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Adultery कामुक काजल -जासूसी और मजा

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Chutiyadr

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अध्याय 23

बम्बादा के जिस्म की गर्मी और उसके हाथो का मेरे लिंग पर चलना मुझे बेकाबू कर रहा था ,अपनी शादी के बाद ये पहली बार था जब कोई पर स्त्री मुझे इतना उत्तेजित कर रही थी , मैंने उसे अपने से दूर किया ..

“ये आप क्या कर रही हो “

वो मेरे आँखों में घूरने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आंखे नशे में चूर है , अब ये नशा वासना का था या किसी और चीज का मुझे नहीं पता लेकिन उसके मादक रूप में उसके आँखों का नशा और भी मादक हो रहा था , बम्बादा फिर से मेरे करीब आने लगी , इस बार लगा की मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा, मुझे उसके जिस्म का रस पीने की व्याकुलता ने घेर लिया था , हम करीब थे बिलकुल ही करीब मेरे होठ उसके होठो से मिलने ही वाले थे की ..

सर्रर्रर ..

मेरे साथ साथ बम्बादा भी चौक गई , मेरे और उसके होठो के बीच से कुछ बड़ी तेजी से निकला था , हम डर अलग हुए तो पाया की वो एक तीर था जो हमारे होठो के बीच की दुरी से गुजरता हुआ पास के पेड़ में जा लगा था ..

दोनों ही चौककर उस ओर देखे जन्हा से तीर चलाई गई थी ..

आर्या गुस्से से हमें देख रही थी ..

उसने मुझे घूरते हुए कहा

“इस ओरत से मैं तब से नफरत करती हु जब से इसने मेरे बाप से शादी की , अपने ही भाई को अपने जिस्म के जाल में फंसा कर और अब तुम ... “

वो इतना कहकर ही वंहा से निकल गयी थी , बम्बादा को जैसे आर्या के गुस्से से कोई फर्क ही नही पड़ा था लेकिन मैं आर्या के पीछे दौड़ा ..

“आर्या मेरी बात तो सुनो “

“जाओ जाकर उसके जिस्म से मजे करो मेरे पीछे आने से तुम्हे कुछ भी नहीं मिलने वाला , और कुछ मिलेगा तो वो है मौत “

आर्या ने मुझे देखे बिना ही कहा था , लेकिन उसके आवाज में फैला हुआ गुस्सा मैं साफ साफ महसूस कर सकता था ..

मैं उसके तीरंदाजी के कौसल से प्रभावित हुए बिना नही रह पाया , उसने हम दोनों के होठो के बीच से तीर निकाल दिया था, मुझे अहसास हो गया था की वांग के लिए आर्या को हराना कितना कठिन होने वाला है ..

मैं उसके पीछे ही दौड़ता रहा और उस तक पहुच गया ..

“आर्या तुम मुझपर गुस्सा क्यों हो रही हो वो तो सरदारनी थी जो की मेरे पीछे आई, मैं भी कई दिनों से भूखा हु इसलिए “

आर्या ने मुझे खा जाने वाली निगाह से घुरा

“भूखे हो तो क्या कचरा खा जाओगे ..??? इसलिए मैं मर्दों से इतना नफरत करती हु , साले सभी एक जैसे होते है , जन्हा मांस देखा नहीं लगे चाटने “

मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर आर्या को इस बात से इतनी तकलीफ क्यों रही थी , उसकी बातो से मुझे जलने की बू आ रही थी .. वो मुझसे कोई 14-15 साल छोटी रही होगी , मेरे लिए वो किसी बच्ची की तरह ही थी लेकिन उसकी अदाए... बिलकुल जानलेवा ..

आर्या की बातो में मुझे मेरे लिए अपनत्व महसूस हो रहा था जिससे मेरे होठो में हलकी मुस्कान आ गई और मैं उसके पीछे ही लगा रहा ..

“ऐसे हर मर्द एक जैसा नहीं होता , वांग को देख लो , तुमसे बहुत प्यार करता है और तुम्हे पाने के लिए दिन रात एक कर रहा है ...”

हम जन्हा थे वंहा से वांग भी दिख रहा था , मैंने उसकी ओर इशारा करते हुए उससे ये बात कही थी , आर्या एक बार गौर से वांग की ओर देखने लगी ..

:”मैं कोई वस्तु हु क्या जो कोई मुझे जीत जायेगा या कोई मुझे पा लेगा , ऐसे भी मुझसे मुकाबला करना इस चूजे के बस के बाहर है “

आर्या ने एक तीर निकाला और वही खड़े होकर निशाना लगाने लगी , वही वांग अभी भी धनुष बाण लिए अपने लक्ष्य पर लगा हुआ था , आर्या ने तीर छोड़ा जो की वांग के छोड़े तीर से जा टकराया और वांग का तीर दूर हो गया ,

“क्या निशाना है ...वाह ..”

मेरे मुह से अनायास ही निकल गया था , वही वांग ने मुड़कर देखा और आर्या को देखते ही जैसे उसकी आँखों में चमक आ गई , वो बिलकुल शांत खड़ा हुआ उसे ही देखने लगा ..

“देखो उस चूजे को कैसे देख रहा है ..”

आर्या का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था ,

“वो तुमसे प्यार करता है आर्या “

“हूऊ प्यार ..??”

आर्या की बात में एक व्यंग था .

“कोई किसी से प्यार नहीं करता सभी को बस लडकियों से एक ही चीज चाहिए “

उसने फिर से चिढ़ते हुए कहा

“तुम इतनी निगेटिव क्यों हो ...प्यार होता है , मुझे हुआ था , तुम्हारे नाना को प्यार हुआ था इसलिए तो वो यंहा रुक गए “

आर्या ने मुझे घुरा

“अगर तुम्हे प्यार हुआ था तो तुम बम्बादा के पास क्या कर रहे थे “

मैंने एक गहरी साँस छोड़ी

“प्यार और जिस्म की आग दो अलग चीजे है आर्या , मेरा प्यार मेरी बीवी है , लेकिन बम्बादा को देखकर मेरे अन्दर की आग जल गई थी ... लेकिन मुझे मेरा प्यार चाहिए ना ही ये सब “

आर्या ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया बस मुझे घूरते रही

“अगर इस चूजे को मुझसे लड़ना है तो इसे बोलो की बहुत मेहनत करे , वरना मेरे हाथ वैसे ही मरेगा जैसे दुसरे मारे गए “

आर्य इतना बोलकर वंहा से निकल गयी थी , इस छोटी सी लड़की का हुनर और तेवर देखकर मैं स्तब्ध था .. मैंने वांग की ओर देखा जो की आर्या को देखकर बहुत ही खुश नजर आ रहा था ..

‘इस बेचारे का क्या होगा ‘ मैंने मन ही मन सोचा .......

************

मैं और गैरी बैठे हुए थे और मैंने आर्या के बारे में उससे बात की , वो भी अपनी पोती के स्वभाव से दुखी था , उसके मन में भी अन्य बुजुर्गो जैसी चाहते थी की उसकी पोती जल्दी से जल्दी अपना घर बसा ले , लेकिन आर्या वैसी लड़की नहीं थी ...

गैरी ने मुझे सुझाया की मैं आर्या के करीब जाऊ और उसे समझू , इसके लीये एक अच्छी तरकीब भी बताई की उस पुस्तक को मैं आर्या के साथ मिलकर पढू क्योकि उसे पढने में बहुत ही दिलचस्पी है और वो बहुत कुछ उस भाषा को पढ़ सकती है ..

नदी के उसी किनारे में मैं उस पुस्तक को लिए बैठा था , वांग को मैंने बहुत सारे चीजो की प्रक्टिस के लिए बोल दिया था ताकि वो उसमे ही व्यस्त रहे , गैरी ने आर्या को मेरे पास भेजा था की वो मुझे पुस्तक पढ़ कर समझाए ..

वो अपने तेवर में आई और मेरे बगल में बैठ कर मेरे हाथ से वो पुस्तक छीन ली ..

मैं बस मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था

“ऐसे क्या देख रहे हो ...??”

“हो तो तुम बहुत ही सुंदर शायद इसीलिए वांग तुम्हारे उपर फ़िदा हो गया है “

उसने मुझे थोड़े गुस्से से घुरा

“तुम हमेशा इतने गुस्से में क्यों रहती हो , जीवन बहुत सुंदर है आर्या “

वो कुछ नहीं बोली बल्कि पुस्तक के पन्ने पलटने लगी

“सच में बहुत इंट्रेस्टिंग है ये “ उसने पुस्तक को देखते हुए कहा

“मैंने तो सोचा था की ये सब महज कहानिया है लेकिन ये तो एक विशाल और ताकतवर ग्रुप की हिस्ट्री है ...”

उसकी बात से मुझे समझ आ गया था की इसे इस पुस्तक में बहुत दिलचस्पी है , उसे ध्यान से देखने पर मुझे उसकी सुन्दरता दिखाई पड़ रही थी जिसे उसने गुस्से के भीतर दबा कर रखा था , इस काबिले के कई मर्द थे जो इस नाजुक कलि को फुल बनाने को बेताब थे लेकिन काबिल का सबसे ताकतवर मर्द भी इसके सामने भीगी बिल्ली बना नजर आता , अपने तीखे तेवर के कारण ही वो आज तक कुवारी थी , उसे यु देखने से मेरे अंदर फिर से कुछ होने लगा था , लिंग में दर्द होने लगा अकड़ा तो वो हमेशा ही रहता ..

आर्या ने मुझे एक बार फिर गौर से देखा

“शायद मैंने तुम्हारे साथ ज्यादती कर दी , कल तुम्हारा सम्भोग बम्बुदा के साथ होने देना था मुझे , आखिर मैं कौन होती हू तुम्हे रोकने वाली , लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर पता नहीं क्यों मेरा खून खौल गया ..”

ये पहली बार था जब आर्या ने इतने प्यार से मुझसे बात की थी , मेरे चहरे में उसे देखकर मुस्कान आ गयी

“क्या तुम्हे जलन हो रही थी ??”

मैंने मुस्कुराते हुए ही कहा

“जलन ...?? आखिर मुझे जलन क्यों होगी “

उसकी आँखे बड़ी हो गई थी लेकिन चहरे में आया एक नूर साफ़ दिख रहा था , वो मुझसे शर्मा रही थी , मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा था की ऐसे तेवर वाली लड़की कभी शर्मा भी सकती है लेकिन उसके गालो में आया वो नूर और मुझसे वो नजरे चुराना सा बता रहा था की वो शर्मा रही है ..

उसको शर्माता देख मेरा लिंग और भी कड़ा होने लगा था

मैंने हलके हाथो से उसके चहरे में आई बालो की लटो को हटाया , इस बार वो खुलकर शरमाई थी उसकी आँखे निचे झुक गई , मैंने पास आते हुए उसके गालो में हल्का चुम्मन दिया , ऐसे लगा जैसे उसके शरीर में कोई करंट दौड़ गया हो ...

“ओह तो ये बात है , इसलिए तुम बम्बदा पर गुस्सा हो रही थी ..”

वो अभी भी निचे ही देख रही थी , वो शांत थी और मैं भी , कई दिनों से मैं स्त्री के संसर्ग से वंचित रहा था , और आज मेरे सामने एक जवानी की दहलीज में कदम रखी हुई नयी नयी कली थी . इसे भोगने को मैं आतुर हो उठा था , मैंने महसूस किया था की मैं पहले से कई गुना कामुक हो गया हु , स्त्री का स्पर्स ही मुझे उत्तेजित कर जाता है , मैं वही इंसान था जिसने पूर्वी के आग्रह को कई बार ठुकराया था , मैं उसके और भी करीब आते गया और आर्या के पहने हुए अजीब से पोशाक को हटाने लगा , वो बिना किसी अन्तःवस्त्र के मेरे सामने पूर्ण नंग्न थी , उसके संतरे के आकर के वक्ष पहाड़ो जैसे खड़े हो गए थे , एक स्त्री के उत्तेजित होने का ये संकेत मैं अच्छे से पहचानता था ..

यही मुझे अभी सबसे आकर्षक भी लग रहे थे , मैं झुका और उसके स्तनों पर हलके से अपनी जीभ फेर दी ,

“आह ..”

उसके मुह से अनायास ही निकल गया था , उसने पुस्तक एक ओर रख दिया और खुद ही वंहा बिछे हरे कोमल घास में लेट गई , ये उसका मेरे लिए समर्पण था , मैं भी बिना देर किये उसके उपर आ चूका था , उसके कोमल और कसे हुए शरीर से खेलते हुए मैं कब निर्वस्त्र हो गया मुझे पता ही नहीं चला ..

मेरा लिंग किसी लोहे की रॉड की तरह अकड़ा हुआ था , जो सीधे आर्या की कुवारी छेद में घुसना चाहता था , आर्या ने बिना कुछ बोले ही अपने पैर खोल दिए थे .. ऐसा लगा जैसे मुझसे ज्यादा जल्दी तो उसे है , हो भी क्यों न उसकी उम्र ही ऐसी थी जब देह की आग सबसे ज्यादा होती है ..

मेरा लिंग उसके छेद पर टकराया तो मैंने उससे बहते हुए पानी को महसूस किया , उस चिपचिपे पानी में एक बार मैंने अपने लिंग को रगड़कर गिला किया , , आर्या की आँखे बंद हो चुकी थी वो बस इस पल का मजा ले रही थी , मैंने अपने लिंग के उपरी त्वचा को खिंचा और जमाते हुए हलके धक्को से आर्या की जवान और कसी हुई योनी में प्रवेश करने लगा ,

वाह योनी की इस गर्मी और लिंग की रगड़न का आभास ऐसे मैं भूल ही गया था , काजल की कोमल और चिकने छेद से मैं कई दिनों से दूर रहा था और अब मुझे ये आनन्द मिल रहा था , आर्या ने मुझे जकड़ लिया और मैं उसके उपर ही छा गया था , हर धक्के से मेरा लिंग उसकी योनी में और गहरा जाता और जगह बनाता था ,

ऐसे तो हम दोनों दुनिया ही भूल चुके थे लेकिन किसी के पैरो की आहट से हम दोनों ने उस ओर देखा , सामने मुह फाड़े वांग खड़ा था , उसके जिस्म का पसीना उसके मेहनत की कहानी कह रहा था , शायद वो पानी के प्यास के कारन नदी के किनारे आया हो , चहरे में भीषण आश्चर्य और शोक के भाव साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे , मेरा लिंग आर्या के योनी में था और हम दोनों की निगाहे वांग पर , ऐसा लग रहा था की या तो हमारे उपर हमला कर देगा या रो पड़ेगा , लेकिन वंहा रोनी सुरत बनाये आश्चर्य से खड़ा हमें ही देख रहा था , मानो उसके पैर जैम गए हो ,

मैंने अपने लिंग को थोडा उपर खिंचा और एक आखरी धक्के के साथ पूरा लिंग आर्या की योनी में डाल दिया ...

“आआआ ह्ह्ह्ह “

आर्या जो की अभी भी वांग को देख रही थी मेरे ही अचानक हुए हमले से मजे के सागर में डूब गई , उसने मुझे और जोरो से कस लिया था और मेरे होठो को चुमते हुए अपनी आँखे बंद कर ली , मेरा भी हाल उत्तेजना के कारन ख़राब थी , वांग की चिंता ना करते हुए मैंने पूरा ध्यान इस चुदाई पर लगा दिया , और अपने कमर को तेजी से चलाने लगा , आर्या और मैं दोनों ही इस खेल के मजे में डूब चुके थे हमारी आँखे बंद थी ताकि हम इसका पूरा मजा उठा सके और दुनिया को भूल जाये ...

हम दोनों के ही मुह से सिसकिय निकल रही थी , आज मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था, शायद वही हाल आर्या का भी था ..

मैं तब तक नहीं रुका जब तक मैंने अपने वीर्य का एक एक करता आर्या के कोख में नहीं डाल दिया .. हम दोनों ही एक दुसरे से लिपट कर तेज सांसे ले रहे थे , हवस का एक खेल पूरा हो चूका था लेकिन ख़त्म नहीं , लिंग तो मेरा अभी भी अपने पुरे आकर में था लेकिन वीर्यपात से उसमे थोड़ी शिथलन जरुर आई थी , मैंने एक बार वांग को देखा वो गुस्से में पैर पटकता हुआ वंहा से निकल गया ,

मैंने उसकी फिक्र किये बिना फिर से हलके हलके धक्के देना शुरू कर दिया था और मेरा लिंग फिर से कड़ा होने लगा , आर्या भी इस खेल के लिए तैयार थी , उसने प्यार से मेरे होठो में अपने होठ घुसा दिए और खेल फिर से शुरू हो गया ...



 

vickyrock

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अध्याय 23

बम्बादा के जिस्म की गर्मी और उसके हाथो का मेरे लिंग पर चलना मुझे बेकाबू कर रहा था ,अपनी शादी के बाद ये पहली बार था जब कोई पर स्त्री मुझे इतना उत्तेजित कर रही थी , मैंने उसे अपने से दूर किया ..

“ये आप क्या कर रही हो “

वो मेरे आँखों में घूरने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आंखे नशे में चूर है , अब ये नशा वासना का था या किसी और चीज का मुझे नहीं पता लेकिन उसके मादक रूप में उसके आँखों का नशा और भी मादक हो रहा था , बम्बादा फिर से मेरे करीब आने लगी , इस बार लगा की मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा, मुझे उसके जिस्म का रस पीने की व्याकुलता ने घेर लिया था , हम करीब थे बिलकुल ही करीब मेरे होठ उसके होठो से मिलने ही वाले थे की ..

सर्रर्रर ..

मेरे साथ साथ बम्बादा भी चौक गई , मेरे और उसके होठो के बीच से कुछ बड़ी तेजी से निकला था , हम डर अलग हुए तो पाया की वो एक तीर था जो हमारे होठो के बीच की दुरी से गुजरता हुआ पास के पेड़ में जा लगा था ..

दोनों ही चौककर उस ओर देखे जन्हा से तीर चलाई गई थी ..

आर्या गुस्से से हमें देख रही थी ..

उसने मुझे घूरते हुए कहा

“इस ओरत से मैं तब से नफरत करती हु जब से इसने मेरे बाप से शादी की , अपने ही भाई को अपने जिस्म के जाल में फंसा कर और अब तुम ... “

वो इतना कहकर ही वंहा से निकल गयी थी , बम्बादा को जैसे आर्या के गुस्से से कोई फर्क ही नही पड़ा था लेकिन मैं आर्या के पीछे दौड़ा ..

“आर्या मेरी बात तो सुनो “

“जाओ जाकर उसके जिस्म से मजे करो मेरे पीछे आने से तुम्हे कुछ भी नहीं मिलने वाला , और कुछ मिलेगा तो वो है मौत “

आर्या ने मुझे देखे बिना ही कहा था , लेकिन उसके आवाज में फैला हुआ गुस्सा मैं साफ साफ महसूस कर सकता था ..

मैं उसके तीरंदाजी के कौसल से प्रभावित हुए बिना नही रह पाया , उसने हम दोनों के होठो के बीच से तीर निकाल दिया था, मुझे अहसास हो गया था की वांग के लिए आर्या को हराना कितना कठिन होने वाला है ..

मैं उसके पीछे ही दौड़ता रहा और उस तक पहुच गया ..

“आर्या तुम मुझपर गुस्सा क्यों हो रही हो वो तो सरदारनी थी जो की मेरे पीछे आई, मैं भी कई दिनों से भूखा हु इसलिए “

आर्या ने मुझे खा जाने वाली निगाह से घुरा

“भूखे हो तो क्या कचरा खा जाओगे ..??? इसलिए मैं मर्दों से इतना नफरत करती हु , साले सभी एक जैसे होते है , जन्हा मांस देखा नहीं लगे चाटने “

मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर आर्या को इस बात से इतनी तकलीफ क्यों रही थी , उसकी बातो से मुझे जलने की बू आ रही थी .. वो मुझसे कोई 14-15 साल छोटी रही होगी , मेरे लिए वो किसी बच्ची की तरह ही थी लेकिन उसकी अदाए... बिलकुल जानलेवा ..

आर्या की बातो में मुझे मेरे लिए अपनत्व महसूस हो रहा था जिससे मेरे होठो में हलकी मुस्कान आ गई और मैं उसके पीछे ही लगा रहा ..

“ऐसे हर मर्द एक जैसा नहीं होता , वांग को देख लो , तुमसे बहुत प्यार करता है और तुम्हे पाने के लिए दिन रात एक कर रहा है ...”

हम जन्हा थे वंहा से वांग भी दिख रहा था , मैंने उसकी ओर इशारा करते हुए उससे ये बात कही थी , आर्या एक बार गौर से वांग की ओर देखने लगी ..

:”मैं कोई वस्तु हु क्या जो कोई मुझे जीत जायेगा या कोई मुझे पा लेगा , ऐसे भी मुझसे मुकाबला करना इस चूजे के बस के बाहर है “

आर्या ने एक तीर निकाला और वही खड़े होकर निशाना लगाने लगी , वही वांग अभी भी धनुष बाण लिए अपने लक्ष्य पर लगा हुआ था , आर्या ने तीर छोड़ा जो की वांग के छोड़े तीर से जा टकराया और वांग का तीर दूर हो गया ,

“क्या निशाना है ...वाह ..”

मेरे मुह से अनायास ही निकल गया था , वही वांग ने मुड़कर देखा और आर्या को देखते ही जैसे उसकी आँखों में चमक आ गई , वो बिलकुल शांत खड़ा हुआ उसे ही देखने लगा ..

“देखो उस चूजे को कैसे देख रहा है ..”

आर्या का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था ,

“वो तुमसे प्यार करता है आर्या “

“हूऊ प्यार ..??”

आर्या की बात में एक व्यंग था .

“कोई किसी से प्यार नहीं करता सभी को बस लडकियों से एक ही चीज चाहिए “

उसने फिर से चिढ़ते हुए कहा

“तुम इतनी निगेटिव क्यों हो ...प्यार होता है , मुझे हुआ था , तुम्हारे नाना को प्यार हुआ था इसलिए तो वो यंहा रुक गए “

आर्या ने मुझे घुरा

“अगर तुम्हे प्यार हुआ था तो तुम बम्बादा के पास क्या कर रहे थे “

मैंने एक गहरी साँस छोड़ी

“प्यार और जिस्म की आग दो अलग चीजे है आर्या , मेरा प्यार मेरी बीवी है , लेकिन बम्बादा को देखकर मेरे अन्दर की आग जल गई थी ... लेकिन मुझे मेरा प्यार चाहिए ना ही ये सब “

आर्या ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया बस मुझे घूरते रही

“अगर इस चूजे को मुझसे लड़ना है तो इसे बोलो की बहुत मेहनत करे , वरना मेरे हाथ वैसे ही मरेगा जैसे दुसरे मारे गए “

आर्य इतना बोलकर वंहा से निकल गयी थी , इस छोटी सी लड़की का हुनर और तेवर देखकर मैं स्तब्ध था .. मैंने वांग की ओर देखा जो की आर्या को देखकर बहुत ही खुश नजर आ रहा था ..

‘इस बेचारे का क्या होगा ‘ मैंने मन ही मन सोचा .......

************

मैं और गैरी बैठे हुए थे और मैंने आर्या के बारे में उससे बात की , वो भी अपनी पोती के स्वभाव से दुखी था , उसके मन में भी अन्य बुजुर्गो जैसी चाहते थी की उसकी पोती जल्दी से जल्दी अपना घर बसा ले , लेकिन आर्या वैसी लड़की नहीं थी ...

गैरी ने मुझे सुझाया की मैं आर्या के करीब जाऊ और उसे समझू , इसके लीये एक अच्छी तरकीब भी बताई की उस पुस्तक को मैं आर्या के साथ मिलकर पढू क्योकि उसे पढने में बहुत ही दिलचस्पी है और वो बहुत कुछ उस भाषा को पढ़ सकती है ..

नदी के उसी किनारे में मैं उस पुस्तक को लिए बैठा था , वांग को मैंने बहुत सारे चीजो की प्रक्टिस के लिए बोल दिया था ताकि वो उसमे ही व्यस्त रहे , गैरी ने आर्या को मेरे पास भेजा था की वो मुझे पुस्तक पढ़ कर समझाए ..

वो अपने तेवर में आई और मेरे बगल में बैठ कर मेरे हाथ से वो पुस्तक छीन ली ..

मैं बस मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था

“ऐसे क्या देख रहे हो ...??”

“हो तो तुम बहुत ही सुंदर शायद इसीलिए वांग तुम्हारे उपर फ़िदा हो गया है “

उसने मुझे थोड़े गुस्से से घुरा

“तुम हमेशा इतने गुस्से में क्यों रहती हो , जीवन बहुत सुंदर है आर्या “

वो कुछ नहीं बोली बल्कि पुस्तक के पन्ने पलटने लगी

“सच में बहुत इंट्रेस्टिंग है ये “ उसने पुस्तक को देखते हुए कहा

“मैंने तो सोचा था की ये सब महज कहानिया है लेकिन ये तो एक विशाल और ताकतवर ग्रुप की हिस्ट्री है ...”

उसकी बात से मुझे समझ आ गया था की इसे इस पुस्तक में बहुत दिलचस्पी है , उसे ध्यान से देखने पर मुझे उसकी सुन्दरता दिखाई पड़ रही थी जिसे उसने गुस्से के भीतर दबा कर रखा था , इस काबिले के कई मर्द थे जो इस नाजुक कलि को फुल बनाने को बेताब थे लेकिन काबिल का सबसे ताकतवर मर्द भी इसके सामने भीगी बिल्ली बना नजर आता , अपने तीखे तेवर के कारण ही वो आज तक कुवारी थी , उसे यु देखने से मेरे अंदर फिर से कुछ होने लगा था , लिंग में दर्द होने लगा अकड़ा तो वो हमेशा ही रहता ..

आर्या ने मुझे एक बार फिर गौर से देखा

“शायद मैंने तुम्हारे साथ ज्यादती कर दी , कल तुम्हारा सम्भोग बम्बुदा के साथ होने देना था मुझे , आखिर मैं कौन होती हू तुम्हे रोकने वाली , लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर पता नहीं क्यों मेरा खून खौल गया ..”

ये पहली बार था जब आर्या ने इतने प्यार से मुझसे बात की थी , मेरे चहरे में उसे देखकर मुस्कान आ गयी

“क्या तुम्हे जलन हो रही थी ??”

मैंने मुस्कुराते हुए ही कहा

“जलन ...?? आखिर मुझे जलन क्यों होगी “

उसकी आँखे बड़ी हो गई थी लेकिन चहरे में आया एक नूर साफ़ दिख रहा था , वो मुझसे शर्मा रही थी , मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा था की ऐसे तेवर वाली लड़की कभी शर्मा भी सकती है लेकिन उसके गालो में आया वो नूर और मुझसे वो नजरे चुराना सा बता रहा था की वो शर्मा रही है ..

उसको शर्माता देख मेरा लिंग और भी कड़ा होने लगा था

मैंने हलके हाथो से उसके चहरे में आई बालो की लटो को हटाया , इस बार वो खुलकर शरमाई थी उसकी आँखे निचे झुक गई , मैंने पास आते हुए उसके गालो में हल्का चुम्मन दिया , ऐसे लगा जैसे उसके शरीर में कोई करंट दौड़ गया हो ...

“ओह तो ये बात है , इसलिए तुम बम्बदा पर गुस्सा हो रही थी ..”

वो अभी भी निचे ही देख रही थी , वो शांत थी और मैं भी , कई दिनों से मैं स्त्री के संसर्ग से वंचित रहा था , और आज मेरे सामने एक जवानी की दहलीज में कदम रखी हुई नयी नयी कली थी . इसे भोगने को मैं आतुर हो उठा था , मैंने महसूस किया था की मैं पहले से कई गुना कामुक हो गया हु , स्त्री का स्पर्स ही मुझे उत्तेजित कर जाता है , मैं वही इंसान था जिसने पूर्वी के आग्रह को कई बार ठुकराया था , मैं उसके और भी करीब आते गया और आर्या के पहने हुए अजीब से पोशाक को हटाने लगा , वो बिना किसी अन्तःवस्त्र के मेरे सामने पूर्ण नंग्न थी , उसके संतरे के आकर के वक्ष पहाड़ो जैसे खड़े हो गए थे , एक स्त्री के उत्तेजित होने का ये संकेत मैं अच्छे से पहचानता था ..

यही मुझे अभी सबसे आकर्षक भी लग रहे थे , मैं झुका और उसके स्तनों पर हलके से अपनी जीभ फेर दी ,

“आह ..”

उसके मुह से अनायास ही निकल गया था , उसने पुस्तक एक ओर रख दिया और खुद ही वंहा बिछे हरे कोमल घास में लेट गई , ये उसका मेरे लिए समर्पण था , मैं भी बिना देर किये उसके उपर आ चूका था , उसके कोमल और कसे हुए शरीर से खेलते हुए मैं कब निर्वस्त्र हो गया मुझे पता ही नहीं चला ..

मेरा लिंग किसी लोहे की रॉड की तरह अकड़ा हुआ था , जो सीधे आर्या की कुवारी छेद में घुसना चाहता था , आर्या ने बिना कुछ बोले ही अपने पैर खोल दिए थे .. ऐसा लगा जैसे मुझसे ज्यादा जल्दी तो उसे है , हो भी क्यों न उसकी उम्र ही ऐसी थी जब देह की आग सबसे ज्यादा होती है ..

मेरा लिंग उसके छेद पर टकराया तो मैंने उससे बहते हुए पानी को महसूस किया , उस चिपचिपे पानी में एक बार मैंने अपने लिंग को रगड़कर गिला किया , , आर्या की आँखे बंद हो चुकी थी वो बस इस पल का मजा ले रही थी , मैंने अपने लिंग के उपरी त्वचा को खिंचा और जमाते हुए हलके धक्को से आर्या की जवान और कसी हुई योनी में प्रवेश करने लगा ,

वाह योनी की इस गर्मी और लिंग की रगड़न का आभास ऐसे मैं भूल ही गया था , काजल की कोमल और चिकने छेद से मैं कई दिनों से दूर रहा था और अब मुझे ये आनन्द मिल रहा था , आर्या ने मुझे जकड़ लिया और मैं उसके उपर ही छा गया था , हर धक्के से मेरा लिंग उसकी योनी में और गहरा जाता और जगह बनाता था ,

ऐसे तो हम दोनों दुनिया ही भूल चुके थे लेकिन किसी के पैरो की आहट से हम दोनों ने उस ओर देखा , सामने मुह फाड़े वांग खड़ा था , उसके जिस्म का पसीना उसके मेहनत की कहानी कह रहा था , शायद वो पानी के प्यास के कारन नदी के किनारे आया हो , चहरे में भीषण आश्चर्य और शोक के भाव साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे , मेरा लिंग आर्या के योनी में था और हम दोनों की निगाहे वांग पर , ऐसा लग रहा था की या तो हमारे उपर हमला कर देगा या रो पड़ेगा , लेकिन वंहा रोनी सुरत बनाये आश्चर्य से खड़ा हमें ही देख रहा था , मानो उसके पैर जैम गए हो ,

मैंने अपने लिंग को थोडा उपर खिंचा और एक आखरी धक्के के साथ पूरा लिंग आर्या की योनी में डाल दिया ...

“आआआ ह्ह्ह्ह “

आर्या जो की अभी भी वांग को देख रही थी मेरे ही अचानक हुए हमले से मजे के सागर में डूब गई , उसने मुझे और जोरो से कस लिया था और मेरे होठो को चुमते हुए अपनी आँखे बंद कर ली , मेरा भी हाल उत्तेजना के कारन ख़राब थी , वांग की चिंता ना करते हुए मैंने पूरा ध्यान इस चुदाई पर लगा दिया , और अपने कमर को तेजी से चलाने लगा , आर्या और मैं दोनों ही इस खेल के मजे में डूब चुके थे हमारी आँखे बंद थी ताकि हम इसका पूरा मजा उठा सके और दुनिया को भूल जाये ...

हम दोनों के ही मुह से सिसकिय निकल रही थी , आज मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था, शायद वही हाल आर्या का भी था ..

मैं तब तक नहीं रुका जब तक मैंने अपने वीर्य का एक एक करता आर्या के कोख में नहीं डाल दिया .. हम दोनों ही एक दुसरे से लिपट कर तेज सांसे ले रहे थे , हवस का एक खेल पूरा हो चूका था लेकिन ख़त्म नहीं , लिंग तो मेरा अभी भी अपने पुरे आकर में था लेकिन वीर्यपात से उसमे थोड़ी शिथलन जरुर आई थी , मैंने एक बार वांग को देखा वो गुस्से में पैर पटकता हुआ वंहा से निकल गया ,

मैंने उसकी फिक्र किये बिना फिर से हलके हलके धक्के देना शुरू कर दिया था और मेरा लिंग फिर से कड़ा होने लगा , आर्या भी इस खेल के लिए तैयार थी , उसने प्यार से मेरे होठो में अपने होठ घुसा दिए और खेल फिर से शुरू हो गया ...
वाह वाह अपने शिष्य की चाहत को चोद दिया 🤣🤣
 

SultanTipu40

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अध्याय 23

बम्बादा के जिस्म की गर्मी और उसके हाथो का मेरे लिंग पर चलना मुझे बेकाबू कर रहा था ,अपनी शादी के बाद ये पहली बार था जब कोई पर स्त्री मुझे इतना उत्तेजित कर रही थी , मैंने उसे अपने से दूर किया ..

“ये आप क्या कर रही हो “

वो मेरे आँखों में घूरने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आंखे नशे में चूर है , अब ये नशा वासना का था या किसी और चीज का मुझे नहीं पता लेकिन उसके मादक रूप में उसके आँखों का नशा और भी मादक हो रहा था , बम्बादा फिर से मेरे करीब आने लगी , इस बार लगा की मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा, मुझे उसके जिस्म का रस पीने की व्याकुलता ने घेर लिया था , हम करीब थे बिलकुल ही करीब मेरे होठ उसके होठो से मिलने ही वाले थे की ..

सर्रर्रर ..

मेरे साथ साथ बम्बादा भी चौक गई , मेरे और उसके होठो के बीच से कुछ बड़ी तेजी से निकला था , हम डर अलग हुए तो पाया की वो एक तीर था जो हमारे होठो के बीच की दुरी से गुजरता हुआ पास के पेड़ में जा लगा था ..

दोनों ही चौककर उस ओर देखे जन्हा से तीर चलाई गई थी ..

आर्या गुस्से से हमें देख रही थी ..

उसने मुझे घूरते हुए कहा

“इस ओरत से मैं तब से नफरत करती हु जब से इसने मेरे बाप से शादी की , अपने ही भाई को अपने जिस्म के जाल में फंसा कर और अब तुम ... “

वो इतना कहकर ही वंहा से निकल गयी थी , बम्बादा को जैसे आर्या के गुस्से से कोई फर्क ही नही पड़ा था लेकिन मैं आर्या के पीछे दौड़ा ..

“आर्या मेरी बात तो सुनो “

“जाओ जाकर उसके जिस्म से मजे करो मेरे पीछे आने से तुम्हे कुछ भी नहीं मिलने वाला , और कुछ मिलेगा तो वो है मौत “

आर्या ने मुझे देखे बिना ही कहा था , लेकिन उसके आवाज में फैला हुआ गुस्सा मैं साफ साफ महसूस कर सकता था ..

मैं उसके तीरंदाजी के कौसल से प्रभावित हुए बिना नही रह पाया , उसने हम दोनों के होठो के बीच से तीर निकाल दिया था, मुझे अहसास हो गया था की वांग के लिए आर्या को हराना कितना कठिन होने वाला है ..

मैं उसके पीछे ही दौड़ता रहा और उस तक पहुच गया ..

“आर्या तुम मुझपर गुस्सा क्यों हो रही हो वो तो सरदारनी थी जो की मेरे पीछे आई, मैं भी कई दिनों से भूखा हु इसलिए “

आर्या ने मुझे खा जाने वाली निगाह से घुरा

“भूखे हो तो क्या कचरा खा जाओगे ..??? इसलिए मैं मर्दों से इतना नफरत करती हु , साले सभी एक जैसे होते है , जन्हा मांस देखा नहीं लगे चाटने “

मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर आर्या को इस बात से इतनी तकलीफ क्यों रही थी , उसकी बातो से मुझे जलने की बू आ रही थी .. वो मुझसे कोई 14-15 साल छोटी रही होगी , मेरे लिए वो किसी बच्ची की तरह ही थी लेकिन उसकी अदाए... बिलकुल जानलेवा ..

आर्या की बातो में मुझे मेरे लिए अपनत्व महसूस हो रहा था जिससे मेरे होठो में हलकी मुस्कान आ गई और मैं उसके पीछे ही लगा रहा ..

“ऐसे हर मर्द एक जैसा नहीं होता , वांग को देख लो , तुमसे बहुत प्यार करता है और तुम्हे पाने के लिए दिन रात एक कर रहा है ...”

हम जन्हा थे वंहा से वांग भी दिख रहा था , मैंने उसकी ओर इशारा करते हुए उससे ये बात कही थी , आर्या एक बार गौर से वांग की ओर देखने लगी ..

:”मैं कोई वस्तु हु क्या जो कोई मुझे जीत जायेगा या कोई मुझे पा लेगा , ऐसे भी मुझसे मुकाबला करना इस चूजे के बस के बाहर है “

आर्या ने एक तीर निकाला और वही खड़े होकर निशाना लगाने लगी , वही वांग अभी भी धनुष बाण लिए अपने लक्ष्य पर लगा हुआ था , आर्या ने तीर छोड़ा जो की वांग के छोड़े तीर से जा टकराया और वांग का तीर दूर हो गया ,

“क्या निशाना है ...वाह ..”

मेरे मुह से अनायास ही निकल गया था , वही वांग ने मुड़कर देखा और आर्या को देखते ही जैसे उसकी आँखों में चमक आ गई , वो बिलकुल शांत खड़ा हुआ उसे ही देखने लगा ..

“देखो उस चूजे को कैसे देख रहा है ..”

आर्या का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था ,

“वो तुमसे प्यार करता है आर्या “

“हूऊ प्यार ..??”

आर्या की बात में एक व्यंग था .

“कोई किसी से प्यार नहीं करता सभी को बस लडकियों से एक ही चीज चाहिए “

उसने फिर से चिढ़ते हुए कहा

“तुम इतनी निगेटिव क्यों हो ...प्यार होता है , मुझे हुआ था , तुम्हारे नाना को प्यार हुआ था इसलिए तो वो यंहा रुक गए “

आर्या ने मुझे घुरा

“अगर तुम्हे प्यार हुआ था तो तुम बम्बादा के पास क्या कर रहे थे “

मैंने एक गहरी साँस छोड़ी

“प्यार और जिस्म की आग दो अलग चीजे है आर्या , मेरा प्यार मेरी बीवी है , लेकिन बम्बादा को देखकर मेरे अन्दर की आग जल गई थी ... लेकिन मुझे मेरा प्यार चाहिए ना ही ये सब “

आर्या ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया बस मुझे घूरते रही

“अगर इस चूजे को मुझसे लड़ना है तो इसे बोलो की बहुत मेहनत करे , वरना मेरे हाथ वैसे ही मरेगा जैसे दुसरे मारे गए “

आर्य इतना बोलकर वंहा से निकल गयी थी , इस छोटी सी लड़की का हुनर और तेवर देखकर मैं स्तब्ध था .. मैंने वांग की ओर देखा जो की आर्या को देखकर बहुत ही खुश नजर आ रहा था ..

‘इस बेचारे का क्या होगा ‘ मैंने मन ही मन सोचा .......

************

मैं और गैरी बैठे हुए थे और मैंने आर्या के बारे में उससे बात की , वो भी अपनी पोती के स्वभाव से दुखी था , उसके मन में भी अन्य बुजुर्गो जैसी चाहते थी की उसकी पोती जल्दी से जल्दी अपना घर बसा ले , लेकिन आर्या वैसी लड़की नहीं थी ...

गैरी ने मुझे सुझाया की मैं आर्या के करीब जाऊ और उसे समझू , इसके लीये एक अच्छी तरकीब भी बताई की उस पुस्तक को मैं आर्या के साथ मिलकर पढू क्योकि उसे पढने में बहुत ही दिलचस्पी है और वो बहुत कुछ उस भाषा को पढ़ सकती है ..

नदी के उसी किनारे में मैं उस पुस्तक को लिए बैठा था , वांग को मैंने बहुत सारे चीजो की प्रक्टिस के लिए बोल दिया था ताकि वो उसमे ही व्यस्त रहे , गैरी ने आर्या को मेरे पास भेजा था की वो मुझे पुस्तक पढ़ कर समझाए ..

वो अपने तेवर में आई और मेरे बगल में बैठ कर मेरे हाथ से वो पुस्तक छीन ली ..

मैं बस मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था

“ऐसे क्या देख रहे हो ...??”

“हो तो तुम बहुत ही सुंदर शायद इसीलिए वांग तुम्हारे उपर फ़िदा हो गया है “

उसने मुझे थोड़े गुस्से से घुरा

“तुम हमेशा इतने गुस्से में क्यों रहती हो , जीवन बहुत सुंदर है आर्या “

वो कुछ नहीं बोली बल्कि पुस्तक के पन्ने पलटने लगी

“सच में बहुत इंट्रेस्टिंग है ये “ उसने पुस्तक को देखते हुए कहा

“मैंने तो सोचा था की ये सब महज कहानिया है लेकिन ये तो एक विशाल और ताकतवर ग्रुप की हिस्ट्री है ...”

उसकी बात से मुझे समझ आ गया था की इसे इस पुस्तक में बहुत दिलचस्पी है , उसे ध्यान से देखने पर मुझे उसकी सुन्दरता दिखाई पड़ रही थी जिसे उसने गुस्से के भीतर दबा कर रखा था , इस काबिले के कई मर्द थे जो इस नाजुक कलि को फुल बनाने को बेताब थे लेकिन काबिल का सबसे ताकतवर मर्द भी इसके सामने भीगी बिल्ली बना नजर आता , अपने तीखे तेवर के कारण ही वो आज तक कुवारी थी , उसे यु देखने से मेरे अंदर फिर से कुछ होने लगा था , लिंग में दर्द होने लगा अकड़ा तो वो हमेशा ही रहता ..

आर्या ने मुझे एक बार फिर गौर से देखा

“शायद मैंने तुम्हारे साथ ज्यादती कर दी , कल तुम्हारा सम्भोग बम्बुदा के साथ होने देना था मुझे , आखिर मैं कौन होती हू तुम्हे रोकने वाली , लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर पता नहीं क्यों मेरा खून खौल गया ..”

ये पहली बार था जब आर्या ने इतने प्यार से मुझसे बात की थी , मेरे चहरे में उसे देखकर मुस्कान आ गयी

“क्या तुम्हे जलन हो रही थी ??”

मैंने मुस्कुराते हुए ही कहा

“जलन ...?? आखिर मुझे जलन क्यों होगी “

उसकी आँखे बड़ी हो गई थी लेकिन चहरे में आया एक नूर साफ़ दिख रहा था , वो मुझसे शर्मा रही थी , मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा था की ऐसे तेवर वाली लड़की कभी शर्मा भी सकती है लेकिन उसके गालो में आया वो नूर और मुझसे वो नजरे चुराना सा बता रहा था की वो शर्मा रही है ..

उसको शर्माता देख मेरा लिंग और भी कड़ा होने लगा था

मैंने हलके हाथो से उसके चहरे में आई बालो की लटो को हटाया , इस बार वो खुलकर शरमाई थी उसकी आँखे निचे झुक गई , मैंने पास आते हुए उसके गालो में हल्का चुम्मन दिया , ऐसे लगा जैसे उसके शरीर में कोई करंट दौड़ गया हो ...

“ओह तो ये बात है , इसलिए तुम बम्बदा पर गुस्सा हो रही थी ..”

वो अभी भी निचे ही देख रही थी , वो शांत थी और मैं भी , कई दिनों से मैं स्त्री के संसर्ग से वंचित रहा था , और आज मेरे सामने एक जवानी की दहलीज में कदम रखी हुई नयी नयी कली थी . इसे भोगने को मैं आतुर हो उठा था , मैंने महसूस किया था की मैं पहले से कई गुना कामुक हो गया हु , स्त्री का स्पर्स ही मुझे उत्तेजित कर जाता है , मैं वही इंसान था जिसने पूर्वी के आग्रह को कई बार ठुकराया था , मैं उसके और भी करीब आते गया और आर्या के पहने हुए अजीब से पोशाक को हटाने लगा , वो बिना किसी अन्तःवस्त्र के मेरे सामने पूर्ण नंग्न थी , उसके संतरे के आकर के वक्ष पहाड़ो जैसे खड़े हो गए थे , एक स्त्री के उत्तेजित होने का ये संकेत मैं अच्छे से पहचानता था ..

यही मुझे अभी सबसे आकर्षक भी लग रहे थे , मैं झुका और उसके स्तनों पर हलके से अपनी जीभ फेर दी ,

“आह ..”

उसके मुह से अनायास ही निकल गया था , उसने पुस्तक एक ओर रख दिया और खुद ही वंहा बिछे हरे कोमल घास में लेट गई , ये उसका मेरे लिए समर्पण था , मैं भी बिना देर किये उसके उपर आ चूका था , उसके कोमल और कसे हुए शरीर से खेलते हुए मैं कब निर्वस्त्र हो गया मुझे पता ही नहीं चला ..

मेरा लिंग किसी लोहे की रॉड की तरह अकड़ा हुआ था , जो सीधे आर्या की कुवारी छेद में घुसना चाहता था , आर्या ने बिना कुछ बोले ही अपने पैर खोल दिए थे .. ऐसा लगा जैसे मुझसे ज्यादा जल्दी तो उसे है , हो भी क्यों न उसकी उम्र ही ऐसी थी जब देह की आग सबसे ज्यादा होती है ..

मेरा लिंग उसके छेद पर टकराया तो मैंने उससे बहते हुए पानी को महसूस किया , उस चिपचिपे पानी में एक बार मैंने अपने लिंग को रगड़कर गिला किया , , आर्या की आँखे बंद हो चुकी थी वो बस इस पल का मजा ले रही थी , मैंने अपने लिंग के उपरी त्वचा को खिंचा और जमाते हुए हलके धक्को से आर्या की जवान और कसी हुई योनी में प्रवेश करने लगा ,

वाह योनी की इस गर्मी और लिंग की रगड़न का आभास ऐसे मैं भूल ही गया था , काजल की कोमल और चिकने छेद से मैं कई दिनों से दूर रहा था और अब मुझे ये आनन्द मिल रहा था , आर्या ने मुझे जकड़ लिया और मैं उसके उपर ही छा गया था , हर धक्के से मेरा लिंग उसकी योनी में और गहरा जाता और जगह बनाता था ,

ऐसे तो हम दोनों दुनिया ही भूल चुके थे लेकिन किसी के पैरो की आहट से हम दोनों ने उस ओर देखा , सामने मुह फाड़े वांग खड़ा था , उसके जिस्म का पसीना उसके मेहनत की कहानी कह रहा था , शायद वो पानी के प्यास के कारन नदी के किनारे आया हो , चहरे में भीषण आश्चर्य और शोक के भाव साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे , मेरा लिंग आर्या के योनी में था और हम दोनों की निगाहे वांग पर , ऐसा लग रहा था की या तो हमारे उपर हमला कर देगा या रो पड़ेगा , लेकिन वंहा रोनी सुरत बनाये आश्चर्य से खड़ा हमें ही देख रहा था , मानो उसके पैर जैम गए हो ,

मैंने अपने लिंग को थोडा उपर खिंचा और एक आखरी धक्के के साथ पूरा लिंग आर्या की योनी में डाल दिया ...

“आआआ ह्ह्ह्ह “

आर्या जो की अभी भी वांग को देख रही थी मेरे ही अचानक हुए हमले से मजे के सागर में डूब गई , उसने मुझे और जोरो से कस लिया था और मेरे होठो को चुमते हुए अपनी आँखे बंद कर ली , मेरा भी हाल उत्तेजना के कारन ख़राब थी , वांग की चिंता ना करते हुए मैंने पूरा ध्यान इस चुदाई पर लगा दिया , और अपने कमर को तेजी से चलाने लगा , आर्या और मैं दोनों ही इस खेल के मजे में डूब चुके थे हमारी आँखे बंद थी ताकि हम इसका पूरा मजा उठा सके और दुनिया को भूल जाये ...

हम दोनों के ही मुह से सिसकिय निकल रही थी , आज मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था, शायद वही हाल आर्या का भी था ..

मैं तब तक नहीं रुका जब तक मैंने अपने वीर्य का एक एक करता आर्या के कोख में नहीं डाल दिया .. हम दोनों ही एक दुसरे से लिपट कर तेज सांसे ले रहे थे , हवस का एक खेल पूरा हो चूका था लेकिन ख़त्म नहीं , लिंग तो मेरा अभी भी अपने पुरे आकर में था लेकिन वीर्यपात से उसमे थोड़ी शिथलन जरुर आई थी , मैंने एक बार वांग को देखा वो गुस्से में पैर पटकता हुआ वंहा से निकल गया ,

मैंने उसकी फिक्र किये बिना फिर से हलके हलके धक्के देना शुरू कर दिया था और मेरा लिंग फिर से कड़ा होने लगा , आर्या भी इस खेल के लिए तैयार थी , उसने प्यार से मेरे होठो में अपने होठ घुसा दिए और खेल फिर से शुरू हो गया ...
Fantastic update sir jee

Magar bahut jaldi hi arya ko chod diya pahle bambda ko chodna chahiye tha bechara wong uski barson ki tapsya ek pal main barbad ho gaya
 

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ये साले देव ने वहां काजल को किसी और से छीना था और यहाँ आर्य को वांग की नाक तले से निकाल के ले गया और उसे चोद भी दिया व् सील भी तोड़ दी आर्य भी पतली सुकड़ी सी ना जाने कैसे आराम से हमेशा खड़ा रहने वाले लंड से चुद गयी :D इस देव को ना तो काजल की फ़िक्र है ना ही वांग की बस चुदाई में लगा है अभी तो सरदारनी को भी चोदेगा लगता है इस कबीले से भी पिट पिटा के निकलेगा
 
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Darkk Soul

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अध्याय 23

बम्बादा के जिस्म की गर्मी और उसके हाथो का मेरे लिंग पर चलना मुझे बेकाबू कर रहा था ,अपनी शादी के बाद ये पहली बार था जब कोई पर स्त्री मुझे इतना उत्तेजित कर रही थी , मैंने उसे अपने से दूर किया ..

“ये आप क्या कर रही हो “

वो मेरे आँखों में घूरने लगी , ऐसा लग रहा था जैसे उसकी आंखे नशे में चूर है , अब ये नशा वासना का था या किसी और चीज का मुझे नहीं पता लेकिन उसके मादक रूप में उसके आँखों का नशा और भी मादक हो रहा था , बम्बादा फिर से मेरे करीब आने लगी , इस बार लगा की मैं खुद को नहीं रोक पाउँगा, मुझे उसके जिस्म का रस पीने की व्याकुलता ने घेर लिया था , हम करीब थे बिलकुल ही करीब मेरे होठ उसके होठो से मिलने ही वाले थे की ..

सर्रर्रर ..

मेरे साथ साथ बम्बादा भी चौक गई , मेरे और उसके होठो के बीच से कुछ बड़ी तेजी से निकला था , हम डर अलग हुए तो पाया की वो एक तीर था जो हमारे होठो के बीच की दुरी से गुजरता हुआ पास के पेड़ में जा लगा था ..

दोनों ही चौककर उस ओर देखे जन्हा से तीर चलाई गई थी ..

आर्या गुस्से से हमें देख रही थी ..

उसने मुझे घूरते हुए कहा

“इस ओरत से मैं तब से नफरत करती हु जब से इसने मेरे बाप से शादी की , अपने ही भाई को अपने जिस्म के जाल में फंसा कर और अब तुम ... “

वो इतना कहकर ही वंहा से निकल गयी थी , बम्बादा को जैसे आर्या के गुस्से से कोई फर्क ही नही पड़ा था लेकिन मैं आर्या के पीछे दौड़ा ..

“आर्या मेरी बात तो सुनो “

“जाओ जाकर उसके जिस्म से मजे करो मेरे पीछे आने से तुम्हे कुछ भी नहीं मिलने वाला , और कुछ मिलेगा तो वो है मौत “

आर्या ने मुझे देखे बिना ही कहा था , लेकिन उसके आवाज में फैला हुआ गुस्सा मैं साफ साफ महसूस कर सकता था ..

मैं उसके तीरंदाजी के कौसल से प्रभावित हुए बिना नही रह पाया , उसने हम दोनों के होठो के बीच से तीर निकाल दिया था, मुझे अहसास हो गया था की वांग के लिए आर्या को हराना कितना कठिन होने वाला है ..

मैं उसके पीछे ही दौड़ता रहा और उस तक पहुच गया ..

“आर्या तुम मुझपर गुस्सा क्यों हो रही हो वो तो सरदारनी थी जो की मेरे पीछे आई, मैं भी कई दिनों से भूखा हु इसलिए “

आर्या ने मुझे खा जाने वाली निगाह से घुरा

“भूखे हो तो क्या कचरा खा जाओगे ..??? इसलिए मैं मर्दों से इतना नफरत करती हु , साले सभी एक जैसे होते है , जन्हा मांस देखा नहीं लगे चाटने “

मुझे समझ नहीं आ रहा था की आखिर आर्या को इस बात से इतनी तकलीफ क्यों रही थी , उसकी बातो से मुझे जलने की बू आ रही थी .. वो मुझसे कोई 14-15 साल छोटी रही होगी , मेरे लिए वो किसी बच्ची की तरह ही थी लेकिन उसकी अदाए... बिलकुल जानलेवा ..

आर्या की बातो में मुझे मेरे लिए अपनत्व महसूस हो रहा था जिससे मेरे होठो में हलकी मुस्कान आ गई और मैं उसके पीछे ही लगा रहा ..

“ऐसे हर मर्द एक जैसा नहीं होता , वांग को देख लो , तुमसे बहुत प्यार करता है और तुम्हे पाने के लिए दिन रात एक कर रहा है ...”

हम जन्हा थे वंहा से वांग भी दिख रहा था , मैंने उसकी ओर इशारा करते हुए उससे ये बात कही थी , आर्या एक बार गौर से वांग की ओर देखने लगी ..

:”मैं कोई वस्तु हु क्या जो कोई मुझे जीत जायेगा या कोई मुझे पा लेगा , ऐसे भी मुझसे मुकाबला करना इस चूजे के बस के बाहर है “

आर्या ने एक तीर निकाला और वही खड़े होकर निशाना लगाने लगी , वही वांग अभी भी धनुष बाण लिए अपने लक्ष्य पर लगा हुआ था , आर्या ने तीर छोड़ा जो की वांग के छोड़े तीर से जा टकराया और वांग का तीर दूर हो गया ,

“क्या निशाना है ...वाह ..”

मेरे मुह से अनायास ही निकल गया था , वही वांग ने मुड़कर देखा और आर्या को देखते ही जैसे उसकी आँखों में चमक आ गई , वो बिलकुल शांत खड़ा हुआ उसे ही देखने लगा ..

“देखो उस चूजे को कैसे देख रहा है ..”

आर्या का गुस्सा अभी भी कम नहीं हुआ था ,

“वो तुमसे प्यार करता है आर्या “

“हूऊ प्यार ..??”

आर्या की बात में एक व्यंग था .

“कोई किसी से प्यार नहीं करता सभी को बस लडकियों से एक ही चीज चाहिए “

उसने फिर से चिढ़ते हुए कहा

“तुम इतनी निगेटिव क्यों हो ...प्यार होता है , मुझे हुआ था , तुम्हारे नाना को प्यार हुआ था इसलिए तो वो यंहा रुक गए “

आर्या ने मुझे घुरा

“अगर तुम्हे प्यार हुआ था तो तुम बम्बादा के पास क्या कर रहे थे “

मैंने एक गहरी साँस छोड़ी

“प्यार और जिस्म की आग दो अलग चीजे है आर्या , मेरा प्यार मेरी बीवी है , लेकिन बम्बादा को देखकर मेरे अन्दर की आग जल गई थी ... लेकिन मुझे मेरा प्यार चाहिए ना ही ये सब “

आर्या ने मेरी बात का कोई जवाब नहीं दिया बस मुझे घूरते रही

“अगर इस चूजे को मुझसे लड़ना है तो इसे बोलो की बहुत मेहनत करे , वरना मेरे हाथ वैसे ही मरेगा जैसे दुसरे मारे गए “

आर्य इतना बोलकर वंहा से निकल गयी थी , इस छोटी सी लड़की का हुनर और तेवर देखकर मैं स्तब्ध था .. मैंने वांग की ओर देखा जो की आर्या को देखकर बहुत ही खुश नजर आ रहा था ..

‘इस बेचारे का क्या होगा ‘ मैंने मन ही मन सोचा .......

************

मैं और गैरी बैठे हुए थे और मैंने आर्या के बारे में उससे बात की , वो भी अपनी पोती के स्वभाव से दुखी था , उसके मन में भी अन्य बुजुर्गो जैसी चाहते थी की उसकी पोती जल्दी से जल्दी अपना घर बसा ले , लेकिन आर्या वैसी लड़की नहीं थी ...

गैरी ने मुझे सुझाया की मैं आर्या के करीब जाऊ और उसे समझू , इसके लीये एक अच्छी तरकीब भी बताई की उस पुस्तक को मैं आर्या के साथ मिलकर पढू क्योकि उसे पढने में बहुत ही दिलचस्पी है और वो बहुत कुछ उस भाषा को पढ़ सकती है ..

नदी के उसी किनारे में मैं उस पुस्तक को लिए बैठा था , वांग को मैंने बहुत सारे चीजो की प्रक्टिस के लिए बोल दिया था ताकि वो उसमे ही व्यस्त रहे , गैरी ने आर्या को मेरे पास भेजा था की वो मुझे पुस्तक पढ़ कर समझाए ..

वो अपने तेवर में आई और मेरे बगल में बैठ कर मेरे हाथ से वो पुस्तक छीन ली ..

मैं बस मुस्कुराते हुए उसे देख रहा था

“ऐसे क्या देख रहे हो ...??”

“हो तो तुम बहुत ही सुंदर शायद इसीलिए वांग तुम्हारे उपर फ़िदा हो गया है “

उसने मुझे थोड़े गुस्से से घुरा

“तुम हमेशा इतने गुस्से में क्यों रहती हो , जीवन बहुत सुंदर है आर्या “

वो कुछ नहीं बोली बल्कि पुस्तक के पन्ने पलटने लगी

“सच में बहुत इंट्रेस्टिंग है ये “ उसने पुस्तक को देखते हुए कहा

“मैंने तो सोचा था की ये सब महज कहानिया है लेकिन ये तो एक विशाल और ताकतवर ग्रुप की हिस्ट्री है ...”

उसकी बात से मुझे समझ आ गया था की इसे इस पुस्तक में बहुत दिलचस्पी है , उसे ध्यान से देखने पर मुझे उसकी सुन्दरता दिखाई पड़ रही थी जिसे उसने गुस्से के भीतर दबा कर रखा था , इस काबिले के कई मर्द थे जो इस नाजुक कलि को फुल बनाने को बेताब थे लेकिन काबिल का सबसे ताकतवर मर्द भी इसके सामने भीगी बिल्ली बना नजर आता , अपने तीखे तेवर के कारण ही वो आज तक कुवारी थी , उसे यु देखने से मेरे अंदर फिर से कुछ होने लगा था , लिंग में दर्द होने लगा अकड़ा तो वो हमेशा ही रहता ..

आर्या ने मुझे एक बार फिर गौर से देखा

“शायद मैंने तुम्हारे साथ ज्यादती कर दी , कल तुम्हारा सम्भोग बम्बुदा के साथ होने देना था मुझे , आखिर मैं कौन होती हू तुम्हे रोकने वाली , लेकिन तुम्हे उसके साथ देखकर पता नहीं क्यों मेरा खून खौल गया ..”

ये पहली बार था जब आर्या ने इतने प्यार से मुझसे बात की थी , मेरे चहरे में उसे देखकर मुस्कान आ गयी

“क्या तुम्हे जलन हो रही थी ??”

मैंने मुस्कुराते हुए ही कहा

“जलन ...?? आखिर मुझे जलन क्यों होगी “

उसकी आँखे बड़ी हो गई थी लेकिन चहरे में आया एक नूर साफ़ दिख रहा था , वो मुझसे शर्मा रही थी , मुझे सच में यकीं नहीं हो रहा था की ऐसे तेवर वाली लड़की कभी शर्मा भी सकती है लेकिन उसके गालो में आया वो नूर और मुझसे वो नजरे चुराना सा बता रहा था की वो शर्मा रही है ..

उसको शर्माता देख मेरा लिंग और भी कड़ा होने लगा था

मैंने हलके हाथो से उसके चहरे में आई बालो की लटो को हटाया , इस बार वो खुलकर शरमाई थी उसकी आँखे निचे झुक गई , मैंने पास आते हुए उसके गालो में हल्का चुम्मन दिया , ऐसे लगा जैसे उसके शरीर में कोई करंट दौड़ गया हो ...

“ओह तो ये बात है , इसलिए तुम बम्बदा पर गुस्सा हो रही थी ..”

वो अभी भी निचे ही देख रही थी , वो शांत थी और मैं भी , कई दिनों से मैं स्त्री के संसर्ग से वंचित रहा था , और आज मेरे सामने एक जवानी की दहलीज में कदम रखी हुई नयी नयी कली थी . इसे भोगने को मैं आतुर हो उठा था , मैंने महसूस किया था की मैं पहले से कई गुना कामुक हो गया हु , स्त्री का स्पर्स ही मुझे उत्तेजित कर जाता है , मैं वही इंसान था जिसने पूर्वी के आग्रह को कई बार ठुकराया था , मैं उसके और भी करीब आते गया और आर्या के पहने हुए अजीब से पोशाक को हटाने लगा , वो बिना किसी अन्तःवस्त्र के मेरे सामने पूर्ण नंग्न थी , उसके संतरे के आकर के वक्ष पहाड़ो जैसे खड़े हो गए थे , एक स्त्री के उत्तेजित होने का ये संकेत मैं अच्छे से पहचानता था ..

यही मुझे अभी सबसे आकर्षक भी लग रहे थे , मैं झुका और उसके स्तनों पर हलके से अपनी जीभ फेर दी ,

“आह ..”

उसके मुह से अनायास ही निकल गया था , उसने पुस्तक एक ओर रख दिया और खुद ही वंहा बिछे हरे कोमल घास में लेट गई , ये उसका मेरे लिए समर्पण था , मैं भी बिना देर किये उसके उपर आ चूका था , उसके कोमल और कसे हुए शरीर से खेलते हुए मैं कब निर्वस्त्र हो गया मुझे पता ही नहीं चला ..

मेरा लिंग किसी लोहे की रॉड की तरह अकड़ा हुआ था , जो सीधे आर्या की कुवारी छेद में घुसना चाहता था , आर्या ने बिना कुछ बोले ही अपने पैर खोल दिए थे .. ऐसा लगा जैसे मुझसे ज्यादा जल्दी तो उसे है , हो भी क्यों न उसकी उम्र ही ऐसी थी जब देह की आग सबसे ज्यादा होती है ..

मेरा लिंग उसके छेद पर टकराया तो मैंने उससे बहते हुए पानी को महसूस किया , उस चिपचिपे पानी में एक बार मैंने अपने लिंग को रगड़कर गिला किया , , आर्या की आँखे बंद हो चुकी थी वो बस इस पल का मजा ले रही थी , मैंने अपने लिंग के उपरी त्वचा को खिंचा और जमाते हुए हलके धक्को से आर्या की जवान और कसी हुई योनी में प्रवेश करने लगा ,

वाह योनी की इस गर्मी और लिंग की रगड़न का आभास ऐसे मैं भूल ही गया था , काजल की कोमल और चिकने छेद से मैं कई दिनों से दूर रहा था और अब मुझे ये आनन्द मिल रहा था , आर्या ने मुझे जकड़ लिया और मैं उसके उपर ही छा गया था , हर धक्के से मेरा लिंग उसकी योनी में और गहरा जाता और जगह बनाता था ,

ऐसे तो हम दोनों दुनिया ही भूल चुके थे लेकिन किसी के पैरो की आहट से हम दोनों ने उस ओर देखा , सामने मुह फाड़े वांग खड़ा था , उसके जिस्म का पसीना उसके मेहनत की कहानी कह रहा था , शायद वो पानी के प्यास के कारन नदी के किनारे आया हो , चहरे में भीषण आश्चर्य और शोक के भाव साफ़ साफ़ दिखाई दे रहे थे , मेरा लिंग आर्या के योनी में था और हम दोनों की निगाहे वांग पर , ऐसा लग रहा था की या तो हमारे उपर हमला कर देगा या रो पड़ेगा , लेकिन वंहा रोनी सुरत बनाये आश्चर्य से खड़ा हमें ही देख रहा था , मानो उसके पैर जैम गए हो ,

मैंने अपने लिंग को थोडा उपर खिंचा और एक आखरी धक्के के साथ पूरा लिंग आर्या की योनी में डाल दिया ...

“आआआ ह्ह्ह्ह “

आर्या जो की अभी भी वांग को देख रही थी मेरे ही अचानक हुए हमले से मजे के सागर में डूब गई , उसने मुझे और जोरो से कस लिया था और मेरे होठो को चुमते हुए अपनी आँखे बंद कर ली , मेरा भी हाल उत्तेजना के कारन ख़राब थी , वांग की चिंता ना करते हुए मैंने पूरा ध्यान इस चुदाई पर लगा दिया , और अपने कमर को तेजी से चलाने लगा , आर्या और मैं दोनों ही इस खेल के मजे में डूब चुके थे हमारी आँखे बंद थी ताकि हम इसका पूरा मजा उठा सके और दुनिया को भूल जाये ...

हम दोनों के ही मुह से सिसकिय निकल रही थी , आज मुझे जन्नत का मजा मिल रहा था, शायद वही हाल आर्या का भी था ..

मैं तब तक नहीं रुका जब तक मैंने अपने वीर्य का एक एक करता आर्या के कोख में नहीं डाल दिया .. हम दोनों ही एक दुसरे से लिपट कर तेज सांसे ले रहे थे , हवस का एक खेल पूरा हो चूका था लेकिन ख़त्म नहीं , लिंग तो मेरा अभी भी अपने पुरे आकर में था लेकिन वीर्यपात से उसमे थोड़ी शिथलन जरुर आई थी , मैंने एक बार वांग को देखा वो गुस्से में पैर पटकता हुआ वंहा से निकल गया ,
मैंने उसकी फिक्र किये बिना फिर से हलके हलके धक्के देना शुरू कर दिया था और मेरा लिंग फिर से कड़ा होने लगा , आर्या भी इस खेल के लिए तैयार थी , उसने प्यार से मेरे होठो में अपने होठ घुसा दिए और खेल फिर से शुरू हो गया ...

हम्म.. 🤔

तो सरदारनी और देव के बीच सम्भोग का पहला चरण आरम्भ होने ही वाला था कि तभी बीच में आ गई आर्या बेबी की तीर. अच्छा हुआ उड़ता तीर कहीं और नहीं लगा.. नहीं तो अपने हीरो की इज्ज़त की ऐसी-तैसी हो जाती.

आर्या का हीरो के प्रति आकर्षित होना और व्यवहार में परिवर्तन आना, फ़िर उसके लिए अपनी बाहें और टाँगें फैला देना ; ये उसके कम उम्र में उठते यौन इच्छाओं का ही परिणाम हैं.. अपडेट में साफ़ है कि वो हीरो (देव) के प्रति आकर्षित है परंतु ये स्पष्ट नहीं है की ये निश्छल प्रेम ही है या यौन आकर्षण को समझा जाने वाला प्रेम!

वांग के साथ बुरा हुआ... मेरी पूरी सहानुभूति है उसके लिए. देव को ऐसा नहीं करना चाहिए था वांग के प्रति; लेकिन क्या आर्या के साथ समागम होते समय देव को वांग के बारे में ज़रा सा भी कुछ भी याद था? शायद नहीं; आग कुछ ज़्यादा ही लगी थी उसके अंदर.

एक तरह से देखा और कहा जाए तो देव ने वांग का लंड घूमा कर उसी के गांड में डाल दिया !

अब वांग बन गया है एक नाकाम आशिक! और एक नाकाम और घायल आशिक के अंदर बहुत दर्द होता है जो अमूमन भयंकर गुस्से के रूप में ही बाहर निकलता है.. किसी घायल जंगली शेर या हाथी से भी अधिक घातक होता है. गुस्सा किसके ऊपर निकलेगा --- आर्या? या देव?? या फिर दोनों के ऊपर???

या फिर भोंसड़ी का अभी भी 'चोदू' बना रहेगा??!
 
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