लल्ली सब्जी वाले खेतो मे घुस कर कोने मे खड़ी चरी काटने लगती है गांड चुदाई मे वो भैसो के चारे को काटना भूल गई थी बगल मे सोहन कुदाल से निराई कर रहा था मटर पानी देने लायक हो गई थी तभी लल्ली को पेशाब लगती है तो वो खेत के किनारे साड़ी उठा देती है उसकी सांवली गाड़ सोहन के सामने नंगी थी सोहन की नजर...
सोहन के लीये पहला अवसर था। जब वो कीसी औरत को इस तरह से मादर-जात संपूर्ण रुप से नंगी देख रहा था। और वो भी अपनी माँ को। उसके ५ इंच के लंड में उत्तेज़ना की लहर दौड़ने लगी। उसकी सासों की गति में वृद्धी होने लगी थी...
और इधर बनवारी के लंड में वृद्धी होने लगी थी। वैसे तो बनवारी हर रोज़ ही अपनी लुगाई को...
गाँव का नाम भौसड़ाचोद जैसा नाम वैसा ही काम, यहाँ लड़कियाँ गौने तक एक दो बच्चे जन चुकी होती है, यहाँ पतियो से जादा जीजा देवर ससुर का जादा हक होता है यह अधिकांश एक अलग जाति के है जो एक अलग रिवाजो का जाने जाना वाला क्षेत्र है जहाँ सेक्स ही पुजा का एक अंग माना जाता है यहाँ विधवा कभी विधवा नही होती...
घर के आँगन में, बेसुद खाट पर लेट गयी। हाथ की दोनो बाँहें दोनो दीशाओं में बेसुध पड़े थे। आँखें बंद थी...ख़यालों में उसका बेटा ही छाया था। खुद के मन से बाते करने लगी...
क्या हो गया है मुझे? क्यूँ सोंच रही हूँ उसके बारे में? ये पहली बार थोड़ी है, जब कोई मुझे इस नज़र से देख रहा था? पहले तो कभी कीसी के...
शाम हो चूकी थी। कम्मो घर के पीछवाड़े वाले छोटे से खेत पर पहुंची तो देखी...बबलू उसका बेटा, खेत की क्यारीयां सीचने में ब्यस्त था। धीरे-धीरे कदमो के साथ, पायल की मधुर गीत छनकाती वो अपने बेटे बल्लू के करीब पहुंची! बल्लू इस समय सीर्फ एक अंगीया पहने हुए, नीचे छुका क्यारीयों की नाली साफ कर रहा था।
उसका...
दोनो एक नंबर की छीनाल थी। और लल्ली तो शक्ल से ही जान पड़ती थी। दोनो छीनालपन की बाते मज़े ले-लेकर कर रही थी की, तभी...
सन्नो↞‟अरे लल्ली...! एक बात बताना तो भूल ही गयी मैं!!”
लल्ली↞‟कैसी...बात री?”
सन्नो↞‟अरी...हरज़ाई! आज़ ना मैने, कम्मो की साड़ी के अंदर हांथ पेल कर उसकी खुब बुर सहलायी।”
लल्ली के...
होश ठीकाने आते ही, सोहन पप्पू का सामना करने मे खुद को असमर्थ पाता है। वो बीना एक लफ़्ज बोले, अपना फावड़ा उठाता है और वहां से चला जाता है...
सोहन के जाते ही, पप्पू ने भी वहाँ रुकना ठीक नही समझा, और वो भी चलता बना।
थोड़ी देर के बाद खाट पर लेटा बनवारी उठते हुए खड़ा होता है...और पैज़ाम पहनते हुए बोला-...
इस बार बनवारी ने एक जोरदार हुमच कर झटका मारा और जोर देते हुए लल्ली की गांड पर बैठ गया।
लल्ली दर्द से चील्लाने लगी....‟नही...आईईउउईउउउउ...नीईईइकालोओओओ...म...र जांउगीईईईई, माईईईईईईरे, बहु...ते गहरा चला गया है...नीकालो मर जाऊगीं...)
मगर बनवारी तो जैसे कोई ख़ुंखार जनवार बन गया था। वो अपना पूरा लंड...
सोहन के लीये पहला अवसर था। जब वो कीसी औरत को इस तरह से मादर-जात संपूर्ण रुप से नंगी देख रहा था। और वो भी अपनी माँ को। उसके ५ इंच के लंड में उत्तेज़ना की लहर दौड़ने लगी। उसकी सासों की गति में वृद्धी होने लगी थी...
और इधर बनवारी के लंड में वृद्धी होने लगी थी। वैसे तो बनवारी हर रोज़ ही अपनी लुगाई को...
दोपहर का समय था। बनवारी अपने खेत पर बने झोपड़े में लेटा था। तभी दरवाज़ा खुला और झोपड़े के अंदर उसकी लूगाई हांथ में खाना लीये अंदर आयी।
लल्ली—‟दीन भर खेतो पर ही पड़े रहते हो, खाने की चीतां भी करते हो की नाही?”
ये कहते हुए, लल्ली ने खाने की थाली एक तरफ रखते हुए, बनवारी के बगल में खाट पर बैठ जाती है।...
‟अरी...ओ अंगूरी, जरा बबलू को उठा दे, आज खेतो पर नही जायेगा का उ...?”
कम्मो बाहर बैठी एक औरत से कर करती हुई आवाज़ लगाई थी...
अंगूरी—‟अभी उठाती हू माँ...!”
और इतना बोलकर, आँगन में झाड़ू लगाती हुई अंगूरी, बबलू को उठाने के लीये छत की सीढ़ीयों की तरफ़ बढ़ चलती है...
‟और बताओ दीदी...कल मेले वाली कच्छी...
आम के पेड़ के नीचे, रंजू के बापू के साथ एक और अधेड़ उम्र का ब्यक्ती बैठकर गांज पीते हुए बाते कर रहे थे...
‟बनवारी भईया, अब तो अपनी उमर हो चली है। लेकीन तुम्हारा क्या कहना? इस उमर में भी तुम्हारी छातीयां दीन ब दीन दुगनी होत जात है, तनीक अपने बेटवा पर भी ध्यान दो। वो ससूरा तो तुम्हरा नाक कटा कर...
सुबह-सुबह अंगूरी उठ-कर अपनी सहेलीयों के साथ सौंच के लीये खेतों में नीकली थी।
(उसके साथ... नीम्मो, बीट्टो, अन्नू, रंजू, कज़री, उसकी बूआ सुमन और मौसी पुनम भी थी। इन सब में से पुनम और सुमन की उमर थोड़ी सी ज्यादा थी। दोनो की उमर २२ साल की थी। कज़री की उम्र २१ साल, अंगूरी,नीम्मो और बीट्टो की उमर २0 साल...
चले हम अब आपको थोड़ी देर प्रवीण के कस्बे या यो एक गांव कहे तो जादा अच्छा, तो आपको दमौरी गाँव ले चलते है
चाँद की दूधीया रौशनी में, दमौरी गाँव जगमगा रहा था। वैसे तो हर रात, दमौरी गाँव में इस वक्त सूना पन रहता था, लेकिन आज़ की रात, गाँव में लोगो की चहल-कदमी मची हुई थी...
क्या खास बात थी आज? वो खास...
दूधवाला और मेरी पत्नी भाग -11
प्रवीण यार मै बिसात बिछा रहा हूँ आज रमेश को एक बाजी हरा कर रहूँगा , यार तु जा ऊठा कर पहना दे पेटीकोट भाभी है तेरी
रमेश कॉपते कदमो से कोमल की तरफ बढा
वो करीब आ गया
रमेश भाभी आप बहुत खुबसुरत हो
कोमल हाये देवर जी आप बडे बेशर्म है भाभी नंगी खड़ी पेटीकोट उठाने...
दूधवाला और मेरी पत्नी भाग-10
कोमल आँगन मे लगे नल पर नहाने लगी वही थोड़ी दूर पर प्रवीण शंतरज की गोट रखे खेलने का नाटक कर रहा था मगर उसका ध्यान कोमल को नहाते देखने मे ही था गजब की सुंदरता थी कोमल मे नहाते वक्त तो किसी अपसरा से कम ना लगती थी
झीनी गीले पेटीकोट मे उसके गोल बडे स्तन तो गजब ढा रहे...
दूधवाला और मेरी पत्नी भाग-9
प्रवीण तुम्हारे लिए यही बाधा थी ना तो आज मैने इसकी नस कटवा दी अब यह ना खडा हो सकता है ना बच्चा पैदा कर सकता है बस मूत सकता है अब बताओ बच्चा दोगी
कोमल की आँखो मे आँसू आ गये, और प्रवीण के गले लगाते बोली
कोमल हाँ हॉ प्रवीण तुम्हारी यह कुत्तीया चुदेगी जिस जिस से...