अपडेट- 31………
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥
रात गुलाबी…….
पिछले भाग मे।।
इधर कंचन ने भी रामलाल के लिए अपने बदन को शृंगार से सजा लिया था, और ठोड़ी देर अपने पति राकेश से बात करके और उसको कुछ फ़ोटोज़ अपनी भेज कर उससे बात खतम कर दी थी, कंचन को मोबाईल चलना कम आता था तो उसकी फ़ोटोज़ अछि नहीं आई थी, तो उसने सोचा की वो वीर से सिख लेगी।
फिलहाल तो रामलाल के घर कंचन अपने कमरे मे थी, और सोच रही थी
कंचन मन मे- हाय आज तो बाबू जी पूरी रात चोदेंगे, मुझे कितने दिन हो गए मर्द के साथ सोये हुए। आज मैं जी भरकर अपनी प्यास भुजा लूँगी
अब आगे।।
आगे कहानी मे भीमसिंघ- BS, रामलाल- RL,चन्दा- Ch, कंचन- KN लिखा जाएगा
कंचन बहुत दिनों से एक मर्द के स्पर्श से दूर थी, उसको कितने दिनों से किसी ने प्यार नहीं किया था, बचपन से लेकर आजतक हर किसी ने उसको हवस की नजरों से देखा, पर कुछ ही लोगों ने उसके मन को समझा, उसकी मन ही हसरतों को समझते हुए प्यार उसकी जिंदगी मे भर दिया, आज फिर से उसे दिलों जान से चाहना वाला रामलाल उसके मन की तनहाई को दूर करते हुए उसके साथ रात बिताने वाला था, पूरे दिन मे हुई घटनाओ से जहा कंचन व्याकुल थी, अब रात मे वो खुश थी और रामलाल का इंतज़ार कर रही थी, उसने अपने ससुर के लिए आज रात के लिए, अपने आप को अच्छे से साज सवार लिया था।
कंचन अपने कमरे मे बैठी हुई थी, उधर माया अपने कमरे मे सोने की कोशिश कर रही थी, गोली का असर उसपर होने लगा था, कंचन ने एक काले रंग की lingerie पहनते हुए उसके ऊपर एक nighty डाली हुई थी, और वो शीशे के आगे बैठ कर अपने आप को संवार रही थी। कंचन के बाल सजे हुए थे, गालों पर लाली थी, आंखे बड़ी सुंदर, चमक रही थी, और लाल मोटे हॉट चेहरे को चाँद से भी सुंदर बना रहे थे, उसके बड़े स्तन और चोड़े नितंब और पतली कमर किसी भी मर्द को उसका दिल लुटाने पर मजबूर कर सकती थी, ऐसी सुंदरी को साथी के रूप मे पान किसी भी वरदान से कम नहीं।
कंचन मन मे- ससुर जी कब आएंगे, हमसे इंतज़ार नहीं होता, पूरे दिन से हमारा मन व्याकुल है, ऊपर से ये हमारी ये (कंचन अपनी चूत पर हाथ रखते हुए) लगातार पानी छोड़ रही है।
रामलाल भी जल्द ही आने वाला था, उसको पता था, पहले माया के पास जाना जरूरी है, माया को नींद आने के बाद ही वो बहू के पास जाएगा।
माया अपने कमरे मे नींद की अटकेलिया ले रही थी, - ये कहा मार गए, मुझे नींद अआ रही है, और ये अभी तक आए नहीं, इनका इंतज़ार करते रहे अब पूरी रात, बहू भी परेशान रहेगी
रामलाल अपने घर मे कदम रखता है, और गेट की वजह से आवाज से कंचन को पता लग जाता है।
रामलाल- बहू, ओह बहू, तुम्हारी सांस सो गई क्या।
कंचन कमरे मे संवर रही होती है, उसके मन मे एक खुशी की लहर दौड़ जाती है, जैसे बरसों से अपने प्रेमी का इंतज़ार कर रही हो, और उसका प्रेमी उसको पुकार रहा है, वो जल्दी से उठ खड़ी होती है, और अपने कमरे से बाहर निकल जाती है।
अंदर कमरे मे माया भी रामलाल की आवाज सुन ले है और मन मे बड़बड़ाने लगती है- अआ गए जीना हराम कर रखा है इन्होंने, रात रात मे बाहर घूमते रहते है, (माया नींद आने के वक्त चिड़चिड़ी हो जाती थी)
कंचन बाहर ड्रॉइंग रूम की तरफ आती है, और कंचन की नजरे रामलाल से मिलती है।
रामलाल कुछ पल कंचन की खूबसूरती मे खो जाता है, कंचन का चेहरा अलग से चमक रहा था, उसके लंबे बाल खुले हुए थे, और नीचे कमर तक जा रहे थे, होंठों पर लालिमा थी जो चमक रही थी, आँखों का काला काजल रामलाल को बेहाल कर रहा था, और कंचन का सुंदर अप्सरा जैसा बदन रामलाल के होश उड़ा रहा था। कंचन भी अपने प्रेमी को उसकी खूबसूरती मे मोहित देखकर खुश थी, और अपने नारीपन का गर्व करते हुए उसका आतमविस्वास बढ़ जाता है।
कंचन रामलाल की हालत समझ जाती है, और छुपी तोड़ते हुए बोलती है।
कंचन- हानजी बाबू जी, माँजी सो रही है
अंदर माया दोनों की बाते सुन रही थी, उसको रामलाल जब तक बिस्तर पर नया अआ जाए वो सोती नहीं थी,
माया मन मे- बहू को भी परेशां कर रखा है इस आदमी ने। कोई सुख ही नहीं है।
रामलाल कंचन की बात सुनकर अपने ख्यालों से बाहर आता है और बोलत है, -ठीक है बहू, मैंने बाहर का गेट लगा दिया है, और लाइट बंद कर दी है, मैं भी सोने जाता हू (रामलाल जानता था की आवाज अंदर जा सकती है, और माया उसके कमरे मे जाए बगर सोई नहीं होगी, माया की आदत वो अच्छे से जानता था, इसीलिए वो कुछ बोला नहीं)
रामलाल हाथ से कंचन को कमरे की तरफ इशारा करके बोलत है की माया अभी जागी हुई है।
कंचन समझ जाती है, कंचन की नजरे भी रामलाल को, अपने प्रेमी को, प्यार भरी नजरों से देख रही थी, दोनों की आँखों मे एक अजीब सी तसल्ली थी, एक अजीब सी खुशी थी।
रामलाल को यकीन नहीं हो रहा था इतनी सुंदर अप्सरा उसको इतना चाहती है, उसके लिए सजी सँवरी हुई है, उसकी मन मे बेइंतेहा प्यार उमड़ रहा था कंचन के लिए।
कंचन भी अपने प्रेमी को देखकर अब शर्मा रही थी, जो उसको एक टक देख रहा था, उसकी नजरे अब झुकने लग गई थी।
कंचन को शरमाते देख रामलाल का दिल हरा हो जाता है, वो आगे बढ़ता है कंचन के करीब आता है, और कंचन का एक हाथ पकड़ कर, उसके गोरे मखमले हाथ को चूम लेटा है, और कहता है- बहू तुम बहुत सुंदर लग रही हो, हमने आज तक ऐसी सुंदरता नहीं देखि।
ये सुनकर कंचन बेहद शर्मा जाती है, दूसरे हाथ से अपना चेहरा छुपाने की नाकाम कोशिश करती है, उसकी सुंदरता से जैसा पूरा कमरा चमक रहा था, उसका भरा बदन उसके सर्वो नारीपन को दर्शा रहा था।
रामलाल की बात सुनकर कंचन दाबी आवाज मे बोलती है- छोड़िए जी क्या करते है आप।
रामलाल भी दबी आवाज मे जवाब देता है,- बहू कोई कैसे छोड़ सकता है, ऐसी सुंदरी को तो खुद पूरी कायनात पाना चाहती है।
कंचन अपनी तारीफ सुनकर खुश हो जाती है, और बोलती है- पूरी कायनात नहीं कहिए हमको, हमको तो बस आप….(ये बोलकर कंचन शर्मा जाती है)
बहू बस कुछ देर और फिर हमारा मिलन होगा, ये बोलकर रामलाल आगे बढ़ाकर कंचन के मुंह को दोनों हाथों से पकड़कर चूम लेता है, कंचन के होंठों पर लगी लिप्स्टिक का सवाद उसे बड़ा मीठा लगता है
कंचन भी शरमाती और कसमसाती हुई अपने प्रेमी को अपने होंठों का आलिंगन करने देती है। कमरे मे हल्की हल्की पुच पुच चूमने की आवाजे फैल जाती है
थोड़ी देर कंचन के होंठों को चूमने के बाद रामलाल कंचन को बोलता है- बहू तुम जाके कमरे मे इंतज़ार करो, हम माया के सोने के बाद आते है।
कंचन भी शर्मा कर गर्दन हा मे हिला देती है, उसके होंठों की लिप्स्टिक ठोड़ी सी फैल गई थी, और रामलाल के होंठों पर लग गई थी, उसने कुछ भी ना कहते हुए एक उंगली अपने होंठों की और फिर रामलाल के होंठों की और करते हुए रामलाल को इशारा किया, रामलाल से अंगूठे से लिप्स्टिक पूरी साफ करके चाट ली। और मुस्कुरा दिया।
कंचन को जाते हुए रामलाल देखने लगता है, कंचन के नितंब चलते हुए गजब से हिलोड़े मार रहे थे, जिसे देखकर रामलाल का लंड खुश हो गया था
कंचन भी अपने कमरे मे वापस चली थी, उसकी टांगों के बीच गीलापन उसे साफ महसूस हो रहा था, आज रामलाल से ज्यादा कंचन बेसबर थी, रामलाल भी मन को थोड़ा कोसते हुए, अपने कमरे मे चला जाता है, जहा माया उसका इंतज़ार कर रही थी।
कमरे मे जीरो वाट का बल्ब जल रहा था, कमरे मे घुसते ही रामलाल को माया 2 बाते खरी खोटी सुन देती है, रामलाल को पता था माया सोने से पहले नींद की वजह से चिड़चिड़ी हो जाती है, वो चुप चाप माया की बाते सुनकर, बिस्तर पर कपड़े बदलकर लेट जाता है। और माया के सोने का इंतज़ार करता है, जल्द ही रामलाल के आने के बाद माया सो जाती है, और माया के खर्राटों से रामलाल को पता लग जाता है की माया सो चुकी है, वो चुपके से उठकर अपने कमरे के गते खोलकर बहू के कमरे की और जाने लगता है।
इधर इन सब के बीच योनिदेवी और लिंगदेव, कंचन और रामलाल की प्रेम क्रिया को देख रहे होते है, और ये देख कर लिंगदेव योनिदेवी से वार्तालाप शुरू करता है।
लिंगदेव- देखो देवी कैसे दोनों प्रेमी नाये जोड़े की तड़प रहे है।
योनिदेवी- ये तो इनका प्रेम है जो ये करा रहा है, इनका इसमे क्या दोष जी
लिंगदेव- ठीक कहा देवी आज मिलन की रुत है मिलन की रात है
योनिदेवी- देव आज कितने हजारों साल बाद ऐसी रुत आई है
लिंगदेव- देवी आज हमारा भी मिलन होगा, इन मानवों के साथ साथ हमे भी मिलन क्रिया मे भाग लेना है
योनिदेवी- योनिदेवी शर्मा रही थी, इस वार्तालाप से बच रही थी, पर ये तो आज होना ही था।
योनिदेवी- जी देव हमे मालूम है,
लिंगदेव- आप उत्सुक नहीं है देवी, मेरी प्रिय
योनिदेवी- योनिदेवी शर्मा जाती है, और बोलती है, हम तो आपकी अर्धगिनी है, आप से मिलन के लिए हम हुमएश उत्सुक रहते है, पर कंचन कैसे…
लिंगदेव- कंचन की बात छोड़ो देवी, आज सबका मिलन होगा, आज के दिन शैतान भी मिलन की क्रिया मे भाग लेगा, वो वहा अमावस के शुरू होने पर क्रिया शुरू कर देगा और इस धरती पर अआ जाएगा, हमे उसका सामना करने के तैयार रहना है, कंचन को अपनी शक्तीया जल्द ही पूरी हासिल करनी होंगी, और वो तुम्हारा ही रूप है
योनिदेवी- जी हमे पता है वो हमारा ही रूप है, और औरत होने के नाते हमे मालूम है वो संभोग के लिए तैयार भी है
लिंगदेव- बीच मे बात काट ता हुआ, तो ठीक है देवी अमावस शुरू होते ही, हम मिलन शुरू कर देंगे, समय की चोट पर ही करना होगा ऐसा।
योनिदेवी- जी देव जैसा आप सही समझे
लिंगदेव को भविष्य पहले ही दिख रहा था, उसने सब योजना बना ली थी।
अब बस कुछ ही देर मे, अमावस अपने चरम पर होने वाली थी, जंगलों मे कोसों दूर पंडित मनोहर अपना काला रूप ले रहा था………
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
लिंगदेव और योनिदेवी किस और कैसे मिलन की बात कर रहे थे, जानने के लिए पढ़ते रहिए, मिलते है अगले भाग मे ।