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Fantasy कालदूत(पूर्ण)

Adirshi

Royal कारभार 👑
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भाग ३

वर्तमान समय
छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई

अभी अभी एयरपोर्ट के डोमेस्टिक टर्मिनल पर दिल्ली से आयी हुयी फ्लाइट लैंड हुयी थी जिसमे रोहित दिल्ली से मुंबई आया था, रोहित अपने सबसे खास दो दोस्तों से पुरे चार साल बाद मिलने वाला था जिसके लिए वो काफी खुश था. ये लोग मुंबई से २०० कम दूर बने राजनगर(काल्पनिक) जाने वाले थे जो की एक हिल स्टेशन था और यहाँ पर काफी ख्याति प्राप्त बोर्डिंग स्कूल भी थे, रोहित ने भी अपनी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन यही से कम्पलीट की थी इस लिए उसे इस जगह से काफी लगाव था और अब वो वापिस राजनगर जा रहा था अपने सबसे खास दोस्तों से साथ जो उसे के साथ पढ़े थे फिर से अपनी उन्ही यादो को ताजा करने...

रोहित जैसे ही डोमेस्टिक एयरपोर्ट टर्मिनल से बहार आया उसकी नजर अपने दोस्त संतोष पर पड़ी जो उसे वह रइवे करने आया था, और यहाँ से वो दोनों साथ मैं राजनगर के लिए निकलने वाले थे जहा अगले दिन शाम मैं उनका दोस्त विक्रम भी उनके पास पहुंचने वाला था

संतोष के पास पहुंच कर रोहित ने उसे गले लगा लिया, अपने दोस्त से काफी समय बाद मलने की बात ही कुछ और होती है

संतोष- साले इतना कस के गले लगाएगा तो लोग गलत समझेंगे अपने बारे मैं दूर हैट लवडे

रोहित- तुमको तो BC दोस्तों से मिलना भी नहीं आता हट !! चल सामान उठा अब

संतोष- कुली नहीं हु bsdk एक ही तो बैग है खुद उठा ले

रोहित- मैं खुद को संभाल रहा हु काफी नहीं है

संतोष- है और मेरे बाप ने तो कुली पैदा किया है न मुझे

रोहित- भाई संतो चार साल बाद मिलके भी लड़ाई करनी है क्या चल न यार भूख भी लगी है

संतोष- है भाई चल पहले मस्त तेरा मटका भरेंगे और फिर राज नगर के लिए निकलेंगे

रोहित- अरे गज़ब चलो तो फिर देर किस बात की

बात करते हुए कार तक पहुंच गए डिक्की में रोहित का सामान रख कर संतोष ने क्यार५ एक बढ़िया से रेस्टोरेंट की और बढ़ा दी....
कुछ ही देर मैं वो रेस्टॉरेंट के सामने थे

रोहित- तेरी बात हुयी विक्रम से कब तक पहुंचने वाला है वो

रोहित ने कहते टाइम संतोष से पूछा

संतोष- आज बात नहीं हुयी है वैसे भी अभी तो वो फ्लाइट मैं होगा उसकी कंपनी का मुंबई मैं कुछ काम है वो करके कल हमसे मिलेगा

रोहित- चलो अच्छा है वैसे मैं भी सोच के आया हु उसे सब बता के माफी मांग लूंगा

संतोष- किस बारे मैं कह रहा है तू...

संतोष ने सवालिया नजरो से रोहित को देखा

रोहित- तू जानता है संतो मैं नंदिनी और अपनी बात कर रहा हु विक्रम की शादी से पहले हम दोनों के बीच जो भी था....नहीं यार

संतोष- भाई वो सब पहले की बात है अब उस बारे मैं सोचने का कोई मतलब नहीं है नंदिनी और विक्रम खुश है अपनी जिंदगी मैं क्यों इस बारे मैं विक्रम को बताना चाहता है वैसे भी अब ऐसा कुछ नहीं हैतेरे और नंदिनी के बीच

रोहित- नहीं भाई, मेरे मन पे बोझ है यार अपने दोस्त को धोका देने का मैं उसे सब बता के माफ़ी मांगना चाहता हु फिर चाहे वो जो भी करे

संतोष- ठीक है जैसा तुझे सही लगे पर मैं इतना ही कहूंगा के एक बार और सोच लियो कही तेरा डिसिशन नंदिनी और विक्रम की जिंदगी ख़राब न करे.....अब चले

रोहित- है चलो चलते है

फिर अपना खाना ख़तम करके रोहित और संतोष अपनी मंजिल की तरफ रवाना हो गए ......

उसी सुबह ७ बजे
राजनगर

'राधे कृष्णा की ज्योत अलौकिक तीनो लोक मैं छाए रही है' ये भजन गाते हुए सुमित्रा देवी तुसली के पौधे को जल चढ़ा रही थी जो उनके घर के आँगन के बीचो बीच था घर की बनावट आलिया भट के घर के जैसी थी जो २ स्टेट्स मूवी मैं दिखाया गया था जिन्होंने को फिल्म देखि है वो समझ जायेंगे बाकि गूगल कर लेना तो सुमित्रा देवी के सुमधुर भजन की वजह से पुरे घर का वातावरण प्रफुल्लित हो रहा था तभी उस कर्णप्रिय आवाज के बीच एक दूसरी आवाज गुंजी

'ॐ भग भुगे भगनी भोगोदरी भगमासे ॐ फट स्वाहा......!!!
ॐ भग भुगे भगनी भोगोदरी भगमासे ॐ फट स्वाहा......!!! '

ये आवाज सुनके सुमित्रा देवी ने अपना भजन रोक दिया और उस आवाज की तरफ देखने लगी तो उनकी नजर वह पड़े एक खाट पे पड़ी जिसपर उनका छोटा बेटा राघव सोया हुआ था वैसे तो इसका और इसके बड़े भाई का एक कमरा था पर एक साल पहले भाई की शादी होने के बाद ये कमरे से बहार हो गए थे और ये आवाज़ उसके फ़ोन से आ रही थी...ये ॐ फट स्वाहा फ़ोन की रिंगटोन थी

फ़ोन की रिंगटोन की आवाज से राघव की आँख खुली और उसने फ़ोन उठाया
राघव-हेलो

"नींद से उठ जाओ महाराज यूनिवर्सिटी चलने का है "

राघव- सूरज तू नहीं होता तो मेरा क्या होता

फ़ोन राघव के दोस्त का था

सूरज- BC जल्दी आ गाड़ी का टायर पंक्चर है मेरे इसीलिए फ़ोन किया तुझे

राघव- रख फ़ोन आ रहा हु

राघव, उम्र २३ साल, अनिरुद्ध शास्त्री के छोटे बेटे बाप पेशे से पंडित है और बेटा पूरा नास्तिक, इनका मानना है के जो आँखों से दीखता ही नहीं है उसपे कोई विश्वास कैसे करे इसके हिसाब से भगवन केवल एक काल्पनिक किरदार है जिसे पुराने लोगो ने आम जानता को आदर्श जीवन सिखाने के लिए बनाया है और कुछ नहीं..... इसी वजह से इनकी पिता से थोड़ी काम बनती है

रिंगटोन से अब राघव की नींद खुल चुकी थी और कुछ समय बाद वो मस्त तैयार होक नाश्ते की टेबल पर आके बैठा जहा उसका भाई भी बैठा था

अनिरुद्ध- ये कैसी रिंगटोन लगा राखी है तुमने सुबह सुबह दिमाग भ्रष्ट कर दिया कोई अछि सी धुन नहीं रख सकते थे

राघव जैसे ही टेबल पर बैठने लगा उसके पिता अनिरुद्ध ने कहा

राघव- अब आपको इससे भी दिक्कत है

"राघव ये क्या तरीका हुआ बाबूजी से बात करने का " ये बोला राघव का बड़ा भाई रमन अपने ही शहर के पुलिस स्टेशन मैं सब इंस्पेक्टर है, वैसे इनको पूरा ईमानदार पुलिस वाला तो नहीं बोलूंगा बस दबंग के सलमान के जैसे है पैसा भी लेते है और काम भी पूरा करते है इसीलिए जल्द ही इनके प्रमोशन के आसार है पर फिलहाल एक केस मैं फसे हुए है

तो रमन के बोलने पे अनिरुद्ध और राघव चुप हो गए और चुप चाप नाश्ता करने लगे

रमन-तो राघव कुछ काम करना है या कोई और प्लानिंग है

राघव- फिलहाल कुछ सोचा नहीं है भैया अभी यूनिवर्सिटी जा रहा हु शाम को मिलता हु

और राघव उठ के चला है

रमन-ये क्या करता है कुछ समझ नहीं आता बाबूजी आप इससे काम ही बोला करिये अभी भी आपके बोलने पे वो कुछ बोलने वाला था पर मेरे बोलने पे रुक गया

अनिरुद्ध- मैंने तो उससे सारी उमीदे छोड़ दी है खैर मैं चलता हु एक यजमान के यहाँ पूजा करने जाना है

रमन- है मैं भी निकलता हु थाने के लिए इस मिसिंग केस ने परेशान किया हुआ है बाबूजी आप संभाल कर जाना जो लोग पूजा पाठ मैं ज्यादा है वही आजकल गायब हो रहे है

अनिरुद्ध- हम्म.....


और रमन भी अपनी बीवी और माँ से मिलके निकल गया....
 
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DARK WOLFKING

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nice update .to ye 3 dost hai rohit ,santosh aur vikrant ( vikram hai ya vikrant ??) ..
teeno rajnagar jaa rahe hai apni kuch purani yaade taaza karne jaha par log goom ho rahe hai 🤔..
waise sumitra devi ka bhajan gaana aur tabhi raghav ki ringtone bajna majedar tha 🤣🤣.

lagta hai kuch purani baate yaad karenge teeno dost aur rohit sach batane ki soch raha hai vikrant ko ki uska affair tha nandini ke saath ..

dekhte hai raman kuch pata laga paata hai yaa nahi gumshuda logo ka ...
 

ashish_1982_in

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भाग ३

वर्तमान समय
छत्रपति शिवाजी इंटरनेशनल एयरपोर्ट, मुंबई

अभी अभी एयरपोर्ट के डोमेस्टिक टर्मिनल पर देहली से आयी हुयी फ्लाइट लैंड हुयी थी जिसमे रोहित दिल्ली से मुंबई आया था, रोहित अपने सबसे खास दो दोस्तों से पुरे चार साल बाद मिलने वाला था जिसके लिए वो काफी खुश था. ये लोग मुंबई से २०० कम दूर बने राजनगर(काल्पनिक) जाने वाले थे जो की एक हिल स्टेशन था और यहाँ पर काफी ख्याति प्राप्त बोर्डिंग स्कूल भी थे, रोहित ने भी अपनी स्कूलिंग और ग्रेजुएशन यही से कम्पलीट की थी इस लिए उसे इस जगह से काफी लगाव था और अब वो वापिस राजनगर जा रहा था अपने सबसे खास दोस्तों से साथ जो उसे के साथ पढ़े थे फिर से अपनी उन्ही यादो को ताजा करने...

रोहित वैसे ही डोमेस्टिक एयरपोर्ट टर्मिनल से बहार आया उसकी नजर अपने दोस्त संतोष पर पड़ी जो उसे वह रइवे करने आया था, और यहाँ से वो दोनों साथ मैं राजनगर के लिए निकलने वाले थे जहा अगले दिन शाम मैं उनका दोस्त विक्रांत भी उनके पास पहुंचने वाला था

संतोष के पास पहुंच कर रोहित ने उसे गले लगा लिया, अपने दोस्त से काफी समय बाद मलने की बात ही कुछ और होती है

संतोष- साले इतना कस के गले लगाएगा तो लोग गलत समझेंगे अपने बारे मैं दूर हैट लवडे

रोहित- तुमको तो BC दोस्तों से मिलना भी नहीं आता हट !! चल सामान उठा अब

संतोष- कुली नहीं हु bsdk एक ही तो बैग है खुद उठा ले

रोहित- मैं खुद को संभाल रहा हु काफी नहीं है

संतोष- है और मेरे बाप ने तो कुली पैदा किया है न मुझे

रोहित- भाई संतो चार साल बाद मिलके भी लड़ाई करनी है क्या चल न यार भूख भी लगी है

संतोष- है भाई चल पहले मस्त तेरा मटका भरेंगे और फिर राज नगर के लिए निकलेंगे

रोहित- अरे गज़ब चलो तो फिर देर किस बात की

बात करते हुए कार तक पहुंच गए डिक्की में रोहित का सामान रख कर संतोष ने क्यार५ एक बढ़िया से रेस्टोरेंट की और बढ़ा दी....
कुछ ही देर मैं वो रेस्टॉरेंट के सामने थे

रोहित- तेरी बात हुयी विक्रम से कब तक पहुंचने वाला है वो

रोहित ने कहते टाइम संतोष से पूछा

संतोष- आज बात नहीं हुयी है वैसे भी अभी तो वो फ्लाइट मैं होगा उसकी कंपनी का मुंबई मैं कुछ काम है वो करके कल हमसे मिलेगा

रोहित- चलो अच्छा है वैसे मैं भी सोच के आया हु उसे सब बता के माफी मांग लूंगा

संतोष- किस बारे मैं कह रहा है तू...

संतोष ने सवालिया नजरो से रोहित को देखा

रोहित- तू जानता है संतो मैं नंदिनी और अपनी बात कर रहा हु विक्रम की शादी से पहले हम दोनों के बीच जो भी था....नहीं यार

संतोष- भाई वो सब पहले की बात है अब उस बारे मैं सोचने का कोई मतलब नहीं है नंदिनी और विक्रम खुश है अपनी जिंदगी मैं क्यों इस बारे मैं विक्रम को बताना चाहता है वैसे भी अब ऐसा कुछ नहीं हैतेरे और नंदिनी के बीच

रोहित- नहीं भाई, मेरे मन पे बोझ है यार अपने दोस्त को धोका देने का मैं उसे सब बता के माफ़ी मांगना चाहता हु फिर चाहे वो जो भी करे

संतोष- ठीक है जैसा तुझे सही लगे पर मैं इतना ही कहूंगा के एक बार और सोच लियो कही तेरा डिसिशन नंदिनी और विक्रम की जिंदगी ख़राब न करे.....अब चले

रोहित- है चलो चलते है

फिर अपना खाना ख़तम करके रोहित और संतोष अपनी मंजिल की तरफ रवाना हो गए ......

उसी सुबह ७ बजे
राजनगर

'राधे कृष्णा की ज्योत अलौकिक तीनो लोक मैं छाए रही है' ये भजन गाते हुए सुमित्रा देवी तुसली के पौधे को जल चढ़ा रही थी जो उनके घर के आँगन के बीचो बीच था घर की बनावट आलिया भट के घर के जैसी थी जो २ स्टेट्स मूवी मैं दिखाया गया था जिन्होंने को फिल्म देखि है वो समझ जायेंगे बाकि गूगल कर लेना तो सुमित्रा देवी के सुमधुर भजन की वजह से पुरे घर का वातावरण प्रफुल्लित हो रहा था तभी उस कर्णप्रिय आवाज के बीच एक दूसरी आवाज गुंजी

'ॐ भग भुगे भगनी भोगोदरी भगमासे ॐ फट स्वाहा......!!!
ॐ भग भुगे भगनी भोगोदरी भगमासे ॐ फट स्वाहा......!!! '

ये आवाज सुनके सुमित्रा देवी ने अपना भजन रोक दिया और उस आवाज की तरफ देखने लगी तो उनकी नजर वह पड़े एक खाट पे पड़ी जिसपर उनका छोटा बेटा राघव सोया हुआ था वैसे तो इसका और इसके बड़े भाई का एक कमरा था पर एक साल पहले भाई की शादी होने के बाद ये कमरे से बहार हो गए थे और ये आवाज़ उसके फ़ोन से आ रही थी...ये ॐ फट स्वाहा फ़ोन की रिंगटोन थी

फ़ोन की रिंगटोन की आवाज से राघव की आँख खुली और उसने फ़ोन उठाया
राघव-हेलो

"नींद से उठ जाओ महाराज यूनिवर्सिटी चलने का है "

राघव- सूरज तू नहीं होता तो मेरा क्या होता

फ़ोन राघव के दोस्त का था

सूरज- BC जल्दी आ गाड़ी का टायर पंक्चर है मेरे इसीलिए फ़ोन किया तुझे

राघव- रख फ़ोन आ रहा हु

राघव, उम्र २३ साल, अनिरुद्ध शास्त्री के छोटे बेटे बाप पेशे से पंडित है और बेटा पूरा नास्तिक, इनका मानना है के जो आँखों से दीखता ही नहीं है उसपे कोई विश्वास कैसे करे इसके हिसाब से भगवन केवल एक काल्पनिक किरदार है जिसे पुराने लोगो ने आम जानता को आदर्श जीवन सिखाने के लिए बनाया है और कुछ नहीं..... इसी वजह से इनकी पिता से थोड़ी काम बनती है

रिंगटोन से अब राघव की नींद खुल चुकी थी और कुछ समय बाद वो मस्त तैयार होक नाश्ते की टेबल पर आके बैठा जहा उसका भाई भी बैठा था

अनिरुद्ध- ये कैसी रिंगटोन लगा राखी है तुमने सुबह सुबह दिमाग भ्रष्ट कर दिया कोई अछि सी धुन नहीं रख सकते थे

राघव जैसे ही टेबल पर बैठने लगा उसके पिता अनिरुद्ध ने कहा

राघव- अब आपको इससे भी दिक्कत है

"राघव ये क्या तरीका हुआ बाबूजी से बात करने का " ये बोला राघव का बड़ा भाई रमन अपने ही शहर के पुलिस स्टेशन मैं सब इंस्पेक्टर है, वैसे इनको पूरा ईमानदार पुलिस वाला तो नहीं बोलूंगा बस दबंग के सलमान के जैसे है पैसा भी लेते है और काम भी पूरा करते है इसीलिए जल्द ही इनके प्रमोशन के आसार है पर फिलहाल एक केस मैं फसे हुए है

तो रमन के बोलने पे अनिरुद्ध और राघव चुप हो गए और चुप चाप नाश्ता करने लगे

रमन-तो राघव कुछ काम करना है या कोई और प्लानिंग है

राघव- फिलहाल कुछ सोचा नहीं है भैया अभी यूनिवर्सिटी जा रहा हु शाम को मिलता हु

और राघव उठ के चला है

रमन-ये क्या करता है कुछ समझ नहीं आता बाबूजी आप इससे काम ही बोला करिये अभी भी आपके बोलने पे वो कुछ बोलने वाला था पर मेरे बोलने पे रुक गया

अनिरुद्ध- मैंने तो उससे सारी उमीदे छोड़ दी है खैर मैं चलता हु एक यजमान के यहाँ पूजा करने जाना है

रमन- है मैं भी निकलता हु थाने के लिए इस मिसिंग केस ने परेशान किया हुआ है बाबूजी आप संभाल कर जाना जो लोग पूजा पाठ मैं ज्यादा है वही आजकल गायब हो रहे है

अनिरुद्ध- हम्म.....


और रमन भी अपनी बीवी और माँ से मिलके निकल गया....
nice update bhai waiting for next update
 

Rohit1988

Well-Known Member
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इस कहानी के पात्र एवं सभी घटनाये काल्पनिक है और लेखक के दिमाग की उपज है और इसे केवल पाठको के मनोरंजन के लिए लिखा गया है


Bhai mujhe long stories pasand hai jo 200 update se uper ho or word me bhi bari ho
But fantasy ho horror ho
Kya apki story long or update bare or regular hai
 

Moon Light

Prime
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289
भाग 3

नए नए किरदारों की शुरुआत हो रही
चलो अच्छा है जल्द से जल्द सबसे परिचय हो जाये

रोहित सन्तोष विक्रम तीन पुराने मित्र जो एक दूसरे से मिलेंगे राजनगर में,

दूसरी तरफ राघव रमन और अनिरुद्ध का सीन
अभी इस पर कुछ नही लिखना
इस अपडेट में बस इंट्रो ही था

नए अपडेट का इंतजार :waiting:
 

DARK WOLFKING

Supreme
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भाग 3

नए नए किरदारों की शुरुआत हो रही
चलो अच्छा है जल्द से जल्द सबसे परिचय हो जाये

रोहित सन्तोष विक्रम तीन पुराने मित्र जो एक दूसरे से मिलेंगे राजनगर में,

दूसरी तरफ राघव रमन और अनिरुद्ध का सीन
अभी इस पर कुछ नही लिखना
इस अपडेट में बस इंट्रो ही था


नए अपडेट का इंतजार :waiting:
par vikrant hai yaa vikram ye baat clear karni chahiye ...agar kuch gadbad hai to naam change karna chahiye ....waise vikram sahi lagta hai ..
 
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