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भाग २७
रूद्र-हमें एक बडी संख्या मैं उनलोगों को खत्म किया है राघव पर अब भी कई कालसैनिक बचे हुए है और मुझे लगता है कालदूत जरूर अपने उन बचे हुए कालसैनिको एक जगह इकठ्ठा करेगा
तभी उन्हें घर मैं उपर की तरफ की कुछ हलचल सुनाई दी और सबका ध्यान उस और चला गया.......
राघव मुह पर ऊँगली रखकर धीमी आवाज मैं बोला
राघव-श्श्श...सब लोग धीरे बोलो लगता है कोई घर के अंदर चोरी से घुसा है
रमण(धीमी आवाज मैं)- ये जरूर उन कालसैनिको मैं से कोई होगा चलो चलकर देखते है उपर क्या है, रूद्र क्या है वैसे उपर?
रूद्र-कुछ खास नहीं नहीं जो चीज़े रोजमर्रा के काम नहीं आती थी उन्हें नरेश जी उपर के कमरे मैं रखवा देते थे, वहा बड़े बड़े कांच के शीशे लगे है जहा से घर मैं घुसना आसन है
राघव-ठीक है उपर चल कर देखते है कौन है रूद्र तुम यही पीछे रुको ताकि अगर उपर कुछ गड़बड़ हो तो तुम हमारे बैकअप की तरह काम आ सको
रूद्र-ठीक है
सब धीरे धीरे सीढियो से उपर की तरफ बढे, कोशिश कर रहे थे की उनकी कदमो की आवाज न हो, जल्द ही वो लोग उपर पहुच गए, उपर के फ्लोर पर कोई बल्ब वगैरा भी नहीं लगा हुआ था जो भिओ रौशनी आ रही थी खिड़की पर लगे शिशो से आ रही थी, राघव संजय और रमण बडी सावधानी से आगे बढ़ रह थे
संजय-यहाँ तो कोई नहीं दिख रहा है
राघव(गुस्से से चिल्लाकर)- ये चूहे बिल्ली का खेल बहुत हुआ अब अगर अपनी जान प्यारी हो तो चुपचाप बाहर निकल आओ वरना अगर मैं ढूंढने लगा तो अच्छा नहीं होगा
तभी संजय का ध्यान छत की तरफ गया जिसके दो कोनो मैं दो लड़के अपने शारीर को एक विशिष्ट कोण मैं रखकर छत से मकड़ी की तरह चिपके हुए थे संजय की उनपर नजर पड़ते ही वो अपनी जगह से कूदे और उन्होंने राघव रमण और संजय पर धावा बोल दिया....
उन्होंने साधे टीशर्ट और जीन्स पहन रखे थे और चेहरे पर नाक से निचे वाले हिस्से को काले नकाब से ढक रखा था ताकि पहचान मैं न आये, रमण ने उस लड़के से भिड़ने की कोशिश की लेकिन वो गजब का निकला, रमण कुछ करता या कुछ समझ पाटा उससे पहले ही उसके पेट पीठ और गर्दन मैं पर तीन चार मुक्के पड़ चुके थे, संजय ने भी दुसरे लड़के से निपटने की कोशिश की लेकिन वो लड़का फुर्ती से संजय के हर वार से बच रहा था, उसने हवा मैं घूमकर एक तेज़ लात संजय के सीने पर मारी जिससे संजय खुद को संभल नहीं पाया और गिर पड़ा राघव ने उस लड़के को उसका कॉलर पकड़कर खिंचा, उस लड़के ने राघव के पेट पर भी तेज लात मारी जिससे राघव पर कोई असर नहीं हुआ, कल रात के हत्या काण्ड के बाद राघव की शक्तिया जागृत थी जिससे उसकी शारीरिक क्षमता मैं बहुत बढ़त हुयी थी, अब तो सामान्य इंसानों के प्रहारों का उसपर ज्यादा असर नहीं होता था पर उस लड़के के पैर मैं जरूर चोट लग गयी और राघव ने उसे गर्दन से पकड़कर हवा मैं उठा लिया और रमण से लड़ते लड़के को देखकर राघव चिल्लाया
राघव-रुक जाओ! वरना तुम्हारे साथी की गर्डर तोड़ दूंगा मैं और ये बेकार ही मारा जायेगा, पहले बताओ तुम लोग ककून हो? यहाँ क्या करने आये हो?
राघव की बात सुनकर उन नकाबपोश ने भी रमण की गर्दन पर एक छोटा सा चाकू रख दिया
नकाबपोश-कोशिस तो करो तुम्हारा साथी भी जान से जायेगा
तभी वहा रूद्र भी पहुच गया लड़ने की आवाज सुन कर उसे गड़बड़ का अंदाजा हुआ और वो वहा आ गया
रूद्र-तुम जो कोई भी हो इसका अंजाम नहीं जानते तुम रमण की गर्दन से चाकू हटाओ
राघव(क्रोधित होकर)- आखिर कितनी जाने लोगे तुम कालसैनिक?कितने निर्दोशो की मौत से पेट भरेगा तुम्हारा?
राघव के प्रश्न पर रमण को गिरफ्त मैं लिए लड़के की भोहे चौड़ी हो गयी, वो भी गुस्से मैं बोला
नकाबपोश-क्या बकवास कर रहा है? हम कालसैनिक? हम तो यहाँ नरेश जी से मिलने आये थे पर जब यहाँ उके घर मैं अजनबियों को देखा तो हमें कुछ गड़बड़ लगी इसीलिए इसतरह अंदर आये, हमें लगा तुम कालसैनिक हो
रूद्र से बहस करते हुए उस लड़के की पकड़ रमण की गर्दन पर ढीली पद गयी जिसका फायदा उठाते हुए रमण से उसका हाथ पकड़कर उसे एक जोरदार धोबी पछाड़ दी
रमण-अगर हम कालसैनिक होते तो तुमको telekinesis के प्रयोग से रोकते कुश्ती नहीं खेलते तुम्हारे साथ
तभी वहा एक लड़की की बुलंद आवाज गूंजी “बस करो तुम सब लोग”
वहा उस कमरे मैं मौजूद सभी का ध्यान उस कमरे मैं अँधेरे कोने की तरफ गया जहा से अभी तक खामोश कड़ी लडकी निकलकर आगे की तरफ आई थी, खिड़की से आते मद्धिम प्रकाश मैं उसकी लहराती जुल्फे और खुबसूरत बडी सी आँख साफ़ दिखाई देने लगी थी, अब तक बाकि दोनो लड़के बभी अपना नकाब उतर चुके थे, वो लगभग राघव के ही उम्र के थे
लड़की थोडा आगे बढ़ी और रूद्र को गौर से देखते हुए उन दोनों लडको से बोली “हमें ग़लतफहमी हो गयी थी, ये लोग कालसैनिक नहीं हो सकते क्युकी ये कृत्रिम मानव इनके साथ है
ये बात सुन कर सबको झटका लगा और सबसे ज्यादा तो उन दोनों लडको को उनमे से एक बोला
लड़का-तुम जो कह रही हो जानती हो न? तुम्हे कैसे पता की ये वही है जिसका निर्माण हमारी संस्था ने करवाया था
लड़की-मैं जानत हु मैं क्या कह रही हु मुझे नरेश जी ने इसके बारे मैं बताया था और मैंने इसकी फोटो देखि थी वही ये दूसरा लड़का शायद राघव है नरेश जी ने इसके बारे मैं भी बताया था बस मैं पहचान नहीं पायी
लड़का-तुम जानतो हो न क्या कह रही हो?
लड़की-तुम जब इनसे लड़ रहे थे तब मैं अँधेरे मैं छिप कर तुम्हारी लडाई का एक एक मोमेंट नोटिस कर रही थी, अविनाश की किक से ये हिला तक नहीं जभी अविनाश अकेला ही १० से भीड़ जाये पर इसने उसे आसानी से काबू कर लिया, तुम लोग ये बात नोटिस नहीं कर पाए क्युकी तुम लड़ने मैमश्गुल थे
तभी रूद्र के अचानक ध्यान मैं आया और उसने पूछा
रूद्र-शिवानी??
लड़की-हा सही पहचाना
रूद्र-माफ़ करना पर मैंने पहले तुम्हे कभी देखा नहीं था बस नरेश जी से तुम्हारे बारे मैं सुना था इसीलिए तुमलोगों को पहचान नहीं पाया
शिवानी-कोई बात नहीं....
उनलोगों के वार्तालाप से राघव भ्रमित सा हो गया था वो उनकी तरफ देखकर बोला
राघव-आपलोगों की बात मुझे समझ मैं नहीं आ रही है थोडा विस्तार से बताओ रूद्र ये लोग कौन है और यहाँ क्या करने आये है
शिवानी-हमलोग उसी गुप्त संस्था के लोग है जिसने रूद्र को बनाने के लिए महेश जी को फंडिंग किया था, मेरा नाम शिवानी है और ये मेरे भाई है चेतन और अविनाश
रूद्र-तो इसका मतलब आपलोग मेरे निर्माता महेश को भी जानते होंगे?
अविनाश-महेश जी हमारे पिता थे, उन्होंने हम तीनो अनाथ बच्चो को गोद लिया थ और जब कालसेना से उन्हें मारा था तभी से उसके बाद हमारा भरण पोषण आर्गेनाईजेशन ने किया, हमें बचपन से ऐसा कठोर प्रशिक्षण दिया गया जिसके कारण हम आज संस्था के काबिल लड़ाको मैं से एक बन गए है
रमण-बीच मैं रोकने के लिए माफ़ी चाहता हु पर ये ‘आर्गेनाईजेशन’ है क्या??.......
To Be Continue......