सामने आई है, कुछ लोग इन घटनाओ को अपशकुन मान रहे है वही कुछ ने तो इसे दुनिया का अंत ही घोषित कर दिया है, इन सब अफरा तफरी मैं कई लोगो की जाने भी गयी है जिसके बारे मैं जानकारी हम आपको अपने अगले सेगमेंट मैं देंगे, अन्य कोई खबर मिलते ही आपको वो सबसे पहले हमारे ही चैनल पर देखने मिलेगी तब तक बने रहिये हमारे साथ......

राघव ने टीवी ऑफ किया और बाकियों से बोला

राघव-कही पर भी कल रात राजनगर मैं हुए हत्या कांड की कोई खबर नहीं है

संजय-तुम्हे क्या लगता है ये कालसैनिक १००० साल से इतने खून करके कैसे बचे हुए है, उनके लोग पूरी दुनिया भर मैं फैले हुए है, मीडिया मैं भी, तभी तो आज तक उनसे जुडी कोई खबर लोगो तक नहीं पहुच पाई है

राघव-एक मिनट! मुझे तो लगा था के कल रत हमने सुशेन के साथ सभी कालसैनिको को कब्रिस्तान मैं खत्म कर दिया था

रूद्र-हमें एक बडी संख्या मैं उनलोगों को खत्म किया है राघव पर अब भी कई कालसैनिक बचे हुए है और मुझे लगता है कालदूत जरूर अपने उन बचे हुए कालसैनिको एक जगह इकठ्ठा करेगा


तभी उन्हें घर मैं उपर की तरफ की कुछ हलचल सुनाई दी और सबका ध्यान उस और चला गया.......
Bahot shaandaar zaberdast lajawab update bhai
Bahot khoob superb
 

Naik

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भाग २७



रूद्र-हमें एक बडी संख्या मैं उनलोगों को खत्म किया है राघव पर अब भी कई कालसैनिक बचे हुए है और मुझे लगता है कालदूत जरूर अपने उन बचे हुए कालसैनिको एक जगह इकठ्ठा करेगा

तभी उन्हें घर मैं उपर की तरफ की कुछ हलचल सुनाई दी और सबका ध्यान उस और चला गया.......

राघव मुह पर ऊँगली रखकर धीमी आवाज मैं बोला

राघव-श्श्श...सब लोग धीरे बोलो लगता है कोई घर के अंदर चोरी से घुसा है

रमण(धीमी आवाज मैं)- ये जरूर उन कालसैनिको मैं से कोई होगा चलो चलकर देखते है उपर क्या है, रूद्र क्या है वैसे उपर?

रूद्र-कुछ खास नहीं नहीं जो चीज़े रोजमर्रा के काम नहीं आती थी उन्हें नरेश जी उपर के कमरे मैं रखवा देते थे, वहा बड़े बड़े कांच के शीशे लगे है जहा से घर मैं घुसना आसन है

राघव-ठीक है उपर चल कर देखते है कौन है रूद्र तुम यही पीछे रुको ताकि अगर उपर कुछ गड़बड़ हो तो तुम हमारे बैकअप की तरह काम आ सको

रूद्र-ठीक है

सब धीरे धीरे सीढियो से उपर की तरफ बढे, कोशिश कर रहे थे की उनकी कदमो की आवाज न हो, जल्द ही वो लोग उपर पहुच गए, उपर के फ्लोर पर कोई बल्ब वगैरा भी नहीं लगा हुआ था जो भिओ रौशनी आ रही थी खिड़की पर लगे शिशो से आ रही थी, राघव संजय और रमण बडी सावधानी से आगे बढ़ रह थे

संजय-यहाँ तो कोई नहीं दिख रहा है

राघव(गुस्से से चिल्लाकर)- ये चूहे बिल्ली का खेल बहुत हुआ अब अगर अपनी जान प्यारी हो तो चुपचाप बाहर निकल आओ वरना अगर मैं ढूंढने लगा तो अच्छा नहीं होगा

तभी संजय का ध्यान छत की तरफ गया जिसके दो कोनो मैं दो लड़के अपने शारीर को एक विशिष्ट कोण मैं रखकर छत से मकड़ी की तरह चिपके हुए थे संजय की उनपर नजर पड़ते ही वो अपनी जगह से कूदे और उन्होंने राघव रमण और संजय पर धावा बोल दिया....

उन्होंने साधे टीशर्ट और जीन्स पहन रखे थे और चेहरे पर नाक से निचे वाले हिस्से को काले नकाब से ढक रखा था ताकि पहचान मैं न आये, रमण ने उस लड़के से भिड़ने की कोशिश की लेकिन वो गजब का निकला, रमण कुछ करता या कुछ समझ पाटा उससे पहले ही उसके पेट पीठ और गर्दन मैं पर तीन चार मुक्के पड़ चुके थे, संजय ने भी दुसरे लड़के से निपटने की कोशिश की लेकिन वो लड़का फुर्ती से संजय के हर वार से बच रहा था, उसने हवा मैं घूमकर एक तेज़ लात संजय के सीने पर मारी जिससे संजय खुद को संभल नहीं पाया और गिर पड़ा राघव ने उस लड़के को उसका कॉलर पकड़कर खिंचा, उस लड़के ने राघव के पेट पर भी तेज लात मारी जिससे राघव पर कोई असर नहीं हुआ, कल रात के हत्या काण्ड के बाद राघव की शक्तिया जागृत थी जिससे उसकी शारीरिक क्षमता मैं बहुत बढ़त हुयी थी, अब तो सामान्य इंसानों के प्रहारों का उसपर ज्यादा असर नहीं होता था पर उस लड़के के पैर मैं जरूर चोट लग गयी और राघव ने उसे गर्दन से पकड़कर हवा मैं उठा लिया और रमण से लड़ते लड़के को देखकर राघव चिल्लाया

राघव-रुक जाओ! वरना तुम्हारे साथी की गर्डर तोड़ दूंगा मैं और ये बेकार ही मारा जायेगा, पहले बताओ तुम लोग ककून हो? यहाँ क्या करने आये हो?

राघव की बात सुनकर उन नकाबपोश ने भी रमण की गर्दन पर एक छोटा सा चाकू रख दिया

नकाबपोश-कोशिस तो करो तुम्हारा साथी भी जान से जायेगा

तभी वहा रूद्र भी पहुच गया लड़ने की आवाज सुन कर उसे गड़बड़ का अंदाजा हुआ और वो वहा आ गया

रूद्र-तुम जो कोई भी हो इसका अंजाम नहीं जानते तुम रमण की गर्दन से चाकू हटाओ

राघव(क्रोधित होकर)- आखिर कितनी जाने लोगे तुम कालसैनिक?कितने निर्दोशो की मौत से पेट भरेगा तुम्हारा?

राघव के प्रश्न पर रमण को गिरफ्त मैं लिए लड़के की भोहे चौड़ी हो गयी, वो भी गुस्से मैं बोला

नकाबपोश-क्या बकवास कर रहा है? हम कालसैनिक? हम तो यहाँ नरेश जी से मिलने आये थे पर जब यहाँ उके घर मैं अजनबियों को देखा तो हमें कुछ गड़बड़ लगी इसीलिए इसतरह अंदर आये, हमें लगा तुम कालसैनिक हो

रूद्र से बहस करते हुए उस लड़के की पकड़ रमण की गर्दन पर ढीली पद गयी जिसका फायदा उठाते हुए रमण से उसका हाथ पकड़कर उसे एक जोरदार धोबी पछाड़ दी

रमण-अगर हम कालसैनिक होते तो तुमको telekinesis के प्रयोग से रोकते कुश्ती नहीं खेलते तुम्हारे साथ

तभी वहा एक लड़की की बुलंद आवाज गूंजी “बस करो तुम सब लोग”

वहा उस कमरे मैं मौजूद सभी का ध्यान उस कमरे मैं अँधेरे कोने की तरफ गया जहा से अभी तक खामोश कड़ी लडकी निकलकर आगे की तरफ आई थी, खिड़की से आते मद्धिम प्रकाश मैं उसकी लहराती जुल्फे और खुबसूरत बडी सी आँख साफ़ दिखाई देने लगी थी, अब तक बाकि दोनो लड़के बभी अपना नकाब उतर चुके थे, वो लगभग राघव के ही उम्र के थे

लड़की थोडा आगे बढ़ी और रूद्र को गौर से देखते हुए उन दोनों लडको से बोली “हमें ग़लतफहमी हो गयी थी, ये लोग कालसैनिक नहीं हो सकते क्युकी ये कृत्रिम मानव इनके साथ है

ये बात सुन कर सबको झटका लगा और सबसे ज्यादा तो उन दोनों लडको को उनमे से एक बोला

लड़का-तुम जो कह रही हो जानती हो न? तुम्हे कैसे पता की ये वही है जिसका निर्माण हमारी संस्था ने करवाया था

लड़की-मैं जानत हु मैं क्या कह रही हु मुझे नरेश जी ने इसके बारे मैं बताया था और मैंने इसकी फोटो देखि थी वही ये दूसरा लड़का शायद राघव है नरेश जी ने इसके बारे मैं भी बताया था बस मैं पहचान नहीं पायी

लड़का-तुम जानतो हो न क्या कह रही हो?
लड़की-तुम जब इनसे लड़ रहे थे तब मैं अँधेरे मैं छिप कर तुम्हारी लडाई का एक एक मोमेंट नोटिस कर रही थी, अविनाश की किक से ये हिला तक नहीं जभी अविनाश अकेला ही १० से भीड़ जाये पर इसने उसे आसानी से काबू कर लिया, तुम लोग ये बात नोटिस नहीं कर पाए क्युकी तुम लड़ने मैमश्गुल थे

तभी रूद्र के अचानक ध्यान मैं आया और उसने पूछा

रूद्र-शिवानी??

लड़की-हा सही पहचाना

रूद्र-माफ़ करना पर मैंने पहले तुम्हे कभी देखा नहीं था बस नरेश जी से तुम्हारे बारे मैं सुना था इसीलिए तुमलोगों को पहचान नहीं पाया

शिवानी-कोई बात नहीं....

उनलोगों के वार्तालाप से राघव भ्रमित सा हो गया था वो उनकी तरफ देखकर बोला

राघव-आपलोगों की बात मुझे समझ मैं नहीं आ रही है थोडा विस्तार से बताओ रूद्र ये लोग कौन है और यहाँ क्या करने आये है

शिवानी-हमलोग उसी गुप्त संस्था के लोग है जिसने रूद्र को बनाने के लिए महेश जी को फंडिंग किया था, मेरा नाम शिवानी है और ये मेरे भाई है चेतन और अविनाश

रूद्र-तो इसका मतलब आपलोग मेरे निर्माता महेश को भी जानते होंगे?

अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है

रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......




To Be Continue......
Behtareen update bhai zaberdast lajawab
Bahot khoob superb lajawab
 

ashish_1982_in

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भाग २७



रूद्र-हमें एक बडी संख्या मैं उनलोगों को खत्म किया है राघव पर अब भी कई कालसैनिक बचे हुए है और मुझे लगता है कालदूत जरूर अपने उन बचे हुए कालसैनिको एक जगह इकठ्ठा करेगा

तभी उन्हें घर मैं उपर की तरफ की कुछ हलचल सुनाई दी और सबका ध्यान उस और चला गया.......

राघव मुह पर ऊँगली रखकर धीमी आवाज मैं बोला

राघव-श्श्श...सब लोग धीरे बोलो लगता है कोई घर के अंदर चोरी से घुसा है

रमण(धीमी आवाज मैं)- ये जरूर उन कालसैनिको मैं से कोई होगा चलो चलकर देखते है उपर क्या है, रूद्र क्या है वैसे उपर?

रूद्र-कुछ खास नहीं नहीं जो चीज़े रोजमर्रा के काम नहीं आती थी उन्हें नरेश जी उपर के कमरे मैं रखवा देते थे, वहा बड़े बड़े कांच के शीशे लगे है जहा से घर मैं घुसना आसन है

राघव-ठीक है उपर चल कर देखते है कौन है रूद्र तुम यही पीछे रुको ताकि अगर उपर कुछ गड़बड़ हो तो तुम हमारे बैकअप की तरह काम आ सको

रूद्र-ठीक है

सब धीरे धीरे सीढियो से उपर की तरफ बढे, कोशिश कर रहे थे की उनकी कदमो की आवाज न हो, जल्द ही वो लोग उपर पहुच गए, उपर के फ्लोर पर कोई बल्ब वगैरा भी नहीं लगा हुआ था जो भिओ रौशनी आ रही थी खिड़की पर लगे शिशो से आ रही थी, राघव संजय और रमण बडी सावधानी से आगे बढ़ रह थे

संजय-यहाँ तो कोई नहीं दिख रहा है

राघव(गुस्से से चिल्लाकर)- ये चूहे बिल्ली का खेल बहुत हुआ अब अगर अपनी जान प्यारी हो तो चुपचाप बाहर निकल आओ वरना अगर मैं ढूंढने लगा तो अच्छा नहीं होगा

तभी संजय का ध्यान छत की तरफ गया जिसके दो कोनो मैं दो लड़के अपने शारीर को एक विशिष्ट कोण मैं रखकर छत से मकड़ी की तरह चिपके हुए थे संजय की उनपर नजर पड़ते ही वो अपनी जगह से कूदे और उन्होंने राघव रमण और संजय पर धावा बोल दिया....

उन्होंने साधे टीशर्ट और जीन्स पहन रखे थे और चेहरे पर नाक से निचे वाले हिस्से को काले नकाब से ढक रखा था ताकि पहचान मैं न आये, रमण ने उस लड़के से भिड़ने की कोशिश की लेकिन वो गजब का निकला, रमण कुछ करता या कुछ समझ पाटा उससे पहले ही उसके पेट पीठ और गर्दन मैं पर तीन चार मुक्के पड़ चुके थे, संजय ने भी दुसरे लड़के से निपटने की कोशिश की लेकिन वो लड़का फुर्ती से संजय के हर वार से बच रहा था, उसने हवा मैं घूमकर एक तेज़ लात संजय के सीने पर मारी जिससे संजय खुद को संभल नहीं पाया और गिर पड़ा राघव ने उस लड़के को उसका कॉलर पकड़कर खिंचा, उस लड़के ने राघव के पेट पर भी तेज लात मारी जिससे राघव पर कोई असर नहीं हुआ, कल रात के हत्या काण्ड के बाद राघव की शक्तिया जागृत थी जिससे उसकी शारीरिक क्षमता मैं बहुत बढ़त हुयी थी, अब तो सामान्य इंसानों के प्रहारों का उसपर ज्यादा असर नहीं होता था पर उस लड़के के पैर मैं जरूर चोट लग गयी और राघव ने उसे गर्दन से पकड़कर हवा मैं उठा लिया और रमण से लड़ते लड़के को देखकर राघव चिल्लाया

राघव-रुक जाओ! वरना तुम्हारे साथी की गर्डर तोड़ दूंगा मैं और ये बेकार ही मारा जायेगा, पहले बताओ तुम लोग ककून हो? यहाँ क्या करने आये हो?

राघव की बात सुनकर उन नकाबपोश ने भी रमण की गर्दन पर एक छोटा सा चाकू रख दिया

नकाबपोश-कोशिस तो करो तुम्हारा साथी भी जान से जायेगा

तभी वहा रूद्र भी पहुच गया लड़ने की आवाज सुन कर उसे गड़बड़ का अंदाजा हुआ और वो वहा आ गया

रूद्र-तुम जो कोई भी हो इसका अंजाम नहीं जानते तुम रमण की गर्दन से चाकू हटाओ

राघव(क्रोधित होकर)- आखिर कितनी जाने लोगे तुम कालसैनिक?कितने निर्दोशो की मौत से पेट भरेगा तुम्हारा?

राघव के प्रश्न पर रमण को गिरफ्त मैं लिए लड़के की भोहे चौड़ी हो गयी, वो भी गुस्से मैं बोला

नकाबपोश-क्या बकवास कर रहा है? हम कालसैनिक? हम तो यहाँ नरेश जी से मिलने आये थे पर जब यहाँ उके घर मैं अजनबियों को देखा तो हमें कुछ गड़बड़ लगी इसीलिए इसतरह अंदर आये, हमें लगा तुम कालसैनिक हो

रूद्र से बहस करते हुए उस लड़के की पकड़ रमण की गर्दन पर ढीली पद गयी जिसका फायदा उठाते हुए रमण से उसका हाथ पकड़कर उसे एक जोरदार धोबी पछाड़ दी

रमण-अगर हम कालसैनिक होते तो तुमको telekinesis के प्रयोग से रोकते कुश्ती नहीं खेलते तुम्हारे साथ

तभी वहा एक लड़की की बुलंद आवाज गूंजी “बस करो तुम सब लोग”

वहा उस कमरे मैं मौजूद सभी का ध्यान उस कमरे मैं अँधेरे कोने की तरफ गया जहा से अभी तक खामोश कड़ी लडकी निकलकर आगे की तरफ आई थी, खिड़की से आते मद्धिम प्रकाश मैं उसकी लहराती जुल्फे और खुबसूरत बडी सी आँख साफ़ दिखाई देने लगी थी, अब तक बाकि दोनो लड़के बभी अपना नकाब उतर चुके थे, वो लगभग राघव के ही उम्र के थे

लड़की थोडा आगे बढ़ी और रूद्र को गौर से देखते हुए उन दोनों लडको से बोली “हमें ग़लतफहमी हो गयी थी, ये लोग कालसैनिक नहीं हो सकते क्युकी ये कृत्रिम मानव इनके साथ है

ये बात सुन कर सबको झटका लगा और सबसे ज्यादा तो उन दोनों लडको को उनमे से एक बोला

लड़का-तुम जो कह रही हो जानती हो न? तुम्हे कैसे पता की ये वही है जिसका निर्माण हमारी संस्था ने करवाया था

लड़की-मैं जानत हु मैं क्या कह रही हु मुझे नरेश जी ने इसके बारे मैं बताया था और मैंने इसकी फोटो देखि थी वही ये दूसरा लड़का शायद राघव है नरेश जी ने इसके बारे मैं भी बताया था बस मैं पहचान नहीं पायी

लड़का-तुम जानतो हो न क्या कह रही हो?
लड़की-तुम जब इनसे लड़ रहे थे तब मैं अँधेरे मैं छिप कर तुम्हारी लडाई का एक एक मोमेंट नोटिस कर रही थी, अविनाश की किक से ये हिला तक नहीं जभी अविनाश अकेला ही १० से भीड़ जाये पर इसने उसे आसानी से काबू कर लिया, तुम लोग ये बात नोटिस नहीं कर पाए क्युकी तुम लड़ने मैमश्गुल थे

तभी रूद्र के अचानक ध्यान मैं आया और उसने पूछा

रूद्र-शिवानी??

लड़की-हा सही पहचाना

रूद्र-माफ़ करना पर मैंने पहले तुम्हे कभी देखा नहीं था बस नरेश जी से तुम्हारे बारे मैं सुना था इसीलिए तुमलोगों को पहचान नहीं पाया

शिवानी-कोई बात नहीं....

उनलोगों के वार्तालाप से राघव भ्रमित सा हो गया था वो उनकी तरफ देखकर बोला

राघव-आपलोगों की बात मुझे समझ मैं नहीं आ रही है थोडा विस्तार से बताओ रूद्र ये लोग कौन है और यहाँ क्या करने आये है

शिवानी-हमलोग उसी गुप्त संस्था के लोग है जिसने रूद्र को बनाने के लिए महेश जी को फंडिंग किया था, मेरा नाम शिवानी है और ये मेरे भाई है चेतन और अविनाश

रूद्र-तो इसका मतलब आपलोग मेरे निर्माता महेश को भी जानते होंगे?

अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है

रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......




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very nice update bhai maza aa gya ab to kaldut se ladnie ke liye aur bhi bande Aaye
 

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
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17,766
189
भाग २७



रूद्र-हमें एक बडी संख्या मैं उनलोगों को खत्म किया है राघव पर अब भी कई कालसैनिक बचे हुए है और मुझे लगता है कालदूत जरूर अपने उन बचे हुए कालसैनिको एक जगह इकठ्ठा करेगा

तभी उन्हें घर मैं उपर की तरफ की कुछ हलचल सुनाई दी और सबका ध्यान उस और चला गया.......

राघव मुह पर ऊँगली रखकर धीमी आवाज मैं बोला

राघव-श्श्श...सब लोग धीरे बोलो लगता है कोई घर के अंदर चोरी से घुसा है

रमण(धीमी आवाज मैं)- ये जरूर उन कालसैनिको मैं से कोई होगा चलो चलकर देखते है उपर क्या है, रूद्र क्या है वैसे उपर?

रूद्र-कुछ खास नहीं नहीं जो चीज़े रोजमर्रा के काम नहीं आती थी उन्हें नरेश जी उपर के कमरे मैं रखवा देते थे, वहा बड़े बड़े कांच के शीशे लगे है जहा से घर मैं घुसना आसन है

राघव-ठीक है उपर चल कर देखते है कौन है रूद्र तुम यही पीछे रुको ताकि अगर उपर कुछ गड़बड़ हो तो तुम हमारे बैकअप की तरह काम आ सको

रूद्र-ठीक है

सब धीरे धीरे सीढियो से उपर की तरफ बढे, कोशिश कर रहे थे की उनकी कदमो की आवाज न हो, जल्द ही वो लोग उपर पहुच गए, उपर के फ्लोर पर कोई बल्ब वगैरा भी नहीं लगा हुआ था जो भिओ रौशनी आ रही थी खिड़की पर लगे शिशो से आ रही थी, राघव संजय और रमण बडी सावधानी से आगे बढ़ रह थे

संजय-यहाँ तो कोई नहीं दिख रहा है

राघव(गुस्से से चिल्लाकर)- ये चूहे बिल्ली का खेल बहुत हुआ अब अगर अपनी जान प्यारी हो तो चुपचाप बाहर निकल आओ वरना अगर मैं ढूंढने लगा तो अच्छा नहीं होगा

तभी संजय का ध्यान छत की तरफ गया जिसके दो कोनो मैं दो लड़के अपने शारीर को एक विशिष्ट कोण मैं रखकर छत से मकड़ी की तरह चिपके हुए थे संजय की उनपर नजर पड़ते ही वो अपनी जगह से कूदे और उन्होंने राघव रमण और संजय पर धावा बोल दिया....

उन्होंने साधे टीशर्ट और जीन्स पहन रखे थे और चेहरे पर नाक से निचे वाले हिस्से को काले नकाब से ढक रखा था ताकि पहचान मैं न आये, रमण ने उस लड़के से भिड़ने की कोशिश की लेकिन वो गजब का निकला, रमण कुछ करता या कुछ समझ पाटा उससे पहले ही उसके पेट पीठ और गर्दन मैं पर तीन चार मुक्के पड़ चुके थे, संजय ने भी दुसरे लड़के से निपटने की कोशिश की लेकिन वो लड़का फुर्ती से संजय के हर वार से बच रहा था, उसने हवा मैं घूमकर एक तेज़ लात संजय के सीने पर मारी जिससे संजय खुद को संभल नहीं पाया और गिर पड़ा राघव ने उस लड़के को उसका कॉलर पकड़कर खिंचा, उस लड़के ने राघव के पेट पर भी तेज लात मारी जिससे राघव पर कोई असर नहीं हुआ, कल रात के हत्या काण्ड के बाद राघव की शक्तिया जागृत थी जिससे उसकी शारीरिक क्षमता मैं बहुत बढ़त हुयी थी, अब तो सामान्य इंसानों के प्रहारों का उसपर ज्यादा असर नहीं होता था पर उस लड़के के पैर मैं जरूर चोट लग गयी और राघव ने उसे गर्दन से पकड़कर हवा मैं उठा लिया और रमण से लड़ते लड़के को देखकर राघव चिल्लाया

राघव-रुक जाओ! वरना तुम्हारे साथी की गर्डर तोड़ दूंगा मैं और ये बेकार ही मारा जायेगा, पहले बताओ तुम लोग ककून हो? यहाँ क्या करने आये हो?

राघव की बात सुनकर उन नकाबपोश ने भी रमण की गर्दन पर एक छोटा सा चाकू रख दिया

नकाबपोश-कोशिस तो करो तुम्हारा साथी भी जान से जायेगा

तभी वहा रूद्र भी पहुच गया लड़ने की आवाज सुन कर उसे गड़बड़ का अंदाजा हुआ और वो वहा आ गया

रूद्र-तुम जो कोई भी हो इसका अंजाम नहीं जानते तुम रमण की गर्दन से चाकू हटाओ

राघव(क्रोधित होकर)- आखिर कितनी जाने लोगे तुम कालसैनिक?कितने निर्दोशो की मौत से पेट भरेगा तुम्हारा?

राघव के प्रश्न पर रमण को गिरफ्त मैं लिए लड़के की भोहे चौड़ी हो गयी, वो भी गुस्से मैं बोला

नकाबपोश-क्या बकवास कर रहा है? हम कालसैनिक? हम तो यहाँ नरेश जी से मिलने आये थे पर जब यहाँ उके घर मैं अजनबियों को देखा तो हमें कुछ गड़बड़ लगी इसीलिए इसतरह अंदर आये, हमें लगा तुम कालसैनिक हो

रूद्र से बहस करते हुए उस लड़के की पकड़ रमण की गर्दन पर ढीली पद गयी जिसका फायदा उठाते हुए रमण से उसका हाथ पकड़कर उसे एक जोरदार धोबी पछाड़ दी

रमण-अगर हम कालसैनिक होते तो तुमको telekinesis के प्रयोग से रोकते कुश्ती नहीं खेलते तुम्हारे साथ

तभी वहा एक लड़की की बुलंद आवाज गूंजी “बस करो तुम सब लोग”

वहा उस कमरे मैं मौजूद सभी का ध्यान उस कमरे मैं अँधेरे कोने की तरफ गया जहा से अभी तक खामोश कड़ी लडकी निकलकर आगे की तरफ आई थी, खिड़की से आते मद्धिम प्रकाश मैं उसकी लहराती जुल्फे और खुबसूरत बडी सी आँख साफ़ दिखाई देने लगी थी, अब तक बाकि दोनो लड़के बभी अपना नकाब उतर चुके थे, वो लगभग राघव के ही उम्र के थे

लड़की थोडा आगे बढ़ी और रूद्र को गौर से देखते हुए उन दोनों लडको से बोली “हमें ग़लतफहमी हो गयी थी, ये लोग कालसैनिक नहीं हो सकते क्युकी ये कृत्रिम मानव इनके साथ है

ये बात सुन कर सबको झटका लगा और सबसे ज्यादा तो उन दोनों लडको को उनमे से एक बोला

लड़का-तुम जो कह रही हो जानती हो न? तुम्हे कैसे पता की ये वही है जिसका निर्माण हमारी संस्था ने करवाया था

लड़की-मैं जानत हु मैं क्या कह रही हु मुझे नरेश जी ने इसके बारे मैं बताया था और मैंने इसकी फोटो देखि थी वही ये दूसरा लड़का शायद राघव है नरेश जी ने इसके बारे मैं भी बताया था बस मैं पहचान नहीं पायी

लड़का-तुम जानतो हो न क्या कह रही हो?
लड़की-तुम जब इनसे लड़ रहे थे तब मैं अँधेरे मैं छिप कर तुम्हारी लडाई का एक एक मोमेंट नोटिस कर रही थी, अविनाश की किक से ये हिला तक नहीं जभी अविनाश अकेला ही १० से भीड़ जाये पर इसने उसे आसानी से काबू कर लिया, तुम लोग ये बात नोटिस नहीं कर पाए क्युकी तुम लड़ने मैमश्गुल थे

तभी रूद्र के अचानक ध्यान मैं आया और उसने पूछा

रूद्र-शिवानी??

लड़की-हा सही पहचाना

रूद्र-माफ़ करना पर मैंने पहले तुम्हे कभी देखा नहीं था बस नरेश जी से तुम्हारे बारे मैं सुना था इसीलिए तुमलोगों को पहचान नहीं पाया

शिवानी-कोई बात नहीं....

उनलोगों के वार्तालाप से राघव भ्रमित सा हो गया था वो उनकी तरफ देखकर बोला

राघव-आपलोगों की बात मुझे समझ मैं नहीं आ रही है थोडा विस्तार से बताओ रूद्र ये लोग कौन है और यहाँ क्या करने आये है

शिवानी-हमलोग उसी गुप्त संस्था के लोग है जिसने रूद्र को बनाने के लिए महेश जी को फंडिंग किया था, मेरा नाम शिवानी है और ये मेरे भाई है चेतन और अविनाश

रूद्र-तो इसका मतलब आपलोग मेरे निर्माता महेश को भी जानते होंगे?

अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है

रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......




To Be Continue......
Supperr fantastic updates
 
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