गोवा में जय ममता और कविता हनीमून का असली मज़ा देता है।दोनों को होटल के कमरे में तो पेलता ही है साथ मे समुंदर की लहरों में भी एकांत में ले जाकर दोनों की जबरदस्त चुदाई करता है।दिन के समय खुले आकाश के नीचे अपनी सगी माँ और बहन को अपनी बीबी बनाकर शायद ही किसी ने चोदा होगा।
इधर माया सत्य से होटल में...
कविता झटपट बैठते हुए बोली," यही तो पीना चाहते हैं हम। आज हम दोनों आपका कीमती मूठ पीकर, ही खाना खाएंगे।" और मुंह खोलकर जीभ बाहर निकाल ली।
ममता- ये इसीका आईडिया है, की हम दोनों अबसे रोज़ आपके मूठ का सेवन करें। ये हमारे लिए पौष्टिक, है। अगर हम दोनों गर्भवती भी रहेंगे तो, भी मूठ पीते रहेंगे।
जय-...
जय- ममता तुम और तुम्हारी ये बेटी, हमारी मस्त छिनालों की तरह रहना सिख जाओ। दोनों को कोई कमी नहीं होने देंगे। तुम तो हमारी सास और माँ दोनों हो।
कविता- अरे भैया सैयांजी, अपनी इस बीवी को तो पेलो। कबसे बुर में लण्ड घुसा झुके हुए हम।
जय कविता की बात सुन उसकी कमर को पकड़ ताबड़तोड़ धक्के मारने लगा।...
ममता- ऊँह...ऊँह...ऊऊ आ... हां हमको तो बच्चा चाहिए। हमारे बच्चे का बच्चा। तुमको भी तो बच्चा पैदा करना होगा।
कविता- माँ, हमको बच्चा अभी 2- 3 साल नहीं चाहिए। अभी तो खूब मस्ती करना है।
जय-अरे अभी तो हमको सेक्स का मज़ा लेने दो। बच्चा ठहरेगा, तो दोनों पेट फुलाकर बैठ जाओगी।
कविता- तभी तो, हम तीन साल...
वो बुर की गीलेपन का सहारा लेकर उंगलियां बार बार घुसा के निकाल रहा था। वो दोनों इसका बड़े अच्छे से आनंद उठा रही थी। कभी कविता की बुर जय की जीभ का शिकार होती तो कभी उसकी माँ की बुर। पर दोनों ही उसका भरपूर सहयोग कर रही थी। बुर के पानी को वो चूसकर कामुकता का जाम पी रहा था। तब जय ने उनकी भूरी...
दोनों चूचियों को भींचकर, चूचक मुंह में भर चूसने लगा। ममता ये देख, मुस्कुराई फिर जय के कमर और जांघों को धोने लगी। कविता उसे अपनी बांहों में भर ली और उसके माथे को चूमने लगी। ममता ने इस समय कविता की आंखों में जय के लिए जो प्यार देखा था, उसे देख वो सोचने लगी," हाय रे दोनों की किस्मत, कविता जय को...
जय ममता के चुच्चियों को देख पागल हो रहा था, तो उधर कविता अपने नन्हे बुर को मसलते हुए अटखेलियां कर रही थी। फिर उन दोनों ने उसे लेटने का इशारा किया। जय पानी के अंदर बैठ लेट गया। उसके लेटने के साथ दोनों, भी पीठ टब के किनारों पर टिका बैठ गयी। जय का सर ममता और पैर कविता की ओर था। उसका सर ममता की...
ममता- तुम्हारा अधिकार पहला है, और ज़्यादा भी। आखिर तुम राज़ी नहीं होती, तो हमदोनो की शादी कैसे हो पाती?
कविता- शादी तो तुम दोनों कर चुके थे, खजुराहो में। और रहा बात राज़ी होने का, तो जय के साथ हमारी शादी की मंजूरी तूम ही दी थी। तो दोनों बराबर हैं।
ममता- पर......
कविता- पर.....वर..... कुछ नहीं।...
दरवाज़े पर दस्तक हुई, जय ने पूछा," कौन है??
उधर से आवाज़ आई," सर, रूम सर्विस, योर डिनर।"
कविता ने खुद को सफेद चादर से ढक लिया। और हड़बड़ाते हुए उठकर जल्दबाजी में बाथरूम में घुस गई। वो बाथरूम में घुसी तो, दरवाज़े की ओर ही देख रही थी। तभी उसे लगा कि उसके पैरों को किसीने पकड़ लिया। उसने झटके से...
रवि- तुम हमसे बहुत छोटी हो। तुम्हारे अंदर सेक्स की जो भूख है, उसको सिर्फ एक मर्द ही शांत कर सकता है। शशि तुमको चोदता तो होगा, पर तुमको वो एहसास नहीं मिलता होगा। हमारे जाने के बाद तुमको, कोई ना कोई तो चाहिए।
माया- आप बार बार अपने जाने की बात क्यों कर रहें हैं। आप हमारे साथ ही रहेंगे। कुछ नहीं...
माया- आप नामर्द नहीं है, जेठजी। आपका लौड़ा हमारा बुर को पेल रहा है।
आपको, औरत का दूध पीना चाहिए। उससे आपको ताक़त मिलेगा। अपनी बहू का दूध पियेंगे। चूस कर देखिए, आपके लिए चुच्ची में दूध है कि नहीं। काश हम आपको, अपना दूध पिला पाते। आपके सिवा किसी और का बच्चा हमारे पेट में पलेगा नहीं। हम माँ...