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भाग २५
काफी सारे कालसैनिक अब लाश बन चुके थे और जो दो चार बचे थे उनसे राघव निपट रहा था और रूद्र सुशेन की तरफ बढ़ा तभी एक काला चोगा पहने स्त्री उसके और सुशेन के बीच आ गयी.....
रूद(क्रोध से)- सामने से हट जाओ लड़की!
सुशेन बैठा बैठा की अपनी भयानक पीड़ा भूलकर जोर से चिल्लाया
सुषाओं-हट जाओ सारा! ये तुम्हे भी मार डालेगा!
सारा(सुशेन को प्यार से देख कर)- तो मैं ख़ुशी ख़ुशी से तुम्हारे लिए जान दे दूंगी मेरी जान
इतना कहकर सारा ने telekinesis द्वारा वहा मौजूद एक भरी पत्थर उठाया और उसे रूद्र की तरफ फेका अब तक राघव का ध्यान भी इस लडाई की तरफ हो चूका था और वो भरी पत्थर जब तक रूद्र के करीब पहुच कर उसे हानी पहुचता तब तक रूद्र ने एक जोरदार प्रहार उस पत्थर पर किया और उसके टुकड़े हो गए, रूद्र की आँखों मैं अब और क्रोध उतर आया था
रूद्र-मेरा शारीर कोई आम मानव शारीर नहीं है बल्कि तरह तरहके धातुओ से बना है देखना चाह्तिहो मेरी ताकत
सुशेन(घबराकर)-न...नहीं..रूद्र! मुझे मार डालो जितनी बुरी मौत देनी हो दे दो लेकिन इसे छोड़ दो
रूद्र(सुशेन की तरफ देखकर)- तू हमें अपनों की मौत से होने वाले दर्द के बारे मैं बता रहा था न?तुम कालसैनिको ने मेरा निर्माता महेश को मारा और उनके भाई मेरे पिता सामान नरेशजी और उनकी बीवी को मारा तब मैं कुछ नहीं पर सका मगर आज मैं हैवानियत दिखाऊंगा और तुम लोग कुछ नहीं कर सकोगे, कोई एक भी यहाँ से बचकर जिन्दा नहीं जायेगा, तुम लोग हमारे समाज मैं कैंसर की तरफ हो जो हमारे बीच सामान्य लोगो की तरफ रहकर हमें ही नुक्सान पहुचाएंगे
तभी सारा ने एक बार फिर रूद्र पर हमला करने का सोचा वही राघव को मनो आगे होने वाली घटना का पूर्वानुमान हो गया था उसने रूद्र को आवाज़ लगायी “रूद्र रुको!!” पर रूद्र भी सारा की मंशा समझ चूका था और राघव रूद्र को रोक पता या सारा रूद्र पर हमला करती इससे पहले ही रूद्र ने उसे एक जोरदार थप्पड़ रसीद किया जिससे सारा की नाजुक गर्दन की हड्डिया कडकड़ा उठी, रूद्र तो ये अंदाजा भी नहीं लगा पाया था के क्रोध के वश मैं आकर उसने क्या कर दिया है वही राघव भी अफ़सोस मैं था की वो सही समय पर रूद्र को रोक नहीं पाया था, सारा की सासे थम चुकी थी और उसका निर्जीव शारीर धरती पर पड़ा था, धरती पर गिरने के बाद भी उसकी आँखें खुली हुयी थी जो एकटक सुशेन को प्यार से निहार रही थी
सुशेन-नहीं..! तुमने...तुमने उसे मार डाला! अब तुमलोगों मैं और मुझमे क्या अंतर रह गया है, जरा अपने आस पास देखो तुम दोनों की वजह से कब्रिस्तान मौत का कितना भयानक मंजर फैला हुआ है! तुम लोग हमें राक्षस बताते हो और खुद क्या हो, आज तुमने भी तो लोगो की जान ली है
राघव ने अपने चारो तरफ फैली लाशो को देखा, कुछ दिन पहले अगर उससे कोई कहता की वो क्रूर है तो वो नहीं मानता पर आज उसने कब्रिस्तान मैं जिस क्रूरता का प्रदर्शन किया था उससे वो खुद चकित था, उसे अपने और कालसैनिको मैं कोई अन्तेर नजर नहीं आ रहा था फिर भी उसने अपने बचाव मैं कह
राघव-तुम सब खुनी हत्यारे थे मौत तो तुम्हारा मुकद्दर थी
सुशेन-मान लिया की यहाँ सभी खुनी हत्यारे थे जिन्हें तुम लोगो ने मारा लेकिन हम सबके बीच ऐसा कोई था जो बिलकुल निर्दोष था, जिसने एक भी जान नहीं ली थी जिसे इस रूद्र ने मार डाला
रूद्र का कृत्रिम दिल जोरो से धड़क रहा था
रूद्र-तू किसकी बात कर रहा है??
सुशेन-मेरी बीवी सारा, वह १ महीने की गर्भवती थी और तुमने उसके साथ साथ उसके बच्चे की भी जान ले ली
रूद्र-या ये कहो की एक कालसैनिक को इस दुनिया मैं आने से रोक दिया जो किसी शैतान की भक्ति के नाम पर अपने पिता की तरफ तमाम निर्दोशो का खून बहाता
सुशेन-या फिर मुझ से बगावत करा अरुण की तरह बनता जो अपने की पिता के खिलाफ लड़ा था, तुमने पहले ही सोच लिया था के मेरा बच्चा मेरे जैसा बनेगा? अब तो स्वीकार कर लो की तुम्हारे हाथो एक मासूम का खून चढ़ गया है और तुम लोगो के हाथ भी किसी मासूम के खून से लाल हो चुके है
सुशेन की बातो से राघव और रूद्र बुरी तरफ हिल चुके थे और अब सुशेन इनकी बेबसी पर हस रहा था, काफी देर से बाहर खड़े रमण और संजय भी अंदर आ गए और उन्होंने बाकि बचे कालसैनिको को अपनी बन्दूको से मार डाला और राघव और रूद्र के करीब आये को बुत बने खड़े थे और सामने सुशेन जोर से हस रहा था जिसके बाद उन्होंने सुशेन को भी अपनी बन्दूक से छलनी कर दिया अब अब सुशेन भी उस कब्रिस्तान मैं पड़ी लासको मैं शामिल हो गया था और उन लाशो के बीच संजय राघव रमण और रूद्र खड़े थे, भीषण गोलीबारी चीखपुकार और भयानक रक्तपात के बाद कब्रिस्तान एक बार फिर शांत हो गया था
रमण ने पीछे से जाकर राघव के कंधे पर हाथ रखा और अपने भाई का स्पर्श समझते ही राघव उससे लिपट गया
संजय-मुझे नहीं पता था की तुम लोगो इतन क्रूरता से मार सकते हो
रूद्र-अब कोई फर्क नहीं पड़ता हम उन्हें आखरी कुर्बनि देने से नहीं रोक पाए, अब कात्दूत को जागने से कोई नहीं रोक सकता
संजय-क्या? हम तो बाहर थे अंदर का कुछ पता नहीं लगा यहाँ क्या हुआ था रूद्र?
रूद्र ने लोने की जंजीरों की तरफ इशारा करते हुए कहा “ये थी आखरी कुर्बानी”
रमण-उफ्फ, कितनी भयानक मौत दी है बिचारे को कौन था वो व्यक्ति?
राघव-नरेश जी
नरेश का नाम सुन कर संजय और रमण के पैरो तले जमीन खिसक गयी वो कभी उस लाश को देखते तो कभी रूद्र को जिसकी आँखों से अब आंसू बह रहे थे, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था के रूद्र को सांत्वना कैसे दि जाये कुछ समय बाद वो लोग रूद्र को शांत करने मैं सफल हुए और वहा से नरेश की लाश लेकर अंतिम संस्कार करने निकल गए संजय रूद्र के साथ आगे चल रहा था वही राघव रमण के साथ था
राघव-भईया रूद्र ठीक होगा न?
रमण-हम उसकी हालत का अंदाजा नहीं लगा सकते राघव नरेश ने उसे अब तक पाला था, भले ही वो कृत्रिम मानव है पर है एक २२ साल का लड़का ही,उससे आज उसका सब छीन गया है हम उसकी मनोस्तिथि नै समझ सकते बस सांत्वना दे सकते है, अब पता नहीं इस दुनिया का क्या होगा अगर कालदूत सच मैं आ गया तो........
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कही दूर हिन्द महासागर मैं दो मछुवारे मछली पकड़ने वाला जाल समुद्र मैं डाल रहे थे
रघु-आबे आज हम ज्यादा दूर निकल आये है चलो जल्दी से काम निपटाया जाए
हरिया-अबे रुक जा थोड़ी देर थोड़ी मछिलिया और हाथ लगने दे
रघु-अरे हाल देख मौसम का इतने आंधी तूफान मैं नव ज्यादा समय नहीं टिकेगी
तभी अचानक समुद्र मैं हलचल होने लगी, पानी का रंग भी धीरे धीरे बदलने लगा
हरिया- अरे! ये क्या हो रहा है
रघु-पता नहीं ऐसा लग रहा है मनो समुद्र से कोई चीज़ बाहर आ रही हो
हरिया-ये जरूर व्हेल जैसी कोई बडी मछली होगी वरना पानी मैं इतनी हलचल और कौन मचा सकता है?
रघु-पता नहीं! अरे देख! एक काला बड़ा शारीर पानी से बाहर आ रहा है
हरिया-हे भगवान! ये क्या है?
रघु(घबराते हुए)- ये.....ये कोई मछली नहीं है! ये तो शैतान का अवतार लगता है!
उसके बाद उन मछुवारो के सामने उनके जीवन का सबसे भयानक दृश्य उपस्तिथ हो चूका था, धीरे धीरे १०० फूट का एक प्राणी समुद्र से बाहर निकला जिसका सर एक नाग की भांति था शारीर मानव की तरह और पीठ पर ड्रैगन जिसे विशालकाय पंख लगे थे, इतने विशाल शारीर वाले प्राणी को देख कर वो नाविक बुरी तरह आतंकित हो चुके थे....
कालदूत अपनी कैद से आजाद हो चूका था..........