• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
31,619
92,259
189

Batman

Its not who i am underneath
Staff member
Moderator
19,485
14,242
214
अपडेट- 40………

सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥


0001-8642462416-20210925-211752-0000

सीन भाग- करो या मरो

रात गुलाबी…….

पिछले भाग मे।।


आओ तुम सब, संध्या ये बोलती है और अपने हाथ को कुछ गो घुमाती है, और बोलती है ये अब मेरे और तुम दोनों के लिए जाने का रास्ता बन गया है, चलो जल्दी। पंडित और पांडे दोनों हड़बड़ा जाते है, संध्या दोनों का हाथ पकड़ लेती है, और वो दानव थे तो संध्या उनको शैतानी दुनिया मे छू सकती थी। संध्या ने काले रंग के चोगे को पहने हुए अपने पिता की और मूड कर नाम आँखों से देखती है और कहती है, अलविदा पिता जी जल्द ही मिलेंगे

शैतान बस नाम आँखों ने उन तीनों को देखते हुए रह जाता है, बस उम्मीद करता है की उसका प्लान सफल होगा।

अब आगे।।

गतिशील सीन :-


दानवदेवता उर्फ शैतान ने अपनी बेट संध्या को पांडे और पंडित के साथ पृथ्वी पर भेज दिया था, ये सोचते हुए की उसकी योजना को अब संध्या पूरा करेगी। संध्या का आधा मानव होना और आधा दानव/पिसाच होना कोई संजोग नहीं था, ये पृथ्वीराज की योजना का हिस्सा था, पर दानव होने के बाद भी पृथ्वीराज को अपनी बेटी संध्या से लगाव और बड़ा प्रेम हो गया था। उसने संध्या को अपनी तरह शक्ति दे रखी थी। उसने संध्या को सभी तरह की युद्धनीतिया और लड़ने के तरीके बताकर उसे हर तरीके से लड़ने में निपुण कर दिया था। उसे अपने अंदर की सभ दानव शक्तियों को काबू करना आता था। वो अकेली बड़े बड़े शक्तिशाली 100 दानवों के बराबर थी। ऊपर से संध्या के अंदर सोचने और समझने की क्षमता बहुत तेज थी, वो आम इंसान से ज्यादा समझदार और निपुण थी।

इसी के रहते पृथ्वीराज ने उसे “रात की रानी” नाम की उपाधि दी थी, संध्या का कहर जब भी बरसता था तो वो काली रात की तरह अंधेर और डरावना होता था।


संध्या उर्फ रात की रानी की शक्तीया हमे पृथ्वी पर देखने को मिलेंगी चलो चलते है अब पृथ्वी की ओर जहा मुखिया और उसके गुंडे पुलिस वालों और गाँववालों से भीड़ रहे थे..॥


पंडित और पांडे के शैतान की दुनिया में जाने के बाद जो जवाला 15-20 फुट ऊपर की ओर जल रही थी, वो अब कम हो गई थी, बस उसमे से धुआ उठा रहा था, और हवं कुंड के पास पंडित और पांडे, दोनो के बेहोश शरीर पड़े थे। और जो आसमान में लाल रंग का घेरा शैतान की दुनिया का खुला था वो भी बंद हो चुका था, अब बस वहाँ उस महोल में काली अंधेरी रात तेज हवाए चल रही थी, और मौत का सन्नाटा था। जो अभी कुछ ही देर में खतम होने वाला था।

आज की रात में क्या क्या होना था कितना खून बहना था, और कितनों की जान जानी थी, कोन ज़िंदा रहना था वो तो बस वक्त ही बता सकता था।

कुछ पलों के लिए पांडे और पंडित की चीनखो को सुनकर और आकाश में खुले घेरे को देखकर मुखिया के गुंडों और पुलिसवालों दोनों के मन में घना डर बैठ गया था, पुलिसवाले अपनी जगह पर सन्न होकर रुक गए थे और बैठ कर वही दिल दहला देने वाले नजारे को देख रहे थे। पर इन्स्पेक्टर धीरज, दोनो गाँववालों देवसिंघ और फूलसिंघ, के साथ पीछे स्नाइपर बंदूक बड़ी चट्टान की ओट लेके छुपे हुए थे, जैसे ही धीरज भी बाकी लोगों की तरह एक बार सन्न होकर आसमान में हो रहे अजीबो गरीब घटना को देखता है, पर जब वो “लाल रंग” का घेर बंद हो जाता है, उसे याद आता है की वो यह क्यू आए है, वो तुरंत रेडियो पर पुलासवालों को आगे बढ़ने का ऐलान करता है, और साथ में देवसिंघ और फूलसिंघ को इशारा करता है।

धीरज- जवानों, अपनी जगह संभालो और आगे बढ़ो, दुश्मन बचने ने पाए।



ऐसा सुनते ही सभी वापिस से छोकन्ने हो गए, मुखिया भी जो की कुछ पल के लिए भटक गया था, वापस से छोकन्ना हो गया। मुखिया देखता है की पुलिस वाले 3 समूह में आगे बढ़ रहे है, मुखिया चुपके से चिमनी में बैठ हुआ रेडियो उठाता है। और विशाल से बात करता है

मुखिया- विशाल मेरी बात सुन, अभी थोड़ा रुको, इन लोगों को फायर रेंज में आने दो, मेरे कहने पर तुम लोग गोली चलाना (मुखिया चिमिनी में बैठ सही निशाने का इंतज़ार कर रहा था, वो एक स्नाइपर था तो उसे पता की उसकी जगह छुपी रहे तो उसे दुश्मन को मारने में आसानी रहेगी, इसीलिए वो गोली चलाने का इंतज़ार कर रहा था, और अभी भी उसे धीरज और बाकी दोनो गाव वासियों की जगह सही से नहीं दिख रही थी)

विशाल- ठीक है उस्ताद

विशाल से बात खतम होने के बाद मुखिया एक नजर पंडित और पांडे की बेहोश शरीर पर डालता है, और मन में दुआ करता है की पंडित की योजना कामयाब हो जाए।
विशाल आगे समीर को बताता है, और रेडियो पर सबको एक साथ रुकने को बोलता है।

सभी बाकी गुंडे विशाल और मुखिया की बात को समझ जाते है, और अपनी जगह पर डाटते रहते है, सभी लोगों की दिल की धड़कन बहुत बढ़ी हुई थी, घड़ी का एक एक पल बड़ी मुस्किल से कट रहा था।


3-3 समूह बनाकर पुलिस वाले आगे बढ़ रहे थे, बीच के समूह के एक पुलिस वाले ने बाकिओ को नीचे होने का इशारा किया और बाकी दोनो समूहओ के लोगों को दाहे बाये जाने को कहा। पुलिस वालों के पास रात में निशाना लगाने वाली बन्दूकए थी, जिनमे से उन्हे रात में भी दुश्मन दिख सकता था, और गाँव वालों के पास मशाले थी तो गुंडे उनकी नजर में आते ही वो गोली चलाने के तैयार थे। पर दूसरी तरफ गुंडों के पास ऐसी कोी बंदूक नहीं जिनसे वो रात में निशान लगा सके, बस मुखिया के पास ऐसी बंदूक थी, और वो ऊपर चिमनी में चुप हुआ था।

तीनों समूह के लोग नीचे बैठकर, झुके हुए आगे बढ़ रहे थे, मुखिया ऊपर बैठ हुआ उनको देख रहा था और उनकी चाल समझ गया था, वो घेरा बनाकर कोठी के ऊपर हमला करने वाले थे। मुखिया ने मन में तरकीब बना ली थी, और वो विशाल को रेडियो पर बात करता है।

मुखिया- विशाल समीर को लेके कोठी की छत पर जल्दी आ

विशाल कुछ समझ न पाया- उसने पूछने की कोशिश की- पर उस्ताद..


समीर रेडियो पर मुखिया की बात सुनकर विशाल की ओर सवाल भरी नजर से देखता है

मुखिया- समझाने का समय नहीं है, तुम दोनो हथियार लेकर ऊपर छत पर जाओ जल्दी

विशाल मुखिया की बात सुनकर समीर और विशाल दोनो जल्दी भाग कर छत पर चले जाते है। ऊपर बैठे हुए मुखिया देखता है की दोनो छत पर पहुच गए है। तो वो फिर से रेडियो पर विशाल को बोलता है।

मुखिया- दोनो छत की दीवार के डाए और बाये कोने पर हो जाओ, और अपनी जगह बनाकर चुप जाओ, वहाँ बक्से में हथियार है, दोनो हथियारों को तैयार करो। और मेरे इशारे पर हमला कर देना

मुखिया common रेडियो पर बोलता है- सभी लोग तैयार रहना, इशारे के साथ गोली चलना

गुंडों में से एक हड़बड़ा कर पूछता है- पर उस्ताद गोली किसपे, कोई आदमी नहीं दिख रहा है इस अंधेरे में, दूर से कुछ मशाल ही दिख रही है।

मुखिया- ऐसा सुनकर मुखिया के चेहरे पर मुस्कान फैल जाती है और वो बोलता है- अबे तू चिंता न कर, अभी पटाखों से रोशनी करवाता हु।

गुंडा- ठीक है उस्ताद, समझ गया

ऐसा सुनकर सब समझ जाते है, की क्या होना वाला है
पुलिस वालों की तीनों समूह अब कुछ 50 कोस दूर पहुच गए थे, उन्हे कोठी की दीवार साफ दिखाई देने लागि थी। 2 गुंडों के समूह, जिसमे 3-3 लोग थे, कोठी की दाई और झाडीओ में थे, और 1 समूह जिसमे अब 4 लोग हो गए वो बाई और था, और विशाल और समीर सामने की छत पर, दाई और बाई ओर थे।
धीरे धीरे पुलिस वाले आगे बढ़ रहे थे, धीरज 100 कोस दूर योजना के अनुसार चल रहा था, वो भी अभी गोली चलाने के लिए तैयार नहीं था, गोली चलाते ही उसकी जगह का पता चल जाना था। पर वो अपनी बंदूक से अपने सिपाहियों को देख रहा था, और अब उसे भी धीरे धीरे कोठी की दीवार साफ दिख रही थी। 5-5 लोग समूह के कोठी की तरफ फैल कर उसे घेर रहे थे।


पर जैसे ही पुलिस वाले 30 कोस दूर पहुचे, गाँव वालों के हाथों में मशाल की रोशनी से छत पर खड़े धीरज को 2 लोग दिखाई दिए, जिसे देखते ही उसकी सांस फूल गई, और दाई और पड़े रेडियो को तेजी से लपकने की कोशिश कड़ी। पर इससे पहले ही जोर का धमाका हो गया।
क्या हुआ..
.
.
.
.
.
.
मुखिया को दिख रहा था की पुलिस वाले क्या करने वाले है, वो कोठी को घेर कर हमला करना चाहते थे, पर मुखिया को दिख गया की उनकी बन्दूके रात में निशाना लगा सकती है। और भरी अंधेरी रात में कुछ भी दिख नहीं रहा था।

30 कोस दूर जब पुलिस वाले पहुचे तो विशाल और समीर दोनो को मशाल की वजह से लोग दिखाई देने लगे, और छत की उचाई से उन्हे फायेदा भी हो गया, और उन्हे ये भी पता था की उन्हे लोग कहा पर थे, दोनो के निशाने पर पुलिस वाले थे वो मुखिया के इशारे का इंतज़ार कर रहे थे, मुखिया चिमनी में से देख रहा था और सही मौके का इंतज़ार कर रहा था, उसने सही वक्त पर और सही दूर पर आने के बाद विशाल को रेडियो पर बोला- विशाल अब !!!!!!!!

बस इतना बोल ही था, विशाल और समीर, दोनो ने missile launcher से पुलिस वालों पर फायर कर दिया। यही चीज धीरज ने sniper बंदूक से देखि तो उसकी आंखे बाहर आ गई उसने सिपाहियों को आगाह करने के लिए रेडियो उठाने की कोशिश कड़ी पर उससे पहले ही तबाही उनके दामन को लाल रंग से रंग चुकी थी, और दाई और बाई तरफ के पुलिस वालों पर missile फायर करने के बाद सब जगह आग आग फैल गई।


दाई और बाई समूह के पुलिस वालों पर सीधा अचूक हमला होने की वजह से दोनो समूह में से 2-2 लोग उसी वक्त मार चुके थे, और बाकी लोग गहरी तरह घायल होकर चीख रहे थे, किसी का सिर, पैर और हाथ कट गया था या बुरी तरह से जल गया था। उनके कानों में से धमाके से खून निकाल रहा था, घायलों की चीखो ने जगह में मातम का अंधेरा फैला दिया था।

पर इसी वजह से अब रोशनी ही रोशनी हो गई थी, झाडीओ में छिपे हुए गुंडे दिखाई देने लगे थे, इसी को देख अब पुलिस वालों ने उनपर गोलीय चालानी शुरू कर दी, और बाकी गुंडों ने भी ऐसा ही किया। बची हुई मशाले गाँव वालों ने कोठी की छत पर फेकने की कोशिश करी, पर 30 कोस दूर से ऐसा होना मुस्किल था और 20 फुट उची दीवार तक मशाले नहीं पहुच सकती थी, पर धीरज और बाकी 2, देवसिंघ और फूलसिंह, को सब दिख रहा था, धीरज ने दोनो ठाकुरों को तैनात होने का इशारा किया

धीरज ने अब सबसे पहले रेडियो उठाकर कहा- सिपाहियों दाई और बाई और पेड़ के पीछे जगह बनाओ और वह से हमला कर, और बचे हुए साथियों को लेकर सुरक्षित जगह पहुचाओ।

बीच के समूह के लोग में से सिरफ एक घायल हुआ था उसके पैर पर हल्की सी चोट आई थी और वो गाँव वाला था, उसको उठाकर एक पुलिस वाले जल्दी से अपने कंधे पर ले लिया, और पेड़ की ओट में जाकर सबको इशारा किया, बाकी बचे सभी पुलिस वालों ने और उसको कवर करते हुए गुंडों पर गोलीया चालाना शुरू कर दिय।


मुखिया चिमनी में बैठ हुआ सही वक्त का इंतज़ार कर रहा की कब धीरज और दोनो ठाकुर, अपनी छुपी हुई जगह से गोली चलाए और वो उनको खत्म करे, उसे पता था, अब धीरज को और बाकी दोनो को लड़ाई में उतरना पड़ेगा, वो चिमनी में लेता हुआ, अपने चेहरे पर पसीने को बहते हुए महसूस कर रहा था, भारी बमबारी, दर्द भरी चीखो और दहकती आग के बीच उसे सिरफ अपने दिल की धड़कने सुनाई दे रही थी।
वो लंबी लंबी साँसों के साथ, अगले पलों का इंतज़ार कर रहा था।

बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
 

Batman

Its not who i am underneath
Staff member
Moderator
19,485
14,242
214
पाठको,

कोशिश करूंगा की अगला अपडेट कल श्याम तक या परसों तक पोस्ट कर दु

धन्यवाद।
 
Top