Chutiyadr
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Ye machine sirf maut ke hi baare mein batati thi...अंतिम भविष्यवाणि
“हेलो! कपूर साहब!”
“ हां मैं कपूर बोल रहा हु साहब बोलिये…”
“ जी मैं आपका हितेषी बोल रहा हु”
“ कमल हो गया भाई….. इस कलयुग मैं भी हितेषी बचे है मैं तो भूल ही गया था बोलो बादशाहो कहो की क्या हुक्म है”
“ जी हुक्म तो कुछ नहीं बस..... कपूर साहब आप से कुछ सीरियस बात करनी है”
“पर तुस्सी ता हितेषी हो तो सीरियस गल्ला क्यों करना चंदे ओ? (लेकिन आप तो हितेषी हो फिर सीरियस बात क्यों)”
“ कपूर साहब बहुत गंभीर बात है आपका देहांत २८ मई को ५ बज कर १० मं पर एक दुर्घटना से हो जायेगा. कोई वसीहत वगैरे करवानी हो तो करवा ले फिर न.......”
“ओ हितेषी के बच्चे तू है कोण हरामजादे मर्द है तो सामने आ! चुपके वार करता है” कपूर चीख पड़ा.
कपूर की पत्नी जो पास ही सोफे पर बैठी थी घबरा कर पूछने लगी “क्या बात है कोण था?”
कपूर गुस्से मैं थे कहने लगे ”कोई बद्तमीज़ है साला! कहता है कपूर यानि मैं २० मई को पांच बज कर दस मिनट मैं दुर्घटना मैं मर जाऊंगा… अरे! माना मुझे दिल की बीमारी का वहम हो गया था मगर अब तो सरे टेस्ट करवा लिए है कोई बीमारी नहीं है”
बात आयी गयी हो गयी. फिर कोई फ़ोन नहीं आया मगर अट्ठाइस(२८) तारीख को कपूर की बीवी ने याद से कपूर साहब को घर के बहार न जाने के लिए राजी कर लिया, पहले तो कपूर साहब अकड़े फिर बीवी की बात मान गए. बीवी शंकित थी कही कुछ अनहोनी न हो जाये?? गुरुवार का व्रत, माता का जगराता और पीर की चादर सब मन्नते मान चुकी थी, उसने अपने छोटे भाई रमेश को भी बुला लिया था. वो रसोई मैं कपूर साहब के मनपसंद पकवान बना रही थी. कपूर साहब और उनका साला रमेश अपनी अपनी बियर खोले बैठे थे. हालाँकि मिसेस कपूर ने बियर पिने से मन किया था पर कपूर साहब नहीं माने थे. मिसेस कपूर बीच बीच मैं खाने की चीज़े नमकीन रखने के बहाने कपूर साहेब को देख आती थी. साढ़े तीन बजे सबलोग खाना खाने बैठे. कपूर और रमेश तो चहक रहे थे मगर मिसेस कपूर परेशान थी बार बार दिवार की घडी देख लेती. उन्हें घडी की सुइया सरकती नजर नहीं आ रही थी.
खाना खाने के बाद सभी लॉबी मैं आ गए. रमेश ने टीवी चालू किया के अचानक लाइट गुल हो गयी. अँधेरा होने पर कपूर ने पूछा के “इन्वर्टर को क्या हुआ?”
कपूरफ साहब इन्वर्टर देखने उठे तो मिसेस. कपूर ने उन्हें ये कह कर रोक दिया के “आज आपको बिजली के पास नहीं जाना है.”
कपूर साहब झुंझलाये मगर मन मरकर बैठ गए. फिर गर्मी से घबराकर बालकनी मैं चले गए तो मिसेस कपूर भी उनके पीछे चली आयी.कपूर साहब को उनकी ये हरकत नागवार लगी मगर वो चुप थे .बालकनी की रेलिंग पर hath रख कर झुके ही थे की चीख मर कर गिर पड़े…. साथी मिसेस. कपूर ने देखा की एक साप रेलिंग पर दये से बाये सरपट सरक रहा था और इसके साथ ही मिसेस कपूर की भी चीख निकल गयी! हड़भड़ाहट मैं कपूर साहब जल्दी जल्दी सीढिया उतरने लगे और pair फिसल जाने से गिर पड़े….. सर सामने वाली दिवार पर जा लगा खून का फवारा फुट पड़ा. मिसेस कपूर ने अपने हाथ की घडी देखि तो पांच बज कर दस मिनट हुए थे. मिसेस कपूर के भाई रमेश नौकर को उनके पास खड़ा करने एंबुलेंस को फ़ोन करने ऊपर आये तो फ़ोन की घंटी बज रही थी. रमेश ने फ़ोन उठाया और बोले”हेलो!”
उधर से आवाज़ आयी ”कपूर साहब सकुशल तो है?”
“नहीं वो सीढ़ियों से गिर पड़े है आप फ़ोन रखे तो मैं डॉक्टर और एम्बुलेंस को बुलाऊ.”
“अब कुछ नहीं हो सकता वो मर चुके है मैंने उन्हें पहले ही बता दिया था के वो आज पांच बज कर दस मिनट पर दुर्घटना मैं मर जायेंगे” ये कह कर उसने फ़ोन काट दिया.
रमेश हैरान परेशां खड़ा रहा फिर उसे याद आया की उसे डॉक्टर क बुलाना है. डॉक्टर को फ़ोन करके वो सीढ़ियों के पास आया मिसेस कपूर होश मैं आ गयी थी मगर कपूर साहब बिलकुल शांत पड़े थे…. कपूर साहब को देख कर मिसेस कपूर दहाड़ मर कर रोती हुयी उनसे लिपट कर सुबकने लगी.
डॉक्टर कपूर साहब का मुआयना करने लगे ५-६ मिनट मुआयना करने के बाद वो bole “I am sorry he is no more” यह बात सुनकर मिसेस. कपूर फिर दहाड़ मरकर रोने लगी जिससे लोग इखट्टे हो गए थे मिसेस. कपूर ने रो रो कर सबको हितेषी वाला किस्सा सुना दिया किसी ने बात पत्रकारों तक पंहुचा दी बस फिर क्या था आनन् फानन मैं खबर ने छापकर सारे शहर मैं तहलका मचा दिया पुलिस के पास अनेक फ़ोन आये के उन्हें भी हितेषी ने फ़ोन किया है. शहर मैं खलबली मच गयी की आखिर ये हितेषी है कौन जो फ़ोन पर लोगो की मौत की भविष्यवाणियां करता है और भविष्यवाणियां सच भी हो रही है कुल मिला कर शहर मैं लगभग ५० फ़ोन आ चुके थे कपूर साहब की मौत के बाद और २ लोगो की मौत का पता लगा…
शहर मैं अफरा तफरी का माहौल था खोजी पत्रकारों ने खोज-खोजकर लोगो को ढूंढ निकला जिन्हे फ़ोन आये थे अटकले लगायी जा रही थी के अब किसकी बरी है? तभी शहर मैं अफवा फैली के फेमस बिजनेसमैन श्री मोहित चड्ढा एक हार्ट स्पेशलिटी हॉस्पिटल मैं भर्ती हो गए है हालाँकि उन्हें कोई तकलीफ नहीं थी मगर हितेषी का फ़ोन आया था के उनकी मौत हार्टबीट रुकने से २४ जून सुबह १० बजे होगी. दहशत और सुविधा के तौर पर उन्होंने हॉस्पिटल के इंटेंसिव केयर मैं ५ दिन पहले ही कमरा ले लिया था. डॉक्टर्स की टीम ने सबसे सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट की मौजूदगी मैं उनका पूरा चेकउप करके उन्हें हार्ट की कोई बीमारी न होने का सर्टिफिकेट भी दे दिया फिर भी श्री मोहित ने हॉस्पिटल मैं रहना जरुरी समझते हुए २३ जून की रात चार चार घंटे के लिए एक एक डॉक्टर फीस देकर अपनी देखभाल के लिए रख लिया मगर सारे किये कराये पर तब पानी फिर गया जब २४ जून ठीक १० बजे डॉक्टर्स की टीम की मौजूदगी मैं उनके दिल ने धड़कना बंद कर दिया
उनको बचने की डॉक्टर्स की सारी कोशिशे नाकाम हो गयी. हर तरफ बेबसी का माहौल था किसी की कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था कोई कह रहा था के ये आकाशवाणी हो रही है!!
मगर आकाशवाणी टेलीफ़ोन से.......आखिर थक हार कर पुलिस ने अपने हाथ खड़े कर दिए. केस C.B.I को सौप दिया गया C.B.I ने जल्द ही अपने जासूस चारो और फैला दिए मगर केस का कोई और सिरे का पता नहीं लग रहा था. टेलीफ़ोन एक्सचेंज ने सभी नंबर्स पर सर्विलेंस लगा दी थी ग्राहकों को बता दिया गया था के ऐसा फ़ोन आते ही स्टार वाला बटन दबाये तो एक्सचेंज का कंप्यूटर फ़ोन करनेवाले का नंबर रिकॉर्ड कर लेगा. मगर कोई सुराग नहीं मिला एक तो फ़ोन आने कम हो गए थे दूसरा भविष्य बताने वाला चौकन्ना हो गया था वो पब्लिक बूथ का इस्तेमाल कर रहा था.
अब पब्लिक बूथ पर निगरानी राखी जाने लग मगर कोई असर नहीं हुआ नतीजा वह का वही. आखिर C.B.I. ने अपने सीनियर रिटायर्ड डिटेक्टिव चंद्रचूड़ चिंतामणि की मदद लेने का फैसला किया. चंद्रचूड़ जी ऐसे कई केसेस हैंडल कर चुके थे उन्होंने आते ही हालत का जायजा लिया जब कोई सुराग हाथ नहीं लगा तो उन्होंने उन दस लोगो को चुना जिनको सबसे बाद मैं फ़ोन आये थे. फिर वो हर किसी के घरे जाकर उनसे मिले जिनको फ़ोन आये थे.
लोग भड़के हुए थे वो कुछ कहने सुनने को तैयार नहीं थे चंद्रचूड़ जी ऐसे भड़के हुए लोगो से बात करना चाहते थे उनका तरीका जासूस जैसा न होकर एक साइकेट्रिस्ट जैसा था उन्होंने लोगो को समझाया के अगर आप लोग सहयोग दे तो हो सकता है वो लोग उसे पकड़ ले जो ये हरकते कर रहा है
धीरे धीरे उन्होंने अपने तय किये हुए फॉर्मूले पर काम करना सुरु किया……. उन्होंने उनलोगो को फ़ोन आने से दस दिन पहले मिले लोगो की लिस्ट बनाने को कहा उनलोगो ने वो लिस्ट बना दी सिवाय एक को छोड़ कर…. वो था लाला घसिटाराम उसकी मौत मैं २० दिन बचे थे इसीलिए व काफी घबराया हुआ था. चंद्रचूड़ जी ने इस लिस्ट को धयान से देखा. उन दस लोगो मैं से ७ मैं कुछ सिमिलॅरिटी थी. एक तो ज्यादातर रहिस थे और ४० से ५५ की उम्र के बीच के थे दूसरा उनमे ६ लोग शहर के पॉपुलर gym के मेंबर्स थे. असल मैं ये gym gym कम क्लब ज्यादा था. कुछ लोगो का कहना था के असल मैं ये gym की आड़ मैं अयाशी का अड्डा था. इसका नाम भी इसकी बदनामी और शोहरत मैं इजाफा करता था इसका नाम था 'Placting Heart Gym'(धड़कते दिलो का gym). इसके मालिक दो लोग थे मिस्टर परेरा और कर्नल सिंह……. दोनों ही unmarried थे और शहर मैं सनकी लोगो के गुरु कहे जाते थे. कर्नल सिंह जहा रंगीन आदमी थे वही परेरा एक शांत स्वाभाव के मालिक थे जहा कर्नल सिंह औरतो से घिरे रहते वही परेरा औरतो से दूर भागते मगर हर शाम वो अपने एक दोस्त डॉ. जोसेफ के घर चैस खेलने जाया करते थे और क्लब की मेम्बरशिप पाने वाले हर इंसान की फिजिकल टेस्ट भइये डॉ. जोसेफ ही करते थे
यह गयम अपने अनोखे प्रोग्राम्स और अजीब ओ गरीब नियमो की वजह से भी महशूर था. इसकी मेम्बरशिप के लिए न सिर्फ लम्भी फीस वसूली जाती बल्कि कई शर्ते भी लादी जाती मगर फिर भी इसकी मेम्बरशिप के लिए लम्बी वेटिंग लिस्ट हर समय बानी रहती थी. चंद्रचूड़ ने इस क्लब की काफी खोजबीन की मगर कोई सूत्र हाथ नहीं लगा शहर के कई बड़े अफसर इसके मेंबर थे और शहर के अनेक बदनाम भी. इसीलिए उनपर हाथ उठाना संभव नहीं था. चंद्रचूड़ ने अबतक मर चुके लगभग २० लोगो की भविष्यवाणिया सुनकर मरने वालो की तफ्तीश सुरु की यहाँ भी कुछ रोचक तथ्य सामने आये….
मरने वालो मैं से ५ के बारे मैं भविष्यवाणी गलत निकली थी कोई उस समय नहीं मारा था जो बताया गया था कोई पहले तो कोई बादमे मारा था तो कोई दूसरे तरीके से मारा था चंद्रचूड़ ने अपने साथी विनय मराठे को इसकी जांच सौप दी इस अफसर ने तीन मैं से २ मामले सुलझाकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया मगर उन्होंने कहा की पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए उन्हें फसा रही है.छानबीन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही थे चंद्रचूड़ सिगार पर सिगार फूक रहे थे तभी उनके एक और सूत्र हाथ लगा की न सिर्फ धमकी या भविष्यवाणी प्राप्त करने वाले लोग gym के सदस्य थे बल्कि मिस्टर कपूर जिनकी मौत से ये केस उजागर हुआ था वो भी डॉ. जोसेफ से चेकउप करवा चुके थे. इसीलिए अब चंद्रचूड़ ने अपना धयान इस डॉक्टर पर लगाया.
सूचनाओं के मुताबिक इस डॉक्टर का पूरा नाम डॉ. गिब्रैल जोसेफ था और वो लगभग 4० साल से इस शहर मैं प्रैक्टिस कर रहा था. वो काफी भला और काबिल डॉक्टर था. कई दिनों से डॉक्टर की निगरानी राखी जा रही थी पर ऐसी कोई बात नजर नहीं आयी जो डॉक्टर को दोषी ठहराए. डॉक्टर न सिर्फ भले व्यक्ति थे बल्कि कई गरीबो का इलाज फ्री करते थे. उनके डेली रूटीन मैं रोज सुयबह शाम सैर एक्सरसाइज और फिर सारा दिन क्लिनिक मैं काम इतना ही था. क्लिनिक उनकी कोठी मैं ही बना था. डॉक्टर की उम्र ७० साल की थी पर अपने अछि हेल्थ की वजहसे वो ५०-५५ के लगते थे. उनकी बीवी और तीनो बच्चे इंग्लैंड मैं रहते थे. उनका टेलीफ़ोन टेप किया जाने लगा. हर आने जाने वाले लोगो पर नजर राखी जाने लगी पर नतीजा वही का वही. इस बीच तीन और लोगो की मौत भविष्यवाणी के जरिये बताये गए समय पर हो चुकी थी. और मौत का तरीका भी वही था जो फ़ोन पर बताया गया था. वो तीनो भी डॉ. जोसेफ के पेशेंट थे और मौत के ४०-४५ दिन पहले डॉक्टर से मिले थे.अब चंद्रचूड़ ने और देर न करते हुए डॉक्टर से पूछ टाच का मन बना लिया. उन्होंने पुलिस के इंस्पेक्टर जनरल से बात की और एक दिन सदी वर्दी मैं पुलिस कर्मी डॉक्टर को चंद्रचूड़ के पास ले आये.
दो दिन लगातार पूछ टाच के बाद भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा….. डॉक्टर काफी सभ्य नेक और शालीन इंसान लगे चंद्रचूड़ को मगर उनकी सिक्स्थ सेन्स अभी तक शक की सुई डॉक्टर की और घुमा रही थी पर सिर्फ शक के बिनाह पर डॉक्टर को गिरफ्तार करना न सिर्फ मुश्किल था बल्कि इससे डॉक्टर की जान को खतरा भी हो सकता था. फिर भी चंद्रचूड़ ने डॉक्टर को शहर से बहार न जाने की चेतावनी दी और उनका पासपोर्ट भी रखवालिया.
खोजी पत्रकार शिकारी कुत्तो की तरह इस मामले मैं हर खबर को सूंघ रहे थे……
जाने कैसे एक अख़बार ने डॉ. जोसेफ से पूछताछ की खबर छाप दी ये खबर पुरे शहर मैं आग की तरह फ़ैल गयी .इससे पहले की डॉ.जोसेफ की सुरक्षा का कोई इंतजाम हो पता गुस्साए रिश्तेदारों ने और दंगाई भीड़ ने डॉक्टर की कोठी को घेर लिया…….
डॉक्टर ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया तथा पुलिस का सूचित किया मगर पुलिस के आने से पहले लोगो ने डॉक्टर की कोठी को आग लगा दी थी. डॉक्टर खिड़की खोलकर चिल्ला रहा था…. “मेरी चाबी गुम हो गयी है. प्लीज दरवाजा तोड़कर मुझे बहार निकालो मैं बेकसूर हु.”
गुस्साई भीड़ ने खिड़की पर पत्थर बरसाने सुरु कर दिए .चंद्रचूड़ वह पहुंच गया था मगर पुलिस अब भी नहीं पहुंची थी कोठी पर तैनात २ सिपाही भीड़ को कण्ट्रोल करने मैं असमर्थ थे उसने लोगो को समझने का प्रयास किया पर उसकी बात कोई नहीं सुन रहा था फिर उसने देखा के डॉक्टर ऊपर वाले कमरे मैं खड़ा अपने फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था…….
घर को आग ने बुरी तरह जकड लिया था डॉ. जोसेफ अपने ही घर मैं जल कर मर गए थे और जैसा इन मामलो मैं होता है पुलिस ने कुछ लोगो को दंगा फ़ैलाने के जुर्म मैं गिरफ्तार कर लिया और बात यही ख़तम हो गयी. चंद्रचूड़ उदास से अपने होटल के कमरे मैं बैठे थे वो खुद को डॉक्टर का हत्यारा समझ रहे थे और केस भी अभी कहा सुलझा था……
एक के बाद एक वो कई सिगार पि चुके थे. अचानक वो उठे और शहर के सुपरिटेंडेंट को कॉल किया और उन्हें बताया के केस के सिलसिले मैं उनका S.P. से इसी वक़्त मिलना जरुरी है और वो उनके ऑफिस पहुंच रहे है. S.P. के ऑफिस जाकर उन्होंने डॉक्टर के मोबाइल से आखरी फ़ोन कहा हुआ था की जानकारी प्राप्त की तो पता लगा की वो नंबर मिस्टर परेरा का था जो gym के मालिक थे ……
चंद्रचूड़ पुलिस को साथ लेकर परेरा के घर पहुंचे तो पाया की परेरा की कार सामान से लदी खडी है और परेरा घर को ताला लगा रहा है……
चंद्रचूड़ ने परेरा को धार दबोचा “ परेरा तुम्हारा खेल ख़तम हो गया है भागने की कोशिश मत करो”
तब परेरा ने उनका हाथ झटकते हुए कहा “तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया? मैं भाग नहीं रहा हु मैं तो १० दिन हिल स्टेशन पर रहकर लौटा हु और ताला खोल रहा था” ये कहकर उसने घर का ताला खोल दिया और सबको अंदर बुला लिया .
चंद्रचूड़ और S.P. अंदर चले गए और बाकि पोलिसवाले बहार खड़े रहे……. अंदर जाकर चंदरचुड़ ने एक सरसरी निगाह घर पर डाली तो पाया की घर वाकई बंद था वैसे भी परेरा की शादी नहीं हुयी थी तो पूरा सनकी माना जाता था इतना अमीर होने के बावजूद दो कमरों के फ्लैट मैं रहता था और कोई नौकर भी नहीं था सारा काम खुद ही करता था…… चंद्रचूड़ ने उसे डॉ. जोसेफ वाली घटना सुनाई जिसे सुनकर परेरा सचमुच काफी दुखी हो गया. अब चंद्रचूड़ और परेशां था उसने परेरा से कहा की अगर आप घर पर नहीं थे तो मरने से पहले डॉ. जोसेफ ने लगभग ४ मिनट तक आपके फ़ोन पर किस्से बाते की?
परेरा फ़ोन की तरफ लपका फ़ोन पर आंसरिंग मशीन लगी हुयी थी उसने मशीन को चालू कर दिया तो डॉ. जोसेफ की आवाज आयी ”हेलो! परेरा”
‘घर पर कोई नहीं है आप अपना सन्देश टेप कैवा सकते है’ ये मशीन की आवाज़ थी
“ओह! माय गॉड” डॉ. जोसेफ की चीख जैसी आवाज़ सुनाई पड़ी वो आगे कह रहे थे. “अब कुछ नहीं हो सकता” फिर कुछ देर रुक कर कहने लगे के “ चलो कमसे काम अपनी बात रिकॉर्ड कर सकता हु “ मैंने डरकर ghar ko अंदर से बंद कर लिया था…. अब मैं बहार निकलना चाहता हु मगर चाबी खो गयी है. भूल गया हु की कहा राखी है? ओह! आग की तपिश यहाँ तक पहुंच रही है. परेरा! ये भविष्यवाणियां मैं ही करता था. असल मैं इसमें मेरा कोई कसूर नहीं……. मेरी एक cardiography की मशीन ख़राब हो गयी तो तुम तो जानते हो के इलेक्ट्रॉनिक्स मैं मेरी रूचि है तो मैंने उसे खुद ही ठीक कर लिया पर जाने कौन सी चिप गलत लग गयी की जब भी मैं किसी की एक cardiography करता तो रिपोर्ट के साथ ये भविष्यवाणी भी टाइप हुयी मिलती की वो व्यक्ति फैला दिन और इस कारन से मरेगा!! सुरु मैं तो मैंने इसे सिर्फ एक संयोग समझा और किसी को कुछ नहीं बताया पर उन लोगो पर नजर रखने लगा तो मैंने पाया के ये भविष्यवाणियां १००% सच हो रही है. अब मैं उन लोगो को भी बताने लगा की उनकी मौत जल्द ही होने वाली है……….. इनमे मेरे पेशेंट्स के अलावा तुम्हारे क्लब के मेंबर्स भी थे जिनकी मैं जाँच करता था. ऐसा मैं सिर्फ इसीलिए करता था के उनके वारिस किसी परेशानी मैं न फसे…. इसके अलावा मेरा और कोई स्वार्थ नहीं था”
“जब C.B.I. के जासूस ने मुझसे पूछताछ की तो मैं घबरा गया मैंने क्लिनिक आकर अपनी जाँच मशीन पर की तो पाया की मेरी मौत पूछताछ वाले दिन अपने ही घर पर जल कर मरने से होगी…. मैं शहर से भागना चाहता था मगर बहार पुलिस तैनात थी मैंने तुम्हे फ़ोन किया पर तुम घर पर नहीं थे लोगो ने घर का घिराव करके आग लगा दी है और मैं चाबी भी खो बैठा हु नहीं तो बहार निकल जाता तब मैं घर मैं नहीं जलता मगर ये ‘अंतिम भविष्यवाणि’ भी सच हो रही है…….
“मैं मशीन की जाँच साइंटिस्ट से करवाना चाहता था मगर क्या फायदा? ये मशीन भी मेरे साथ जल जाएगी अच्छा अलविदा , क्योकि आग मेरे कमरे मैं भी पहुंच चुकी है अलविदा!!!”
Gajab story he yeअंतिम भविष्यवाणि
“हेलो! कपूर साहब!”
“ हां मैं कपूर बोल रहा हु साहब बोलिये…”
“ जी मैं आपका हितेषी बोल रहा हु”
“ कमल हो गया भाई….. इस कलयुग मैं भी हितेषी बचे है मैं तो भूल ही गया था बोलो बादशाहो कहो की क्या हुक्म है”
“ जी हुक्म तो कुछ नहीं बस..... कपूर साहब आप से कुछ सीरियस बात करनी है”
“पर तुस्सी ता हितेषी हो तो सीरियस गल्ला क्यों करना चंदे ओ? (लेकिन आप तो हितेषी हो फिर सीरियस बात क्यों)”
“ कपूर साहब बहुत गंभीर बात है आपका देहांत २८ मई को ५ बज कर १० मं पर एक दुर्घटना से हो जायेगा. कोई वसीहत वगैरे करवानी हो तो करवा ले फिर न.......”
“ओ हितेषी के बच्चे तू है कोण हरामजादे मर्द है तो सामने आ! चुपके वार करता है” कपूर चीख पड़ा.
कपूर की पत्नी जो पास ही सोफे पर बैठी थी घबरा कर पूछने लगी “क्या बात है कोण था?”
कपूर गुस्से मैं थे कहने लगे ”कोई बद्तमीज़ है साला! कहता है कपूर यानि मैं २० मई को पांच बज कर दस मिनट मैं दुर्घटना मैं मर जाऊंगा… अरे! माना मुझे दिल की बीमारी का वहम हो गया था मगर अब तो सरे टेस्ट करवा लिए है कोई बीमारी नहीं है”
बात आयी गयी हो गयी. फिर कोई फ़ोन नहीं आया मगर अट्ठाइस(२८) तारीख को कपूर की बीवी ने याद से कपूर साहब को घर के बहार न जाने के लिए राजी कर लिया, पहले तो कपूर साहब अकड़े फिर बीवी की बात मान गए. बीवी शंकित थी कही कुछ अनहोनी न हो जाये?? गुरुवार का व्रत, माता का जगराता और पीर की चादर सब मन्नते मान चुकी थी, उसने अपने छोटे भाई रमेश को भी बुला लिया था. वो रसोई मैं कपूर साहब के मनपसंद पकवान बना रही थी. कपूर साहब और उनका साला रमेश अपनी अपनी बियर खोले बैठे थे. हालाँकि मिसेस कपूर ने बियर पिने से मन किया था पर कपूर साहब नहीं माने थे. मिसेस कपूर बीच बीच मैं खाने की चीज़े नमकीन रखने के बहाने कपूर साहेब को देख आती थी. साढ़े तीन बजे सबलोग खाना खाने बैठे. कपूर और रमेश तो चहक रहे थे मगर मिसेस कपूर परेशान थी बार बार दिवार की घडी देख लेती. उन्हें घडी की सुइया सरकती नजर नहीं आ रही थी.
खाना खाने के बाद सभी लॉबी मैं आ गए. रमेश ने टीवी चालू किया के अचानक लाइट गुल हो गयी. अँधेरा होने पर कपूर ने पूछा के “इन्वर्टर को क्या हुआ?”
कपूरफ साहब इन्वर्टर देखने उठे तो मिसेस. कपूर ने उन्हें ये कह कर रोक दिया के “आज आपको बिजली के पास नहीं जाना है.”
कपूर साहब झुंझलाये मगर मन मरकर बैठ गए. फिर गर्मी से घबराकर बालकनी मैं चले गए तो मिसेस कपूर भी उनके पीछे चली आयी.कपूर साहब को उनकी ये हरकत नागवार लगी मगर वो चुप थे .बालकनी की रेलिंग पर hath रख कर झुके ही थे की चीख मर कर गिर पड़े…. साथी मिसेस. कपूर ने देखा की एक साप रेलिंग पर दये से बाये सरपट सरक रहा था और इसके साथ ही मिसेस कपूर की भी चीख निकल गयी! हड़भड़ाहट मैं कपूर साहब जल्दी जल्दी सीढिया उतरने लगे और pair फिसल जाने से गिर पड़े….. सर सामने वाली दिवार पर जा लगा खून का फवारा फुट पड़ा. मिसेस कपूर ने अपने हाथ की घडी देखि तो पांच बज कर दस मिनट हुए थे. मिसेस कपूर के भाई रमेश नौकर को उनके पास खड़ा करने एंबुलेंस को फ़ोन करने ऊपर आये तो फ़ोन की घंटी बज रही थी. रमेश ने फ़ोन उठाया और बोले”हेलो!”
उधर से आवाज़ आयी ”कपूर साहब सकुशल तो है?”
“नहीं वो सीढ़ियों से गिर पड़े है आप फ़ोन रखे तो मैं डॉक्टर और एम्बुलेंस को बुलाऊ.”
“अब कुछ नहीं हो सकता वो मर चुके है मैंने उन्हें पहले ही बता दिया था के वो आज पांच बज कर दस मिनट पर दुर्घटना मैं मर जायेंगे” ये कह कर उसने फ़ोन काट दिया.
रमेश हैरान परेशां खड़ा रहा फिर उसे याद आया की उसे डॉक्टर क बुलाना है. डॉक्टर को फ़ोन करके वो सीढ़ियों के पास आया मिसेस कपूर होश मैं आ गयी थी मगर कपूर साहब बिलकुल शांत पड़े थे…. कपूर साहब को देख कर मिसेस कपूर दहाड़ मर कर रोती हुयी उनसे लिपट कर सुबकने लगी.
डॉक्टर कपूर साहब का मुआयना करने लगे ५-६ मिनट मुआयना करने के बाद वो bole “I am sorry he is no more” यह बात सुनकर मिसेस. कपूर फिर दहाड़ मरकर रोने लगी जिससे लोग इखट्टे हो गए थे मिसेस. कपूर ने रो रो कर सबको हितेषी वाला किस्सा सुना दिया किसी ने बात पत्रकारों तक पंहुचा दी बस फिर क्या था आनन् फानन मैं खबर ने छापकर सारे शहर मैं तहलका मचा दिया पुलिस के पास अनेक फ़ोन आये के उन्हें भी हितेषी ने फ़ोन किया है. शहर मैं खलबली मच गयी की आखिर ये हितेषी है कौन जो फ़ोन पर लोगो की मौत की भविष्यवाणियां करता है और भविष्यवाणियां सच भी हो रही है कुल मिला कर शहर मैं लगभग ५० फ़ोन आ चुके थे कपूर साहब की मौत के बाद और २ लोगो की मौत का पता लगा…
शहर मैं अफरा तफरी का माहौल था खोजी पत्रकारों ने खोज-खोजकर लोगो को ढूंढ निकला जिन्हे फ़ोन आये थे अटकले लगायी जा रही थी के अब किसकी बरी है? तभी शहर मैं अफवा फैली के फेमस बिजनेसमैन श्री मोहित चड्ढा एक हार्ट स्पेशलिटी हॉस्पिटल मैं भर्ती हो गए है हालाँकि उन्हें कोई तकलीफ नहीं थी मगर हितेषी का फ़ोन आया था के उनकी मौत हार्टबीट रुकने से २४ जून सुबह १० बजे होगी. दहशत और सुविधा के तौर पर उन्होंने हॉस्पिटल के इंटेंसिव केयर मैं ५ दिन पहले ही कमरा ले लिया था. डॉक्टर्स की टीम ने सबसे सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट की मौजूदगी मैं उनका पूरा चेकउप करके उन्हें हार्ट की कोई बीमारी न होने का सर्टिफिकेट भी दे दिया फिर भी श्री मोहित ने हॉस्पिटल मैं रहना जरुरी समझते हुए २३ जून की रात चार चार घंटे के लिए एक एक डॉक्टर फीस देकर अपनी देखभाल के लिए रख लिया मगर सारे किये कराये पर तब पानी फिर गया जब २४ जून ठीक १० बजे डॉक्टर्स की टीम की मौजूदगी मैं उनके दिल ने धड़कना बंद कर दिया
उनको बचने की डॉक्टर्स की सारी कोशिशे नाकाम हो गयी. हर तरफ बेबसी का माहौल था किसी की कुछ समझ मैं नहीं आ रहा था कोई कह रहा था के ये आकाशवाणी हो रही है!!
मगर आकाशवाणी टेलीफ़ोन से.......आखिर थक हार कर पुलिस ने अपने हाथ खड़े कर दिए. केस C.B.I को सौप दिया गया C.B.I ने जल्द ही अपने जासूस चारो और फैला दिए मगर केस का कोई और सिरे का पता नहीं लग रहा था. टेलीफ़ोन एक्सचेंज ने सभी नंबर्स पर सर्विलेंस लगा दी थी ग्राहकों को बता दिया गया था के ऐसा फ़ोन आते ही स्टार वाला बटन दबाये तो एक्सचेंज का कंप्यूटर फ़ोन करनेवाले का नंबर रिकॉर्ड कर लेगा. मगर कोई सुराग नहीं मिला एक तो फ़ोन आने कम हो गए थे दूसरा भविष्य बताने वाला चौकन्ना हो गया था वो पब्लिक बूथ का इस्तेमाल कर रहा था.
अब पब्लिक बूथ पर निगरानी राखी जाने लग मगर कोई असर नहीं हुआ नतीजा वह का वही. आखिर C.B.I. ने अपने सीनियर रिटायर्ड डिटेक्टिव चंद्रचूड़ चिंतामणि की मदद लेने का फैसला किया. चंद्रचूड़ जी ऐसे कई केसेस हैंडल कर चुके थे उन्होंने आते ही हालत का जायजा लिया जब कोई सुराग हाथ नहीं लगा तो उन्होंने उन दस लोगो को चुना जिनको सबसे बाद मैं फ़ोन आये थे. फिर वो हर किसी के घरे जाकर उनसे मिले जिनको फ़ोन आये थे.
लोग भड़के हुए थे वो कुछ कहने सुनने को तैयार नहीं थे चंद्रचूड़ जी ऐसे भड़के हुए लोगो से बात करना चाहते थे उनका तरीका जासूस जैसा न होकर एक साइकेट्रिस्ट जैसा था उन्होंने लोगो को समझाया के अगर आप लोग सहयोग दे तो हो सकता है वो लोग उसे पकड़ ले जो ये हरकते कर रहा है
धीरे धीरे उन्होंने अपने तय किये हुए फॉर्मूले पर काम करना सुरु किया……. उन्होंने उनलोगो को फ़ोन आने से दस दिन पहले मिले लोगो की लिस्ट बनाने को कहा उनलोगो ने वो लिस्ट बना दी सिवाय एक को छोड़ कर…. वो था लाला घसिटाराम उसकी मौत मैं २० दिन बचे थे इसीलिए व काफी घबराया हुआ था. चंद्रचूड़ जी ने इस लिस्ट को धयान से देखा. उन दस लोगो मैं से ७ मैं कुछ सिमिलॅरिटी थी. एक तो ज्यादातर रहिस थे और ४० से ५५ की उम्र के बीच के थे दूसरा उनमे ६ लोग शहर के पॉपुलर gym के मेंबर्स थे. असल मैं ये gym gym कम क्लब ज्यादा था. कुछ लोगो का कहना था के असल मैं ये gym की आड़ मैं अयाशी का अड्डा था. इसका नाम भी इसकी बदनामी और शोहरत मैं इजाफा करता था इसका नाम था 'Placting Heart Gym'(धड़कते दिलो का gym). इसके मालिक दो लोग थे मिस्टर परेरा और कर्नल सिंह……. दोनों ही unmarried थे और शहर मैं सनकी लोगो के गुरु कहे जाते थे. कर्नल सिंह जहा रंगीन आदमी थे वही परेरा एक शांत स्वाभाव के मालिक थे जहा कर्नल सिंह औरतो से घिरे रहते वही परेरा औरतो से दूर भागते मगर हर शाम वो अपने एक दोस्त डॉ. जोसेफ के घर चैस खेलने जाया करते थे और क्लब की मेम्बरशिप पाने वाले हर इंसान की फिजिकल टेस्ट भइये डॉ. जोसेफ ही करते थे
यह गयम अपने अनोखे प्रोग्राम्स और अजीब ओ गरीब नियमो की वजह से भी महशूर था. इसकी मेम्बरशिप के लिए न सिर्फ लम्भी फीस वसूली जाती बल्कि कई शर्ते भी लादी जाती मगर फिर भी इसकी मेम्बरशिप के लिए लम्बी वेटिंग लिस्ट हर समय बानी रहती थी. चंद्रचूड़ ने इस क्लब की काफी खोजबीन की मगर कोई सूत्र हाथ नहीं लगा शहर के कई बड़े अफसर इसके मेंबर थे और शहर के अनेक बदनाम भी. इसीलिए उनपर हाथ उठाना संभव नहीं था. चंद्रचूड़ ने अबतक मर चुके लगभग २० लोगो की भविष्यवाणिया सुनकर मरने वालो की तफ्तीश सुरु की यहाँ भी कुछ रोचक तथ्य सामने आये….
मरने वालो मैं से ५ के बारे मैं भविष्यवाणी गलत निकली थी कोई उस समय नहीं मारा था जो बताया गया था कोई पहले तो कोई बादमे मारा था तो कोई दूसरे तरीके से मारा था चंद्रचूड़ ने अपने साथी विनय मराठे को इसकी जांच सौप दी इस अफसर ने तीन मैं से २ मामले सुलझाकर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया मगर उन्होंने कहा की पुलिस अपनी नाकामी छुपाने के लिए उन्हें फसा रही है.छानबीन किसी नतीजे पर नहीं पहुंच रही थे चंद्रचूड़ सिगार पर सिगार फूक रहे थे तभी उनके एक और सूत्र हाथ लगा की न सिर्फ धमकी या भविष्यवाणी प्राप्त करने वाले लोग gym के सदस्य थे बल्कि मिस्टर कपूर जिनकी मौत से ये केस उजागर हुआ था वो भी डॉ. जोसेफ से चेकउप करवा चुके थे. इसीलिए अब चंद्रचूड़ ने अपना धयान इस डॉक्टर पर लगाया.
सूचनाओं के मुताबिक इस डॉक्टर का पूरा नाम डॉ. गिब्रैल जोसेफ था और वो लगभग 4० साल से इस शहर मैं प्रैक्टिस कर रहा था. वो काफी भला और काबिल डॉक्टर था. कई दिनों से डॉक्टर की निगरानी राखी जा रही थी पर ऐसी कोई बात नजर नहीं आयी जो डॉक्टर को दोषी ठहराए. डॉक्टर न सिर्फ भले व्यक्ति थे बल्कि कई गरीबो का इलाज फ्री करते थे. उनके डेली रूटीन मैं रोज सुयबह शाम सैर एक्सरसाइज और फिर सारा दिन क्लिनिक मैं काम इतना ही था. क्लिनिक उनकी कोठी मैं ही बना था. डॉक्टर की उम्र ७० साल की थी पर अपने अछि हेल्थ की वजहसे वो ५०-५५ के लगते थे. उनकी बीवी और तीनो बच्चे इंग्लैंड मैं रहते थे. उनका टेलीफ़ोन टेप किया जाने लगा. हर आने जाने वाले लोगो पर नजर राखी जाने लगी पर नतीजा वही का वही. इस बीच तीन और लोगो की मौत भविष्यवाणी के जरिये बताये गए समय पर हो चुकी थी. और मौत का तरीका भी वही था जो फ़ोन पर बताया गया था. वो तीनो भी डॉ. जोसेफ के पेशेंट थे और मौत के ४०-४५ दिन पहले डॉक्टर से मिले थे.अब चंद्रचूड़ ने और देर न करते हुए डॉक्टर से पूछ टाच का मन बना लिया. उन्होंने पुलिस के इंस्पेक्टर जनरल से बात की और एक दिन सदी वर्दी मैं पुलिस कर्मी डॉक्टर को चंद्रचूड़ के पास ले आये.
दो दिन लगातार पूछ टाच के बाद भी कोई सुराग हाथ नहीं लगा….. डॉक्टर काफी सभ्य नेक और शालीन इंसान लगे चंद्रचूड़ को मगर उनकी सिक्स्थ सेन्स अभी तक शक की सुई डॉक्टर की और घुमा रही थी पर सिर्फ शक के बिनाह पर डॉक्टर को गिरफ्तार करना न सिर्फ मुश्किल था बल्कि इससे डॉक्टर की जान को खतरा भी हो सकता था. फिर भी चंद्रचूड़ ने डॉक्टर को शहर से बहार न जाने की चेतावनी दी और उनका पासपोर्ट भी रखवालिया.
खोजी पत्रकार शिकारी कुत्तो की तरह इस मामले मैं हर खबर को सूंघ रहे थे……
जाने कैसे एक अख़बार ने डॉ. जोसेफ से पूछताछ की खबर छाप दी ये खबर पुरे शहर मैं आग की तरह फ़ैल गयी .इससे पहले की डॉ.जोसेफ की सुरक्षा का कोई इंतजाम हो पता गुस्साए रिश्तेदारों ने और दंगाई भीड़ ने डॉक्टर की कोठी को घेर लिया…….
डॉक्टर ने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया तथा पुलिस का सूचित किया मगर पुलिस के आने से पहले लोगो ने डॉक्टर की कोठी को आग लगा दी थी. डॉक्टर खिड़की खोलकर चिल्ला रहा था…. “मेरी चाबी गुम हो गयी है. प्लीज दरवाजा तोड़कर मुझे बहार निकालो मैं बेकसूर हु.”
गुस्साई भीड़ ने खिड़की पर पत्थर बरसाने सुरु कर दिए .चंद्रचूड़ वह पहुंच गया था मगर पुलिस अब भी नहीं पहुंची थी कोठी पर तैनात २ सिपाही भीड़ को कण्ट्रोल करने मैं असमर्थ थे उसने लोगो को समझने का प्रयास किया पर उसकी बात कोई नहीं सुन रहा था फिर उसने देखा के डॉक्टर ऊपर वाले कमरे मैं खड़ा अपने फ़ोन पर किसी से बात कर रहा था…….
घर को आग ने बुरी तरह जकड लिया था डॉ. जोसेफ अपने ही घर मैं जल कर मर गए थे और जैसा इन मामलो मैं होता है पुलिस ने कुछ लोगो को दंगा फ़ैलाने के जुर्म मैं गिरफ्तार कर लिया और बात यही ख़तम हो गयी. चंद्रचूड़ उदास से अपने होटल के कमरे मैं बैठे थे वो खुद को डॉक्टर का हत्यारा समझ रहे थे और केस भी अभी कहा सुलझा था……
एक के बाद एक वो कई सिगार पि चुके थे. अचानक वो उठे और शहर के सुपरिटेंडेंट को कॉल किया और उन्हें बताया के केस के सिलसिले मैं उनका S.P. से इसी वक़्त मिलना जरुरी है और वो उनके ऑफिस पहुंच रहे है. S.P. के ऑफिस जाकर उन्होंने डॉक्टर के मोबाइल से आखरी फ़ोन कहा हुआ था की जानकारी प्राप्त की तो पता लगा की वो नंबर मिस्टर परेरा का था जो gym के मालिक थे ……
चंद्रचूड़ पुलिस को साथ लेकर परेरा के घर पहुंचे तो पाया की परेरा की कार सामान से लदी खडी है और परेरा घर को ताला लगा रहा है……
चंद्रचूड़ ने परेरा को धार दबोचा “ परेरा तुम्हारा खेल ख़तम हो गया है भागने की कोशिश मत करो”
तब परेरा ने उनका हाथ झटकते हुए कहा “तुम्हारा दिमाग तो ख़राब नहीं हो गया? मैं भाग नहीं रहा हु मैं तो १० दिन हिल स्टेशन पर रहकर लौटा हु और ताला खोल रहा था” ये कहकर उसने घर का ताला खोल दिया और सबको अंदर बुला लिया .
चंद्रचूड़ और S.P. अंदर चले गए और बाकि पोलिसवाले बहार खड़े रहे……. अंदर जाकर चंदरचुड़ ने एक सरसरी निगाह घर पर डाली तो पाया की घर वाकई बंद था वैसे भी परेरा की शादी नहीं हुयी थी तो पूरा सनकी माना जाता था इतना अमीर होने के बावजूद दो कमरों के फ्लैट मैं रहता था और कोई नौकर भी नहीं था सारा काम खुद ही करता था…… चंद्रचूड़ ने उसे डॉ. जोसेफ वाली घटना सुनाई जिसे सुनकर परेरा सचमुच काफी दुखी हो गया. अब चंद्रचूड़ और परेशां था उसने परेरा से कहा की अगर आप घर पर नहीं थे तो मरने से पहले डॉ. जोसेफ ने लगभग ४ मिनट तक आपके फ़ोन पर किस्से बाते की?
परेरा फ़ोन की तरफ लपका फ़ोन पर आंसरिंग मशीन लगी हुयी थी उसने मशीन को चालू कर दिया तो डॉ. जोसेफ की आवाज आयी ”हेलो! परेरा”
‘घर पर कोई नहीं है आप अपना सन्देश टेप कैवा सकते है’ ये मशीन की आवाज़ थी
“ओह! माय गॉड” डॉ. जोसेफ की चीख जैसी आवाज़ सुनाई पड़ी वो आगे कह रहे थे. “अब कुछ नहीं हो सकता” फिर कुछ देर रुक कर कहने लगे के “ चलो कमसे काम अपनी बात रिकॉर्ड कर सकता हु “ मैंने डरकर ghar ko अंदर से बंद कर लिया था…. अब मैं बहार निकलना चाहता हु मगर चाबी खो गयी है. भूल गया हु की कहा राखी है? ओह! आग की तपिश यहाँ तक पहुंच रही है. परेरा! ये भविष्यवाणियां मैं ही करता था. असल मैं इसमें मेरा कोई कसूर नहीं……. मेरी एक cardiography की मशीन ख़राब हो गयी तो तुम तो जानते हो के इलेक्ट्रॉनिक्स मैं मेरी रूचि है तो मैंने उसे खुद ही ठीक कर लिया पर जाने कौन सी चिप गलत लग गयी की जब भी मैं किसी की एक cardiography करता तो रिपोर्ट के साथ ये भविष्यवाणी भी टाइप हुयी मिलती की वो व्यक्ति फैला दिन और इस कारन से मरेगा!! सुरु मैं तो मैंने इसे सिर्फ एक संयोग समझा और किसी को कुछ नहीं बताया पर उन लोगो पर नजर रखने लगा तो मैंने पाया के ये भविष्यवाणियां १००% सच हो रही है. अब मैं उन लोगो को भी बताने लगा की उनकी मौत जल्द ही होने वाली है……….. इनमे मेरे पेशेंट्स के अलावा तुम्हारे क्लब के मेंबर्स भी थे जिनकी मैं जाँच करता था. ऐसा मैं सिर्फ इसीलिए करता था के उनके वारिस किसी परेशानी मैं न फसे…. इसके अलावा मेरा और कोई स्वार्थ नहीं था”
“जब C.B.I. के जासूस ने मुझसे पूछताछ की तो मैं घबरा गया मैंने क्लिनिक आकर अपनी जाँच मशीन पर की तो पाया की मेरी मौत पूछताछ वाले दिन अपने ही घर पर जल कर मरने से होगी…. मैं शहर से भागना चाहता था मगर बहार पुलिस तैनात थी मैंने तुम्हे फ़ोन किया पर तुम घर पर नहीं थे लोगो ने घर का घिराव करके आग लगा दी है और मैं चाबी भी खो बैठा हु नहीं तो बहार निकल जाता तब मैं घर मैं नहीं जलता मगर ये ‘अंतिम भविष्यवाणि’ भी सच हो रही है…….
“मैं मशीन की जाँच साइंटिस्ट से करवाना चाहता था मगर क्या फायदा? ये मशीन भी मेरे साथ जल जाएगी अच्छा अलविदा , क्योकि आग मेरे कमरे मैं भी पहुंच चुकी है अलविदा!!!”
समाप्त
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