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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

Royal कारभार 👑
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भाग २५



काफी सारे कालसैनिक अब लाश बन चुके थे और जो दो चार बचे थे उनसे राघव निपट रहा था और रूद्र सुशेन की तरफ बढ़ा तभी एक काला चोगा पहने स्त्री उसके और सुशेन के बीच आ गयी.....

रूद(क्रोध से)- सामने से हट जाओ लड़की!

सुशेन बैठा बैठा की अपनी भयानक पीड़ा भूलकर जोर से चिल्लाया

सुषाओं-हट जाओ सारा! ये तुम्हे भी मार डालेगा!

सारा(सुशेन को प्यार से देख कर)- तो मैं ख़ुशी ख़ुशी से तुम्हारे लिए जान दे दूंगी मेरी जान

इतना कहकर सारा ने telekinesis द्वारा वहा मौजूद एक भरी पत्थर उठाया और उसे रूद्र की तरफ फेका अब तक राघव का ध्यान भी इस लडाई की तरफ हो चूका था और वो भरी पत्थर जब तक रूद्र के करीब पहुच कर उसे हानी पहुचता तब तक रूद्र ने एक जोरदार प्रहार उस पत्थर पर किया और उसके टुकड़े हो गए, रूद्र की आँखों मैं अब और क्रोध उतर आया था

रूद्र-मेरा शारीर कोई आम मानव शारीर नहीं है बल्कि तरह तरहके धातुओ से बना है देखना चाह्तिहो मेरी ताकत

सुशेन(घबराकर)-न...नहीं..रूद्र! मुझे मार डालो जितनी बुरी मौत देनी हो दे दो लेकिन इसे छोड़ दो

रूद्र(सुशेन की तरफ देखकर)- तू हमें अपनों की मौत से होने वाले दर्द के बारे मैं बता रहा था न?तुम कालसैनिको ने मेरा निर्माता महेश को मारा और उनके भाई मेरे पिता सामान नरेशजी और उनकी बीवी को मारा तब मैं कुछ नहीं पर सका मगर आज मैं हैवानियत दिखाऊंगा और तुम लोग कुछ नहीं कर सकोगे, कोई एक भी यहाँ से बचकर जिन्दा नहीं जायेगा, तुम लोग हमारे समाज मैं कैंसर की तरफ हो जो हमारे बीच सामान्य लोगो की तरफ रहकर हमें ही नुक्सान पहुचाएंगे

तभी सारा ने एक बार फिर रूद्र पर हमला करने का सोचा वही राघव को मनो आगे होने वाली घटना का पूर्वानुमान हो गया था उसने रूद्र को आवाज़ लगायी “रूद्र रुको!!” पर रूद्र भी सारा की मंशा समझ चूका था और राघव रूद्र को रोक पता या सारा रूद्र पर हमला करती इससे पहले ही रूद्र ने उसे एक जोरदार थप्पड़ रसीद किया जिससे सारा की नाजुक गर्दन की हड्डिया कडकड़ा उठी, रूद्र तो ये अंदाजा भी नहीं लगा पाया था के क्रोध के वश मैं आकर उसने क्या कर दिया है वही राघव भी अफ़सोस मैं था की वो सही समय पर रूद्र को रोक नहीं पाया था, सारा की सासे थम चुकी थी और उसका निर्जीव शारीर धरती पर पड़ा था, धरती पर गिरने के बाद भी उसकी आँखें खुली हुयी थी जो एकटक सुशेन को प्यार से निहार रही थी

सुशेन-नहीं..! तुमने...तुमने उसे मार डाला! अब तुमलोगों मैं और मुझमे क्या अंतर रह गया है, जरा अपने आस पास देखो तुम दोनों की वजह से कब्रिस्तान मौत का कितना भयानक मंजर फैला हुआ है! तुम लोग हमें राक्षस बताते हो और खुद क्या हो, आज तुमने भी तो लोगो की जान ली है

राघव ने अपने चारो तरफ फैली लाशो को देखा, कुछ दिन पहले अगर उससे कोई कहता की वो क्रूर है तो वो नहीं मानता पर आज उसने कब्रिस्तान मैं जिस क्रूरता का प्रदर्शन किया था उससे वो खुद चकित था, उसे अपने और कालसैनिको मैं कोई अन्तेर नजर नहीं आ रहा था फिर भी उसने अपने बचाव मैं कह

राघव-तुम सब खुनी हत्यारे थे मौत तो तुम्हारा मुकद्दर थी

सुशेन-मान लिया की यहाँ सभी खुनी हत्यारे थे जिन्हें तुम लोगो ने मारा लेकिन हम सबके बीच ऐसा कोई था जो बिलकुल निर्दोष था, जिसने एक भी जान नहीं ली थी जिसे इस रूद्र ने मार डाला

रूद्र का कृत्रिम दिल जोरो से धड़क रहा था

रूद्र-तू किसकी बात कर रहा है??

सुशेन-मेरी बीवी सारा, वह १ महीने की गर्भवती थी और तुमने उसके साथ साथ उसके बच्चे की भी जान ले ली

रूद्र-या ये कहो की एक कालसैनिक को इस दुनिया मैं आने से रोक दिया जो किसी शैतान की भक्ति के नाम पर अपने पिता की तरफ तमाम निर्दोशो का खून बहाता

सुशेन-या फिर मुझ से बगावत करा अरुण की तरह बनता जो अपने की पिता के खिलाफ लड़ा था, तुमने पहले ही सोच लिया था के मेरा बच्चा मेरे जैसा बनेगा? अब तो स्वीकार कर लो की तुम्हारे हाथो एक मासूम का खून चढ़ गया है और तुम लोगो के हाथ भी किसी मासूम के खून से लाल हो चुके है

सुशेन की बातो से राघव और रूद्र बुरी तरफ हिल चुके थे और अब सुशेन इनकी बेबसी पर हस रहा था, काफी देर से बाहर खड़े रमण और संजय भी अंदर आ गए और उन्होंने बाकि बचे कालसैनिको को अपनी बन्दूको से मार डाला और राघव और रूद्र के करीब आये को बुत बने खड़े थे और सामने सुशेन जोर से हस रहा था जिसके बाद उन्होंने सुशेन को भी अपनी बन्दूक से छलनी कर दिया अब अब सुशेन भी उस कब्रिस्तान मैं पड़ी लासको मैं शामिल हो गया था और उन लाशो के बीच संजय राघव रमण और रूद्र खड़े थे, भीषण गोलीबारी चीखपुकार और भयानक रक्तपात के बाद कब्रिस्तान एक बार फिर शांत हो गया था

रमण ने पीछे से जाकर राघव के कंधे पर हाथ रखा और अपने भाई का स्पर्श समझते ही राघव उससे लिपट गया

संजय-मुझे नहीं पता था की तुम लोगो इतन क्रूरता से मार सकते हो

रूद्र-अब कोई फर्क नहीं पड़ता हम उन्हें आखरी कुर्बनि देने से नहीं रोक पाए, अब कात्दूत को जागने से कोई नहीं रोक सकता

संजय-क्या? हम तो बाहर थे अंदर का कुछ पता नहीं लगा यहाँ क्या हुआ था रूद्र?

रूद्र ने लोने की जंजीरों की तरफ इशारा करते हुए कहा “ये थी आखरी कुर्बानी”

रमण-उफ्फ, कितनी भयानक मौत दी है बिचारे को कौन था वो व्यक्ति?

राघव-नरेश जी

नरेश का नाम सुन कर संजय और रमण के पैरो तले जमीन खिसक गयी वो कभी उस लाश को देखते तो कभी रूद्र को जिसकी आँखों से अब आंसू बह रहे थे, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था के रूद्र को सांत्वना कैसे दि जाये कुछ समय बाद वो लोग रूद्र को शांत करने मैं सफल हुए और वहा से नरेश की लाश लेकर अंतिम संस्कार करने निकल गए संजय रूद्र के साथ आगे चल रहा था वही राघव रमण के साथ था

राघव-भईया रूद्र ठीक होगा न?

रमण-हम उसकी हालत का अंदाजा नहीं लगा सकते राघव नरेश ने उसे अब तक पाला था, भले ही वो कृत्रिम मानव है पर है एक २२ साल का लड़का ही,उससे आज उसका सब छीन गया है हम उसकी मनोस्तिथि नै समझ सकते बस सांत्वना दे सकते है, अब पता नहीं इस दुनिया का क्या होगा अगर कालदूत सच मैं आ गया तो........

----------------------------

कही दूर हिन्द महासागर मैं दो मछुवारे मछली पकड़ने वाला जाल समुद्र मैं डाल रहे थे

रघु-आबे आज हम ज्यादा दूर निकल आये है चलो जल्दी से काम निपटाया जाए

हरिया-अबे रुक जा थोड़ी देर थोड़ी मछिलिया और हाथ लगने दे

रघु-अरे हाल देख मौसम का इतने आंधी तूफान मैं नव ज्यादा समय नहीं टिकेगी

तभी अचानक समुद्र मैं हलचल होने लगी, पानी का रंग भी धीरे धीरे बदलने लगा

हरिया- अरे! ये क्या हो रहा है

रघु-पता नहीं ऐसा लग रहा है मनो समुद्र से कोई चीज़ बाहर आ रही हो

हरिया-ये जरूर व्हेल जैसी कोई बडी मछली होगी वरना पानी मैं इतनी हलचल और कौन मचा सकता है?

रघु-पता नहीं! अरे देख! एक काला बड़ा शारीर पानी से बाहर आ रहा है

हरिया-हे भगवान! ये क्या है?

रघु(घबराते हुए)- ये.....ये कोई मछली नहीं है! ये तो शैतान का अवतार लगता है!

उसके बाद उन मछुवारो के सामने उनके जीवन का सबसे भयानक दृश्य उपस्तिथ हो चूका था, धीरे धीरे १०० फूट का एक प्राणी समुद्र से बाहर निकला जिसका सर एक नाग की भांति था शारीर मानव की तरह और पीठ पर ड्रैगन जिसे विशालकाय पंख लगे थे, इतने विशाल शारीर वाले प्राणी को देख कर वो नाविक बुरी तरह आतंकित हो चुके थे....

कालदूत अपनी कैद से आजाद हो चूका था..........
 

ashish_1982_in

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भाग २५



काफी सारे कालसैनिक अब लाश बन चुके थे और जो दो चार बचे थे उनसे राघव निपट रहा था और रूद्र सुशेन की तरफ बढ़ा तभी एक काला चोगा पहने स्त्री उसके और सुशेन के बीच आ गयी.....

रूद(क्रोध से)- सामने से हट जाओ लड़की!

सुशेन बैठा बैठा की अपनी भयानक पीड़ा भूलकर जोर से चिल्लाया

सुषाओं-हट जाओ सारा! ये तुम्हे भी मार डालेगा!

सारा(सुशेन को प्यार से देख कर)- तो मैं ख़ुशी ख़ुशी से तुम्हारे लिए जान दे दूंगी मेरी जान

इतना कहकर सारा ने telekinesis द्वारा वहा मौजूद एक भरी पत्थर उठाया और उसे रूद्र की तरफ फेका अब तक राघव का ध्यान भी इस लडाई की तरफ हो चूका था और वो भरी पत्थर जब तक रूद्र के करीब पहुच कर उसे हानी पहुचता तब तक रूद्र ने एक जोरदार प्रहार उस पत्थर पर किया और उसके टुकड़े हो गए, रूद्र की आँखों मैं अब और क्रोध उतर आया था

रूद्र-मेरा शारीर कोई आम मानव शारीर नहीं है बल्कि तरह तरहके धातुओ से बना है देखना चाह्तिहो मेरी ताकत

सुशेन(घबराकर)-न...नहीं..रूद्र! मुझे मार डालो जितनी बुरी मौत देनी हो दे दो लेकिन इसे छोड़ दो

रूद्र(सुशेन की तरफ देखकर)- तू हमें अपनों की मौत से होने वाले दर्द के बारे मैं बता रहा था न?तुम कालसैनिको ने मेरा निर्माता महेश को मारा और उनके भाई मेरे पिता सामान नरेशजी और उनकी बीवी को मारा तब मैं कुछ नहीं पर सका मगर आज मैं हैवानियत दिखाऊंगा और तुम लोग कुछ नहीं कर सकोगे, कोई एक भी यहाँ से बचकर जिन्दा नहीं जायेगा, तुम लोग हमारे समाज मैं कैंसर की तरफ हो जो हमारे बीच सामान्य लोगो की तरफ रहकर हमें ही नुक्सान पहुचाएंगे

तभी सारा ने एक बार फिर रूद्र पर हमला करने का सोचा वही राघव को मनो आगे होने वाली घटना का पूर्वानुमान हो गया था उसने रूद्र को आवाज़ लगायी “रूद्र रुको!!” पर रूद्र भी सारा की मंशा समझ चूका था और राघव रूद्र को रोक पता या सारा रूद्र पर हमला करती इससे पहले ही रूद्र ने उसे एक जोरदार थप्पड़ रसीद किया जिससे सारा की नाजुक गर्दन की हड्डिया कडकड़ा उठी, रूद्र तो ये अंदाजा भी नहीं लगा पाया था के क्रोध के वश मैं आकर उसने क्या कर दिया है वही राघव भी अफ़सोस मैं था की वो सही समय पर रूद्र को रोक नहीं पाया था, सारा की सासे थम चुकी थी और उसका निर्जीव शारीर धरती पर पड़ा था, धरती पर गिरने के बाद भी उसकी आँखें खुली हुयी थी जो एकटक सुशेन को प्यार से निहार रही थी

सुशेन-नहीं..! तुमने...तुमने उसे मार डाला! अब तुमलोगों मैं और मुझमे क्या अंतर रह गया है, जरा अपने आस पास देखो तुम दोनों की वजह से कब्रिस्तान मौत का कितना भयानक मंजर फैला हुआ है! तुम लोग हमें राक्षस बताते हो और खुद क्या हो, आज तुमने भी तो लोगो की जान ली है

राघव ने अपने चारो तरफ फैली लाशो को देखा, कुछ दिन पहले अगर उससे कोई कहता की वो क्रूर है तो वो नहीं मानता पर आज उसने कब्रिस्तान मैं जिस क्रूरता का प्रदर्शन किया था उससे वो खुद चकित था, उसे अपने और कालसैनिको मैं कोई अन्तेर नजर नहीं आ रहा था फिर भी उसने अपने बचाव मैं कह

राघव-तुम सब खुनी हत्यारे थे मौत तो तुम्हारा मुकद्दर थी

सुशेन-मान लिया की यहाँ सभी खुनी हत्यारे थे जिन्हें तुम लोगो ने मारा लेकिन हम सबके बीच ऐसा कोई था जो बिलकुल निर्दोष था, जिसने एक भी जान नहीं ली थी जिसे इस रूद्र ने मार डाला

रूद्र का कृत्रिम दिल जोरो से धड़क रहा था

रूद्र-तू किसकी बात कर रहा है??

सुशेन-मेरी बीवी सारा, वह १ महीने की गर्भवती थी और तुमने उसके साथ साथ उसके बच्चे की भी जान ले ली

रूद्र-या ये कहो की एक कालसैनिक को इस दुनिया मैं आने से रोक दिया जो किसी शैतान की भक्ति के नाम पर अपने पिता की तरफ तमाम निर्दोशो का खून बहाता

सुशेन-या फिर मुझ से बगावत करा अरुण की तरह बनता जो अपने की पिता के खिलाफ लड़ा था, तुमने पहले ही सोच लिया था के मेरा बच्चा मेरे जैसा बनेगा? अब तो स्वीकार कर लो की तुम्हारे हाथो एक मासूम का खून चढ़ गया है और तुम लोगो के हाथ भी किसी मासूम के खून से लाल हो चुके है

सुशेन की बातो से राघव और रूद्र बुरी तरफ हिल चुके थे और अब सुशेन इनकी बेबसी पर हस रहा था, काफी देर से बाहर खड़े रमण और संजय भी अंदर आ गए और उन्होंने बाकि बचे कालसैनिको को अपनी बन्दूको से मार डाला और राघव और रूद्र के करीब आये को बुत बने खड़े थे और सामने सुशेन जोर से हस रहा था जिसके बाद उन्होंने सुशेन को भी अपनी बन्दूक से छलनी कर दिया अब अब सुशेन भी उस कब्रिस्तान मैं पड़ी लासको मैं शामिल हो गया था और उन लाशो के बीच संजय राघव रमण और रूद्र खड़े थे, भीषण गोलीबारी चीखपुकार और भयानक रक्तपात के बाद कब्रिस्तान एक बार फिर शांत हो गया था

रमण ने पीछे से जाकर राघव के कंधे पर हाथ रखा और अपने भाई का स्पर्श समझते ही राघव उससे लिपट गया

संजय-मुझे नहीं पता था की तुम लोगो इतन क्रूरता से मार सकते हो

रूद्र-अब कोई फर्क नहीं पड़ता हम उन्हें आखरी कुर्बनि देने से नहीं रोक पाए, अब कात्दूत को जागने से कोई नहीं रोक सकता

संजय-क्या? हम तो बाहर थे अंदर का कुछ पता नहीं लगा यहाँ क्या हुआ था रूद्र?

रूद्र ने लोने की जंजीरों की तरफ इशारा करते हुए कहा “ये थी आखरी कुर्बानी”

रमण-उफ्फ, कितनी भयानक मौत दी है बिचारे को कौन था वो व्यक्ति?

राघव-नरेश जी

नरेश का नाम सुन कर संजय और रमण के पैरो तले जमीन खिसक गयी वो कभी उस लाश को देखते तो कभी रूद्र को जिसकी आँखों से अब आंसू बह रहे थे, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था के रूद्र को सांत्वना कैसे दि जाये कुछ समय बाद वो लोग रूद्र को शांत करने मैं सफल हुए और वहा से नरेश की लाश लेकर अंतिम संस्कार करने निकल गए संजय रूद्र के साथ आगे चल रहा था वही राघव रमण के साथ था

राघव-भईया रूद्र ठीक होगा न?

रमण-हम उसकी हालत का अंदाजा नहीं लगा सकते राघव नरेश ने उसे अब तक पाला था, भले ही वो कृत्रिम मानव है पर है एक २२ साल का लड़का ही,उससे आज उसका सब छीन गया है हम उसकी मनोस्तिथि नै समझ सकते बस सांत्वना दे सकते है, अब पता नहीं इस दुनिया का क्या होगा अगर कालदूत सच मैं आ गया तो........

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कही दूर हिन्द महासागर मैं दो मछुवारे मछली पकड़ने वाला जाल समुद्र मैं डाल रहे थे

रघु-आबे आज हम ज्यादा दूर निकल आये है चलो जल्दी से काम निपटाया जाए

हरिया-अबे रुक जा थोड़ी देर थोड़ी मछिलिया और हाथ लगने दे

रघु-अरे हाल देख मौसम का इतने आंधी तूफान मैं नव ज्यादा समय नहीं टिकेगी

तभी अचानक समुद्र मैं हलचल होने लगी, पानी का रंग भी धीरे धीरे बदलने लगा

हरिया- अरे! ये क्या हो रहा है

रघु-पता नहीं ऐसा लग रहा है मनो समुद्र से कोई चीज़ बाहर आ रही हो

हरिया-ये जरूर व्हेल जैसी कोई बडी मछली होगी वरना पानी मैं इतनी हलचल और कौन मचा सकता है?

रघु-पता नहीं! अरे देख! एक काला बड़ा शारीर पानी से बाहर आ रहा है

हरिया-हे भगवान! ये क्या है?

रघु(घबराते हुए)- ये.....ये कोई मछली नहीं है! ये तो शैतान का अवतार लगता है!

उसके बाद उन मछुवारो के सामने उनके जीवन का सबसे भयानक दृश्य उपस्तिथ हो चूका था, धीरे धीरे १०० फूट का एक प्राणी समुद्र से बाहर निकला जिसका सर एक नाग की भांति था शारीर मानव की तरह और पीठ पर ड्रैगन जिसे विशालकाय पंख लगे थे, इतने विशाल शारीर वाले प्राणी को देख कर वो नाविक बुरी तरह आतंकित हो चुके थे....


कालदूत अपनी कैद से आजाद हो चूका था..........
super fantastic update bhai maza aa gya ab dekhte hai ki aage kya hota hai
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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259
ग्यारहवाँ भाग
रमन खाना खाकर छत पर जाता है जहां पर राघव पहुँचता है और सीधे राघव से कालदूत के बारे में पूछता है और दादा जी की रुद्राक्ष की माला और पुस्तक के बारे में बताता है। राघव के कहने पर रमन उस कब्रिस्तान में संतोष और पुलिसकर्मियों के साथ कालसैनिक को पकड़ने के लिए जाता है।
वहां पर दो गुट आते हैं जिनमे परस्पर बलि को लेकर झगड़ा होता है और विक्रम की हकीकत सामने आती है क्या वाकई विक्रम कालसैनिक है। उसने ही रोहित को मारा है। देखते हैं
बहुत उम्दा सर जी
 

DARK WOLFKING

Supreme
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nice update ..sara agar maa banne wali thi to usko waha ana nahi chahiye tha ..maidan e jung me jo samne aaye usko khatm kar do ye rule hai aur sara saamne aayi aur rudra ne usko maar diya ..

sushen bhi khatm ho gaya aur baaki kasinik bhi .

aur lagta hai kaldut dharti par aa gaya hai ...
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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बारहवाँ भाग
संतोष विक्रम को देखकर चौक जाता है। विक्रम रोहित को मारने की वजह रोहित का अपनी पत्नी नंदिनी से नाजायज संबंध बताता है। और विक्रम के अनुसार अब आखिरी बलि बची है जिसे वो लोग अगली पूर्णमासी को देंगे मतलब एक महीने बाद।
वहीं रमन सोच रहा था कि उसने केस सुलझा लिया है परंतु राघव की ये बात की अगर सचमें कालदूत हुआ तो इस दुनिया को बहुत बड़ा खतरा है सोच में पड़ जाता है। फिर एक नया ट्विस्ट। संतोष भी कालदूत का अनुयायी है।
देखते हैं आगे क्या होता है। क्या संतोष की हकीकत सामने आएगी।
बहुत बढ़िया सर जी
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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तेरहवाँ भाग

रमन सुबह जल्दी उठकर थाने चला जाता जी और विक्रांत से और जानकारी के लिए उससे पूछताछ करता है लेकिन कुछ ज्यादा पता नहीं चलता। लगता है संतोष और विक्रांत मिले हुए हैं और संतोष ही विक्रांत को छुड़वाएगा।

इधर घर मे राघव ध्यान मुद्रा में बैठकर कुछ आवाजे सुनता है और घर से बाहर निकल जाता है किसी सुराग की खोज में तभी उसे जंगल मे आवाज़ सुनाई देती है और जंगल के बाहर एक आलीशान घर दिखाई देता है।

बहुत बढ़िया सर जी।

ये घर किसका है। कहीं ये भी कालदूत के भक्तों का अड्डा तो नहीं है।
 

Raj_sharma

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Wah Wah kya baat hai kya likhte ho bhai
 

Naik

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भाग २१



नरेश ने जब दरवाजा खोला तो सामने अनिरुद्ध शास्त्री खड़े थे, उन्हें वहा देख कर पहले तो नरेश चौका, उसे कभी उम्मीद ही नहीं थी के अनिरुद्ध उससे मिलने आएगा

नरेश- अनिरुद्ध भैया आप आइये अंदर आइये

अनिरुद्ध अंदर आकर नरेश से कुछ बात करता या बोलता इससे पहले ही उसकी नजर राघव और रमण पर पड़ी...

राघव-बाबूजी आप यहाँ??

अनिरुद्ध-तुम दोनों यहाँ और रमण तुम्हारे पुलिस स्टेशन मैं आज इतनी भयानक घटना हुयी है हम सबको तुम्हारी चिंता हो रही है, श्रुति कब से तुम दोनों भाइयो का फ़ोन तरी कर रही है....बात क्या है तुम यहाँ क्या कर रहे हो??

नरेश-मैं बताता हु भैया आप बैठिये...

फिर नरेश ने अनिरुद्ध शास्त्री को सारी बात बताई की कैसे रूद्र ने रमण को बचाया वगैरे जिसके बाद

अनिरुद्ध- रूद्र, नरेश मैं जिन शब्दों मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करू समझ नहीं आ रहा है

नरेश-ये आप कैसी बात कर रहे है भैया राघव और रमण की सुरक्षा करना मेरा फर्ज था, अफ़सोस इस बात का है के अगर गुरूजी के कहे मुताबिक मैं राघव से मिल लेता तो शायद आज दुनिया पर इतना बड़ा खतरा न मंडरा रहा होता पर आपने.....

रमण-आप नरेश जी को कैसे जानते है पिताजी?

अनिरुद्ध- वो..

नरेश-ये कैसा सवाल है रमण....मैं अभी तुम्हे बताया था के मैं और मेरा भाई महेश गुरूजी के साथ रहते थे जाहिर है मैं अनिरुद्ध भैया और भाभी को अच्छी तरह जानता हु...

अनिरुद्ध-मैं डर गया था नरेश, पिताजी के जाने के बाद मैं अपने बच्चो को किसी मुसीबत मैं नहीं देखना चाहता था और यहाँ तो पिताजी ने राघव के कंधो पर पूरी दुनिया का जिम्मा डाला था..

राघव-मतलब आप को इन सब के बारे मैं पहले से खबर थी

अनिरुद्ध-हा, पिताजी ने जो बाते तुम्हारे बारे मैं नरेश को चिट्ठी मैं बताई थी वो उन्होंने मुझसे कहा था लेकिन मैं नहीं चाहता था के तुम इस तरह के किसी खतरे मन पड़ो इसीलिए मैंने कभी तुमसे इस बारे मैं कोई बात नहीं की राघव, नरेश जब अमेरिका से लौट कर तुमसे मिलना चाहता था तब मैंने ही उसे रोका था, पर नियति को जो मंजूर होता है वही होता है तुम आज यहाँ पहुच ही गए

नरेश-मैं आपकी चिंता समझता हु भैया....

अनिरुद्ध-पिताजी सही कहते थे आप कितनी ही कोहिश क्यों न कर लो जो होना है वो होकर ही रहता है खैर जो हुआ सो हुआ अब मैं उन लोगो से लड़ने मैं क्या मदद कर सकता हु बताओ...

रमण-ये काम हम पर ही छोडिये पिताजी आप घर जाइये और माँ और श्रुति से कहिये की मैं और राघव ठीक है कुछ काम ख़त्म करके जल्द ही आते है...

अनिरुद्ध-पर...

राघव-भाई सही कह रहा है पिताजी....

ये सब बाते यहाँ चल ही रही थी तभी अरुण को किसी का फ़ोन आया जिसे सुन कर उसका चेहरा गंभीर हो गया..

अरुण-नरेश भाई बुरी खबर है..मेरा शक सही निकला आज रात कुछ बड़ा होने वाला है कालसैनिक अंतिम कुर्बानी की तयारी कर रहे है....

नरेश-क्या??

अरुण-हा हमारे पास समय बहुत कम है

नरेश-रमण तुम भैया को घर छोड़ आओ और मुझे यही आकर मिलो तब तक हम आगे की रणनीति सोचते है..

रमण-ठीक है....

वही दूसरी तरफ...

इस वक़्त रात के १२ बज रहे थे और राजनगर मं भरी बारिश शुरू हो गयी थी, समय समय पर थर्रा देने वाली बिजली भी चमक उठती थी लेकिन बारिश या बिजली का असर उन काले लम्बे चोगे वाले नकाबपोशो पर नहीं पड़ रहा था जो उस विशाल कब्रिस्तान मैं भरी तादाद मैं मौजूद थे जहा रोहित की बलि दी गयी थी...

सुशेन एक उची जगह पर खड़ा होकर अपनी बुलंद आवाज मैं सबको संबोधित कर रहा था

सुशेन-मेरे दोस्तों! १००० वर्ष बाद अब जाकर हमें लोगो के बीच छिपने की जरुरत नहीं रहेगी क्युकी आज रात आखरी कुर्बानी की रात है जो इतने समय से चले आ रहे कुर्बानियों के चक्र को तोड़ेगी.....हमारा देवता समुद्रतल की गहरायो से आजाद होकर इस धरती पर राज करेगा....मैं जानता हु पिछले कुछ दिन हमारे लिए अच्छे नहीं रहे है...उन तुच्छ मनवो ने आज मेरे भाई को मार दिया, मैं इस दुखद घटना के कारण शोक मैं डूब गया था लेकिन कुछ समय बाद मुझे समझ आया के मेरे भाई का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए, शक्ति के अंत के बाद ब्लू हुड पूरी तरह बिखर गया था मैंने उन्हें हमारे साथ शामिल कर लिया है, हमारे पास जितने अधिक लोग होंगे लक्ष्य तक पहुचना उतना ही आसान होगा, इससे कालसेना की सिमित संख्या मैं बढ़ोतरी हो चुकी है....मेरे साथ दोहराओमहान भगवान कालदूत की.....

कालसैनिक एकसाथ- जय!!!

सुशेन-महान कालदूत अमर रहे!!

कालसैनिक- अमर रहे कालदूत.....!!

कालदूत का जयकारा लगाने मैं सबसे आगे संतोष खड़ा था......

वही राघव नरेश और बाकि सब घर पर तयारियो मैं जुटे थे, रूद्र खिड़की के बाहर देख रहा था नरेश उसके पास जाकर खड़ा हो गया

रूद्र-आज की रात बहुत काली है नरेश जी, बारिश भी तेज है....

नरेश-इतनी फ़िक्र मत करो लड़के

अरुण-हा रूद्र अब इन कालसैनिको पर आखरी वार करने का वक़्त है, वो अपना रिवाज पूरा करने किसी को ढूंढ रहे होंगे हमें उनपर पूरी ताकत से हमला करना है....

रूद्र-अगर मेरे पास उनका पता हो तो मैं अभी जाकर उन सब को ख़त्म कर सकता हु आप लोगो को आने की जरुरत नहीं है...

रमण-लेकिन तुम्हे नहीं पता की वो लोग इस वक़्त कहा पर है और सारे कालसैनिक एक जगह तो मिलेंगे नहीं, उनका प्लान होगा अलग अलग जगह से लोगो को उठाने का प्रयास करे, उन्हें नाकाम करने के लिए हमें भी बिखरना होगा

रमण ने अंदर आते हुए कहा....

संजय-अब हमारा प्लान क्या है आगे क्या करना है?

नरेश-राजनगर मैं कुछ ही ऐसे संवेदनशील हिस्से मैं जहा पर आजतक कालसेना ने हमला किया है जब मैंने इन हिस्सों को मार्क करना शुरू किया तो मुझे समझ मैं आया की असल मैं तीन ही ऐसी जगह है जहा ये कालसेना के लोग हमला करते है, अब हमें भी उन्हें ढूंढने के लिए तीन टीम्स मैं बटना होगा, उत्तर दिशा की तरफ रूद्र अकेला जायेगा क्युकी उसपर काले जादू का telekinesis का असर नहीं होता है, पूरब मे मैं और अरुण जायेंगे और दक्षिण मैं राघव संजय और रमण, रूद्र के अलावा हम सबको उनका सामना करने के लिए हथियारों की जरुरत होगी क्युकी हम मे से कोई भी रूद्र जैसा अभेद्द नहीं है, राघव हो सकते तो अपनी शक्तियों को पहचानने की कोशिश करो हमें तुम्हारी जरुरत है बच्चे, अपनी रफ़्तार और बहुबल हो पहचानो, तुम यहा अकेले ऐसे इंसान हो जो कालसैनिको का खात्मा चंद पालो मैं कर सकते हो तुमसे हमें बहुत उमीदे है

राघव-मैं पूरी कोशिश करूँगा

नरेश-पहले हम छिपकर उनकी गतिविधि देखेंगे, उनका कोई गुप्त अड्डा जरूर होगा जहा पर वो सब मिलते होंगे और आज जब वो आखरी कुर्बानी ढूंढने निकले है तो सारे कालसैनिक एक जगह जरूर इकठ्ठा होंगे, हम बस चुप चाप उनका पीछा करके वो गुप्त स्थान ढूंढेंगे और फिर बिना नजरो मैं आये RDX प्लांट करेंगे और पूरी जगह ही उड़ा देंगे और अगर फिर भी कोई कालसैनिक बच गया ओ उसके लिए हथियारों का इंतजाम अरुण ने कर दिया है, देखते ही मार देंगे उन्हें बस ध्यान रहे उन्हें मौका नहीं मिलना चाहिए वरना आखरी कुर्बानी हम मैं से किसी की होगी, सभी को गुड लक

सभी लोग घर के बाहर निकले, अबतक बारिश हलकी हो चुकी थी और हवा मैं ठण्ड के साथ नमी भी बढ़ चुकी थी लेकिन रात का अँधेरा और सन्नाटा बरक़रार था साथ ही रह रहकर बिजली भी जोरो से कड़क रही थी, तीनो टीम के लोग आपस मैं एकदूसरे से गले मिले और रूद्र नरेश के पास आया

रूद्र(झिझकते हुए)- देखिये...अगर आपको वो लोग मिले तो आपको मुझे या राघव को कॉल करना है खुद कोई एक्शन नहीं लेना है

नरेश-मैं समझता हु रूद्र तुम्हे मेरी चिंता है लेकिन अगर हमारा प्लान काम कर गया तो चिंता की कोई बात नहीं है

रूद्र-कुछ चांस ये भी है के हमारी योजना काम न करे फिर हम क्या करेंगे? आप जानते है आपके सिवा मेरा दुनिया मे कोई नहीं है मैं नहीं चाहता आपका हाल आपके भाई और मेरे निर्माता जैसा हो...

नरेश-मैं वादा करता हु की अगर मुझे कुछ गड़बड़ लगी तो तुम्हे या राघव को कॉल करूँगा खुद कोई एक्शन नहीं लूँगा, अब मेरी चिंता करने का वक़्त नहीं है बल्कि धावा बोलने का वक़्त है

फिर तीनो टीम्स अपने लक्ष्य की तरफ रवाना हुयी, रमण संजय और राघव रमण की जीप मैं जिसके पीछे वाली सीट पर उन्होंने अरुण के दिए हुए हथीयार रखे थे, नरेश और अरुण अरुण की गाड़ी मैं जिकसी डिक्की मैं भी काफी हथीयार थे और रूद्र अपनी बाइक पर बैठकर अपनी लोकेशन की तरफ रवाना हुआ.....




To Be Continue.......
Bahot behtareen update bhai
 
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