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shukriya bhaiSuperb update
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intezar rehega bhai
update bas kuch hi der mainWaiting
very nice updateभाग १६
सुशेन ने सिद्धार्थ को रवाना कर दिया था और खुद गाडी लेकर हीरालाल रेस्टोरंट की और निकल गया और कुछ ही समय मैं वो हीरालाल रेस्टोरंट मैं था, सुशेन ने अपनी गाड़ी भीड़ भाड से दूर शांत जगह पार्क की और रेस्टोरंट मैं चला गया,
जब कुछ समय तक गाडी की कोई हलचल नहीं हुयी तो राघव ने बहार निकलने का सोचा, उसने डिक्की को हल्का सा खोलकर बाहर का जायजा लिया की कही कोई उसे देख तो नहीं रहा और जब वो पूर्ण निश्चिन्त हो गया तब वो डिक्की से निकलकर बहार आया, गाडी पहले ही भीडभाड से दूर कड़ी होने की वजह से राघव का काम आसान हो गया था और अब वो भी हीरालाल रेस्टोरंट की और जाने लगा तभी उसे उसका दोस्त सूरज वहा मिल गया
सूरज-ओए राघव
राघव-सु..सूरज तू...तू यहाँ क्या कर रहा है
सूरज-वही सवाल मुझे पूछना है, जब मैंने तुझे सुबह फ़ोन किया था तब तो तू बोल रहा था के तेरी तबियत ख़राब है और अब तू यहाँ रेस्टोरंट मैं जा रहा है, कोई लड़की वडकी पता ली क्या जो छिप कर उससे मिलने जा रहा था
राघव-अरे नहीं भाई वो...कुछ काम से आया था
सूरज-वो सब काम बादमे करियो पहले मेरे साथ चल मेरा काम ज्यादा जरुरी है
राघव-पर..भाई...वो...
सूरज-पर वर नहीं बैठ गाड़ी पे और चल
राघव ने सूरज को टालने की काफी कोशिश की लेकिन आखिर मैं उसे सूरज के साथ जाना पड़ा
वही दूसरी तरफ सुशेन रेस्टोरंट मैं पंहुचा वो वहा पहुचकर इधर उधर देख ही रतः था के तभी एक २०-२२ साल के लड़के ने उसकी तरफ देख्कर हाथ हिलाया, सुशेन उस तरफ गया, लड़का काला चश्मा लगाकर एक ब्राउन लंग का ब्लेजर और जीन्स पहनकर बैठा था, सुशेन को देखकर वो मुस्कुराता हुआ बोला “बडी ठण्ड है न राजनगर मैं, है न?
सुशेन को यकीन नहीं हो रहा था के इन हत्याओ के पीछे इस लड़के का हाथ हो सकता है, उसने पैनी नजरो से उसे देखते हुए पुचा “तो कालसैनिको को मारने के पीछे तुम्हारा हाथ है?”
वो लड़का बड़े हिउ निश्चिन्त भाव से बोला “हा, और हाथ नहीं उनको मारने के पीछे पूरा का पूरा मैं ही हु”
सुशेन अविश्वास से बोला “यकीन नहीं होता की एक बच्चा इतने काबिल लोगो को मार सकता है जो काले जादू और telekinesis मैं विशेषज्ञ थे”
लकड़ा फिर मुस्कुराता हुआ बोला..”दाढ़ी बढ़िया राखी है तुमने”
सुशेन को अब काफी गुस्सा आ रहा था लेकिन उस समय वहा रेस्टोरंट मैं काफी लोग थे इसीलिए सुशेन इस समय कुछ नहीं कर सकता था, उसने क्रोध से तमतमाते हुए पूछा “तुझे डर नहीं लग रहा लड़के?”
लड़के ने फिर बेफिक्री से कहा “मुझे भला क्यों डर लगेगा?”
सुशेन ने फिर अपनी मुट्ठी भींच ली थी, उसके क्रोध के कारण मेज पर रखे चाय के कप हिलने लगे थे, उसने उस लड़के को फाड़ कर खा जाने वाली नजरो से घूरते हुए जवाब दिया..”पता नहीं तुम बहुत ज्यादा हिम्मत वाले हो या बहुत ही ज्यादा बेवकूफ जो मेरे ही लोगो को मारकर मुझे यहा मिलने का न्योता दिया, अब तू इओस धरती पर ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है, पूरी कालसेना तेरे पीछे पड़ जाएगी फिर चले वो ब्लैक हुड हो या ब्लू हुड”
उस लड़के की जगह अगर कोई और होता तो सुशेन का वो अवतार देख कर सूखे पत्ते की तरफ डर से कांपने लगता लेकिन उस लड़के पर कोई असर नहीं हो रहा था
उस लड़के से सुशेन से घूरते हुए पूछा “और मुझे मरोगे कैसे? अपने काले जादू या telekinesis से? क्युकी मुझपर दोनों ही असर नहीं करते, तुम कहो तो कोशिश करके देख लो”
सुशेन(आश्चर्य से)-तुम कौन हो??
लड़के ने जवाब दिया “मेरा नाम रूद्र है और इससे ज्यादा तुम्हे बस ये जानने की जरुरत है की तुम लोग अपने अंत के लिए तयार रहो, तुम कालसेना के लोगो का पाप का घड़ा भर गया है”
सुशेन-लेकिन क्यों? क्यों मार रहे हो तुम मेरे लोगो को?
रूद्र-हा हा हा, देखो पूछ भी कौन रहा है? उस सेना का मुखिया जो १००० वर्षो से हर तीन साल के भीतर १०० लोगो की बलि दे रहा है
सुशेन-ये...ये जानकारी तुझे कैसे मिली?
रूद्र-मैंने भी अपनी रिसर्च की है कालसेना पर, खैर जो मेरी समझ मैं नहीं आया वो ये के ऐसा क्या हुआ था १००० साल पहले जो इस कालसेना की स्थापना की गयी?
सुशेन-मैं तुमको कुछ भी नहीं बताने वाला
रूद्र-देखो तुम मुझपर यहा हमला तो वैसे भी नहीं करने वाले क्युकी ये एक सार्वजनिक जगह है और तुम लोगो की आदत है छिपकर वार करना और हमला करके भी तुम खुदको ही हानि पहुचाओगे क्युकी तुम्हारा जादू मुझपर असर नहीं करता हा पर मेरे वारो का असर तुमपर जरूर पड़ेगा और वैसे भी व्यर्थ के झगडे से अच्छा है समय का सदुपयोग किया जाये
रूद्र की बातो ने सुशेन पर जादू जैसा असर किया, वो खुद को एकदम बेबस महसूस कर रहा था, आखिर वो गहरी सास लेकर बोला
सुशेन-ठीक है, वैसे भी तुमको बताने मैं कोई हानि नहीं है, हम तो चाहते है कि ये कहानी ज्यादा से ज्यादा लोग जाने और हमारे आराध्य कालदूत की शरण मैं आये तो सुनो, आज से १००० साल पहले.......(पूर्ण कहानी विस्तृत रूप से पहले और दुसरे भाग मैं बताई गयी है) बिरजू ने समुरतल से बहार आकर ऐसे लोगो को ढूंढा जो इश्वर से असंतुष्ट और नाराज थे, उनमे ऐसे लोग भी शामिल थे जिन्होंने किसी न किसी प्रकार के युद्ध मैं, महामारी के कारन या फिर किसी और वजह से अपनों को खो दिया था जिसकी वजह से इश्वर पर उनका अटूट विश्वास बुरी तरह डगमगा गया था, ऐसे लोगो को कालसेना मैं शामिल किया गया, कालसेना मैं कालदूत के भक्त सिमित संख्या मैं थे लेकिन वो ऐसे लोग थे जिनकी पहुच राजनीति, मीडिया अभिनय जैसे बड़े बड़े क्षेत्रो मैं थी, फिर शुरू हुआ बलि देने का दौर, सर्वप्रथम महात्मा बिरजू ने अपने ही पिता की बलि दी थी जो उनकी कालदूत की भक्ति के आड़े आ रहे थे, हर ३ सालो मैं कालसेना के लोग बहार निकलते और और कुर्बानी देते और फिर से गायब हो जाये और अगले तीन सालो मैं किसकी कुर्बानी देनी है इसकी प्लानिंग करते, हमारा निशाना मुख्य रूप से वो लोग रहे जो धार्मिक क्रियाओ मैं सम्मिलित रहते, कल कालसेना के लोग प्राण त्याग देते थे तब उनकी जगह उनके बच्चे ले लेते है और साथ ही नए लोग भी शामिल हो जाते है,मुखिया की म्रोत्यु के बाद सबसे काबिल लोगो मैं जंग होती है और जीतने वाले को मुखिया बनाया जाता है, अब इसे संयोग कहो या कालदूत का आशीर्वाद बिरजू के वंशजो ने हमेशा खुद को साबित करके सत्ता को अपने हाथ मैं रखा है, हमने अलग अलग देशो मैं इतनी सफाई के साथ हत्याए की थी की पुलिस प्रशासन का हमें पकड़ना नामुमकिन था, लोगो के सामने तो कालसेना कभी आई ही नहीं, दरअसल हम ही लोगो के सामने नहीं आना चाहते थे और अदृश्य रहने का काम हमने बहुत सहजता पूर्वक किया, बड़े बड़े देशो की ख़ुफ़िया एजेंसीज जैसे रॉ, CIA आदि मैं भी हमारे लोग उची पोजीशन पर थे जिन्होंने हमारे राज को बनाये रखने मैं सहायत की...
रूद्र-और अब १००० साल पुरे होने को है
सुशेन-हा इन तीन सालो मैं हम लोगो ने ९९ कुर्बानि दे दी है एक आखरी कुर्बानी और फिर हमारा देवता आजाद होगा समुद्र की गहराइयों से
रूद्र-अब ऐसा कुछ नहीं होगा
सुशेन-तुम हमको रोक नहीं पाओगे
रूद्र-दरअसल मैं रोक सकता हु पूरी कालसेना को रोक सकता हु, पता है मैंने तुम्हारे लोगो को कैसे मारा? उन्होंने मुझसे याचना की ताकि मैं रहम खाकर उन्हें छोड़ दू लेकिन मैंने अपने इन्हों हाथो से उनकी गर्दन की हड्डी तोड़ डाली, तुमको मैं छोड़ रहा हु क्युकी कालसेना को ख़तम करने के लिए किसी को पहले ही चुन लिया गया है मैं तो बस उसका काम आसान कर रहा हु पर ऐसा मत सोचना की मैं हर बार तुम्हे छोड़ दूंगा, अगली बार जब हम मिलेंगे तब हम दोनों मैं से कोई एक ही जिन्दा जायेगा.....
इतना कहकर रूद्र तेजी से वहा से बाहर निकल गया लेकिन सुशेन अब भी वही बैठा था, वो पहली बार डर महसूस कर रहा था, वही डर तो कालसेना की वजह से राजनगर मैं व्याप्त था
रूद्र के रेस्टोरंट से बहार जाते ही उसने अपने एक आदमी को फ़ोन किया “हा, एक २०-२२ साल का लड़का है...हा पीछा करो उसका....वो अभी हीरालाल रेस्टोरंट से बाहर निकला है काले रंग का चश्मा और ब्राउन रंग का ब्लेजर पहना है, पता करो वो कहा जाता है बस उसे तुम्हारी भनक नहीं लगनी चाहिए......
भाग १६
सुशेन ने सिद्धार्थ को रवाना कर दिया था और खुद गाडी लेकर हीरालाल रेस्टोरंट की और निकल गया और कुछ ही समय मैं वो हीरालाल रेस्टोरंट मैं था, सुशेन ने अपनी गाड़ी भीड़ भाड से दूर शांत जगह पार्क की और रेस्टोरंट मैं चला गया,
जब कुछ समय तक गाडी की कोई हलचल नहीं हुयी तो राघव ने बहार निकलने का सोचा, उसने डिक्की को हल्का सा खोलकर बाहर का जायजा लिया की कही कोई उसे देख तो नहीं रहा और जब वो पूर्ण निश्चिन्त हो गया तब वो डिक्की से निकलकर बहार आया, गाडी पहले ही भीडभाड से दूर कड़ी होने की वजह से राघव का काम आसान हो गया था और अब वो भी हीरालाल रेस्टोरंट की और जाने लगा तभी उसे उसका दोस्त सूरज वहा मिल गया
सूरज-ओए राघव
राघव-सु..सूरज तू...तू यहाँ क्या कर रहा है
सूरज-वही सवाल मुझे पूछना है, जब मैंने तुझे सुबह फ़ोन किया था तब तो तू बोल रहा था के तेरी तबियत ख़राब है और अब तू यहाँ रेस्टोरंट मैं जा रहा है, कोई लड़की वडकी पता ली क्या जो छिप कर उससे मिलने जा रहा था
राघव-अरे नहीं भाई वो...कुछ काम से आया था
सूरज-वो सब काम बादमे करियो पहले मेरे साथ चल मेरा काम ज्यादा जरुरी है
राघव-पर..भाई...वो...
सूरज-पर वर नहीं बैठ गाड़ी पे और चल
राघव ने सूरज को टालने की काफी कोशिश की लेकिन आखिर मैं उसे सूरज के साथ जाना पड़ा
वही दूसरी तरफ सुशेन रेस्टोरंट मैं पंहुचा वो वहा पहुचकर इधर उधर देख ही रतः था के तभी एक २०-२२ साल के लड़के ने उसकी तरफ देख्कर हाथ हिलाया, सुशेन उस तरफ गया, लड़का काला चश्मा लगाकर एक ब्राउन लंग का ब्लेजर और जीन्स पहनकर बैठा था, सुशेन को देखकर वो मुस्कुराता हुआ बोला “बडी ठण्ड है न राजनगर मैं, है न?
सुशेन को यकीन नहीं हो रहा था के इन हत्याओ के पीछे इस लड़के का हाथ हो सकता है, उसने पैनी नजरो से उसे देखते हुए पुचा “तो कालसैनिको को मारने के पीछे तुम्हारा हाथ है?”
वो लड़का बड़े हिउ निश्चिन्त भाव से बोला “हा, और हाथ नहीं उनको मारने के पीछे पूरा का पूरा मैं ही हु”
सुशेन अविश्वास से बोला “यकीन नहीं होता की एक बच्चा इतने काबिल लोगो को मार सकता है जो काले जादू और telekinesis मैं विशेषज्ञ थे”
लकड़ा फिर मुस्कुराता हुआ बोला..”दाढ़ी बढ़िया राखी है तुमने”
सुशेन को अब काफी गुस्सा आ रहा था लेकिन उस समय वहा रेस्टोरंट मैं काफी लोग थे इसीलिए सुशेन इस समय कुछ नहीं कर सकता था, उसने क्रोध से तमतमाते हुए पूछा “तुझे डर नहीं लग रहा लड़के?”
लड़के ने फिर बेफिक्री से कहा “मुझे भला क्यों डर लगेगा?”
सुशेन ने फिर अपनी मुट्ठी भींच ली थी, उसके क्रोध के कारण मेज पर रखे चाय के कप हिलने लगे थे, उसने उस लड़के को फाड़ कर खा जाने वाली नजरो से घूरते हुए जवाब दिया..”पता नहीं तुम बहुत ज्यादा हिम्मत वाले हो या बहुत ही ज्यादा बेवकूफ जो मेरे ही लोगो को मारकर मुझे यहा मिलने का न्योता दिया, अब तू इओस धरती पर ज्यादा दिनों का मेहमान नहीं है, पूरी कालसेना तेरे पीछे पड़ जाएगी फिर चले वो ब्लैक हुड हो या ब्लू हुड”
उस लड़के की जगह अगर कोई और होता तो सुशेन का वो अवतार देख कर सूखे पत्ते की तरफ डर से कांपने लगता लेकिन उस लड़के पर कोई असर नहीं हो रहा था
उस लड़के से सुशेन से घूरते हुए पूछा “और मुझे मरोगे कैसे? अपने काले जादू या telekinesis से? क्युकी मुझपर दोनों ही असर नहीं करते, तुम कहो तो कोशिश करके देख लो”
सुशेन(आश्चर्य से)-तुम कौन हो??
लड़के ने जवाब दिया “मेरा नाम रूद्र है और इससे ज्यादा तुम्हे बस ये जानने की जरुरत है की तुम लोग अपने अंत के लिए तयार रहो, तुम कालसेना के लोगो का पाप का घड़ा भर गया है”
सुशेन-लेकिन क्यों? क्यों मार रहे हो तुम मेरे लोगो को?
रूद्र-हा हा हा, देखो पूछ भी कौन रहा है? उस सेना का मुखिया जो १००० वर्षो से हर तीन साल के भीतर १०० लोगो की बलि दे रहा है
सुशेन-ये...ये जानकारी तुझे कैसे मिली?
रूद्र-मैंने भी अपनी रिसर्च की है कालसेना पर, खैर जो मेरी समझ मैं नहीं आया वो ये के ऐसा क्या हुआ था १००० साल पहले जो इस कालसेना की स्थापना की गयी?
सुशेन-मैं तुमको कुछ भी नहीं बताने वाला
रूद्र-देखो तुम मुझपर यहा हमला तो वैसे भी नहीं करने वाले क्युकी ये एक सार्वजनिक जगह है और तुम लोगो की आदत है छिपकर वार करना और हमला करके भी तुम खुदको ही हानि पहुचाओगे क्युकी तुम्हारा जादू मुझपर असर नहीं करता हा पर मेरे वारो का असर तुमपर जरूर पड़ेगा और वैसे भी व्यर्थ के झगडे से अच्छा है समय का सदुपयोग किया जाये
रूद्र की बातो ने सुशेन पर जादू जैसा असर किया, वो खुद को एकदम बेबस महसूस कर रहा था, आखिर वो गहरी सास लेकर बोला
सुशेन-ठीक है, वैसे भी तुमको बताने मैं कोई हानि नहीं है, हम तो चाहते है कि ये कहानी ज्यादा से ज्यादा लोग जाने और हमारे आराध्य कालदूत की शरण मैं आये तो सुनो, आज से १००० साल पहले.......(पूर्ण कहानी विस्तृत रूप से पहले और दुसरे भाग मैं बताई गयी है) बिरजू ने समुरतल से बहार आकर ऐसे लोगो को ढूंढा जो इश्वर से असंतुष्ट और नाराज थे, उनमे ऐसे लोग भी शामिल थे जिन्होंने किसी न किसी प्रकार के युद्ध मैं, महामारी के कारन या फिर किसी और वजह से अपनों को खो दिया था जिसकी वजह से इश्वर पर उनका अटूट विश्वास बुरी तरह डगमगा गया था, ऐसे लोगो को कालसेना मैं शामिल किया गया, कालसेना मैं कालदूत के भक्त सिमित संख्या मैं थे लेकिन वो ऐसे लोग थे जिनकी पहुच राजनीति, मीडिया अभिनय जैसे बड़े बड़े क्षेत्रो मैं थी, फिर शुरू हुआ बलि देने का दौर, सर्वप्रथम महात्मा बिरजू ने अपने ही पिता की बलि दी थी जो उनकी कालदूत की भक्ति के आड़े आ रहे थे, हर ३ सालो मैं कालसेना के लोग बहार निकलते और और कुर्बानी देते और फिर से गायब हो जाये और अगले तीन सालो मैं किसकी कुर्बानी देनी है इसकी प्लानिंग करते, हमारा निशाना मुख्य रूप से वो लोग रहे जो धार्मिक क्रियाओ मैं सम्मिलित रहते, कल कालसेना के लोग प्राण त्याग देते थे तब उनकी जगह उनके बच्चे ले लेते है और साथ ही नए लोग भी शामिल हो जाते है,मुखिया की म्रोत्यु के बाद सबसे काबिल लोगो मैं जंग होती है और जीतने वाले को मुखिया बनाया जाता है, अब इसे संयोग कहो या कालदूत का आशीर्वाद बिरजू के वंशजो ने हमेशा खुद को साबित करके सत्ता को अपने हाथ मैं रखा है, हमने अलग अलग देशो मैं इतनी सफाई के साथ हत्याए की थी की पुलिस प्रशासन का हमें पकड़ना नामुमकिन था, लोगो के सामने तो कालसेना कभी आई ही नहीं, दरअसल हम ही लोगो के सामने नहीं आना चाहते थे और अदृश्य रहने का काम हमने बहुत सहजता पूर्वक किया, बड़े बड़े देशो की ख़ुफ़िया एजेंसीज जैसे रॉ, CIA आदि मैं भी हमारे लोग उची पोजीशन पर थे जिन्होंने हमारे राज को बनाये रखने मैं सहायत की...
रूद्र-और अब १००० साल पुरे होने को है
सुशेन-हा इन तीन सालो मैं हम लोगो ने ९९ कुर्बानि दे दी है एक आखरी कुर्बानी और फिर हमारा देवता आजाद होगा समुद्र की गहराइयों से
रूद्र-अब ऐसा कुछ नहीं होगा
सुशेन-तुम हमको रोक नहीं पाओगे
रूद्र-दरअसल मैं रोक सकता हु पूरी कालसेना को रोक सकता हु, पता है मैंने तुम्हारे लोगो को कैसे मारा? उन्होंने मुझसे याचना की ताकि मैं रहम खाकर उन्हें छोड़ दू लेकिन मैंने अपने इन्हों हाथो से उनकी गर्दन की हड्डी तोड़ डाली, तुमको मैं छोड़ रहा हु क्युकी कालसेना को ख़तम करने के लिए किसी को पहले ही चुन लिया गया है मैं तो बस उसका काम आसान कर रहा हु पर ऐसा मत सोचना की मैं हर बार तुम्हे छोड़ दूंगा, अगली बार जब हम मिलेंगे तब हम दोनों मैं से कोई एक ही जिन्दा जायेगा.....
इतना कहकर रूद्र तेजी से वहा से बाहर निकल गया लेकिन सुशेन अब भी वही बैठा था, वो पहली बार डर महसूस कर रहा था, वही डर तो कालसेना की वजह से राजनगर मैं व्याप्त था
रूद्र के रेस्टोरंट से बहार जाते ही उसने अपने एक आदमी को फ़ोन किया “हा, एक २०-२२ साल का लड़का है...हा पीछा करो उसका....वो अभी हीरालाल रेस्टोरंट से बाहर निकला है काले रंग का चश्मा और ब्राउन रंग का ब्लेजर पहना है, पता करो वो कहा जाता है बस उसे तुम्हारी भनक नहीं लगनी चाहिए......