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Incest आह..तनी धीरे से.....दुखाता.

Lovely Anand

Love is life
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आह ....तनी धीरे से ...दुखाता
(Exclysively for Xforum)
यह उपन्यास एक ग्रामीण युवती सुगना के जीवन के बारे में है जोअपने परिवार में पनप रहे कामुक संबंधों को रोकना तो दूर उसमें शामिल होती गई। नियति के रचे इस खेल में सुगना अपने परिवार में ही कामुक और अनुचित संबंधों को बढ़ावा देती रही, उसकी क्या मजबूरी थी? क्या उसके कदम अनुचित थे? क्या वह गलत थी? यह प्रश्न पाठक उपन्यास को पढ़कर ही बता सकते हैं। उपन्यास की शुरुआत में तत्कालीन पाठकों की रुचि को ध्यान में रखते हुए सेक्स को प्रधानता दी गई है जो समय के साथ न्यायोचित तरीके से कथानक की मांग के अनुसार दर्शाया गया है।

इस उपन्यास में इंसेस्ट एक संयोग है।
अनुक्रमणिका
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भाग 126 (मध्यांतर)
 
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Lovely Anand

Love is life
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Thanks
क्या गज़ब का संभोग के दृश्य था लवली जी । मज़ा आ गया। पर सुगना को अपने पिता का नाम मालूम पड़ना चाहिए क्योंकि इससे सोनू और सुगना का रिश्ता और प्रगाढ़ होगा ।
Yah baat to sahi hai kabhi Na kabhi sugna ko is bat ka pata jarur chalega ki vah Apne pita se hi vasna ka Sukh le rahi thi...jaane us par kya bitegi...
update 125 bahut badya tha mind blowing 👍 126 ka intazar rahega
Thanks
Welcome ji मुझे तो पता भी नहीं कि आप इंतजार कर रही हैं...
इस कहानी में इतने सारे अवैध रिश्ते हैं। सोनू ने लाली को चोदा है। सरयू सिंह ने घाट घाट का पानी पिया है। फिर ये दाग सुगना को चोद कर क्यों आ रहा है. कुछ गहरा है जो सिर्फ लेखक ही समझा सकता है। नए अपडेट का बेसब्री से इंतजार है
अपने पुराने एपिसोड ध्यान से नहीं पढ़े यह दाग सरयू सिंह को भी आया था और अब शायद आपको आपके प्रश्न का उत्तर मिल चुका होगा सुगना सरयू सिंह की पुत्री है.. और उन्होंने सुगना को लड्डू खिलाकर उसके साथ जो छल किया था शायद नियति ने उन्हें उसी का दंड दिया था... और अब सोनू भी उसी रास्ते पर है...
कहने को अब कुछ बचा नही, आपने ऐसा कुछ छोङा नही जो हम कोमेन्टस मे कुछ लिख सके इसलिये बस इतना ही "............?"
Bus Yun hi sath banae rakhen kahane sunane ko hamesha kuchh n kuchh milta rahega

आप सभी पाठकों का धन्यवाद जो पाठक एक बार फिर नींद की आगोश में जाने लगे हैं उन से अनुरोध है की आदर्श विद्यार्थी की तरह अपनी उपस्थिति दर्ज कराते रहें यह कहानी आप सब पाठकों की बदौलत ही चल रही है जैसे ही भीड़ घटी थिएटर से फिल्म उतर जाएगी क्योंकि यह कहानी और फिल्म उद्देश्य विहीन है...
 
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yenjvoy

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सही है। निस्सन्देह ये वही दाग है जो सरयू सिँह के माथे पर भी था। ये दाग पाप का द्योतक है।

पर आश्चर्य की बात है कि सरयू के साथ सुगना का चुदाई वाला रिश्ता कयी साल चला और सरयू ने सुगना के साथ ना सिर्फ बहुत बार बल्कि बहुत सारे तरीक़े से सेक्स का आनन्द लिया, तब जाकर दाग बढ़कर नासूर बना और सरयू की जान जाते जाते बची. सोनू के साथ चुदाई मेँ दाग पहली ही बार से उभर आया।

लिखने वाले ने शायद तय कर लिया है कि सोनू को अपनी प्यारी सुगना दीदी का यौन सुख ज़्यादा नहीं मिलने वाला। सोनू का ब्याह तो अपनी प्रिय सखी और सोनू की प्रेयसी लाली से करवा देगी सुगना परंतु खुद उस का क्या होगा? सुगना की प्यास बुझाने अब कौन आयेगा? इतनी अलौकिक सुंदरी का जवान बदन क्या कभी पूरी तरह भोग पाएगा कोई?

और जब सुगना के पहले प्रेमी का राज़ खुलासा होगा वह भी एक चुनौतीपूर्ण पल अभी आना बाकी है
 

Lovely Anand

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सही है। निस्सन्देह ये वही दाग है जो सरयू सिँह के माथे पर भी था। ये दाग पाप का द्योतक है।

पर आश्चर्य की बात है कि सरयू के साथ सुगना का चुदाई वाला रिश्ता कयी साल चला और सरयू ने सुगना के साथ ना सिर्फ बहुत बार बल्कि बहुत सारे तरीक़े से सेक्स का आनन्द लिया, तब जाकर दाग बढ़कर नासूर बना और सरयू की जान जाते जाते बची. सोनू के साथ चुदाई मेँ दाग पहली ही बार से उभर आया।

लिखने वाले ने शायद तय कर लिया है कि सोनू को अपनी प्यारी सुगना दीदी का यौन सुख ज़्यादा नहीं मिलने वाला। सोनू का ब्याह तो अपनी प्रिय सखी और सोनू की प्रेयसी लाली से करवा देगी सुगना परंतु खुद उस का क्या होगा? सुगना की प्यास बुझाने अब कौन आयेगा? इतनी अलौकिक सुंदरी का जवान बदन क्या कभी पूरी तरह भोग पाएगा कोई?

और जब सुगना के पहले प्रेमी का राज़ खुलासा होगा वह भी एक चुनौतीपूर्ण पल अभी आना बाकी है
आप सरयू सिंह के दाग की कहानी भी ध्यान से पड़ेंगे तो आपको अंदाजा होगा कि यह दाग शुरुआत से ही है हां इस भाग के बढ़ने और घटने का क्रम है जो आपको इस कहानी में विधिवत दिखाई पड़ेगा और रही बात सरयू सिंह की जान जाने की वह शायद दाग की वजह से न था अपितु शिलाजीत का आवश्यकता से अधिक सेवन और सुगना के दूसरे छेद को भोगते समय वासना की अति की वजह से हुआ था और सरयू सिंह रेडिएंट होटल के कमरे में नंग धड़ंग मूर्छित होकर गिर पड़े थे...
दाग उस समय भी चरम पर था क्योंकि वासना चरम पर थी...
 

vyabhichari

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सरयू सिंह और सुगना का मिलन एक बार फिरसे होना चाहिए। ये जानकर सरयू सिंह को और उत्तेजना होनी चाहिए थी, की जिस बहु के साथ उनके अंतरंग संबंध बने थे, वो उनकी सगी बेटी है। मुझे नहीं पता आगे चलकर सुगना और सूरज के बीच शारीरिक संबंध बनेंगे या नहीं, पर लेखक ने हल्की झलक दे दी है। तो जब माँ बेटे के हो सकते हैं, तो बाप बेटी के बीच क्यों नहीं? सरयू सिंह और सुगना की बेचैनी, तब चरम पर थी, जब बनारस महोत्सव, में सरयू सिंह से बाथरूम के पास मिली थी और बाद में सुगना ने सरयू को होटल में मिलने को कहा। हालांकि बाद में सरयू दूसरे होटल में सुगना को चोदते हुए बेहोश हो गए। इन दोनों का एक और बेहद कामोत्तेजक दृश्य लिखा जा सकता है। सुगना सरयू सिंह को मनाये और दोनों किसी होटल में फिर मिलें। मैं लेखक से अनुरोध करता हूँ, की ये विनती स्वीकार करें।
 

yenjvoy

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आप सरयू सिंह के दाग की कहानी भी ध्यान से पड़ेंगे तो आपको अंदाजा होगा कि यह दाग शुरुआत से ही है हां इस भाग के बढ़ने और घटने का क्रम है जो आपको इस कहानी में विधिवत दिखाई पड़ेगा और रही बात सरयू सिंह की जान जाने की वह शायद दाग की वजह से न था अपितु शिलाजीत का आवश्यकता से अधिक सेवन और सुगना के दूसरे छेद को भोगते समय वासना की अति की वजह से हुआ था और सरयू सिंह रेडिएंट होटल के कमरे में नंग धड़ंग मूर्छित होकर गिर पड़े थे...
दाग उस समय भी चरम पर था क्योंकि वासना चरम पर थी...
सही विवरण। सम्भवतः मेरे दिमाग मेँ सरयू सिंह का स्वास्थ्य उस दाग से जुड़ गया था। देसी वियाग्रा को तो भूल ही गया
 
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