" शाही दवाखाना "
में सोफिया आलम नकवी "जिंदगी की रह गुजर की एक तन्हा मुसाफिर"
फिर हाजिर हू आप की बारगाह में, टूटा दिल बोझल आँखे बिख़रे सपने और उजड़े चमन के साथ .
आज में आप को एक हक़ीम साहब और उन के शागिर्द की कहानी सुनाने जा रही हू आशा करती हू आप को पसंद आएगी.
मन की बात- सब से पहले में सभी...