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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Sr. Moderator
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भाग २२



अरुण और नरेश तेजी से अपनी गाड़ी मैं पूरब दिशा की और बढ़ रहे थे, जिस तरफ वो लोग इस वक़्त जा रहे थे वो कुछ कुछ जंगली इलाका था, समय समय पर गीदड़ और भेडियो की मनहूसियत भरी आवाज से वातावरण गूंज रहा था लेकिन उनके पास इन सब बातो पर ध्यान देने का वक़्त नहीं था.

वो एक ऐसे इलाके मैं पहुचे जहा सड़क और संकरी हो गयी थी और चारो तरफ जमीन पर छोटी छोटी झाड उगी हुयी थी, दूर दूर तक एक भी स्ट्रीटलाइट नहीं थी, इंसान तो छोडो कोई जानवर भी नजर नहीं आ रहा था, ख़राब इंटरनेट की वज्र से नरेश के मोबाइल का जीपीएस ढंग से काल नहीं कर रहा था और इसी वजह से मजबूरन उन्हें कागज का नक्षा खोलकर देखना पड़ा..

नरेश-नक़्शे के हिसाब से तो यही वो जगह है जाया ये कालसैनिक एक बार नहीं बल्कि कई बार देखे जा चुके है, यहाँ से कई लोगो सारे को गायब किया है उन्होंने

अरुण-इसका मतलब हमें गाडी की गति धीमी कर लेनी चाहिए और सतर्क हो जाना चाहिए, इस प्रकार की अँधेरे और वीरान जगह पर वो लोग कही भी घात लगा कर बैठे हो सकते है हमें काफी सावधानी बरतनी होगी

नरेश-वो तो ठीक है अरुण पर तुम ज्यादा जोश मैं मत आ जाना, हमें पहले छिपकर चुपचाप चीजों का अवलोकन करना है उन्हें शक नहीं होना चाहिए

अरुण-मैं ये बात जानता हु नरेश भाई मुझे पता है की ये सब कितना जरुरी है

नरेश-और और बात है अरुण

अरुण-तो बोलिए न नरेश भाई

नरेश-अगर वो लोग मुझे पकड़ ले तो तुम तेजी से निकल जाना पहले अपनी जान बचाना समझे...

अरुण-पर आप ऐसा सोच ही क्यों करे है? हमारा प्लान जरूर कामयाब होगा और अगर उनलोगों ने आपको कुछ भी किया तो रूद्र हर एक के दस टुकड़े कर देगा.

नरेश-इसी बात का तो डर है

अरुण-मतलब?

नरेश-रूद्र कोई इंसान तो है नहीं न अरुण, मतलब मेरी या तुम्हारी तरह नहीं, वो बिना ज्यादा सोचे लोगो को निर्दयता से मार देता है, हालाँकि ये कालसैनिक जिन्दा छोड़े जाने के लायक भी नहीं है पर कभी कभी मैं सोचता हु के अगर रूद्र इंसानियत के विपक्ष मैं लड़ा तो क्या होगा? राघव ही केवल एकमात्र ऐसा इंसान है जो रूद्र की क्षमताओ पर काबू कर सकता है बस वो जल्द से अपने अप को जान ले

अरुण(मजाकिया अंदाज मे)-वो सब तो ठीक है नरेश भाई पर पहले फिलहाल तो हमें अपने लक्ष्य परे ध्यान देना चाहिए, वैसे भी आप इस तरह के काम के लिए बूढ़े हो चले है

नरेश(मुस्कुराकर)- हा हा और तुम तो अभी बच्चे हो न

तभी अचानक अरुण ओ गाड़ी के ब्रेक लगाने पड़े और नरेश को झटका महसूस हुआ, एक व्यक्ति सड़क पर बेहोश पडा हुआ था

नरेश-लगता है उनलोगों को उनका शिकार मिल गया, इसे किसी कारण उन्होंने यहा छोड़ दिया, तुम इसे उठा लो और एम्बुलेंस को फ़ोन कर दो

अरुण-रुको नरेश भाई! गाड़ी से उतरना ठीक नहीं होगा ये उनलोगों की कोई चाल भी हो सकती है

नरेश-और अगर चाल नहीं हुयी तो? एक जिर्दोश मारा जायेगा अरुण, अपनी बन्दूक उठाओ और सावधानी से जाकर चेक करो

बारिश और कदक्तो बिजली माहोल को और भिज्यदा भयानक बना रही थी, इस माहोल मैं अरुण गाडी से बाहर निकला, वातावरण मैं अब कुत्तो और बिल्लियों की मनहूस आवाजे भी शामिल हो गयी थी, अरुण धीरे धीरे बन्दूक लेकर बेहोश व्यक्ति की तरफ बढा, उसने धीरे से उस व्यक्ति को देखने के लिए उसे हाथ लगाया ही था के तभी अचानक उस बेहोश पड़े व्यक्ति ने अरुण के गर्दन को पकड़ लिया और एक ‘चटाक’ की आवाज़ हुयी और उसी के साथ ही अरुण की जान चली गयी, नरेश गाड़ी मैं बैठ ये नजारा देख चूका था और अब वो घबराने लगा था,

वो व्यक्ति उठा और उसने अपना काला चोगा और नकाब पहना और अरुण को वही सड़क पर मरा छोड़कर वो व्यक्ति गाडी की तरफ बढ़ा, अब तक नरेश गाडी का स्टीयरिंग संभाल चूका था, उसने तेजीसे गाडी को उस इंसान की तरफ बढाया लेकिन उस व्यक्ति ने केवल अपना हाथ हवा मैं उठाया और गाडी बंद पड गयी, नरेश ने कई बार चाबी घुमाकर गाडी दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ,

उस व्यक्ति के हाथो मैं फिर से हरकत हुयी और अबकी बार गाडी का पूरा दरवाजा उखाड़कर निकल गया, उस इंसान ने कुछ देर नरेश को घुरा और फिर उसके करीब आया, नरेश अबतक उस आदमी का चेहरा ठीक ढंग से देख नहीं पाया था और उसने अरुण को मारते ही नकाब पहन लिया था और अब उस इंसान से नरेश को घूरते हुए फिर से अपना काला नकाब उतारा.....

वो कोई और नहीं सुशेन था और इस वक़्त उसके चेहरे पर अजीब सा वहशिपन था! उसने नरेश को गाडी से बाहर खिंच लिया, नरेश ने एक जोरदार मुक्का उसके चेहरे पर जड़ना चका लेकिन उसने नरेश का हाथ पकड़ कर जोर से भींच दिया जिससे नरेश की हथेली की हड्डियों का कचूमर बन गया जिससे नरेश की चींख निकल गयी, नरेश की चींख ने उस सुनसान माहोल को बुरी तरह देहला दिया, फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश के पेट मैं जादा जिससे उनके मुह से खून आने लगा, अब नरेश पूरी तरफ अशक्त होकर जमीन पर पड़ा हुआ था.....

सुशेन-तुम लोग मेरे भाई के मौत के जिम्मेदार हो.

सुशेन ने काफी क्रोध मैं कहा

नरेश-तुम...तुम्हे कैसे पता?

सुशेन-जब पुलिस स्टेशन मे रूद्र ने शक्ति को मारा और इस इंस्पेक्टर और उसके भाई को लेकर तुमसे मिलने आया तब भी मेरे लोग बेहद सावधानी से उनका पीछा कर रहे थे, उन्हें तुम्हारी लोकेशन मिल गयी, हम चाहते तो किसी भी वक़्त तुम्हारे घर पर हमला कर सकते थे लेकिन हमसे सही मौके का इंतजार किया और तुम तक हमारी खबर पहुचाई और हमें मौका मिल गया जब तुम लोग अलग अलग रस्ते हमारी तलाश मैं निकले

नरेश-म...मतलब तुम्हे पुरे समय हमपर नजर राखी?

सुशेन-हा हा हा, हमने इस मामले मैं तुमसे थोडा ज्यादा होशियारी से काम किया लेकिन चिंता मत करो, तुम्हारी मृत्यु को हम ऐतहासिक बनायेंगे, क्युकी तुमको हम मौका देंगे वो अंतिम कुर्बानी बनने का को कालदूत के लिए इस दुनिया का मार्ग प्रशस्त करेगी.....

फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश को जड़ा जिससे उसका दिमाग बेहोशी के अँधेरे मैं डूबता चला गया, फिर उसके बेहोश शारीर को अपने कंधे पर डालकर सुशेन एक और बढ़ता चला गया

दूसरी तरफ राघव जो रमण और संजय के साथ निकला था उसे किसी अनहोनी घटना का आभास होने लगा, उन्हें अब तक अपने मार्ग मैं कोई भी ऐसी चीज़ या हरकत नहीं दिखी थी जो इस और इशारा करे करे की यहाँ कालसेना की मौजूदगी होसकती है

राघव ने अरुण और नरेश ने संपर्क बनाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ उनका फ़ोन नहीं लग रहा था और जब राघव की कई कोशिशो ने बाद भी नरेश का फ़ोन नहीं लगा तो उसे चिंता होने लगी और उसने रूद्र को फ़ोन लगाया

रूद्र बाइक से तेजी से बढ़ रहा था तभी उसका फ़ोन बजा और उसने फ़ोन उठाकर कान को लगाया

राघव-रूद्र! मैं राघव बात कर रहा हु

रूद्र-हा! क्या हुआ है सब ठीक है न?

राघव-हमारे पास सब ठीक है लेकिन अरुण और नरेश जी से हमारा संपर्क टूट गया है

रूद्र-शायद बारिश की वजह से ऐसा हो..!

राघव-काश ऐसा ही हो वैसे हमें यहाँ किसी भी कालसैनिक का नामोनिशान नहीं मिला है तुम कहो

रूद्र-अभी तक तो नहीं...

राघव-तो क्या नरेश जी और अरुण......रूद्र मेरे मन को किसी अनहोनी का आभास हो रहा है

राघव की बात सुनकर रूद्र भी बुरी तरह आशंकित हो गया उसे अचानक कुछ याद आया और उसने राघव की बात को बीच मैं काटकर पूछा

रूद्र-रमण ने किसी कब्रिस्तान के बारे मैं बताया था कुछ!

राघव-हा एक पुराना कब्रिस्तान है जहा भाई को रोहित नाम के एक इंसान की जली हुयी लाश मिली थी मैं जानता हु उस जगह के बारे मैं

रूद्र-तुम सबको लेकर तुरंत वहा पहुचो मैं भी पहुच रहा हु बस एक बात का ध्यान रखना राघव मेरे आये तक प्लीज कोई एक्शन मत लेना मेरा इंतजार करना

राघव-ठीक है...

उसके बाद राघव ने रमण और संजय को ये बात बताई और वो लोग उस कब्रिस्तान की और निकल गए और रूद्र ने भी अपनी बाइक उस कब्रिस्तान की और मोड़ ली.....



To Be Continue......
 

Sudeep6

New Member
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भाग २२



अरुण और नरेश तेजी से अपनी गाड़ी मैं पूरब दिशा की और बढ़ रहे थे, जिस तरफ वो लोग इस वक़्त जा रहे थे वो कुछ कुछ जंगली इलाका था, समय समय पर गीदड़ और भेडियो की मनहूसियत भरी आवाज से वातावरण गूंज रहा था लेकिन उनके पास इन सब बातो पर ध्यान देने का वक़्त नहीं था.

वो एक ऐसे इलाके मैं पहुचे जहा सड़क और संकरी हो गयी थी और चारो तरफ जमीन पर छोटी छोटी झाड उगी हुयी थी, दूर दूर तक एक भी स्ट्रीटलाइट नहीं थी, इंसान तो छोडो कोई जानवर भी नजर नहीं आ रहा था, ख़राब इंटरनेट की वज्र से नरेश के मोबाइल का जीपीएस ढंग से काल नहीं कर रहा था और इसी वजह से मजबूरन उन्हें कागज का नक्षा खोलकर देखना पड़ा..

नरेश-नक़्शे के हिसाब से तो यही वो जगह है जाया ये कालसैनिक एक बार नहीं बल्कि कई बार देखे जा चुके है, यहाँ से कई लोगो सारे को गायब किया है उन्होंने

अरुण-इसका मतलब हमें गाडी की गति धीमी कर लेनी चाहिए और सतर्क हो जाना चाहिए, इस प्रकार की अँधेरे और वीरान जगह पर वो लोग कही भी घात लगा कर बैठे हो सकते है हमें काफी सावधानी बरतनी होगी

नरेश-वो तो ठीक है अरुण पर तुम ज्यादा जोश मैं मत आ जाना, हमें पहले छिपकर चुपचाप चीजों का अवलोकन करना है उन्हें शक नहीं होना चाहिए

अरुण-मैं ये बात जानता हु नरेश भाई मुझे पता है की ये सब कितना जरुरी है

नरेश-और और बात है अरुण

अरुण-तो बोलिए न नरेश भाई

नरेश-अगर वो लोग मुझे पकड़ ले तो तुम तेजी से निकल जाना पहले अपनी जान बचाना समझे...

अरुण-पर आप ऐसा सोच ही क्यों करे है? हमारा प्लान जरूर कामयाब होगा और अगर उनलोगों ने आपको कुछ भी किया तो रूद्र हर एक के दस टुकड़े कर देगा.

नरेश-इसी बात का तो डर है

अरुण-मतलब?

नरेश-रूद्र कोई इंसान तो है नहीं न अरुण, मतलब मेरी या तुम्हारी तरह नहीं, वो बिना ज्यादा सोचे लोगो को निर्दयता से मार देता है, हालाँकि ये कालसैनिक जिन्दा छोड़े जाने के लायक भी नहीं है पर कभी कभी मैं सोचता हु के अगर रूद्र इंसानियत के विपक्ष मैं लड़ा तो क्या होगा? राघव ही केवल एकमात्र ऐसा इंसान है जो रूद्र की क्षमताओ पर काबू कर सकता है बस वो जल्द से अपने अप को जान ले

अरुण(मजाकिया अंदाज मे)-वो सब तो ठीक है नरेश भाई पर पहले फिलहाल तो हमें अपने लक्ष्य परे ध्यान देना चाहिए, वैसे भी आप इस तरह के काम के लिए बूढ़े हो चले है

नरेश(मुस्कुराकर)- हा हा और तुम तो अभी बच्चे हो न

तभी अचानक अरुण ओ गाड़ी के ब्रेक लगाने पड़े और नरेश को झटका महसूस हुआ, एक व्यक्ति सड़क पर बेहोश पडा हुआ था

नरेश-लगता है उनलोगों को उनका शिकार मिल गया, इसे किसी कारण उन्होंने यहा छोड़ दिया, तुम इसे उठा लो और एम्बुलेंस को फ़ोन कर दो

अरुण-रुको नरेश भाई! गाड़ी से उतरना ठीक नहीं होगा ये उनलोगों की कोई चाल भी हो सकती है

नरेश-और अगर चाल नहीं हुयी तो? एक जिर्दोश मारा जायेगा अरुण, अपनी बन्दूक उठाओ और सावधानी से जाकर चेक करो

बारिश और कदक्तो बिजली माहोल को और भिज्यदा भयानक बना रही थी, इस माहोल मैं अरुण गाडी से बाहर निकला, वातावरण मैं अब कुत्तो और बिल्लियों की मनहूस आवाजे भी शामिल हो गयी थी, अरुण धीरे धीरे बन्दूक लेकर बेहोश व्यक्ति की तरफ बढा, उसने धीरे से उस व्यक्ति को देखने के लिए उसे हाथ लगाया ही था के तभी अचानक उस बेहोश पड़े व्यक्ति ने अरुण के गर्दन को पकड़ लिया और एक ‘चटाक’ की आवाज़ हुयी और उसी के साथ ही अरुण की जान चली गयी, नरेश गाड़ी मैं बैठ ये नजारा देख चूका था और अब वो घबराने लगा था,

वो व्यक्ति उठा और उसने अपना काला चोगा और नकाब पहना और अरुण को वही सड़क पर मरा छोड़कर वो व्यक्ति गाडी की तरफ बढ़ा, अब तक नरेश गाडी का स्टीयरिंग संभाल चूका था, उसने तेजीसे गाडी को उस इंसान की तरफ बढाया लेकिन उस व्यक्ति ने केवल अपना हाथ हवा मैं उठाया और गाडी बंद पड गयी, नरेश ने कई बार चाबी घुमाकर गाडी दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ,

उस व्यक्ति के हाथो मैं फिर से हरकत हुयी और अबकी बार गाडी का पूरा दरवाजा उखाड़कर निकल गया, उस इंसान ने कुछ देर नरेश को घुरा और फिर उसके करीब आया, नरेश अबतक उस आदमी का चेहरा ठीक ढंग से देख नहीं पाया था और उसने अरुण को मारते ही नकाब पहन लिया था और अब उस इंसान से नरेश को घूरते हुए फिर से अपना काला नकाब उतारा.....

वो कोई और नहीं सुशेन था और इस वक़्त उसके चेहरे पर अजीब सा वहशिपन था! उसने नरेश को गाडी से बाहर खिंच लिया, नरेश ने एक जोरदार मुक्का उसके चेहरे पर जड़ना चका लेकिन उसने नरेश का हाथ पकड़ कर जोर से भींच दिया जिससे नरेश की हथेली की हड्डियों का कचूमर बन गया जिससे नरेश की चींख निकल गयी, नरेश की चींख ने उस सुनसान माहोल को बुरी तरह देहला दिया, फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश के पेट मैं जादा जिससे उनके मुह से खून आने लगा, अब नरेश पूरी तरफ अशक्त होकर जमीन पर पड़ा हुआ था.....

सुशेन-तुम लोग मेरे भाई के मौत के जिम्मेदार हो.

सुशेन ने काफी क्रोध मैं कहा

नरेश-तुम...तुम्हे कैसे पता?

सुशेन-जब पुलिस स्टेशन मे रूद्र ने शक्ति को मारा और इस इंस्पेक्टर और उसके भाई को लेकर तुमसे मिलने आया तब भी मेरे लोग बेहद सावधानी से उनका पीछा कर रहे थे, उन्हें तुम्हारी लोकेशन मिल गयी, हम चाहते तो किसी भी वक़्त तुम्हारे घर पर हमला कर सकते थे लेकिन हमसे सही मौके का इंतजार किया और तुम तक हमारी खबर पहुचाई और हमें मौका मिल गया जब तुम लोग अलग अलग रस्ते हमारी तलाश मैं निकले

नरेश-म...मतलब तुम्हे पुरे समय हमपर नजर राखी?

सुशेन-हा हा हा, हमने इस मामले मैं तुमसे थोडा ज्यादा होशियारी से काम किया लेकिन चिंता मत करो, तुम्हारी मृत्यु को हम ऐतहासिक बनायेंगे, क्युकी तुमको हम मौका देंगे वो अंतिम कुर्बानी बनने का को कालदूत के लिए इस दुनिया का मार्ग प्रशस्त करेगी.....

फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश को जड़ा जिससे उसका दिमाग बेहोशी के अँधेरे मैं डूबता चला गया, फिर उसके बेहोश शारीर को अपने कंधे पर डालकर सुशेन एक और बढ़ता चला गया

दूसरी तरफ राघव जो रमण और संजय के साथ निकला था उसे किसी अनहोनी घटना का आभास होने लगा, उन्हें अब तक अपने मार्ग मैं कोई भी ऐसी चीज़ या हरकत नहीं दिखी थी जो इस और इशारा करे करे की यहाँ कालसेना की मौजूदगी होसकती है

राघव ने अरुण और नरेश ने संपर्क बनाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ उनका फ़ोन नहीं लग रहा था और जब राघव की कई कोशिशो ने बाद भी नरेश का फ़ोन नहीं लगा तो उसे चिंता होने लगी और उसने रूद्र को फ़ोन लगाया

रूद्र बाइक से तेजी से बढ़ रहा था तभी उसका फ़ोन बजा और उसने फ़ोन उठाकर कान को लगाया

राघव-रूद्र! मैं राघव बात कर रहा हु

रूद्र-हा! क्या हुआ है सब ठीक है न?

राघव-हमारे पास सब ठीक है लेकिन अरुण और नरेश जी से हमारा संपर्क टूट गया है

रूद्र-शायद बारिश की वजह से ऐसा हो..!

राघव-काश ऐसा ही हो वैसे हमें यहाँ किसी भी कालसैनिक का नामोनिशान नहीं मिला है तुम कहो

रूद्र-अभी तक तो नहीं...

राघव-तो क्या नरेश जी और अरुण......रूद्र मेरे मन को किसी अनहोनी का आभास हो रहा है

राघव की बात सुनकर रूद्र भी बुरी तरह आशंकित हो गया उसे अचानक कुछ याद आया और उसने राघव की बात को बीच मैं काटकर पूछा

रूद्र-रमण ने किसी कब्रिस्तान के बारे मैं बताया था कुछ!

राघव-हा एक पुराना कब्रिस्तान है जहा भाई को रोहित नाम के एक इंसान की जली हुयी लाश मिली थी मैं जानता हु उस जगह के बारे मैं

रूद्र-तुम सबको लेकर तुरंत वहा पहुचो मैं भी पहुच रहा हु बस एक बात का ध्यान रखना राघव मेरे आये तक प्लीज कोई एक्शन मत लेना मेरा इंतजार करना

राघव-ठीक है...

उसके बाद राघव ने रमण और संजय को ये बात बताई और वो लोग उस कब्रिस्तान की और निकल गए और रूद्र ने भी अपनी बाइक उस कब्रिस्तान की और मोड़ ली.....




To Be Continue......
Nice update bade crucial moment pe update stop kar diya apne waiting for next update (Abhi se)
 
Last edited:

DARK WOLFKING

Supreme
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244
nice update ..naresh chal nahi samajh paya dushmano ki aur arun maara gaya ..
itne sumsan raste par koi sadak par kaise behosh ho sakta hai ye bhi sochna chahiye tha naresh ko ..
ab aakhri kurbani naresh ki hogi aisa lagta hai .
 

Mahi Maurya

Dil Se Dil Tak
Prime
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46,596
259
छठवाँ भाग

संतोष और रोहित राजनगर पहुँच जाते हैं, लेकिन उन्हें राजनगर का माहौल सुना सुना लगता है। वो बात करते हुए एक पहाड़ी पर पहुंच जाते हैं जहां उन्हें रमन मिलता है वो यहां पर हो रही रहस्यमयी घटना के बारे में उन्हें बताता है और चौकन्ना रहने को कहता है।

सन्तोष और रोहित जिस होटल में रुके थे उस बालकनी से एक काला नक़ाब पहने हुए व्यक्ति नजर आता है उन्हें। जब ये दोनों बाहर घूमने के लिए निकलते हैं तो एक पहाड़नुमा व्यक्ति इन पर कुल्हाड़ी से हमला कर देता है।

कौन है ये व्यक्ति और इन पर हमला क्यों कर रहा है।

बहुत बढ़िया अदृश्य सर जी।
 

ashish_1982_in

Well-Known Member
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18,877
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भाग २२



अरुण और नरेश तेजी से अपनी गाड़ी मैं पूरब दिशा की और बढ़ रहे थे, जिस तरफ वो लोग इस वक़्त जा रहे थे वो कुछ कुछ जंगली इलाका था, समय समय पर गीदड़ और भेडियो की मनहूसियत भरी आवाज से वातावरण गूंज रहा था लेकिन उनके पास इन सब बातो पर ध्यान देने का वक़्त नहीं था.

वो एक ऐसे इलाके मैं पहुचे जहा सड़क और संकरी हो गयी थी और चारो तरफ जमीन पर छोटी छोटी झाड उगी हुयी थी, दूर दूर तक एक भी स्ट्रीटलाइट नहीं थी, इंसान तो छोडो कोई जानवर भी नजर नहीं आ रहा था, ख़राब इंटरनेट की वज्र से नरेश के मोबाइल का जीपीएस ढंग से काल नहीं कर रहा था और इसी वजह से मजबूरन उन्हें कागज का नक्षा खोलकर देखना पड़ा..

नरेश-नक़्शे के हिसाब से तो यही वो जगह है जाया ये कालसैनिक एक बार नहीं बल्कि कई बार देखे जा चुके है, यहाँ से कई लोगो सारे को गायब किया है उन्होंने

अरुण-इसका मतलब हमें गाडी की गति धीमी कर लेनी चाहिए और सतर्क हो जाना चाहिए, इस प्रकार की अँधेरे और वीरान जगह पर वो लोग कही भी घात लगा कर बैठे हो सकते है हमें काफी सावधानी बरतनी होगी

नरेश-वो तो ठीक है अरुण पर तुम ज्यादा जोश मैं मत आ जाना, हमें पहले छिपकर चुपचाप चीजों का अवलोकन करना है उन्हें शक नहीं होना चाहिए

अरुण-मैं ये बात जानता हु नरेश भाई मुझे पता है की ये सब कितना जरुरी है

नरेश-और और बात है अरुण

अरुण-तो बोलिए न नरेश भाई

नरेश-अगर वो लोग मुझे पकड़ ले तो तुम तेजी से निकल जाना पहले अपनी जान बचाना समझे...

अरुण-पर आप ऐसा सोच ही क्यों करे है? हमारा प्लान जरूर कामयाब होगा और अगर उनलोगों ने आपको कुछ भी किया तो रूद्र हर एक के दस टुकड़े कर देगा.

नरेश-इसी बात का तो डर है

अरुण-मतलब?

नरेश-रूद्र कोई इंसान तो है नहीं न अरुण, मतलब मेरी या तुम्हारी तरह नहीं, वो बिना ज्यादा सोचे लोगो को निर्दयता से मार देता है, हालाँकि ये कालसैनिक जिन्दा छोड़े जाने के लायक भी नहीं है पर कभी कभी मैं सोचता हु के अगर रूद्र इंसानियत के विपक्ष मैं लड़ा तो क्या होगा? राघव ही केवल एकमात्र ऐसा इंसान है जो रूद्र की क्षमताओ पर काबू कर सकता है बस वो जल्द से अपने अप को जान ले

अरुण(मजाकिया अंदाज मे)-वो सब तो ठीक है नरेश भाई पर पहले फिलहाल तो हमें अपने लक्ष्य परे ध्यान देना चाहिए, वैसे भी आप इस तरह के काम के लिए बूढ़े हो चले है

नरेश(मुस्कुराकर)- हा हा और तुम तो अभी बच्चे हो न

तभी अचानक अरुण ओ गाड़ी के ब्रेक लगाने पड़े और नरेश को झटका महसूस हुआ, एक व्यक्ति सड़क पर बेहोश पडा हुआ था

नरेश-लगता है उनलोगों को उनका शिकार मिल गया, इसे किसी कारण उन्होंने यहा छोड़ दिया, तुम इसे उठा लो और एम्बुलेंस को फ़ोन कर दो

अरुण-रुको नरेश भाई! गाड़ी से उतरना ठीक नहीं होगा ये उनलोगों की कोई चाल भी हो सकती है

नरेश-और अगर चाल नहीं हुयी तो? एक जिर्दोश मारा जायेगा अरुण, अपनी बन्दूक उठाओ और सावधानी से जाकर चेक करो

बारिश और कदक्तो बिजली माहोल को और भिज्यदा भयानक बना रही थी, इस माहोल मैं अरुण गाडी से बाहर निकला, वातावरण मैं अब कुत्तो और बिल्लियों की मनहूस आवाजे भी शामिल हो गयी थी, अरुण धीरे धीरे बन्दूक लेकर बेहोश व्यक्ति की तरफ बढा, उसने धीरे से उस व्यक्ति को देखने के लिए उसे हाथ लगाया ही था के तभी अचानक उस बेहोश पड़े व्यक्ति ने अरुण के गर्दन को पकड़ लिया और एक ‘चटाक’ की आवाज़ हुयी और उसी के साथ ही अरुण की जान चली गयी, नरेश गाड़ी मैं बैठ ये नजारा देख चूका था और अब वो घबराने लगा था,

वो व्यक्ति उठा और उसने अपना काला चोगा और नकाब पहना और अरुण को वही सड़क पर मरा छोड़कर वो व्यक्ति गाडी की तरफ बढ़ा, अब तक नरेश गाडी का स्टीयरिंग संभाल चूका था, उसने तेजीसे गाडी को उस इंसान की तरफ बढाया लेकिन उस व्यक्ति ने केवल अपना हाथ हवा मैं उठाया और गाडी बंद पड गयी, नरेश ने कई बार चाबी घुमाकर गाडी दोबारा स्टार्ट करने की कोशिश की लेकिन कुछ नहीं हुआ,

उस व्यक्ति के हाथो मैं फिर से हरकत हुयी और अबकी बार गाडी का पूरा दरवाजा उखाड़कर निकल गया, उस इंसान ने कुछ देर नरेश को घुरा और फिर उसके करीब आया, नरेश अबतक उस आदमी का चेहरा ठीक ढंग से देख नहीं पाया था और उसने अरुण को मारते ही नकाब पहन लिया था और अब उस इंसान से नरेश को घूरते हुए फिर से अपना काला नकाब उतारा.....

वो कोई और नहीं सुशेन था और इस वक़्त उसके चेहरे पर अजीब सा वहशिपन था! उसने नरेश को गाडी से बाहर खिंच लिया, नरेश ने एक जोरदार मुक्का उसके चेहरे पर जड़ना चका लेकिन उसने नरेश का हाथ पकड़ कर जोर से भींच दिया जिससे नरेश की हथेली की हड्डियों का कचूमर बन गया जिससे नरेश की चींख निकल गयी, नरेश की चींख ने उस सुनसान माहोल को बुरी तरह देहला दिया, फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश के पेट मैं जादा जिससे उनके मुह से खून आने लगा, अब नरेश पूरी तरफ अशक्त होकर जमीन पर पड़ा हुआ था.....

सुशेन-तुम लोग मेरे भाई के मौत के जिम्मेदार हो.

सुशेन ने काफी क्रोध मैं कहा

नरेश-तुम...तुम्हे कैसे पता?

सुशेन-जब पुलिस स्टेशन मे रूद्र ने शक्ति को मारा और इस इंस्पेक्टर और उसके भाई को लेकर तुमसे मिलने आया तब भी मेरे लोग बेहद सावधानी से उनका पीछा कर रहे थे, उन्हें तुम्हारी लोकेशन मिल गयी, हम चाहते तो किसी भी वक़्त तुम्हारे घर पर हमला कर सकते थे लेकिन हमसे सही मौके का इंतजार किया और तुम तक हमारी खबर पहुचाई और हमें मौका मिल गया जब तुम लोग अलग अलग रस्ते हमारी तलाश मैं निकले

नरेश-म...मतलब तुम्हे पुरे समय हमपर नजर राखी?

सुशेन-हा हा हा, हमने इस मामले मैं तुमसे थोडा ज्यादा होशियारी से काम किया लेकिन चिंता मत करो, तुम्हारी मृत्यु को हम ऐतहासिक बनायेंगे, क्युकी तुमको हम मौका देंगे वो अंतिम कुर्बानी बनने का को कालदूत के लिए इस दुनिया का मार्ग प्रशस्त करेगी.....

फिर सुशेन ने एक जोरदार घुसा नरेश को जड़ा जिससे उसका दिमाग बेहोशी के अँधेरे मैं डूबता चला गया, फिर उसके बेहोश शारीर को अपने कंधे पर डालकर सुशेन एक और बढ़ता चला गया

दूसरी तरफ राघव जो रमण और संजय के साथ निकला था उसे किसी अनहोनी घटना का आभास होने लगा, उन्हें अब तक अपने मार्ग मैं कोई भी ऐसी चीज़ या हरकत नहीं दिखी थी जो इस और इशारा करे करे की यहाँ कालसेना की मौजूदगी होसकती है

राघव ने अरुण और नरेश ने संपर्क बनाने की कोशिश की लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ उनका फ़ोन नहीं लग रहा था और जब राघव की कई कोशिशो ने बाद भी नरेश का फ़ोन नहीं लगा तो उसे चिंता होने लगी और उसने रूद्र को फ़ोन लगाया

रूद्र बाइक से तेजी से बढ़ रहा था तभी उसका फ़ोन बजा और उसने फ़ोन उठाकर कान को लगाया

राघव-रूद्र! मैं राघव बात कर रहा हु

रूद्र-हा! क्या हुआ है सब ठीक है न?

राघव-हमारे पास सब ठीक है लेकिन अरुण और नरेश जी से हमारा संपर्क टूट गया है

रूद्र-शायद बारिश की वजह से ऐसा हो..!

राघव-काश ऐसा ही हो वैसे हमें यहाँ किसी भी कालसैनिक का नामोनिशान नहीं मिला है तुम कहो

रूद्र-अभी तक तो नहीं...

राघव-तो क्या नरेश जी और अरुण......रूद्र मेरे मन को किसी अनहोनी का आभास हो रहा है

राघव की बात सुनकर रूद्र भी बुरी तरह आशंकित हो गया उसे अचानक कुछ याद आया और उसने राघव की बात को बीच मैं काटकर पूछा

रूद्र-रमण ने किसी कब्रिस्तान के बारे मैं बताया था कुछ!

राघव-हा एक पुराना कब्रिस्तान है जहा भाई को रोहित नाम के एक इंसान की जली हुयी लाश मिली थी मैं जानता हु उस जगह के बारे मैं

रूद्र-तुम सबको लेकर तुरंत वहा पहुचो मैं भी पहुच रहा हु बस एक बात का ध्यान रखना राघव मेरे आये तक प्लीज कोई एक्शन मत लेना मेरा इंतजार करना

राघव-ठीक है...

उसके बाद राघव ने रमण और संजय को ये बात बताई और वो लोग उस कब्रिस्तान की और निकल गए और रूद्र ने भी अपनी बाइक उस कब्रिस्तान की और मोड़ ली.....




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Lagta hai ki agla update action se bharpur hoga
 

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भाग १९



नरेश(मुस्कुरा कर)- मैं तो तुम्हारे पिताजी को भी जानता हु रमण...मैं तुमदोनो को शुरू से सारी बात बताता हु तब शायद तुम्हे पूरी बात समझ मैं आये और ये भी समझ मैं आये की इस वक़्त ये दुनिया कितने बड़े खतरे मैं जिसे हमें रोकना है......

नरेश- राघव, रमण तुम्हारे दादाजी महंत शिवदासजी मेरे और मेरे भाई के गुरु थे, हमारे माता पिता मेरे छोटे भाई के जन्म के के बाद एक दुर्घटना मैं मारे गए थे हम दोनों भाई काफी छोटे थे हमारे रिश्तेदारों का हमारे प्रति व्यवहार अच्छा नहीं था इसीलिए मैं एक दिन हिम्मत करके अपने रिश्तेदारों के पास से भाग तो निकला लेकिन अब आगे क्या करू मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था ऐसे मैं एक दिन भटकते हुए हमें गुरूजी ने देखा, तुम्हारे दादाजी एक नेक दिल इंसान थे और काफी विद्वान थे, राजनगर और बाकि आसपास के शहरों मैं उनका नाम चलता था, उन्होंने हम दोनों भाइयो को आसरा दिया, वो उस समय पुराने शिवमंदिर मैं रहते थे और हम दोनों भाई भी उन्ही के साथ रहते थे, मेरे छोटे भाई महेश की पढने मैं काफी रूचि थी और इसीके चलते गुरूजी ने अपनी पहचान से हम दोनों भाइयो का दाखिला स्कूल मैं करवाया था, हम अपनी पढाई के साथ साथ गुरूजी के अनुष्ठानो मैं हाथ भी बताया करते थे, गुरूजी के पास इंसान का दिमाग पढ़ सकने की अदभुत शक्ति थी और ये बात हम दोनों भाई जानते थे, धीरे धीरे समय बीता मैंने बस जरुरत जितनी पढाई की लेकिन मेरा छोटा भाई महेश उसके सपने काफी बड़े थे उसे अध्यात्म मैं विज्ञान और विज्ञान मैं अध्यात्म की झलक मिलती थी उसका कहना था की अगर विज्ञान को अध्यात्म का साथ मिल जाये तो इस दुनिया मैं ऐसे चमत्कार होंगे जो किसी ने सोचे नहीं होंगे, गुरूजी उसके मन की बात जानते थे उन्होंने उसे आगे बढ़ने से कभी नहीं रोका और महेश ने अपनी बुद्धि के बल पर काफी बडी जगह नौकरी पायी और विदेश चला गया उसके कुछ सालो बाद हमें तुम मिले राघव तुम्हे मिलने के बाद गुरूजी ने मुझसे कहा था की तुम ही वो लड़के बनोगे जो आने वाले समय मैं इस दुनिया के लिए कोई महान काम करोगे बस जरुरत होगी तो तुम्हे तुम्हारी शक्तियों से अवगत करने की, गुरूजी अपना पूरा ध्यान तुम पर लगाना चाहते थे राघव और इसीलिए उन्होंने मुझे अपने से दूर किया और मैं अपने भाई के पास आ गया और अपना छोटा सा काम शुरू करके शादी कर ली, जिंदगी हसी ख़ुशी कट रही थी,

मेरा भाई महेश बायो इंजीनियरिंग मैं एक महारत वाला वैज्ञानिक था जो उस समय किसी गुप्त आर्गेनाइजेशन के लिए काम करता था, वो आर्गेनाइजेशन पता नहीं कैसे महेश को इतने पैसे और संसाधन मुहैया कहा देती थी की जिससे उसके जीवन मैं रिसर्च मैं किसी प्रकार की बाधा न आये

राघव-किस प्रकार की रिसर्च?

नरेश-Artificial Metahumans यानि की कृत्रिम महामानवो पर रिसर्च, बात तब की है हम हम दोनों भाई अमेरिका मैं रहते थे मतलब मैं महेश और मेरी बीवी, महेश एक ऐसा शारीर या कहो मानव बनाना चाहता था जिसका शारीर हमारी तरह हो लेकिन हड्डियों मैं तरह तरह के मिश्रित धातुये यानि alloys का संगम को जौसे अभेद्द बना सके

रमण-यानि एक रोबोट जैसा?

नरेश-नहीं रोबोट नहीं वो तो केवल एक निर्जीव यन्त्र है, महेश कुछ ऐसा बनाना चाहता तह किसका शारीर हमारी तरह हो सरे अवयव हमारी तरह हो. जो इंसानों की तरह रोजमर्रा के काम करे लेकिन बहरी त्वचा इतनी सख्त हो की जिसपर बन्दुक की गोली भी असर न करे और आखिर मैं उसने एक ऐसा शारीर बनाने मैं कामयाबी भी हासिल कर ली थी जिसमे, दिल गुर्दे फेफड़े बाकि बस अंदरूनी अंग हमारी तरह थे लेकिन कंकाल का ढाचा बेहद मजबूत था, उसने त्वचा का composition भी वैसा ही रखा था ताकि उपरी शारीर अभेद्द और कठोर हो, एक कृत्रिम मस्तिष्क का निर्माण भी किया गया जो आम मानव मस्तिष्क जैसा हो लेकिन अब समस्या ये थी की बेजान शारीर मैं जान कैसे डाले, मेरे भाई ने कई प्रयोग किया उस शारीर मैं जान डालने के लेकिन सब विफल रहे क्युकी उसके पास वो उर्जा नहीं थी जो हर मनव शारीर को संचालित करती है......आत्मा, ऐसे समय मैं हमें हमारे गुरूजी का ध्यान आया, हम दोनों भाइयो ने गुरूजी को बचपन से देखा था जिससे हमें उनकी शक्ति का अंदाजा था, महेश ने गुरु जो पत्र लिखकर साडी समस्या बताई और गुरूजी ने भी मदद का आश्वासन दिया, तुम दोनों को याद होगा वो गुरूजी उनकी मृत्यु के १ साल पहले कुछ समय के लिए कही बाहर गए थे, उस समय वो हमारे पास आये थे, गुरूजी ने अपनी सिद्धियों की मदद से एक आत्मा को इस लुक मैं खिंच लिया, फिर वो आत्मा उस शारीर मैं चली तो गयी लेकिन कोइ भी आत्मा तब तक किसी शारीर मैं स्थिर नहीं होती जबतक वो उसका अपना शारीर न हो, उस उर्जा के तत्त्व को stabilize करने के लिए एक निश्चित मात्र मैं बिजली का प्रयोग किया गया, वो शारीर बिलकुल शांत था किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था की ये प्रोयोग सफल हुआ या नहीं लेकिन गुरूजी निश्चिन्त थे और वो भारत लौट आये थे उसके कुछ दिनों बाद मेरा भाई लैब मैं उस कृत्रिम शारीर पर कुछ टेस्ट कर रहा था तभी न जाने कैसे कालसैनिको को इस प्रयोग का पता चला और उनके मन मैं उस कृत्रिम मानव को पाने की लालसा जाग उठी और उन्होंने लैब पर हमला कर दिया उस हमले मैं बाकि वैज्ञानिक तो बचकर भाग गए लकिन मेरा भाई पकड़ा गया और उसे उनलोगों ने लोहे की जंजीर से बांधकर जिन्दा जला दिया लेकिन तब तब उस कृत्रिम मानव को होश आ चूका था वो वो अपने निर्माता को पहचानने लगा था और जो उसे पहला अहसास हुआ वो क्रोध था उसने इतना भीषण हत्याकांड अपने आँखों से देखा था, कालसेना तो उस कृत्रिम मानव को मानवता के खिलाब हथियार बनाना चाहती थी लेकिन तब तक वो कृत्रिम मनव जाग गया और उसने उन कालसैनिको को वो भयानक मौत दी जिसके वो हक़दार थे, महेश की गुप्त आर्गेनाइजेशन के लोग बाद मैं मुझसे मिले और मुझे अपने भाई की अमानत सँभालने को कहा और मैंने उसे घर ले आया, मेरी बीवी ने उसका नाम रूद्र रखा, हमने रूद्र को अपना बच्चा मन क्युकी हमारी कोई संतान नहीं थी, मैं अपने भाई की मौत को भुला नहीं था मैंने अपने स्तर पर खोज की लेकिन शायद कालसेना को इसकी भनक लग चुकी थी और जब मैं और रूद्र दोनों बाहार थे तब उन्होंने मेरी बीवी की कुर्बानी दी, हम जब घर पहुचे तब मेरी बीवी की लाश पर एक नोट लिखा था की ‘हमें ढूंढने की कोशिश मैं इसी तरह मारे जाओगे’ पर अब मेरे पास खोने को कुछ नहीं था, अब मैंने कालसेना का खत्म करने की ठानी थी और मेरे साथ रूद्र भी था इसी सब के बीच मुझे गुरूजी की मौत की खबर मिली और साथ ही गुरुजी का एक ख़त जो उन्होंने मेरे नाम छोड़ा था जिसे तुम्हारे पिता ने मुझे बादमे भेजा जिसमे राघव की खूबियों और शक्तियों का जिक्र था, मैंने रूद्र के साथ राजनगर लौट आया और ऐसे लोगो को खोजा वो कालसेना से पीड़ित हो ऐसे मैं हमें संजय मिला जो एक राज परिवार से है और अब हमारे हथियारों के खर्च को देखा है और अरुण जिससे तुम कुछ ही समय मैं मिलोगे वो एक एक्स कमांडो है जिसे हथियारों की काफी समझ है,..हमने जब राघव पर नजर रखी तो पाया की राघव को अभी अपनी शक्तियों का अंजादा नहीं है और अब यही सही समय है उसे सब बताने का मैं और रूद्र तुम लोगो से मिलने वाले थे लेकिन आज तुमसे अचानक मिलना होगा सोचा नहीं था,

रमण- आपकी कहानी और आपके भाई के मौत का काफी दुःख हुआ और साथ ही मैं आपके लड़ने के जज्बे को सलाम करता हु, अब समझ आ रहा है की रूद्र पर काला जादू असर क्यों नहीं करता क्युकी उसने हमारी तरह जन्म नहीं लिया बल्कि उसे लैब मैं बनाया गया है...लेकिन आप बार बार किसी गुप्त संस्था का जिक्र कर रहे थे जिसमे आपका भाई काम करता था, क्या आप नहीं जानते उस संस्था के बारे मैं

नरेश-उस संस्था के कुछ लोग हमसे जुड़े हुए है वो लोग भी कल आने वाले है तब ये सवाल तुम उन्ही से पूछना

ये लोग बात कर ह रहे थे की दरवाजे से अरुण उन्हें अंदर आता दिखाई दिया.......




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Great update
 

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भाग २०



पुलिस स्टेशन मैं हुए उस भयानक हत्याकांड की ख़राब पुरे राजनगर मैं फ़ैल चुकी थी देश के बड़े बड़े न्यूज़ चैनल इस खबर को कवर करना छह रहे थे और इस वक़्त पुलिस स्टेशन के सामने रिपोर्टर्स की भरी भीड़ थी, किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था के आखिर इतने सरे पुलिस कर्मचारी इतनी बेरहम तरीके से कैसे मारे गए कौन है इस घटना के पीछे, रिपोर्टर्स और रिज़र्व पुलिस फाॅर्स जब तक वहा पहुचे तक तक कालसेना के लोग अपने लोगो की लाशो को वहा से ले जा चुके थे वो अब भी खुल कर सामने नहीं आना चाहते थे अगर उनके बस मैं होता तो शायद ये खबर भी दब जाती लेकिन मामला बड़ा था और इसे दबाना इतना आसन भी नहीं था

इस वक़्त सरे न्यूज़ चैनलों पर सिर्फ राजनगर की ये न्यूज़ दिखाई जा रही थी घर पर अनिरुद्ध शाश्त्री जी सुमित्रादेवी और श्रुति भी ये न्यूज़ देख रहे थे और उन्हें अपने बेटे की चिंता हो रही थी क्युकी न्यूज़ देखते ही वो समझ गए थे के ये सब घटनाये रमण के स्टेशन मैं हुयी है, श्रुति का हाल रोने जैसा था वही सुमित्रादेवी अपने को संभाले हुए थी साथ ही राघव के बारे मैं भी इन्हें कोई खबर नहीं थी

इस वक़्त टीवी पर न्यूज़ चल रही थी जिसका एंकर बोल रहा था “इस वक़्त हम राजनगर के पुलिस स्टेशन मैं खड़े है जहा आज दिन धहदे कई पुलिस वालो को मारा गया है, हैरानी की बात ये है ये आस पास के लोगो ने किसी ने भी कोई गोली की आवाज नहीं सुनी, इन सरे पुलिस कर्मचारियों को बेहद ही क्रूरता के साथ मारा गया है जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकेंगे, आसपास के कुछ लोगो से पूछ ताछ मैं उन्होंने बताया की उन्होंने कुछ नीले कपडे पहले लोगो को अंदर जाते देखा था पर उसके बाद क्या हुआ किसी को इस बात की कोई जान करी नहीं, सूत्रों के अनुसार पुलिस स्टेशन मैं उस वक़्त मौजूद कोई भी पुलिस वाला जिन्दा नहीं बच पाया है S.I.रमण शास्त्री की बॉडी अभी तक बरामद नहीं हुयी है शायद वो जिन्दा बच गए हो लेकिन अभी तक उनकी हमारे पास कोई खबर नहीं है, कौन हो सकता है इन सब के पीछे? क्या इसमें हमारे किसी दुश्मन देश का हाथ है? ये आतंकवादी हमला है या कुछ और? इन सब बातो पर चर्चा के लिए देखे हमारा विशेष कार्यक्रम अब से कुछ ही देर मैं रात ९ बाते, कैमरा मैन गौरव के साथ मैं अविनाश +२४ न्यूज़”

न्यूज़ सुन कर श्रुति और सुमित्रादेवी का बुरा हाल हो रहा था पर कही न कही उन्हें लग रहा था के रमण ठीक होगा

श्रुति-मम्मी जी मैं तब से इनका फ़ोन लगा रही हु लग नहीं रहा है राघव भैया भी फ़ोन नहीं उठा रहे है

सुमित्रादेवी-तुम फ़ोन लगाती रहो कुछ जरूर पता चलेगा

वही अनिरुद्ध जी कुछ सोच रहे थे और अचानक वो खड़े हुए

अनिरुद्ध-चिंता मत करो बहु रमण को कुछ नहीं होगा और राघव भी ठीक होगा तुम उन्हें फ़ोन लगाती रहो और कुछ पता चले तो मुझे सूचित करना मैं आता हु

सुमित्रादेवी- आप कहा जा रहे है पहले ही हमारे दोनों बेटो का कुछ पता नहीं है ऐसे मैं आप

अनिरुद्ध-ये सुनिश्चित करने जा रहा हु के मेरे दोनों बच्चे सुरक्षित रहे, मेरी चिंता मत करो महादेव मेरे साथ है मुझे कुछ नहीं होगा, एक ऐसे व्यक्ति से मिलने जा रहा हु जहा से मुझे आशा मैं की मैं खली हाथ नहीं आऊंगा

सुमित्रादेवी-पर.....

सुमित्रादेवी कुछ कह पाती इससे पहले ही अनिरुद्ध शास्त्री वह से निकल गए, वो कहा जा रहे थे ये केवल उनका मन जानता था.....

वही दूसरी तरफ नरेश राघव और रमण को अपनी कहानी सुना रहा था की कैसे उसके भाई ने रूद्र को बनाया और जब कालसेना ने उसके परिवार को मार दिया तब से वो और रूद्र उसने भीड़ रहे है और कैसे उन्होंने अपने जैसे लोगो को खोज कर कालसेना के खिलाफ अपनी एक टीम तयार की है तभी वहा अरुण आ पंहुचा

अरुण के चेहरे पर चिंता साफ़ देखि जा सकती थी, रात का समय हो चला था और मौसन भी बिगड़ने लगा था अरुण काफी चिंतित चेहरे के साथ सोफे पर जा बैठा उसके हाथ मैं एक किताब थी

नरेश-अरुण तुम तो आधी रात तक आने वाले थे इतनी जल्दी कैसे आ गए? रमण राघव इनसे मिलो हमारे वेपन एक्सपर्ट अरुण जो आर्मी मैं कमांडो भी रह चुके है और अब कालसेना से लड़ने मैं हमारी मदद कर रहे है, पुलिस स्टेशन पर कालसेना के हमले की सुचना हमें अरुण ने ही दी थी

अरुण-मैं एक बुरी खबर लाया हु नरेश भाई, आज रात कुछ तो बड़ा होने वाला है हो सकता है शायद अंतिम कुर्बानी?

राघव-पर उसमे तो अभी समय है अंतिम कुर्बानी तो आने वाली पुरनमासी को होगी

अरुण-ये लोग किसी मुहूर्त का इंतजार नहीं करते बच्चे यदि इन्होने किसी को पकड़ा होगा तो कुर्बानी आज ही होगी पर मेरी जानकारी मैं अभी तक कालसेना को आखरी कुर्बानी नहीं मिली है.....

नरेश-मुझे लगता है तुम व्यर्थ चिंता कर रहे हो अरुण हो सकता है ऐसा कुछ न हो

रमण-पर आपको ये सब कैसे पता है? मतलब पहले पुलिस स्टेशन वाली घटना और अब ये??

अरुण-तुम्हे शायद जानकार हैरानी हो इंस्पेक्टर, मेरे पिता इन मे से एक थे, वो इन अन्धविश्वासी कालसैनिको मैं से एक थे और जब उन्हें कोई कुर्बानी नहीं मिली तो उन्होंने मेरी आँखों के सामने मेरी माँ को कुर्बानी के नाम पर जला कर मार डाला था, उस समय मैं छोटा था जिसके बाद मैंने ठान लिया था इस कालसेना को ख़तम करने का, जितनी अच्छी तरह मैं कालसेना को जानता हु उनता शायद यहाँ मौजूद कोई नहीं, मेरा अपना एक नेटवर्क है जिसके जरिये मुझे ये खबरे मिलती रहती है,

रमण-आपकी कहानी सुन कर दुःख हुआ और मैं आपके लड़ने के जज्बे की करदा करता हु, मेरी जान बचने का शुक्रिया अगर आप रूद्र को न भेजते तो शायद मैं यहाँ नहीं होता

रूद्र-पर अरुण भाई आप गए कहा था और ये आपके हाथ मैं क्या है?

अरुण-मैं अपने घर गया था रूद्र अपने बाप के घर जहा उसका सामान पड़ा हुआ था ये देखने की कही उसके सामान मैं हमें कोई ऐसी चीज़ मिल जाये जो हमारी इस लडाई मैं मदद करे और वहा मुझे ये मिली, ये किताब जिसकी ये कालसैनिक पूजा करते है

अरुण ने वो किताब सबको दिखाते हुए कहा

नरेश-क्या ये वही है जो मैं सोच रहा हु?

अरुण-काले जादू की किताब जिसका लेखक स्वयं कालदूत को माना जाता है, मेरे पिता की है, कभी सोचा नहीं था की मैं इसे देखूंगा

नरेश-मुझे लगा था ये एक ही है

अरुण-कालदूत ने तो एक ही दी थी पर कालसैनिको ने इसकी प्रतिया तयार की है जिससे ज्यादा से ज्यादा लोग इनसे जुड़े

रूद्र-इसे खोलकर देखो पता चले इसमें क्या राज दफ़न है

उनलोगों ने उस ख़िताब के पन्ने पलटे, शुरवाती पन्नो मैं तो कुछ बेहद ही विभत्स रीती रिवाज थे जो कालसैनिक बनने की प्रक्रिया मैं करने पड़ते थे जैसे भैसे का सर काटकर खाना और सिर्फ कंकाल छोड़ना, मनुष्य की आंते निकालकर खाना आदि, ऐसे चित्र देख कर वहा मौजूद हर कोई घृणा से भर गया

रमण-काफी भयानक चित्र है पर ये भाषा क्या है

राघव-ये इस दुनिया की भाषा नहीं है

राघव के इतना बोलते ही सब उसकी तरफ देखने लगे

नरेश-तुम ये भाषा पढ़ सकते हो??

राघव-पता नहीं मैं ये कैसे कर पा रहा हु पर हा मैं इसे पढ़ सकता हु, ये किताब काले जादू का भंडार है, इसमें ऐसी सिद्धियों का वर्णन है जो यदि किसी एक इंसान के पास हो तो वो पुरे ब्रह्माण्ड पर राज कर सकता है

नरेश-लगता है तुममे किसी भी भाषा को समझने की भी काबिलियत है

राघव-पता नहीं शायद

संजय-पर ये भाषा जब इस दुनिया की नहीं है तो ये उन कालसैनिको को कैसे समझ मैं आ सकती होगी?

नरेश-ये समझना इतना भी मुश्किल नहीं है संजय....कालदूत उनसे मानसिक तरंगो द्वारा जुडा हुआ है वो इसे आसानी से समझ सकते है

ये लोग इन सब के बारे मैं बात ही कर रहे थे की दरवाजे पर दस्तक हुयी

रूद्र-इस समय कौन हो सकता है??

नरेश-मैं देखता हु...


नरेश ने जब दरवाजा खोला तो उसके सामने अनिरुद्ध शास्त्री खड़े थे........
Badhiya update
 

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भाग २१



नरेश ने जब दरवाजा खोला तो सामने अनिरुद्ध शास्त्री खड़े थे, उन्हें वहा देख कर पहले तो नरेश चौका, उसे कभी उम्मीद ही नहीं थी के अनिरुद्ध उससे मिलने आएगा

नरेश- अनिरुद्ध भैया आप आइये अंदर आइये

अनिरुद्ध अंदर आकर नरेश से कुछ बात करता या बोलता इससे पहले ही उसकी नजर राघव और रमण पर पड़ी...

राघव-बाबूजी आप यहाँ??

अनिरुद्ध-तुम दोनों यहाँ और रमण तुम्हारे पुलिस स्टेशन मैं आज इतनी भयानक घटना हुयी है हम सबको तुम्हारी चिंता हो रही है, श्रुति कब से तुम दोनों भाइयो का फ़ोन तरी कर रही है....बात क्या है तुम यहाँ क्या कर रहे हो??

नरेश-मैं बताता हु भैया आप बैठिये...

फिर नरेश ने अनिरुद्ध शास्त्री को सारी बात बताई की कैसे रूद्र ने रमण को बचाया वगैरे जिसके बाद

अनिरुद्ध- रूद्र, नरेश मैं जिन शब्दों मैं तुम्हारा शुक्रिया अदा करू समझ नहीं आ रहा है

नरेश-ये आप कैसी बात कर रहे है भैया राघव और रमण की सुरक्षा करना मेरा फर्ज था, अफ़सोस इस बात का है के अगर गुरूजी के कहे मुताबिक मैं राघव से मिल लेता तो शायद आज दुनिया पर इतना बड़ा खतरा न मंडरा रहा होता पर आपने.....

रमण-आप नरेश जी को कैसे जानते है पिताजी?

अनिरुद्ध- वो..

नरेश-ये कैसा सवाल है रमण....मैं अभी तुम्हे बताया था के मैं और मेरा भाई महेश गुरूजी के साथ रहते थे जाहिर है मैं अनिरुद्ध भैया और भाभी को अच्छी तरह जानता हु...

अनिरुद्ध-मैं डर गया था नरेश, पिताजी के जाने के बाद मैं अपने बच्चो को किसी मुसीबत मैं नहीं देखना चाहता था और यहाँ तो पिताजी ने राघव के कंधो पर पूरी दुनिया का जिम्मा डाला था..

राघव-मतलब आप को इन सब के बारे मैं पहले से खबर थी

अनिरुद्ध-हा, पिताजी ने जो बाते तुम्हारे बारे मैं नरेश को चिट्ठी मैं बताई थी वो उन्होंने मुझसे कहा था लेकिन मैं नहीं चाहता था के तुम इस तरह के किसी खतरे मन पड़ो इसीलिए मैंने कभी तुमसे इस बारे मैं कोई बात नहीं की राघव, नरेश जब अमेरिका से लौट कर तुमसे मिलना चाहता था तब मैंने ही उसे रोका था, पर नियति को जो मंजूर होता है वही होता है तुम आज यहाँ पहुच ही गए

नरेश-मैं आपकी चिंता समझता हु भैया....

अनिरुद्ध-पिताजी सही कहते थे आप कितनी ही कोहिश क्यों न कर लो जो होना है वो होकर ही रहता है खैर जो हुआ सो हुआ अब मैं उन लोगो से लड़ने मैं क्या मदद कर सकता हु बताओ...

रमण-ये काम हम पर ही छोडिये पिताजी आप घर जाइये और माँ और श्रुति से कहिये की मैं और राघव ठीक है कुछ काम ख़त्म करके जल्द ही आते है...

अनिरुद्ध-पर...

राघव-भाई सही कह रहा है पिताजी....

ये सब बाते यहाँ चल ही रही थी तभी अरुण को किसी का फ़ोन आया जिसे सुन कर उसका चेहरा गंभीर हो गया..

अरुण-नरेश भाई बुरी खबर है..मेरा शक सही निकला आज रात कुछ बड़ा होने वाला है कालसैनिक अंतिम कुर्बानी की तयारी कर रहे है....

नरेश-क्या??

अरुण-हा हमारे पास समय बहुत कम है

नरेश-रमण तुम भैया को घर छोड़ आओ और मुझे यही आकर मिलो तब तक हम आगे की रणनीति सोचते है..

रमण-ठीक है....

वही दूसरी तरफ...

इस वक़्त रात के १२ बज रहे थे और राजनगर मं भरी बारिश शुरू हो गयी थी, समय समय पर थर्रा देने वाली बिजली भी चमक उठती थी लेकिन बारिश या बिजली का असर उन काले लम्बे चोगे वाले नकाबपोशो पर नहीं पड़ रहा था जो उस विशाल कब्रिस्तान मैं भरी तादाद मैं मौजूद थे जहा रोहित की बलि दी गयी थी...

सुशेन एक उची जगह पर खड़ा होकर अपनी बुलंद आवाज मैं सबको संबोधित कर रहा था

सुशेन-मेरे दोस्तों! १००० वर्ष बाद अब जाकर हमें लोगो के बीच छिपने की जरुरत नहीं रहेगी क्युकी आज रात आखरी कुर्बानी की रात है जो इतने समय से चले आ रहे कुर्बानियों के चक्र को तोड़ेगी.....हमारा देवता समुद्रतल की गहरायो से आजाद होकर इस धरती पर राज करेगा....मैं जानता हु पिछले कुछ दिन हमारे लिए अच्छे नहीं रहे है...उन तुच्छ मनवो ने आज मेरे भाई को मार दिया, मैं इस दुखद घटना के कारण शोक मैं डूब गया था लेकिन कुछ समय बाद मुझे समझ आया के मेरे भाई का बलिदान व्यर्थ नहीं जाना चाहिए, शक्ति के अंत के बाद ब्लू हुड पूरी तरह बिखर गया था मैंने उन्हें हमारे साथ शामिल कर लिया है, हमारे पास जितने अधिक लोग होंगे लक्ष्य तक पहुचना उतना ही आसान होगा, इससे कालसेना की सिमित संख्या मैं बढ़ोतरी हो चुकी है....मेरे साथ दोहराओमहान भगवान कालदूत की.....

कालसैनिक एकसाथ- जय!!!

सुशेन-महान कालदूत अमर रहे!!

कालसैनिक- अमर रहे कालदूत.....!!

कालदूत का जयकारा लगाने मैं सबसे आगे संतोष खड़ा था......

वही राघव नरेश और बाकि सब घर पर तयारियो मैं जुटे थे, रूद्र खिड़की के बाहर देख रहा था नरेश उसके पास जाकर खड़ा हो गया

रूद्र-आज की रात बहुत काली है नरेश जी, बारिश भी तेज है....

नरेश-इतनी फ़िक्र मत करो लड़के

अरुण-हा रूद्र अब इन कालसैनिको पर आखरी वार करने का वक़्त है, वो अपना रिवाज पूरा करने किसी को ढूंढ रहे होंगे हमें उनपर पूरी ताकत से हमला करना है....

रूद्र-अगर मेरे पास उनका पता हो तो मैं अभी जाकर उन सब को ख़त्म कर सकता हु आप लोगो को आने की जरुरत नहीं है...

रमण-लेकिन तुम्हे नहीं पता की वो लोग इस वक़्त कहा पर है और सारे कालसैनिक एक जगह तो मिलेंगे नहीं, उनका प्लान होगा अलग अलग जगह से लोगो को उठाने का प्रयास करे, उन्हें नाकाम करने के लिए हमें भी बिखरना होगा

रमण ने अंदर आते हुए कहा....

संजय-अब हमारा प्लान क्या है आगे क्या करना है?

नरेश-राजनगर मैं कुछ ही ऐसे संवेदनशील हिस्से मैं जहा पर आजतक कालसेना ने हमला किया है जब मैंने इन हिस्सों को मार्क करना शुरू किया तो मुझे समझ मैं आया की असल मैं तीन ही ऐसी जगह है जहा ये कालसेना के लोग हमला करते है, अब हमें भी उन्हें ढूंढने के लिए तीन टीम्स मैं बटना होगा, उत्तर दिशा की तरफ रूद्र अकेला जायेगा क्युकी उसपर काले जादू का telekinesis का असर नहीं होता है, पूरब मे मैं और अरुण जायेंगे और दक्षिण मैं राघव संजय और रमण, रूद्र के अलावा हम सबको उनका सामना करने के लिए हथियारों की जरुरत होगी क्युकी हम मे से कोई भी रूद्र जैसा अभेद्द नहीं है, राघव हो सकते तो अपनी शक्तियों को पहचानने की कोशिश करो हमें तुम्हारी जरुरत है बच्चे, अपनी रफ़्तार और बहुबल हो पहचानो, तुम यहा अकेले ऐसे इंसान हो जो कालसैनिको का खात्मा चंद पालो मैं कर सकते हो तुमसे हमें बहुत उमीदे है

राघव-मैं पूरी कोशिश करूँगा

नरेश-पहले हम छिपकर उनकी गतिविधि देखेंगे, उनका कोई गुप्त अड्डा जरूर होगा जहा पर वो सब मिलते होंगे और आज जब वो आखरी कुर्बानी ढूंढने निकले है तो सारे कालसैनिक एक जगह जरूर इकठ्ठा होंगे, हम बस चुप चाप उनका पीछा करके वो गुप्त स्थान ढूंढेंगे और फिर बिना नजरो मैं आये RDX प्लांट करेंगे और पूरी जगह ही उड़ा देंगे और अगर फिर भी कोई कालसैनिक बच गया ओ उसके लिए हथियारों का इंतजाम अरुण ने कर दिया है, देखते ही मार देंगे उन्हें बस ध्यान रहे उन्हें मौका नहीं मिलना चाहिए वरना आखरी कुर्बानी हम मैं से किसी की होगी, सभी को गुड लक

सभी लोग घर के बाहर निकले, अबतक बारिश हलकी हो चुकी थी और हवा मैं ठण्ड के साथ नमी भी बढ़ चुकी थी लेकिन रात का अँधेरा और सन्नाटा बरक़रार था साथ ही रह रहकर बिजली भी जोरो से कड़क रही थी, तीनो टीम के लोग आपस मैं एकदूसरे से गले मिले और रूद्र नरेश के पास आया

रूद्र(झिझकते हुए)- देखिये...अगर आपको वो लोग मिले तो आपको मुझे या राघव को कॉल करना है खुद कोई एक्शन नहीं लेना है

नरेश-मैं समझता हु रूद्र तुम्हे मेरी चिंता है लेकिन अगर हमारा प्लान काम कर गया तो चिंता की कोई बात नहीं है

रूद्र-कुछ चांस ये भी है के हमारी योजना काम न करे फिर हम क्या करेंगे? आप जानते है आपके सिवा मेरा दुनिया मे कोई नहीं है मैं नहीं चाहता आपका हाल आपके भाई और मेरे निर्माता जैसा हो...

नरेश-मैं वादा करता हु की अगर मुझे कुछ गड़बड़ लगी तो तुम्हे या राघव को कॉल करूँगा खुद कोई एक्शन नहीं लूँगा, अब मेरी चिंता करने का वक़्त नहीं है बल्कि धावा बोलने का वक़्त है

फिर तीनो टीम्स अपने लक्ष्य की तरफ रवाना हुयी, रमण संजय और राघव रमण की जीप मैं जिसके पीछे वाली सीट पर उन्होंने अरुण के दिए हुए हथीयार रखे थे, नरेश और अरुण अरुण की गाड़ी मैं जिकसी डिक्की मैं भी काफी हथीयार थे और रूद्र अपनी बाइक पर बैठकर अपनी लोकेशन की तरफ रवाना हुआ.....




To Be Continue.......
Super update bhai
 
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