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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

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Wah adi.. kya action scene create kiya hai ju ne.. Superb :yourock:
are ye kya indono ko padhkar le gaye wo logis.. :cold:
yaar ye raman kya kar raha hai.. bachane kyun nahi jata...
hmm... to raghav ko pata chal sab kuch...
waise is sach ke baad shayad ab parivartan aaye usme.. ya phir aa gaya hai shayad.. yeh jo dhyan mein baitha hai iske jariye shayad wo jaan paaye ki uska karm kya hai.. aur shayad janm ka rahasya bhi udghatan ho..
Khair update kaafi dilchasp tha
Let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skills Adirshi saheb :applause: :applause:
raman hi to bachane aayega use pata to chale hua kya hai
thanks for comment
 

Adirshi

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Intizar rehega bhai
Update ka intizar h bhai
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Intezaar agle update ke liye
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UPdate kab tak aayega writer ji
bahut bahut maafi chahta hu bhailog late update ke liye
mere shahar main lockdown lag gaya wapis thoda kaam baki tha wo khatam karne ke chakker main update nahi de paya agla update kuch hi der main
 

Adirshi

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भाग ८

राघव को धयान लगाये हुए एक घंटा हो चला था, उसका चेहरा एकदम शांत था मगर मन मैं उथलपुथल मची हुयी थी, राघव के मन मैं अपने अस्तित्व को लेकर इस वक़्त ढेरो सवाल उमड़ रहे थे जिनका उसे जवाब जानना था, राघव का मानसिक पटल एक सफ़ेद दुधिया रौशनी मैं नाहा गया था और उसी प्रकाश मैं उसे एक आकृति उभरती दिखी, वो आकृति एक पुस्तक की थी, राघव को समझ नहीं आ रहा था की ये किताब उसे क्यों दिख रही है, धीरे धीरे वो प्रकाश का घेरा कम होने लगा और राघव ने अपनी आँखें खोली

राघव का मन अब पहले की तुलना मैं काफी ज्यादा शांत था मगर अब भी उसे उसके सवालो का जवाब नहीं मिला था

राघव ने अपनी आंखे खोली और उस कमरे मैं चारो तरफ अपनी नजर दौडाई, सारा कमरा उसके दादाजी के सामान से भरा हुआ था जिनमे से अधिकांश किताबे और ग्रन्थ थे, राघव अब उन सब चीजों को देखने लगा, बचपन मैं उसके दादाजी के कहने पर भी कभी राघव ने इन चीजों मैं ज्यादा रूचि नहीं दिखाई थी जितनी आज दिखा रहा था तभी उसकी नजर वह राखी एक किताब पर पड़ी जिसने राघव को हैरत मैं दाल दिया क्युकी ये यही पुस्तक थी जिसकी छवि उसने कुछ समय पहले देखि थी

राघव ने उस किताब को उठाया और धयान से देखने लगा, वो किताब उसके दादाजी ने खुद लिखी थी राघव ने जब उसे खोला तो उस किताब के पहले ही पन्ने पर उसके नाम का जिक्र था, वो किताब सिर्फ राघव के लिये लिखी गयी थी, राघव को अब उस किताब को पढने की और ज्यादा उत्सुकता होने लगी थी, उसने अगला पन्ना पलटा तो उसपर भगवन शिव का एक चित्र बना हुआ था जिसके सामने एक शिवलिंग था और उस शिवलिंग के पास एक छोटा सा बच्चा, राघव ने उस चित्र दो देखने के बाद अगला पन्ना पलटा

“राघव मेरे बच्चे मैं ये किताब सिर्फ तुम्हारे लिए लिख रहा हु, मैं जनता हु ये किताब जब तुम पढोगे तब मैं तुम्हारे पास नहीं रहूँगा और ऐसे समय मैं यही किताब तुम्हे आगे का रास्ता दिखाएंगी,

राघव मैंने अपना सारा जीवन शिव की आराधना मैं गुजारा है और उसी भगवान् शिव के आशीर्वाद से मुझे कई सिद्धिया और शक्तिया मिली जिनके उपयोग से मैंने कई लोगो की मदद की, मैं कुछ क्षण किसी भि९ की आँखों मैं देख कर उसके विचार बता सकता था और एक विशिष्ट अनुष्ठान की वजह से मुझे थोडा बहुत भविष्य का ज्ञान भी था,

जिस समय मैंने तुम्हे जंगल मैं उस शिव मंदिर मे देखा था तब मुझे काफी अचम्भा हा था क्युकी उस समय वह किसी इंसान का आना कफि दुर्लभ था, मैंने जब तुम्हे अ[प्निगोद मैं उठाया था तब मुझे एक विशिष्ट उर्जा का बहाव अपने अंदर महसूस हुआ था, राघव तुम्हे अंदाजा भी नहीं है की तुम किन शक्तियों के स्वामी हो बस जरुरत है तुम्हे उन शक्तियों को समझने की,

मेरे लिए तुम मेरे शिव का प्रसाद थे इसीलिए मैंने तुम्हे अपने साथ अपने घर ले आया और अनिरुद्ध को तुम्हे गोद लेने कहा, ये शायद मेरे पुण्य कर्म थे की मेरे बेटे बहु ने कभी मेरी कोई बात नहीं टाली, मैंने अपनी विद्याओ से कई बार तुम्हारे जन्म का समय जानने की कोशिश की और तुम्हारे असल माता पिता का पता भी लगा चाह पर मैं असफल रहा, शायद शिव की यही इच्छा हो की तुम अनिरुद्ध और सुमित्रा के बेटे बने रहो,

जिस समय तुम मुझे मले थे उस समय के अनुसार मैंने तुम्हारी कुंडली बनायीं थी और उस समय जोग्रहो का योग बन रहा था उसके हिसाब से तुम कोई साधारण बालक नहीं हो, इश्वर ने तुम्हे किसी खास कार्य के लिए चुना है, और मुझपर ये जिन्ना था की मैंने तुम्हे इश्वर के उस खास कार्य के लिए तयार करू जो मैंने मेरे हिसाब से किया,

मेरे बच्चे आने वाला समय काफी विकट है, इस ब्रह्माण्ड पर अन्धकार का सामराज्य फैलने वाला है, कई काली शक्तिया जागृत होने वाली है, ये मानवजाति अपने ही हाथो से अपनी मृत्यु को आमंत्रण देगी और अन्धकार का साम्राज्य इस ब्रह्माण्ड मैं स्तापित करेगी

निकट भविष्य मैं होने वाले महा विनाश को केवल तुम रोक सकते हो इसलिए तुम कौन हो इसपर अपना धयान केन्द्रित न कर तुम क्या हो ये सोचो अपनी सुप्त शक्तियों को जागृत करो,

इस महा विनाश को तुम अकेले नहीं रोक पाओगे राघव तुम्हे अपने साथ कुछ सच्चे और बहादुर लोगो की जरुरत होगी, उन महारथियों की खोज करो मैंने तुम्हे और रमण को सामान शिक्षा दी है रमण का मन साफ़ है इसलिए अपने भाई का साथ मत छोड़ना वो तुम्हारे इस कार्य मैं निरंतर तुम्हारा सहयोग करेगा

मैंने अपनी योग शक्ति से अपनी मृत्यु को भाप लिया था और उसे रोक भी सकता था लेकिन मैं इश्वर की बनायीं इस सृष्टि के नियमो मैं दखल नहीं देना चाहता था,

मैंने अपना शारीर त्यागने से पहले अपना सारा ज्ञान अपनी सटी सिद्धिया-शक्तिया अपनी रुद्राक्ष की माला मैं एकत्रित की थी वो माला मैं तुम्हे प्रदान करता हु, यर तुम्हे तुम्हारी लक्ष्पुर्ती मैं सहायता करेगी

राघव तुम्हारा सामना कालदूत नामक महाभयंकर शक्ति से होने वाला है, उससे सामना करने से पहले तुम्हे उसके बारे मैं जानना होगा....इससे अधिक मेरे पास तुम्हारे लिए और कुछ नहीं है

मेरा अशोर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है राघव......”

राघव ने वो किताब बंद की, जहा से उसने वो किताब उठाई थी वही उसे वो रुद्राक्ष की माला भी मिल गयी जो उसके दादाजी ने उसके लिए छोड़ी थी, राघव को अपने सवालो के जवाब मिल गए थे, उसके जीवन का उद्देश्य उसके सामने स्पष्ट था और केवल एक ही नाम उसके दिमग मैं चल रहा था ‘कालदूत’

राघव कालदूत के बारे मैं कुछ नहीं जानता था न ही अपनी शक्तियों के बारे मैं, सबसे पहले उसके सामने अब यही कार्य था की कालदूत के बारे मैं जितना हो सके पता करे लेकिन किससे......

राघव कमरे से बहार आया तो उसने देखा की सुमित्रादेवी गुमसुन की बैठी रो रही है और श्रुति उनके पास बैठी है

“भाभी क्या हुआ है माँ को ऐसे रो क्यों रही है” राघव ने एकदम नॉर्मली कहा जीने सुन श्रुति और सुमित्रादेवी हैरान ह गए की ये इतना शांत कैसे है

“वो...” श्रुति ने बोलने की कोशिश की तो सुमित्रादेवी से उसे इशारे से रोक दिया

राघव अपनी माँ के सामने जाकर घुटने पर बैठ गया और उनका हाथ पकड़ लिया

“माँ.....”

“तू...तू हमें छोड़ के जायेगा तो नहीं न वो सब सुन के.....”

“मैं...मैं कहा जाऊंगा, मैं अपनी माँ के पास से कही नहीं जाने वाला ये मेरा घर है मैं क्यों जाऊ यहाँ से..और किस बारे मैं बात कर रही हो तुम...”

राघव को इस तरह नार्मल देख कर सुमित्रादेवी काफी खुश हुयी उन्हें डर था की सच पता चलने के बाद राघव कही कुछ उल्टा सीधा न कर दे पर अब उनके मन को शांति मिली थी राघव को नार्मल देख कर

“भाभी कुछ खिला दो यार भूख लगी है” राघव ने कहा

वैसे तो राघव एकदम नार्मल लग रहा था पर अब भी उसके दिमाग मैं एक ही नाम घूम रहा था ‘कालदूत’

वही दूसरी तरफ जब संतोष और रोहित काफी समय तक जंगल से बहार नहीं आये तो चन्दन ने तुरंत रमण को इस बात की खबर की और रमण अपनी साडी टीम के साथ संतोष और रोहित को ढूंढने निकल पड़ा.....
 

DARK WOLFKING

Supreme
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mast update ..dadaji ki kitaab se saari baate saamne aa gayi raghav ke janm ki ..raghav ek aisa ladka hai jiska janm burai ko khatm karne ke liye hua hai ..
aur ab dadaji ke kahe anusar raghav ko apni team taiyar karni hai ..aur uska bhai raman bhi shayad team me hoga .

dadaji ne bas dushman ka naam bataya ki raghav ko kaldoot se ladhna hai , uske baare me kuch bhi nahi bataya , sab raghav ko hi pata karna hai ..

maa ro rahi thi ki kahi raghav ghar chhodke na chala jaaye par dadaji ki baato se ab wo shant hai ,,aur sabse pehle jaise pyar se baat kar raha hai 😍😍..
jungle me kya hota hai dekhte hai 🤔..
 

ragish7357

MaSooM ReAdeR
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भाग ८

राघव को धयान लगाये हुए एक घंटा हो चला था, उसका चेहरा एकदम शांत था मगर मन मैं उथलपुथल मची हुयी थी, राघव के मन मैं अपने अस्तित्व को लेकर इस वक़्त ढेरो सवाल उमड़ रहे थे जिनका उसे जवाब जानना था, राघव का मानसिक पटल एक सफ़ेद दुधिया रौशनी मैं नाहा गया था और उसी प्रकाश मैं उसे एक आकृति उभरती दिखी, वो आकृति एक पुस्तक की थी, राघव को समझ नहीं आ रहा था की ये किताब उसे क्यों दिख रही है, धीरे धीरे वो प्रकाश का घेरा कम होने लगा और राघव ने अपनी आँखें खोली

राघव का मन अब पहले की तुलना मैं काफी ज्यादा शांत था मगर अब भी उसे उसके सवालो का जवाब नहीं मिला था

राघव ने अपनी आंखे खोली और उस कमरे मैं चारो तरफ अपनी नजर दौडाई, सारा कमरा उसके दादाजी के सामान से भरा हुआ था जिनमे से अधिकांश किताबे और ग्रन्थ थे, राघव अब उन सब चीजों को देखने लगा, बचपन मैं उसके दादाजी के कहने पर भी कभी राघव ने इन चीजों मैं ज्यादा रूचि नहीं दिखाई थी जितनी आज दिखा रहा था तभी उसकी नजर वह राखी एक किताब पर पड़ी जिसने राघव को हैरत मैं दाल दिया क्युकी ये यही पुस्तक थी जिसकी छवि उसने कुछ समय पहले देखि थी

राघव ने उस किताब को उठाया और धयान से देखने लगा, वो किताब उसके दादाजी ने खुद लिखी थी राघव ने जब उसे खोला तो उस किताब के पहले ही पन्ने पर उसके नाम का जिक्र था, वो किताब सिर्फ राघव के लिये लिखी गयी थी, राघव को अब उस किताब को पढने की और ज्यादा उत्सुकता होने लगी थी, उसने अगला पन्ना पलटा तो उसपर भगवन शिव का एक चित्र बना हुआ था जिसके सामने एक शिवलिंग था और उस शिवलिंग के पास एक छोटा सा बच्चा, राघव ने उस चित्र दो देखने के बाद अगला पन्ना पलटा

“राघव मेरे बच्चे मैं ये किताब सिर्फ तुम्हारे लिए लिख रहा हु, मैं जनता हु ये किताब जब तुम पढोगे तब मैं तुम्हारे पास नहीं रहूँगा और ऐसे समय मैं यही किताब तुम्हे आगे का रास्ता दिखाएंगी,

राघव मैंने अपना सारा जीवन शिव की आराधना मैं गुजारा है और उसी भगवान् शिव के आशीर्वाद से मुझे कई सिद्धिया और शक्तिया मिली जिनके उपयोग से मैंने कई लोगो की मदद की, मैं कुछ क्षण किसी भि९ की आँखों मैं देख कर उसके विचार बता सकता था और एक विशिष्ट अनुष्ठान की वजह से मुझे थोडा बहुत भविष्य का ज्ञान भी था,

जिस समय मैंने तुम्हे जंगल मैं उस शिव मंदिर मे देखा था तब मुझे काफी अचम्भा हा था क्युकी उस समय वह किसी इंसान का आना कफि दुर्लभ था, मैंने जब तुम्हे अ[प्निगोद मैं उठाया था तब मुझे एक विशिष्ट उर्जा का बहाव अपने अंदर महसूस हुआ था, राघव तुम्हे अंदाजा भी नहीं है की तुम किन शक्तियों के स्वामी हो बस जरुरत है तुम्हे उन शक्तियों को समझने की,

मेरे लिए तुम मेरे शिव का प्रसाद थे इसीलिए मैंने तुम्हे अपने साथ अपने घर ले आया और अनिरुद्ध को तुम्हे गोद लेने कहा, ये शायद मेरे पुण्य कर्म थे की मेरे बेटे बहु ने कभी मेरी कोई बात नहीं टाली, मैंने अपनी विद्याओ से कई बार तुम्हारे जन्म का समय जानने की कोशिश की और तुम्हारे असल माता पिता का पता भी लगा चाह पर मैं असफल रहा, शायद शिव की यही इच्छा हो की तुम अनिरुद्ध और सुमित्रा के बेटे बने रहो,

जिस समय तुम मुझे मले थे उस समय के अनुसार मैंने तुम्हारी कुंडली बनायीं थी और उस समय जोग्रहो का योग बन रहा था उसके हिसाब से तुम कोई साधारण बालक नहीं हो, इश्वर ने तुम्हे किसी खास कार्य के लिए चुना है, और मुझपर ये जिन्ना था की मैंने तुम्हे इश्वर के उस खास कार्य के लिए तयार करू जो मैंने मेरे हिसाब से किया,

मेरे बच्चे आने वाला समय काफी विकट है, इस ब्रह्माण्ड पर अन्धकार का सामराज्य फैलने वाला है, कई काली शक्तिया जागृत होने वाली है, ये मानवजाति अपने ही हाथो से अपनी मृत्यु को आमंत्रण देगी और अन्धकार का साम्राज्य इस ब्रह्माण्ड मैं स्तापित करेगी

निकट भविष्य मैं होने वाले महा विनाश को केवल तुम रोक सकते हो इसलिए तुम कौन हो इसपर अपना धयान केन्द्रित न कर तुम क्या हो ये सोचो अपनी सुप्त शक्तियों को जागृत करो,

इस महा विनाश को तुम अकेले नहीं रोक पाओगे राघव तुम्हे अपने साथ कुछ सच्चे और बहादुर लोगो की जरुरत होगी, उन महारथियों की खोज करो मैंने तुम्हे और रमण को सामान शिक्षा दी है रमण का मन साफ़ है इसलिए अपने भाई का साथ मत छोड़ना वो तुम्हारे इस कार्य मैं निरंतर तुम्हारा सहयोग करेगा

मैंने अपनी योग शक्ति से अपनी मृत्यु को भाप लिया था और उसे रोक भी सकता था लेकिन मैं इश्वर की बनायीं इस सृष्टि के नियमो मैं दखल नहीं देना चाहता था,

मैंने अपना शारीर त्यागने से पहले अपना सारा ज्ञान अपनी सटी सिद्धिया-शक्तिया अपनी रुद्राक्ष की माला मैं एकत्रित की थी वो माला मैं तुम्हे प्रदान करता हु, यर तुम्हे तुम्हारी लक्ष्पुर्ती मैं सहायता करेगी

राघव तुम्हारा सामना कालदूत नामक महाभयंकर शक्ति से होने वाला है, उससे सामना करने से पहले तुम्हे उसके बारे मैं जानना होगा....इससे अधिक मेरे पास तुम्हारे लिए और कुछ नहीं है

मेरा अशोर्वाद सदैव तुम्हारे साथ है राघव......”

राघव ने वो किताब बंद की, जहा से उसने वो किताब उठाई थी वही उसे वो रुद्राक्ष की माला भी मिल गयी जो उसके दादाजी ने उसके लिए छोड़ी थी, राघव को अपने सवालो के जवाब मिल गए थे, उसके जीवन का उद्देश्य उसके सामने स्पष्ट था और केवल एक ही नाम उसके दिमग मैं चल रहा था ‘कालदूत’

राघव कालदूत के बारे मैं कुछ नहीं जानता था न ही अपनी शक्तियों के बारे मैं, सबसे पहले उसके सामने अब यही कार्य था की कालदूत के बारे मैं जितना हो सके पता करे लेकिन किससे......

राघव कमरे से बहार आया तो उसने देखा की सुमित्रादेवी गुमसुन की बैठी रो रही है और श्रुति उनके पास बैठी है

“भाभी क्या हुआ है माँ को ऐसे रो क्यों रही है” राघव ने एकदम नॉर्मली कहा जीने सुन श्रुति और सुमित्रादेवी हैरान ह गए की ये इतना शांत कैसे है

“वो...” श्रुति ने बोलने की कोशिश की तो सुमित्रादेवी से उसे इशारे से रोक दिया

राघव अपनी माँ के सामने जाकर घुटने पर बैठ गया और उनका हाथ पकड़ लिया

“माँ.....”

“तू...तू हमें छोड़ के जायेगा तो नहीं न वो सब सुन के.....”

“मैं...मैं कहा जाऊंगा, मैं अपनी माँ के पास से कही नहीं जाने वाला ये मेरा घर है मैं क्यों जाऊ यहाँ से..और किस बारे मैं बात कर रही हो तुम...”

राघव को इस तरह नार्मल देख कर सुमित्रादेवी काफी खुश हुयी उन्हें डर था की सच पता चलने के बाद राघव कही कुछ उल्टा सीधा न कर दे पर अब उनके मन को शांति मिली थी राघव को नार्मल देख कर

“भाभी कुछ खिला दो यार भूख लगी है” राघव ने कहा

वैसे तो राघव एकदम नार्मल लग रहा था पर अब भी उसके दिमाग मैं एक ही नाम घूम रहा था ‘कालदूत’


वही दूसरी तरफ जब संतोष और रोहित काफी समय तक जंगल से बहार नहीं आये तो चन्दन ने तुरंत रमण को इस बात की खबर की और रमण अपनी साडी टीम के साथ संतोष और रोहित को ढूंढने निकल पड़ा.....
behatrin update dost
to kaldoot or andhere and uske sevako se ladne ke liye raghav taiyar ho gya h
or ab use banani h apni team
dekhte h wo kese iss rahsyamyi prani ka pta lgata h
or shayad eska pta lagate lagate use un logo ka bhi pta lg jaye jo bhagwan ko manne walo ko khtm kr rhe h
or iski suruwat shayad uske bhai raman or gayab hue dono dosto se hogi
dekhte h aage kya hota h
 

Adirshi

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mast update ..dadaji ki kitaab se saari baate saamne aa gayi raghav ke janm ki ..raghav ek aisa ladka hai jiska janm burai ko khatm karne ke liye hua hai ..
aur ab dadaji ke kahe anusar raghav ko apni team taiyar karni hai ..aur uska bhai raman bhi shayad team me hoga .

dadaji ne bas dushman ka naam bataya ki raghav ko kaldoot se ladhna hai , uske baare me kuch bhi nahi bataya , sab raghav ko hi pata karna hai ..

maa ro rahi thi ki kahi raghav ghar chhodke na chala jaaye par dadaji ki baato se ab wo shant hai ,,aur sabse pehle jaise pyar se baat kar raha hai 😍😍..
jungle me kya hota hai dekhte hai 🤔..
shukriya leon bhai
 

Adirshi

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behatrin update dost
to kaldoot or andhere and uske sevako se ladne ke liye raghav taiyar ho gya h
or ab use banani h apni team
dekhte h wo kese iss rahsyamyi prani ka pta lgata h
or shayad eska pta lagate lagate use un logo ka bhi pta lg jaye jo bhagwan ko manne walo ko khtm kr rhe h
or iski suruwat shayad uske bhai raman or gayab hue dono dosto se hogi
dekhte h aage kya hota h
shukriya bhai
 
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