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आज कोशिश है की एक और अप्डेट दे दु।Waiting for update. Hoping for getting it soon
धन्यवाद जी, ये सब आप पाठकों की वजह से ही है रेगुलर लिख पा रहा हू,एक और जबरदस्त अपडेट ।
Intazar he bro aaj ke update ka..........aur kanchan ki chudai ka besabri se intazar heकोशिश रहेगी कि कहानी आगे बढ़ाते हुए आज ही अगला अप्डेट दिया जाए।
कल नहीं दे पाया, पर आज अगला आएगा अप्डेटIntazar he bro aaj ke update ka..........aur kanchan ki chudai ka besabri se intazar he
Ultimate update, so now both fantasy characters has come into the limelight jn this update, it was splendid to see both of them having a convo on chanda.अपडेट- 28…………
सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥
रात गुलाबी…….
पिछले भाग मे।।
सच तो ये था की ये सब लिंगदेव की वजह से हुआ था, बरसो से चंदा चुप चुप कर अपना रंडीपना करती थी और लोगों से चुदवाती थी, पर आज लिंगदेव की वजह से वीर ने उसको देख लिया और उसकी भावना अपनी माँ के लिए बदल गयी, उसके अंदर की कामवासना कोजगाने में बहुत बड़ा योगदान था लिंगदेव का। क्यू की उन्हें भी अंदेशा था की वीर का वीर्य बहुत प्रबल है, अगर कंचन को इसका वीर्यमिल जाएगा तो उसकी शक्ति बहुत ज़्यादा प्रबल हो जाएगी
वीर मन में - कपड़ों में कसी हुई ये वही गाँड है जो गपागप थोड़ी देर पहले मोटा लंड अपने अंदर निगल रही थी।
अब आगे।।
चन्दा ट्रे लेकर जैसे जैसे पीछे बागीचे मे पहुच रही थी, उसके मन मे डर से सवाल पैदा हो रहे थे।
चन्दा मन मे- हे राम ये रामलाल इस वक्त क्या करने आ गया, और कही इसे कुछ भयानक तो नहीं लग गई पंडित की बातों की, और पता लग गया तो मेरा क्या हाल होगा, पंडित ने भी पता नहीं क्या फस दिया है, ये कंचन की जवानी मे सब पागल हो गए है, काश ये नया ही आती इस गाँव मे, सबको उसकी चूत चाहिए, मरजानी ये चूत भी ऐसी चीज है, मर्द को पागल कर देती है, रामलाल को जरा भी भयानक लग गई की उसकी बहू के खिलाफ कोई साजिश चल रही थी, वो मुझे और मेरे परिवार को गाँव से बाहर फिकवा देगा, मुझे रामलाल को शायद अपने करीब रखना पड़ेगा, ताकि उसे शक ना हो, इसमे कुछ मुस्किल भी नहीं होगी मेरी चूत का प्यासा तो वो हमेशा स था, माया ने तो उसको कभी खुश किया नहीं, उसका बिस्तर हमेशा मैंने ही गरम रखा, साल वो भी क्या दिन थे भीमसिंगह, रामलाल और पंडित तीनों के मोटे बड़े लंड मेरी चूत और गांड मे दिन रात फसे रहते थे।
चन्दा ये सब सोच रही थी, एक औरतजात होने की वजह से उसे मर्दों को फासना अच्छे से आता था, उसने अपने मन मे रामलाल को अपनी तरफ करने और कंचन को पंडित से चुदवाने की तरह तरह की चाले अपने मन मे बुननी शुरू कर दी थी।
लिंगदेव जी ये सब देख रहे थे, वो सबकी मन की बातों को पढ़ लेटे थे, उससे चन्दा की हरकतों का पता लग गया था, वो सब सुन रहे थे, और समझ रहे थे, साथ मे योनिदेवी भी चन्दा के घर हुई वारदातों को देख रही थी, उनके रहते अब वीर की चेतना मे कामवासना पनप रही थी।
लिंगदेव और योनिदेवी, दोनों अपने चेतना के रूप मे थे, और अदृश्य रूप मे सब देख और सुन्न रहे थे
लिंगदेव- देख रही हो देवी, बुराई और शैतान कैसे किसी मानव के मन मे जन्म लेटे है
योनिदेवी- देख रही हू पतिदेव, ये स्त्री कैसे अपने पति और घरबार की ना सोच किसी और के घर को तोड़ने मे तुली हुई है स्त्री होने के नाते इसको घर को जोड़ने का काम करना चाहिए, यही समाज की प्रथा रही थी, और मानव धर्म इसी से जुड़ा है
लिंगदेव योनिदेवी की बाते सुन रहा था, और छेड़ते हुए बोला- आज का समाज बदल रहा है देवी, सब पुरुष और स्त्री ऐसे ही मन मे घृणा और बुराई लिए एक दूसरे को खतम करने मे तुले है
योनिदेवी- हआ अपने सही कहा, परंतु इसी चीज को रोकने के लिए हम यह आए है, बरसों पहले जो काम अधूरा रह गया था उसकी वजह से ही तो ये सब हो रहा है। हमारा फर्ज बंता है वो काम को पूरा करने का
लिंगदेव- जी देवी, काम जरूर पूरा करना है, तो आप फिर बलदेव को यह कब ला रही है। उसकी तपस्या भी पूरी होने को आई है।
योनिदेवी- आज अमावस की रात है, जब आज की रात का आखरी पहर पूरा होगा, तब उसकी ध्यान निद्रा टूट जाएगी, और और उसकी तपस्या सफल हो जाएगी, और हम उसको सब बता देंगे।
लिंगदेव- ठीक है देवी, आप जो भी करेंगी अपने शिष्य के लिए सही करेंगी, उनका मार्गदर्शन करना आपका ही कर्तव्य है
योनिदेवी- जी देव, फिलहाल हमे बलदेव की चिंता नहीं है, वो इन सब से दूर है, फिलहाल हमे चन्दा और पंडित के बारे मे सोचना है, इनके मन मे जो बुराई पनप रही है, वो आज प्रचंड रूप ले लेगी।
लिंगदेव- हम देख रहे है देवी पंडित मनोहर शैतान की पूजा कर रहा है, पर होनी को भी नहीं टाल सकते, जब तक शैतान अपने पूरे रूप को नहीं पा लेगा, उसको खतम भी नहीं करा जा सकता। कोई भी चीज शुरू होती है वो खतम भी होती है
योनिदेवी- आपने सही कहा, जल्द ही शैतान इस धरती पर कदम रख देगा। और आपने वीर को भी अपने प्रभाव मे ले लिया है
लिंगदेव- जी देवी अब वो कुछ ही दिनों मे 18 बरस का हो जाएगा, उसे भी अपनी मा के बारे मे पता होना चाहिए, और कंचन से वीर का मिलाने का भी हमारा जो मकसद था वो पूरा हो जाएगा, वीर मे हमारी शक्ति का अंग है, और इसका पहला संभोग योनिदेवी से ही होना चाहिए।
योनिदेवी- देव ये तो आपकी ही माया है, वरना चन्दा के रहते वीर कभी जनम नहीं ले पाता। रूप पर भी चन्दा की वजह से शैतान का साया है
लिंगदेव- हा देवी परंतु उसको हमने ही इन सब से दूर भेज दिया था ताकि वो अपनी मा की तरह ना बन पाए, और समय आने पर कंचन देवी रूप के ऊपर से शैतान का साया हट देगी
योनिदेवी- जी आपकी माया अपरंपार है देव, प्रणाम आपको
ये सब बाते लिंगदेव और योनिदेवी की चल रही थी की बीच मे चन्दा को कुछ महसूस होता है।
चन्दा जैसे जैसे पानी लेके जा रही थी, वो अपने पास कुछ अजीब सी कंपन महसूस करती है, उसे किसी अजीब तरह की ठंड का एहसास होता है,
चन्दा- ओह ये कैसी हवा चली
लिंगदेव और योनिदेवी ये सुनकर जान जाते है की चन्दा को उनकी उपस्थिति का एहसास हो रहा है
योनिदेवी- देव इसको कैसे हमारी उपस्थिति का अनुभव हो रहा है
लिंगदेव- इसके ऊपर शैतान का साया है, और शैतान के साये की वजह से इसको हमारा आभास हो रहा है।
चन्दा- शायद ये nighty कुछ ज्यादा ही पतली है। इसीलिए हवा लग रही है
इसके बाद लिंगदेव और योनिदेवी अपनी वार्तालाप बंद कर देते है और फिर से चन्दा की और ध्यान देने लगते है।
चन्दा ने हल्के लाल और गुलाबी कलर की nighty पहन रखी थी, उसके नीचे उसने ब्रा नहीं डाली हुई थी, सिर्फ कच्छी डाली हुई थी, जिससे उसके भारी स्तन इधर उधर डॉल रहे थे, और ऊपर नीचे उछल रहे थे। nighty मे ऊपर खुला कमीज था नीचे टाइट पाजामी, चन्दा श्याम मे ब्रा तो उतार ही देती थी क्यू की ज्यातर श्याम के बाद कोई आता नहीं था सिर्फ रूप, वीर और भीमसिंगह ही होते थे, चन्दा को फिर रामलाल का ध्यान आता है।
चन्दा मन मे- इसका एक बटन ऊपर से खोल देती हू, रामलाल इन्हे देखेगा तो खुश हो जाएगा। सच मे आज भी ये आम कितने रसीले है पंडित सही कहता है, जवान भी मेरे बदन की और खिचे चले आते है, वीर के भी स्कूल के दोस्त मुझे कितनी बेसब्र नजरों से देखते है।
चंदा चलती हुई बागीचे मे पहुच जाती है, भीमसिंगह ने 2 पेग शराब रामलाल के आने से पहले ही पी ली थी। भीमसिंगह रोज ही शराब पीता था, उसके लिए कोई नई बात नहीं थी, और वो अपने मौसम मे रंगीन हो जाता था उसके आसपास होने वाली चीजों पर उसका ध्यान काम हो जाता था।
वीर भी चन्दा के पीछे पीछे चुपके से बागीचे मे जा रहा था ताकि सबकी बाते सुन सके और देख सके।
भीमसिंगह और रामलाल आपस मे बात कर रहे होते है, दोनों गोल टेबल की दो तरफ कुर्सी पर बैठे थे, और टेबल अभी खाली था, शराब का समान भीमसिंगह ने अभी रखा नहीं था, रामलाल ने देखा चन्दा उनकी तरफ आ रही है चन्दा ने हल्के लाल गुलाबी रंग की nighty डाली हुई है जिसका कमीज थोड़ा बड़ा था, चन्दा का सुंदर गोरा चेहरा चमक रहा था, सर के बालों का जुड़ा बना हुआ था, चाल मे बहुत लचक थी, चन्दा इस उआम्र मे भी बड़ी कातिल लग रही थी, चन्दा ने कपड़े भले ही डाले हुए थे, पर चन्दा के बड़े बड़े उभार जिस तरह से ऊपर नीचे हिल रहे थे और चूचुक का पता कमीज के ऊपर से ही लग रहा था, रामलाल ये देखकर एक दम से समझ गया की चन्दा ने नीचे ब्रा नहीं डाली हुई है, ना जाने क्यू रामलाल के मन मे ये देखकर हलचल होने लगी और उसे चन्दा के साथ बिताए पुराने दिनों की याद आने लगी।
चन्दा के आते ही दोनों कुत्ते उछालने कूदने लगे, इधर उधर भागने लगे।
चन्दा- नमस्कार भाईसाब, आप कैसे है
रामलाल- नमस्कार जी, मैं अच्छा हू आप कैसी है
भीमसिंगह कुत्तों को शांत करने मे लग जाता है, उसका ध्यान एक पल के लिए चन्दा और रामलाल से हट जाता है।
चन्दा- मैं भी अच्छी हू भाईसाब, ये लीजिए भाईसाब, पानी लीजिए,
ये बोलकर चन्दा बड़ी मादक अदा से टेबल पर ट्रे रखने के झुक जाती है, एक तो कुर्ता बड़ा था दूसरा चन्दा ने ऊपर का बटन भी खोल रखा था, चन्दा के दोनों मोटे चूचे चन्दा के झुकते ही रामलाल के मुंह के आगे परोस दिए जाते है, दोनों चूचियोंं की बीच की पूरी घाटी रामलाल को दिखाई देने लगती है, और चूचियों के दोनों नंगे चूचुक भी रामलाल को दिख जाते है, रामलाल की आंखे कुछ पल के चन्दा के स्तनों पर टिक जाती है, जिन्हे चन्दा साफ देख लेटी है, उसका इरादा सफल हो चुका था, इधर भीमसिंगह कुर्सी से उठकर दोनों कुत्तों को अपनी बागीचे मे बनी रसोई के पास बिठा देता है।
इधर रामलाल चन्दा के चूचों को देख रहा था, चन्दा अब सीधी खड़ी हो गई थी, पर रामलाल की आंखे अभी भी उसके स्तनों पर थी, रामलाल जैसे भूखे के आगे मास परोस दिया हो और वो भूखी नजरों से चन्दा को देख रहा था।
चन्दा- आज इतनी रात कैसे आना हुआ, मैं श्याम मे आई थी तब तो आप मिले नहीं (चन्दा ने पहले ही वार करते हुए पूछा)
रामलाल चन्दा को बखूबी पहचानता था, उसको तेज औरतो से निपटना आता था, पर वो भीमसिंगह के आगे कुछ नहीं बोल सकता था- वो चन्दा आज खेत मे बड़ा काम था वही देर लग गई, और फिर आज माया और तुम मंदिर भी गई थी, तो सोचा काम खतम करके ही आएंगे
चन्दा- आप तो घर की तरफ ध्यान ही नहीं देते बहू अकेली थी घर, कुछ भी हो सकता था।
रामलाल- नहीं बस हम तभी पहुच गए थे, बहू को ज्यादादेर अकेला नहीं रहने दिया।
भीमसिंगह बीच मे बोल पड़ता है- ठीक है चन्दा, इतने दिनों बाद ठकुरसाब घर आए है, इन्हे सवालों मे ही लगाये रहोगी
चन्दा- ठीक है ठीक है हम तो इन्हे बस यही कह रहे थे की बहू का ख्याल रखे ऐसे अकेला छोड़ना ठीक नहीं है
इधर मन मे रामलाल सोच रहा था साली खुद को अभी अपनी घर की इज्जत मुझे परोस रही थी, और मुझे बहू का खयाल रखने को बोल रही है, समय आने पर तेरी चीखे निकलवा दूंगा।
फिर रामलाल बोलता है- चन्दा को फिकर रहती है बहू की जैसे हम सबको रहती है, इसमे कुछ गलत नहीं है
चन्दा- देखा जी ये समझ गए, और आप तो हमेशा मुझे ही बोलते रहते हो (चन्दा ने अपने पति के आगे ही रामलाल की बढ़ाई कर दी, वो ऐसा जांबहुकर करती थी, ताकि उसका मर्द थोड़ा जले और उसके काबू मे रहे)
भीमसिंगह (भीमसिंगह कभी चन्दा को छोटी ठकुराइन बोल देता, वरना वो चन्दा को अकेले मे चन्दा के नाम से ही बुलाता था)- ठीक है छोटी ठकुराइन, अब यही खड़ी रहोगी या भाईसाब के लिए खाना भी लगाओगी।
चन्दा- हआ मैं अभी लाती हू
रामलाल- अरे नहीं नहीं चन्दा मैं खाना खा के आया हू,
चन्दा- अरे भाईसाब मैंने अभी खाना बनाया है, बिल्कुल गरम है, सब साथ मे खा लेंगे
रामलाल- चन्दा तुम्हारे हाथ का खाना बहुत स्वादिस्त होता है, पर मुझे माफ करना, आज मेरा पेट भरा हुआ है, मेरी किस्मत मे आज तुम्हारे हाथ का खाना नहीं है।
चन्दा- भाईसाब ऐसे मत कहीये, आप कभी भी हमे अपनी खातिरदारी करने का मोका नहीं देते
रामलाल- अरे चन्दा ऐसी कोई बात नहीं, हम जल्द ही फिर आ आजाएंगे, वैसे आज खाना बहुत देर से बना है (मन मे हआ खातिरदारी का मौका तो जरूर मिलेगा चन्दा तुम्हें, वो भी जल्द ही)
ये पूछते ही चन्दा का चेहरा लाल हो गया और एक पल के उसने भीमसिंगह की और देखा फिर बोली- वो आज मंदिर के काम मे और फिर जल छिड़कने मे समय लगा
रामलाल- ओह हआ आज अमावस की पूजा थी।
चन्दा- हआ भाईसाब
भीमसिंगह को लगा रामलाल के आगे चन्दा और कुछ ना बोल दे उसने बात टालने की सोची- ठीक है चन्दा, तुम खाना तैयार कर लो, वरना और देर हो जाएगी, मैं ठाकुर जी से बात करता हू तब तक।
वीर दूर खड़ा अपनी मा का रंडीपन देख लेता है, कैसे उसने पापा के होते हुए भी ताऊ जी को अपने स्तनों के दर्शन करा दिए, अभी ठोड़ी देर पहले तो ममी ने इतना मोटा लंड खाया था, और अभी भी मम्मी शांत नहीं हुई है, ये देख कर उसके मन मे अजीब सी जलन और गुस्सा पनपने लगता है, जिसे वो समझ नहीं पाता। वीर को पता था खाना क्यू लेट बना था। वो अपने मन की बात को दबा लेता है और वह से हट जाता है और अंदर ड्रॉइंग रूम की तरफ चला जाता है।
रामलाल- अरे फौजी क्या बात है, क्या गुल खिलाए श्याम को, माया तो समय से आ गई थी घर
भीमसिंगह ने ठोड़ी शराब तो पी ही रखी थी, वो खुश होकर बोला- अरे ठाकुर, क्या बताऊ, आज पता नहीं चन्दा को क्या हो गया था, मंदिर से आते ही मुझे पकड़ लिया, और फिर जब तक पूरी चुदाई नहीं हुई तब तक मुझे छोड़ा नहीं।
रामलाल मजे लेता है, उसके साथ भी श्याम मे कुछ ऐसा ही हुआ था, पर वो भीमसिंगह के बारे मे जानना चाह रहा था- ऐसे नहीं ठीक से बता।
भीमसिंगह- क्या ठाकुर इतने समय बाद भी तेरी आदत नहीं गई
रामलाल- चल भाव मत खा, तू बता क्या हुआ, इधर तो सूखा सूखा रहता है माया की वजह से, तेरी बातों से ही थोड़ा रस ले लू।
भीमसिंगह- ठीक है बताता हू तो सुन…..
रामलाल और भीमसिंगह की दोस्ती सालों पुरानी थी, दोनों कभी कभी गाँव की औरतो की चुदाई भी साथ कर दिया करते थे, और भीमसिंगह जानता था माया के धार्मिक सावभाव से रामलाल हमेशा प्यासा रहता था, इसीलिए वो समझता था रामलाल की मजबूरी और दूसरी और वो खुद चन्दा के रंडीपने की जलन से दूसरी औरतो के पास जाता था, दोनों खेतों मे जाकर गाँव की दूसरी औरतो का मजा लेटे थे, तो वो आपस मे हमेशा खुल कर बात करते थे और चुदाई की बाते बताते थे।
भीमसिंगह और रामलाल के बीच का वार्तालाप जानिए अगले अपडेट मे।
बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।