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Horror कमरा नंबर 143 ( Incest + Horror + Suspense)

Prince_007

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अपडेट 1
सफर,
राकेश को आज ऑफिस में उसके जन्मदिन पे प्रोमोशन मिला था आज उसको दो दो खुशिया एक साथ नसीब हुई थी ।उसने सोचा घर जाकर सब को सरप्राइज़ दूँगा।
जैसे ही घर पे पहुंचा दरवाजा खोल के अंदर गया तो पूरे घर में अंधेरा ही अंधेरा था ।वो सबको आवाज़ लगाने लगा ,मम्मी,पापा ,नेहा,आरोही कहा हो तुम सब, कोई दिखाई नही दे रहा है और ये पूरे घर में अंधेरा क्यों है बार बार आवाज़ देने के बाद भी कोई आवाज़ नही आती तो वो थक हारकर अपने जेब से मोबाइल फोन निकलता और उसके टॉर्च की रौशनी से अंधेरे को चिरती हुई एक छोटी सी रोशनी घर में दिखाई देने लगती है ।वो घर के स्विच ढूढ़ के दबाया और पुरा हॉल रौशनी से नहा उठा राकेश के गाला सुख गया था डर और पसीने उसके चेहरे पे साफ दिखाई दे रहा था ।उसकी धड़कने तेज़ हो चुकी थी तभी एक आवाज़ से वो डर जाता है ।कौन है कौन वहा कोई आवाज़ ना सुनकर वो और घबरा जाता था तभी उसे याद आता था अरे में भी ना फोन तो हाथ में ही है कॉल करता हूँ सब को वो कॉल करने लगते है पर सबका फोन बंद आ रहा था राकेश और घबरा जाता है डर और चिंता के मारे उसका गाला सूखने लगता तभी वो किचन की तरफ चल पड़ता है पूरे किचन में अंधेरा पसरा हुआ था ।उसने स्विच ढूढ़ा और जैसे ही दबाया पुरा किचन रौशनी से जगमगा गया ।उसने फ्रीज़ खोला और पानी की बोतल निकाल के पीने लगा तभी उसकी नज़र फ्रीज़ के ऊपर पड़ती है वहा कोई कागज़ रखा हुआ था ,ऐसा पहले कभी नही हुआ की राकेश का घर बिखरा हुआ हो हर चीज़ सही जगह ही मिलती थी उसकी पत्नी पूरे घर को अच्छे से संभालती थी ।उसने बोतल रख कागज़ उठा लिया और उसको खोल के देखने लगा उसमे कुछ लिखा था जिसे पढ़ के राकेश की आँखें नम हो जाती है वो रोने ही वाला होता है की एक दम से उसे आवाज़े सुनाई देती है
हैप्पी बर्थडे टू यू....
हैप्पी बर्थडे टू यू....
हैप्पी बर्थडे टू यू डियर राकेश....
हैप्पी बर्थडे टू यू.....और जोर जोर से तालिया बजने लगती है राकेश ये सब देख खुशी से फुला नही समा पा रहा था ।वो रोते हुए नेहा से लिपट जाता हैं सब देखते रह जाते है ।
नेहा - अरे बाबा क्या हुआ आप को सुनिए ना ।
पर राकेश बस आँखें बंद किये सिसक रहा था उसकी आँखों से आँसू भी निकल गये थे । तभी एक आवाज़ से घर की शांति भंग होती है ।
अरे वाह भैया बर्थडे पे सिर्फ भाभी को प्यार मिलेगा और मैं और मम्मी पापा कहा गये।
अभी भी राकेश नेहा से अलग नही हुआ था ।तभी नेहा बोली सुनो जी क्या कर रहे हो मम्मी पापा खड़े है मुझे शर्म आ रही है छोड़ो ना ।इतने सुनते ही राकेश नेहा से अलग होता है ।तभी नेहा को राकेश के आँखे भीगी हुई मिलती है वो देख नेहा की भी आँखें नम हो जाती है ।
हरिलाल - अरे बेटा क्या हुआ
मुनिया - मेरा राजा बेटा रो क्यों रहा है
आप लोग बहुत गंदे हो वो कागज़ दिखाते हुए बोला और फिर से नेहा के गाले लग जाता है ।
कागज़ में लिखा था की आपके पूरे परिवार का एसिडेंट हो गया है और आपकी पत्नी नेहा मर चुकी है ।बाकी लोगो की हालत भी ठीक नही है ।आप जल्दी .... हॉस्पिटल आ जाये हम लोग हॉस्पिटल में ही आपका इंतेज़ार कर रहे है
इतना पढ़ते ही राकेश की आंखें नम हो जाती है वो रोने ही वाला होता है की एक आवाज़ से वो चौंक जाता है जो उसके ही परिवार की थी ।
नेहा - मुझे माफ़ कर दो जी मुझे ऐसा मज़ाक नही करना चाहिए था । नेहा बार बार राकेश के सर दबा के सहलाते हुए माफ़ी मांग रही थी ।
आरोही - सोर्री भैया मुझे भी माफ़ कर दो ये सब मेरी ही गलती है । मैंने ही बोला था भाभी को ऐसा करने को ,माफ़ कर दो भैया प्लीज़।
नेहा - हाँ ये तुम्हारी ही गलती है आरोही देखो इनका क्या हाल हो गया । और वो भी रोने लगती हैं।
आरोही - सोर्री भाभी सोर्री भैया मुझे माफ़ कर दो आरोही की भी आँखें नम हो गयी थी।
इधर मम्मी पापा को कुछ पता नही था ये लोग किस बात की माफ़ी मांग रहे थे ।
राकेश- चुप होते हुए वैसे ये प्लान किसका था ।
नेहा - किसका होगा ऐसा बेकार प्लान आपकी प्यारी बहना का था और वो फिर से राकेश के गाले लग जाति है
इधर आरोही भी रोने लगी थी जब राकेश ने देखा तो बोला अब तु क्यों रोने लगी ।और उसको भी अपने गाले लगा लेता है ।तीनो मिलकर अपने गीले शिकवे दूर कर रहे थे की तभी पापा बोले अरे मुझे भी कोई बताएगा ये हो क्या रहा है आखिर बात क्या हैं।
नेहा -अपनी लाडली से पूछ लीजिये पापा
राकेश दोनो से अलग होता हुआ बोलता है पापा अब नाटक ख़तम करिये। मम्मी पापा एक टक देखते हुए एक साथ बोले कैसा नाटक बेटा ???
राकेश ये देखो पापा ये नाटक ,कागज़ पे लिखा पढ़ के हरी लाल के होश उड़ जाते है ,मुनिया बोलिये ना जी क्या लिखा है इसमे वो कुछ कहने की हिम्मत नही कर पाया ।तभी मुनिया वो कागज़ ले लेती है पर उसे पढ़ना तो आता नही था ,तभी राकेश बोलता है कागज़ पे लिखी हुई बीतों को सुन मुनिया के मुँह से निकलता है हाये राम और अपना सर पकड़ के बैठ जाती है । थोड़ी देर बाद मुनिया ये सब क्या है बहु ??
नेहा - मम्मी जी मेरी कोई गलती नही है ये आरोही बोली थी भईया को ऐसा सरप्राइज़ देते है तो मुझे लगा अच्छा ही है ।
आरोही तो डर से काँपने लगी थी क्यों वो अपनी माँ का गुस्सा जानती थी ।
मुनिया - आरोही ये सब क्या है ऐसा कौन लिखता है तुझे समझ है तूने क्या लिखा है और आरोही के गाल पे एक थपड़ मार देती है ।तभी हरीलाल और राकेश ,मुनिया को रोकते है ।
राकेश - माँ ये क्या कर रही हो उसने एक मज़ाक ही तो किया है और बेचारी अभी बच्ची ही तो है
मुनिया - मज़ाक करे पर ऐसा मज़ाक इसको इतनी भी समझ नही है । और काहे की बच्ची है ,विवाह हो जाये तो एक बच्चे की माँ बन जाएगी ।
तभी सब चौंक जाते है की मुनिया गुस्से में क्या बोल गयी
नेहा - मज़ाक करते हुए हाँ मम्मी जी एक क्या दो तीन बच्चे कर देगी आरोही और हँसने लगती है
तभी मुनिया को एहसास होता है वो गुस्से में क्या बोल गयी तब तक सब के चेहरे पे मुस्कान आ गयी थी पर आरोही को छोड़ के ,आरोही रोने वाली थी की राकेश उसको गले लगा लेता था ।
नेहा - हाँ तो कब करे मम्मी जी आरोही का विवाह और मुस्कुरा देती है ।
आरोही गुस्से में मुझे कोई शादी वादी नही करनी मैं कही नही जाउंगी अपने परिवार को छोड़ के और भैया से दूर तो कभी भी नही ।और राकेश से जोर से लिपट जाती है ।
राकेश बोलता है पर प्लान बहुत बढ़िया था मैं तो सच में बहुत डर गया था ।
नेहा - आखिर प्लान किसका था मेरी बन्नो का दिमाग़ है ही इतना अच्छा ।
आरोही - माफ़ कर दो भैया अब नही होगी ऐसी गलती ।
राकेश अच्छा चलो अब जन्मदिन का केक तो काट ले ।
केक खाने और लगाने के बाद वो लोग खाना खाने बैठ जाते है ,खाना खाते हुए राकेशा पापा एक सरप्राइज़ मेरे पास भी है तभी सब उसको देखते है और पूछते है पर राकेश नही बताता ।
खाना हो चुका था सब अभी हॉल में बैठे बातें कर रहे थे
आरोही - भैया बताओ ना क्या बात है प्लीज जल्दी ,आरोही एक चुलबुली लड़की थी हर बात जाने की जल्दी ही रहती थी ।
हरी लाल - क्या बात है बेटा बता दे वरना अब ये नही छोड़ेगी तुझे और सब हँसने लगते हैं।
राकेश - पापा मुझे प्रोमोशन मिला है और एक सप्ताह का हॉलिडे भी ये सुनते ही सब खुशी से उछल पड़ते है
आरोही भैया फिर तो पार्टी होनी चाहिए नेहा हाँ जी चलो ना कही चलते है कितना समय हो गया बहार गये हुए ।
राकेश अपने माँ पापा के पैर छु कर आशीर्वाद लेता है और फिर बोलता है हाँ क्यों नही कंपनी खुद मुझे एक सप्ताह के लिए शिमला भेज रही हैं।
आरोही - वाओ भैया क्या बात है मैं भी चलूंगी ।
नेहा - हाँ हाँ बन्नो चल लेना तुम भी पर ख़र्चे का भी तो हिसाब लगाना पड़ेगा ना ।
राकेश - अरे कोई खर्चा नही है कंपनी मुझे ये मुफ़्त में दे रही है मेरी मेहनत और काबिलियत को देखते हुए , पर एक परेशानी हैं।
नेहा -क्या परेशानी है जी ।
राकेश - कंपनी ने मुझे बस तीन ही पास दिये है और हम लोग ५ लोग है ।
हरीलाल - इसमे क्या परेशानी है बेटा तुम लोग हो आओ अब हमारी उम्र नही रही शिमला जाने की ।
मुनिया - हाँ राकेश के पापा जी आप सही कह रहे है बेटा तुम ,बहु और आरोही चले जाओ ।
राकेश पर मम्मी पापा आप लोग अकेले कैसे यहा रह पाओगे ।
हरिलाल - अरे बेटा एक सप्ताह की ही तो बात है और मैं इतना बुड्ढा नही हुआ की अपनी देखभाल ना कर सकूं हाँ तेरी माँ ज़रूर बुढ़िया हो गयी है और हँसने लगता है
मुनिया - क्या कहा में और बुढ़िया तुम ही बुड्ढे घुसठ हो मैं नही ।
हरी लाल - तो बच्चो को बोल दो जाने के लिए ।
मुनिया - मैं कहा मना कर रही हूँ मेरे तीनो बच्चे जाये।
तभी नेहा बोली माँ जी आप लोग अकेले छोड़ के जाने का मन नही है
हरिलाल - बेटा हमारी चिंता छोड़ और घूमने जाने के लिए तैयारी करो ।
सब लोग बात करके फैसला कर लेते है की कब और कितने बजे निकलना है क्यों की कंपनी ने रुकने के लिए होटल में कमरा बुक भी कर दिया था तो इसकी कोई परेशानी नही थी उनको बस अब शिमला के लिए निकलना था ।
कमरे में जाते ही राकेश ,नेहा को बाहों में भर लेता,नेहा छोड़ो ना आते ही शुरु हो गये थोड़ा इंतेज़ार करो नहा के आती हूँ राजा फिर बजा देना अपनी इस रानी का बाजा और नहाने चली जाती है इधर राकेश कल शिमला जाने के लिए बहुत उत्सुक था ।नेहा आकर राकेश से लिपट जाती हैं दोनो के होंठ मिल गये और फिर शुरू हुआ प्यार की एक नई परिभाषा ,धीरे धीरे दोनो एक दूसरे को नोंचने लगे और देखते ही देखते नेहा और राकेशा नग्न आवास्ता में बिस्तर पे एक दूसरे के बदन से खेलने में लगे हुए थे दोनो ने मस्ती और मदहोशी में आहे भर रहे थे ,गरम सिसकियाँ से पुरा कमरा गुज रहा था और निचे बिस्तर पे दो टांगो के बीच जंग छिड़ी हुई थी की कौन पहले धाराशाही होगा।
राकेशा का लिंग नेहा की योनि में घापा घाप अंदर बहार हुए जा रहा था मस्ती अपने पूरे जोर पे थी
आह्ह्ह..नेहा तुम कितनी मस्त हो जान उफ्फ्फ..तुम्हारी ये जवानी आह्ह्ह..नेहा ।
ये सब दरवाजे के भर खड़ी आरोही सुन रही थी । वो शिमला जाने के लिए बहुत उत्साहित थी तो अपने भैया से कुछ पूछने आयी थी तभी उसको ये आवाज़े सुनाई देने लगी और अब वो आवाज़ो से मस्त हो चली थी उसका एक हाथ उसकी योनि पे चला गया था ।आखिर वो भी जवान थी ये होना लाजमी था वो धीरे धीरे अपनी योनि को सहला रही थी।तभी इधर कमरे में एक जोरदार आह्ह्ह.. के साथ दोनो स्खलित हो जाते है ।दोनो नग्न ही एक दूसरे से लिपट के सो जाते है ।आरोही भी अपने कमरे में चली गयी थी।
सुबह की पहली किरण से नेहा उठती है सारा काम जल्दी से पुरा करने की कोशिश करने लगती है आज दोपहर को ही उनको शिमला के लिए निकलना जो था ।सब उठ चुके थे
नास्ता करके राकेश अपनी तैयारी करने अपने कमरे में चला जाता है और नेहा और आरोही जल्दी खाना बना के अपनी तैयारी भी करना चाह रही ।
दोपहर २ बजे सब निकलने के लिए तैयार खड़े थे ।
तीनो ही माँ पापा के पैर छु कर आशीर्वाद लेते है
पर इस बात से अनजान वो तीनो की ये शिमला उनके जीवन में क्या तूफ़ान लायेगा ।शिमला के लिए निकल जाते है ।
 
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TheBlackBlood

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:congrats: For Starting A New Story Thread. :flowers2:

Bahut badhiya shuruaat huyi hai kahani ki. Horror prefix...matlab dar aur khauf jaisi situation kahani me padhne ko milegi. Iski shuruaat to hero ke birthday ke din se hi ho gayi hai, halaaki ye hero ki bahan ka surprise plan tha. Waise aisa plan kaun banata hai Arohi dear?? Apne bhai ki to gaand hi faad di thi. :lol1:
Ab dekhna ye hai ki Shimla me in teeno ke sath kya hota hai. Shayad asli kahani shimla se hi shuru hone wali hai. :smoking:
 

Prince_007

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:congrats: For Starting A New Story Thread. :flowers2:

Bahut badhiya shuruaat huyi hai kahani ki. Horror prefix...matlab dar aur khauf jaisi situation kahani me padhne ko milegi. Iski shuruaat to hero ke birthday ke din se hi ho gayi hai, halaaki ye hero ki bahan ka surprise plan tha. Waise aisa plan kaun banata hai Arohi dear?? Apne bhai ki to gaand hi faad di thi. :lol1:
Ab dekhna ye hai ki Shimla me in teeno ke sath kya hota hai. Shayad asli kahani shimla se hi shuru hone wali hai. :smoking:
Thank you brother
 
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Prince_007

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शिमला में,
राकेश ,नेहा और आरोही पूरे रास्ते बहुत ही उत्सुक थे वो पहली बार शिमला जा रहे थे ।आरोही तो बस जल्दी से जल्दी शिमला पहुंचना चाहती थी । दोपहर से रात हुआ और रात से सुबह और सुबह की पहली किरण जब आरोही की आँख पड़ी और उसने अपनी आँखें खोली तो वो शिमला की वादियों में थी उसका चेहरा खिलखिला गया शिमला के प्राकर्तिक सौन्दर्य को देख के कुछ ही देर मे वो अपने होटल पहुंच गये।
होटल रॉकफोर्ड पहुंचने के बाद राकेश ने रिसेप्शनिस्ट से बात की तो उसे एक रूम दिया गया तभी राकेश बोला
पर मैम मुझे दो रूम चाहिए ।सर फिलहाल अभी एक रूम ही।नेहा पर हम तो तीन लोग हैं दो रूम तो चाहिए। तभी वहा होटल का मालिक आ जाता है ।जी सर क्या मैं आपकी कोई सहायता कर सकता हूँ।
नेहा -आप कौन है मिस्टर ??
होटल मालिक - जी मैं इस होटल का मालिक मिस्टर सोनू मलिक
राकेश - अच्छा अच्छा सर हमको दो रूम चाहिए पर मैम बोल रही है एक ही रूम खाली है ।
मिस्टर मलिक- ये क्या है सपना, सर के लिए रूम नही है कोई रूम ज़रूर होगा फिर से देखो ।
सपना - सर एक ही रूम है वो दे दिया । थोड़ी देर कुछ सोच के मिस्टर मलिक बोलते है कमरा नंबर 143 खाली होगा ना वो दे दो इतना सुनते ही सपना डर जाती है सर कमरा नंबर 143 ??? मिस्टर मलिक कुछ बोलते उससे पहले आरोही बोल देती है वाओ कितना लकी नंबर है 143 ये तो प्यारी की निशानी है भैया मुझे यही कमरा चाहिए प्लीज ।
राकेश ठीक है ठीक है सर क्या रूम सच में खाली ??
मिस्टर मलिक - जी सर वो स्पेशल कमरा है खाली ही रहता है । तभी नेहा बोलती है पर आपको ये रिसेप्शनिस्ट मैडम तो बोली कोई कमरा खाली ही नही है ।
मिस्टर मलिक - नही मैंम कमरा 143 तो हमेशा खाली ही रहता है वो क्या है की ये कमरा स्पेशल मेरे लिए ही है इसी लिए सपना इसको किसी को नही देती है ,यहा मिस्टर मलिक झूठ बोले गये थे पर उन्हे अंदाजा भी नही था उनका ये झूठ आगे चलकर किस अंजाम तक जाने वाला है ।उधर सपना के पैर डर से काँप रहे थे । राकेश ये कमरा बुक करने को बोलता है और कमरा नंबर 143 और दूसरा कमरा 142 दे जाता है । दोनो कमरे गिनती के हिसाब से पास में है पर होटल रूम के हिसाब से 143 सबसे अलग और था ये कमरा पूरे होटल का आखिरी कमरा था । मिस्टर मलिक सामान का बोल के खुद राकेश और उसकी फैमिली को छोड़ने जाते है ।
कमरा नंबर 142 राकेश और नेहा को दिया जाता हैं और कमरा नबर 143 आरोही को ।आरोही कमरे में जाती है देखती है वहा कमरा सच में काफी शानदार था वो बहुत खुश थी शिमला में आकर और अब ये इतना अच्छा कमरा , मिस्टर मलिक कमरे की साफ सफाई और सामान के लिए बोल के निकल जाते है ।
निचे होटल रिसेप्शनिस्ट सपना और होटल का ही एक वेटर बातें कर रहे थे की मिस्टर मलिक वहा पहुंच जाते है ।तुम लोगो को हुआ क्या है अभी तक समान उनके कमरे में नही पहुंचा ।
सपना - सर आप ये क्या कर रहे है इस कमरे के बारे में जानते हुए भी आप ने उन लोगो को 143 दे दिया वो भी एक मासूम सी लड़की को कितनी भोली सूरत है उसकी कुछ हो गया तो क्या होगा ।
मिस्टर मलिक - देखो सपना वो बात 6 महीने पुरानी है उसके बाद ऐसा कुछ नही हुआ बहुत मुश्किल से होटल फिर शुरु हुआ है और मैं अब पापा की तरह अपना नुकसान नही करवा सकता । तुम जानती हो हमे कितनी ज़रूरत है पैसे की और इस तरह गेस्ट आकर चले जाएंगे तो कैसे चलेगा ।
सपना - सर उस काले कमरे का सच आपको पता है फिर भी अपने वो रूम उन लोगो को दे दिया । और ६ महीने से हमने वो कमरा किसी को नही दिया बंद पड़ा था ।
मिस्टर मलिक - देखो मैने जो किया ठीक किया मुझे अब पैसा चाहिए और तुम्हे भी समझी इस लिए अपना काम करो कमरा नंबर 143 की साफ सफाई करवा दो ठीक से बाकी कुछ बुरा नही होगा हम लोग है ना देखते रहेंगे समय समय पे चिंता मत करो और कुछ दिनों की ही तो बात है जैसे ही कोई रूम खाली होगा कोई बहाना बना के उनको दूसरा कमरा दे देंगे ।और वहा से चला जाता है।
आरोही बहुत खुश थी इतना बड़ा कमरा उसे मिला था ।तभी दरवाजे पे कोई आहट होती है जिसको सुन के आरोही दरवाजा खुलती है सामने होटल स्टॉफ खड़ा था समान लिए और दो साफ सफाई के लिए साथ आये थे
मैंम क्या आप कुछ समय के लिए कमरे से बहार चली जा सकती है कमरे को अच्छे से साफ कर देते है फिर आप आ जाना । इतना सुनते ही अपने भ भैया भाभी के कमरे की तरफ चल देती है ।
दोनो अपने काम को जल्दी से पुरा करना चाहते थे
होटल स्टॉफ 1 - यार इस होटल में काम करना मौत को दवात देना है।
होटल स्टॉफ 2 - सही कह रहा है यार ये मनुस कमरा पता नही कब हमारा साथ छोड़ेगा ।
दोनो का डर से बुरा हाल था जैसे तैसे काम पुरा तो करना ही था ।
होटल स्टॉफ 1- अरे जल्दी कर वरना मेरा पेशाब ही निकल जायेगा । 1 घंटे में ही दोनो अपना काम के जल्दी से निकल जाते है ।
और कमरे की चाभी रिसेप्शन पे दे देते है । इधर राकेश ,नेहा और आरोही शिमला के मौसम का मज़ा लेने के मॉल रोड पे टहल रहे है मॉल रोड की खूबसूरती को देख तीनो ही मोहित हो चुके थे। क्या नज़ारा था मॉल रोड का, जहाँ कई कैफे, रेस्तरां, पुस्तक की दुकानें, डाकघर और पर्यटन कार्यालय स्थित हैं। इस सड़क से आप शिमला की प्राकृतिक सुंदरता को भी देख सकते हैं।
एक इतना हसीन लम्हा वो आज जी रहे है सोच के ही उनके बदन को अंदर तक झंझुर देता है।
आरोही - वाओ भैया कितनी प्यारी जगह है
नेहा - सच में ऐसा लग रहा है जैसे स्वर्ग में आ गयी हूँ ।
तभी राकेश बोलता है हाँ मेरी जान सच में शिमला आने का बरसो पुराना ख्वाब पुरा हो गया ।आरोही थोड़ा मुस्कुरा देती हैं नेहा के लिए जान सुनकर ,काफी समय
मॉल रोड और फिर शिमला केंद्र में स्थित द रिज शिमला के लिए निकल जाते है । एक बड़ी और खुली सड़क है जो मॉल रोड के किनारे स्थित है। रिज एक ऐसे जगह है जहां पर आपको बहुत कुछ देखने को मिलेगा। यहां पर आप बर्फ से ढकी पर्वत श्रृंखलाओं के शानदार नज़ारे, विशेष कलाकृतियों बेचने वाली दुकानें देख पाएंगे।
शिमला का यह दर्शनीय स्थल स्थानीय लोगों और यात्रियों से भरा हुआ रहता है। यहां सड़क कई कैफे, बार, बुटीक, दुकानें और रेस्तरां भी हैं जो आने वाली भारी भीड़ को आकर्षित करते हैं। इतना घूम वो अपने होटल के लिए निकल जाते है ।सभी थक गये थे ।तीनो कमरे में बैठ के बातें कर रहे थे की कल कहाॅं कहाॅं घूमना है ।तीनो ही बहुत उत्सुक थे शिमला के प्राकर्तिक नज़रे को देखने के लिए ।
राकेश -कल हम लोग कुफरी हिल्स और जाखू हिल जाएंगे ।
शाम हो चली थी खाना खाने के बाद सोने के लिए अपने कमरो में चले जाते है । आरोही मन ही मन सोच रही थी की काश उसका भी कोई पति होता या कोई प्रेमी जिसके साथ वो शिमला की हसीन वादियों का आनंद ले पाती ।सोचते सोचते इसकी आँख लग जाती है ।
तभी रात को दरवाजे पे बार बार ठक ठक की आवाज से उसकी आँख खुलती है ,वो दिवार पे लगी घाड़ी में समय देखती है तो करीब 2 बजने वाले थे ।वो मन में सोचती है कौन आया होगा इतनी रात को वो उठकर दरवाजा खुलती है ,दरवाजे पे कोई नही था पुरी गैलरी खाली दिखाई दे रही थी ।वो थोड़ा डर जाती है फिर दरवाजा बंद करके बैठ जाती है । थोड़ी देर कुछ सोच के वो सोने के लिए लेटी ही थी की एक आवाज उसके कानो में होती है दरवाजा खोल आरोही ,खुलो दरवाजा वो अपने बिस्तर के अगल बगल देखती है पर कमरे में पुरा अंधेरा भरा हुआ था कुछ भी दिखाई नही दे रहा था तभी वो मोबाइल फोन को लेकर टॉर्च जलाती है उससे एक छोटी सी रौशनी निकल कमरे में प्रकाश भर देती है वो फिर इधर उधर देखती है कोई नही दिखाई देता।एक दम से दरवाजे भी एक दस्तक होती है जिससे वो घबरा जाती है । फिर से वही ठक ठक की आवाज़ आने लगी थी काफी देर तक वो आवाज़ आती रही पर आरोही को जैसे साँप सूंघ गया हो वो बस दरवाजे को देख रही थी ।लगतार आवाज़ के बाद वो ठक ठक की आवाज़ अचानक बंद हो जाती है ।पुरा कमरे में एक सन्नाटा पसरा हुआ था ।तभी आरोही उठा कर कमरे की लाइट चालू करती है और डरते डरते ही वो दरवाजा खुलती है,खोल के देखा तो कोई नही था चारों तरफ बस खाली पन दिखाई दे रहा था ।वो दरवाजा बंद कर फिर सोने जाती है की तभी वो ठक ठक की अचानक हुई आवाज़ से बहुत डर जाती है ।कमरे को कोई जोर जोर से पीट रहा ठक.....ठक.... ठक..... इतनी जोर की आवाज़ से आरोही बहुत डर गयी थी उसका पुरा चेहरा पसीने से तर बदर हो चुका था वो डर से काँपने लगी थी । गाला पुरा सुख गया था । फिर एक धीरे से आती आवाज़ सुनाई देती है मत खोल साली पर तुझे तेरे भैया से चोदवा के रहूंगी । तुझे उसकी रखैल बना के रहूंगी तेरे कोख से जनम लूंगी में और फिर लूंगी अपना बदला और एक भयंकर हँसते हुए सब कुछ एक दम शांत हो जाता हैं इतने डर से आरोही अपनी सलावर में ही मूत देती है । और बेहोश हो जाती हैं
 
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शिमला की मस्ती,
उधर दूसरे कमरे में, जाते ही राकेश और नेहा एक साथ नहा के अपनी थकान को दूर करने लगे और फिर कमरे में आकर चूमा चाटी करके दोनो एक दूसरे की थकान मिटाने में लगे हुए थे ।थोड़ी देर की होंठ चुसाई के बाद अलग होकर नेहा बोलती हैं ।
हम तो यहाँ साथ नहा कर और एक दूसरे का होंठ रस पी कर थकान दूर कर रहे है बेचारी मेरी बन्नो उसका भी सोचो कुछ जवानी की वजह से बेचारी रात भर जागती होगी ।
राकेश - क्या यार तुम ये गंदी बातें करती हो आरोही अभी बच्ची है जानू।
नेहा - अच्छा जी वो बच्ची है । माँ जी सही बोली थी की, कोई बच्ची नही है अभी चुदवा ले तो बच्चा कर देगी ।
चूची देखी है कभी उसकी कितनी बड़ी और टाइट हैं ।पुरी रस से भारी हुई हैं कोई मर्द उसे चूस चूस के खाली करे , अब ऐसा चाहिए मेरी बन्नो रानी को समझे ।
राकेश - तुम भी ना बेचारी के पीछे पड़ गयी हो अभी हँसने खेलने के दिन हैं वही करने दो ।
नेहा - वही तो में कह रही हूँ ।हँस तो रही है बस खेलने नही दे रहे हो तुम और मुस्कुरा देती हैं। पहले तो राकेश कुछ समझ नही पाता फिर समझ के बोलता है तुम और तुम्हारी ये गरम बातें मुझ में और जोश जागा देती है ।
नेहा - तो बात करूँ क्या आरोही से और आँख मार देती है राकेश तुम भी ना वो बहन है मेरी प्यार करता हूँ उसको ऐसा कभी नही सोचा उसके लिए मैने समझी तुम ।
नेहा - अरे में भी तो प्यार करने की ही बात कर रही हूँ अपना बहुत सारा प्यार भर दो उसकी अंदर और हँसने लगती है ऐसी मस्ती मज़ाक के साथ दोनो लिपट के सो जाते है ।
दरवाजे पे फिर से ठक ठक की आवाज़ से आरोही की नींद खुलती है तो वो अपने आप को बिस्तर पे सोता पाती है ।वो कुछ सोच ही रही थी की, तभी ठक ठक की आवाज़ के साथ एक और आवाज़ सुनाई देती है आरोही दरवाजा खोलो बहना क्या हुआ ,तुम ठीक तो हो ना ये आवाज़ राकेश की थी। ठक ठक की फिर आवाज़ होती है दरवाजा खोलो आरोही देर हो रही कितना सोओगी सुबह कब की हो गयी हैं । ये आवाज़ नेहा की थी ।तभी आरोही दिवार की घड़ी की तरफ देखती है 10 बजे चुके थे ।वो एक दम से उठ कर दरवाजा खोलती है और बोलती हैं सोर्री भैया सोर्री भाभी वो कल घूम के थक गयी थी तो इतनी गहरी नींद लगी समय का पता ही नही चला ।तभी नेहा बोली अंदर नही आने दोगी क्या सब दरवाजे पे खड़े खड़े बता दोगी ।और हँसने लगती है ।आरोही ओह सोर्री भाभी ।
राकेश कोई नही आरोही होता हैं आज हम खुद 9 बजे उठे है । आरोही अभी भी किसी गहरी सोच में डूबी हुई थी तभी नेहा बोलती है जल्दी से तैयार हो जाओ घूमने नही चलना है क्या वैसे भी काफी देर कर चुके है ।और निचे चले जाते है नास्ता करने के लिए ।इधर आरोही अपनी ही सोच में की कल रात क्या हुआ था वो तो बेहोश हो गयी थी ज़मीन पे, तो बिस्तर पे कब आयी और उसे ये याद क्यों नही है।फिर वो बेहोश होने से पहले का सोचती है ।वो..वो आवाज़ किसकी थी और वो कितना गन्दा बोल रही थी छी.. भैया और मेरे लिए मेरे भैया तो बहुत प्यारे है ऐसा कुछ करने का सोच भी नही सकते है ।बहुत देर सोचने के बाद उसको लगता है ये सपना रहा होगा तभी तो वो बेहोश ज़मीन पे हुए और सुबह बिस्तर पे सोई हुई थी । और बाथरूम नहाने चली गयी और अच्छे से नहा धोकर निकलने वाली थी तभी उसकी नज़र सलवार के उस हिस्से पे गयी जो बिल्कुल योनि के निचे था वो वहा थोड़ी दूरी में एक धब्बा दिखाई दे रहा जैसे कोई शरबत के गिरने या ,कोई पेशाब कर दिया हो ऐसा धब्बा लग रहा था वो एक दम सी सीहर गयी। क्यों की उसने देखा था की वो पेशाब कर दी थी जिसे वो सपना समझ रही थी वो हक़ीक़त में हुआ है ये सोच के उसे एक अजीब सा डर घेर लेता है क्या वो सच में हुआ था ।उसका गीला बदन पे पसीने की बूँद तो दिखाई नही दे रही थी पर कही ना कही वो डर ज़रूर गयी थी वो जल्दी से तैयार होकर निचे भैया भाभी के पास चली जाती है और नास्ता करके घूमने निकल जाते है । आज वो पहले कुफरी जाने के निकले ।तीनो ही बहुत उत्साहित लग रहे थे कुफरी घूमने के लिए, कुफरी शिमला हिल स्टेशन से 17 किलोमीटर दूरी पर स्थित एक ऐसी जगह है जो यहां आने वाले पर्यटकों को बेहद आकर्षित करती है। यह हिल स्टेशन प्रकृति प्रेमियों और रोमांचकारियों के शौकीन लोगों को बेहद पसंद आता है। कुफरी जाने पर आपको कई शानदार नज़ारे देखने को मिलेंगे। राकेश- भाई मज़ा आ गया कुछ भी बोलो क्या मस्त जगह है ।नेहा कहती है हाँ और ये सब आपकी वजह से मुमकिन हुआ पति परमेश्वर जी तभी आरोही भी बोलती है हाँ थैंक यू भैया खुशी और उत्सुकता के कारण उसके गालो को चूम लेती हैं । नेहा ये देख के राकेश को आँख मार देती है राकेश शर्मा जाता है । कुफरी घूम के तीनो को ही बहुत मज़ा आया मस्ती करते करते दोपहर हो चली सब ने एक ढाबे पे बैठ के खाना खाया और फिर चल पड़े अपनी नई मज़िल की तरफ और मस्ती भरे सफर पे इस बार वो जाखू हिल घूमने चल पड़े
शिमला से सिर्फ 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित जाखू हिल इस पूरे हिल स्टेशन की सबसे ऊँची चोटी है, जो इस शहर के अद्भुत और बर्फ से ढके हिमालय पर्वत का दृश्य को देख के आरोही का मनमोहक हो चुका था ।
आरोही - वाओ भैया सच में कही स्वर्ग है तो वो यही है
नेहा और राकेश भी बहुत खुश थे की आरोही इतनी खुश है तभी राकेश बोलता है एक मंदिर भी है चलो उसे भी देख लेते है और चल पड़ते है । इस पहाड़ी पर एक प्राचीन मंदिर है जिसका नाम जाखू मंदिर है, यह मंदिर हनुमान ही को समर्पित है और इसमें हनुमान की एक बहुत बड़ी मूर्ति है। यह मंदिर शिमला के प्रमुख दर्शनीय स्थलों में से एक है। घूमते घूमते समय का पाता ही नही चला और शाम होने लगी तो वो लोग फिर से होटल की तरफ चल दिये ।
आज इतना घूमने से बहुत थकान हो गयी थी तीनो को खाना खा के सीधा अपने अपने कमरे में चले गये । नेहा और राकेश आपस में लिपट के बात कर रहे थे।
नेहा - कैसा लगा आरोही का चूमा मेरे सजन जी
राकेश - क्या यार नेहा आज फिर शुरु हो गयी तुम
नेहा - अब बोलो भी आरोही रानी है ना मस्त माल और हँसने लगती हैं
राकेश - तुम भी ना यार चलो अब सो जाओ ,दोनो एक दूसरे को चूम के सो जाते है।
इधर आरोही थोड़ा डर रही थी कल के बारे में सोच के पर वो सब भूल गयी जब उसने आज की मस्ती को याद क्या वो भी बहुत थक गयी थी बिस्तर पे गिरते ही नींद की आखोश में चली गयी ।
आह्ह्ह... भैया ऐसा मत करो मैं आपकी बहन हूँ आह्ह .. मत चुसो भैया
राकेश - आह्ह..मेरी प्यारी बहना तेरे दूध.. उम्म.. कितने मोट है रस से भरा हुआ उम्म्म...
भैया पाप है ये, आप बहनचोद बन जाओगे और भाभी के बारे में सोचो वो क्या सोचेगी आह्ह.. भैया
राकेश - आह्ह.. बहुत मुश्किल से मिली है तु कब से तेरी बूर चुदना चाहता था आज शिमला में मुझे ये करने को मिला है अब नही आरोही आज चुदवा ले रानी ।
राकेश अपना लंड आरोही की बूर पे रख के झटका मरता है और आरोही सिसक के आह्ह्ह भर देती है और फिर दोनो टांगो के बीच एक जंग हो रही थी राकेश धना धन बूर चुदने लगा रहा आह्ह्ह.. आरोही मेरी जान तुझे अपने बच्चे की माँ बनाऊगा।
आरोही आह्ह .. मेरे राजा जी चोदो मुझे आह्ह।।मुझे नेहा भाभी की सौतन बना दो ।
दोनो अंतिम चरण पे पहुँच जाते है और चरमसुख पाने वाले होते है की नेहा आ जाती है और बोलती है साली रंडी मेरे पति को मुझसे छीनेगी ।तुझे अपने पति की रखैल बनाना था मुझे, साली भड़वे भैया की रंडी बहना ।और दोनो एक साथ अपना माल झड़ने लगते है आरोही का कामरस राकेश के वीर्य से मिल जाता है दोनों जोर जोर से साँसे ले रहे थे की तभी नेहा राकेश को हटा के आरोही की बूर से बहते मलाई को चाटने लगती है और पुरी बुर की मलाई खा कर एक भयंकर हंसी हँसते हुए साली छिनाल अब तेरी ज़रूरत नही है मुझे और नेहा ,आरोही की बूर को काट कर खाने लगी थी की एक चीख़ के साथ कमरा गूंज जाता था और एक दम से आरोही चीखती है नही भाभी ऐसा मत करो वो अपनी चूत को पकड़े हुए ही बोली वो आँख खोल के देखी रही पूरे कमरे में अंधेरा ही अंधेरा था कुछ नही दिखाई दे रहा था आरोही जोर जोर से साँसे भर रही थी। उसका पुरा बदन पसीने से भीगा हुआ था । आरोही एक दम से उठ कर कमरे की लाइट जला देती है कमरा एक दूधिया प्रकाश में नहा जाता है ।वो जल्दी से अपनी सलवार खोल के कच्छी उतर के अपनी बूर को आईने में देखती है उसकी बूर एक दम सही सलामत महफ़ूज़ थी वो एक आह्ह भरते हुए उफ़.. ये सपना था पर ऐसा सपना मुझे क्यों आया ।वो सोचने लगती है ।छी.. कितना गन्दा सपना था मैं अपने भैया के साथ छी .. और उसे अपने से घिन आने लगी की आज कल वो कैसे कैसे सपने देखने लगी हैं वो खड़े खड़े ही सोच रही थी की उसका एक हाथ उसकी बूर पे चला गया पर उसकी बुर में गीला पन था उसकी बुर एक चिपचिपे पानी से सनी हुए थी ।वो ऊँगली लगा के देखती हैं ये तो कामरस है ।ये कैसे निकला ।वो एक गहरी सोच में डूब जाती है
मैं पागल हो जाउंगी ये कैसा सपना आया था और भाई मेरे साथ ऐसा तो सोच भी नही सकते तो वो क्यों आये सपने में और भाभी उन्होंने मुझे गाली क्यों दी?? ,क्यों बोला की वो मुझे भैया की रखैल बनाना चाहती है ??? मेरा और भैया का मिला हुआ रस पी कर मेरी बुर पे हमला क्यों किया??
ऐसे बहुत से सवाल आरोही के दिमाग़ में घूम रहे थे वो सोच सोच के पागल हुए जा रही थी । की तभी दरवाजे पे किसी की दस्तक हुए ।आरोही निचे आ जाओ नाश्ता करने चलना है ना ।आरोही दरवाजा खोलती है तो सामने राकेश खड़ा था । साथ में नेहा भी थी ,नेहा को देख आरोही को बूर खा जाने वाला दृश्य याद आ जाता हैं। वही नेहा के चेहरे पे एक कोटिल मुस्कान थी ।
आज आरोही को कुछ कमज़ोरी महसूस हो रही थी आज आरोही घूमने जाने के लिए मना कर रही थी ।
नेहा - बन्नो क्या हुआ तुझे मना क्यों कर रही हैं आज तो और मज़ा आएगा घूमने में तभी राकेश क्या हुआ बहना तुम्हारी तबियत तो ठीक है ।
आरोही भैया थोड़ा कमज़ोरी हो रही है और पुरा बदन भी टूट रहा हैं ऐसा लग रहा है जैसे कोई मेरे बदन को जला रहा हो । राकेश परेशान हो जाता है कल तक उसकी बहन ठीक थी आज अचानक कमज़ोरी कैसे महसूस हो रही हैं ।वो नेहा को बोलता है नेहा तुम आरोही को देखो मैं डॉक्टर लेकर आता हूँ ।
ताबी एक आवाज़ आती है मत जाओ भईया मुझे छोड़ के ,ये आवाज़ आरोही की नही थी पर बोल आरोही ही रही थी ।नेहा एक डर जाती है साथ मे राकेश भी ,थोड़ी देर सोच के ।हाँ मेरी बहन मैं तुझे छोड़ के कही जा सकता हूँ क्या ,मैं अभी आता हूँ डॉक्टर लेकर बस गया और आया और उसके गालो पे एक चूमा दे देता है और चला जाता था इधर दर से नेहा की तो सिटी पिटी गुम थी फिर भी वो वही रुक गया और राकेश चला जाता है ।जाते हुए राकेश के दिमाग़ मे एक बात घूम रही थी आरोही के अंदर ये किसकी आवाज़ थी ऐसी आवाज़ तो कभी नही सुनी आरोही के मुँह से वो बहुत चिंतित था अपनी बहन के लिए पर वो इस बात से अनजान था की नेहा को उस कमरे में आरोही की साथ छोड़ के वो गलती कर चुका है।।
 
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