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Incest अंधेरे में प्रेम प्राप्ति

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Babulaskar

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यह एक छोटी कहानी है। एक अध्याय के समान। मेरी चालू कहानी "पुर्व पवन" पे अभी कुछ दिनों से अपडेट बंद पड़ा है। इस लिए सोचा पाठकों को मनोरंजन करने के लिए कुछ पोस्ट किया जाये।


यह स्टोरी बहुत पहले लिखी गई थी। जिसे मैं अब पोस्ट करने जा रहा हुँ। वैसे भी फोरम में अच्छी स्टोरी का सूखा चल रहा है। एसे में इस कहानी के माध्यम से थोड़ा बहुत सूखा खत्म हो सकेगा।


आज प्रथम अध्याय पोस्ट हो रहा है।


विषेश विज्ञप्ति::


यह कहानी एक काल्पनिक रचना है। वास्तव में किसी भी जीव या प्राणी से इसका सम्पर्क नहीं है। पाठकों को मनोरंजन करना मूल उददेश्य है। किसी भी धर्म जाती या समुदाय के भावनायों को ठेस पहुँचाना या नीचा दिखाना इसका उददेश्य नहीं है।
 

Babulaskar

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कुछ पाठकों को लगेगा, मैं ने फिर से एक स्टोरी शुरु कर दी है!

लेकिन एसा नहीं है। यह स्टोरी बस दो अध्याय की है। शुरु होते ही खत्म हो जायेगी। इस लिए ज्यादा भावुक ना होए! आधा हिस्सा आज पोस्ट हो रहा है। बाकी आधा बाद में। समाप्त।
 

Babulaskar

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रात काफी हो चुकी थी। अंजू पुरा दिन रसोई घर में काम संभालते थक चुकी थी। जब वह अपनी ननद कुसुम के कमरे में आई तो देखा उसकी तीन साल की बेटी मधू आराम से अपने बुआ के बिस्तर पे सो रही है।


अंजू अपने पति कुमार के साथ एक छोटे से शहर में रहती हैं। अंजू के दो बच्चे हैं। बड़ा वाला मुरली अब उन्नीस साल का नौजवान हो चुका है। लेकिन चार साल पहले अचानक से अंजू के पेट में बच्चा आ गया था। अंजू को तीन चार बच्चों का शौक था, लेकिन जब वह काफी कोशिश के बाद भी माँ नहीं बन सकी तो हार मान ली। लेकिन अब की जब वह पेट से हुई तो वह किसी भी हाल में इस बच्चे को गिराना नहीं चाह रही थी। कुमार ने कहा भी मुरली अब बड़ा हो गया है, क्या सोचेगा वह?

लेकिन अंजू के जिद के आगे कुमार भी बच्चे के लिये राजी हो गया। और जब लड्की हूई तो कुमार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।


अंजू अपनी एकलौती ननद कुसुम के घर आई हुई थी। उसकी ननद गावँ में रहती है। ननद की मझली लड्की नीलम का बियाह है। कुमुम चार बच्चों की माँ है। बड़ी लड्की लभली जिसकी शादी पांच साल पहले हो चुकी है। अब यह दुसरी लड्की है,,जिसकी शादी में अंजू आई है। नीलम थोडी साव्ंली और मोटी है, इस लिए उसका बियाह होने में देरी हुई। उसके बाद कुसुम के दो लडके हैं जिनका नाम केदार और किकू है।


केदार मुरली की उम्र का है । जब की किकू अभी सिर्फ पंद्रह साल का। कुसुम की दो ननद भी हैं। जिन मे से आज छोटी वाली आई हुई है। कल शायद बड़ी ननद आ जाये।

कुसुम घर की बड़ी बहु थी। उसकी एक देवरानी है नाम है निर्मला। निर्मला तीन बच्चों की माँ है। बड़ा लड़का नितिन मुरली की उम्र का होगा।


कुसुम ने इतनी जिद की,

'भाभी तुम शादी से एक दो दिन पहले ही आ जाना। इतना सारा काम मेरे अकेले से नहीं सम्भलेगा।'

तो अंजू को शादी से पहले अपने बेटे मुरली के साथ आना पडा। उसका बाप कुमार आज आया है।

अंजू जब कमरे में आई तो देखा उसकी ननद कुसुम शीशे के सामने बेठी बालों में कंघी चला रही है । कुसुम को देखती हूई अंजू अपनी साड़ी खोलती है।


"क्या बात है दीदी, इतनी रात को बाल संवार रही हो। अपने किसी आशिक के पास जाना है क्या?"

कुसुम ने शीशे से अंजू को देखती हुई मांद मांद मुस्कराती हुई बोली,"एसा ही समझ लो भाभी।"


अंजू साड़ी खोल के एक तरफ तह करके रखते हुई बोली, "मैं भला क्या समझूँ दीदी, तुम बताओगी तब ना मुझे पता चलेगा?" अंजू अब सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट में थी। उसे रात को उसी तरह सोने की आदत है।


"ज्यादा बनो मत भाभी! तुम्हें पता तो है गावँ की शादी में क्या होता है। सब को खुश रखना पड्ता है।" कुसुम बाल बांध के अपने होंटों पे लिपस्टिक लगाने में जुट गई। "मैं तो तुम्हारी चिंता कर रही थी।"


"मेरी चिंता?" अंजू अंजान सी बनती है।


"अरे भाभी किसी ने तुम्हें आज रात के लिये पूछा की नहीं? यह बताओ।" कुसुम उसकी और घूम गई।


"दीदी, मैं बहुत थक गई हुँ। और आप के घर में सब के उपर चुदाई का भूत सवार हो रखा है। तुम्हारा लड़का वह केदार और वह निर्मला का लड़का नितिन बार बार रसोई में आ के मुझे फंसाने की कोशिश कर रहा था। पूछ रहा था मामी आप कहाँ सोओगी? अगर जरुरत हो तो हमें बुला लेना।" अंजू अन्गड़ाई लेती हुई बोली।


"तो मान जाती ना तुम। अब तुम्हारे चक्कर में उस नितिन को मुझे संभालना पडेगा।" कुसुम फिर से शीशे पे देखने लगी।


"क्या? तुम नितिन को लोगी? निर्मला को अगर पता चलेगा तो क्या सोचेगी?"


"अरे भाभी वह खुद केदार के साथ फंसी हुई है। पिछ्ले चार पांच महीने से दोनों का प्रेम चल रहा है। तुम्हें क्या लगता है केदार निर्मला को एसे अवसर पे छोड़ देगा? देख के आओ, दोनों शायद अब तक कमरे में पहूँच भी चुके होंगे।"


"मुझे तो मुरली की चिंता हो रही है, कहीं उसकी संगत खराब न हो जाये।" अंजू आहें भर्ती हुई बोली।


"क्या भाभी, तुम भी ना कितनी भोली हो। तुम अपने लडके को जानते ही नहीं। तुम्हारा वह सीधा बच्चा मुरली खुद पुरा दिन मेरे पीछे घूमता रहा। दो पहर को जब मैं नहा के कमरे में घुसी वह तो पता नहीं कहाँ छुपा हुआ था एकदम से कमरे में आ घुसा। और आते ही मुझे दबोच लिया। मैं कहती गई छोड़ मुझे मुरली, कपड़े गीले हैं, लेकिन ना तो उसने मुझे छोड़ा और ना ही मेरी बात मानी, उल्टा उसने मेरी साड़ी खोल के पुरा नंगा कर दिया, और मेरे दुध दबाकर चूसकर सारे बदन में गर्मी पेदा करके चूत में उंगली डालकर मुझे निधल करके, जब छोड़ा उसने मुझे। वह तो वक्त नहीं था, नहीं तो पक्का मुझे चोद के ही मानता तुम्हारा मुरली। इतना भी सीधा नहीं है तुम्हारा बेचारा मुरली। अगर चूत खोल के तुम खुद उसे लण्ड घुसाने को बोलो तो वह तुम्हारी चूत मार के पेट में बच्चा भी डाल दे। एसा है मुरली।"


कुसुम शीशे के सामने से उठके अपनी साड़ी देख रही थी। अपनी ननद की बातों से अंजू ज्यादा परेशान नहीं हुई। उसे मालुम है अपने बेटे के बारे में।


"अच्छा होता भाभी अगर तुम किसी को आज रात के लिए बुला लेती। लभली का पति तुम पे काफी डोरे डाल रहा था। उसे ही बुला लेती तुम। सुना है अच्छा चोद्ता है। वैसे भईया तो अभी आने से रहे। लभली के पीछे लगे हुए थे। शायद आज रात पुरी कसर उतार ले।"


"मैं भी देख रही थी दीदी। बहुत चिपक चिपकके बातें कर रहे थे दोनों। चलो अच्छा है, शादी के माहोल में बेटी की चूत मारने को मिल जायेगी। यहां आने से पहले कह रहे थे लभली या नीलम पे चांस मारेंगे। ठीक है दीदी, तुम चली जाओ। मैं तो बहुत थक गई हूँ। और वह मेरे बेटे का हाल क्या है? वह किसी के साथ है भी या नहीं?"


"क्या पता, शाम को देखा था नीलम के कमरे में उसका दुध चूस रहा है। यह दोनों लड़कियाँ भी ना एकदम चुद्क्कड निकली है। अच्छा हुया जल्दी से इस नीलम की बच्ची की शादी हो रही है। नहीं तो पता नहीं कब किस का बच्चा पेट में ले लेती। परसों इसकी शादी है और इसे अब भी चूत की खुजली मिटानी है। क्या पता तुम्हारा बेटा मुरली नीलम को चोद भी न लें।"


"तो क्या हुया दीदी, परसों जाके अपने पति से तो चुदवाना ही है। ससुराल जाने से पहले अगर भाई से चुदवा भी ले तो क्या दिक्कत है?"


"हाँ हाँ मुझे पता है। मुझे मत सिखाओ भाभी। अच्छा मैं चलती हुँ। कल सुबह मिलती हुँ।"


बोलके कुसुम हंसती इठलाती हूई कमरे का दरवाजा लगा कर बाहर चली जाती है।
 

Babulaskar

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'आह कितना अच्छा होता अगर किसी को आज रात के लिये बुला लिया होता। वैसे भी कुमार अब पहले की तरह उसे चोदने में उत्सुकता नहीं दिखाता। अब तो महीने में एक दो बार चुदाई को मिल जाये वही बहुत है। अच्छा होता अगर केदार या नितिन में से किसी को आज रात बुला लिया होता। यह जवान लडके धडाधड चूत पे लण्ड पेलते हैं। बुड्ढों की तरह सकपकाते नहीं।'


अंजू काफी देर तक आज के बारे में सोच रही थी। फिर शरीर गरम होने से जब उससे रहा नहीं गया तो उसने पेतिकोट का नाड़ा खोल्के काफी देर तक चूत में उंगलिया चलाई। लेकिन जो मजा लण्ड अन्दर बाहर घुसाने में है वह भला उंगलियों से केसे आ सकता था। आखिर वह थक हार के नीन्द की आगोश में चली गई।


अंजू कितनी देर सोई पता नहीं। कमरा पुरा अंधेरा था। अचानक दरवाजा खोलने की आवाज से अंजू की नीन्द टूट गई। शायद कोई कमरे में आया है। धीरे धीरे आगंतुक अंजू के खाट के पास आया। हाथ टटोलते हुए उसने अंजू के नंगे शरीर को स्पर्श किया। लगता है आगंतुक को अच्छा लग रहा है। अंजू वैसे भी नंगी ही पड़ी थी। उसका पेतिकोट खुला हुया था। आगंतुक अपने हाथ को अंजू के पूरे शरीर पे चलाये जा रहा है। और जब उसका हाथ अंजू के नाभि के नीचे बने स्पर्श चूत को टच किया तो आगंतुक के साथ साथ अंजू भी चहक उठी।


आगंतुक अब खाट पे चड चुका है। धीरे धीरे वह अंजू के उपर लेट गया। और ब्लाउज उपर कर के उसके बड़े बड़े कद्दू साईज दोनों दुध को मसलते हुए चूसने लगा।अभी तक अंजू की छाती में दुध आता है।


आगंतुक के मम्मे चूसने से उसके मुहं में जब दुध गया अंजू को समझने में देर न हुई, अजनबी को दुध पीने में बड़ा मजा आ रहा है। और अजनबी पागलों की तरह दोनों दुध को बारि बारि चूसने में लग गया।


अंजू के शरीर में अब काम बड़ने लगा। उसकी चूत भी जिस चुदाई के लिये तडप रही थी अचानक से उसे मिलने की खुशी में चूत भी रस छोड्ती हुई पनपनाने लगी थी। दोनों खामोशी से अपना अपना मजा लेने में ब्यस्त थे।

आगंतुक अब अपना कपडा उतार के अपना मुसल लण्ड चूत के दरारों में ठोकर मारने लगता है।


'कौन हो सकता है? केदार और नितिन तो कुसुम और निर्मला के पास है। कहीं लभली का पति तो नहीं है? या कोई और? क्या पता?'


अंजू ज्यादा न सोचते हुए आगंतुक की मदद करने लगती है। वह अपनी टाँगे आगंतुक के लण्ड के आगे पसर देती है।


'साईज भी अच्छा है। आगंतुक अंजू के दुध दबाता और चुस्ता हुया लण्ड पे जोर लगा रहा था। और कुछ ही देर में मुसल लण्ड रस भरी चूत के फाँकों को चीरता हुया अन्दर घुस जाता है। काफी तगडा लण्ड है।'

अंजू अपने मन में बुदबुदाने लगती है।


और फिर आगंतुक ने अपनी कमर को थोड़ा उपर उठाकर लण्ड के सिरे को चूत के अन्दर रखते हुए एक जोरदार धक्का मारा, जिस से भीमकाय लण्ड चूत में जगह बनाता हुया पुरा का पुरा गायब हो गया। आगंतुक के इस जोरदार हमले से अंजू के मुहं से "आअह्ह्ह्ह्ह" की आवाज निकल गई। जिसे सुनकर आगंतुक थोड़ा घबरा गया और चूत में लण्ड डाले रुक सा गया।


"क्या हुया? रुक क्यों गए? मारो ना!" अंजू ने आगंतुक की कमर पकड़ के चोदने की और इशारा किया। अंधेरे में कोई किसी को देख नहीं पा रहा था।


अंजू के कहने से आगंतुक में थोडी हिम्मत आई और उसने अपनी कमर चलानी शुरु की। जूं जूं चुदाई चल रही थी, अंजू उत्तेजना के शिखर पे पहुँचे जा रही थी। काम वासना की मुर्ति अंजू को शान्त करना, उसकी चुदाई करके सुख देना किसी अयरे गयरे मर्द का काम नहीं था। लेकिन यह आगंतुक अपनी चुदाई से अंजू को चरम सुख के पार पहुँचा रहा था। काफी देर तक दोनों खामोशी से एक दूसरे का लुत्फ उठाते रहे।


"तुम कितना अच्छे करते हो। कितना मजा आ रहा है बता नहीं सकती। आह्ह्ह, अह्ह्ह उई माँ, मेरी तो हालत पतली होती जा रही है। आह्ह्ह अह्ह्ह्ह तुम्हारा लण्ड भी कितना मोटा तगडा है। अच्छा हुया तुम आ गये। नहीं तो आज मैं चुदाई की भुखी रहती। और तेज तेज चोदो मुझे।"


अंजू की इस कराहती हुई कामवासना से भरी बातें सुनके आगंतुक में एक नई जान सी आ गई, और वह पहले से भी ज्यादा और मजेदार चुदाई करने में अपनी जोर लगाने में मगन हो गया।


'यह मुंडा तो झड़ने का नाम ही नहीं ले रहा। अब तक अंजू ने एक बार अपना पानी भी गेर दिया। अब वह दुसरी बार पानी गिराने के मुड में थी। बगल में उसकी बच्ची सो रही थी। आगंतुक के जोरदार चुदाई हमले से खाट भी बेशर्मी के साथ हिल रहा था। खाट की खचखच और चुदाई की पचपच आवाज से कमरे में एक मधुर आवाज गुन्जने लगी।


आगंतुक के शरीर पे प्यार से हाथ फेरती हुई अंजू चुदाई का मजा लेती रही। आगंतुक का शरीर काफी कसा हुया था। कोई जवान लड़का है। यह बात अंजू समझ गई।


"इतनी अच्छी चुदाई करना कहाँ सीखा तुमने? तुमने तो मेरी हालत पतली कर दी है। आह्ह्ह मुझे कितना मजा आ रहा है बता नहीं सकती। आह्ह्ह कितना लम्बा और मोटा लण्ड है तुम्हारा। और तेज़ तेज़ धक्का मारो मुझे। चूत चोद के फाड़ दो। आह्ह माँ, कितना आनन्द मिल रहा है। मुझे चोद के तुम्हें अच्छा तो लग रहा है ना?" अंजू मस्ती में बोले जा रही थी।

लेकिन आगंतुक ने कोई जवाब नहीं दिया।


"हाँ हाँ इसी तरह पेलो मुझे। आह्ह्ह्ह, मर गई मैं आआआअजजज, इसी चुदाई की तो तलाश थी मुझे। रोज आके चोदना मुझे। मैं इसी कमरे में रहूँगी। मारो मारो और तेज़ तेज़ मारो मुझे। बताओ ना, मुझे चोद के अच्छा लग रहा है ना तुम्हें? अभी तीन साल पहले मेरी बच्ची पैदा हुई है। शायद मेरी चूत तुम्हें ढीली लगे, काश की तुम बच्चा होने से पहले मुझे चोद्ते, तुम्हें चोद्कर बडा ही मजा आता। तुम्हारा यह लौड़ा कितनी सख्ती के साथ मेरी चूत में घुसता जा रहा है। चोदो चोदो, आह आअह, फाड़ दो इसे। जब तक मैं यहां रहूँगी रोह तुमसे चुदवाया करूँगी।"

अंजू नीचे से गांड उठा उठा के चुदवा रही थी। लेकिन अंजान लड़का कुछ भी कहने के मूड में नहीं था। वह बस किसी दमदार चक्की की तरह कडक लौड़ा पेलता जा रहा है। उसके ठ्पकी मारने के अंदाज से लग रहा है उसे इस चुदाई में बहुत मजा आ रहा है।


"लगता है शर्मा गए तुम। कोई बात नहीं। बात नहीं करनी है मत करो। तुम्हारी चुदाई से पता चल रहा है तुम्हें कितना मजा आ रहा है।"


दोनों का यह खेल थोडी देर और चलता रहा। तब तक अंजू ने दो बार और पानी गिरा दिया। आगंतुक की चुदाई ताकत देख कर अंजू भी हयरान और आश्चर्य होती जा रही थी। लेकिन फिर अचानक आगंतुक ने जानवर सा बर्ताव करना शुरु कर दिया। चूत पे खचाखच ठ्पकी पेलता रहा। उसका लण्ड चूत की दरारों को चीरता हुया और मोटा हो गया।

अंजू समझ गई आगंतुक अब झरने वाला है। उसका बीर्य निकलने वाला है। यह भांप कर अंजू सहम गई। वह गुर्राने लगी।


"नहीं नहीं अन्दर मत गेरना। बाहर निकाल लो।"


आगंतुक के ऊपर उसके शब्दो का कोई असर नहीं हुआ। वह लण्ड को थोड़ा बाहर निकालता और झट से चूत की गहराईयों में धकेलता जा रहा था। अंजू की नस नस फूल चुकी थी। उसकी टाँगे खडे खडे दर्द होने लगी थी। और आखिरकार वही हुआ जिसका डर था। आगंतुक ने एक कटोरी समान बीर्य चूत में पिचकारी की तरह उंडेल दिया। जिस से अंजू एक बार फिर चूत का रस छोड़ कर पुरी तरह पसर गई।
 

Babulaskar

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काफी देर तक दोनों को कोई होश नहीं था। फिर जब अंजू कुछ सम्भल गई तो उसने प्यार से अपने ऊपर पडे अजनबी को बाहों में भर लिया। इतने दिनो बाद अंजू को उसकी असली चुदाई जो मिली थी।


अजनबी का लण्ड जूं का तूं अंजू की चूत में भरा हुया था। थोड़ा सिकुड जरुर गया था लेकिन छोटा नहीं। अंजू की चूत में अजनबी का छोड़ा हुआ बीर्य चूत से बहता हुआ उसकी गांड के दरारों को भिगाता हुआ नीचे चादर पे गिरने लगा।


"कितना कहा अन्दर रस मत छोड़ना! एक नहीं सुना तुमने?" अंजू इठलाती हूई बोली। जैसे एक बीबी अपने पति से नखरे कर रही हो।


"अब तो बता दो तूम कौन हो?" अंजू ने अजनबी का चहरा पकड़ के उसके होंटों पे एक किस किया। जिस का भरपुर उपयोग किया अजनबी ने। चहरे पे दाडी के हल्के हल्के बाल थे। अंजू के मन में प्यार का और वासना की लहर दौड रही थी। अजनबी अब उसका दुध चूस रहा था। जैसे कोई बच्चा हो।


"क्या हुआ? बताते क्यों नहीं? कौन हो तुम? मुझे जानना है, जिस ने मुझे इतना सुख दिया वह आखिर कौन है? कहीं तुम नितिन तो नहीं हो? या केदार?" अंजू ने जानना चाहा।


"मैं हुँ माँ, मुरली" अजनबी ने कहा।


"मुरली तू?" अंजू पुरी तरह सहम गई।


"लेकिन तू इस कमरे में केसे आया?" मुरली का वह लण्ड अभी भी अंजू की चूत में फंसा हुआ था।


"और क्या करता? सारे कमरों में कोई न कोई अपनी जोडी लेकर मजा कर रहा है। मुझे क्या पता तुम यहां रहोगी, मुझे लगा यहां कुसुम बुया पड़ी है। इसी लिये मैं आया।"

"और आके मेरे ऊपर चड गया? बदमाश! तेरे पापा को पता चलेगा तो क्या सोचेगा?"

"पापा तो खुद लभली दीदी के साथ ऊपर वाले कमरे में मजे लेने में ब्यस्त हैं। और उन्हें क्यों पता चलेगा? क्या तुम उन्हें बताने जाओगी?"


"मैं क्यों बताने जाऊँ? पागल कहीं का! भला यह बात भी बताने वाली है क्या?"


"अच्छा अब मैं चलता हूँ। तुम सो जाओ।" मुरली उठने लगता है। लेकिन अंजू उसे रोक के फिर अपने से लगा लेती है।


"कहाँ जा रहा है? यहीं पड़ा रह! कहीं जाने की जरुरत नहीं है?" दोनों माँ बेटा नंगे एक दूसरे के ऊपर पडे नंगापन का आनन्द ले रहे थे।


"और यह तेरा मुसल इतना बड़ा केसे हो गया रे?"


"क्या माँ, इतना बड़ा कहाँ? आगे जाके और बड़ा और मोटा हो जाएगा। अभी तो मैं छोटा हुँ ना?"


"छोटा? और तू? बदमाश? मेरे पति का भी इतना बड़ा और मोटा लण्ड नहीं है।"


"क्या मेरा लण्ड सच में बहुत बड़ा है?"


"और नहीं तो क्या? अच्छा हुआ तू ने मुझे चोदा अगर किसी और की चूत में डालता ना, बेचारी का पता नहीं क्या हो जाता? उई माँ, यह तो फिर से बड़ा होता जा रहा है?"


"क्या करुँ अब?" मुरली ने मासूमियत से पूछा।


"मार ले। क्या करुँ अब? जेसे पता नहीं तुझे क्या करना पड्ता है?" मुरली की कमर ने अब हरकत करनी शुरु कर दी।


"जो भी बोलो, तुम्हारी चूत अभी भी कितनी कसी हुई है। एसा लग रहा है जैसे कोई क्ंवारी चूत चोद रहा हुँ। मुझे तो तुम्हें चोद के मजा आ गया। अब तो हमेशा तुम्हें ही चोदा करूँगा।"


"अच्छा! हमेशा चोदेगा मुझे? क्यों जवान लडकियाँ अच्छी नहीं लगती? जो मुझ जैसे आधी उम्र की औरतों के ऊपर तेरा दिल आ गया।" अंजू चुदाई का आनन्द लेती हुई बोली।


"उन लडकियों में क्या रखा है? दो चार तेजी से लण्ड पेलते ही उई माँ उई माँ करने लग जाती है। ऊपर से न बड़े बड़े चूचे होते हैं और ना ही बड़ी बड़ी गांड, उन के ऊपर तो चड के भी मजा नहीं आता।" मुरली लण्ड मारने की गती बढाने लगता है।


"बहुत बड़ा हो गया है तू। अब तो लगता है तेरी शादी करवानी पड़ेगी।"


"नहीं नहीं। मुझे अभी शादी नहीं करनी। तुम मिल गई ना मुझे। अब तो बस तुम्हें ही चोदा करूँगा। तुम्हें मजा तो आ रहा है ना!"


"बहुत मजा आ रहा है मुरली। आआह्ह्ह कितना अच्छा चोद्ता है तू। एसे चुदाई की तलाश हर औरत को होती है। अब तो तुझ से चुदवाया करूँगी। घर जाके तू चोदना मुझे। आअह्ह्ह और मार रे, चूत के अन्दर तक पहुंच रहा है तेरा मुसल। आआह्ह्ह्ह म्म्म्मा, माँ कितना मजा आ रहा है। जवान लण्ड की बात ही कुछ और है। इसी लिये तेरी बुआ और नितिन की माँ भी केदार और नितिन से चुदवाया करती है।"


"हाँ सही कहा तुम ने। दोनों ने कुसुम बुआ और निर्मला बुआ को एक तरह से अपनी बीबी बना के रखा है। केदार तो कह रहा था वह निर्मला बुआ के पेट में बच्चा भी पेदा करेगा। और निर्मला बुआ ने मान भी लिया।"


"क्या सच में? निर्मला केदार के बच्चे की माँ बनेगी?"


"हाँ, वही तो। मैं भी सोच रहा हूँ, तुम भी मेरे बच्चे की माँ बन जाओ ना? बहुत मजा आयेगा?"


"चल बदमाश! मुझे नहीं बनना माँ। इस उम्र में एक को वैसे भी पाल रही हुँ। अब फिर से पेट में बच्चा लेती हुई अच्छी लगूँगी क्या?। तू ज्यादा बोल मत बस मेरी चूत पे धक्का पेलता रह। मुझे चरम सुख मिलने जा रहा है।"


"मुझे भी बड़ा मजा आ रहा है।"
 
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