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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

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Adirshi

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भाग १८



रूद्र रमण और राघव को लेकर पुलिस जीप मैं काफी दूर निकल आया था, रमण अब वापिस बोलने की स्तिथि मैं आ चूका था, हालाँकि वो काफी साहसी व्यक्ति था लेकिन कुछ समय पहले उसने जो कुछ भी देखा था उससे वो बुरी तरह हिला हुआ था वही राघव पीछे बैठे हुए चुप चाप एकटक रूद्र को देख रहा था आखिर मैं रमण ने बोलना शुरू किया

रमण-तुम हमें कहा ले जा रहे हो?

रूद्र- किसी सुरक्षित स्थान पर, कालसेना के लोगो को अब तक पता चल चूका होगा इन सबकी मृत्यु का, वो तुम्हारे पीछे आयेंगे

रमण-मुझे अब भी समझ नहीं आ रहा की तुम पर इनके काले जादू का असर क्यों नहीं हुआ? आखिर तुम चीज़ क्या हो?

रूद्र-देखो रमण फिलहाल हम समय व्यर्थ नहीं कर सकते, मैं सही समय आने पर आपको सब कुछ बता दूंगा पहले हमें उनको आखरी कुर्बानी देने से रोकना होगा हम उन्हें कामयाब होने नहीं दे सकते वरना कालदूत जाग जायेगा औए हा राघव तुम जो ये इतने समय से मेरे दिमाग मैं झाकने की कोशिश कर रहे हो इसे प्लीज रोक दो, जब मुझपर telekinesis का असर नहीं हुआ तो तुम्हारी शक्तिया भी काम नहीं करेंगी

राघव-तुम..कैसे जानते हो मेरे और मेरी शक्तियों के बारे मैं?

रूद्र-मैं तुम्हारे बारे मैं तुमसे ज्यादा जानता हु दोस्त और मेरा यकीन करो मैं तुम्हारे ही साथ हु साडी बाते सही समय पर तुम्हे पता चलेंगी बस कुछ देर रुक जाओ

राघव-तुम कैसे जानते हो कालदूत के बारे मैं

रूद्र- वो....

रमण-पता नहीं क्या हो रहा है.....क्या सच मैं कोई कालदूत है भी...मैं अब इन सब अंधविश्वास से तंग आ गया हु

रूद्र-अपने भाई की दिमाग पढने की काबिलियत और पुलिस स्टेशन मैं जो कुछ हुआ उसे देखने के बाद भी तुम ऐसा कैसे कह सकते हो इंस्पेक्टर, जरा मुझे बताओगे की ये लोग बिना हाथ लगाये चीज़े कैसे हिला लेते है

रमण-इसके पीछे जरूर कोई न कोई कारन होगा, कोई ठोस कारण!

रूद्र-कारण है न!! कालदूत का शारीर जरूर समुद्र मैं बंधा हुआ है लेकिन वो मानसिक तरंगे भेजकर इन सबको इस तरह की शक्तिया प्रदान करता है, वो इनसे शक्तिया ले भी सकता है और इन्हें और शक्तिशाली भी बना सकता है इसीलिए अगर आखरी कुर्बानी दी गयी तो हम सब ख़तम हो जायेंगे

राघव-ये आखरी कुर्बानी है क्या?, अभी अभी इन लोगो ने पुलिस स्टेशन मैं इतना कुछ किया वो काफी नहीं था जो आखरी कुर्बानी बाकि है??

रूद्र-कुर्बानी के लिए इनके कुछ रिवाज मैं राघव और इन्हें उन रिवाजो के अनुसार चलना पड़ता है, व्यक्ति को लोहे की जंजीर मैं बांधकर जिन्दा जलना होता है तभी कुर्बानी मान्य होती है

राघव-ऐसा क्यों??
रूद्र-पता नहीं! शायद मानव आत्मा इस तरह से मारने पर ज्यादा समय तक इस लोक मे इस plane of existence पर बनी रहती है और कालदूत को आजाद होने के लिए आत्माओ की उर्जा की ही जरुरत है

रमण-ओह..तभी हमें रोहित की लाश जली हुयी मिली थी

रूद्र-हा..इन्होने सभी कुर्बानिया इसी प्रकार से दी है और अब अगर ये लोग आखरी कुर्बानी देने मैं सफल हो गए तो वो प्राणी सदियों की कैद से आजाद हो जायेगा जिसे ये लोग अपना इश्वर मानते है.....

राघव-पर आखरी कुर्बानी मैं अभी एक माह का समय है, आखरी कुर्बानी आने वाली पुरनमासी को होगी

रूद्र-हा हा हा, ये किसने कह दिया तुम्हे

रमण-विक्रांत ने ऐसा बताया था

रूद्र-देखो भाइयो ये कालसैनिक किसी भी मुहूर्त या दिन मैं विश्वास रखने वालो मैं से नहीं है अगर ऐसा होता तो हर कुर्बानी किसी विशिष्ट दिन दी जाती लेकिन ऐसा नहीं है इन्हें जब उचित लगे और कोई व्यक्ति कुर्बानी के लिए मिल जाये उसी दिन उसे जलाया जाता है, और आज जब मैंने कालसेना के मुखिया के भाई को मारा है तो ते लोग अब जल्द से जल्द आखरी कुर्बानी पूर्ण करने की कोशिश करेंगे

राघव-तुम जानते हो उन लोगो को मैंने.....(फिर राघव ने रूद्र और रमण को साडी बात बताई जो भी उसने देखा सुना था सब)

रूद्र-तुमने अपनी तरफ से काफी कुछ पता लगा लिया है राघव पर इनमे से ज्यादातर बाते मैं जानता हु..मैंने ही सुशेन को मिलने बुलाया था

राघव-वो तो मैं जान गया था जब पुलिस स्टेशन मैं तुम्हे उन लोगो को मरते देखा था

रूद्र-लो बातो बातो मैं हम पहुच गए....

राघव-कहा??

रूद्र-जहा इन कालसैनिको से भिड़ने वाले मौजूद है....



वो तीनो जीप से निकलकर घर के अंदर पहुचे जहा नरेश पहलेसे ही मौजूद था और उसके साथ २८-३० साल का एक आदमी संजय हॉल मैं बैठा था, संजय एक दुबला पतला आदमी था और घनी मुछे और रौबीले व्यक्तित्व का मालिक

रूद्र-क्या हाल है संजय भाई? बहुत समय बाद दिखे

संजय-तुम भी तो बहुत समय बाद मिले हो

रूद्र-और नरेश जी अरुण भाई नहीं आये अभी तक?

नरेश-आ जायेगा थोड़े समय मैं वो कुछ जरुरी काम से गया हुआ है...

रमण-ये सब क्या चल रहा है यहाँ पे? कौन है आप लोग?

नरेश-राघव, रमण आराम से बैठो सोफे पर हम तुम्हे सब बताएँगे

राघव और रमण दोनों ने एक एक खुर्ची ली और बैठ गए, नरेश गौर से राघव को देख रहा था, कुछ समय तक वहा अजीब सी शांति मैं सिर्फ घडी की टिक टिक सुनाई दे रही थी, सबसे पहले नरेश ने अपनी चुप्पी तोड़ी

नरेश-मेरा नाम नरेश है और ये है संजय, हमारे एक और साथी अरुण को अभी आना है और रूद्र से तो तुम लोग मिल ही चुके हो.....हम सभी ने कही न कही कालसेना की वजह से अपनों को खोया है...मेरी बीवी और भाई को उन्होंने बडी ही क्रूरता से मार दिया....

संजय-और मेरा तो पूरा परिवार ही ख़तम कर दिया गया...बीवी बच्चा माँ बाप बहन सब, सबसे बुरी बात तो ये है की ये लोग इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया मैं उच्च पद पर है जिसकी वजह से इनकी कोई खबर हम तक नहीं पहुचती, जब मैंने नेट पर लोगो के ब्लॉग पढ़े तब पता चला की कितने लोग इनके शिकार हुए है, मैंने नरेश और अरुण से वही मिला था थोडा समय लगा कालदूत का अस्तित्व स्वीकारने मैं लेकिन सच्चाई जो है वो हम सब जानते है

रमण-आप सब की कहानी जान कर बहुत दुःख हुआ लेकिन मैं ये जानना चाहता हु की आपलोग मुझे और राघव को कैसे जानते है और ये रूद्र कौन है?

राघव-हा....

नरेश(मुस्कुरा कर)- मैं तो तुम्हारे पिताजी को भी जानता हु रमण...मैं तुमदोनो को शुरू से सारी बात बताता हु तब शायद तुम्हे पूरी बात समझ मैं आये और ये भी समझ मैं आये की इस वक़्त ये दुनिया कितने बड़े खतरे मैं जिसे हमें रोकना है......

नरेश-बात ऐसी है की...............



To Be Continue.......
 

Adirshi

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maafi chahta hu bhailog update thoda chhota hai aur itna kuch khas nahi hai hai isme, subah jaldi jaldi type kiya tha aur ab din bhar khel kar aane ke baad aur type karne ki himmat nahi hai, asha karta hu aap sab ko ye update pasand aayega comment karke jarur bataiye kaisa laga milte hai kal agle update ke sath tab tak ke liye satark rahe, surakshit rahe, mask ka upyog kare aur do gaj ki doori ka palan kare

Aap sabhi ko MAHASHIVRATRI ki shubhkamnaye

dhanyawaad
 
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mashish

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भाग १८



रूद्र रमण और राघव को लेकर पुलिस जीप मैं काफी दूर निकल आया था, रमण अब वापिस बोलने की स्तिथि मैं आ चूका था, हालाँकि वो काफी साहसी व्यक्ति था लेकिन कुछ समय पहले उसने जो कुछ भी देखा था उससे वो बुरी तरह हिला हुआ था वही राघव पीछे बैठे हुए चुप चाप एकटक रूद्र को देख रहा था आखिर मैं रमण ने बोलना शुरू किया

रमण-तुम हमें कहा ले जा रहे हो?

रूद्र- किसी सुरक्षित स्थान पर, कालसेना के लोगो को अब तक पता चल चूका होगा इन सबकी मृत्यु का, वो तुम्हारे पीछे आयेंगे

रमण-मुझे अब भी समझ नहीं आ रहा की तुम पर इनके काले जादू का असर क्यों नहीं हुआ? आखिर तुम चीज़ क्या हो?

रूद्र-देखो रमण फिलहाल हम समय व्यर्थ नहीं कर सकते, मैं सही समय आने पर आपको सब कुछ बता दूंगा पहले हमें उनको आखरी कुर्बानी देने से रोकना होगा हम उन्हें कामयाब होने नहीं दे सकते वरना कालदूत जाग जायेगा औए हा राघव तुम जो ये इतने समय से मेरे दिमाग मैं झाकने की कोशिश कर रहे हो इसे प्लीज रोक दो, जब मुझपर telekinesis का असर नहीं हुआ तो तुम्हारी शक्तिया भी काम नहीं करेंगी

राघव-तुम..कैसे जानते हो मेरे और मेरी शक्तियों के बारे मैं?

रूद्र-मैं तुम्हारे बारे मैं तुमसे ज्यादा जानता हु दोस्त और मेरा यकीन करो मैं तुम्हारे ही साथ हु साडी बाते सही समय पर तुम्हे पता चलेंगी बस कुछ देर रुक जाओ

राघव-तुम कैसे जानते हो कालदूत के बारे मैं

रूद्र- वो....

रमण-पता नहीं क्या हो रहा है.....क्या सच मैं कोई कालदूत है भी...मैं अब इन सब अंधविश्वास से तंग आ गया हु

रूद्र-अपने भाई की दिमाग पढने की काबिलियत और पुलिस स्टेशन मैं जो कुछ हुआ उसे देखने के बाद भी तुम ऐसा कैसे कह सकते हो इंस्पेक्टर, जरा मुझे बताओगे की ये लोग बिना हाथ लगाये चीज़े कैसे हिला लेते है

रमण-इसके पीछे जरूर कोई न कोई कारन होगा, कोई ठोस कारण!

रूद्र-कारण है न!! कालदूत का शारीर जरूर समुद्र मैं बंधा हुआ है लेकिन वो मानसिक तरंगे भेजकर इन सबको इस तरह की शक्तिया प्रदान करता है, वो इनसे शक्तिया ले भी सकता है और इन्हें और शक्तिशाली भी बना सकता है इसीलिए अगर आखरी कुर्बानी दी गयी तो हम सब ख़तम हो जायेंगे

राघव-ये आखरी कुर्बानी है क्या?, अभी अभी इन लोगो ने पुलिस स्टेशन मैं इतना कुछ किया वो काफी नहीं था जो आखरी कुर्बानी बाकि है??

रूद्र-कुर्बानी के लिए इनके कुछ रिवाज मैं राघव और इन्हें उन रिवाजो के अनुसार चलना पड़ता है, व्यक्ति को लोहे की जंजीर मैं बांधकर जिन्दा जलना होता है तभी कुर्बानी मान्य होती है

राघव-ऐसा क्यों??
रूद्र-पता नहीं! शायद मानव आत्मा इस तरह से मारने पर ज्यादा समय तक इस लोक मे इस plane of existence पर बनी रहती है और कालदूत को आजाद होने के लिए आत्माओ की उर्जा की ही जरुरत है

रमण-ओह..तभी हमें रोहित की लाश जली हुयी मिली थी

रूद्र-हा..इन्होने सभी कुर्बानिया इसी प्रकार से दी है और अब अगर ये लोग आखरी कुर्बानी देने मैं सफल हो गए तो वो प्राणी सदियों की कैद से आजाद हो जायेगा जिसे ये लोग अपना इश्वर मानते है.....

राघव-पर आखरी कुर्बानी मैं अभी एक माह का समय है, आखरी कुर्बानी आने वाली पुरनमासी को होगी

रूद्र-हा हा हा, ये किसने कह दिया तुम्हे

रमण-विक्रांत ने ऐसा बताया था

रूद्र-देखो भाइयो ये कालसैनिक किसी भी मुहूर्त या दिन मैं विश्वास रखने वालो मैं से नहीं है अगर ऐसा होता तो हर कुर्बानी किसी विशिष्ट दिन दी जाती लेकिन ऐसा नहीं है इन्हें जब उचित लगे और कोई व्यक्ति कुर्बानी के लिए मिल जाये उसी दिन उसे जलाया जाता है, और आज जब मैंने कालसेना के मुखिया के भाई को मारा है तो ते लोग अब जल्द से जल्द आखरी कुर्बानी पूर्ण करने की कोशिश करेंगे

राघव-तुम जानते हो उन लोगो को मैंने.....(फिर राघव ने रूद्र और रमण को साडी बात बताई जो भी उसने देखा सुना था सब)

रूद्र-तुमने अपनी तरफ से काफी कुछ पता लगा लिया है राघव पर इनमे से ज्यादातर बाते मैं जानता हु..मैंने ही सुशेन को मिलने बुलाया था

राघव-वो तो मैं जान गया था जब पुलिस स्टेशन मैं तुम्हे उन लोगो को मरते देखा था

रूद्र-लो बातो बातो मैं हम पहुच गए....

राघव-कहा??

रूद्र-जहा इन कालसैनिको से भिड़ने वाले मौजूद है....



वो तीनो जीप से निकलकर घर के अंदर पहुचे जहा नरेश पहलेसे ही मौजूद था और उसके साथ २८-३० साल का एक आदमी संजय हॉल मैं बैठा था, संजय एक दुबला पतला आदमी था और घनी मुछे और रौबीले व्यक्तित्व का मालिक

रूद्र-क्या हाल है संजय भाई? बहुत समय बाद दिखे

संजय-तुम भी तो बहुत समय बाद मिले हो

रूद्र-और नरेश जी अरुण भाई नहीं आये अभी तक?

नरेश-आ जायेगा थोड़े समय मैं वो कुछ जरुरी काम से गया हुआ है...

रमण-ये सब क्या चल रहा है यहाँ पे? कौन है आप लोग?

नरेश-राघव, रमण आराम से बैठो सोफे पर हम तुम्हे सब बताएँगे

राघव और रमण दोनों ने एक एक खुर्ची ली और बैठ गए, नरेश गौर से राघव को देख रहा था, कुछ समय तक वहा अजीब सी शांति मैं सिर्फ घडी की टिक टिक सुनाई दे रही थी, सबसे पहले नरेश ने अपनी चुप्पी तोड़ी

नरेश-मेरा नाम नरेश है और ये है संजय, हमारे एक और साथी अरुण को अभी आना है और रूद्र से तो तुम लोग मिल ही चुके हो.....हम सभी ने कही न कही कालसेना की वजह से अपनों को खोया है...मेरी बीवी और भाई को उन्होंने बडी ही क्रूरता से मार दिया....

संजय-और मेरा तो पूरा परिवार ही ख़तम कर दिया गया...बीवी बच्चा माँ बाप बहन सब, सबसे बुरी बात तो ये है की ये लोग इलेक्ट्रॉनिक और प्रिंट मीडिया मैं उच्च पद पर है जिसकी वजह से इनकी कोई खबर हम तक नहीं पहुचती, जब मैंने नेट पर लोगो के ब्लॉग पढ़े तब पता चला की कितने लोग इनके शिकार हुए है, मैंने नरेश और अरुण से वही मिला था थोडा समय लगा कालदूत का अस्तित्व स्वीकारने मैं लेकिन सच्चाई जो है वो हम सब जानते है

रमण-आप सब की कहानी जान कर बहुत दुःख हुआ लेकिन मैं ये जानना चाहता हु की आपलोग मुझे और राघव को कैसे जानते है और ये रूद्र कौन है?

राघव-हा....

नरेश(मुस्कुरा कर)- मैं तो तुम्हारे पिताजी को भी जानता हु रमण...मैं तुमदोनो को शुरू से सारी बात बताता हु तब शायद तुम्हे पूरी बात समझ मैं आये और ये भी समझ मैं आये की इस वक़्त ये दुनिया कितने बड़े खतरे मैं जिसे हमें रोकना है......

नरेश-बात ऐसी है की...............




To Be Continue.......
awesome update
 
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