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भाग २३
राघव संजय और रमण अपनी जीप से कुछ ही समय मैं कब्रिस्तान पहुच गए थे और उन्होंने अपनी जीप कब्रिस्तान से कुछ दूर पहले ही कड़ी कर दी थी ताकि उसकी आवाज से कही कालसैनिक सतर्क नहो जाए फिर जीप की पिछली सीट से एक एक रायफल उठाकर वो सावधानी से कब्रिस्तान की और बढे, कब्रिस्तान के बाहर लोहे के गेट के बगल मैं एक बरगद का पेड़ था वो लोग उसकी ओट मैं छिप गए,
वहा से कब्रिस्तान के अंदर का दृश्य देख पाना इतना आसन नहीं था क्युकी अँधेरा होने के कारण दूर तक ठीक से दिखाई नहीं दे रहा था लेकिन कब्रिस्तान के अंदर से आ रही आवाजो को सुना जा सकता था, ये आवाजे उनलोगों को दूर से ही सुने दे रही थी जिससे इतना तो तय हो चूका था के ये लोग अंदर की है और कुछ भरी गड़बड़ कर रहे है
रमण(फुसफुसाकर)- ये क्या! ये लोग तो अंदर कोई मंत्र वगैरा पढ़ रहे है
राघव-इन्हें अंतिम कुर्बानी मिल गयी है भैया ये वही मंत्र है जो मैंने उस किताब मैं देखे थे, इनकी तो....! मैं इन्हें अभी ख़त्म कर दूंगा..!
संजय-रुको राघव! गुस्से मैं बेवकूफी के कदम नहीं उठाया करते, तुम पूरी तरह टायर नही हो, हमें रूद्र का इंतजार करना है, देखो वो भी आ गया है
संजय को रूद्र दूर से आता हुआ दिखाई दिया, रूद्र ने अपनी बाइक उनकी जीप के पास कड़ी कर दी और तेजी से उनलोगों के पास पंहुचा
रूद्र-क्या चल रहा है?
राघव-उन लोगो को अंतिम कुर्बानी मिल गयी है
रूद्र-अच्छा है ये सब एक जगह है, मैं उन कमीनो को छोडूंगा नहीं तुम लोग यही रुको
राघव-तुम नहीं हम मैं भी तुम्हारे साथ चलूँगा
रूद्र-तुम तयार हो
राघव-बिलकुल ज्यादा नहीं तो उनके दिमाग मैं घुस के उनकी नसे तो फाड़ ही सकता हु
रूद्र-ठीक है तो फिर चलो आज इनका काम ही ख़तम कर दे
रमण-रुको हम भी चलते है
रूद्र-क्या आप मेरी तरह कृत्रिम मानव है या आपके पास राघव के जैसी शक्तिया है
रमण-आ....नहीं
रूद्र-तो फिर अप दोनों यही रुके, मेरा तो यर लोग वैसे भी जादू टोने से कुछ बिगाड़ नहीं सकते और राघव अपनी शक्तियों से इन्हें मसल देगा बस अगर कोई कालसैनिक हमसे बचकर बाहर भागने का प्रयास करे तो उसे गोली मारने मैं देर मत कीजियेगा, अपने हथियार तयार रखिये
राघव-रूद्र सही कह रहा है भाई....
फिर कुछ पल के लिए राघव ने वही आसन लगा कर अपनी आँखें बंद की और ध्यान की मुद्रा मैं बैठ गया मनो अपनी शक्तियों का आकलन कर रहा हो और जब उसने अपनी आँखें खोली तो उसकी आँखें हलके हरे रंग मैं चमक रही थी और उसके होठो पर एक मुस्कान थी और मस्तिक्ष एकदम शांत, अब राघव जानता था की उसे क्या करना है
वही रूद्र धडधडाते हुए कब्रिस्तान मैं घुस गया लेकिन वहा का दृश्य देख कर उसका खून खुल उठा, कालसैनिक गोल घेरा बनाकर मंत्रोच्चारण कर रहे थे और उनके घेरे के ठीक बीच मैं बुरी तरह से घायल नरेश अर्धबेहोशी की अवस्था मैं दिवार मे के एक बड़े से टुकड़े मैं गडी हुयी लोहे की जंजीरों से बंधा हुआ था
रूद्र को देखते ही मंत्र का उच्चारण करते कालसैनिक एकदम से रुक गए और रूद्र ने गुस्से मैं अपनी मुट्ठिया भींच ली
यहाँ राघव ने जैसे ही आंखन खोली तब तक रूद्र कब्रिस्तान मैं जा चूका था तो राघव ने भी उसके पीछे दौड़ लगा दी पर इस बार उसकी गति अकल्पनीय रूप से बढ़ी हुयी थी वो पलक झपकते ही रूद्र के पास खड़ा था मनो उसने एक जगह से दूसरी जगह टेलिपोर्ट किया हो, राघव खुद अपनी गति से चौक गया था पर ये समय इन सब के बारे मैं सोचने का नहीं था सामने का नजारा देख कर राघव भी गुस्से से उबलने लगा तभी रूद्र क्रोध मैं आकर बोला
रूद्र-तुम लोगो की यह हिम्मत जो नरेशजी को कैद करो!! मैं तुममे से किसी एक भी जिन्दा छोड़ने वाला नहीं हु
राघव वहा मौजूद सभी कालसैनिको की मानसिक स्तिथि का अंदाजा लगा सकता था उसने जैसे ही कब्रिस्तान के मैंदान मैं चारो तरफ नजर दौडाई उसी के साथ वो अपनी शक्तियों से वहा मौजूद सभी के दिमाग से मानसिक रूप से जुड़ चूका था पर वो एकसाथ सब पर हमला नहीं कर पा रहा था पर उनके दिमाग को भाप रहा था ,रूद्र की गुस्से भरी गर्जना सुन कर कालसैनिक कुछ समय के लिए घबराये जरूर थे पर उनमे डर का नामोनिशान नहीं था
रूद्र तेज कदमो से उस घेरे की तरफ आगे बढ़ने लगा तभी अचानक किसी ने उसे एक जोरदार लात मार कर दूर फेक दिया,, रूद्र के जीवन मैं ये पहली बार था के वो किसी के प्रहार से इतनी दूर जाकर गिरा था वही इस बात ने राघव को भी चौका दिया था क्युकी जो रूद्र की क्षमता को जनता था और अगर किसी ने रूद्र को एक लात मैं इतनी दूर फेका है तो वो कोई मामूली इंसान नहीं हो सकता, राघव और रूद्र दोनों ने रूद्र पर हमला करने वाले को देखा तो सामने चेहरे पर राक्षसी भाव लिए सुशेन खड़ा था, उसकी आँखों की पुतलिया पूरी तरह लाल हो चुकी थी जिसके कारण वो बेहद भयानक लग रहा था
सुशेन(कुटिलता से मुस्कुराते हुए)- तो अब हम दोबारा मिल गए! और तुम अपने साथ इस बच्चे को भी ले आये, अगर मुझे पहले पता होता की तुम इस तुच्छ इंसान को अपने साथ लाने वाले हो तो अंतिम कुर्बानी के लिए इस बुड्ढे को नहीं चुनता मैं
राघव-अभी तुम्हे पता चल जायेगा की तुच्छ कौन है
और राघव ने सुशेन की तरफ दौड़ लगा दी और पलक झपकने भर मणि राघव ने सुशेन को पूरी ताकत से एक मुक्का जड़ दिया पर उसका सुशेन पर इतना खास प्रभाव नहीं परा पर इतना उसे समझ आ गया था के राघव कोई मामूली इंसान नहीं है, सुशेन राघव ने मुक्के से बस एक फूट दूर सरका था और फिर जब उसने राघव पर telekinesis करने का सोचा तो वो उसका दिमाग भेद नहीं आया, सुशेन ने इतना प्रबल मस्तिक्ष पहले कभी महसूस नहीं किया था
सुशेन(हैरानी से )-कौन हो तुम??
राघव-इतनी जल्दी क्या है जान जाओगे
तभी रूद्र अपनी जगह से उठ आया और उसने सुशेन पर वार करने की कोशिश की लेकिन सुशेन ने इस बार भी उसका हमला नाकाम कर दिया
सुशेन-तुम आज मुझसे नहीं बचोगे रूद्र
रूद्र-तुममे इतनी जबरदस्त शक्ति कहा से आ गयी?? क्या किया है तुमने?
सुशेन-हमारे प्रभु कालदूत का शारीर भले ही समुद्र की गहराइयों मैं दफ़न है लेकिन वे मंसिर रूप से हरदम हम लोगो के रूप मैं सक्रिय है इसीलिए उनको ये बात ज्ञात है की उनको स्वतंत्र करने से हम लोग केवल १ कुर्बानी दूर है इसीलिए उन्होंने अपनी शक्ति का एक बड़ा हिस्सा मुझे दे दिया है तकी इस कार्य मैं कोई बाधा न आये मेरे शारीर मैं इस वक़्त ऐसी शक्ति है की मैं तुझे चींटी की तरह अभी मसल दू
वहा मौजूद सारे कालसैनिक इस वाकये को अपने सामने होता देख रहे थे मगर कोई भी एक वक़्त सुशेन के बीच मैं नहीं आ रहा था या राघव और रूद्र को रोकने की कोशिश नहीं कर रहा था
राघव-मेरे होते हुए ये इतना भी आसन नहीं है
राघव ने सुशेन से कहा औरपने दोनों हाथ हवा मैं एक विशिष्ट मुद्रा मैं लहराए और उन्हें सुशेन की तरफ किया जिससे एक तेज हवा का झोका धुल को अपने मैं समेटे सुशेन की तरफ बढ़ा और उसी हवा की रफ्तारसे राघव ने सुशेन पर हमला किया लेकिन सुशेन ने अपने एक हाथ राघव का वार खली कर दिया और उसे दूर फेक दिया
रूद्र गुस्से से चिल्लाते हुए सुशेन की तरफ भगा लेकिन सुशेन ने फिर एक जोरदार घुसा रूद्र के मुह पर रसीद किया जिससे वो वही गिर५ पड़ा, उसके कृत्रिम शारीर ने जीवन मैं पहली बार खून दर्द और बेबसी का अनुभव किया था, रूद्र और राघव दोनों ही इस वक़्त अपने आप को सुशेन के सामने बेबस महसूस कर रहे थे, सुशेन रूद्र को घसीटते हुए राघव के पास ले गया, राघव इस वक़्त जमीन पर पड़ा करह रहा था, क्या करे उसे कुछ सूझ नहीं रहा था, सुशेन ने उन दोनों को गर्दन से पकड़कर उठा लिया, राघव और रूद्र दोनों अपनी पूरी ताकत के लगाकर भी सुशेन की पकड़ से छुट नहीं पा रहे थे, राघव तो दर्द मैं अपनी शक्तिया भी भुला बैठा था
सुशेन(क्रोध से)- तुम लोगो ने मेरे भाई को मार डाला! पता है कितना दर्द होता है जब हम किसी अपने को खोते है? मैं बताता हु,
सुशेन ने दोनों को गर्दन से पकड़ कर उठाकर रखा था फिर उसने एक कालसैनिक को इशारा किया और उसने राघव और रूद्र के सामने telekinesis द्वारा नरेश को यातना देना शुरू किया, नरेश दर्द के कारण बुरी तरह चीख रहा था क्युकी धीरे धीरे उसके पेट का उपरी आवरण हट रहा था और त्वचा से फटकार बाहर आती अंतड़िया दिखने लगी थी
राघव और रूद्र काफी कोशिशो के बाद भी खुद को छुड़ा नहीं पा रहे थे
सुशेन- हा हा हा! अब वक़्त है आखरी कुर्बानी देने का, इस कुर्बानी के कारण हजार वर्षो से चला आ रहा कुर्बानी का चक्र समाप्त हो जायेगा और महान कालदूत का आगन इस धरती पर होगा, फिर वे देवताओ की इस सृष्टि को अपनी सृष्टि बनायेंगे और मैं बनूँगा इस नई दुनिया के सृजन मैं उनका सहयाक, उनका परम अनुयायी!
सुशेन ने दुसरे कालसैनिक को इशारा किया उर उसने पास ही पड़ा एक केरोसिन का डब्बा telekinesis द्वारा नरेश के पिरे शारीर पर छिड़क दिया और माचिस से आग लगा दी, इस दौरान बाकि कालसैनिको का मंत्रोच्चारण काफी तेज हो गया था और नरेश को अत्याधिक्क पीड़ा का अनुभव हो रहा था, उसका शारीर जल उठा था वो चीख रहा था लेकिन उससे भी बुरी तरह रूद्र चीख रहा था वही राघव अपने पुरे प्रयास के बाद भी सुशेन की मजबूत पकड़ से नहीं निकल पा रहा था और नरेश को जलता देखने के अलावा कुछ नहीं कर पा रहा था.......