• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Sr. Moderator
36,160
48,180
304
nice update . raman ne santosh ko bacha hi liya 😍..
aur usse pata chala ki koi kaalsena aur kaaldut ke baare me ..
aur ghar pe raghav ko bhi apne bhai ke dimaag me jhaankkar kaalsena ke baare me pata chala ,,dekhte hai unko dhund pate hai ya nahi 🤔..
shukriya bhai agla update kuch hi der main
 

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Sr. Moderator
36,160
48,180
304
भाग ११


सबका खाना हो चूका था, रमण अब भी अपने की खयालो मैं गम था, रमण इस वक़्त अपने घर की छत पर खड़ा हो कर अपने केस बे बारे मैं सोच रहा था तभी राघव वहा आया

राघव-कालदूत के बारे मैं सोच रहे हो भाई

रमण-ह...क....क्या मैं समझा नहीं?

राघव के अचानक वहा आने और सीधे कालदूत के बारे मैं पूछने से रमण चौका

राघव-आपका नया केस जो आप संभल रहे हो वो कालदूत से जुडा हुआ है न

रमण-हा...पर तुम्हे इसके बारे मैं कैसे पता मैंने तो आज इस बारे मैं घर मैं भी कोई बात नहीं की

राघव ने फिर रमण दिन भर मैं हुयी घटनाओ के बारे मैं बताया और ये भी बताया के कैसे उस माला की मदद से उसके रमण का दिमाग पढ़ा और उसके दादा की किताब और कालदूत के बारे मैं भी रमण साडी बातो को गौर से सुन रहा था

रमण-राघव तुम्हे सच मैं लगता है की कोई कालदूत होगा

राघव-पता नहीं भाई इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं है फिलहाल पर आप बताओ आपको क्या लगता है और इस कालदूत नाम से आपका पला कैसे पडा

रमण ने फिर संतोष से हुयी पूरी बात राघव को बताई और साथ ही अपनी शंका भी की उसे संतोष मैं कुछ गड़बड़ लग रहा है

रमण- राघव मैं नहीं जनता की ये लोग कौन है और कोई कालदूत है भी या नहीं मैं बस इतना जनता हु के ये कुछ दिमाग से विक्षिप्त लोग है जोइस समाज के लिए एक खतरा है और इन्हें अगर यहाँ नहीं रोका गया तो पता नहीं और कितनी जाने जाएँगी

रमण राघव से बात कर रहा था उर राघव कुछ सोच रहा था

रमण-क्या सोच रहे हो

राघव-भाई आप जब उन लडको को वह बचने गए थे तब वह उनके अलावा भी कोई था क्या

रमण-नहीं हमें वह बस संतोष और रोहित की जली हुयी लाश ही मिली और हम संतोष को अपने साथ ले आये

राघव-आपने उस जगह को छान मारा था

रमण-हा मगर हमें वहा कुछ नहीं मिला संतोष ने कहा था के वो लोग दोबारा आयेंगे उसकी बलि देने ऐसा कह कर वह से चले गए थे

राघव-मतलब उनलोगों को पता नहीं था के पुलिस ने संतोष को बचा लिया है, भाई मुझे लगता है वो लोग संतोष की बलि देने वह जरूर आये होंगे उन्हें रेंज हाथ पकड़ा जा सकता था

राघव की बात सुन कर अचानक रमण के दिमाग मैं कुछ आया और वो वहा से उठकर कही जाने लगा

राघव-अरे अचानक कहा चले

रमण- एक काम याद आ गया बस वही पूरा करने

राघव-रुको भाई अकेले मत जाओ मैं भी साथ मैं चलता हु

रमण-तुम क्या करोगे मेरे साथ मै यु गया और आया

राघव-मैं जनता हु भाई तुम किस काम के लिए जा रहे हो मैं तुम्हारे दिमाग मैं झक सकता हु इसीलिए मैं तुम्हारे साथ चलूँगा और अब पहले पुलिस स्टेशन चलो और अपनी टीम को साथ लो क्युकी आगे क्या खतरा आने वाला है हम नहीं जानते

रमण को भी राघव की बात सही लगी और वो उसे साथ लेकर पुलिस स्टेशन की तरफ निकल गया...

रमण राघव पुलिस स्टेशन मैं पहुचे...संतोष अब भी स्टेशन मैं ही था जैसा उसे रमण से कहा था, राघव ने संतोष को देखते ही सबसे पहले उसकी आँखों के जरिये उसके दिमाग मैं झाकने की कोशिश की मगर संतोष पता नहीं क्यों उससे नजरे नहीं मिला रहा था, राघव को कुछ खटका पर अभी उसने इस बात पर धयन नहीं दिया, रमण ने चन्दन और ३ हवलदारो को अपने साथ लिया और उन्हें साडी बात समझाई

संतोष-सर क्या मैं आपके साथ चल सकता हु

रमण-क्या??लेकिन अभी अभी ट्यूम मौत के मुह से बचकर इतनी मुश्किल से आये हो फिर वापिस क्यों जाना चाहते हो

संतोष-उन्होंने मेरे सबसे आचे दोस्त को मारा है इंस्पेक्टर , मुझे उम्मीद है की आप समझोगे मेरी बात

रमण(कुछ सोचकर)-हां, ठीक है तुम आ सकते हो लेकिन ध्यान रहे की हमको सही मौका मिलने तक छिप कर रहना है ये लोग काफी खतरनाक है

संतोष- मैं समझ गया



अँधेरा हो चूका था रमण राघव संतोष और अपनी टीम के साथ उस कब्रिस्तान वाली जगह पर पहुच गया और वो लोग वह छिप कर बैठ गए, इस वक़्त कब्रिस्तान मैं चाँद की रौशनी फैली हुयी थी और वह केवल एक कालसैनिक था, रमण ने आगे बढ़ कर उसके पकड़ना चाह पर राघव ने उसे वही कुछ देर रुक कर इंतजार करने कहा,

कुछ ही देर मैं वहा एक काले रंग की बडी सी वैन आकर रुकि और उसमे से काले चोगे और नकाब वाले कुछ लोग उतरे, वो लोग आपस मैं कुछ बात कर रहे थे और चुकी रमण और बाकि सब पास ही छिपे हुए थे वो उनकी आवाज़ इन लोगो तक पहुच रही थी

व्यक्ति१- मुझे लगता है उन्होंने यहाँ तक हमारा पीछा किया है

व्यक्ति२-तो तयार रहो याद है न पिछली बार क्या हुआ था?

व्यक्ति३- वह देखो वे जानते है की हम यहाँ पर है

ये लोग किस बारे मैं बात कर रहे थे ये रमण और बाकि सबको समझ नहीं आ रहा था लेकिन रमण इतना समझ गया था की इन लोगो को अब तक संतोष के गायब होने का पता नहीं चला है तभी उन्होंने देखा के वहा पर एक सफ़ेद रंग की वैन आकर उस काली वैन के आगे रुकी जिसमे से कुछ लोग उतरे जिनका पहनावा कालसैनिको की तरह था बस कपडे का रंग काले की बजाय नीला था

संतोष(धीमी आवाज मैं)- इनके भी ग्रुप्स है क्या

रमण-मैं भी स्तिथि को समझने का प्रयास कर रहा हु श्श्श...लगता है कुछ बोल रहे है

काले और नीले चोगे वाले आमने सामने थे

व्यक्ति१(नीले चोगे वाला)- लगता है आपने कुर्बानी का इंतजाम कर लिया है, उसे हारे हवाले कीजिये और अपने प्राण बचाइए

ब्यक्ति२(काला)- पिछले २ लोगो को ढूंढने मैं काफी समय लगा है और इसमें हम एक आदमी भी मारा गया है तो बेहतर होगा तुम कुर्बानी भूल जाओ और यहाँ से चलते बनो

व्यक्ति१(नीला)- लगता है तुम ब्लैक हुड वालो को विनम्रता रास नहीं आती तो हमें दूसरा तरीका अपनाना होगा

वहा मौजूद काले और नीले चोगे वाले लोगो ने अपनी बंदूके निकाल की, रमण समझ गया की अगर उन्होंने बीच मैं दखल नहीं दी तो यहाँ भीषण रक्तपात हो जायेगा वो तुरन अपने साथियों को लेकर उन लोगो के सामने पहुच गया जबकि राघव और संतोष अब भी छिपे हुए थे

रमण- freeze everyone freeze और अपनी अपनी बंदूके निचे गिरा दो

वो लोग इस घटना से आश्चर्यचकित जरूर हुए लेकिन तुरंत ही अपने बीच का झगडा भूल कर उन्होने अपनी बंदूके पुलिस की और तान दी और फायर करने लगे, पुलिस ने भी जवाबी हमला किया जिसमे दो पुलिस वाले घायल भी हुए वही रमण ने अपने अचूक निशाने का प्रदर्शन करते हुए कई कालसैनिको की खोपड़ी उदा दी,

अचानक हुए इस हमले से वो लोग घबरा गए और अपनी बंदूके छोड़ कर भागने लगे तभी वहा एक अदभुत घटना घटी

एक काले चोगे वाला कालसैनिक पीछे मुडा और उसने अपना हाथ एक विशेष मुद्रा मैं हवा मैं घुमाया जिसके साथ ही रमण की बन्दूक भी उसके हाथो से छूटती चली गयी, ये देख कर रमण हैरान रह गया उसे समझ नहीं आया की कैसे इस व्यक्ति ने हवा मैं हाथ घुमा कर उसकी बन्दूक उसके हाथ से छुटा दी लेकिन उसे इस बारे मैं ज्यादा सोचने का मौका नहीं मिला क्युकी वो कालसैनिक बेतहाशा भगा जा रहा था

रमण से छलांग लगा कर उसे पकड़ लिया लेकिन उस कालसैनिक मैं बहुत शक्ति थी और रमण का उसे पकडे रखना मुश्किल ताल तभी राघव और संतोष उसकी मदद को वहा आये और संतोष ने एक पत्थर का प्रहार इस कालसैनिक के सर परे किया जिससे उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा और रही सही कसार रमण और राघव के मुक्को ने पूरी कर दी पर इस चक्कर मैं बाकि लोग वहा से भाग गए थे

रमण ने हाँफते हुए संतोष की तरफ देखा

रमण-मदद के लिए शुक्रिया

सभी लोग उस बेहोश कालसैनिक के पास जमा हो गए थे

रमण-राघव इसका नकाब हटाओ मुझे इसका चेहरा देखना है

जैसे ही राघव ने उस कालसैनिक का नकाब हटाया तो संतोष बुरी तरह चौका

संतोष- विक्रांत....!
 

mashish

BHARAT
8,032
25,905
203
भाग ११


सबका खाना हो चूका था, रमण अब भी अपने की खयालो मैं गम था, रमण इस वक़्त अपने घर की छत पर खड़ा हो कर अपने केस बे बारे मैं सोच रहा था तभी राघव वहा आया

राघव-कालदूत के बारे मैं सोच रहे हो भाई

रमण-ह...क....क्या मैं समझा नहीं?

राघव के अचानक वहा आने और सीधे कालदूत के बारे मैं पूछने से रमण चौका

राघव-आपका नया केस जो आप संभल रहे हो वो कालदूत से जुडा हुआ है न

रमण-हा...पर तुम्हे इसके बारे मैं कैसे पता मैंने तो आज इस बारे मैं घर मैं भी कोई बात नहीं की

राघव ने फिर रमण दिन भर मैं हुयी घटनाओ के बारे मैं बताया और ये भी बताया के कैसे उस माला की मदद से उसके रमण का दिमाग पढ़ा और उसके दादा की किताब और कालदूत के बारे मैं भी रमण साडी बातो को गौर से सुन रहा था

रमण-राघव तुम्हे सच मैं लगता है की कोई कालदूत होगा

राघव-पता नहीं भाई इस बात का मेरे पास कोई जवाब नहीं है फिलहाल पर आप बताओ आपको क्या लगता है और इस कालदूत नाम से आपका पला कैसे पडा

रमण ने फिर संतोष से हुयी पूरी बात राघव को बताई और साथ ही अपनी शंका भी की उसे संतोष मैं कुछ गड़बड़ लग रहा है

रमण- राघव मैं नहीं जनता की ये लोग कौन है और कोई कालदूत है भी या नहीं मैं बस इतना जनता हु के ये कुछ दिमाग से विक्षिप्त लोग है जोइस समाज के लिए एक खतरा है और इन्हें अगर यहाँ नहीं रोका गया तो पता नहीं और कितनी जाने जाएँगी

रमण राघव से बात कर रहा था उर राघव कुछ सोच रहा था

रमण-क्या सोच रहे हो

राघव-भाई आप जब उन लडको को वह बचने गए थे तब वह उनके अलावा भी कोई था क्या

रमण-नहीं हमें वह बस संतोष और रोहित की जली हुयी लाश ही मिली और हम संतोष को अपने साथ ले आये

राघव-आपने उस जगह को छान मारा था

रमण-हा मगर हमें वहा कुछ नहीं मिला संतोष ने कहा था के वो लोग दोबारा आयेंगे उसकी बलि देने ऐसा कह कर वह से चले गए थे

राघव-मतलब उनलोगों को पता नहीं था के पुलिस ने संतोष को बचा लिया है, भाई मुझे लगता है वो लोग संतोष की बलि देने वह जरूर आये होंगे उन्हें रेंज हाथ पकड़ा जा सकता था

राघव की बात सुन कर अचानक रमण के दिमाग मैं कुछ आया और वो वहा से उठकर कही जाने लगा

राघव-अरे अचानक कहा चले

रमण- एक काम याद आ गया बस वही पूरा करने

राघव-रुको भाई अकेले मत जाओ मैं भी साथ मैं चलता हु

रमण-तुम क्या करोगे मेरे साथ मै यु गया और आया

राघव-मैं जनता हु भाई तुम किस काम के लिए जा रहे हो मैं तुम्हारे दिमाग मैं झक सकता हु इसीलिए मैं तुम्हारे साथ चलूँगा और अब पहले पुलिस स्टेशन चलो और अपनी टीम को साथ लो क्युकी आगे क्या खतरा आने वाला है हम नहीं जानते

रमण को भी राघव की बात सही लगी और वो उसे साथ लेकर पुलिस स्टेशन की तरफ निकल गया...

रमण राघव पुलिस स्टेशन मैं पहुचे...संतोष अब भी स्टेशन मैं ही था जैसा उसे रमण से कहा था, राघव ने संतोष को देखते ही सबसे पहले उसकी आँखों के जरिये उसके दिमाग मैं झाकने की कोशिश की मगर संतोष पता नहीं क्यों उससे नजरे नहीं मिला रहा था, राघव को कुछ खटका पर अभी उसने इस बात पर धयन नहीं दिया, रमण ने चन्दन और ३ हवलदारो को अपने साथ लिया और उन्हें साडी बात समझाई

संतोष-सर क्या मैं आपके साथ चल सकता हु

रमण-क्या??लेकिन अभी अभी ट्यूम मौत के मुह से बचकर इतनी मुश्किल से आये हो फिर वापिस क्यों जाना चाहते हो

संतोष-उन्होंने मेरे सबसे आचे दोस्त को मारा है इंस्पेक्टर , मुझे उम्मीद है की आप समझोगे मेरी बात

रमण(कुछ सोचकर)-हां, ठीक है तुम आ सकते हो लेकिन ध्यान रहे की हमको सही मौका मिलने तक छिप कर रहना है ये लोग काफी खतरनाक है

संतोष- मैं समझ गया



अँधेरा हो चूका था रमण राघव संतोष और अपनी टीम के साथ उस कब्रिस्तान वाली जगह पर पहुच गया और वो लोग वह छिप कर बैठ गए, इस वक़्त कब्रिस्तान मैं चाँद की रौशनी फैली हुयी थी और वह केवल एक कालसैनिक था, रमण ने आगे बढ़ कर उसके पकड़ना चाह पर राघव ने उसे वही कुछ देर रुक कर इंतजार करने कहा,

कुछ ही देर मैं वहा एक काले रंग की बडी सी वैन आकर रुकि और उसमे से काले चोगे और नकाब वाले कुछ लोग उतरे, वो लोग आपस मैं कुछ बात कर रहे थे और चुकी रमण और बाकि सब पास ही छिपे हुए थे वो उनकी आवाज़ इन लोगो तक पहुच रही थी

व्यक्ति१- मुझे लगता है उन्होंने यहाँ तक हमारा पीछा किया है

व्यक्ति२-तो तयार रहो याद है न पिछली बार क्या हुआ था?

व्यक्ति३- वह देखो वे जानते है की हम यहाँ पर है

ये लोग किस बारे मैं बात कर रहे थे ये रमण और बाकि सबको समझ नहीं आ रहा था लेकिन रमण इतना समझ गया था की इन लोगो को अब तक संतोष के गायब होने का पता नहीं चला है तभी उन्होंने देखा के वहा पर एक सफ़ेद रंग की वैन आकर उस काली वैन के आगे रुकी जिसमे से कुछ लोग उतरे जिनका पहनावा कालसैनिको की तरह था बस कपडे का रंग काले की बजाय नीला था

संतोष(धीमी आवाज मैं)- इनके भी ग्रुप्स है क्या

रमण-मैं भी स्तिथि को समझने का प्रयास कर रहा हु श्श्श...लगता है कुछ बोल रहे है

काले और नीले चोगे वाले आमने सामने थे

व्यक्ति१(नीले चोगे वाला)- लगता है आपने कुर्बानी का इंतजाम कर लिया है, उसे हारे हवाले कीजिये और अपने प्राण बचाइए

ब्यक्ति२(काला)- पिछले २ लोगो को ढूंढने मैं काफी समय लगा है और इसमें हम एक आदमी भी मारा गया है तो बेहतर होगा तुम कुर्बानी भूल जाओ और यहाँ से चलते बनो

व्यक्ति१(नीला)- लगता है तुम ब्लैक हुड वालो को विनम्रता रास नहीं आती तो हमें दूसरा तरीका अपनाना होगा

वहा मौजूद काले और नीले चोगे वाले लोगो ने अपनी बंदूके निकाल की, रमण समझ गया की अगर उन्होंने बीच मैं दखल नहीं दी तो यहाँ भीषण रक्तपात हो जायेगा वो तुरन अपने साथियों को लेकर उन लोगो के सामने पहुच गया जबकि राघव और संतोष अब भी छिपे हुए थे

रमण- freeze everyone freeze और अपनी अपनी बंदूके निचे गिरा दो

वो लोग इस घटना से आश्चर्यचकित जरूर हुए लेकिन तुरंत ही अपने बीच का झगडा भूल कर उन्होने अपनी बंदूके पुलिस की और तान दी और फायर करने लगे, पुलिस ने भी जवाबी हमला किया जिसमे दो पुलिस वाले घायल भी हुए वही रमण ने अपने अचूक निशाने का प्रदर्शन करते हुए कई कालसैनिको की खोपड़ी उदा दी,

अचानक हुए इस हमले से वो लोग घबरा गए और अपनी बंदूके छोड़ कर भागने लगे तभी वहा एक अदभुत घटना घटी

एक काले चोगे वाला कालसैनिक पीछे मुडा और उसने अपना हाथ एक विशेष मुद्रा मैं हवा मैं घुमाया जिसके साथ ही रमण की बन्दूक भी उसके हाथो से छूटती चली गयी, ये देख कर रमण हैरान रह गया उसे समझ नहीं आया की कैसे इस व्यक्ति ने हवा मैं हाथ घुमा कर उसकी बन्दूक उसके हाथ से छुटा दी लेकिन उसे इस बारे मैं ज्यादा सोचने का मौका नहीं मिला क्युकी वो कालसैनिक बेतहाशा भगा जा रहा था

रमण से छलांग लगा कर उसे पकड़ लिया लेकिन उस कालसैनिक मैं बहुत शक्ति थी और रमण का उसे पकडे रखना मुश्किल ताल तभी राघव और संतोष उसकी मदद को वहा आये और संतोष ने एक पत्थर का प्रहार इस कालसैनिक के सर परे किया जिससे उसकी आँखों के आगे अँधेरा छाने लगा और रही सही कसार रमण और राघव के मुक्को ने पूरी कर दी पर इस चक्कर मैं बाकि लोग वहा से भाग गए थे

रमण ने हाँफते हुए संतोष की तरफ देखा

रमण-मदद के लिए शुक्रिया

सभी लोग उस बेहोश कालसैनिक के पास जमा हो गए थे

रमण-राघव इसका नकाब हटाओ मुझे इसका चेहरा देखना है

जैसे ही राघव ने उस कालसैनिक का नकाब हटाया तो संतोष बुरी तरह चौका


संतोष- विक्रांत....!
awesome super update
 

ashish_1982_in

Well-Known Member
5,573
18,877
188
भाग १०



रमण अपनी पूरी टीम के साथ संतोष और रोहित को ढूंढने निकल गया और चन्दन की बताई जगह पर पंहुचा, वो लोग काफी समय तक जंगल मैं रोहित और संतोष को तलाश करते रहे मगर उनका कोई पता नहीं चला

शाम हो चली थी और सूरज धीरे धीरे ढलने लगा था, संतोष उस अंधेरे सीलन भरे कमरे में करीब 1 घंटे से कैद था

वह कई बार पूरी ताकत के साथ 'बचाओ बचाओ' चिल्ला चुका था लेकिन कोई बाहरी प्रतिक्रिया नहीं मिलने की वजह से उसने रही सही उम्मीद भी छोड़ दी थी

इस समय तापमान गिरने की वजह से ठंड भी थोड़ी सी बढ़ गई थी सामने रोहित की जली हुई लाश लोहे की जंजीरों में अब भी बंधी हुई थी तभी खटाक से लकड़ी का दरवाजा टूटा इंस्पेक्टर रमन अपनी पूरी टीम के साथ वहां आ चुका था उसने संतोष को और रोहित की जली हुई लाश को लोहे की मोटी जंजीरों से आजाद करवाया संतोष अभी भी सदमे की स्थिति में था और फटी फटी आंखों से रोहित को घूर रहा था

रमन- मैं जानता हूं कि तुम पर बहुत बुरी बीती है लेकिन यकीन मानो यह दरिंदे ज्यादा दिनों तक नहीं बच पाएंगे

संतोष - लेकिन आप आपको पता कैसे चला कि हम लोग यहां कैद है

रमन- सब बताऊंगा लेकिन पहले तुम मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलो

रमन ने संतोष को अपनी जीप में बैठाकर पुलिस स्टेशन में ले आया और अपने हवलदार से कहा

रमन- मुझे इससे अकेले में कुछ जरूरी पूछताछ करनी है इतने सारे लोगों को एक साथ देख कर घबरा सकता है वैसे भी इसने अभी-अभी अपने दोस्त की हत्या होते हुए अपनी आंखों से देखी है इसीलिए इसकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा पाना मुश्किल काम है मैं चाहूंगा कि आप लोग पूछताछ के दौरान मुझे किसी भी काम के लिए डिस्टर्ब ना करें जरूरी काम के लिए ही केबिन में आए

उसके बाद किसी भी हवालदार ने रमण से कोई सवाल नहीं किया

इस वक़्त संतोष शाल ओढ़े रमण के केबिन मैं उसके सामने बैठा हुआ था, रमण ने उसके और अपने लिए दो कॉफ़ी मंगवायी, संतोष अब भी अपने विचारो की दुनिया मैं खोया हुआ था ये देख कर रमण ने ही बात की पहल करना सही समझा

रमण- तुम लोग वह कैसे पहुचे बता सकते हो

रमण से बात आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन संतोष ने उसका कोई जवाब नहीं दिया तो रमण से उससे दोबारा पूछा और अब की बार संतोष की आँखों से आसू बहने लगे, उसने अभी अभी अपना सबसे खास दोस्त खोया था रमण ने भी उसे रो लेने दिया और जब कुछ समय बाद संतोष शांत हुआ तब रमण ने दोबारा अपना सवाल किया

रमण-संतोष मैं जनता हु ये समय तुम्हारे लिए काफी मुश्किल है पर अपने आप को संभालो और जो भी हुआ मुझे सब सच बताओ वरना मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाउँगा, क्या तुम कुछ बता सकते हो उन लोगो के बारे मैं जो कुछ हुआ है मुझे सुरु से सब बताओ

संतोष ने रमण को शुरू से सब बताया की कैसे वो जंगल की तरफ बस टहलने गए थे कैसे वहा उनपर एक अनजान शख्स ने हमला किया और खुदकी आत्मरक्षा मैं इनके हाथो उसका खून हो गया और फिर उस लाश का गायब होना और संतोष उर रोहित का उन लोगो द्वारा अपहरण संतोष ने रमण को सब बता दिया था

संतोष की बाते सुन कर रमण के एक्सप्रेशन बदल रहे थे उसे जरा भी अंदाजा नहीं था के इतना सब कुछ हुआ होगा

रमण- उनलोगों ने तुम्हे कुछ बताया के वो कौन है या तुम्हे उनकी बातो से कुछ पता चला हो

संतोष- वो अपने आप को कालसेना बता रहे थे और कुछ और लोगो को मारने का भी कह रहे थे, उनमे से एक शख्स के बताया की वो ये सब अपने भगवान् को आजाद करने के लिए कर रहे थे

रमण-किसी का नाम सुना था तुमने

संतोष- नहीं, वो किसी कालदूत का जिक्र कर रह थे


रमण-कालदूत? खैर मुझे लगता ई बाकि किगुम्शुदा घटनाओ मैं भी इसी गिरल का हाथ होगा क्या नाम बताया ‘कालसेना’, तुम एक काम करो संतोष तुम आज रात यही पुलिस स्टेशन मैं रुको यहाँ तुम सेफ रहोगे और तुम्हारा एक और दोस्त आने वाला था न उसका क्या हुआ

संतोष-वो आएगा तो कॉल करेगा पर सर आपको कैसे पता चला की हमे वह कैद किया गया है

रमण-मैंने अपना एक आदमी तुमपर नजर रखने के लिए छोड़ रखा था उसी से पता चला के तुम जंगल की तरफ गए हो, मेरी टीम तुम लोगो को ढूंढते हुए जब काफी अंदर पहुची तब हमें एक पुराने कब्रिस्तान मैं एक कमरा मिला जब उसे हमने खोला तो तुम मिले, हम रोहित को तो नहीं बचा पाए इसका अफ़सोस है

संतोष- थैंक यू सर आप सही वक़्त पर आये वरना शायद मेरा हाल भी रोहित जैसा होता

रमण-हम्म तुम रुको मैं आता हु

रमण संतोष को अपने केबिन मैं छोड़ कर बहार आया उसे न जाने क्यों संतोष की बातो पे डाउट हो रहा था क्युकी जिस हिसाब से संतोष ने कालसेना के बारे मैं जवाब दिया था उससे रमण को लग रहा था के संतोष इस बारे मैं और भी कुछ जनता है पर उसने अभी ये बात पूछना सही नहीं समझी उसने २ हवलदारो को उसपर नजर रखने कहा और घर की और निकल गया, उसके दिमाग मैं केवल २ चीज़े घूम रही थी कालसेना और कालदूत जिसके बारे मैं उसे पता लगाना था

वहा घर पर राघव भी यही सोच रहा था के आगे उसे क्या करना है


रमण कुछ देर बाद घर पंहुचा और हाथ मुह धोकर सबके साथ खाना खाने बैठा पर उसका धयान खाने मैं नहीं था वो कुछ सोच रहा था, बाकि लोग भी शांत बैठे थे राघव ने रमण से पूछना भी चाह की क्या हुआ है पर उसने कुछ नहीं कह कर बात को ताल दिया जो राघव को अटपटा लगा क्युकी रमण अक्सर घर पर केसेस की बात करता था, राघव ने अपने दादाजी की रुद्राक्ष की माला पहनी हुयी थी और वो देखना चाहता था के इस माला की शक्तिया कितनी कारगर है उसने कुछ सेकंड्स अपनी आँखें बंद की और फिर खोल कर रमण की आँखों द्वारा उसके दिमाग मैं झाँकने की कोशिश की....रमण के दिमाग मैं उसे कालसेना का सन्दर्भ मिला उनदोनो भाइयो को एक ही चीज़ के बारे मैं पता लगाना था, राघव ने उस समय कुछ नहीं कहा और खाना खाने के बाद रमण से बात करने की ठानी........
super fantastic update bhai maza aa gya ab dekhte hai ki aage kya hota hai
 
Top