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दोस्त अगर लोग रोमन फॉण्ट में लिखी कहानी को हिंदी फॉण्ट में बदलते हें तो भी उनका प्रयास सराहनीय ही कहा जायेगा , ऐसे अनाम लेखकों को मेरी और से धन्यवाद , उन्हें प्रोत्साहित करना ही चाहिए ऐसा मेरा मानना हे , सेक्स बाबा पर बहुत सारी कहानियां मिली जो हिंदी फॉण्ट में ही थीं . जबकि वो ही कहानियां इस फोरम पर रोमन फॉण्ट में हें , जेसे "वो शाम अजीब थी" ,"छोटी सी भूल " और भी कई कहानिया मिली हें
पहले हिन्दी फॉन्ट में लिखने की सुविधा नहीं थी यूनिकोड... तो सभी पुरानी कहानियाँ रोमन फॉन्ट में ही लिखी गईं... कुछ लेखनों ने हिन्दी फान्ट में लिखकर pdf में पोस्ट की लेकिन यूनिकोड ना होने की वजह से फॉन्ट बदल जाते थे...
अब सुविधा है तो कुछ मित्र बहुत अच्छा कर रहे हैं उन्हें हिन्दी फॉन्ट में लिखने की.... यदि आपके पास उपलब्ध है तो शेयर करें... मैं भी कुछ सहयोग करूँगा कन्वर्ट करने में
मुझे भी हिंदी फॉण्ट में थोड़ी दिक्कत आती हे . जेसे हे में दो मात्राएँ होनी चाहिए पर में चूँकि गूगल इनपुट टूल्स यूज कर रहा हूँ . उसमे कहीं कहीं मात्रा की प्रोब्लम हो जाती हें , इसका कुछ हल बताएं
वेल किसी से एक्सपेक्ट मत करना के कोई किसी और की कहानी आगे के जायेगा . क्योंकि जोश जोश में बोहोत लोग आगे आते हे और दुसरो की अच्छी कहानी को आगे बढ़ाना शुरू करते हे और अपने डेस्पेरेट रीडर्स बिना सर पेअर की कहानी पे भी नीस अपडेट लिखते हे वो उसको सपोर्ट करते है
लेकिन लिखने वाला बाँदा भूल जाता हे के मोटिवेशन इस टेम्पररी बूत कंसिस्टेंसी इस परमानेंट !आखिर में १-३ महीने में बाँदा भी कहानी छोड़ के चला जाता हे .इसलिए ऐसे दुसरो से एक्सपेक्ट न करो
Actually... Har kisi ki apni soch hoti hai... Unique
Dusra koi bilkul vaisa hi nahin soch sakta.
Isliye dusre ki kahani puri karne ya aage badhane ki bajaye apni kahani likhein to behtar hai.
famous bangla writer Sharat Chandr Chattopadhyay ke akhiri adhure upanyas 'Shesh ka Parichay' jo unki ek pariwarik mahila mitr ne sharat ji ki mrityu ke bad puri ki, use padha to, 2 alag-alag adhuri kahaniyan lagin Mujhe
कामदेव जी अपने सही कहा हे , हर लेखक की लिखने की अपनी शेली होती हे और वो लिखने के ढंग से पता चल ही जाता हे , आपने शरत चन्द्र चटर्जी की बात अच्छी की ,शरत चन्द्र चटर्जी मेरे प्रिय लेखकों में से हें उनकी लगभग सभी रचनाएँ मेने पढ़ी हें , उनकी सारी रचनाएँ और उपन्यास हिंदी में ज्यादातर लोगों ने पढ़े हें , सबसे ज्यादा हिंदी फिल्म उनके ही उपन्यास पर ही बनी हें , गुलशन नन्दा के नोवल्स भी बेहद लोकप्रिय रहे हें ,
कहने का मेरा मतलब यही हे जब वो सभी हिंदी में कहानियां लिख सकते थे , तो कुछ लेखक इस फोरम पे हिंदी की कहानियाँ हिंदी भाषा में क्यूँ नही लिखते , आज के जमाने में तो ये बहाना भी नहीं बना सकते , की हिंदी लिखना मुश्किल हे , जबकि हिंदी में सबसे ज्यादा पाठक वर्ग हें उनकी रोमन में लिखी कहानी अंग्रेज तो पढने वाले नही हें , शायद काले अंग्रेज पढ़ें मेरा तो यही मानना हे की हम अपनी राष्ट्रभाषा हिंदी का सम्मान करें
Roman Hindi isliye preferable he kyonki ,readers sirf north india me he nahi balki desh videsh ke dusre hisso se bhi aate he, ex. Jo banda Karnataka ka he jisne hindi na padhi ho par movie serial dekh ke use samaz aati he,uske liye roman hindi ya english he best he aur roman hindi wale viewers yaha jyada he.
इस हिसाब से तो देवनागरी में लिखना बंद कर देना चाहिए , फिर हम क्यूँ रोमन में पढ़ें जो देवनागरी में लिख रहे हें वो तो बेवकूफ हें और जो रोमन कहानी को हिंदी में पेश कर रहे हें उन्हें ऐसा करना बंद कर देना चाहिए जनाब हिंदी का मार्किट ही इतना बड़ा हे जिसके लिए हर कम्पनी हिंदी भाषी लोगों तक अपने प्रोडक्ट पहुँचाना चाहती हे ये तो वही बात हुई गुल खाए और गुलगुलों से परहेज
इसी फोरम पर उनकी अपनी थ्रेड मौजूद है जहाँ लास्ट अपडेट मिल जाएगा
और उन्होंने रोमन फॉन्ट में ही लिखा है... किसी और फोरम पर अगर किसी ने देवनागरी में लिखा है तो मुझे जानकारी नहीं
Pritam.bs