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चुदाई तक तोह ठीक था पर अजीब बात ये थी की दोनों नानी अपने बेटों से गांड मरवा रही थ।
और साथ साथ आने बेटे के पेट पर हग भी रही थी।
दृश्य बादही घिनोना था हर दो तीन धक्को थोड़ी थोड़ी टट्टी मां के ऊपर गिर रही थी ।
मैं :(अपना मुँह मोड़ते हुए) राज भाई ये सब क्या चल रहा है।
राज : चल बहार निकल पहले।...
फिर मैं गुड्डू और राज हगने चल दिए खेतों की तरफ।
मैं : भाई राज।
राज : हाँ बोलो अभिजीत।
तुम्हार्रे पिता राम सिंह मामा कहाँ है ?
राज : वो तो अभी दादी के साथ निकल गए जंगल को।
मैं : दादी ?
राज : हाँ रामकली दादी जो तुम्हारे साथ सोई थी , इतनी जल्दी भूल गए।
मैं : ओह।
तभी गुड्डू उत्सुकता मैं।...
अब्ब रामकली नानी के थोड़े ढीले बोबो की महक मुझे उत्तेजित कर रही थी।
अब तक रामकली नानी भी जाग चुकी थी , और मेरा लोढ़ा भी जाग चूका था और उनकी जंगो पर ठोकर मार रहा था।
रामकली : बेटा उठ गया ?
मैं : (नानी का निप्पल चूमने के बाद ) हाँ नानी माँ।
रामकली : चल बेटा मैं जंगल(toilet) होक आती हूँ।
और ये...
आज के टाइम मैं .........।
मैं अब रामकली नानी की कहानी को सुनकर उत्तेजित हो चूका था।
और मैंने उनको कास के जकड लिया।
मैं : पर नानी मैं अभी तक आपकी ये बंधन वाली बात का आसिफा आदिल की कहानी से क्या लेना देना है।
बड़ी नानी (रामकली ): बेटा मैं चाहती हूँ तुझे पूरी बात समझ मैं आ जाए इसलिए कहानी थोड़ा...
कुछ समय बाद हामिदा की चूत सुन्न हो गयी और उसका खून बना बंद हो गया।
और मुरारी ने ज्यादा देर न करते हुए अपना मुसल उसमें डाल दिया।
अब्ब तक हामिदा बेहोश हो चुकी थी। और हामिदा की चूत अब्ब भोसड़े मैं तब्दील हो गयी थी।
तब कुछ देर दक्का मरने के बाद।
कलुआ को अकबर पर तरस आ गया। अकबर वैसे तोह सोखा सा...
अब मुरारी ने अपना 10 इंच का लोढ़ा निकल कर हामिदा की फटी भोस पर टिका दिया।
अब तक अकबर ने अपनी अम्मी की चूत को पूरा साफ़ कर दिया था।
तभी।
कलुआ : छोटे जरा सबर करो मोए एक तरकीब सूझी है।
मुरारी : का भैया ?
करुआ : क्यों न हम इसकी भोसड़ी को भैंस जितनी बड़ी कर दे ?
मुरारी : बू कैसे भैया।
करुआ : बताऊ तू...
करीम का नुनु अब आसिफा के भोसड़े मैं बड़ी आसानी से अंदर बहार हो रहा था।
क्युकी आसिफा का भोसड़ा काफी चौड़ा था।इस बार करीम काफी लम्बा टिका।अब्ब करीम आसिफा की चूत की खुदाई करते हुए।करीम : आसिफा जान।आसिफा : (धक्कों से लड़खड़ाती हुए आवाज मैं ) हाँ बेटा।करीम : तुम और हामिद सच मैं माँ बेटे...
आसिफा की भोसड़ी बिलकुल एक आम रंडी की तरह काली और फैली हुई थी।करीम अब्ब बिस्तर पे खड़ा हो गया था , और उसका लोडा आसिफा के मुंह पर लग गया।
चल अब इसे गिला कर।आसिफा बिना कुछ बोले उसका नुनु अपने मुंह मैं ले लिया।करीम को अब्ब अपार आनंद महसूस हो रहा था। करीब 5 मिनट बाद वोह अपने चरम पर पहुँच...
पर्दा होने की वजह से मुझे कुछ दिख तोह नहीं रहा तह था पर मैं उनकी हलकी हलकी आवाजें सुन सकता था।अम्मी : बेटा करीम हमारी बस्ती मैं तोह कई साडी जवान औरतें हैं तोह तू दोगुने रूपए लेके मेरे पास क्यों आया ?
करीम : जान अब्ब क्या ही बताऊँ बचपन से अपने बाप को तेरे यहाँ आता देख रहा हूँ। रोज घर मैं...
हमीदा अब अपनी बुर पर अपने सगे बेटे की जीभ महसूस कर रही थी।
जो उसकी फटी छत के जख्मो पर मरहम का काम कर रही थी।
अब तक उसकी छूट साफ़ हो चुकी थी फिर भी लगातार उसका बेटा अकबर उसकी चूत चाटे जा रहा था।
अब हमीदा का दर्द काम हो चूका था। वो अपने बेटे के चूत चुम्बन से उत्तेजित हो चुकी थी।
धीरे धीरे...
साम के 7- बज रहे थे। ।
शर्दी के कारन खाना खाकर मैं अम्मी के बगल मैं लेता हुआ था।
मेरी अम्मी आसिफा अपने ग्राहकों का इंतज़ार कर रही थी।
और मैं शर्दी मैं अम्मी से चिपका हुआ था।
दिल्ली की शर्दी के बारे मैं तोह आपको पता ही होगा। हमारी झोंपड़ी छोटी होने के कारण मुझे उनसे बिलकुल चिपक सोना पड़ता था।...
मेरा नाम नदीम है। मैं दिल्ली के बगल की एक बांग्लादेशी बस्ती मैं रहता हूँ मेरा बचपन गरीबी मैं गुजरा। पिछले दिनों ही मैं 18- साल का हुआ।
मैं जब छोटा था तब हमारी हालत बहुत ही खराब थी। एक छोटी सी झोपड़ी मैं ही मैं अब्बू और अम्मी रहते थे।
बगल मैं नाला था। और बहुत गंदगी थी। कभी कभी रात को अब्बू रात...
अपने बड़े भाई की चुदाई के बाद मुरारी बोला।
मुरारी : क्या भैया आप ने तोह सारा मजा ख़राब कर दिया।जब हमीदा होस मैं आयी तोह अपनी हालत देख कर ग़बत गयी।
और अभी आधा ही काम हुआ था अब मुरारी की बरी थी।मुरारी : हमीदा बेगम चल अब घोड़ी बन जा मुझे तेरी गांड फडनी है।
हमीदा : मालिक मेरी हलब अब बहुत ख़राब...
हमीदा : बेहेन तब मैं सिहिर उठी ,न जाने अब्ब मेरे साथ क्या होगा।
कल की घटना।
अकबर भूक की वजह से इतना कमर हो चूका था की वोह ढंग से खड़ा नहीं हो पा रहा था।
अकबर : (कमजोर सी आवाज मैं ) अम्मी कोन है ?
हमीदा : बेटा कलुआ और मुरारी है।
कलुआ : देख हमीदा बेगम , तेरा समय समाप्त हो गया है। अब हमें अपने...
खाना खाने के बाद आदिल और उसकी अम्मी सोने की तैयारी करने लगे।
दोनों माँ बेटे गरीबी की वजह से एक ही चटाई और चादर ओढे सोते थे।
एक ही जोड़ी कपडे होने के कारन दोनों केवल सूंती कपडे अपनी कमर पर बांध कर सोते थे।
वो कपडा इतना छोटा होता की आसिफा की जंगों को तक मुश्किल से धक् पा रहा था।
लेकिन कोई और...
आसिफा : (मजाक मैं )अच्छा इसलिए अकबर तेरी शिकाई कर रहा था।
हमीदा : (हस्ते हुए ) हैं रंडी क्या बताऊँ जमींदार के दोनों बेटे सांड की तरह छोड़ते हैं।
मेरे दोनों छेदों को फाड़ कर रख दिया हैं। इसलिए अकबर से सिकाई करवानी पड़ी।
कुछ दिनों मैं आदत हो जाएगी तोह सब ठीक होने लगेगा।
आसिफा : हाय दिया तुजे...
आदिल : अम्मी बहुत जोरों की भूख लगी है , कुछ बनाओ न।
अपने बेटे की पुकार सुकर आसिफा का दिल पिघल गया और वो चूल्हा जलाकर कटटी मैं से आटा लेने गयी।
गरीबी का आलम इतना था घर मैं न दाल थी न आटा।आसिफा : आदिल मैं बगल वाली हमीदा काकी से नमक लेके आती हूँ।
हमीदा भी आसिफा की तरह किस्मत और जमींदार की...
आसिफा को मालूम था की किस तरह जमींदार ने गांव की औरतों की जिंदगी बर्बाद की थी।
जमींदार और उसके बेटों ने गांव के गरीब कर्मियों से उनकी कीमत उनकी औरतों के जिस्म से वसूली थी।
जब आदमियों के पास कोई चारा नहीं होता वो अपनी औरतों को जमींदार के यहाँ 1- महीने के लिए छोड़ देता था।
अगर कर्जा काम होता तोह...