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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

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I lob period drama fantasy... Lekin lagta hai ye ghatna kalyug tak aayegi... Waise 1000 saal ke badle 999 saal hota to calculation me sahi hota Adrishi bhai... 33300 logon ki bali 999 saal me ye 1 sal me 100 ko devide karenge to 33.33 aayega fir ye decimal wala insan kahan se dhundh payenge...

Baharhaal ye sardardi aapki hai main kyon pain lun :D.. apan aage badhte hain..

Wonderful start
nainu bhai :ecs:

waise ye perion drama sirf surwati kuch updates ke liye hi tha

bahut bahut shukriya bhai :thanks:
 

Adirshi

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Je dusre update me to varsh 2017 aa gaya :D... Aur je Birju mara kaise usse to jivit rakhta na kaaliya... Fir marne kaise diya... E na chalbe... Aur ye story hai... Pariwar kaise badha uspar bhi koi charcha nahi... Jahan crime hota hai wahan sex bhi apne aap pahunch jata hai... Kaal sena ki ladki ladkon ko apne hushn ke jaal se fasayegi... Kaal sena ke ladke ladkiyon ko rijhayenge... Tab na bina shak ke bali milegi... Warna kidnapping se to bada bawal hoga... Kyonki Facebook.. bhatsapp aur tartar sab to aa chuka hai rahi sahi kasar u tube ne puri kar di...

Baki update umda tha... Pitaji baki chadh gaye jaankar khushi hui... Aage kiski bali chadhi dekhna hoga

birju normal aadmi mafik hi mara kaaldoot unhe shaktiya jaroor dena hai par aayu nahi badhata kisi hi
he is a good rakshas prakriti ke niyamo se ched chad na karta wo aur ladki log ko dur rakhe hai apun no romance direct kidnapping se khauf banayenge logo main
:D
bahut bahut shukriya bhai :thanks:
 

Adirshi

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nice update ..raghav ander jaa nahi paya ..
aur ye rudra bahut powerful lag raha hai jo sushen ke saamne nidar hokar baat kar raha tha ..
shayad raghav ko chuna ho kaalsena ka khatma karne ke liye ..
ab pichha karake kya karna chahta hai sushen 🤔..
:approve: rudra is powerful aur uska picha isliye karwaya taki uske bare main kuch jaan sake
bahut bahut shukriya bhai :thanks:
 

Adirshi

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भाग १७



राजनगर एक बहुत ही खुबसूरत हिल स्टेशन था, चारो और पहाड़ो और घने पेडो बीच बसा हुआ पर पिछले कुछ दिनों मैं गायब हो रहे लोगो ने शहर मैं दहशत भर दी थी,

रूद्र सुशेन से मिल कर उसे चेता कर अपने रस्ते निकल गया था उर इस वक़्त वो एक सुनसान रस्ते पर अकेला चलता हुआ जा रहा था की तभी उसे अपने पीछे कुछ हलचल सुनाई दी, उसने जब पीछे मिदकर देखा तो वहा कोई नहीं था, वो थोडा मुस्कुराया और तेज आवाज मैं बोला “ऐसे कायरो की तरह छिपने का कोई फायदा नहीं है मैं जनता हु की तुम मेरा पीछा कर रहे हो” उसके इतना बोलते ही ६ लोग काले कपडे पहने हुए झाड़ियो से निकल कर उसके सामने आ गए, उनमे से एक बोला “वैसे तो हमें कहा गया था के सिर्फ चुपचाप तेरा पीछा करे लेकिनाब इस सुनसान इलाके मैं अगर हम तुझे मार भी दे तो शायद बॉस बुरा नहीं मानेंगे, उनको रेस्टोरंट मैं बुलाकर धमकाना तेरी आखरी गलती थी लड़के!”

रूद्र-और इस तरह मेरे सामने आना तुम सब की जिंदगी की आखरी गलती है

उन सब लोगो ने रूद्र को गोला बनाकर घेर लिया और उनमे से एक व्यक्ति धारदार कुल्हाड़ी लेकर रूद्र को मरने के लिए आगे आया लेकिन रूद्र ने तेजी से उसके हाथ को पकड़ा और एक झटके के साथ उसका हाथ उखाड़कर फेक दिया, वो आदमी दर्द के कारन जोर से चीखने लगा वही बाकि सब की आँखें ये दृश्य देख कर फटी रह गयी,

ये सब देखकर एक कालसैनिक दुसरे से बोला “ये आखिर है कौन? धरती पर कोई भी इस तरह हमारा मुकाबला नहीं कर सकता” इसपर दूसरा कालसैनिक बोला “इस पर telekinesis का प्रयोग करके देखो, ये हमसे बल मैं अधिक हो सकता है लेकिन इसके पास हमारी शक्तियों की कोई काट नहीं होगी”

सभी कालसैनिको ने अपना हाथ एक विशेष मुद्रा मैं घुमाया, इस दौरान रूद्र ने कुछ नहीं किया, वो बस खड़े खड़े मुस्कुरा रहा था और ये देखकर सभी कालसैनिक सकते मैं आ गए, उनमे से एक घबरायी आवाज मैं बोला “ये...ये तो हमारी शक्तियों का विरोध कर रहा है” तभी रूद्र के चेहरे से भाव तेजी से बदलने लगे, उसने तेजी से घूमकर एक कालसैनिक की छाती पर अपने हाथ से प्रहार किया जो इतना शक्तिशाली था के वो कालसैनिक वही धराशायी हो गया और ये देखकर बाकि सब के पैर उखड गए और वो वहा से भागने लगे

भागते हुए उनमे से एक ने कहा “ये कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता हमें फ़ौरन बॉस को इस बारे मैं खबर करनी होगी” लेकिन रूद्र की रफ़्तार उन सब से अधिक थी उसने आगे जाकर उनका रास्ता रोक लिया और बस फिर कुछ ही मिनटों मैं सभी कालसैनिको की लाश वहा पड़ी थी और रूद्र खून से सने हाथ लिए वहा खड़ा था

रूद्र-हम्म्फ़....जिन्हें लोगो को लाश बनाने का शौक था आज वो खुद लाश बन गए

फिर रूद्र वापिस अपने रस्ते किसी सामान्य नागरिक की तरह निकल गया जैसे कुछ हुआ ही न हो

राजनगर से बहार थोडा दूर खुबसूरत वादियों मैं एक छोटा सा घर बना हुआ था जिसकी दीवारे सफ़ेद और दरवाजा गोलाकार था और दरवाजे पर डोरबेल लगी थी, रूद्र इस समय इसी घर के बहार खड़ा था, उसने बेल बजायी तो दरवाजा एक ५०-५५ की उम्र के आदमी ने खोला, वो आदमी उम्र के हिसाब से काफी तंदरुस्त था, बाल हलके हलके सफ़ेद थे और चेहरा क्लीन शेव, उसने जीन्स और टीशर्ट पहना हुआ था और रूद्र को देखते ही वो बोला “मुझे ऐसा क्यों लग रहा है की तुम कही से दंगा फसाद करके आ रहे हो ?”

रूद्र- वो कुच्घ काले कपडे वाले कालसैनिको ने हमला कर दिया था मुझ पर नरेश जी

नरेश-हा हा...फिर तो मैं ये समझू की ये उनकी आखरी गलती थी

रूद्र-सही कहा

नरेश-आओ जल्दी अंदर आओ

रूद्र-बाकि सब कहा गए ?

नरेश-बाकी सब है ही कौन, एक अरुण ही तो है और वो किसी काम से बाहर गया हुआ है बाकी शिवानी राहुल और बाकि की टीम कल शाम तक आयेगी

रूद्र-अच्छी बात है वैसे भी अब ज्यादा समय नहीं बचा है, वो लोग अगर आखरी कुर्बानी देने मैं सफल हुए तो अनर्थ हो जायेगा

नरेश-सही कहा लेकिन अब किसी को मारना उनके लिए आसान नहीं होगा पुलिस को भी उनकी भनक लग चुकी है और मुझे लगता है अब समय भी हो गया है

रूद्र सोफे पर बैठा और उसने एक लम्बी सास की

रूद्र-मैं ये सब क्या कर रहा हु नरेश जी, लोगो को मारना मेरा काम नहीं है

नरेश-हममे से कोई भी किसी को भी मारना नहीं चाहता है रूद्र लेकिन उनलोगों को जिन्दा छोड़ना कितना खतरनाक हो सकता है इसका अंदेशा हम सबको है

रूद्र-हम्म

नरेश-मुझे लगता है अब यही समय है राघव को उसकी शक्तियों से अवगत करने का हमें जल्द से जल्द उसकी ट्रेनिंग शुरू करनी पड़ेगी

रूद्र कुछ बोलता उससे पहले ही नरेश का फ़ोन बजने लगा, फ़ोन अरुण का था नरेश ने फ़ोन स्पीकर पर डाला तो दूसरी तरह अरुण ने बस दो ही शब्द बोले...”रमण..शक्ति”

रूद्र जितनी तेजी के साथ घर आया था उतनी ही तेजी के साथ घर से निकल गया

इधर पुलिस स्टेशन मैं रमण विक्रांत से कुछ उगलवाने की कोशिश कर रहा था तभी उस कमरे मैं लगी एकमात्र लाइट जलने बुझने लगी जिससे रमण को परेशानि हो रही थी तो वो जोर से चिल्लाकर बोला “रामदास ये बल्ब क्यों काम नहीं कर रहा देखो जरा”

लेकिन रामदास की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो रमण अपनी खुर्ची से उठकर उस अँधेरे लॉकअप से बाहर आया और वहा उसने कुछ ऐसा देखा की उसे बहुत बड़ा झटका लगा, उसके सरे साथी मरे पड़े थे, किसी की आँखें निकली हुयी थी, किसी की अंतड़िया पेट के बाहर झाक रही थी, किसी की गर्दन फटी हुयी थी और हड्डिया साफ़ दिख रही थी,

रमण ने अपने पुरे जीवन मैं ऐसा वीभत्स दृश्य कभी नहीं देखा था, उसने लाशो को पार किया तो सामने नीला चोगा और नकाब पहने चार लोग खड़े थे, रमण पहचान गया की ये लोग कौन है, उनमे से एक ने अपना नकाब निकला, वो सुशेन का छोटा भाई शक्ति था जो फाड़ जाने वाली नजरो से रमण को घुर रहा था, रमण ने बगैर कुछ सोचे अपनी गन निकली लेकिन शक्ति ने अपने हाथ को हल्का सा झटका दिया और वो गन दूर जा गिरी

रमण- तुमने मेरे सभी साथियों को मार डाला दरिंदो!!

शक्ति-मगर तुम जिन्दा हो इंस्पेक्टर और वो भी शायद तुम्हारी बहादुरी की वजह से क्युकी मैं बहादुरों की क़द्र करता हु तुम जैसे बहादुर लोग कालदूत को काफी प्रिय है

रमण-भाड़ मैं गया तुम्हारा कालदूत, मुझसे क्या चाहते हो

शक्ति-विक्रांत को हमारे हवाले कर दो

रमण-नहीं होगा...और वो तो ब्लैक हुड का सदस्य है वो तुमको क्यों चाहिए?

शक्ति-वो एक कालसैनिक है और मेरे सम्बन्ध मेरे भाई से इतने भी ख़राब नहीं है की मैं उसके लोगो को तुम्हारे पास सड़ने दू

रमण- अच्छा भाईचारा है पर मैं किसी भी हाल मे विक्रांत को तुम्हे नहीं दूंगा और मेरे आदमियों की मौत का खामियाजा भी तुम्हे भुगतना होगा

शक्ति-तब तो मुझे तुम्हे भी ख़त्म करना होगा

शक्ति ने कुछ करने के लिए अपना हाथ हवा मैं उठाया लेकिन अचानक एक टेबल उडती हुयी उसकी तरफ आयी लेकिन शक्ति ने सही समय पर ध्यान देकर telekinesis से उसे हवा मे रोक दिया और उसके टुकड़े कर दिया, सभी लोगो का ध्यान टेबल फेकने वाले पर गया तो वहा रूद्र खड़ा था

रूद्र-हर बार telekinesis काम नहीं आयेगी

शक्ति(गुस्से से )- कौन हो तुम?

रूद्र-मेरे बारे मैं सोचने के लिए तुम जिन्दा नहीं रहोगे

शक्ति-इस लड़के और इंस्पेक्टर को पकड़ो

कालसैनिक दौड़कर रूद्र को पकड़ने गए लेकिन रूद्र एक एक जोरदार झापड़ से एक कालसैनिक की खोपड़ी ‘चटाक’ की आवाज से मुडी और वो धरती पर गिर गया, दुसरे से कालसैनिक ने telekinesis द्वारा रूद्र के शारीर को अंदर से फाड़ने की कोशिश की लेकिन रूद्र पर कोई असर नहीं हुआ जिससे रमण और शक्ति दोनों चकित हो गए, दो और लोग रूद्र की तरफ बढे लेकिन उनका भी वही हाल हुआ वो पहले वालो का हुआ था, पुलिस वालो को निर्ममता से मरने वाले अब खुद लाश बने हुए थे और सिर्फ शक्ति बचा था, उसने रमण की गन उठाई और रूद्र पर चलायी लेकिन गोलियों का रूद्र पर कोई असर नहीं हुआ

शक्ति-कौन हो तुम, तुम इंसान नहीं हो?
रूद्र-कोई ऐसा जिसके लिए इंसानी जाने मायने रखती है और तुम जैसो को मारने के लिए मजबूर हु ताकि दोबारा ऐसा न हो

रूद्र शक्तिके पास गया और उसे अपने दोनों हाथो से उठाकर उसने सामने वाली दिवार पर फेक दिया, शक्ति का शारीर इतना तेज इम्पैक्ट झेल नहीं पाया और उसने प्राण त्याग दिए

फिर रूद्र ने रमण की गन उठाई और उस सेल की तरफ गया जहा विक्रांत बंद था, रमण उसे रोकने की हालत मैं नहीं था फिर उस सेल से गोलिया चलने की कुछ आवाजे आयी और विक्रांत का शारीर शांत पड गया

लॉकअप से बहार आकर रूद्र रमण को गन थमाते हुए बोला

रूद्र-रमण आओ मेरे साथ चलो

रमण-रुको!! कौन हो तुम और तुमने ये सब कैसे किया

रूद्र- सब बताता हु अभी मेरे साथ चलो..

तभी वहा राघव आ पंहुचा जो सूरज से पीछा छुड़ा कर रमण से मिलने आया था और उसे अपनी सुनी हुयी सब बाते बताना चाहता था लेकिन पुलिस स्टेशन का नजारा देख उसकी आँखें फटी रह गयी

रुद्र- राघव अच हुआ तुमज भी आ गए अब तुम दोनो मेरे साथ चलो, कालसैनिको को यहाँ की घटना के बारे मैं पता चलने मैं ज्यादा समय नहीं लगेगा थोड़ी देर मैं ये इलाका इन लोगो से भर जायेगा इसीलिए जल्दी निकलो यहाँ से

रमण भी स्तिथि की गंभीरता को समझ रहा था इसीलिए बिना कोई न नुकुर किया तो रूद्र के साथ चलने को तयार हुआ और राघव को भी साथ चलने कहा जो की अब भी वहा क्या हुआ ये समझने की कोशिश कर रहा था....

वही दूसरी तरफ सुशेन अपने घर की छत पर खड़ा था सूरज ढल चूका था और आसमान मैं काले बदल छाये हुए थे और बिजलिया कड़क रही थी लेकिन इस बिजली की कडकडाहत का सुशेन पर कोई असर नहीं हो रहा था तभी पीछे से सारा ने आवाज लगायी “वहा क्या कर रहे हो सुशेन? घर मैं चलो”

सुशेन मुडा तो सारा ने महसूस किया की उसकी आँखों मैं एक सूनापन था बहुत सारा दुःख था, अब सारा को किसी अनिष्ट की आशंका हो रही थी

सारा-क्या हुआ है सुशेन?

सुशेन-वो मर गया सारा...उन लोगो ने मेरे भाई को मार दिया........
 

mashish

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राजनगर एक बहुत ही खुबसूरत हिल स्टेशन था, चारो और पहाड़ो और घने पेडो बीच बसा हुआ पर पिछले कुछ दिनों मैं गायब हो रहे लोगो ने शहर मैं दहशत भर दी थी,

रूद्र सुशेन से मिल कर उसे चेता कर अपने रस्ते निकल गया था उर इस वक़्त वो एक सुनसान रस्ते पर अकेला चलता हुआ जा रहा था की तभी उसे अपने पीछे कुछ हलचल सुनाई दी, उसने जब पीछे मिदकर देखा तो वहा कोई नहीं था, वो थोडा मुस्कुराया और तेज आवाज मैं बोला “ऐसे कायरो की तरह छिपने का कोई फायदा नहीं है मैं जनता हु की तुम मेरा पीछा कर रहे हो” उसके इतना बोलते ही ६ लोग काले कपडे पहने हुए झाड़ियो से निकल कर उसके सामने आ गए, उनमे से एक बोला “वैसे तो हमें कहा गया था के सिर्फ चुपचाप तेरा पीछा करे लेकिनाब इस सुनसान इलाके मैं अगर हम तुझे मार भी दे तो शायद बॉस बुरा नहीं मानेंगे, उनको रेस्टोरंट मैं बुलाकर धमकाना तेरी आखरी गलती थी लड़के!”

रूद्र-और इस तरह मेरे सामने आना तुम सब की जिंदगी की आखरी गलती है

उन सब लोगो ने रूद्र को गोला बनाकर घेर लिया और उनमे से एक व्यक्ति धारदार कुल्हाड़ी लेकर रूद्र को मरने के लिए आगे आया लेकिन रूद्र ने तेजी से उसके हाथ को पकड़ा और एक झटके के साथ उसका हाथ उखाड़कर फेक दिया, वो आदमी दर्द के कारन जोर से चीखने लगा वही बाकि सब की आँखें ये दृश्य देख कर फटी रह गयी,

ये सब देखकर एक कालसैनिक दुसरे से बोला “ये आखिर है कौन? धरती पर कोई भी इस तरह हमारा मुकाबला नहीं कर सकता” इसपर दूसरा कालसैनिक बोला “इस पर telekinesis का प्रयोग करके देखो, ये हमसे बल मैं अधिक हो सकता है लेकिन इसके पास हमारी शक्तियों की कोई काट नहीं होगी”

सभी कालसैनिको ने अपना हाथ एक विशेष मुद्रा मैं घुमाया, इस दौरान रूद्र ने कुछ नहीं किया, वो बस खड़े खड़े मुस्कुरा रहा था और ये देखकर सभी कालसैनिक सकते मैं आ गए, उनमे से एक घबरायी आवाज मैं बोला “ये...ये तो हमारी शक्तियों का विरोध कर रहा है” तभी रूद्र के चेहरे से भाव तेजी से बदलने लगे, उसने तेजी से घूमकर एक कालसैनिक की छाती पर अपने हाथ से प्रहार किया जो इतना शक्तिशाली था के वो कालसैनिक वही धराशायी हो गया और ये देखकर बाकि सब के पैर उखड गए और वो वहा से भागने लगे

भागते हुए उनमे से एक ने कहा “ये कोई साधारण मनुष्य नहीं हो सकता हमें फ़ौरन बॉस को इस बारे मैं खबर करनी होगी” लेकिन रूद्र की रफ़्तार उन सब से अधिक थी उसने आगे जाकर उनका रास्ता रोक लिया और बस फिर कुछ ही मिनटों मैं सभी कालसैनिको की लाश वहा पड़ी थी और रूद्र खून से सने हाथ लिए वहा खड़ा था

रूद्र-हम्म्फ़....जिन्हें लोगो को लाश बनाने का शौक था आज वो खुद लाश बन गए

फिर रूद्र वापिस अपने रस्ते किसी सामान्य नागरिक की तरह निकल गया जैसे कुछ हुआ ही न हो

राजनगर से बहार थोडा दूर खुबसूरत वादियों मैं एक छोटा सा घर बना हुआ था जिसकी दीवारे सफ़ेद और दरवाजा गोलाकार था और दरवाजे पर डोरबेल लगी थी, रूद्र इस समय इसी घर के बहार खड़ा था, उसने बेल बजायी तो दरवाजा एक ५०-५५ की उम्र के आदमी ने खोला, वो आदमी उम्र के हिसाब से काफी तंदरुस्त था, बाल हलके हलके सफ़ेद थे और चेहरा क्लीन शेव, उसने जीन्स और टीशर्ट पहना हुआ था और रूद्र को देखते ही वो बोला “मुझे ऐसा क्यों लग रहा है की तुम कही से दंगा फसाद करके आ रहे हो ?”

रूद्र- वो कुच्घ काले कपडे वाले कालसैनिको ने हमला कर दिया था मुझ पर नरेश जी

नरेश-हा हा...फिर तो मैं ये समझू की ये उनकी आखरी गलती थी

रूद्र-सही कहा

नरेश-आओ जल्दी अंदर आओ

रूद्र-बाकि सब कहा गए ?

नरेश-बाकी सब है ही कौन, एक अरुण ही तो है और वो किसी काम से बाहर गया हुआ है बाकी शिवानी राहुल और बाकि की टीम कल शाम तक आयेगी

रूद्र-अच्छी बात है वैसे भी अब ज्यादा समय नहीं बचा है, वो लोग अगर आखरी कुर्बानी देने मैं सफल हुए तो अनर्थ हो जायेगा

नरेश-सही कहा लेकिन अब किसी को मारना उनके लिए आसान नहीं होगा पुलिस को भी उनकी भनक लग चुकी है और मुझे लगता है अब समय भी हो गया है

रूद्र सोफे पर बैठा और उसने एक लम्बी सास की

रूद्र-मैं ये सब क्या कर रहा हु नरेश जी, लोगो को मारना मेरा काम नहीं है

नरेश-हममे से कोई भी किसी को भी मारना नहीं चाहता है रूद्र लेकिन उनलोगों को जिन्दा छोड़ना कितना खतरनाक हो सकता है इसका अंदेशा हम सबको है

रूद्र-हम्म

नरेश-मुझे लगता है अब यही समय है राघव को उसकी शक्तियों से अवगत करने का हमें जल्द से जल्द उसकी ट्रेनिंग शुरू करनी पड़ेगी

रूद्र कुछ बोलता उससे पहले ही नरेश का फ़ोन बजने लगा, फ़ोन अरुण का था नरेश ने फ़ोन स्पीकर पर डाला तो दूसरी तरह अरुण ने बस दो ही शब्द बोले...”रमण..शक्ति”

रूद्र जितनी तेजी के साथ घर आया था उतनी ही तेजी के साथ घर से निकल गया

इधर पुलिस स्टेशन मैं रमण विक्रांत से कुछ उगलवाने की कोशिश कर रहा था तभी उस कमरे मैं लगी एकमात्र लाइट जलने बुझने लगी जिससे रमण को परेशानि हो रही थी तो वो जोर से चिल्लाकर बोला “रामदास ये बल्ब क्यों काम नहीं कर रहा देखो जरा”

लेकिन रामदास की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो रमण अपनी खुर्ची से उठकर उस अँधेरे लॉकअप से बाहर आया और वहा उसने कुछ ऐसा देखा की उसे बहुत बड़ा झटका लगा, उसके सरे साथी मरे पड़े थे, किसी की आँखें निकली हुयी थी, किसी की अंतड़िया पेट के बाहर झाक रही थी, किसी की गर्दन फटी हुयी थी और हड्डिया साफ़ दिख रही थी,

रमण ने अपने पुरे जीवन मैं ऐसा वीभत्स दृश्य कभी नहीं देखा था, उसने लाशो को पार किया तो सामने नीला चोगा और नकाब पहने चार लोग खड़े थे, रमण पहचान गया की ये लोग कौन है, उनमे से एक ने अपना नकाब निकला, वो सुशेन का छोटा भाई शक्ति था जो फाड़ जाने वाली नजरो से रमण को घुर रहा था, रमण ने बगैर कुछ सोचे अपनी गन निकली लेकिन शक्ति ने अपने हाथ को हल्का सा झटका दिया और वो गन दूर जा गिरी

रमण- तुमने मेरे सभी साथियों को मार डाला दरिंदो!!

शक्ति-मगर तुम जिन्दा हो इंस्पेक्टर और वो भी शायद तुम्हारी बहादुरी की वजह से क्युकी मैं बहादुरों की क़द्र करता हु तुम जैसे बहादुर लोग कालदूत को काफी प्रिय है

रमण-भाड़ मैं गया तुम्हारा कालदूत, मुझसे क्या चाहते हो

शक्ति-विक्रांत को हमारे हवाले कर दो

रमण-नहीं होगा...और वो तो ब्लैक हुड का सदस्य है वो तुमको क्यों चाहिए?

शक्ति-वो एक कालसैनिक है और मेरे सम्बन्ध मेरे भाई से इतने भी ख़राब नहीं है की मैं उसके लोगो को तुम्हारे पास सड़ने दू

रमण- अच्छा भाईचारा है पर मैं किसी भी हाल मे विक्रांत को तुम्हे नहीं दूंगा और मेरे आदमियों की मौत का खामियाजा भी तुम्हे भुगतना होगा

शक्ति-तब तो मुझे तुम्हे भी ख़त्म करना होगा

शक्ति ने कुछ करने के लिए अपना हाथ हवा मैं उठाया लेकिन अचानक एक टेबल उडती हुयी उसकी तरफ आयी लेकिन शक्ति ने सही समय पर ध्यान देकर telekinesis से उसे हवा मे रोक दिया और उसके टुकड़े कर दिया, सभी लोगो का ध्यान टेबल फेकने वाले पर गया तो वहा रूद्र खड़ा था

रूद्र-हर बार telekinesis काम नहीं आयेगी

शक्ति(गुस्से से )- कौन हो तुम?

रूद्र-मेरे बारे मैं सोचने के लिए तुम जिन्दा नहीं रहोगे

शक्ति-इस लड़के और इंस्पेक्टर को पकड़ो

कालसैनिक दौड़कर रूद्र को पकड़ने गए लेकिन रूद्र एक एक जोरदार झापड़ से एक कालसैनिक की खोपड़ी ‘चटाक’ की आवाज से मुडी और वो धरती पर गिर गया, दुसरे से कालसैनिक ने telekinesis द्वारा रूद्र के शारीर को अंदर से फाड़ने की कोशिश की लेकिन रूद्र पर कोई असर नहीं हुआ जिससे रमण और शक्ति दोनों चकित हो गए, दो और लोग रूद्र की तरफ बढे लेकिन उनका भी वही हाल हुआ वो पहले वालो का हुआ था, पुलिस वालो को निर्ममता से मरने वाले अब खुद लाश बने हुए थे और सिर्फ शक्ति बचा था, उसने रमण की गन उठाई और रूद्र पर चलायी लेकिन गोलियों का रूद्र पर कोई असर नहीं हुआ

शक्ति-कौन हो तुम, तुम इंसान नहीं हो?
रूद्र-कोई ऐसा जिसके लिए इंसानी जाने मायने रखती है और तुम जैसो को मारने के लिए मजबूर हु ताकि दोबारा ऐसा न हो

रूद्र शक्तिके पास गया और उसे अपने दोनों हाथो से उठाकर उसने सामने वाली दिवार पर फेक दिया, शक्ति का शारीर इतना तेज इम्पैक्ट झेल नहीं पाया और उसने प्राण त्याग दिए

फिर रूद्र ने रमण की गन उठाई और उस सेल की तरफ गया जहा विक्रांत बंद था, रमण उसे रोकने की हालत मैं नहीं था फिर उस सेल से गोलिया चलने की कुछ आवाजे आयी और विक्रांत का शारीर शांत पड गया

लॉकअप से बहार आकर रूद्र रमण को गन थमाते हुए बोला

रूद्र-रमण आओ मेरे साथ चलो

रमण-रुको!! कौन हो तुम और तुमने ये सब कैसे किया

रूद्र- सब बताता हु अभी मेरे साथ चलो..

तभी वहा राघव आ पंहुचा जो सूरज से पीछा छुड़ा कर रमण से मिलने आया था और उसे अपनी सुनी हुयी सब बाते बताना चाहता था लेकिन पुलिस स्टेशन का नजारा देख उसकी आँखें फटी रह गयी

रुद्र- राघव अच हुआ तुमज भी आ गए अब तुम दोनो मेरे साथ चलो, कालसैनिको को यहाँ की घटना के बारे मैं पता चलने मैं ज्यादा समय नहीं लगेगा थोड़ी देर मैं ये इलाका इन लोगो से भर जायेगा इसीलिए जल्दी निकलो यहाँ से

रमण भी स्तिथि की गंभीरता को समझ रहा था इसीलिए बिना कोई न नुकुर किया तो रूद्र के साथ चलने को तयार हुआ और राघव को भी साथ चलने कहा जो की अब भी वहा क्या हुआ ये समझने की कोशिश कर रहा था....

वही दूसरी तरफ सुशेन अपने घर की छत पर खड़ा था सूरज ढल चूका था और आसमान मैं काले बदल छाये हुए थे और बिजलिया कड़क रही थी लेकिन इस बिजली की कडकडाहत का सुशेन पर कोई असर नहीं हो रहा था तभी पीछे से सारा ने आवाज लगायी “वहा क्या कर रहे हो सुशेन? घर मैं चलो”

सुशेन मुडा तो सारा ने महसूस किया की उसकी आँखों मैं एक सूनापन था बहुत सारा दुःख था, अब सारा को किसी अनिष्ट की आशंका हो रही थी

सारा-क्या हुआ है सुशेन?


सुशेन-वो मर गया सारा...उन लोगो ने मेरे भाई को मार दिया........
super duper update
 
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