रात काफी हो चुकी थी। अंजू पुरा दिन रसोई घर में काम संभालते थक चुकी थी। जब वह अपनी ननद कुसुम के कमरे में आई तो देखा उसकी तीन साल की बेटी मधू आराम से अपने बुआ के बिस्तर पे सो रही है।
अंजू अपने पति कुमार के साथ एक छोटे से शहर में रहती हैं। अंजू के दो बच्चे हैं। बड़ा वाला मुरली अब उन्नीस साल का नौजवान हो चुका है। लेकिन चार साल पहले अचानक से अंजू के पेट में बच्चा आ गया था। अंजू को तीन चार बच्चों का शौक था, लेकिन जब वह काफी कोशिश के बाद भी माँ नहीं बन सकी तो हार मान ली। लेकिन अब की जब वह पेट से हुई तो वह किसी भी हाल में इस बच्चे को गिराना नहीं चाह रही थी। कुमार ने कहा भी मुरली अब बड़ा हो गया है, क्या सोचेगा वह?
लेकिन अंजू के जिद के आगे कुमार भी बच्चे के लिये राजी हो गया। और जब लड्की हूई तो कुमार की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
अंजू अपनी एकलौती ननद कुसुम के घर आई हुई थी। उसकी ननद गावँ में रहती है। ननद की मझली लड्की नीलम का बियाह है। कुमुम चार बच्चों की माँ है। बड़ी लड्की लभली जिसकी शादी पांच साल पहले हो चुकी है। अब यह दुसरी लड्की है,,जिसकी शादी में अंजू आई है। नीलम थोडी साव्ंली और मोटी है, इस लिए उसका बियाह होने में देरी हुई। उसके बाद कुसुम के दो लडके हैं जिनका नाम केदार और किकू है।
केदार मुरली की उम्र का है । जब की किकू अभी सिर्फ पंद्रह साल का। कुसुम की दो ननद भी हैं। जिन मे से आज छोटी वाली आई हुई है। कल शायद बड़ी ननद आ जाये।
कुसुम घर की बड़ी बहु थी। उसकी एक देवरानी है नाम है निर्मला। निर्मला तीन बच्चों की माँ है। बड़ा लड़का नितिन मुरली की उम्र का होगा।
कुसुम ने इतनी जिद की,
'भाभी तुम शादी से एक दो दिन पहले ही आ जाना। इतना सारा काम मेरे अकेले से नहीं सम्भलेगा।'
तो अंजू को शादी से पहले अपने बेटे मुरली के साथ आना पडा। उसका बाप कुमार आज आया है।
अंजू जब कमरे में आई तो देखा उसकी ननद कुसुम शीशे के सामने बेठी बालों में कंघी चला रही है । कुसुम को देखती हूई अंजू अपनी साड़ी खोलती है।
"क्या बात है दीदी, इतनी रात को बाल संवार रही हो। अपने किसी आशिक के पास जाना है क्या?"
कुसुम ने शीशे से अंजू को देखती हुई मांद मांद मुस्कराती हुई बोली,"एसा ही समझ लो भाभी।"
अंजू साड़ी खोल के एक तरफ तह करके रखते हुई बोली, "मैं भला क्या समझूँ दीदी, तुम बताओगी तब ना मुझे पता चलेगा?" अंजू अब सिर्फ ब्लाउज पेतिकोट में थी। उसे रात को उसी तरह सोने की आदत है।
"ज्यादा बनो मत भाभी! तुम्हें पता तो है गावँ की शादी में क्या होता है। सब को खुश रखना पड्ता है।" कुसुम बाल बांध के अपने होंटों पे लिपस्टिक लगाने में जुट गई। "मैं तो तुम्हारी चिंता कर रही थी।"
"मेरी चिंता?" अंजू अंजान सी बनती है।
"अरे भाभी किसी ने तुम्हें आज रात के लिये पूछा की नहीं? यह बताओ।" कुसुम उसकी और घूम गई।
"दीदी, मैं बहुत थक गई हुँ। और आप के घर में सब के उपर चुदाई का भूत सवार हो रखा है। तुम्हारा लड़का वह केदार और वह निर्मला का लड़का नितिन बार बार रसोई में आ के मुझे फंसाने की कोशिश कर रहा था। पूछ रहा था मामी आप कहाँ सोओगी? अगर जरुरत हो तो हमें बुला लेना।" अंजू अन्गड़ाई लेती हुई बोली।
"तो मान जाती ना तुम। अब तुम्हारे चक्कर में उस नितिन को मुझे संभालना पडेगा।" कुसुम फिर से शीशे पे देखने लगी।
"क्या? तुम नितिन को लोगी? निर्मला को अगर पता चलेगा तो क्या सोचेगी?"
"अरे भाभी वह खुद केदार के साथ फंसी हुई है। पिछ्ले चार पांच महीने से दोनों का प्रेम चल रहा है। तुम्हें क्या लगता है केदार निर्मला को एसे अवसर पे छोड़ देगा? देख के आओ, दोनों शायद अब तक कमरे में पहूँच भी चुके होंगे।"
"मुझे तो मुरली की चिंता हो रही है, कहीं उसकी संगत खराब न हो जाये।" अंजू आहें भर्ती हुई बोली।
"क्या भाभी, तुम भी ना कितनी भोली हो। तुम अपने लडके को जानते ही नहीं। तुम्हारा वह सीधा बच्चा मुरली खुद पुरा दिन मेरे पीछे घूमता रहा। दो पहर को जब मैं नहा के कमरे में घुसी वह तो पता नहीं कहाँ छुपा हुआ था एकदम से कमरे में आ घुसा। और आते ही मुझे दबोच लिया। मैं कहती गई छोड़ मुझे मुरली, कपड़े गीले हैं, लेकिन ना तो उसने मुझे छोड़ा और ना ही मेरी बात मानी, उल्टा उसने मेरी साड़ी खोल के पुरा नंगा कर दिया, और मेरे दुध दबाकर चूसकर सारे बदन में गर्मी पेदा करके चूत में उंगली डालकर मुझे निधल करके, जब छोड़ा उसने मुझे। वह तो वक्त नहीं था, नहीं तो पक्का मुझे चोद के ही मानता तुम्हारा मुरली। इतना भी सीधा नहीं है तुम्हारा बेचारा मुरली। अगर चूत खोल के तुम खुद उसे लण्ड घुसाने को बोलो तो वह तुम्हारी चूत मार के पेट में बच्चा भी डाल दे। एसा है मुरली।"
कुसुम शीशे के सामने से उठके अपनी साड़ी देख रही थी। अपनी ननद की बातों से अंजू ज्यादा परेशान नहीं हुई। उसे मालुम है अपने बेटे के बारे में।
"अच्छा होता भाभी अगर तुम किसी को आज रात के लिए बुला लेती। लभली का पति तुम पे काफी डोरे डाल रहा था। उसे ही बुला लेती तुम। सुना है अच्छा चोद्ता है। वैसे भईया तो अभी आने से रहे। लभली के पीछे लगे हुए थे। शायद आज रात पुरी कसर उतार ले।"
"मैं भी देख रही थी दीदी। बहुत चिपक चिपकके बातें कर रहे थे दोनों। चलो अच्छा है, शादी के माहोल में बेटी की चूत मारने को मिल जायेगी। यहां आने से पहले कह रहे थे लभली या नीलम पे चांस मारेंगे। ठीक है दीदी, तुम चली जाओ। मैं तो बहुत थक गई हूँ। और वह मेरे बेटे का हाल क्या है? वह किसी के साथ है भी या नहीं?"
"क्या पता, शाम को देखा था नीलम के कमरे में उसका दुध चूस रहा है। यह दोनों लड़कियाँ भी ना एकदम चुद्क्कड निकली है। अच्छा हुया जल्दी से इस नीलम की बच्ची की शादी हो रही है। नहीं तो पता नहीं कब किस का बच्चा पेट में ले लेती। परसों इसकी शादी है और इसे अब भी चूत की खुजली मिटानी है। क्या पता तुम्हारा बेटा मुरली नीलम को चोद भी न लें।"
"तो क्या हुया दीदी, परसों जाके अपने पति से तो चुदवाना ही है। ससुराल जाने से पहले अगर भाई से चुदवा भी ले तो क्या दिक्कत है?"
"हाँ हाँ मुझे पता है। मुझे मत सिखाओ भाभी। अच्छा मैं चलती हुँ। कल सुबह मिलती हुँ।"
बोलके कुसुम हंसती इठलाती हूई कमरे का दरवाजा लगा कर बाहर चली जाती है।