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Batman

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bro ye aap ne update diya hai ya introduction.....

curvymodelstv-20201218-36


कहानी की रफ्तार बनाए रखने के लिए, एक छोटा अपडेट दिया है, इसको अगले अपडेट का ही भाग समझिए, अगले अपडेट बड़े ही आएंगे
 

Batman

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अपडेट- 33………



सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥

सीन भाग- मनोहर पंडित और शैतान की पूजा

रात गुलाबी…….


पिछले भाग मे।।



पहला गुंडा,
वैसे तुझे पता है तुझे पता है क्या अंदर क्या हो रहा है

दूसरा गुंडा, नहीं पता क्या हो रहा, लगता है कुछ कांड हो रहा है अंदर

पहला गुंडा, साले बता ना दारू पिलाऊँगा तुझे,

दूसरा गुंडा, अरे नहीं पता सही बोल रहा, पर जो भी हो रहा है उससे लगता है सब बदलने वाला है……………..

अब आगे।।

आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN

मनोहर-MN लिखा जाएगा


पहले गुंडे का नाम समीर था और दूसरे का विशाल

समीर
- भाई सच मे, मुझे भी लगता है, मुखिया कुछ बाद कांड करने वाला है।

विशाल- तो तेरी क्यू फट रही है,

समीर- धीमी आवाज मे, भाई जब जब ये साला पंडित कोठी मे आता है कुछ ना कुछ कांड होता है,

विशाल-आंखे दिखते हुए, क्यू की विशाल को पता था मनोहर ही असली सरदार है, साले तुझे क्या मुखिया और पांडे लेके आते है, वो उनकी आपसी बात है

नहीं भाई मैं तो बस बोल रहा हू

विशाल-ज्यादा हवा मे मत उड़ा कर ऐसे, कुछ भी बोलत रहता है, मुखिया को पता लगा तो अच्छा नहीं होगा

समीर- मुखिया का नाम सुनते ही समीर की फट गई, ठीक है ठीक है नहीं बोलूँगा पर आज मेरा मन घबरा रहा है,

विशाल-तू चिंता मत कर छोटे तेरा भाई है अभी जिंदा

समीर- हआ भाई तेरा ही तो सहारा है बस।

समीर और विशाल की अच्छी दोस्ती थी, समीर का बच्चे जैसा दिमाग था, और विशाल को उसका भोलापन पसंद था, दोनों ने बहुत कांड साथ मे कीये थे।


कोठी के अंदर का माहोल :

कोठी के बाहर गुंडे पहरा दे रहे थे और अंदर कुछ गजब ही माहोल था, अंदर कोठी मे पीछे की तरफ जहा मनोहर और पांडे हवन कर रहे थे, काले मंत्र पढ़ रहे थे उस जगह के बाहर मुखिया पहरा दे रहा था उसके हाथ मे AK-47 थी, और वो छोकन्ना और तैनात था.

मुखिया ने बंदूक के कारतूस अपने बदन पर लपेटे हुए थे, एक गोला बारूद की कार्गो बेल्ट कमर पर बंधी हुई थी। उसका बड़ा कद था, और बड़ा शरीर था, एक गुंडा होने के बावजूब वो दिखने मे बहुत अच्छा था, उसकी दाई आँख पर हल्का कट लगा हुआ था, जो बचपन ने उसके बाप ने उसे दिया था, उसका बाप बहुत निर्दयी किसम था घर मे मार पीट करता था, और मोहल्ले का गुंडा था, एक दिन जब उसके बाप ने दारू पीकर नशे मे मुखिया की माँ को पीट पीट कर मार दिया तब मुखिया ने बचपन मे ही अपने बाप का चाकू से गला रेत कर हत्या कर दी, और मुखिया फिर घर छोड़ के भाग गया, ये सच सिर्फ मनोहर को पता था, मुखिया मनोहर को बड़ा भाई, माई बाप मानता था। मनोहर ने मुखिया को हर ऐसो आराम दिया, जगह दी, मुखिया मनोहर के लिए कुछ भी कर सकता था। और कुछ ऐसा ही दिन था जब शायद मुखिया को मनोहर के लिए अपनी जान पर खेलना पड़े।

कोठी के पीछे खुले मे मनोहर और पांडे हवं कर रहे थे, हवं की सामग्री मनोहर के दाई और रखी हुई थी, पांडे बराबर मंत्र पढ़ रहा था और हवं मे मात्र के साथ घी और सामग्री डाल रहा था, हवं कुंड की जवाला जोर जोर से दहक रही थी जिससे मनोहर और पांडे का तन तप उठा था, दोनों ने सिर्फ धोती और गमछा डाला हुआ था, हवं की भयानक आग की लपटे लगातार उठ रही थी उसके बाद भी उनके चारों और एक विचित्र तरह की काली परछाई उमड़ रही थी, जिस पर आग की लपटों से फैली रोशनी का कोई असर नहीं था, मंत्र जैसे जैसे बढ़ रहे थे, परछाई का अंधकार बढ़ता जा रहा था।



मनोहर ने हमेशा की तरह अपने आप को सोने की अंगूठियों और मालाओ से सजाया हुआ था, उसके बाद पीछे की तरफ एक बाँध रखे थे, मनोहर मंत्र पढ़ने मे लीन था, मनोहर और पांडे दोनों के शरीर की नसे खून के बहाव से फैल गई थी। हवन क्रिया के साथ उनकी साँसे चढ़ रही थी और शरीर से जैसे जान निकाल रही थी। पर मनोहर को इस क्रिया का ज्ञान था उससे इस क्रिया का अंजाम मालूम था। वो क्रिया को पूरा करने के तत्पर था, उसके सर पर जुनून सवार था।



मनोहर की आँखों मे गुस्सा और दर्द देखा जा सकता था, उसकी आंखे आसुओ के कारण सूजी हुई थी, और गुस्से से लाल हो रखी थी। क्यू की उसको सदियों पुराना एक सच मालूम पद गया था और उसी की वजह से आज वो इस हवन को हर हाल मे पूरा करना चाहता था, उसकी ज़िंदगी मे हमेशा से कुछ खालीपन था जिसका मतलब वो कभी नहीं समझ पाया था, उस खालीपन को भरने की खातिर उसने अपने आप को काली विध्या की और खुद को धकेल दिया, और तरह तरह का ज्ञान उसे प्राप्त हुआ, काला जादू, ज्योतिषी और वशीकरण जैसी विध्या मे महारथ हासिल करी। और फिर समय के साथ उसका प्रयोग करते हुए, पैसा और नाम कमाया, कितने गलत रास्तों पर चला और सरकार मे बड़ी बड़ी ताकतों के बीच अपनी जगह भी बनाई। पर इतना पैसा, इजात और शोहरत होने के बाद भी उसको चैन नहीं आया, मन का खालीपन नहीं भरा।

पर कुछ दिन पहले ही उसे अपने खालीपन का मतलब समझ आया, उसकी वजह थी कंचन। कंचन के गाँव मे आने से उसके मन तो संतुष्टि हुई थी, उसको पता नहीं था की इसका क्या मतलब था, जब तक कंचन को उसने देखा नहीं था तब तक उसको अपने मन की शांति का राज नहीं पता था। पूरे ashvapashupoor गाँव मे जब कंचन की चर्चा होने लगी मनोहर ने अपने सूत्रों और काली विद्या से जब पता लगाया कंचन का, जब उसको पता लग गया की उसके मन की शांति की वजह कंचन है, पर एक दिन जब कंचन मायादेवी के साथ मंदिर मे आई थी और मनोहर ने उसको देखा था, उसके मन की शांति फिर से खतम हो गई और उसके बदन मे अजीब सी गर्मी और बेचैनी फैल गई। उसको ज्ञान हो गया की कंचन मे कुछ रहस्यमयी बात है, कंचन को देखकर मनोहर की टन की भूख की गुना बढ़ गई थी, उसी रात उसने गाँव की 3 लड़किओ को कोठी मे बुलाया था, तीनों लड़किया पैसे के लालच मे और चुदाई मे लालच मे मनोहर के पास आती थी, तीनों लड़किया बड़ी चुदक्कड़ थी, मनोहर की पर्सनल रांड थी, ये बात तीनों लड़किओ के घरवालों को भी पता थी, तीनों गरीब परिवार से थी तो घर पर मनोहर की वजह से पैसा आता था तो कोई कुछ नहीं बोलता था। काभी कभी अकेले कभी 2 को साथ मे पूरी पूरी रात चोदता था, तीनों लड़किया मनोहर के लंड और चुदाई की दीवानी थी, तो जब मनोहर ने उनको उस रात बुलाय तो तीनों जरा भी नहीं हिचकाई तीनों आपस मे खुली हुई थी, मनोहर से उस रात तीनों को साथ मे बुलाकर पूरा रात चुदाई करी थी, कंचन को देखने के बाद उस रात उसके अंदर जैसे खूंखार जानवर घुस गया था जिसकी वजह से उसने तीनों लड़किओ को बुरी तरह से चोद दिया था, पांडे और मुखिया उस दिन कुछ गुंडों के साथ थे, सबको पूरी रात तीनों औरतो की कामुक सिसकारिया और दर्द और मजे की चीखे सुनाई देती रही थी, तीनों लड़किओ की हालत इतनी खराब हो गई थी की अगले दिन, डॉक्टर को बुलाना पड़ा था। उनके घर पर मुखिया ने अपने गुंडों के हाथ पैसे भिजवा दिए ताकि तीनों लड़किया और उनके परिवार चुप रहे।



उस रात के बाद जब मनोहर को होश आया तो उसे अपने रात के सावभाव पर बड़ा आश्चर्य हुआ, और उसके बाद मनोहर ने बहुत राते काली विद्या की क्रियाओ मे लगा दिए, और उसे दिल दहला देने वाला सच पता लगा की वो कंचन को सदियों से जानता है, और पिछले जनम मे वो उसका एक प्रेमी था, और पिछले जनम मे उसका कंचन के साथ गहरा प्यार था, (पिछले जनम की बाते आगे पूरा विस्तार मे बताई जाएंगी) जब मनोहर को अपने पीछे जनम की पूरी सच्चाई पता लगी तो उसका मन आग मे जल उठा, उसके टन मन मे आग फैल गई और उसने कसम खा ली की कैसे भी करके वो कंचन को जरूर पाएगा। और जो की उसे काली विद्या के रहते पता लग गया था की कंचन एक अवतार है तो उसके पास शैतान की पूजा करने के सिवा और कोई चारा नहीं था। आज अमावस की रात थी और इस रात शैतान की ताकते चरम पर होती है, और शैतान की दुनिया और धरती के बीच की दूरी बहुत कम हो जाती है, और शैतानी ताकतों का इस धरती पर आना आसाम हो जाता है, ऐसे मे जो भी कोई मानव शैतान की पूजा करता है और उसे बुलाता है तो शैतान उसको शक्तीया देता है। ये सारी बाते मनोहर को पता था, इसीलिए वो आज किसी भी हालत मे बिना बाधा के क्रिया पूरी करनी चाहता था।



इधर रामलाल के घर की और चलते है,

रामलाल धीरे कदमों से कंचन के कमरे की और
जा रहा था, कंचन भी रामलाल का बेसब से इंतज़ार कर रही थी, उसे मालूम था जल्द ही रामलाल आ जाएगा, और रामलाल ने जैसे ही कमरे के दरवाजे पर हल्की दस्तक दी कंचन ने अंदर से धीमी आवाज मे कहा

कंचन- आइए जी, कंचन ने कमरे मे छोटा सफेद रोशनी का बलब जल रखा था,

इधर दोनों को लिंदेव और योनिदेवी देख रहे थे।

लिंगदेव- देवी उधर मनोहर की क्रिया सम्पन्न होने वाली है, और इधर हमारी संभोग क्रिया शुरू ही नहीं हुई

योनिदेवी- देव धैर्य रखिए, एक बार इनका संभोग हो जाए फिर हम अपनी संभोग क्रिया शुरू करेंगे।

लिंगदेव- मुझे तो लगता है हमे अभी कर देनी चाहिए, वक्त बहुत कम है।

योनिदेवी- नहीं देव अभी कंचन इस चीज के लिए तैयार नहीं है, रामलाल से संभोग के बाद वो तैयार हो जाएगी उसकी कामोत्तेजना चरम पर होगी।

लिंगदेव- फिर हम कुछ करते है, लिंगदेव भविष्य मे देखता है और उसे पता चलता है मनोहर की क्रिया रुकेगी तो नहीं पर उसका रफ्तार कम हो जाएगी, जो वो क्रिया कर रहा है उसकों सम्पन्न करना मुस्किल है।

लिंगदेव-देवी ठीक है मनोहर की क्रिया पूरा इतनी जल्दी नहीं होगी। इधर बलदेव होता तो हम कुछ कर पाते

योनिदेवी- देव बलदेव जल्द ही आ जाएगा यह, पर क्या हमने कंचन को बलदेव का सच छुपकर सही किया,

लिंगदेव-देवी कंचन अभी तैयार नहीं है, उसको धीरे धीरे ये सब मालूम होने दो। आज रात उसे कुछ बाते और बताई जाएंगी



मनोहर और शैतान की यही बाते लिंगदेव और योनिदेवी को भी पता थी, पर वो इस धरती पर किसी भी मानव या प्राकृतिक घटनाओ मे बाधा खुद से नहीं डाल सकते उन्हे इसके लिए किसी मानव की सहायता लेनी पड़ती है, और इसी वजह से उन्होंने बलदेव को बचपन मे ही पहाड़ों और जंगलों मे, समाज से दूर, भेज दिया था, ताकि वो बिना किसी रोक टॉक के विद्या ले सके और समय आने पर बुराई का नाश कर सके। बलदेव भी कोई साधारण मानव नहीं था वो लिंगदेव का एक अवतार बनने के लिए ही पैदा हुआ था, बलदेव पर बचपन से ही लिंगदेव का गहरा प्रभाव था और बलदेव लिंगदेव की चेतना का सबसे बड़ा रूप था। ताकि समय आने पर जब कभी बलदेव को शैतानी शक्तियों से लड़ना पड़े लिंगदेव अपनी पूरी शक्तीया बलदेव को दे दे और जरूरत पड़ी तो खुद उसके शरीर मे प्रवेश कर ले. ऐसा ही आज होना था। लिंगदेव और योनिदेवी, कंचन और रामलाल के शरीर मे परवेश करने वाले थे, क्यू की कंचन को शक्तियों का मिलन बहुत जरूरी था।





बलदेव और कोई नहीं रामलाल का ही नाजायज बच्चा था, रामलाल ने मायादेवी से शादी से पहले गाँव मे की औरतो से संबंध बना रखे थे, उसका एक गाँव की सुंदरी पर दिल अआ गया था, चूकी रामलाल लिंगदेव की चेतन का रूप था और वो लड़की योनिदेवी की पुजारण थी, योनिदेवी ने ही उस लड़की को रामलाल से संभोग करने को कहा था, योनिदेवी की आज्ञा का पालन करते हुए उसने रामलाल से संभोग किया और गर्भवती हो गई, उसके बाद उसने गाँव छोड़ दिया और जंगलों मे जाकर रहना शुरू किया ताकि किसी को पता ना लगे, बलदेव के जनम के कुछ बरस बाद उसकी मौत हो गई और बलदेव का सारा जिम्मा योनिदेवी पर आ गया। रामलाल को भी इस बात से अनजान था की बलदेव नाम का उसका कोई नाजायज बच्चा भी है, पर उसे वो लड़की (नाम इसका नैना) बहुत समय तक याद रही, रामलाल को उससे प्यार हो गया था, पर जब उसको पता लगा की उसने गाँव छोड़ दिया है तो उसको दिल टूट गया था। (रामलाल और नैना की कहानी बाद मे आएगी)


बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
 
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Vijay

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Mast updste. Bahut din ke bad update dete ho bhain. Link tutne ke pahle update do to aur maja aayega.
Keep writting
 
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badhiya update bhai ji
 
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Mast updste. Bahut din ke bad update dete ho bhain. Link tutne ke pahle update do to aur maja aayega.
Keep writting
Kisi kaam me fas gya tha, usse pahle regular hi die hai update,


aur Is week me Update regularly aayega, enjoy the story
 
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DARK WOLFKING

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अपडेट- 32 A………



सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥


रात गुलाबी…….


पिछले भाग मे।।


योनिदेवी- जी हमे पता है वो हमारा ही रूप है, और औरत होने के नाते हमे मालूम है वो संभोग के लिए तैयार भी है

लिंगदेव- बीच मे बात काट ता हुआ, तो ठीक है देवी अमावस शुरू होते ही, हम मिलन शुरू कर देंगे, समय की चोट पर ही करना होगा ऐसा।

योनिदेवी- जी देव जैसा आप सही समझे

लिंगदेव को भविष्य पहले ही दिख रहा था, उसने सब योजना बना ली थी।

अब बस कुछ ही देर मे, अमावस अपने चरम पर होने वाली थी, जंगलों मे कोसों दूर पंडित मनोहर अपना काला रूप ले रहा था………


अब आगे।।

आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN

मनोहर-MN लिखा जाएगा




Ashvapashupur
के कई कोस दूर, वारंगल के पास घने जंगलों मे काली अंधेरी अमावस की रात मे मनोहर शैतान की पूजा कर रहा था, मनोहर ने जंगल के बीच एक कोठी बना रखी थी जिसकी पहरेदारी उसके वफ़ादार 10-12 लोग कर रहे थे, पहरेदारों के हाथों मे लाठिया और बंदूके थी। मनोहर पंडित की पहचान ऊपर तक थी, वो पुलिस वालों से काला धंदा करते हुए, असला और बारूद खरीदता और बेचता था। उसने गाव के चुनिंदा गुंडों को अपने नीच काम पे लगा रखा था, मनोहर के पास बहुत जमीन जायदाद थी, अपने गुंडों को वो खाना पीना और म मस्ती के पैसा भी देता था, बदले मे गुंडे उसके नाम पे काला धंदा करते थे, जिसमे नशा, हथियार, चोरी और रंडीबाज़ी भी जैसे काले काम शामिल थे। मनोहर गुंडों से सीधे बातचीत नहीं करता था, उसने सारा काम अपने खास आदमिओ को दे रखा था, उसके खास आदमिओ मे देश पांडे, कालू हरीश और मुखर्जी।

तीनों मे से सबसे कमीना मुखर्जी था, जिसको लोग मुखिया कहते थे, सब उसकी बात मानते थे, नए गुंडों की भर्ती उसके इशारों पर होती थी, पंडित की तोली मे सभी गुंडे बड़े बल और लंबे चोदे थे, उनकी दहशत और कमीनेपन की दूर दूर के गावों मे चर्चे थे। चोरी चाकरी और खून जैसे केस उनपर चल रहे थे। पर पांडे, कालू और मुखिया पर कोई केस नहीं था, वो अपना नाम सा रखते थे दूसरों से सारे गया काम करते थे। गिने चुने गुंडों को ही पता था के असल सरदार मनोहर पंडित था।

कोठी बहुत बड़ी थी, बाहर बरामद था, अंदर 3-4 कमरे थे, ऊपर फ्लोर पर भी 3-4 कमरे थे, गुंडों के लिए वह दारू और नशे का सामान रखा राहत था, और सारे ऐशों आराम की चीज़े थे, वैशयाओ को भी वह की बार लाया जाता था, पंडित मनोहर को हमेशा पीछे के दरवाजे या छुप छुपाकर वह मुखिया लेके आता था। आज कोठी के पीछे पंडित के पांडे हवन कर रहे थे और काले मंत्रों कआा जाप कर रहे थे, कोठी मे काला अंधेरा हो रखा था, सारे गुंडों ने कोठी को घेर रखा था, क्युकी मनोहर ने मुखिया को बोल दी था किसी भी चीज की वजह से हवन मे रुकावट नहीं आणि चाहिए। मुखिया अंदर मनोहर और पांडे के पास मौजूद था और बाकी गुंडे बाहर पहरा दे रहे थे, टे हवाये और बादलों मे बिजली की गड़गड़ाहट हो रही थी। आज की रात का अंधेरा कुछ ज्यादा ही था, जिसे देखकर कुछ गुंडे आपस मे बात कर रहे थे।

दो गुंडे जो लमबे चोदे 6 फुट की है के थे, धोत कुर्ता पहने हुए थे, एक के बाल बड़े थे जिसको उस छोटी मे बयान रखा था और हलक दाढ़ी मूछ थी, कसरत बदन था, अच्छा भारी सहरी था। थोड़ बावला किसम था शरीर से भले ही बलवान था पर उसका दिमाग बच्चों जैसा था, उसको गुस्सा बहुत जल्दी अआ जाता था, इसलिए दूसरे गुंडे उसका मजा लेटे थे

दूसरे ने छोटे बाल थे और थोड़ा सज धज कर उसने सोने की चैन पहनी हुई थी, मुस्कुलर शरीर था वो बाकिओ से थोड़ा समझदार था , गुंडों मे लोग उसको मानते थे, उसको ऊपर और नीचे क खबर रहती थी, शरीर मे काफी फुर्ती थी वो उसको लड़ना अच्छे से आता था, कुस्ती मे आसानी से लोगों को पछाड़ देता था। सावभाव से हसमुक था और चालाक भी।

पहला गुंडा, उसके हाथ मे बड़ी 12 पोरा बंदूक थी- अबे सुन आज रात कुछ ज्यादा ही काली हआ या मुझे लग रहा है

दूसरा गुंडा, उसके पास बड़ी तलवार थी, कुछ चाकू और छोटी रिवाल्वेर थी, क्यू बी तेरी गयंद फट रही है क्या

पहला गुंडा, भोंसड़ी के मेरी क्यू फटेगी मैं तो गांड फाड़ता हू

दूसरा गुंडा, हस्ते हुए, अच्छा तू!!!! गांडु क्या गांड फाड़ता होगा, वैसे रात तो काफी काली अंधेरी हो रखी है

पहला गुंडा, तो चूतिये वही तो कह रहा तू, सीधे मूह बात कर नहीं जाती तुझे, सीधा टट्टे खुजाने लगता है।

दूसरा गुंडा, हाहा क्या करू, तेरी लेने मे मजा आता है

पहला गुंडा, वैसे तुझे पता है तुझे पता है क्या अंदर क्या हो रहा है

दूसरा गुंडा, नहीं पता क्या हो रहा, लगता है कुछ कांड हो रहा है अंदर

पहला गुंडा, साले बता ना दारू पिलाऊँगा तुझे,

दूसरा गुंडा, अरे नहीं पता सही बोल रहा, पर जो भी हो रहा है उससे लगता है सब बदलने वाला है


बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।

अगले अपडेट में देखिए की क्या होता कोठी में , क्या बड़ा होने वाला है। उसने ऐसा क्यू बोला उसको ऐसा क्या पता है, पंडित अंदर क्या कर रहा है और क्यू कर रहा है ? सारे राज अगले अपडेट मे।

अगला अपडेट जल्द ही कल परसों में आएगा।
nice update ..to manohar pandit bure kaam bhi karta hai, aur apne kaam ke liye gunde bhi paal rakhe hai ..
manohar ke khas 3 aadmi hai deshpande ,kaalu harish ,aur mukherji jo sab gundo ko control karte hai ..

lagta hai un teeno ko bhi pata hai ki manohar shaitan ki puja karta hai ..
dekhte hai kis cheej ke liye hawan kar raha hai manohar 🤔🤔.
 

DARK WOLFKING

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सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥


रात गुलाबी…….


पिछले भाग मे।।



पहला गुंडा,
वैसे तुझे पता है तुझे पता है क्या अंदर क्या हो रहा है

दूसरा गुंडा, नहीं पता क्या हो रहा, लगता है कुछ कांड हो रहा है अंदर

पहला गुंडा, साले बता ना दारू पिलाऊँगा तुझे,

दूसरा गुंडा, अरे नहीं पता सही बोल रहा, पर जो भी हो रहा है उससे लगता है सब बदलने वाला है……………..

अब आगे।।

आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN

मनोहर-MN लिखा जाएगा


पहले गुंडे का नाम समीर था और दूसरे का विशाल

समीर
- भाई सच मे, मुझे भी लगता है, मुखिया कुछ बाद कांड करने वाला है।

विशाल- तो तेरी क्यू फट रही है,

समीर- धीमी आवाज मे, भाई जब जब ये साला पंडित कोठी मे आता है कुछ ना कुछ कांड होता है,

विशाल-आंखे दिखते हुए, क्यू की विशाल को पता था मनोहर ही असली सरदार है, साले तुझे क्या मुखिया और पांडे लेके आते है, वो उनकी आपसी बात है

नहीं भाई मैं तो बस बोल रहा हू

विशाल-ज्यादा हवा मे मत उड़ा कर ऐसे, कुछ भी बोलत रहता है, मुखिया को पता लगा तो अच्छा नहीं होगा

समीर- मुखिया का नाम सुनते ही समीर की फट गई, ठीक है ठीक है नहीं बोलूँगा पर आज मेरा मन घबरा रहा है,

विशाल-तू चिंता मत कर छोटे तेरा भाई है अभी जिंदा

समीर- हआ भाई तेरा ही तो सहारा है बस।

समीर और विशाल की अच्छी दोस्ती थी, समीर का बच्चे जैसा दिमाग था, और विशाल को उसका भोलापन पसंद था, दोनों ने बहुत कांड साथ मे कीये थे।


कोठी के अंदर का माहोल :

कोठी के बाहर गुंडे पहरा दे रहे थे और अंदर कुछ गजब ही माहोल था, अंदर कोठी मे पीछे की तरफ जहा मनोहर और पांडे हवन कर रहे थे, काले मंत्र पढ़ रहे थे उस जगह के बाहर मुखिया पहरा दे रहा था उसके हाथ मे AK-47 थी, और वो छोकन्ना और तैनात था.

मुखिया ने बंदूक के कारतूस अपने बदन पर लपेटे हुए थे, एक गोला बारूद की कार्गो बेल्ट कमर पर बंधी हुई थी। उसका बड़ा कद था, और बड़ा शरीर था, एक गुंडा होने के बावजूब वो दिखने मे बहुत अच्छा था, उसकी दाई आँख पर हल्का कट लगा हुआ था, जो बचपन ने उसके बाप ने उसे दिया था, उसका बाप बहुत निर्दयी किसम था घर मे मार पीट करता था, और मोहल्ले का गुंडा था, एक दिन जब उसके बाप ने दारू पीकर नशे मे मुखिया की माँ को पीट पीट कर मार दिया तब मुखिया ने बचपन मे ही अपने बाप का चाकू से गला रेत कर हत्या कर दी, और मुखिया फिर घर छोड़ के भाग गया, ये सच सिर्फ मनोहर को पता था, मुखिया मनोहर को बड़ा भाई, माई बाप मानता था। मनोहर ने मुखिया को हर ऐसो आराम दिया, जगह दी, मुखिया मनोहर के लिए कुछ भी कर सकता था। और कुछ ऐसा ही दिन था जब शायद मुखिया को मनोहर के लिए अपनी जान पर खेलना पड़े।

कोठी के पीछे खुले मे मनोहर और पांडे हवं कर रहे थे, हवं की सामग्री मनोहर के दाई और रखी हुई थी, पांडे बराबर मंत्र पढ़ रहा था और हवं मे मात्र के साथ घी और सामग्री डाल रहा था, हवं कुंड की जवाला जोर जोर से दहक रही थी जिससे मनोहर और पांडे का तन तप उठा था, दोनों ने सिर्फ धोती और गमछा डाला हुआ था, हवं की भयानक आग की लपटे लगातार उठ रही थी उसके बाद भी उनके चारों और एक विचित्र तरह की काली परछाई उमड़ रही थी, जिस पर आग की लपटों से फैली रोशनी का कोई असर नहीं था, मंत्र जैसे जैसे बढ़ रहे थे, परछाई का अंधकार बढ़ता जा रहा था।



मनोहर ने हमेशा की तरह अपने आप को सोने की अंगूठियों और मालाओ से सजाया हुआ था, उसके बाद पीछे की तरफ एक बाँध रखे थे, मनोहर मंत्र पढ़ने मे लीन था, मनोहर और पांडे दोनों के शरीर की नसे खून के बहाव से फैल गई थी। हवन क्रिया के साथ उनकी साँसे चढ़ रही थी और शरीर से जैसे जान निकाल रही थी। पर मनोहर को इस क्रिया का ज्ञान था उससे इस क्रिया का अंजाम मालूम था। वो क्रिया को पूरा करने के तत्पर था, उसके सर पर जुनून सवार था।



मनोहर की आँखों मे गुस्सा और दर्द देखा जा सकता था, उसकी आंखे आसुओ के कारण सूजी हुई थी, और गुस्से से लाल हो रखी थी। क्यू की उसको सदियों पुराना एक सच मालूम पद गया था और उसी की वजह से आज वो इस हवन को हर हाल मे पूरा करना चाहता था, उसकी ज़िंदगी मे हमेशा से कुछ खालीपन था जिसका मतलब वो कभी नहीं समझ पाया था, उस खालीपन को भरने की खातिर उसने अपने आप को काली विध्या की और खुद को धकेल दिया, और तरह तरह का ज्ञान उसे प्राप्त हुआ, काला जादू, ज्योतिषी और वशीकरण जैसी विध्या मे महारथ हासिल करी। और फिर समय के साथ उसका प्रयोग करते हुए, पैसा और नाम कमाया, कितने गलत रास्तों पर चला और सरकार मे बड़ी बड़ी ताकतों के बीच अपनी जगह भी बनाई। पर इतना पैसा, इजात और शोहरत होने के बाद भी उसको चैन नहीं आया, मन का खालीपन नहीं भरा।

पर कुछ दिन पहले ही उसे अपने खालीपन का मतलब समझ आया, उसकी वजह थी कंचन। कंचन के गाँव मे आने से उसके मन तो संतुष्टि हुई थी, उसको पता नहीं था की इसका क्या मतलब था, जब तक कंचन को उसने देखा नहीं था तब तक उसको अपने मन की शांति का राज नहीं पता था। पूरे ashvapashupoor गाँव मे जब कंचन की चर्चा होने लगी मनोहर ने अपने सूत्रों और काली विद्या से जब पता लगाया कंचन का, जब उसको पता लग गया की उसके मन की शांति की वजह कंचन है, पर एक दिन जब कंचन मायादेवी के साथ मंदिर मे आई थी और मनोहर ने उसको देखा था, उसके मन की शांति फिर से खतम हो गई और उसके बदन मे अजीब सी गर्मी और बेचैनी फैल गई। उसको ज्ञान हो गया की कंचन मे कुछ रहस्यमयी बात है, कंचन को देखकर मनोहर की टन की भूख की गुना बढ़ गई थी, उसी रात उसने गाँव की 3 लड़किओ को कोठी मे बुलाया था, तीनों लड़किया पैसे के लालच मे और चुदाई मे लालच मे मनोहर के पास आती थी, तीनों लड़किया बड़ी चुदक्कड़ थी, मनोहर की पर्सनल रांड थी, ये बात तीनों लड़किओ के घरवालों को भी पता थी, तीनों गरीब परिवार से थी तो घर पर मनोहर की वजह से पैसा आता था तो कोई कुछ नहीं बोलता था। काभी कभी अकेले कभी 2 को साथ मे पूरी पूरी रात चोदता था, तीनों लड़किया मनोहर के लंड और चुदाई की दीवानी थी, तो जब मनोहर ने उनको उस रात बुलाय तो तीनों जरा भी नहीं हिचकाई तीनों आपस मे खुली हुई थी, मनोहर से उस रात तीनों को साथ मे बुलाकर पूरा रात चुदाई करी थी, कंचन को देखने के बाद उस रात उसके अंदर जैसे खूंखार जानवर घुस गया था जिसकी वजह से उसने तीनों लड़किओ को बुरी तरह से चोद दिया था, पांडे और मुखिया उस दिन कुछ गुंडों के साथ थे, सबको पूरी रात तीनों औरतो की कामुक सिसकारिया और दर्द और मजे की चीखे सुनाई देती रही थी, तीनों लड़किओ की हालत इतनी खराब हो गई थी की अगले दिन, डॉक्टर को बुलाना पड़ा था। उनके घर पर मुखिया ने अपने गुंडों के हाथ पैसे भिजवा दिए ताकि तीनों लड़किया और उनके परिवार चुप रहे।



उस रात के बाद जब मनोहर को होश आया तो उसे अपने रात के सावभाव पर बड़ा आश्चर्य हुआ, और उसके बाद मनोहर ने बहुत राते काली विद्या की क्रियाओ मे लगा दिए, और उसे दिल दहला देने वाला सच पता लगा की वो कंचन को सदियों से जानता है, और पिछले जनम मे वो उसका एक प्रेमी था, और पिछले जनम मे उसका कंचन के साथ गहरा प्यार था, (पिछले जनम की बाते आगे पूरा विस्तार मे बताई जाएंगी) जब मनोहर को अपने पीछे जनम की पूरी सच्चाई पता लगी तो उसका मन आग मे जल उठा, उसके टन मन मे आग फैल गई और उसने कसम खा ली की कैसे भी करके वो कंचन को जरूर पाएगा। और जो की उसे काली विद्या के रहते पता लग गया था की कंचन एक अवतार है तो उसके पास शैतान की पूजा करने के सिवा और कोई चारा नहीं था। आज अमावस की रात थी और इस रात शैतान की ताकते चरम पर होती है, और शैतान की दुनिया और धरती के बीच की दूरी बहुत कम हो जाती है, और शैतानी ताकतों का इस धरती पर आना आसाम हो जाता है, ऐसे मे जो भी कोई मानव शैतान की पूजा करता है और उसे बुलाता है तो शैतान उसको शक्तीया देता है। ये सारी बाते मनोहर को पता था, इसीलिए वो आज किसी भी हालत मे बिना बाधा के क्रिया पूरी करनी चाहता था।



इधर रामलाल के घर की और चलते है,

रामलाल धीरे कदमों से कंचन के कमरे की और
जा रहा था, कंचन भी रामलाल का बेसब से इंतज़ार कर रही थी, उसे मालूम था जल्द ही रामलाल आ जाएगा, और रामलाल ने जैसे ही कमरे के दरवाजे पर हल्की दस्तक दी कंचन ने अंदर से धीमी आवाज मे कहा

कंचन- आइए जी, कंचन ने कमरे मे छोटा सफेद रोशनी का बलब जल रखा था,

इधर दोनों को लिंदेव और योनिदेवी देख रहे थे।

लिंगदेव- देवी उधर मनोहर की क्रिया सम्पन्न होने वाली है, और इधर हमारी संभोग क्रिया शुरू ही नहीं हुई

योनिदेवी- देव धैर्य रखिए, एक बार इनका संभोग हो जाए फिर हम अपनी संभोग क्रिया शुरू करेंगे।

लिंगदेव- मुझे तो लगता है हमे अभी कर देनी चाहिए, वक्त बहुत कम है।

योनिदेवी- नहीं देव अभी कंचन इस चीज के लिए तैयार नहीं है, रामलाल से संभोग के बाद वो तैयार हो जाएगी उसकी कामोत्तेजना चरम पर होगी।

लिंगदेव- फिर हम कुछ करते है, लिंगदेव भविष्य मे देखता है और उसे पता चलता है मनोहर की क्रिया रुकेगी तो नहीं पर उसका रफ्तार कम हो जाएगी, जो वो क्रिया कर रहा है उसकों सम्पन्न करना मुस्किल है।

लिंगदेव-देवी ठीक है मनोहर की क्रिया पूरा इतनी जल्दी नहीं होगी। इधर बलदेव होता तो हम कुछ कर पाते

योनिदेवी- देव बलदेव जल्द ही आ जाएगा यह, पर क्या हमने कंचन को बलदेव का सच छुपकर सही किया,

लिंगदेव-देवी कंचन अभी तैयार नहीं है, उसको धीरे धीरे ये सब मालूम होने दो। आज रात उसे कुछ बाते और बताई जाएंगी



मनोहर और शैतान की यही बाते लिंगदेव और योनिदेवी को भी पता थी, पर वो इस धरती पर किसी भी मानव या प्राकृतिक घटनाओ मे बाधा खुद से नहीं डाल सकते उन्हे इसके लिए किसी मानव की सहायता लेनी पड़ती है, और इसी वजह से उन्होंने बलदेव को बचपन मे ही पहाड़ों और जंगलों मे, समाज से दूर, भेज दिया था, ताकि वो बिना किसी रोक टॉक के विद्या ले सके और समय आने पर बुराई का नाश कर सके। बलदेव भी कोई साधारण मानव नहीं था वो लिंगदेव का एक अवतार बनने के लिए ही पैदा हुआ था, बलदेव पर बचपन से ही लिंगदेव का गहरा प्रभाव था और बलदेव लिंगदेव की चेतना का सबसे बड़ा रूप था। ताकि समय आने पर जब कभी बलदेव को शैतानी शक्तियों से लड़ना पड़े लिंगदेव अपनी पूरी शक्तीया बलदेव को दे दे और जरूरत पड़ी तो खुद उसके शरीर मे प्रवेश कर ले. ऐसा ही आज होना था। लिंगदेव और योनिदेवी, कंचन और रामलाल के शरीर मे परवेश करने वाले थे, क्यू की कंचन को शक्तियों का मिलन बहुत जरूरी था।





बलदेव और कोई नहीं रामलाल का ही नाजायज बच्चा था, रामलाल ने मायादेवी से शादी से पहले गाँव मे की औरतो से संबंध बना रखे थे, उसका एक गाँव की सुंदरी पर दिल अआ गया था, चूकी रामलाल लिंगदेव की चेतन का रूप था और वो लड़की योनिदेवी की पुजारण थी, योनिदेवी ने ही उस लड़की को रामलाल से संभोग करने को कहा था, योनिदेवी की आज्ञा का पालन करते हुए उसने रामलाल से संभोग किया और गर्भवती हो गई, उसके बाद उसने गाँव छोड़ दिया और जंगलों मे जाकर रहना शुरू किया ताकि किसी को पता ना लगे, बलदेव के जनम के कुछ बरस बाद उसकी मौत हो गई और बलदेव का सारा जिम्मा योनिदेवी पर आ गया। रामलाल को भी इस बात से अनजान था की बलदेव नाम का उसका कोई नाजायज बच्चा भी है, पर उसे वो लड़की (नाम इसका नैना) बहुत समय तक याद रही, रामलाल को उससे प्यार हो गया था, पर जब उसको पता लगा की उसने गाँव छोड़ दिया है तो उसको दिल टूट गया था। (रामलाल और नैना की कहानी बाद मे आएगी)


बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
nice update ..pande bhi saath hai hawan karane me manohar ke .

manohar ne kali vidya se dhan daulat ,shoharat haasil kar li par usko khalipan lagta tha hamesha ,aur jab kanchan gaon me aayi to uska khalipan achanak se dur ho gaya ,,par mandir me saamne dekhne se manohar ki uttejana jyada badh gayi .

usne kanchan ke baare me pata lagaya aur usko pata chala ki wo premi tha kanchan ka pichhale janam me ,,aur ab wo kanchan ko haasil karna chahta hai isliye shaitan ki puja kar raha hai ..


lingdev aur yonidevi abhi sex nahi karna chahte ,pehle kanchan ka sex ho jaane dena chahte hai ..

aur ye baldev najayaj beta hai ramlal ka jisko yonidevi ke kehne par baldev ki maa naina ne ramlal se sex karke pet se ho gayi thi ..
 

Batman

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nice update ..to manohar pandit bure kaam bhi karta hai, aur apne kaam ke liye gunde bhi paal rakhe hai ..
manohar ke khas 3 aadmi hai deshpande ,kaalu harish ,aur mukherji jo sab gundo ko control karte hai ..

lagta hai un teeno ko bhi pata hai ki manohar shaitan ki puja karta hai ..
dekhte hai kis cheej ke liye hawan kar raha hai manohar 🤔🤔.
nice update ..pande bhi saath hai hawan karane me manohar ke .

manohar ne kali vidya se dhan daulat ,shoharat haasil kar li par usko khalipan lagta tha hamesha ,aur jab kanchan gaon me aayi to uska khalipan achanak se dur ho gaya ,,par mandir me saamne dekhne se manohar ki uttejana jyada badh gayi .

usne kanchan ke baare me pata lagaya aur usko pata chala ki wo premi tha kanchan ka pichhale janam me ,,aur ab wo kanchan ko haasil karna chahta hai isliye shaitan ki puja kar raha hai ..


lingdev aur yonidevi abhi sex nahi karna chahte ,pehle kanchan ka sex ho jaane dena chahte hai ..

aur ye baldev najayaj beta hai ramlal ka jisko yonidevi ke kehne par baldev ki maa naina ne ramlal se sex karke pet se ho gayi thi ..

Dhanywaad leon ji, aapke reviews ke lie,

Aage is scene me bahut bade raaz khulne waale manohar shaitaan se kya maangna chahta hai. Aur lingdev aur yonidevi ki conversation abhi chalu hai dekho kya hota hai
 
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