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गुरु जी

कंचन मायके अपने बाप के पास
कब पहुँचेगी
 
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Batman

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अप्डेट कोशिश रहेगी आज कल में पोस्ट कर दु
Bhai ye kahani me baldev kya kar raha aur aap ne baldev ka lund ka size bhi Ramlal ke lund se bada bata rakha hai aur uper se pandit bhi add kar rakha hai.... bhai ek suggestions hai agar aap ko accha lage to aap kahani me Ramlal ko hi lead roll rakho..... please.....baki sabo hatoo...

curvymodelstv-20201129-3
आप कहानी पढ़ते जाइए आपको निराशा नहीं होगी
 

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बहुत ही उम्दा लेखनी। कहानी को आगे बढ़ाए
धन्यवाद आपका.....कहानी को अगला अप्डेट जल्द ही मिलेगा. कल कोशिश करूँगा पोस्ट करने की
 

Batman

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:claps: Aapki Kahani Dhoondhne Mein Bahut Samay Laga! Meri Psandeeda Kahani Hai! Thank You :)
बहुत बहुत धनयाद आपका ।
Waiting....???

curvymodelstv-20201129-4
कोशिश है शायद आज ही थोड़ी देर मे पोस्ट हो जाएगा
 

Batman

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अपडेट- 24…………


सीन- श्याम नवाबी और रात गुलाबी जारी रखते हुए…….॥



रात गुलाबी…….


खाने का मेज कंचन के रूम के सामने था, कंचन के रूम मे से सामने ड्रॉइंग रूम यानि की बैठक दिखाई देती थी, और बैठक मे से सीधा कंचन के कमरे के अंदर देखा जा सकता था, बैठक बहुत बड़ी थी, बैठक के बाई ओर रसोई थी, दाई ओर रामलाल का कमरा, घर कुछ ऐसे बनवाया था की पहले बाहर बड़ा आँगन था, फिर वीरांडा, जिसके पास अतिथि के लिए कमरा और बैठक थी, और फिर अंदर से छोटी सी गॅलरी निकलते हुए घर के कमरे बने हुए थे, जिनमे से अभी बस दो ही भरे हुए थे, और कमरों के पीछे बाद खाली खुली जगह थी, जिसके पीछे खेत और जमीन थी, जो की सारी रामलाल की थी।

कंचन नीलम से बात करके बहुत गरम हो गई थी वो नीलम की मजबूरी को समझती थी, और एक लंबे मोटे लंड की चाहत एक कामवासना मे जल रही औरत की कमजोरी होती है, पर वो जैसे तैसे करके रसोई मे खाना तैयार कर लेती है, और इधर बैठक मे रामलाल और मायादेवी उसका इंतज़ार कर रहे होते है।

माया- बहू ओ बहू,

कंचन- जी लाई माजी

कंचन रसोई से जल्दी जल्दी हाथ मे सब्जी का कटोरा लेकर आती है, कंचन ने अब सिर् पर घूँघट कर लिया था, पर अब भी उसका बदन सूट मे पूरा कसा हुआ था, उसकी भरी हुई चुचिया चलने से ऊपर नीचे हो रही थी, जो की उसके टाइट कसे हुए कमीज मे दिख रही थी, उसके चूतड़ों की थिरकन चुदाई की सोच से बढ़ गई थी, कंचन बैठक की तरफ चल कर आ रही थी उसका बदन पूरा थिरक रहा था, जिसे रामलाल वासना भरी नजरों से तिरछी नजरों से मे से बचाकर देख रहा था, और उसकी नजरे कंचन ने पहचान ली थी, रामलाल टेबल के एक कोने पर बैठा था जिससे वो कंचन के कमरे मे सीधा और बाई तरफ रसोई मे झाँख सकता था, माया देवी टेबल के दूसरे कोने पर बैठी थी, उसके सामने कोने पर रामलाल बैठा था, उसके पीछे दाई तरफ रसोई थी, और ठीक पीछे कंचन का कमरा और दाई तरफ पीछे की और रामलाल का कमरा, पर माया का मुंह रामलाल की तरफ था उसे रसोई मे से आती कंचन नहीं दिख रही थी, पर रामलाल कंचन को आता साफ देख पा रहा था, कंचन माया के पीछे से आती है, और माया के दाई और से आकर टेबल के बीच सब्जी का बड़ा कटोरा और सलाद रख देती है। कंचन का मुँह रामलाल की तरफ होता है, और वो जैसे ह कटोरा रखते वक्त झुकती है तो वो उसके गहरे गले मे उसकी दोनों चूचियों को रामलाल खा जाने वाली नजरों से देख लेटा है, कंचन की कमर माया की तरफ थी, और कंचन के बीच मे होने की वजह से माया रामलाल को देख नहीं पा रही थी, और इसी वजह से कंचन दाबी मुस्कान के साथ कुछ पालो के लिए अपनी दूध की घाटियों के दर्शन रामलाल को करा रही थी।

कंचन- माँजी आज आपकी मनपसंद का खाना बनाया है

माया- अच्छा बहू क्या बनाया है

कंचन- लोकी की सब्जी माँजी (क्यू की लोकी की सब्जी सात्विक(पवित्र) ऊर्जा देने वाला सबसे उच्च भोजन है)

माया- खुश रहो बहू, तुम कितना खयाल रखती हो सबका (ये बोलकर माया ने कंचन की पीठ को थप-थपा दिया, कंचन का मुँह अभी भी रामलाल की तरफ था, रामलाल भी कंचन की चाल को समझ गया और मुस्कुरा दिया)

इसके बाद कंचन झट से वापिस रसोई मे चली गई, जाते वक्त फिर से रामलाल कंचन के इधर उधर झूलते कूल्हों को ही नजर छिपा कर देख रहा था, कंचन ने भी रसोई मे जाते वक्त अपने भारी कूल्हों का हिलोड़ और तेज कर दिया, ताकि रामलाल को गरम कर सके, कंचन जल्दी से रसोई मे से दाल का कटोरा और रोटीया लाई और लाकर टेबल पर रख दी

रामलाल- हमारे तो भाग ही खुल गए कितनी सुशील और संस्कारी बहू मिली है

माया- ये बात तो सही कही आपने, बहू घर मे सब लोगों का खयाल रखती है

कंचन- बस, माजी ये तो हमारा फर्ज है, आपका खयाल नहीं रखेंगे तो क्या करेंगे

अब कंचन ने अपना चेहरा माया की तरफ कर लिया और जल्दी जल्दी प्लेट लगाने लगी, पीछे से उसके मांसल चूतड़ों को चुपके से रामलाल देख रहा था, टेबल इतना बड़ा था की टेबल पर 8 लोग खाना खा सकते थे, कंचन माया की और झुक कर प्लेट लगा रही थी, इतने मे रामलाल बोल पड़ता है

रामलाल- बहू, तुम्हारे आने के बाद पूरा घर खुशियों से भर गया, माया की तबीयत मे कितना सुधार हो गया है तुम्हारे आने के बाद, तुम ना होती तो क्या करते हम।

कंचन- अरे बाबू जी आपकी और माँजी की सेवा करना तो सबसे बड़ा पुण्य है

माया कंचन के इतने आदर सम्मान से बहुत खुश हो जाती है, उसे महसूस होता है सच मे बहू के आने के बाद हमारी कितनी सहूलियत हो गई है, माया को मन मे कंचन के लिए बेहद प्यार और इज्जत महसूस होती है

कंचन अब माया की प्लेट मे खाना डालने लगी थी की माया बोली

माया- बस बहू तुम अब बैठ जाओ हमारे साथ खाना खाओ, बाकी प्लेट मे खाना हम खुद लगा लेंगे

कंचन बस बस माँजी हो गया, ये बोल कर कंचन ने 2 कटोरी लेकर दाल और सब्जी डाल दी और 2 रोटी रख दी, रामलाल कंचन की चतुराई समझ रहा था

रामलाल- हआ बहू अब बैठ जाओ तुम आराम से खाना खो अब

कंचन- हो गया बाबू जी

ये बोलकर कंचन अपनी कुर्सी पर बैठ जाती है जो की रामलाल और माया के बीच मे थी, 6 कुर्सिया टेबल के साइड पर लगी हुई थी जिसंमे से बीच वाली पर कंचन रामलाल और माया के बीच मे बैठी थी, कंचन रसोई की तरफ याने की रामलाल की बाई ओर बैठी थी, और 2 कुर्सिया टेबल के दोनों छोरों पर, जिनपर रामलाल और माया बैठे थे



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तीनों अब खाना खाना शुरू करते है, माया और कंचन चुपचाप खाना खा रहे होते है की रामलाल बोल उठता है रामलाल मंद मंद कंचन की जवानी को देख रहा था, कंचन नई मून करके हल्के हल्के खाना खा रही थी, और रामलाल चुपके से उसके भरी चूचियोंं को निहार रहा था, बीच बीच मे माया की तरफ भी देख रहा था, पर ज्यादा देर ना करते हुए रामलाल कंचन को खेतों मे बुलाने कि योजना पर अमल करने की सोचता है।

रामलाल- बहू खाना बहुत अच्छा बना है, क्यू माया तुम्हारी मनपसंद सब्जी कैसी लगी तुम्हें

माया- हा बहुत अच्छी है, स्वाद काफी अच्छा है

कंचन- मुझे खुशी हुई की आपको पसंद आया, आपका घुटनों का दर्द कैसा है अब

माया- बहू आज मंदिर मे जाके पूजा करने से काफी थकान हो गई है, थोड़ा दर्द ज्यादा है

कंचन- ठीक है माँजी मैं आपके लिए रात मे हल्दी वाला दूध बना दूँगी

माया- हा बहू ये सही रहेगा, नींद भी अच्छी आएगी

रामलाल- माया तुम्हारा जोड़ों का दर्द पहले के मुकाबले कैसा है

माया- पहले से काफी अच्छा है, 1 महीने मे बहू के आने के बाद काफी आराम है

रामलाल- हा वो तो है, पर मैं तो कहता हू तुम्हें मालिश की भी जरूरत है, जोड़ों के दर्द मे मालिश तो सबसे जरूरी होती है, पूरे शरीर मे चुस्ती आ जाती है

माया- आपको मेरी इतनी चिंता कैसे होने लगी, ये जोड़ों का दर्द तो बहुत पहले से था, अब मालिश कहा से याद आ गई आपको

रामलाल- अरे घर मे सिर्फ बहू ही तुम्हारी चिंता कर सकती, हम नहीं ? चिंता तो हमे हमेशा से थी, इसीलिए तो मालिश के लिए बोलते रहते है, पर तुम मानती नहीं

इसी बीच कंचन अपना खाना चुपचाप खा रही होती है, वो देख रही होती है कैसे रामलाल चालाकी से मायदेवी को बातों मे घुमा रहे है, पर उसके मन मे शैतानी चल रही होती है वो सोचती है जैसे नीलम की बातों से वो गरम हो गई है वैसे ही वो रामलाल को भी गरम करेगी, कंचन ने धीरे से अपना दाया पैर रामलाल के पैर पर मारना शुरू कर दिया, रामलाल ने धोती पहन रखी थी, उसके पैर लगभग घुटनों तक नंगे थे, रामलाल को जब कंचन का पैर लगा, थोड़ स उछल पड़ा, पर फिर साथ बैठी कंचन की हरकत को वो समझ गया और मजा लेने लगा, उसके लंड मे भी हरकत होनी शुरू हो गई। और कंचन भी रामलाल को दबी नजरों से देख रही थी

माया- हम तो इसीलिए मना करते थे क्यू की मालिश के लिए कोन है यहा हमारे पास, ये आपको क्या हुआ अचानक ?

रामलाल- वो मच्छर ने काट लिया लगता है

माया- हमारी मालिश की बात चली तो अब आपको मच्छर भी काटने लगे,

ये सुनकर कंचन मुस्कुरा पड़ती है, कैसे उसकी हरकत की वजह से रामलाल को मायदेवी की सुन्नी पड़ी, पर वो बात संभालते हुए बीच मे बोलती है।

कंचन- क्यू कमला चाची है ना माँजी, आपने ही तो बताया था हमे की वो मालिश अच्छा करती है (अब कंचन माया को बातों मे लगा लेटी है और साथ मे पैर से रामलाल के पैर सहल रही होती है)

माया- पर बहू वो तो खेतों मे रहती है, यहा हमारे घर मे थोड़ी ना

कंचन- तो क्या हुआ माजी उन्हे आप यहा बुला लो, वो भी तो अपनी है

माया- हा बहू है तो अपनी ही, पर खेतों मे काम बहुत रहता है उसको खेतों का काम भी संभालना होता है उसको रोज रोज यहा नहीं बुला सकते, खेत के काम मे बाधा होगी

कंचन- हा माँजी ये तो है

रामलाल का लंड हरकत मे आने लगा था, कंचन का पैर उसके घुटनों से थोड़ा ऊपर तक उसकी मसाज कर रहा था, रामलाल ने अब खाना खाते हुए टाँगे थोड़ी खोल ली थी और लंड को धोती मे साइड मे कर दिया था, जो की आराम से धोती के बाहर निकल सकता था, लंड लंबा होकर 7 इंच का लटक रहा था, पर बात को संभालते हुए, वो भी अब कंचन की मदद करते हुए बोलता है।

रामलाल- ठकुराइन तुम्हें मालिश ही करवानी है तो मालिश तो कोई भी कर सकता है बस उसे मालिश की कला आनी चाहिए

माया- हा आप तो बहुत बड़े ज्ञानी हो, अब आप कला विज्ञान बताने लग जाना

रामलाल- हम कोई कला विज्ञान नहीं बता रहे, हम तो बस इतना कह रहे है की कमला ना सही तो कोई और सही, अगर तुम राजी हो बताओ

कंचन- माँजी, हम समझ गए बाबू जी की बात, बाबू जी कह रहे है की मालिश करने की कला हो तो कोई भी अच्छी मालिश कर सकता है, काश माँजी हमे वो कला आती, हमसे आपका जोड़ों का दर्द देखा नहीं जाता

माया- मायदेवी कंचन की प्रेमभाव और सेवाभाव को देखककर खुश हो जाती है, और बोलती है- बहू तुम क्या क्या कारोगी, तुम वैसे ही घर के कामों मे लगी रहती हो, हम तुम्हें और परेशान नहीं कर सकते

कंचन- माँजी, आपकी सेवा करना हमारा परम धर्म है इसमे परेशानी कैसी, हमे तो उलट खुशी होगी की हमारी सेवा से आपका दुख दूर होगा

रामलाल- हा माया, बहू इतना कह रही तो तुम करवा लो बहू से मालिश, बहू घर की घर मे तुम्हारी मालिश कर दिया करेगी कही जाना भी नहीं पड़ेगा, और बहू मालिश भी बहुत अच्छी करेगी हमे यकीन है। (ये बोलकर रामलाल कंचन की तरफ देख कर मुस्कुरा पड़ता है)

माया- क्यू आपको कैसे यकीन है, ऐसा क्या है ?

रामलाल- वो बहू हर काम इतनी माहिर है, मालिश मे भी जल्द ही माहिर हो जाएगी (ये सुनकर कंचन समझ गई की उसके ससुर जी लंड चुसाई की तरफ इशारा कर रहे है, और ये सुनकर वो भी मुस्कुरा देती है )

माया- पर फिलहाल अभी इसको मालिश करना तो नहीं आता, उसका क्या करेंगे

रामलाल- ठकुराइन तुम इसकी चिंता मत करो, इसका इलाज हमने ढूंढ लिया है

माया- कैसा इलाज जी

रामलाल- हम कमला से बात कर लेंगे, वो बहू को मालिश करना सीखा देगी

माया- पर बहू खेत मे इतने मजदूरों के बीच कैसे रहेगी

रामलाल- मजदूरों के बीच नहीं माया, सावित्री और कमला के साथ रहेगी, और औरते तो बहुत है खेतों मे, पर हम खुद बहू के ऐसे ही किसी के साथ नहीं छोड़ेगे, वहा गुलाबों और कामिनी भी है, और कोठी भी बड़ी है, किसी चीज की कमी नहीं होगी इसको

माया को सावित्री और कमला का नाम सुनके थोड़ी तसल्ली हुई, उसको जसवंत और सावित्री का पता था, माया को सावित्री का मालूम था, उसक नजर मे सावित्री बहुत ही सुशील और सुलझी हुई लड़की थी।

माया- पर वो सब तो ठीक है पर इसको हम अकेले नहीं भेजेंगे, आप तो खेतों के काम लगे रहेंगे, इसको लाएगा और लेजाएगा कोन ?

रामलाल- बस इतनी सी बात, जसवंत को भेज देंगे, 10 mintue का रास्ता है गाड़ी मे आना जाना रहेगा, खेतों के हरियाली और खुली हवा बहू को मिलेगी तो खुश हो जाएगी

जसवंत रामलाल के बाद घर के और खेतों के सारे काम देखता था, मायादेवी को जसवंत पर पूरा भरोसा था, मायादेवी जसवंत को एक बेटे से कम नहीं मानती थी, जब माया ने जसवंत का नाम सुना तो वो पूरी तरह से राजी हो गई और उसके मन मे खयाल आया की खेतों मे जाएगी कमला और सावित्री से मिलेगी तो बहू का डर भी खुल जाएगा।

माया- ठीक है, जसवंत आएगा तो ठीक है हमे उसपर पूरा भरोसा है, हमे बहू की चिंता है, हम बहू को अकेला कही नहीं भेजेंगे, गाँव मे लोगों का कोई भरोसा नहीं

रामलाल- अरे ठकुराइन तुम तो ऐसे कह रही हो की हमे की हमे कोई चिंता नहीं है, हमे तो उलटा सबसे ज्यादा चिंता है

कंचन समझ गई इस बात का मतलब और नीचे मुंह करके वो शरमाकर मुस्कुरा पड़ी

माया- क्यू सबसे ज्यादा कैसे

रामलाल- अरे कैसी बात करती हो हमारी बहू हमारे घर की इज्जत है (ऐसे इज्जत जिसको रामलाल खुद चख रहा था)

माया- हा ठीक है बस अब बाते बहुत हो गई है खाना खतम करो

रामलाल- ठीक है ठकुराइन जैसा आप कहो

तीनों फिर चुपचाप से खाना खाना शुरू करते है, पर कंचन और रामलाल का टेबल के नीचे अलग ही सांग रच रहा था, कंचन की पैर की रगड़ से रामलाल का लंड पूरा टन गया था, और अब रामलाल ने वो धोती से हल्का स बाहर भी निकाल लिया था, लंड सुपाड़े सहित 4 इंच धोती से बाहर था, जिसको घुटनों से थोड़ी ऊपर चलता कंचन के पैर अंगूठा छू रहा था, रामलाल अब कुरसों को सरकाकर थोड़ी आगे टेबल की तरफ कर लेटा है, रामलाल का चेहरा भी वासना की वजह से हल्का लाल हो गया था।

माया- ये आपको क्या हुआ, आपका चेहरा क्यू लाल हो गया, और ये कुर्सी क्यू आगे कर ली

ये सुनकर रामलाल थोड़ा घबरा जाता है फिर संभालकर बोलता है

रामलाल- वो कुछ नहीं बस थोड़ी मिर्ची तेज हो गई, कुर्सी इसीलिए आगे करी ताकि खान नीचे ना गिरे

माया- पर सब्जी मे मिर्च तो बिल्कुल नहीं है

रामलाल- हा तो सब्जी की हमने बोल भी नहीं, मिर्च हमने सलाद वाली खाई थी वो लग गई

माया- अच्छा अच्छा

कंचन इन सब बातों का चुपचाप मजा ले रही थी, वो भी सलाद चबाते हुए, कट कट सलाद चबाते हुए रामलाल की तरफ देख कर हल्की मुस्कान दे रही थी

माया- बहू तुम भी इतनी आराम से खा रही हो, खाना तो अच्छा बना है क्या आज खाने का मन नहीं है

कंचन- माँजी हमारा पेट रबड़ी मलाई से थोड़ा भरा हुआ है, इसीलिए हम आराम से खा रहे है

नीचे कंचन का पैर लगातार अब लंड के सुपाड़े को छू राग था, कंचन पैर की उँगलिओ को सुपाड़े और लंड से रगड़ रही थी।

माया- ठीक है बहू तुम आराम से खाओ कोई जल्दी नहीं खाना आराम से ही खाना चाहिए

कंचन- हा माँजी आपने ठीक कहा

माया- लगता है आप दोनों ही आराम से खा रहे हो, मेरा तो खाना खतम हो गया

रामलाल- तो माया खाना इतना सवाद ही बना है हम तो सवाद लेकर चखकर खा रहे है

माया- ठीक है आप खाओ मैं बर्तन रखकर आती है रसोई मे

कंचन- नहीं माँजी आप क्यू परेशान हो जाती है, मैं रख आती हू

माया- बहू तुम खाना खाओ, खाना पूरा खतम करने से पहले नहीं उठाना चाहिए

कंचन- माँजी हमारा कहना भी खतम होने ही वाला है हम ले जाएंगे बर्तन

माया- बहू तुम बैठो हम ले जाते है, हम 3 ही तो लोग है कुछ ही बर्तन, और तुम्हारे से पहले हमने ही तो किया है ये सब

कंचन ने ज्यादा बहस ना करते हुए, माया को बोला- हा माँजी, वो तो है

माया- बहू तुम आराम से पूरा खाना खतम करलो हम अभी आते है

इतना बोलकर माया उठी, और बर्तन लेकर रसोई मे चली गई, रसोई मे माया का पहला कदम पड़ा ही था की कंचन जल्दी से टेबल के नीचे जाकर रामलाल का लंड पकड़ लेटी है, जो की पूरा मोटा हो चुका था, और धोती से 5-6 इंच बाहर निकाल आया था, सुपाड़ा लाल होकर फूला हुआ था उसमे से वीर्यरस निकाल रहा था, जिससे सुपद गीला होकर चमक रहा था, वीर्यरस को देखते ही कंचन की आँखों मे वासना भर गई और समय की नजाकत को देखते है गप से उसने लंड को मुंह मे भर लिया, और जोर जोर से चूसने लगी, रामलाल अपनी बहू के ऐसे हमले के लिए बिल्कुल तैयार नहीं था, उसका मूँह पूरा खुल गया उसने बड़ी मुस्किल से सिसकारी निकालने से अपने आप को रोका, पर झटके से उसके हाथ से चम्मच छूट गई और नीचे गिर गई, रामलाल ने टेबल को दोनों हाथों से पकड़ लिया और नीचे कंचन ने लंड को दाए हाथ पकड़कर मुंह मे लेना और चूसना शुरू कर दिया, और बाये हाथ से वो टट्टो को भी सहला रही थी और खीच रही थी, उसका इरादा ये था की जल्दी से जल्दी रामलाल का वीर्य फिर से निकाल के पी ले, रामलाल बहू की ऐसी हवस देखकर चकित था, उसने काभी भी नहीं सोच था की उसकी बहू सांस के होते हुए यूं टेबल के नीचे बैठकर उसका लंड चूसेगी, पर रामलाल तो रामलाल था, अभी थोड़ी देर पहले वो मुस्किल से झड़ा था, इतनी जल्दी से उसका वीर्य दोबारा नहीं निकलेगा। इसी बीच माया ने चम्मच गिरने की आवाज सुन ली थी, रसोई मे से ही माया आवाज देती है
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माया- अरे क्या गिराया

रामलाल टेबल के नीचे देखता है उसकी बहू के सुंदर होंठों के बीच उसके मोटे लंड का सुपाड़ा कैसे अंदर बाहर हो रहा है और माया की आवाज सुनते ही कैसे “पक” की आवाज के साथ कंचन ने लंड को बाहर निकाल लिया और लंड को चेहरे पर लगाकर रामलाल की तरफ देखकर मुस्कुराने लगी, रामलाल बहू की सुंदर बड़ी आँखों और रसभरे होंठों को लंड से लगे हुए देखकर वासना मे जल उठता है। पर फिर माया की बात का जवाब देते हुए बोलता है

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रामलाल-अरे रे कुछ नहीं हमसे चम्मच गिर गई,

माया- अच्छा मैं आती हू अभी बस

ये सुनकर जल्दी से रामलाल ने कंचन की प्लेट का खाना अपनी प्लेट मे रख लिया,

कंचन- माँजी मैंने उठा ली

ये बोलकर कंचन ने टेबल के पास पड़ी चम्मच की और लपक पड़ती है, और चम्मच को उठा लेटी है इधर रामलाल का लंड कंचन की थूक से जिले हो चुका था, पर जैसे तैसे उसने उसे वापस धोती मे डाल लिया, पर लंड अभी भी सकत होकर खड़ा था, रामलाल उठने की हालत मे नहीं था

इधर से माया रसोई मे से निकाल आती है, और देखती है कंचन नीचे रामलाल की तरफ बैठी हुई थी और उठ रही थी, और उसका चेहरा भी हल्का लाल हो गया था, और होंठ गीले होकर चमक रहे थे।

माया- बहू तुम्हारा चेहरा कैसे लाल है और ये होंठों पर क्या लगा है

कंचन- माँजी वो हमने भी मिर्च खाई थी और ये तो घी लगा है बस

माया- ठीक है बहू, खाना हो गया तुम्हारा

कंचन जवाब देने से पहले अपनी प्लेट की तरफ देखती है, और उसे जब अपनी प्लेट मे खाना नहीं मिलता तो वो बोलती है की हा माँजी हो गया मेरा खाना

ये सुनकर माया रामलाल की और देखती है जिसकी प्लेट मे अभी भी खाना था, जिसे देखकर माया बोलती है- आप को बिल्कुल गधे की तरह हर काम धीरे धीरे करते है, माना खाना धीरे धीरे खाते है, पर अब तक तो खाना ठंडा हो गया होगा

रामलाल-नहीं माया, खाना अभी गरम ही है, बस भूख आज थोड़ी ज्यादा लगी थी, इसीलिए वक्त लग रहा है।

कंचन- माजी आप चिंता ना करे, मैं आपका हल्दी वाला दूध गरम कर देती हू, आप आराम कर लीजिए, तब तक इनका खाना भी हो जाएगा फिर मैं ये बर्तन भी मैं उठा लूँगी

माया- ठीक है बहू मैं तो थक गई हू, तुम ही देखो अब

कंचन- ठीक है माँजी

ये बोलकर कंचन बर्तन टेबल से उठाने लगती है, और माया अपने कमरे मे जाने लगती है माया जब कमरे मे चली जाती है तो कंचन रामलाल की तरफ देख कर हस पड़ती है


रामलाल- बहू आज तो फस ही गए है, तुमने तो हद ही कर दी

कंचन- क्यू बाबू जी डर गए आप

रामलाल-नहीं नहीं हम नहीं डरे, हम क्यू डरेंगे, पर माया बिल्कुल यही थी, तुम तो बिल्कुल नहीं रुकी

कंचन- ऐसा लगता है आपको मजा नहीं, ठीक है हम आगे से नहीं करेंगे कंचन बर्तन समेटे हुए बोली

रामलाल-रामलाल कंचन को रूठता देख बोला- नहीं बोल हमने ऐसा कहा बोल, हमे बहुत मजा आया, और अच्छा लगा।

कंचन- नहीं नहीं हम नहीं करेंगे अब, हम जा रहे है

रामलाल-नहीं बहू रुको तो सुनो

कंचन बर्तन लेकर रसोई की तरफ मुड़ जाती है और देखती है रामलाल उसके पीछे आने की कोशिश करते हुए उठता है, ये देखकर वो रामलाल के कमरे की तरफ करके कंचन बोलती है अरे माँजी आप

रामलाल की फट जाती है और वो डरकर वापिस कुर्सी पर बैठ जाता है क्यू की उसका खड़ा लंड दिख रहा था, और ये देखकर कंचन जोर से हस पड़ती है और बोलती है देखा हमने कहा था आप डरते है

रामलाल-रामलाल भी बहू की इस हरकत पर हस देता है- तुम भी ना बहू, इसका बदल हम लेंगे

कंचन- बदला लेने के लिए आपको हमे पकड़ना पड़ेगा, फिलहाल आप खान खतम करिए, मैं माँजी का दूध गरम करती हू

रामलाल- ठीक है


ये सुनकर कंचन मन ही मन मुस्कुरा देती है और रसोई मे अपने भारी चूतड़ मटकाते हुए चली जाती है।



बाकी अगले अपडेट मे॥ मिलते है कुछ वक्त बाद।।
 
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Nasn Aaryapatel Sumit1990 Gokb Beti_Bahu_Dirty_Sex raadhika.khandelwaal Mass Mastrani


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Rockyknows
 
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