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Incest एक परिवार की आत्मकथा (हिंदी संस्करण )

Naik

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छुट्टी के समय स्वीटू ने कबीर को जगाया और कबीर स्वीटू और सारा को अपने साथ लेकर घर निकल गया । सारा को छोड़ के कबीर घर आया और खाना खाके दुबारा सो गया । कामीनी ने भी अपना किचन समेटा और वो भी आराम करने चली गयी और स्वीटू पढ़ने बैठ गयी ।
वहीं एक तरफ जहाँ सारा कबीर की वजह से थोड़ी उदास थी तो वहीं दूसरी तरफ तमन्ना कबीर को पाने की चाहत में या कहें कबीर को पाने की ज़िद में उसके दिए गए निर्देशों के हिसाब से अपनी ड्रेस में बदलाव करने में लगी हुई थी ।
तमन्ना सिलाई मशीन पे अपने हाथ चलाते हुए खुद से बातें कर रही थी ।
तमन्ना - भाई अब चाहे जो हो जाये मैं आपको अपना बना के रहूंगी । आपको मुझे अपनाना ही होगा । स्वीटी... देख अब मैं कैसे तुझसे तेरे भाई को छीनती हूँ । बहुत जल्द मैं तुझे कबीर से अलग कर दूंगी ।
उधर प्रताप नारायण के घर का माहौल थोड़ा चिंता जनक था । प्रताप ने मेथी को भले ही घर वापस बुला लिया था मगर उसे माफ़ नही किया था । उसका गुस्सा अभी भी बरकरार था ।
सुलोचना तो अपने बेटे की चिंता में घुली जा रही थी । वो सोच रही थी की कहीं ऐसा ना हो की उसका बेटा उसके हाथ से निकल जाए और अपना जीवन बिगाड़ ले । उसे तो इस बाद का कोई अंदाज़ा भी नही था की कल की एक रात में उसके घर में क्या क्या कांड हुए थे और वो कांड आगे जाके कैसा तूफ़ान लाने वाले थे ।
अनंगवती को तो जैसे किसी भी बात की कोई फ़िक्र नही थी । उसे तो बस कबीर का लंड ही नज़र आ रहा था । कबीर के लंड के अलावा उसे कुछ नही सूझ रहा था । क्या गलत है क्या सही है इन बातों से उसे कोई मतलब नही था । जिस तरह से कबीर ने उसको अपने काबू में किया था उसे अपने इशारों पे नचाया था, अनंगवती तो उसकी इसी अदा पे मर मिटी थी ।
मेथी तो अपने कमरे में मुँह लटकाये बैठा था । वो खुद को और अपने जीवन को कोस रहा था । उसे अपने ऊपर जहाँ घिन्न आ रही थी तो वहीं अपनी रंडी बनती बहन पे गुस्सा भी आ रहा था । इस वक़्त शायद एक मेथी ही था जो ये समझ रहा था की वो और उसकी बहन कबीर के फैलाये जाल मैं फँसते जा रहे हैं । बस एक ही बात वो नही जानता था की कितना ज़्यादा फसने वाले हैं या किस गहराई तक फसने वाले हैं ।
अपने अपने कमरों में बैठे, तीनों ही अपनी ख्याली दुनियाँ में खोये हुए थे, इस बात से बिलकुल बेखबर की कहीं एक तूफ़ान ने जन्म लिया है जो आने वाले समय में इनके ही घर में दस्तक देने वाला है ।
शाम को कामीनी चाय लेके आयी और उसने कबीर को उठाया जो बड़ी ही गहरी नींद में सोया हुआ था । कबीर जैसे ही उठा उसने अपने सामने कामीनी को देखा जो चाय लेके आयी थी । कामीनी ने जैसे ही चाय रखी कबीर ने उसे खींच लिया और वो सीधे कबीर के ऊपर जा गिरी । कबीर ने उसे बाहों में भर लिया और उसके होठों पे अपने होंठ रख दिए ।
कामीनी कबीर के इस उत्तेजक हमले से स्तब्ध हो गयी मगर उसे मज़ा भी आ रहा था । कबीर उसके होठों को चूमने में लगा हुआ था और कामीनी भी उम्म... उम्म... करती हुई उसका बराबरी से साथ दे रही थी । कामीनी का बदन गर्म होने लगा था और उसकी चूत भी गीली होने लगी थी । थोड़ी देर के बाद उसने कबीर को धक्का देके हटाया और बोली -
कामीनी - ये एकदम से आपको क्या हो गया ।
कबीर - क्यों... क्या मैं अपनी बीवी को प्यार नही कर सकता क्या...
कामीनी - नही... नही... ऐसी बात नही है । मैं तो अब हमेशा के लिए आपकी ही हूँ । मैं तो बस ये कह रही थी की आप चाय पी लो पहले वरना वो ठंडी हो जाएगी ।
कबीर - अरे मेरी कम्मो... तेरे इन रस भरे मीठे होठों के आगे वो चाय बिलकुल फीकी है ।
कामीनी अपनी तारीफ़ सुनके शर्मा गयी और बोली -
कामीनी - आप पहले वो फीकी चाय पी लो उसके बाद अपना मुँह भी मीठा कर लेना ।
कबीर और कामीनी ने चाय पीनी शुरू की तभी स्वीटू भी अपनी चाय लेके वहां चली आयी ।
कबीर - आजा बेटू... कैसा है मेरा बच्चा...
स्वीटू कबीर की बाहों में घुस के बोली -
स्वीटू - अच्छी हूँ पापा ।
कबीर उसके सर पे प्यार से मारते हुए बोला -
कबीर - अच्छा... बड़ी आयी पापा की बच्ची ।
स्वीटू - आह भाई...
कबीर ने उसके सर पे एक बार और मारा और बोला -
कबीर - अच्छा... भाई...
स्वीटू - आह मम्मी... देखो ना कैसे मार रहे हैं ।
कामीनी दोनों को देखके मुस्कुरा रही थी ।
कबीर - पढ़ाई कैसी चल रही है ।
स्वीटू - ठीक चल रही है ।
कबीर - क्यों कम्मो... बता...
कामीनी - वो सच कह रही है ।
कबीर - आज कहीं बाहर चलें क्या...
स्वीटू ने ख़ुशी से कामीनी को देखा और दोनों के मुँह से एक साथ निकला - हाँ चलो... लेकिन कहाँ...
कबीर - हम्म... सोचता हूँ कुछ...
स्वीटू तो ख़ुशी में कबीर के गले लग गयी और कबीर ने कामीनी को भी गले लगा लिया ।
स्वीटू ने कबीर का गाल चूमा और ख़ुशी से उछलती हुई बाहर चली गयी ।
कामीनी कबीर की छाती में मुँह घुसाए उसकी छाती पे हाथ फेरती हुई बोली -
कामीनी - थैंक यू...
कबीर - हैं... थैंक यू किस लिए कम्मो...
कामीनी - इस परिवार को इतनी ख़ुशी देने के लिए ।
कबीर - तो क्या ये मेरा परिवार नही ।
कामीनी - नही... ऐसी बात नही है ।
कबीर - अरे तू तो मेरी जान है कम्मो और स्वीटू मेरे कलेजे का टुकड़ा है ।
कामीनी ने कबीर को कस के बाहों में भर लिया ।
कबीर ने कामीनी के माथे को चूमा और बोला -
कबीर - चल अब जा और सात बजे तक तैयार हो जाना और स्वीटू को भी बता देना ।
कामीनी - जी...
कामीनी के जाने के बाद कबीर ने बालकनी में आके अपनी सिगरेट जलाई और अपना मोबाइल देखने लगा । उसमें काफी सारे मैसेज थे । कुछ उसके दोस्तों के थे कुछ फ़ालतू के थे मगर उनमें तमन्ना का भी मैसेज था ।
कबीर ने तमन्ना का मैसेज खोला तो उसमें लिखा था -
तमन्ना - कल के लिए ड्रेस तैयार है... और कुछ है तो बताओ...
कबीर ने उसको जवाब में लिखा -
कबीर - बहुत बढ़िया... हाँ अब से अपने रोज़ वाले मोज़े मत पहनना... वो बहुत बड़े है... मोज़े हमेशा छोटे होने चाहिए जिससे की जाँघो से लेकर नीचे तक पूरी टाँगे अच्छे से दिखें । बाकी तो कल चेक करूँगा फिर बताऊंगा ।
कबीर ने तमन्ना को मैसेज किया फिर उसने सोचा चलो थोड़ी देर सारा से बात की जाये ।
उसने सारा को फ़ोन लगाया और बात की । उसने सारा से सभी गिले शिकवे दूर किये और बातों बातों में सारा ने उसे बताया की वो नमाज-ए-अस्त्र अता करने जा रही थी । कबीर ने कहा -
कबीर - ये वक़्त सलात का है... इसे ज़ाया ना कर... कल बात कर लेंगे...
सारा - जी मालिक ।
कबीर ने फ़ोन रखा और सोचा की अब क्या किया जाए अभी तो शाम के पाँच ही बजे थे । उसने मेथी को फ़ोन लगाया ।
मेथी ने जैसे ही कबीर की कॉल देखी उसने उठायी और बोला -
मेथी - नमस्ते जीजाजी... चरण स्पर्श...
कबीर - जुग जुग जियो मेथी... अपनी गांड मरवाते रहो और अपनी बहन चुदवाते रहो ।
कबीर के ऐसे आशीर्वाद से मेथी की हालत रोने जैसी हो गयी थी मगर वो चुप रहा ।
कबीर उसे और ज़्यादा तकलीफ़ देते हुए बोला -
कबीर - और बता गांडू... कहाँ गांड मरवा रहा है...
मेथी - कहीं नही जीजाजी... घर पर ही हूँ...
कबीर - और तेरी बहन मेरा मतलब मेरी रंडी कहाँ है...
मेथी - वो अपने कमरे में ही है...
कबीर - जाके पूछ उसकी तबियत कैसी है...
मेथी - मैं आपकी बात करवाता हूँ...
कबीर - भड़वे... जितना बोला उतना कर... अपना दिमाग मत चला... वैसे भी वो तेरे पास है नही...
मेथी - माफ़ कर दो जीजाजी... मैं अभी पूछ के बताता हूँ ।
मेथी अनंगवती के कमरे में गया और पूछा -
मेथी - जीजाजी पूछ रहे हैं की तबियत कैसी है ।
अनंगवती - ठीक है...
मेथी - ठीक है जीजाजी...
कबीर - उसकी चूत का क्या हाल है...
मेथी - जी...
कबीर - सुना नही क्या तूने... तेरी रंडी बहन की चूत कैसी है...
मेथी के मुँह से तो शब्द ही नही निकल रहे थे ।
कबीर - कल तूने अपनी बहन को जिस तरह से नंगा करके मेरे लिए तैयार किया था... वो वीडियो बड़ा शानदार था... अब पूछता है या...
मेथी - जीजाजी पूछ रहे हैं की तुम्हारी चूत कैसी है...
अनंगवती - ठीक है... सूजन में तो आराम है मगर दर्द अभी भी है थोड़ा थोड़ा ।
मेथी - जीजाजी... सूजन तो कम है मगर दर्द अभी भी है...
कबीर - क्या पहना है रंडी ने ।
मेथी - जीन्स और टॉप...
कबीर - चल अब जाके उसकी जीन्स और पैंटी उतार और गर्म पानी से उसकी चूत की सिकाई कर । और खबरदार जो तूने उसे इधर उधर कहीं हाथ लगाया तो । सिर्फ सिकाई करेगा और वापस कपड़े पहनाएगा... समझा...
मेथी - जी जीजाजी...
कबीर - चल अनंगवती को फ़ोन दे...
मेथी ने अनंगवती को फ़ोन दिया ।
अनंगवती - हेलो...
कबीर - सुन अनंगवती... मेथी अभी तेरी चूत की गर्म पानी से सिकाई करेगा उससे तुझे आराम मिलेगा... करवा लेना सिकाई । और तू कुछ नही करेगी सारा काम मेथी करेगा । तुझे बस लेटे रहना है और याद रखना मेथी सिर्फ सिकाई करेगा और कुछ नही । मैं बाद में बात करता हूँ ।
और ये बोलके कबीर ने फ़ोन रख दिया ।
कबीर जाके तैयार हुआ और नीचे आया । थोड़ी देर में कामीनी और स्वीटू भी आ गए ।
कबीर - चलें...
कामीनी - हम जा कहाँ रहे हैं...
कबीर - सोच रहा हूँ कोई फ़िल्म देखते हैं फिर खाना भी बाहर ही कहाँ लेंगे... क्या बोलते हो...
स्वीटू - वाओ... जल्दी चलो ना...
कबीर - कौन सी फ़िल्म देखनी है स्वीटू...
स्वीटू - के जी एफ...
कामीनी - अरे वो साउथ की मार धाड़ वाली...
कबीर - अरे अच्छी है... चल तो सही...
कामीनी - ठीक है फिर... चलो...
कबीर उनको लेके चला गया और टिकट लेके वो लोग फ़िल्म देखने पहुंचे । स्वीटू और कामीनी कबीर के दोनों तरफ बैठी और दोनों ने ही कबीर का एक एक हाथ पकड़ लिया । ये भी गनीमत थी की फ़िल्म पारिवारिक थी और मज़ेदार भी इसलिए सबने शान्ति से फ़िल्म देखी और और उसके बाद खाना खाने चले गए । कामीनी और स्वीटू की पसंद से खाना खाया और फिर सब के लिए आइसक्रीम लेके कबीर उन्हें लॉन्ग ड्राइव पे ले गया । कामीनी और स्वीटू बड़े खुश थे और इस तरह हंसी ख़ुशी घुमते हुए वो लोग घर पहुंचे ।
स्वीटू ने कबीर को चूमा और गुड नाईट बोल के सोने चली गयी और कबीर कामीनी के साथ उसके कमरे में आ गया ।
कामीनी - कुछ काम है क्या आपको...
कबीर - हाँ मेरी कम्मो... बहुत ज़रूरी काम है...
कामीनी - तो बताइये ना...
कबीर ने कामीनी को खींच के अपनी बाहों में भर लिया और उसे चूमने लगा ।
कामीनी छटपटाते हुए बोली -
कामीनी - अरे... छोड़िये ना... क्या कर रहे हैं...
कबीर - प्यार कर रहा हूँ और क्या...
कामीनी - पहले कपड़े तो बदल लेने दो...
कबीर - बदलने की क्या ज़रूरत है... बस उतार दो...
कामीनी कबीर की छाती में मुक्का मारती हुई बोली -
कामीनी - बहुत बदमाश हो गए हो...
कबीर ने कामीनी को कस के पकड़ा और अपने होंठों से उसके होंठ मिला दिए और शुरू किया चुदाई का खेल ।
कामीनी ने भी कबीर का साथ दिया और दोनों जानवरों की तरह एक दूसरे पे टूट पड़े ।
एक दूसरे को चूमते हुए दोनों ने ही एक दूसरे के कपड़े उतारने शुरू किये और देखते ही देखते दोनों नंगे हो गए ।
कामीनी ने कबीर के लंड को पकड़ के हिलाना शुरू किया तो कबीर ने उसके स्तन को पकड़ के दबाना शुरू किया । दस मिनट तक चूमने और सहलाने के बाद दोनों अलग हुए और कामीनी हाँफ्ते हुए किचन में पानी पीने चली गयी । कामीनी की मटकती गांड को देखके कबीर से रहा नही गया और उसने किचन में जाके कामीनी को पीछे से पकड़ लिया और उसकी गांड को सहलाने लगा ।
कामीनी कसमसाते हुए बोली -
कामीनी - रुको तो सही... पानी तो पीने दो...
कबीर - अब रुक नही सकता मेरी कम्मो... देख कैसे तेरी गांड मुझे बुला रही है...
कबीर ने उसकी गांड को ज़ोर से दबाया ।
कामीनी - आह... धीरे...
कबीर ने कामीनी का एक पैर उठाके किचन के तख़्त पे रखा और नीचे से अपना लंड उसकी गांड पे रखके धक्का लगाया ।
कामीनी - आअह्ह्ह... मार डाला...
कबीर धक्का लगाते हुए -
कबीर - मार डाला नही... मार डाली बोल कम्मो...
कामीनी - आह धीरे करो... उफ्फ्फ...
कबीर ने उसकी कमर को पकड़ा और एक करारा झटका लगाके अपना पूरा लंड उसकी गांड में उतार दिया ।
कामीनी दर्द से उचक गयी और उसके आंसू भी निकल आये ।
कामीनी - आह मम्मी... मार दिया... फाड़ दी मेरी गांड... आअह्ह्ह... निकालो कबीर... ओह्ह्ह...
कबीर - चुप कर... कब से गांड मरवा रही है और हर बार का यही रोना है ।
कामीनी - आह... कबीर... इतना बड़ा है तेरा... ओह्ह्ह मम्मी...
कबीर ने कामीनी की चूचीयों को पकड़ा और उन्हें खींचते हुए पीछे से अपनी कमर हिलानी शुरू की । जहाँ कबीर कामीनी की गांड फाड़ रहा था तो वहीं कामीनी अपना गला फाड़ रही थी ।
कामीनी - आह... ओह्ह्ह... धीरे... नही... बस... ओह्ह्ह मेरी माँ... आह... आअह्ह्ह...
और थोड़ी ही देर में कामीनी के सुर बदल गए ।
कामीनी - आह... और तेज़... फाड़ दो मेरी गांड को... उफ्फ्फ... मारते रहो... और तेज़... और ताकत लगाओ... उम्म्म... फैला दो इसको... उफ्फ्फ... ओह्ह्ह... आआआहहहह...
कबीर - रुक जा मेरी जान... सब्र कर... अभी तो तेरा सब फ़टेगा... तेरा ये गदराया बदन... उफ्फ्फ...
कामीनी कबीर की गांड फाड़ चुदाई से मदहोश होती चली गयी और उसकी चूत भी पानी बहाती रही ।
कामीनी एक हाथ से अपनी चूत को सहलाती रही और आह्ह... ओह्ह्ह... करती रही ।
कामीनी जैसे झड़ने लगी वैसे ही कबीर ने अपना लंड बाहर निकाला और कामीनी को घुमा के उसके दोनों चूतड़ पकड़ के हवा में उठा लिया ।
कामीनी - आह... क्या कर रहे हो... गिर जाउंगी... मम्मी... आअह्ह्ह...
मगर कबीर ने तुरंत अपना मुँह उसकी चूत में लगा दिया और उसे हवा में उठाये उसकी चूत की बहती धारा को पीने लगा ।
कामीनी ने अपने दोनों पैर कबीर के कंधों पे रखे और उसके सर को अपनी चूत पे दबाने लगी ।
कामीनी - आह... पी जाओ... ओह्ह्ह... बहुत बहती है ये... निगोड़ी ने जीना मुश्किल कर दिया है... ओह्ह्ह... उफ्फ्फ... उम्म्म... और चाटो इसे... आहहह...
कामीनी के झड़ने के बाद कबीर ने उसे अपनी बाहों में उठाया और उसे लेके चलने लगा ।
कामीनी भी किसी बच्चे की तरह उसकी गोद में लिपटी रही ।
कबीर ने कामीनी को बिस्तर पे फेका और उसके ऊपर चढ़ गया । वो अपना खड़ा लंड लेके सीधे कामीनी के मुँह पे जा बैठा ।
कामीनी ने भी देर ना करते हुए अपना मुँह खोला और कबीर के लंड को आगे का रास्ता दिखाया ।
कामीनी बड़े मजे से सुर... सुर... करके कबीर का लंड चूसने लगी ।
कबीर - ओह्ह्ह... कम्मो... क्या लंड चूसती है तू... आह... तू सारे काम छोड़ दे... आअह्ह्ह... तू बस मेरा लंड चूसा कर... उम्म्म... ओह्ह्ह... कम्मो...
कामीनी जोश में कबीर का लंड चूस रही थी जिससे कबीर का जोश भी बढ़ रहा था । थोड़ी ही देर में कबीर ने अपना लंड निकाल लिया ।
कामीनी का तो जैसे मुँह का निवाला ही छीन लिया था ।
कामीनी - क्या हुआ... डालो ना... मुझे चूसना है...
कबीर - सारा माल तू चाट लेगी तो मेरा क्या होगा...
कामीनी - क्यों आपको भी चाटना है क्या...
कबीर - हट... गंदी... मुझे तो मेरा माल तेरी चूत में गिराना है...
कामीनी - अच्छा जी... वो क्यों...
कबीर - तुझे माँ जो बनाना है...
कामीनी - हाय दईया... मैं और माँ...
कबीर - हाँ... अब मुझे तेरा आधा पति रहना मंज़ूर नही... मुझे पूरा पति बनना है... तुझे माँ बनाना है और खुद को बाप...
कामीनी - ओह्ह्ह... मेरे राजा... तो चोदो ना मुझे... और बना दो माँ...
कबीर ने फटाफट कामीनी की टाँगे खोली और अपना लंड रखके धक्का मारा ।
कामीनी - हाँ... और तेज़ चोदो मुझे... उछल उछल के चोदो... आह... आज ही माँ बना दो... उउउफ्फ्फ्फ़...
कबीर भी कामीनी की हवस में भट्टी की तरह जलने लगा और धड़ाधड धक्के मारे । वो कामीनी को चोदते हुए उसके भारी भरकम स्तन भी निचोड़ रहा था ।
कामीनी - आह... नोच लो मुझे... ओह्ह्ह मम्मी... अम्म्म... उम्म्म.. आअह्ह्ह... और तेज़ चोदो... आह्ह... चोदो कबीर चोदो... उफ्फ्फ...
कबीर लगातार चोद रहा था और वो झड़ने के करीब आ गया था ।
कबीर - मैं आ रहा हूँ कम्मो... ले मेरा वीर्य... भर ले अपनी कोख... आहहह... बना दे मुझे बाप... ऊऊहह... ओह्ह्ह... आहहह... कम्मो...
कामीनी भी कबीर के झड़ने के साथ ही झड़ने लगी ।
कामीनी - हाँ भर दो अपना वीर्य मेरी कोख में... बना दो मुझे अपने बच्चे की माँ... ओह्ह्ह... कबीर... मैं भी गयी... आह... ओह्ह्ह... हाय...
दोनों ही साथ में झड़ गए और कबीर लंबी लंबी साँसे लेते हुए कामीनी के ऊपर की गिर गया ।
कामीनी ने भी उसे अपनी बाहों में भर लिया और उसके पूरे चेहरे को चूमने लगी ।
और ऐसे ही एक दूसरे को चूमते हुए दोनों नींद के आगोश में चले गए ।
सुबह जब स्वीटू नीचे उतर के आयी तो उसने देखा की कबीर और कामीनी एक दूसरे की बाहों में नंगे पड़े थे । उसने दोनों को आवाज़ देके उठाया ।
कबीर ने अपनी आँख खोली तो देखा स्वीटू सामने खड़ी थी । कबीर उसे देखके बोला -
कबीर - उठ गया मेरा बेटू... गुड मॉर्निंग...
स्वीटू - हम्म... गुड मॉर्निंग...
कबीर - क्या बात... आज मेरा बच्चा नाराज़ है...
स्वीटू - हाँ... बहुत नाराज़ है...
कबीर - क्या हो गया...
स्वीटू - मम्मी से पूछो...
इन दोनों की बातों से कामीनी की भी नींद खुल गयी ।
स्वीटू - मम्मी... थोड़ी तो शर्म कर लो...
कामीनी - क्यों... मैंने क्या किया...
स्वीटू - कल जो आपने किया... क्या आपको याद नही...
कामीनी - अब ऐसा भी क्या किया मैंने ।
स्वीटू - कितना चिल्लाती हो आप... आप तो ऐसे चीख रही थीं जैसे कोई बच्ची पहली बार कर रही हो । इतना चिल्लाई हो रात में की मुझे सोने भी नही दिया और शायद पूरा मोहल्ला जग गया होगा ।
कामीनी ने तो शर्म से मुँह झुका लिया । स्वीटू की बात अपनी जगह ठीक ही थी । स्वीटू कामीनी को देखके बोली -
स्वीटू - अब क्या मुँह झुकाये बैठी हो । कल बड़ी चिल्ला रही थीं अब शर्म आ रही है । अगर ऐसे ही शर्माओगी तो मुझे मेरा भाई कैसे पैदा करोगी ।
कामीनी शरमाते हुए बोली -
कामीनी - तो क्या तूने सुन लिया था ।
स्वीटू - मेरी छोड़ो... और ना जाने किस किसने सुना होगा ।
कामीनी - हाय राम...
स्वीटू - और आप क्या लेते ही रहोगे की स्कूल भी चलना है ।
कबीर - हाँ चलो ना ।
स्वीटू - तो जाओ और तैयार हो जाओ ।
ये बोलके स्वीटू भी निकल गयी और कबीर भी उठके चला गया ।
अब बस कामीनी रह गयी थी जो कल की बातों को सोचके कभी मुस्कुराती तो कभी शर्माती ।

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कबीर जाके तैयार हुआ और स्वीटू को लेके सारा को लेने निकल गया । सारा के घर पहुँच कर स्वीटू बोली -
स्वीटू - भाई आप बैठो... मैं ले आती हूँ मैडम को ।
कबीर - ठीक है ।
स्वीटू ने जाके घंटी बजायी और सारा ने दरवाज़ा खोला । सारा स्वीटू को देखके घबरा गयी तो स्वीटू तो झटका खाके मुँह खोले खड़ी रही ।
सारा को स्वीटू के आने की कोई उम्मीद नही थी । वो तो कबीर का सोचके नंगी चली आयी थी गेट खोलने । उसने तुरंत अपना नंगा बदन ढकने की कोशिश की ।
सारा को दरवाज़े पे नंगी देखके स्वीटू बोली -
स्वीटू - नमस्ते मैडम... आपने तो सच में मेरी गुड मॉर्निंग कर दी । वैसे आज आपको नंगी देखके समझ में आया की क्यों मेरा भाई आपके ऊपर लट्टू है ।
सारा अपने नंगे बदन को छुपाते हुए शर्माती रही ।
स्वीटू - मैडम... आज क्या नंगी चलोगी स्कूल । वैसे एक बात तो सच है की आप वाकई में कपड़ों से ज़्यादा नंगी खूबसूरत लग रही हो । काश के मैं आपको ऐसे ही ले जाती ।
स्वीटू की बातों से सारा तो शर्म से पानी पानी हो रही थी मगर उसी के साथ उसकी चूत भी गीली हो रही थी । सारा फटाफट अंदर गयी और साथ में स्वीटू भी अंदर आ गयी । थोड़ी ही देर में पीछे से कबीर भी आ गया ।
सारा नहाने चली गयी और स्वीटू कबीर से बात करने लगी ।
स्वीटू - भाई... मान गए आपको... मैडम तो सच में कमाल की हैं और तो और नंगी ही आ गयी थीं दरवाज़ा खोलने ।
कबीर तो बस स्वीटू की बात सुनके मुस्कुरा रहा था ।
स्वीटू - भाई मुझे आपसे जलन हो रही है ।
कबीर - क्यों...
स्वीटू - आपने इसे अपना बना रखा है... भाई मुझे भी खेलना है मैडम के साथ ।
कबीर - नही...
स्वीटू - प्लीज भाई...
कबीर - बोला ना नही...
स्वीटू - ठीक है... आज के बाद मुझसे कभी बात मत करना ।
कबीर - अच्छा नाराज़ मत हो बेटू... तू भी खेल ले बस ।
स्वीटू - थैंक यू भाई... अब आप जाओ और गाड़ी में बैठो । मैं मैडम को लेके आ जाउंगी ।
कबीर जाके गाड़ी में बैठ गया और स्वीटू को मस्ती सूझने लगी ।
सारा जैसे ही नहाके निकली तो उसने देखा की स्वीटू उसके कमरे में ही खड़ी थी । सारा फटाफट अपने कमरे में आयी और अपने कपड़े निकालने लगी मगर उसे उसके कपड़े नही मिले । वो काफी परेशान हो गयी ।
स्वीटू सारा की हालत देखके बोली -
स्वीटू - क्या हुआ मैडम... जल्दी करो ना... देर हो रही है ।
स्वीटू की बात से सारा को लगा शायद ये काम स्वीटू का है । उसने हिम्मत करके स्वीटू से कहा -
सारा - मेरे कपड़े नही मिल रहे ।
स्वीटू - ओफ्फो मैडम... आपने भी क्या कपड़े कपड़े लगा रखा है । आपको क्या ज़रूरत है कपड़ों की । अब जल्दी चलो... आपके चक्कर में मुझे लेट नही होना ।
स्वीटू सारा का हाथ पकड़ के ले जाने लगी । सारा तो थर थर काँप रही थी । उसने डरते हुए कहा -
सारा - प्लीज मुझे कपड़े तो दे दो । ऐसे नंगी तो मत ले जाओ ।
स्वीटू - क्या मैडम आप भी... एक बार ऐसे नंगी चलके तो देखो... ना आपकी चूत पानी छोड़ दे तो मेरा नाम बदल देना ।
सारा तो शर्म के मारे ज़मीन में गड़ी जा रही थी । उसकी धड़कने बढ़ी हुई थीं और ऐसे चलने से उसके स्तन और उसकी गांड बड़े ही मादक लय में हिल रही थी ।
स्वीटू सारा को खींच के घर से बाहर ले आयी और बोली -
स्वीटू - मैडम चलो जल्दी ताला लगाओ फिर चलें ।
उधर सारा तो डर के मारे वहीं जम गयी थी ।
सारा की हालत को देखके स्वीटू फिर बोली -
स्वीटू - मैडम... अब क्या सब मोहल्ले वालों को अपने इस नंगे हुस्न का दीदार करा के ही चलोगी क्या ।
स्वीटू की इस बात से सारा होश में आयी और जल्दी से ताला लगा के स्वीटू के साथ गाड़ी में आ गयी ।
कबीर तो सारा को यूँ नंगी देखके दंग ही रह गया ।
कबीर - अरे ये क्या... आज कपड़े नही पहने... आज तो पूरे स्कूल की हालत ख़राब करनी है क्या ।
सारा की शर्म और घबराहट अब बढ़ती ही जा रही थी । मगर उसके पास बात मानने के अलावा और कोई चारा भी नही था इसलिए उसने धीरे से बोला -
सारा - नही मालिक आज मैं नंगी ही चलूंगी... आप ले चलो जल्दी से वरना लेट हो जायेंगे...
कबीर - अरे बिलकुल... तुझे तो मैं इस हाल में सारी दुनियाँ में घुमा सकता हूँ फिर स्कूल क्या चीज़ है... चलो...
कबीर ने अपनी गाड़ी चालू की और वो स्कूल के लिए निकल पड़े ।
रास्ते में स्वीटू ने सारा से पूछा -
स्वीटू - तो मैडम कैसा लग रहा है...
सारा डरते हुए बोली - अच्छा लग रहा है...
स्वीटू - तो ठीक है फिर आज से मैडम हमारे साथ रोज़ नंगी चलेंगी...
कबीर तो बस स्वीटू की बातों से और सारा की हालत के मज़े ले रहा था ।
थोड़ी देर में वो लोग स्कूल पहुँच गए और सारा की धड़कने अब पूरी रफ़्तार से चल रही थीं । उसे लग रहा था की उसका दिल ही निकल के बाहर आ जायेगा ।
खैर कबीर ने गाड़ी स्कूल के पीछे ले जाके खड़ी की और स्वीटू सारा को बाहर निकालने लगी ।
सारा का पूरा बदन इस वक़्त पसीने से भीगा हुआ था और उसके पैर भी काँप रहे थे लेकिन अब कुछ नही हो सकता था ।
कपड़े उसके पास थे नही और पूरा दिन गाड़ी में तो नही बैठ सकती थी तो उसने हार मान के उतरने में ही भलाई समझी ।
आज तो ये तीनों रोज़ के समय से थोड़ा जल्दी आ गए थे इसलिए अभी इन तीनों के अलावा और कोई भी नही था ।
कबीर और स्वीटू सारा को अपने साथ अपनी क्लास में ले गए । क्लास में आने के बाद सारा की घबराहट थोड़ी कम ज़रूर हुई थी मगर अब उसे चिंता थी की वो स्कूल में पूरा दिन नंगी कैसे घूमेगी और बच्चों को पढ़ाएगी कैसे ।
इधर स्वीटू का तो मन ही नही भर रहा था । उसे ना जाने कैसा मज़ा आ रहा था । वो सारा के पास आयी और उसने पूछा -
स्वीटू - मैडम अब बताओ... मज़ा आ रहा है ना ।
सारा डरते हुए बोली - मेरे कपड़े... पूरा दिन... मैं नंगी...
बेचारी सारा तो ठीक से बोल भी नही पा रही थी ।
स्वीटू - मैडम... गलत बात... मैं क्या पूछ रही हूँ और आप क्या बोल रही हो ।
सारा - सॉरी... गलती हो गयी... हाँ मुझे अच्छा लग रहा है ।
स्वीटू - अच्छा... रुको जांच करती हूँ ।
और ये बोलके स्वीटू सारा के पास गयी और उसके पैर फैला के अपनी ऊँगली उसकी चूत में डाल दी ।
सारा तो स्वीटू के हमले से उछल गयी और उसके मुँह से निकला - आउच...
स्वीटू ने अपनी ऊँगली सारा की चूत से निकाली और कबीर को दिखाते हुए बोली -
स्वीटू - भाई... देखो ना मैडम की चूत तो कितना पानी बहा रही है ।
स्वीटू की बात सुन के कबीर मुस्कुरा दिया और सारा शर्माने लगी ।
स्वीटू - ओहो मैडम... क्या गज़ब हो आप... नंगी बैठी हो और शर्माती हो ।
कबीर - चल स्वीटू... अब बस कर... अब तो छोड़ दे उसे...
स्वीटू - ठीक है भाई... मगर मैडम मुझे बहुत पसंद आयी हैं... आज के बाद मैं इन्हे ऐसे ही देखना चाहती हूँ ।
कबीर - अच्छा ठीक है स्वीटू... अब से नंगी ही रहेगी बस...
स्वीटू - थैंक यू भाई...
स्वीटू सारा के पास गयी और उसे होठों को चूम लिया । सारा तो कुछ समझ ही ना पायी की ये एकदम से हुआ क्या मगर पहले से ही गरम होने की वजह से उसने भी स्वीटू को नही रोका और उस मीठे से चुम्बन का आनंद लेने लगी ।
स्वीटू सारा से अलग हुई और बोली -
स्वीटू - कसम से मैडम... अगर मैं लड़का होती तो इसी वक़्त आपसे शादी कर लेती ।
सारा अपनी तारीफ़ सुनकर फूली ना समाई और स्वीटू ने कबीर के पास जाके सारा की ड्रेस निकल के दी और बोली -
स्वीटू - ये लो भाई... ये मैं अपने साथ ले आयी थी । अब आगे आप देखो... मैं चली बाहर ।
स्वीटू क्लास से बाहर चली गयी और सारा को ड्रेस देखते ही जान में जान आ गयी ।
कबीर ने भी जाके सारा को ड्रेस थी और उसके होठों को चूमते हुए कहा -
कबीर - ये ड्रेस पहन ले और असेंबली में चली जाना । अभी तो वैसे भी कुछ करने का मन नही है । इसकी भरपाई बाद में कर दूंगा ।
सारा ने ड्रेस पहनी और वो नीचे चली गयी ।
कबीर अभी क्लास में बैठा ही था की उसके पास तमन्ना का फ़ोन आया ।
तमन्ना - हेलो...
कबीर - हाँ तमन्ना बोल ।
तमन्ना - भाई वो आपने बोला था सुबह मिलने के लिए ।
कबीर भी अनजान बनते हुए - किसलिए...
तमन्ना - वो आपको ड्रेस दिखानी थी अपनी ।
कबीर - तो दिखा...
तमन्ना - मगर आप हो कहाँ...
कबीर - जहाँ कल था... दूसरे माले पर...
तमन्ना - ठीक है... अभी आयी ।
कबीर ने अपना फ़ोन रखा और ऊपर चला गया ।
तमन्ना जैसे ही ऊपर आयी वो कबीर को देखके बोली -
तमन्ना - भाई... देखके बताओ क्या मैं ठीक लग रही हूँ ।
कबीर - इधर आ मेरे पास और नज़दीक से दिखा । अच्छे से सब दिखा घूम घूमके तब बता पाऊंगा ।
तमन्ना ने कबीर के पास आके कबीर को घूम घूमके अपनी ड्रेस दिखानी शुरू की ।
कबीर - वाह तमन्ना... क्या चूँची है तेरी । देख कैसे साफ साफ दिख रही हैं बिलकुल नुकीली और खड़ी । पूरे स्तन नज़र आ रहे हैं । शर्ट में तो तू पास हो गयी अब तेरी स्कर्ट की बारी है ।
तमन्ना अब सीधी खड़ी हो गयी ।
कबीर - क्या बात है तमन्ना... स्कर्ट तो काफी छोटी कर ली तूने । देख कैसी तेरी चिकनी नंगी टाँगे पूरी दिख रही हैं । मेरा तो लंड खड़ा होने लगा देखके । अब ज़रा घूम जा तो तेरी पीछे की दूकान भी देख लूं ।
तमन्ना घूमके खड़ी हो गयी ।
कबीर - उफ्फ्फ तमन्ना... क्या अद्भुत नज़ारा है । बेहतरीन गांड पायी है तूने ।
कबीर ने तमन्ना की गांड को सहलाया तो तमन्ना की भी आह... निकल गयी ।
कबीर - तेरी स्कर्ट तो ठीक है । अब बता स्कर्ट के अंदर क्या पहना है ।
तमन्ना - कुछ नही ।
कबीर - मैं कैसे मान लूं । तू स्कर्ट उतार के दिखा ।
तमन्ना ने अपनी स्कर्ट उतार के कबीर को दे दी ।
कबीर तो तमन्ना की नंगी चिकनी चूत देखके ही पागल होने लगा । उससे रहा नही गया और उसने अपना हाथ तमन्ना की चूत पे रख दिया ।
तमन्ना - आह भाई... उम्म...
कबीर - तेरी चूत तो आग उगल रही है ।
कबीर ने तमन्ना की गांड पे अपने दोनों हाथ रखे और सहलाते हुए उसे अपनी तरफ खींच लिया ।
तमन्ना कबीर से चिपक गयी और कबीर ने उसके होंठ चूमने शुरू किये ।
तमन्ना भी कबीर की पीठ सहलाती रही और कबीर का साथ देती रही ।
कबीर ने तमन्ना के मुँह में अपनी जीभ डाल दी और तमन्ना उसे चूसने लगी । थोड़ी ही देर में कबीर ने भी ऐसा ही किया और तमन्ना उम्म... उम्म की सिसकियाँ लेने लगी ।
कबीर उसे काफी देर तक चूमता रहा और फिर उसे छोड़ के अलग हुआ और बोला -
कबीर - चल जल्दी से नंगी हो जा ।
तमन्ना ने अपने शर्ट और जूते मोज़े उतारने शुरू किये और कबीर ने सारा को मैसेज करके कुछ समझाया और ऊपर बुलाया ।
तमन्ना ने अपनी बची हुई सभी चीज़ें निकाल के कबीर को दीं और उसके पास आके खड़ी हो गयी ।
कबीर ने देर ना करते हुए तमन्ना के स्तन चूसने शुरू कर दिए ।
तमन्ना की सिसकियाँ निकलने लगी और उसकी चूत भी गीली होने लगी ।
कबीर तमन्ना के स्तनों को निचोड़ ही रहा था की तभी सारा भी वहां आ गयी ।
सारा ने जैसे ही ये नज़ारा देखा तो उसकी आँखें बड़ी हो गयीं और उसके मुँह से निकला - या अल्लाह...
सारा की आवाज़ सुनते ही तमन्ना एक दम से अलग हुई और अपना बदन छुपाते हुए बोली -
तमन्ना - मैडम आप यहाँ...
सारा - ये क्या हो रहा है तमन्ना...
तमन्ना की तो गांड ही फट गयी थी ।
सारा - मैं कुछ पूछा है... अब बताती है या चलें प्रिंसिपल के पास ।
तमन्ना ने तुरंत सारा के पैर पकड़ लिए और रोने लगी ।
सारा - अब क्यों रोती है... ये सब तुझे पहले सोचना था ।
तमन्ना - माफ़ कर दो मैडम...
तमन्ना की हालत देखके कबीर की हंसी निकल गयी और उसके साथ सारा भी हस पड़ी ।
तमन्ना ने उन दोनों को देखा और कबीर बोला -
कबीर - देखा तमन्ना... बस इतने में ही तेरी हवा निकल गयी ना... तू मेरे लायक़ है ही नही... तुझ जैसी डरपोक को मैं नही अपना सकता । चली जा यहाँ से ।
कबीर की बात से तमन्ना को गहरी चोट लगी और वो बोली -
तमन्ना - नही ऐसा मत करो... एक आख़री मौका दे दो । मैं साबित कर दूंगी ।
कबीर - देखते हैं... चल एक काम कर मेरा लंड चूस जल्दी से और तेरे पास सिर्फ पाँच मिनट हैं मेरा वीर्य निकालने के लिए । अगर नही कर पायी तो सज़ा के लिए तैयार रहना ।
कबीर बेंच पे छड़के खड़ा हो गया और तमन्ना जल्दी से आयी बेंच पे घोड़ी बन गयी । उसने कबीर की पेंट से लंड बाहर निकाला और चूसने लगी ।
कबीर - सारा... इधर आ और नीचे लेट के तमन्ना की चूत चाट ।
सारा बेंच पे लेट गयी और तमन्ना की चूत चाटने लगी ।
तमन्ना का पूरा शरीर काँपने लगा और उसे कबीर का लंड चूसने में दिक्कत होने लगी । सारा से अपनी चूत चटवाने की वजह से तमन्ना के शरीर की गर्मी बढ़ने लगी । जैसे जैसे उसकी चूत पानी बहाती जाती वैसे वैसे उसकी रफ़्तार कम होती जाती ।
कबीर को बड़ा मज़ा आ रहा था । उसे मालूम था की इस तरह से तमन्ना पाँच मिनट में उसका लंड नही चूस पाएगी और उसे तो ऐसा ही चाहिए था ।
कबीर इस पूरे दृश्य को अपने कैमरे से मोबाइल में उतार रहा था और थोड़ी ही देर में कबीर बोला -
कबीर - तमन्ना... हट जा... तेरे पाँच मिनट पूरे हो गए और तुझे सज़ा मिलेगी ।
कबीर ने तमन्ना को हटाया तभी असेंबली ख़त्म हो गयी और वो बोला -
कबीर - सारा अब तू जा... तेरी क्लास का समय हो गया है । मैं तुझे बाद में मिलता हूँ और हाँ... आज का दिन मैं इसी के साथ रहूँगा अगर स्वीटू पूछे तो बता देना की मैं कहीं काम से गया हूँ ।
सारा - जी मालिक ।
सारा वहां से चली गयी और कबीर बोला -
कबीर - चल अब तेरी सज़ा का समय है । तू बैठ यहीं मैं आता हूँ ।
तमन्ना उठके अपने कपड़े पहनने लगी तो कबीर ने छीन लिए और कहा -
तमन्ना - तुझे मैंने बोला कपड़े पहनने को । तू नंगी ही रहेगी और तेरे कपड़े अब मेरे पास ही रहेंगे ।
कबीर तमन्ना के कपड़े लेके चला गया और जाके उसकी क्लास से उसका बैग लेके नीचे अपनी गाड़ी में रख आया ।
कबीर ज़ब वापस लौट रहा था तो उसे गार्ड मिला ।
गार्ड उसे देखके मुस्कुरा रहा था तो कबीर उसके पास चला गया । कबीर के पास जाते ही गार्ड बोला -
गार्ड - कबीर बाबा कैसा चल रहा है ।
कबीर - अरे कहाँ चल रहा है... बस दिन कट रहे हैं...
गार्ड - अब हमसे ही छुपाने लगे क्या कबीर बाबा । पहले वो मैडम फिर वो लड़की ।
कबीर तो गार्ड की बात सुनके एक पल के लिए सोच में पड़ गया ।
गार्ड - कहाँ खो गए कबीर बाबा । मुझे सब पता है असेंबली के वक़्त यहाँ क्या होता है ।
कबीर - तुम्हे कैसे पता...
गार्ड - मैं गार्ड हूँ इस स्कूल का । मुझे तो पूरे स्कूल की निगरानी करनी पड़ती है । मुझसे क्या छुपेगा ।
कबीर कुछ देर सोचता रहा फिर बोला -
कबीर - बहती गंगा में डुबकी लगाओगे क्या ।
गार्ड - कबीर बाबा नेकी और पूछ पूछ...
कबीर - तो ठीक है... मैं तुम्हारा काम करवा दूंगा मगर मुझे खुश करना होगा ।
गार्ड - आप बोलो... क्या करना है...
कबीर - बाद में बताऊंगा... फिलहाल तो मुझे जाना है... अपना अधूरा काम पूरा करना है...
गार्ड - जाओ... और मेरे लायक कोई काम हो बताना...
कबीर - एक काम करोगे मेरा...
गार्ड - बताओ...
कबीर - ऊपर जाके उसे नीचे ला सकते हो क्या...
गार्ड - बस इतनी सी बात...
कबीर - ये इतनी सी बात नही है...
गार्ड - मुझे सब मालूम है कबीर बाबा । आपने जो सामान गाड़ी में रखा है, मैं वो देख चुका हूँ । आप चिंता मत करो, किसी को पता नही चलेगा ।
कबीर - तो जाओ और ले आओ ।
गार्ड ऊपर चला गया और उसके पीछे पीछे कबीर भी छुपते छुपाते ऊपर चला गया ।
उधर तमन्ना नंगी बैठी कबीर की राह देख रही थी की तभी उसको किसी के आने की आहत सुनाई दी । उसे लगा की कबीर आ गया । वो जैसे ही बाहर आयी तो उसने देखा की कबीर की जगह गार्ड चला आ रहा है । वो तुरंत अंदर भागी और अपने आपको छुपाने लगी ।
गार्ड भी अंदर आया और बोला -
गार्ड - अब छुपने से कोई फायदा नही है मैडम... आ जाओ बाहर । आपको नीचे बुलाया है कबीर बाबा ने ।
तमन्ना की गांड फट रही थी की गार्ड ने उसे नंगा देख लिया है और अब कहीं ये बात पूरे स्कूल में ना फ़ैल जाए ।
गार्ड अंदर आया और उसने तमन्ना को खींच के अपनी गोद में उठाया और चलने लगा ।
तमन्ना चिल्लायी -
तमन्ना - छोड़ो मुझे... कहाँ ले जा रहे हो... नीचे उतारो...
गार्ड - कबीर बाबा के पास... उन्होंने बुलाया है... अब चुप चाप चलो वरना पूरे स्कूल को पता चल जाएगा...
तमन्ना डर के मारे चुप हो गयी मगर उसके आंसू बहने लगे ।
इधर गार्ड जैसे ही तमन्ना को लेके बाहर आया तो उसे सामने सीढ़ीयों पे कबीर दिखाई दिया जो वहां खड़ा इनकी वीडियो बना रहा था ।
जब वो पास आये तो कबीर ने मोबाइल बंद करके जेब में रखा और कहा -
कबीर - ले चलो इसे मेरी गाड़ी के पास ।
और ये बोलके कबीर नीचे चला गया । थोड़ी ही देर में गार्ड भी तमन्ना को अपनी गोद में लिए नीचे आ गया और कबीर के पास जाके तमन्ना को नीचे उतार दिया ।
तमन्ना भाग के गाड़ी के पीछे जाने लगी तो कबीर ने उसका हाथ पकड़ के रोक लिया और कहा -
कबीर - यहीं खड़ी रह चुप चाप ।
कबीर गार्ड से बोला -
कबीर - किसी ने देखा तो नही ।
गार्ड - नही कबीर बाबा... सब तो अपनी अपनी क्लासों में हैं तो कोई कैसे देखेगा ।
कबीर - ठीक है... अब तुम जाओ...
गार्ड - जी अच्छा...
गार्ड के जाते ही कबीर ने तमन्ना के स्तन पूरी ताकत से दबा दिए और तमन्ना की चीख निकल गयी -
तमन्ना - आह... मर गयी... मम्मी...
कबीर - दर्द हो रहा है क्या... आज तो तुझे यहीं चोदुँगा... तेरी चीखें आज पूरे स्कूल में गूँजेंगी ।
कबीर ने तमन्ना को घुमाया और उसकी गांड को मार मार के लाल करना शुरू किया ।
तमन्ना - आह भाई... चोद लो मुझे... मगर मारो मत... दर्द हो रहा है भाई...
तमन्ना के बोलते ही कबीर ने और ज़ोर से मारना शुरू किया और तमन्ना रो पड़ी ।
तमन्ना - भगवान के लिए रुक जाओ भाई... प्लीज मत मारो... बहुत दुख रहा है ।
कबीर - चल ठीक है ।
कबीर ने मारना बंद किया तो तमन्ना ने अपनी गांड मलनी शुरू की । वो रोते हुए बोली -
तमन्ना - भाई... आपने मुझे इतना क्यों मारा ।
कबीर - ये इसलिए था की आज के बाद मैं जो भी कहूँ, जहाँ भी कहूँ वो उसी वक़्त करना है... समझ गयी वरना आज तो गार्ड था कल पूरा स्कूल या पूरा शहर भी हो सकता है ।
तमन्ना - जी...
कबीर - चल पीछे घूम और मुझे अपनी गांड दिखा ।
तमन्ना घूम गयी और कबीर ने उसकी लाल हो चुकी गांड चाटना शुरू किया ।
तमन्ना - आउच भाई... क्या कर रहे हो...
कबीर - चुप चाप खड़ी रह... तेरी गांड को चाटके ठंडा कर रहा हूँ ।
थोड़ी देर में तमन्ना को भी मज़ा आने लगा और उसका दर्द भी बंद हो गया तो कबीर ने उसे घुमाया और उसके पैर फैलाके उसकी चूत चाटनी शुरू की ।
तमन्ना - ओह्ह्ह... भाई... चाटो मेरी चूत... मेरे भाई... मुझे ठंडा कर दो...
कबीर उसकी चूत दबा दबाके चाटने लगा और अपनी जीभ नुकीली करके अंदर बाहर करने लगा ।
तमन्ना भी कबीर का सर अपनी चूत पे दबाती रही और थोड़ी ही देर में वो झड़ने लगी ।
तमन्ना - भाई... मैं झड़ रही हूँ... मुझे अपना बना लो भाई... आह... भाई... ऊऊह्ह्ह्ह... मैं सब करुँगी भाई... मुझे अपना लो... आह... आअह्ह्ह.... उउफ्फ्फ...
तमन्ना का पूरा शरीर झड़ने के बाद भी काँपता रहा ।
कबीर खड़ा हुआ और तमन्ना को पकड़ के बोला -
कबीर - इधर देख...
तमन्ना - हाँ भाई...
कबीर - अब बता क्या बोल रही थी तू...
तमन्ना - हाँ भाई... मुझे अपना लो भाई... मैं सब करुँगी... जो आप कहोगे मैं सब बात मानूंगी.... प्लीज भाई... मुझे अपना लो... मैं आपके बिना नही रह पाऊँगी ।
कबीर - सोच ले फिर से...
तमन्ना - नही सोचना भाई...
कबीर - तो आजा नीचे ।
तमन्ना तुरंत बैठ गयी और कबीर का लंड निकाल के चूमने लगी । तमन्ना भूखी शेरनी की तरह उसके लंड पे टूट पड़ी और पूरे लंड पे चुम्बनो की बारिश कर दी ।
कबीर से भी रहा ना गया और उसने तमन्ना के सर पे थोड़ा दबाव बनाया और तमन्ना भी इशारा समझ गयी और उसका पूरा लंड मुँह में लेके चूसने लगी ।
कबीर के मुँह सी धीमी धीमी आहें निकल रही थीं तो तमन्ना के मुँह से गूं... गूं... की आवाज़ें ।
कबीर ने थोड़ी ही देर में तमन्ना को रोका और खड़ा किया ।
तमन्ना - भाई... चूसने दो ना...
कबीर ने उसे अपनी कार के बोनट पे लिटाया और उसके पैर फैला के अपना लंड उसकी चूत पे रखा और बोला -
कबीर - तमन्ना... आज तेरी चीखें पूरे ब्रम्हांड में गूँजेंगी ।
कबीर ने एक ज़ोरदार झटका मारा और एक ही झटके में उसकी चूत फाड़ के उसका कोमार्य भंग कर दिया । तमन्ना अब लड़की नही नही रही थी । वो एक औरत बन गयी थी ।
तमन्ना - आआआआहहहहहह... मााााररररररररर दियाााा... भाईईईईई... निकालोोोो... इसे... ओह्ह्ह्हह्ह...
तमन्ना कबीर को धक्का देने लगी मगर कबीर ने तमन्ना की चूँची पकड़ ली जिससे तमन्ना के धक्का देते ही वो खिचने लगी और वो दर्द से छटपटाने लगी ।
तमन्ना - आअह्ह्ह... भाई... छोड़ दो...
कबीर ने अपना लंड बाहर निकला और फिर एक करारा धक्का लगाया । कबीर का आधा लंड उसकी चूत में जा फंसा और तमन्ना की चूत ने अच्छी खासी खून की धार छोड़ी और दोनों की टाँगे रंगीन कर दी ।
इस बार कबीर ने तमन्ना को चीखने नही दिया और उसका मुँह दबा लिया ।
कुछ देर रुकने के बाद कबीर ने धीरे धीरे लंड आगे पीछे हिलाना शुरू किया और तमन्ना को थोड़े दर्द के साथ थोड़ा मज़ा भी आने लगा ।
कबीर ने फिर ज़ोर लगाया और एक आख़री धक्का मार के अपना लंड उसकी चूत की जड़ तक उतार दिया और उसे धीरे धीरे चोदने लगा । कबीर अब काफी आराम से तमन्ना को चोद रहा था और कुछ ही देर में तमन्ना को मज़ा आने लगा ।
तमन्ना - भाई... बहुत मज़ा आ रहा है... मैं हवा में उड़ रही हूँ... ऐसे ही चोदो भाई... अब कभी नही रुकना... बस चोदते रहो... आहहहह... भाई... उउउफ़फ़फ़फ़...
कबीर उसको चोदते हुए बोला -
कबीर - क्यों तमन्ना कैसा लग रहा है...
तमन्ना - भाई ये तो स्वर्ग जैसा लग रहा है... ओह्ह्ह... भाई... ओह्ह्ह... मेरे भगवान... उउउम्म्म... भाई थोड़ा तेज़ करो... उउउफ्फ्फ...
कबीर ने अपने झटके थोड़े तेज़ किये और तमन्ना ने अपनी दोनों टांगों का घेरा बनाके कबीर की कमर जकड़ ली और उसके गले में अपनी बाहें डाल कर खुद भी अपनी कमर हिलाने लगी ।
तमन्ना - आह भाई... और तेज़ भाई... और तेज़...
कबीर - हाँ... ये ले... और ज़ोर से ले...
दोनों ही इस धुआंधार चुदाई में लगे हुए थे और ऐसे ही लगभग बीस मिनट तक चुदाई करने के बाद तमन्ना झड़ने लगी और उसके साथ कबीर भी झड़ने लगा ।
कबीर - मेरा वीर्य निकलने वाला है ।
तमन्ना - मेरा भी भाई । आप अंदर ही निकाल दो । मैं महसूस करना चाहती हूँ । आह भाई... मैं गयी... मुझे सम्भालो... भाई... ओह्ह्ह... आअह्ह्ह... मम्मी... उफ्फ्फ...
कबीर - आह तमन्ना... ये ले... भर ले पूरा... ओह्ह्ह...
थोड़ी देर में वो दोनों झड़ गए और वहीं गाड़ी पर पड़े रहे । जब दोनों की हालत थोड़ी ठीक हुई तो तमन्ना नीचे बैठी और कबीर के पैर पकड़ के बोली -
तमन्ना - भाई... मुझे अपनाओगे ना... अब तो मुझे चोद भी लिया... बोलो ना भाई...
कबीर - ठीक है मगर एक बात याद रखना, अगर कभी भी मेरी कोई बात नही मानी तो मैं छोड़ के चला जाऊंगा ।
तमन्ना - नही भाई... आपके चरणों की सौगंध खाती हूँ... ऐसा कभी नही करुँगी ।
कबीर ने अपनी बाहें फैलाके उसे इशारा किया और वो ख़ुशी से कबीर की बाहों में समा गयी ।
कबीर - अब जाके के गाड़ी में बैठ, अपने आपको साफ कर और कपड़े पहन... उसके बाद तुझे घर छोड़ दूं ।
तमन्ना अंदर जाके अपने आप को साफ करके कपड़े पहन के बाहर आयी और कबीर से बोली -
तमन्ना - चलो भाई...
कबीर तमन्ना को लेके स्कूल से निकल पड़ा मगर जैसे ही वो गेट पे पहुंचा तो गार्ड मुस्कुरा रहा था । तमन्ना उस गार्ड को देखके डर गयी और कबीर उसकी हालत को देखते हुए बोला -
कबीर - कुछ नही करेगा... मेरा ही आदमी है... तू बैठ आराम से ।
तमन्ना को थोड़ी राहत हुई और कबीर उसे घर ले गया ।
कबीर ने तमन्ना को घर छोड़ा और उसे दर्द की दवाई दी और बाहर से ही लौट गया ।
थोड़ी ही देर में कबीर वापस स्कूल पहुंचा और उसने मेथी को फ़ोन लगाया ।
मेथी ने कबीर का फ़ोन देखा तो वो डर गया की अब क्या नयी मुसीबत आने वाली है । उसने फ़ोन उठाया और बात की ।
मेथी - नमस्ते जीजाजी चरण स्पर्श ।
कबीर - हाँ मेथी चुदते रहो और अपनी बहन चुदवाते रहो ।
मेथी - कुछ काम था क्या ।
कबीर - मुझे उस आदमी का नंबर दे जल्दी जिससे तूने माल लिया था और मैंने एक लाख रूपए दिए थे ।
मेथी डरते हुए बोला - क्या हो गया जीजाजी ।
कबीर - गांडू जितना बोला है... उतना कर... सवाल मत कर...
मेथी - मैं देता हूँ नंबर ।
मेथी ने कबीर को नंबर भेजा और कबीर ने उस आदमी को फ़ोन लगाया ।
आदमी - हेलो...
कबीर - कबीर बोल रहा हूँ...
आदमी - जी सर नमस्ते ।
कबीर - तुम्हारे पुराने नंबर को क्या हो गया और ये नया नंबर लिया तो मुझे बता नही सकते थे ।
आदमी - सॉरी सर... वो अचानक से नंबर बदलना पड़ा । आप बताओ ना क्या काम है ।
कबीर - एक फोटो भेज रहा हूँ और उसके साथ उसका पता भी । अगले आधे घंटे के अंदर उसे उठा लो और फिर उसे गायब कर दो... वो दुबारा कभी नज़र ना आये ।
आदमी - समझ गया सर । आपका काम हो जाएगा ।
कबीर ने बात ख़त्म की और उस आदमी को सारी जानकारी भेज के अपनी क्लास में चला गया ।

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