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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
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xxxbala

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सोनू एक एसडीएम भी है और हट्टा कट्टा नौजवान मर्द भी है। कहानी में सस्पेंस तो खूब है, थोड़ा थ्रिल और एक्शन भी हो तो मजा आ जायेगा
 

raniaayush

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जर्मनी में भाई-बहन के बीच शारीरिक संबंध बनाने को जायज ठहराया गया है. जर्मन सरकार की आचार समिति की सिफारिशें के बाद -बहन के सेक्स करने को अवैध ठहराने वाले कानून को खत्म किया जा चुका है.
आचार समिति के मुताबिक, इस तरह के कानून खुद की इच्छा से शारीरिक संबंध बनाने के अधिकार का हनन है. जर्मन नैतिकता आपराधिक कानून परिषद की ओर से कहा गया कि भाई बहन के बीच शारीरिक संबंध स्थापित किए जा सकते है अगर दोनों की रजामंदी है तो उसमे किसी प्रकार का कोई कानूनी उलंघन नही है। जब जर्मन सरकार कानूनी रूप से आज्ञा देती है भाई बहन के बीच शारीरिक संबंध को तो समाज के मानने या अमान्य या स्वीकार्य होने ना होने से क्या फर्क पड़ता है। ये रूढ़िवादिता है की भाई बहन के बीच शारीरिक संबंध अमान्य है। जब मर्जी है दोनों की तो क्या गलत है। लवली जी आपके इस विचार से मै असहमत हूं कि सगे भाई बहन संबंध स्थापित करते हैं तो वो सर्वमान्य नही है।
सर्वमान्य की परिभाषा सबके लिए अलग अलग होती है। यह समाज के अपने बौद्धिक स्तर पर भी निर्भर करता है।
 
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Lovely Anand

Love is life
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Field preparation for further erotic scenes! Keep it up sir, thanks.
Thanks
Waiting for your update number 126
Jaroor
सरयू सिंह और सुगना का मिलन एक बार फिरसे होना चाहिए। ये जानकर सरयू सिंह को और उत्तेजना होनी चाहिए थी, की जिस बहु के साथ उनके अंतरंग संबंध बने थे, वो उनकी सगी बेटी है। मुझे नहीं पता आगे चलकर सुगना और सूरज के बीच शारीरिक संबंध बनेंगे या नहीं, पर लेखक ने हल्की झलक दे दी है। तो जब माँ बेटे के हो सकते हैं, तो बाप बेटी के बीच क्यों नहीं? सरयू सिंह और सुगना की बेचैनी, तब चरम पर थी, जब बनारस महोत्सव, में सरयू सिंह से बाथरूम के पास मिली थी और बाद में सुगना ने सरयू को होटल में मिलने को कहा। हालांकि बाद में सरयू दूसरे होटल में सुगना को चोदते हुए बेहोश हो गए। इन दोनों का एक और बेहद कामोत्तेजक दृश्य लिखा जा सकता है। सुगना सरयू सिंह को मनाये और दोनों किसी होटल में फिर मिलें। मैं लेखक से अनुरोध करता हूँ, की ये विनती स्वीकार करें।
सरयू सिंह यह जानने के बाद की सुगना उनकी पुत्री है कैसे संभोग करेंगे यह असंभव है
Iss daag ki kahani ko samjhana bda hi romanchak hoga....
ध्यान से पढ़िए समझ आ जाएगा
सही विवरण। सम्भवतः मेरे दिमाग मेँ सरयू सिंह का स्वास्थ्य उस दाग से जुड़ गया था। देसी वियाग्रा को तो भूल ही गया
सच कहा आपने
बहुत ही सुन्दर अपडेट लवली जी
थैंक्स
Thanks
कहानी एक नए मोड़ की ओर बढ़ रही है। पर कहानी में मोनी पीछे रह गई है।
मोनी आएगी पर अभी सुगना और सोनू के आनंद में शरीक होइए
सोनू एक एसडीएम भी है और हट्टा कट्टा नौजवान मर्द भी है। कहानी में सस्पेंस तो खूब है, थोड़ा थ्रिल और एक्शन भी हो तो मजा आ जायेगा
बड़ा कठिन है मित्र फिर भी देखते है..
Ab ye dagh kanha se aa gaya bich me yani ab sonu ko v dur hona hoga sugna se.or soni v ab saryu singh ka lund legi bht jald
Ye kahani kaa bhag hai achanak nahi आया
सर्वमान्य की परिभाषा सबके लिए अलग अलग होती है। यह समाज के अपने बौद्धिक स्तर पर भी निर्भर करता है।
True
 

Tarahb

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सर्वमान्य की परिभाषा सबके लिए अलग अलग होती है। यह समाज के अपने बौद्धिक स्तर पर भी निर्भर करता है।
वासना जहां घर कर जाती है वहां सर्वमान्य की परिभाषा और प्रेम मायने नहीं रखता। इसी वासना अभिभूत में मैं और मेरी छोटी बहन खुद पर काबू नहीं रख पाए और अब चाहकर भी पीछे नहीं हट सकते। वैसे ही प्रेम सुगना और सोनू में भी है
 

raniaayush

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वासना जहां घर कर जाती है वहां सर्वमान्य की परिभाषा और प्रेम मायने नहीं रखता। इसी वासना अभिभूत में मैं और मेरी छोटी बहन खुद पर काबू नहीं रख पाए और अब चाहकर भी पीछे नहीं हट सकते। वैसे ही प्रेम सुगना और सोनू में भी है
मैंने रिप्लाई इसलिए दिया था कि आपने जर्मनी का उदाहरण दिया था कि वहां कानून बन गया है। यही मैं भी कह रहा हूँ कि शारीरिक सम्बन्ध का एक ही सिद्धान्त है- दोनों की सहमति बस। आप इसे कानून का जामा नहीं पहना सकते और न ही सब इसे मानने के लिए बाध्य हैं। बहुत सी बातें हमारी संस्कृति में भौगोलिक कारणों से भी है। भारत हमेशा से जनसंख्या में समृद्ध रहा है इसलिए बहुत से शारीरिक सम्बन्ध वर्जित हैं। भारत खाद्यान्नों से भरपूर हैं इसलिए देखिए यहां उपवास की कितनी महिमा है तथा भक्ष्य अभक्ष्य के बहुतेरे नियम भी हैं।
 

Tarahb

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मैंने रिप्लाई इसलिए दिया था कि आपने जर्मनी का उदाहरण दिया था कि वहां कानून बन गया है। यही मैं भी कह रहा हूँ कि शारीरिक सम्बन्ध का एक ही सिद्धान्त है- दोनों की सहमति बस। आप इसे कानून का जामा नहीं पहना सकते और न ही सब इसे मानने के लिए बाध्य हैं। बहुत सी बातें हमारी संस्कृति में भौगोलिक कारणों से भी है। भारत हमेशा से जनसंख्या में समृद्ध रहा है इसलिए बहुत से शारीरिक सम्बन्ध वर्जित हैं। भारत खाद्यान्नों से भरपूर हैं इसलिए देखिए यहां उपवास की कितनी महिमा है तथा भक्ष्य अभक्ष्य के बहुतेरे नियम भी हैं।

मैंने रिप्लाई इसलिए दिया था कि आपने जर्मनी का उदाहरण दिया था कि वहां कानून बन गया है। यही मैं भी कह रहा हूँ कि शारीरिक सम्बन्ध का एक ही सिद्धान्त है- दोनों की सहमति बस। आप इसे कानून का जामा नहीं पहना सकते और न ही सब इसे मानने के लिए बाध्य हैं। बहुत सी बातें हमारी संस्कृति में भौगोलिक कारणों से भी है। भारत हमेशा से जनसंख्या में समृद्ध रहा है इसलिए बहुत से शारीरिक सम्बन्ध वर्जित हैं। भारत खाद्यान्नों से भरपूर हैं इसलिए देखिए यहां उपवास की कितनी महिमा है तथा भक्ष्य अभक्ष्य के बहुतेरे नियम भी हैं।
उपवास तो ढकोसला बाजी है, अंधविश्वास है, स्वतंत्रता के मामले में और विकसित होने के मामले में हमारा देश जर्मनी की पैर की धूल के बराबर भी नहीं है अभी। उसकी बराबरी करना तो भूल ही जाओ। जहां लोगो की अपासी इच्छा और रजामंदी को कानून बनाया गया है उसमे कुछ गलत नही है। बाकी हमारा देश विविधताओं से भरा हुआ है इसमें कोई संदेह नहीं है। रही बात भारत में भाई बहन के संबंधों की तो जितने केस कोर्ट में भाई बहन के साथ जबरदस्ती संबंध और बाप और बेटी के बीच शारीरिक संबंध से भरे पड़े हैं दुनिया के किसी देश में इतने केस नही है। इतना नीच और गंदी सोच है भारत के लोगों में, जब रजामंदी से सम्बन्ध नही तो जबरदस्ती बनाने को आतुर हैं। इसका मतलब है की देश के बहुत लोग खुद की ही बेटी बहन से सेक्स इच्छा रखते हैं और पूरी नही होती तो जबरदस्ती बलात्कार करते हैं। हां बाप बेटी या बहन भाई के बीच अगर दोनो की रजामंदी से सम्बन्ध बनते हैं तो इसमें किसी को कोई दिक्कत नही होनी चाहिए। वैसे भी देश के 13 राज्यों में और जहां जहां भी पंजाबी, मुस्लिम, सिख, ईसाई, और साउथ इंडियन राज्यों की जातियों में और नॉर्थ ईस्ट लोगों में खुद की बुआ, चाचा, बहन की बेटी, मोसी की बेटी, मां की बहन, आदि बहनों से शादी ब्याह आम बात है और अब तो बाकी जातियों में भी ये प्रचलन फैलने लगा है। धर्मांधता और अंधविश्वास, देवी देवता आदि के चक्कर में तो देश विकसित देशों से बहुत साल पीछे है जबकि विकसित देशों से ज्यादा पैसा संसाधन हमारे देश में हैं लेकिन संस्कृति का हवाला डेकर मर रहे हैं और वैसे बहु बेटी बहन के साथ इंसेस्ट कहानी पढ़ते हो। और बात संस्कृति की कर रहे हो। ऐसी कहानी को पढ़कर तुम भी अपनी बहन के साथ वही सोच रहे होंगे जो सोनू सोचता है या मैं तो मानता हू की मेरा मेरी छोटी बहन से संबंध हैं और इसका कोई दुख भी नहीं क्योंकि रजामंदी है हम दोनों में। आप सबकी तरह चोरी छुपे उसको गंदी नजरों से देखना या खुद को सोनू की जगह रखकर खुद की बहन की कल्पना करना। ये तो नही करते।
 
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