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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

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Adirshi

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भाग ४


घर का सभी पुरुष वर्ग अपने अपने कामो के लिए निकल गया था अनिरुद्ध जी अपने पूजा अनुष्ठान केलिए रमन अपने ठाणे की ओर ओर राघव अपने दोस्त के साथ, अब घर में केवल सुमित्रा देवी ओर उनकी बहु श्रुति बचे थे,

राघव जिस हिसाब से अपने पिता से उखड़े स्वर मैं बात करता था उससे कोई भइये स्पष्ट अन्दाज लगा सकता था के दोनों बाप बेटे की आपस मैं जमती नहीं है, राघव ओर अनिरुद्धजी की नोक झोक घर मैं आम बात थी, केवल एक रमन ही था जिसके बोलने से वो दोनों चुप हो सकते थे रमन ही दोनों कोचुप करा सकता था ओर राघव भी कभी रमन की कोईबात नहीं टालता था, हालाँकि ऐसा भी नहीं था के राघव अपने पिता से प्यार नहीं करता था या उनके लिए उसके मन मैं कोई आदर नहीं था ये सब तो उस एक घटना की वजह से हुआ था जो शास्त्री परिवार मैं घटी थी जिसके बाद राघव का स्वाभाव ही एकदम बदल सा गया था.

अनिरुद्ध शास्त्री एक जाने मने ज्योतिष पंडित थे ओर सदैव ईश्वर की भक्ति मैं लीं रहने वाले इंसान थे वही राघव बिलकुल उल्टा था उसका तो मनो भगवन से छतीस का आकड़ा हो, उसका मानना था के जो दीखता ही नहीं उसपर विश्वास कैसे किया जाये उसके हिसाब से जो दीखता ही नहीं है वो तो है ही नहीं और बस इसी बात पे दोनों बाप बेटे मैं नोक झोक होती रहती थी .

अब ये बात तो किसी को भी अटपटी लगेगी के बाप एक विख्यात पंडित और बेटा शुद्ध नास्तिक और यही बात श्रुति को भी खटकती थी पसर उसने आज तक इस बारे मैं किसी से पूछा नहीं था घर मैं पर आज उसने इस बारे मैं सुमित्रा देवी से बात करने की ठानी

श्रुति- मम्मीजी आपसे एक बात पूछनी है (किचन मैं काम करते हुए श्रुति से सुमित्रा देवी से कहा )


सुमित्रादेवी- हा पूछो न बेटा

श्रुति- ये राघव भैया का स्वाभाव मतलब मेरी शादी को एक साल होते आया है और जितना मैंने देखा है राघव भैया किसी से ज्यादा बात नहीं करते बस अपने मैं खोये रहते है उनसे जितनी बात करो उतना ही जवाब देते है और तो और उन्हें हस्ते हुए तो मैंने कभी देखा ही नहीं है ऐसा क्यों है? और उनके और बाबूजी के बीच की ये रोज की नोकझोक इसकी क्या वजह है?

श्रुति का सवाल सुन सुमित्रादेवी मुस्कुरायी

सुमित्रादेवी- ये सवाल तुमने पहले क्यों नहीं पूछा

श्रुति- पूछना तो चाहती थी मगर पूछ नहीं पायी

सुमित्रादेवी- चलकोई बात नहीं अब पूछ ही लिया है तो तुम्हे सब बाबति हु पहले काम निपटा ले कहानी जरा लम्बी है फिर तुम्हे आराम से बताउंगी

श्रुति- ठीक है

और दोनों सास बहु अपने काम निपटने मैं लग गयी

वही दूसरी और रमन अपने पुलिस स्टेशन पहुंच गया था, उसके ऊपर मिसिंग केसेस सॉल्व करने का दबाव बढ़ता जा रहा था, अभी ३ दिन पहले ही थाने मैं एक चर्च के फादर की गुमशुदगी की रिपोर्ट आयी तह जिसके साथ ही रमन के पास पेंडिंग मिसिंग केसेस की संख्या कुल १४ हो गयी थी जो पिछले दो सालो मैं आये थे जिनमे से एक भी केस के बारे मैं रमन के पास कोई सुराग नहीं था और इन्ही बढ़ते केसेस के चलते रमन के सीनियर ऑफिसर्स भी उससे खफा चल रहे थे और उसपास जल्द से जल्द केसेस सॉल्व करने का दबाव बना रहे थे और अगर इस केस मैं भी कोई सुराग नहीं मिला तो रमन से ससपेंड होने के भी चान्सेस थे, वैसे तो रमन कि शादी को एक साल होते आया था लेकिन इन केसेस के चलते वो श्रुति के साथ भीअचे से समय नहीं बिता पाया था

रमन ने सरे केसेस को एक बार फिर शुरू से स्टडी करने का सोचा क्या पता शुरुवात से देखने पर कोई क्लू ही हाथ लग जाये, इस सब केसेस मैं एक बात जो रमन के धयान मैं आयी थी वो ये थी के इन दो सालो में राजनगर मैं जितने भी लोग गायब हुए है वो सभी किसी न किसी धार्मिक अनुष्ठान से जुड़े हुए थे और इन लोगो का आपस मैं एक दूसरे से कोई ताल्लुक नहीं था, और गायब हुए सभी लोग माध्यम वर्गीय परिवार वाले थे और कुछ ऐसे थे जो अकेले थे जिनका दुनिया मैं कोई नहीं था, किसी भी गायब शक्श के लिए फिरौती का फ़ोन नहीं आया था और रमन का ये मानना था के हो न हो ये गायब हुए लोग अब शायद इस दुनिया मैं नहीं है, उन्हें मार दिया गया है लेकिन ये सोच सोच के उसका दिमाग फटा जा रहा था के ये जो कोई भी इस घटनाओ को अंजाम दे रहा है आखिर वो चाहता क्या है, क्युकी इन सब घटनाओ के पीछे किसी बड़े गिरोह का हाथ था जिसका पता रमन को लगाना था.

इस पुरे घटनाक्रम में एक बात हैरान करने वाली थी के इतनी गुमशुदा लोगो की रिपॉर्ट होने के बाद भी मीडिया शांत बैठा हुआ था कही किसी न्यूज़ चैनल पर या अख़बार मैं कोई भी खबर नहीं छपी थी पर इन घटनाओं का असर शहर में देखा जा सकता था लोग बगैर काम के घर से बहार नहीं निकलते थे और दुकाने भी जल्द ही बंद होने लगी थी लोगो के मन में डर था कि कल को कहिब्व ही गायब न हो जाये इसीलिए लोग ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहते थे

रमन अपने केबिन मैं बैठा इन्ही सब बातो के बारे मैं सोच रहा था और फिर उसने अपने एक साथी को आवाज लगायी

रमन- चन्दन!

चन्दन- जय हिन्द सर ! (अंदर आते हिसालुते करते हुए चन्दन ने कहा)

रमन- उस लापता हुए फादर के बारे मैं कुछ पता चला

चन्दन - नहीं सर, जैसा हाल बाकि केसेस मैं था वैसा ही हाल है, हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है पर कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है, और अब तोये बात शहर मैं भी फैलने लगी है की लोग लापता हो रहे है जिससे शहर मैं भी डर का माहौल बन रहा है

रमन- है वो तो मैं भी देख रहा हु के शहर का माहौल कुछ बदला बदला सा है

चन्दन- सर ये बातसमझ मैं नहीं आ रही के जब शहर का माहौल बदल रहा है तो कोई भी अख़बार या न्यूज़ चैनल ये बात क्यों नहीं दिखा रहा है

रमन- चन्दन जो कोई भी ये अपहरण कर रहा है न वो जरूर कोई बड़ा आदमी है या उसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है पर इस सब के पीछे का उसका मकसद मुझे समझ नहीं आ रहा है आखिर क्या वजह हो सकती है इसके पीछे, खैर और कोई अजीब बात तुम्हारे धयान मैं आयी हो

चन्दन- नहीं सर

रमन- एक काम करो शहर मैं आने जाने वाले टूरिस्ट्स की भी लिस्ट निकालो क्या पता वह से कोई सुराग मिल जाये या हो सकता है के उन टूरिस्ट को भी कोई खतरा हो

चन्दन- ठीक है

रमन ने चन्दन को काम बता कर वहा से भेज दिया और फिर से अपने केस के बारे मैं सोचने लगा वही दूसरी तरफ अनिरुद्ध शास्त्री के घर से थोड़ी दुरी पर पुरे काले कपडे पहने एक शख्स खड़ा था, उसने अपना चेहरा ढका हुआ था और बगैर पलक झपकाए शास्त्रीजी के घर पर अपनी नजरे गड़ाए हुए था......





क्या लगता है कौन है वो शख्स ??? और ऐसी कौनसी घटना हुयी ही जिससे राघव का स्वाभाव ऐसा बन गया? जानने के लिए पढ़ते रहिये कालदूत, अगला भाग जल्द ही.......
 

ashish_1982_in

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भाग ४


घर का सभी पुरुष वर्ग अपने अपने कामो के लिए निकल गया था अनिरुद्ध जी अपने पूजा अनुष्ठान केलिए रमन अपने ठाणे की ओर ओर राघव अपने दोस्त के साथ, अब घर में केवल सुमित्रा देवी ओर उनकी बहु श्रुति बचे थे,

राघव जिस हिसाब से अपने पिता से उखड़े स्वर मैं बात करता था उससे कोई भइये स्पष्ट अन्दाज लगा सकता था के दोनों बाप बेटे की आपस मैं जमती नहीं है, राघव ओर अनिरुद्धजी की नोक झोक घर मैं आम बात थी, केवल एक रमन ही था जिसके बोलने से वो दोनों चुप हो सकते थे रमन ही दोनों कोचुप करा सकता था ओर राघव भी कभी रमन की कोईबात नहीं टालता था, हालाँकि ऐसा भी नहीं था के राघव अपने पिता से प्यार नहीं करता था या उनके लिए उसके मन मैं कोई आदर नहीं था ये सब तो उस एक घटना की वजह से हुआ था जो शास्त्री परिवार मैं घटी थी जिसके बाद राघव का स्वाभाव ही एकदम बदल सा गया था.

अनिरुद्ध शास्त्री एक जाने मने ज्योतिष पंडित थे ओर सदैव ईश्वर की भक्ति मैं लीं रहने वाले इंसान थे वही राघव बिलकुल उल्टा था उसका तो मनो भगवन से छतीस का आकड़ा हो, उसका मानना था के जो दीखता ही नहीं उसपर विश्वास कैसे किया जाये उसके हिसाब से जो दीखता ही नहीं है वो तो है ही नहीं और बस इसी बात पे दोनों बाप बेटे मैं नोक झोक होती रहती थी .

अब ये बात तो किसी को भी अटपटी लगेगी के बाप एक विख्यात पंडित और बेटा शुद्ध नास्तिक और यही बात श्रुति को भी खटकती थी पसर उसने आज तक इस बारे मैं किसी से पूछा नहीं था घर मैं पर आज उसने इस बारे मैं सुमित्रा देवी से बात करने की ठानी

श्रुति- मम्मीजी आपसे एक बात पूछनी है (किचन मैं काम करते हुए श्रुति से सुमित्रा देवी से कहा )


सुमित्रादेवी- हा पूछो न बेटा

श्रुति- ये राघव भैया का स्वाभाव मतलब मेरी शादी को एक साल होते आया है और जितना मैंने देखा है राघव भैया किसी से ज्यादा बात नहीं करते बस अपने मैं खोये रहते है उनसे जितनी बात करो उतना ही जवाब देते है और तो और उन्हें हस्ते हुए तो मैंने कभी देखा ही नहीं है ऐसा क्यों है? और उनके और बाबूजी के बीच की ये रोज की नोकझोक इसकी क्या वजह है?

श्रुति का सवाल सुन सुमित्रादेवी मुस्कुरायी

सुमित्रादेवी- ये सवाल तुमने पहले क्यों नहीं पूछा

श्रुति- पूछना तो चाहती थी मगर पूछ नहीं पायी

सुमित्रादेवी- चलकोई बात नहीं अब पूछ ही लिया है तो तुम्हे सब बाबति हु पहले काम निपटा ले कहानी जरा लम्बी है फिर तुम्हे आराम से बताउंगी

श्रुति- ठीक है

और दोनों सास बहु अपने काम निपटने मैं लग गयी

वही दूसरी और रमन अपने पुलिस स्टेशन पहुंच गया था, उसके ऊपर मिसिंग केसेस सॉल्व करने का दबाव बढ़ता जा रहा था, अभी ३ दिन पहले ही थाने मैं एक चर्च के फादर की गुमशुदगी की रिपोर्ट आयी तह जिसके साथ ही रमन के पास पेंडिंग मिसिंग केसेस की संख्या कुल १४ हो गयी थी जो पिछले दो सालो मैं आये थे जिनमे से एक भी केस के बारे मैं रमन के पास कोई सुराग नहीं था और इन्ही बढ़ते केसेस के चलते रमन के सीनियर ऑफिसर्स भी उससे खफा चल रहे थे और उसपास जल्द से जल्द केसेस सॉल्व करने का दबाव बना रहे थे और अगर इस केस मैं भी कोई सुराग नहीं मिला तो रमन से ससपेंड होने के भी चान्सेस थे, वैसे तो रमन कि शादी को एक साल होते आया था लेकिन इन केसेस के चलते वो श्रुति के साथ भीअचे से समय नहीं बिता पाया था

रमन ने सरे केसेस को एक बार फिर शुरू से स्टडी करने का सोचा क्या पता शुरुवात से देखने पर कोई क्लू ही हाथ लग जाये, इस सब केसेस मैं एक बात जो रमन के धयान मैं आयी थी वो ये थी के इन दो सालो में राजनगर मैं जितने भी लोग गायब हुए है वो सभी किसी न किसी धार्मिक अनुष्ठान से जुड़े हुए थे और इन लोगो का आपस मैं एक दूसरे से कोई ताल्लुक नहीं था, और गायब हुए सभी लोग माध्यम वर्गीय परिवार वाले थे और कुछ ऐसे थे जो अकेले थे जिनका दुनिया मैं कोई नहीं था, किसी भी गायब शक्श के लिए फिरौती का फ़ोन नहीं आया था और रमन का ये मानना था के हो न हो ये गायब हुए लोग अब शायद इस दुनिया मैं नहीं है, उन्हें मार दिया गया है लेकिन ये सोच सोच के उसका दिमाग फटा जा रहा था के ये जो कोई भी इस घटनाओ को अंजाम दे रहा है आखिर वो चाहता क्या है, क्युकी इन सब घटनाओ के पीछे किसी बड़े गिरोह का हाथ था जिसका पता रमन को लगाना था.

इस पुरे घटनाक्रम में एक बात हैरान करने वाली थी के इतनी गुमशुदा लोगो की रिपॉर्ट होने के बाद भी मीडिया शांत बैठा हुआ था कही किसी न्यूज़ चैनल पर या अख़बार मैं कोई भी खबर नहीं छपी थी पर इन घटनाओं का असर शहर में देखा जा सकता था लोग बगैर काम के घर से बहार नहीं निकलते थे और दुकाने भी जल्द ही बंद होने लगी थी लोगो के मन में डर था कि कल को कहिब्व ही गायब न हो जाये इसीलिए लोग ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहते थे

रमन अपने केबिन मैं बैठा इन्ही सब बातो के बारे मैं सोच रहा था और फिर उसने अपने एक साथी को आवाज लगायी

रमन- चन्दन!

चन्दन- जय हिन्द सर ! (अंदर आते हिसालुते करते हुए चन्दन ने कहा)

रमन- उस लापता हुए फादर के बारे मैं कुछ पता चला

चन्दन - नहीं सर, जैसा हाल बाकि केसेस मैं था वैसा ही हाल है, हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है पर कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है, और अब तोये बात शहर मैं भी फैलने लगी है की लोग लापता हो रहे है जिससे शहर मैं भी डर का माहौल बन रहा है

रमन- है वो तो मैं भी देख रहा हु के शहर का माहौल कुछ बदला बदला सा है

चन्दन- सर ये बातसमझ मैं नहीं आ रही के जब शहर का माहौल बदल रहा है तो कोई भी अख़बार या न्यूज़ चैनल ये बात क्यों नहीं दिखा रहा है

रमन- चन्दन जो कोई भी ये अपहरण कर रहा है न वो जरूर कोई बड़ा आदमी है या उसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है पर इस सब के पीछे का उसका मकसद मुझे समझ नहीं आ रहा है आखिर क्या वजह हो सकती है इसके पीछे, खैर और कोई अजीब बात तुम्हारे धयान मैं आयी हो

चन्दन- नहीं सर

रमन- एक काम करो शहर मैं आने जाने वाले टूरिस्ट्स की भी लिस्ट निकालो क्या पता वह से कोई सुराग मिल जाये या हो सकता है के उन टूरिस्ट को भी कोई खतरा हो

चन्दन- ठीक है

रमन ने चन्दन को काम बता कर वहा से भेज दिया और फिर से अपने केस के बारे मैं सोचने लगा वही दूसरी तरफ अनिरुद्ध शास्त्री के घर से थोड़ी दुरी पर पुरे काले कपडे पहने एक शख्स खड़ा था, उसने अपना चेहरा ढका हुआ था और बगैर पलक झपकाए शास्त्रीजी के घर पर अपनी नजरे गड़ाए हुए था......






क्या लगता है कौन है वो शख्स ??? और ऐसी कौनसी घटना हुयी ही जिससे राघव का स्वाभाव ऐसा बन गया? जानने के लिए पढ़ते रहिये कालदूत, अगला भाग जल्द ही.......
very nice update bhai
 

mashish

BHARAT
8,032
25,905
203
भाग ४


घर का सभी पुरुष वर्ग अपने अपने कामो के लिए निकल गया था अनिरुद्ध जी अपने पूजा अनुष्ठान केलिए रमन अपने ठाणे की ओर ओर राघव अपने दोस्त के साथ, अब घर में केवल सुमित्रा देवी ओर उनकी बहु श्रुति बचे थे,

राघव जिस हिसाब से अपने पिता से उखड़े स्वर मैं बात करता था उससे कोई भइये स्पष्ट अन्दाज लगा सकता था के दोनों बाप बेटे की आपस मैं जमती नहीं है, राघव ओर अनिरुद्धजी की नोक झोक घर मैं आम बात थी, केवल एक रमन ही था जिसके बोलने से वो दोनों चुप हो सकते थे रमन ही दोनों कोचुप करा सकता था ओर राघव भी कभी रमन की कोईबात नहीं टालता था, हालाँकि ऐसा भी नहीं था के राघव अपने पिता से प्यार नहीं करता था या उनके लिए उसके मन मैं कोई आदर नहीं था ये सब तो उस एक घटना की वजह से हुआ था जो शास्त्री परिवार मैं घटी थी जिसके बाद राघव का स्वाभाव ही एकदम बदल सा गया था.

अनिरुद्ध शास्त्री एक जाने मने ज्योतिष पंडित थे ओर सदैव ईश्वर की भक्ति मैं लीं रहने वाले इंसान थे वही राघव बिलकुल उल्टा था उसका तो मनो भगवन से छतीस का आकड़ा हो, उसका मानना था के जो दीखता ही नहीं उसपर विश्वास कैसे किया जाये उसके हिसाब से जो दीखता ही नहीं है वो तो है ही नहीं और बस इसी बात पे दोनों बाप बेटे मैं नोक झोक होती रहती थी .

अब ये बात तो किसी को भी अटपटी लगेगी के बाप एक विख्यात पंडित और बेटा शुद्ध नास्तिक और यही बात श्रुति को भी खटकती थी पसर उसने आज तक इस बारे मैं किसी से पूछा नहीं था घर मैं पर आज उसने इस बारे मैं सुमित्रा देवी से बात करने की ठानी

श्रुति- मम्मीजी आपसे एक बात पूछनी है (किचन मैं काम करते हुए श्रुति से सुमित्रा देवी से कहा )


सुमित्रादेवी- हा पूछो न बेटा

श्रुति- ये राघव भैया का स्वाभाव मतलब मेरी शादी को एक साल होते आया है और जितना मैंने देखा है राघव भैया किसी से ज्यादा बात नहीं करते बस अपने मैं खोये रहते है उनसे जितनी बात करो उतना ही जवाब देते है और तो और उन्हें हस्ते हुए तो मैंने कभी देखा ही नहीं है ऐसा क्यों है? और उनके और बाबूजी के बीच की ये रोज की नोकझोक इसकी क्या वजह है?

श्रुति का सवाल सुन सुमित्रादेवी मुस्कुरायी

सुमित्रादेवी- ये सवाल तुमने पहले क्यों नहीं पूछा

श्रुति- पूछना तो चाहती थी मगर पूछ नहीं पायी

सुमित्रादेवी- चलकोई बात नहीं अब पूछ ही लिया है तो तुम्हे सब बाबति हु पहले काम निपटा ले कहानी जरा लम्बी है फिर तुम्हे आराम से बताउंगी

श्रुति- ठीक है

और दोनों सास बहु अपने काम निपटने मैं लग गयी

वही दूसरी और रमन अपने पुलिस स्टेशन पहुंच गया था, उसके ऊपर मिसिंग केसेस सॉल्व करने का दबाव बढ़ता जा रहा था, अभी ३ दिन पहले ही थाने मैं एक चर्च के फादर की गुमशुदगी की रिपोर्ट आयी तह जिसके साथ ही रमन के पास पेंडिंग मिसिंग केसेस की संख्या कुल १४ हो गयी थी जो पिछले दो सालो मैं आये थे जिनमे से एक भी केस के बारे मैं रमन के पास कोई सुराग नहीं था और इन्ही बढ़ते केसेस के चलते रमन के सीनियर ऑफिसर्स भी उससे खफा चल रहे थे और उसपास जल्द से जल्द केसेस सॉल्व करने का दबाव बना रहे थे और अगर इस केस मैं भी कोई सुराग नहीं मिला तो रमन से ससपेंड होने के भी चान्सेस थे, वैसे तो रमन कि शादी को एक साल होते आया था लेकिन इन केसेस के चलते वो श्रुति के साथ भीअचे से समय नहीं बिता पाया था

रमन ने सरे केसेस को एक बार फिर शुरू से स्टडी करने का सोचा क्या पता शुरुवात से देखने पर कोई क्लू ही हाथ लग जाये, इस सब केसेस मैं एक बात जो रमन के धयान मैं आयी थी वो ये थी के इन दो सालो में राजनगर मैं जितने भी लोग गायब हुए है वो सभी किसी न किसी धार्मिक अनुष्ठान से जुड़े हुए थे और इन लोगो का आपस मैं एक दूसरे से कोई ताल्लुक नहीं था, और गायब हुए सभी लोग माध्यम वर्गीय परिवार वाले थे और कुछ ऐसे थे जो अकेले थे जिनका दुनिया मैं कोई नहीं था, किसी भी गायब शक्श के लिए फिरौती का फ़ोन नहीं आया था और रमन का ये मानना था के हो न हो ये गायब हुए लोग अब शायद इस दुनिया मैं नहीं है, उन्हें मार दिया गया है लेकिन ये सोच सोच के उसका दिमाग फटा जा रहा था के ये जो कोई भी इस घटनाओ को अंजाम दे रहा है आखिर वो चाहता क्या है, क्युकी इन सब घटनाओ के पीछे किसी बड़े गिरोह का हाथ था जिसका पता रमन को लगाना था.

इस पुरे घटनाक्रम में एक बात हैरान करने वाली थी के इतनी गुमशुदा लोगो की रिपॉर्ट होने के बाद भी मीडिया शांत बैठा हुआ था कही किसी न्यूज़ चैनल पर या अख़बार मैं कोई भी खबर नहीं छपी थी पर इन घटनाओं का असर शहर में देखा जा सकता था लोग बगैर काम के घर से बहार नहीं निकलते थे और दुकाने भी जल्द ही बंद होने लगी थी लोगो के मन में डर था कि कल को कहिब्व ही गायब न हो जाये इसीलिए लोग ज्यादा से ज्यादा समय अपने परिवार के साथ बिताना चाहते थे

रमन अपने केबिन मैं बैठा इन्ही सब बातो के बारे मैं सोच रहा था और फिर उसने अपने एक साथी को आवाज लगायी

रमन- चन्दन!

चन्दन- जय हिन्द सर ! (अंदर आते हिसालुते करते हुए चन्दन ने कहा)

रमन- उस लापता हुए फादर के बारे मैं कुछ पता चला

चन्दन - नहीं सर, जैसा हाल बाकि केसेस मैं था वैसा ही हाल है, हम अपनी तरफ से पूरी कोशिश कर रहे है पर कोई सुराग नहीं मिल पा रहा है, और अब तोये बात शहर मैं भी फैलने लगी है की लोग लापता हो रहे है जिससे शहर मैं भी डर का माहौल बन रहा है

रमन- है वो तो मैं भी देख रहा हु के शहर का माहौल कुछ बदला बदला सा है

चन्दन- सर ये बातसमझ मैं नहीं आ रही के जब शहर का माहौल बदल रहा है तो कोई भी अख़बार या न्यूज़ चैनल ये बात क्यों नहीं दिखा रहा है

रमन- चन्दन जो कोई भी ये अपहरण कर रहा है न वो जरूर कोई बड़ा आदमी है या उसकी पहुंच बहुत ऊपर तक है पर इस सब के पीछे का उसका मकसद मुझे समझ नहीं आ रहा है आखिर क्या वजह हो सकती है इसके पीछे, खैर और कोई अजीब बात तुम्हारे धयान मैं आयी हो

चन्दन- नहीं सर

रमन- एक काम करो शहर मैं आने जाने वाले टूरिस्ट्स की भी लिस्ट निकालो क्या पता वह से कोई सुराग मिल जाये या हो सकता है के उन टूरिस्ट को भी कोई खतरा हो

चन्दन- ठीक है

रमन ने चन्दन को काम बता कर वहा से भेज दिया और फिर से अपने केस के बारे मैं सोचने लगा वही दूसरी तरफ अनिरुद्ध शास्त्री के घर से थोड़ी दुरी पर पुरे काले कपडे पहने एक शख्स खड़ा था, उसने अपना चेहरा ढका हुआ था और बगैर पलक झपकाए शास्त्रीजी के घर पर अपनी नजरे गड़ाए हुए था......






क्या लगता है कौन है वो शख्स ??? और ऐसी कौनसी घटना हुयी ही जिससे राघव का स्वाभाव ऐसा बन गया? जानने के लिए पढ़ते रहिये कालदूत, अगला भाग जल्द ही.......
awesome update
 
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