Naik
Well-Known Member
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Kuch paane ke liye peeda tow sehni padti h ager bagair peeda k sab kuch asani se mil jaye tow kia hi kehne saare log shaktia leker hi na ghoome#गतांक से आगे
वो तीनो मंदिर में आ गए थे । बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी ,मानो आज बहुत कुछ घटित हो जाएगा । सुबह के १० बज रहे थे पर मौसम ऐसा था कि हल्के धुंधलके और हल्की रोशनी वाली शाम हो रही है ।अंदर आ कर बाबा ने मंदिर के द्वार बंद कर दिए और अजिंक्य से बोले
" बेटा इधर बैठो , मां आप भी आओ "
अजिंक्य और आशी जा कर बाबा के सामने बैठ गए । दोनो के बीच एक बड़ी सी यज्ञबेदी थी । जिसमे आग अभी भी जल रही थी ।
" मै तुम्हे कुछ शक्तियां देना चाहता हू जिनसे तुम अपना बदला ले सकोगे । लेकिन मैं तुमसे पूछना चाहता हू कि तुम्हे आसुरी शक्ति चाहिए या देवीय ?"
बाबा ने अजिंक्य के आंखो में देख कर पूछा । बाबा की नजर मानो अजिंक्य के मन को टटोल रही थी। अजिंक्य पूछा
" दोनो में अंतर क्या है बाबा "
अब बाबा बहुत गंभीर मुद्रा में यज्ञवेदी की अग्नि को देखते हुए बोले
"आसुरी शक्ति प्राप्त होने से तुम शक्तिशाली तो बहुत हो जाओगे पर उन शक्तियों की ताकत बनाए रखने के लिए तुम्हे पाप कर्म करने होंगे । और देवीय शक्तियां को बनाए रखने के लिए तुम्हे पुण्य कर्म करने होंगे निष्पाप ,कमजोर ,बेजुबान के लिए सहृदय होना पड़ेगा । सुनने में सरल है लेकिन पुण्य कमाना पाप अर्जित करने से कहीं ज्यादा दुष्कर कार्य है । आसुरी शक्तियां तो मैं तुम्हे दे दूंगा पर देवीय शक्ति केलिए तुम्हे खुद का त्याग करना होगा । अपनी कुंडलिनी जाग्रत करनी होगी । अपने देह के पंच महाभूतों को जाग्रत करना होगा । और ये कार्य आसान नहीं है । बताओ क्या करोगे तुम ? और आखिरी में मां रतिप्रिया की शक्तियों पे अधिकार पाने के लिए तुम्हे एक आखिरी संसर्ग करना होगा और विवाह करना होगा यक्ष रीति से । बताओ तैयार हो तुम इतना सब कुछ करने के लिए ? "
अजिंक्य ध्यान से सुन रहा था सब् और समझने की कोशिश कर रहा था । कुछ देर यूं ही मौन रह कर अग्नि को देखता रहा फिर अचानक बोल पड़ा
" बाबा मैने कभी चाह कर कोई भी पाप नही किया ,कभी किसी को सताया नही । तो मैं अपने बदले के लिए और पाप नही कर सकता । मुझे कुंडलिनी ही जाग्रत करनी है । और आशी से तो मैं बिना शक्ति के भी विवाह करने को तैयार हू "
आशी ये देख कर मुस्कुरा उठी और उठ खड़ी हो कर वही एक खिड़की की ओर चल दी । खिड़की से बाहर देखने लगी । बारिश बहुत तेज हो रही थी । तूफान का आगाज था ये कुसुमपुर में । खिड़की में जल्दी लोहे को सरियों से पानी की हल्की बौछार अंदर आ रही थी तो आशी उन्हें अपनी हथेली में समेटते हुए गुनगुनाने लगी
" बदरिया सी बरसु ,घटा बन कर छाऊं
जिया तो ये चाहे , तोहे अंग लगाऊं
लाज निगोड़ी मोरी , रोके है पैयां "
अजिंक्य और बाबा एकटक आशी की तरफ देख रहे थे ,एक के आंखो में प्रेम था तो दूसरे की आंखो में वात्सल्य एक पुत्र होने का और भक्त होने का ।
" देख रहे हो अजिंक्य बेटा तुम , कई सैकड़ों जन्म में कोई ऐसा विरला ही होता है जिसे यक्षिणियो का प्रेम और सामिप्य मिलता है । तुम बहुत भाग्यशाली हो "
बाबा अजिंक्य की तरफ देखते हुए बोले
" भाग्यशाली और यक्षणियो का नही पता ,पर बाबा सौगंध है महादेव की ,कभी इस लड़की को न खुद से अलग होने दूंगा और न इसपर कोई आंच आने दूंगा ।"
अजिंक्य लगातार आशी को ही देख रहा था। बाबा बोले
" चलो फिर अनुष्ठान प्रारंभ करते है कुंडलिनी जागरण के लिए । ,लेकिन याद रखना ये प्रक्रिया बहुत पीड़ादायक होती है । तुम्हे पीड़ा सहनी पड़ेगी । एक आम मनुष्य की कुंडलिनी कई वर्षो के कठिन तपस्या के बाद जाग्रत होती है । लेकिन मैं अपनी अर्जित की हुई शक्ति से तुम्हारी कुंडलिनी जाग्रत करूंगा । और आखिरी प्रक्रिया से तुम्हे खुद गुजरना होगा । तैयार हो तुम तो अपने सारे वस्त्र उतार कर बाहर नदी से स्नान करके ये धोती पहन कर जल्दी आओ "
अजिंक्य उठा और बाहर नदी में नहाने चला गया । और आशी अभी भी खिड़की से बाहर देख रही थी ।
to be continued
Baherhal dekhte h Ajinkya ko kitne peeda uthani padti h
Badhiya behtareen shaandaar update bhai