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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

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Adirshi

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भाग १०



रमण अपनी पूरी टीम के साथ संतोष और रोहित को ढूंढने निकल गया और चन्दन की बताई जगह पर पंहुचा, वो लोग काफी समय तक जंगल मैं रोहित और संतोष को तलाश करते रहे मगर उनका कोई पता नहीं चला

शाम हो चली थी और सूरज धीरे धीरे ढलने लगा था, संतोष उस अंधेरे सीलन भरे कमरे में करीब 1 घंटे से कैद था

वह कई बार पूरी ताकत के साथ 'बचाओ बचाओ' चिल्ला चुका था लेकिन कोई बाहरी प्रतिक्रिया नहीं मिलने की वजह से उसने रही सही उम्मीद भी छोड़ दी थी

इस समय तापमान गिरने की वजह से ठंड भी थोड़ी सी बढ़ गई थी सामने रोहित की जली हुई लाश लोहे की जंजीरों में अब भी बंधी हुई थी तभी खटाक से लकड़ी का दरवाजा टूटा इंस्पेक्टर रमन अपनी पूरी टीम के साथ वहां आ चुका था उसने संतोष को और रोहित की जली हुई लाश को लोहे की मोटी जंजीरों से आजाद करवाया संतोष अभी भी सदमे की स्थिति में था और फटी फटी आंखों से रोहित को घूर रहा था

रमन- मैं जानता हूं कि तुम पर बहुत बुरी बीती है लेकिन यकीन मानो यह दरिंदे ज्यादा दिनों तक नहीं बच पाएंगे

संतोष - लेकिन आप आपको पता कैसे चला कि हम लोग यहां कैद है

रमन- सब बताऊंगा लेकिन पहले तुम मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलो

रमन ने संतोष को अपनी जीप में बैठाकर पुलिस स्टेशन में ले आया और अपने हवलदार से कहा

रमन- मुझे इससे अकेले में कुछ जरूरी पूछताछ करनी है इतने सारे लोगों को एक साथ देख कर घबरा सकता है वैसे भी इसने अभी-अभी अपने दोस्त की हत्या होते हुए अपनी आंखों से देखी है इसीलिए इसकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा पाना मुश्किल काम है मैं चाहूंगा कि आप लोग पूछताछ के दौरान मुझे किसी भी काम के लिए डिस्टर्ब ना करें जरूरी काम के लिए ही केबिन में आए

उसके बाद किसी भी हवालदार ने रमण से कोई सवाल नहीं किया

इस वक़्त संतोष शाल ओढ़े रमण के केबिन मैं उसके सामने बैठा हुआ था, रमण ने उसके और अपने लिए दो कॉफ़ी मंगवायी, संतोष अब भी अपने विचारो की दुनिया मैं खोया हुआ था ये देख कर रमण ने ही बात की पहल करना सही समझा

रमण- तुम लोग वह कैसे पहुचे बता सकते हो

रमण से बात आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन संतोष ने उसका कोई जवाब नहीं दिया तो रमण से उससे दोबारा पूछा और अब की बार संतोष की आँखों से आसू बहने लगे, उसने अभी अभी अपना सबसे खास दोस्त खोया था रमण ने भी उसे रो लेने दिया और जब कुछ समय बाद संतोष शांत हुआ तब रमण ने दोबारा अपना सवाल किया

रमण-संतोष मैं जनता हु ये समय तुम्हारे लिए काफी मुश्किल है पर अपने आप को संभालो और जो भी हुआ मुझे सब सच बताओ वरना मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाउँगा, क्या तुम कुछ बता सकते हो उन लोगो के बारे मैं जो कुछ हुआ है मुझे सुरु से सब बताओ

संतोष ने रमण को शुरू से सब बताया की कैसे वो जंगल की तरफ बस टहलने गए थे कैसे वहा उनपर एक अनजान शख्स ने हमला किया और खुदकी आत्मरक्षा मैं इनके हाथो उसका खून हो गया और फिर उस लाश का गायब होना और संतोष उर रोहित का उन लोगो द्वारा अपहरण संतोष ने रमण को सब बता दिया था

संतोष की बाते सुन कर रमण के एक्सप्रेशन बदल रहे थे उसे जरा भी अंदाजा नहीं था के इतना सब कुछ हुआ होगा

रमण- उनलोगों ने तुम्हे कुछ बताया के वो कौन है या तुम्हे उनकी बातो से कुछ पता चला हो

संतोष- वो अपने आप को कालसेना बता रहे थे और कुछ और लोगो को मारने का भी कह रहे थे, उनमे से एक शख्स के बताया की वो ये सब अपने भगवान् को आजाद करने के लिए कर रहे थे

रमण-किसी का नाम सुना था तुमने

संतोष- नहीं, वो किसी कालदूत का जिक्र कर रह थे


रमण-कालदूत? खैर मुझे लगता ई बाकि किगुम्शुदा घटनाओ मैं भी इसी गिरल का हाथ होगा क्या नाम बताया ‘कालसेना’, तुम एक काम करो संतोष तुम आज रात यही पुलिस स्टेशन मैं रुको यहाँ तुम सेफ रहोगे और तुम्हारा एक और दोस्त आने वाला था न उसका क्या हुआ

संतोष-वो आएगा तो कॉल करेगा पर सर आपको कैसे पता चला की हमे वह कैद किया गया है

रमण-मैंने अपना एक आदमी तुमपर नजर रखने के लिए छोड़ रखा था उसी से पता चला के तुम जंगल की तरफ गए हो, मेरी टीम तुम लोगो को ढूंढते हुए जब काफी अंदर पहुची तब हमें एक पुराने कब्रिस्तान मैं एक कमरा मिला जब उसे हमने खोला तो तुम मिले, हम रोहित को तो नहीं बचा पाए इसका अफ़सोस है

संतोष- थैंक यू सर आप सही वक़्त पर आये वरना शायद मेरा हाल भी रोहित जैसा होता

रमण-हम्म तुम रुको मैं आता हु

रमण संतोष को अपने केबिन मैं छोड़ कर बहार आया उसे न जाने क्यों संतोष की बातो पे डाउट हो रहा था क्युकी जिस हिसाब से संतोष ने कालसेना के बारे मैं जवाब दिया था उससे रमण को लग रहा था के संतोष इस बारे मैं और भी कुछ जनता है पर उसने अभी ये बात पूछना सही नहीं समझी उसने २ हवलदारो को उसपर नजर रखने कहा और घर की और निकल गया, उसके दिमाग मैं केवल २ चीज़े घूम रही थी कालसेना और कालदूत जिसके बारे मैं उसे पता लगाना था

वहा घर पर राघव भी यही सोच रहा था के आगे उसे क्या करना है

रमण कुछ देर बाद घर पंहुचा और हाथ मुह धोकर सबके साथ खाना खाने बैठा पर उसका धयान खाने मैं नहीं था वो कुछ सोच रहा था, बाकि लोग भी शांत बैठे थे राघव ने रमण से पूछना भी चाह की क्या हुआ है पर उसने कुछ नहीं कह कर बात को ताल दिया जो राघव को अटपटा लगा क्युकी रमण अक्सर घर पर केसेस की बात करता था, राघव ने अपने दादाजी की रुद्राक्ष की माला पहनी हुयी थी और वो देखना चाहता था के इस माला की शक्तिया कितनी कारगर है उसने कुछ सेकंड्स अपनी आँखें बंद की और फिर खोल कर रमण की आँखों द्वारा उसके दिमाग मैं झाँकने की कोशिश की....रमण के दिमाग मैं उसे कालसेना का सन्दर्भ मिला उनदोनो भाइयो को एक ही चीज़ के बारे मैं पता लगाना था, राघव ने उस समय कुछ नहीं कहा और खाना खाने के बाद रमण से बात करने की ठानी........
 

mashish

BHARAT
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भाग १०



रमण अपनी पूरी टीम के साथ संतोष और रोहित को ढूंढने निकल गया और चन्दन की बताई जगह पर पंहुचा, वो लोग काफी समय तक जंगल मैं रोहित और संतोष को तलाश करते रहे मगर उनका कोई पता नहीं चला

शाम हो चली थी और सूरज धीरे धीरे ढलने लगा था, संतोष उस अंधेरे सीलन भरे कमरे में करीब 1 घंटे से कैद था

वह कई बार पूरी ताकत के साथ 'बचाओ बचाओ' चिल्ला चुका था लेकिन कोई बाहरी प्रतिक्रिया नहीं मिलने की वजह से उसने रही सही उम्मीद भी छोड़ दी थी

इस समय तापमान गिरने की वजह से ठंड भी थोड़ी सी बढ़ गई थी सामने रोहित की जली हुई लाश लोहे की जंजीरों में अब भी बंधी हुई थी तभी खटाक से लकड़ी का दरवाजा टूटा इंस्पेक्टर रमन अपनी पूरी टीम के साथ वहां आ चुका था उसने संतोष को और रोहित की जली हुई लाश को लोहे की मोटी जंजीरों से आजाद करवाया संतोष अभी भी सदमे की स्थिति में था और फटी फटी आंखों से रोहित को घूर रहा था

रमन- मैं जानता हूं कि तुम पर बहुत बुरी बीती है लेकिन यकीन मानो यह दरिंदे ज्यादा दिनों तक नहीं बच पाएंगे

संतोष - लेकिन आप आपको पता कैसे चला कि हम लोग यहां कैद है

रमन- सब बताऊंगा लेकिन पहले तुम मेरे साथ पुलिस स्टेशन चलो

रमन ने संतोष को अपनी जीप में बैठाकर पुलिस स्टेशन में ले आया और अपने हवलदार से कहा

रमन- मुझे इससे अकेले में कुछ जरूरी पूछताछ करनी है इतने सारे लोगों को एक साथ देख कर घबरा सकता है वैसे भी इसने अभी-अभी अपने दोस्त की हत्या होते हुए अपनी आंखों से देखी है इसीलिए इसकी मानसिक स्थिति का अंदाजा लगा पाना मुश्किल काम है मैं चाहूंगा कि आप लोग पूछताछ के दौरान मुझे किसी भी काम के लिए डिस्टर्ब ना करें जरूरी काम के लिए ही केबिन में आए

उसके बाद किसी भी हवालदार ने रमण से कोई सवाल नहीं किया

इस वक़्त संतोष शाल ओढ़े रमण के केबिन मैं उसके सामने बैठा हुआ था, रमण ने उसके और अपने लिए दो कॉफ़ी मंगवायी, संतोष अब भी अपने विचारो की दुनिया मैं खोया हुआ था ये देख कर रमण ने ही बात की पहल करना सही समझा

रमण- तुम लोग वह कैसे पहुचे बता सकते हो

रमण से बात आगे बढ़ने की कोशिश की लेकिन संतोष ने उसका कोई जवाब नहीं दिया तो रमण से उससे दोबारा पूछा और अब की बार संतोष की आँखों से आसू बहने लगे, उसने अभी अभी अपना सबसे खास दोस्त खोया था रमण ने भी उसे रो लेने दिया और जब कुछ समय बाद संतोष शांत हुआ तब रमण ने दोबारा अपना सवाल किया

रमण-संतोष मैं जनता हु ये समय तुम्हारे लिए काफी मुश्किल है पर अपने आप को संभालो और जो भी हुआ मुझे सब सच बताओ वरना मैं तुम्हारी कोई मदद नहीं कर पाउँगा, क्या तुम कुछ बता सकते हो उन लोगो के बारे मैं जो कुछ हुआ है मुझे सुरु से सब बताओ

संतोष ने रमण को शुरू से सब बताया की कैसे वो जंगल की तरफ बस टहलने गए थे कैसे वहा उनपर एक अनजान शख्स ने हमला किया और खुदकी आत्मरक्षा मैं इनके हाथो उसका खून हो गया और फिर उस लाश का गायब होना और संतोष उर रोहित का उन लोगो द्वारा अपहरण संतोष ने रमण को सब बता दिया था

संतोष की बाते सुन कर रमण के एक्सप्रेशन बदल रहे थे उसे जरा भी अंदाजा नहीं था के इतना सब कुछ हुआ होगा

रमण- उनलोगों ने तुम्हे कुछ बताया के वो कौन है या तुम्हे उनकी बातो से कुछ पता चला हो

संतोष- वो अपने आप को कालसेना बता रहे थे और कुछ और लोगो को मारने का भी कह रहे थे, उनमे से एक शख्स के बताया की वो ये सब अपने भगवान् को आजाद करने के लिए कर रहे थे

रमण-किसी का नाम सुना था तुमने

संतोष- नहीं, वो किसी कालदूत का जिक्र कर रह थे


रमण-कालदूत? खैर मुझे लगता ई बाकि किगुम्शुदा घटनाओ मैं भी इसी गिरल का हाथ होगा क्या नाम बताया ‘कालसेना’, तुम एक काम करो संतोष तुम आज रात यही पुलिस स्टेशन मैं रुको यहाँ तुम सेफ रहोगे और तुम्हारा एक और दोस्त आने वाला था न उसका क्या हुआ

संतोष-वो आएगा तो कॉल करेगा पर सर आपको कैसे पता चला की हमे वह कैद किया गया है

रमण-मैंने अपना एक आदमी तुमपर नजर रखने के लिए छोड़ रखा था उसी से पता चला के तुम जंगल की तरफ गए हो, मेरी टीम तुम लोगो को ढूंढते हुए जब काफी अंदर पहुची तब हमें एक पुराने कब्रिस्तान मैं एक कमरा मिला जब उसे हमने खोला तो तुम मिले, हम रोहित को तो नहीं बचा पाए इसका अफ़सोस है

संतोष- थैंक यू सर आप सही वक़्त पर आये वरना शायद मेरा हाल भी रोहित जैसा होता

रमण-हम्म तुम रुको मैं आता हु

रमण संतोष को अपने केबिन मैं छोड़ कर बहार आया उसे न जाने क्यों संतोष की बातो पे डाउट हो रहा था क्युकी जिस हिसाब से संतोष ने कालसेना के बारे मैं जवाब दिया था उससे रमण को लग रहा था के संतोष इस बारे मैं और भी कुछ जनता है पर उसने अभी ये बात पूछना सही नहीं समझी उसने २ हवलदारो को उसपर नजर रखने कहा और घर की और निकल गया, उसके दिमाग मैं केवल २ चीज़े घूम रही थी कालसेना और कालदूत जिसके बारे मैं उसे पता लगाना था

वहा घर पर राघव भी यही सोच रहा था के आगे उसे क्या करना है


रमण कुछ देर बाद घर पंहुचा और हाथ मुह धोकर सबके साथ खाना खाने बैठा पर उसका धयान खाने मैं नहीं था वो कुछ सोच रहा था, बाकि लोग भी शांत बैठे थे राघव ने रमण से पूछना भी चाह की क्या हुआ है पर उसने कुछ नहीं कह कर बात को ताल दिया जो राघव को अटपटा लगा क्युकी रमण अक्सर घर पर केसेस की बात करता था, राघव ने अपने दादाजी की रुद्राक्ष की माला पहनी हुयी थी और वो देखना चाहता था के इस माला की शक्तिया कितनी कारगर है उसने कुछ सेकंड्स अपनी आँखें बंद की और फिर खोल कर रमण की आँखों द्वारा उसके दिमाग मैं झाँकने की कोशिश की....रमण के दिमाग मैं उसे कालसेना का सन्दर्भ मिला उनदोनो भाइयो को एक ही चीज़ के बारे मैं पता लगाना था, राघव ने उस समय कुछ नहीं कहा और खाना खाने के बाद रमण से बात करने की ठानी........
very nice update
 
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