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Incest जादुई लकड़ी (Completed)

Chutiyadr

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Bro mera ek saval he
Jab maa ko sab pata tha neha or chandu ke bareme or unko sport bhi karrahi thi to unko pura sach bhi malum hoga ki sandu ki ma kanta or sabina ko bheja gayahe or agar nahi bhi pata lekin khudke bete ko sport karne ki jagah vo chandu ko sport karrahi thi ye kya tha bhai use pata tha ki chandu sari proparty hadapne ki fikarme he firbhi neha to samjhe bhai ke chandu se pyar karti thi lekin maa ne bhi sport kiya ye baat hajham nahi horahi

Dactar sahib abhi tak story ka poora focus suspense raha aur ab isme logic mat kho dena

Maa ki neha-chandu ki side lena samjh se pare hai, jab 2 randiyan uski souten bana ke lay gayi ki unki aulaad ki madad se raj ki saari jayedaad cheen li jaye ?

jis aurat ka pati 2-2 nokraniyan se maje lootata raha aur uske apne sage bete aur patni ko dabata raha fir bhi wo us najayaz chandu aur neha ka saath de rahi hai ?

bhai hony and sir ji aap dono ka prashn ek hi hai to ek sath hi uttr deta hu ........

देखिए माँ को उतना ही पता होगा जितना चन्दू और नेहा ने उसे बताया हैं, नेहा को उतना ही पता होगा जितना चन्दू ने उसे बताया हैं,अब बात आती हैं कि चन्दू को कितना पाता हैं????

चंदू के इन्फॉर्मेशन का सोर्स क्या रहा होगा,

जैसे कि वकील ने कहा था कि उसने चन्दू को जयजाद और वसीयत के बारे में बताया था, तो चंदू को तो अभी सब का पता चला है, और अगर चन्दू को नेहा और माँ को फसाना होगा तो वो उसे ये क्यो बताएगा कि उसकी माँ को यंहा नाजायज बच्चा जन्म देने के लिए लाया गया था, वो तो उसे कुछ ऐसी स्टोरी ही बताएगा जिसमें वो बेचारा लगे,इसलिए नेहा उसके हक की बात कर रही है,वही माँ को अपने बच्चों की फिक्र है, जैसा स्टोरी से क्लियर हैं कि माँ अपने सारे बच्चों के भविष्य के लिए ऐसा कर रही हैं जिसमें राज भी शामिल है, राज और उसके माँ के बीच की बातचीत ध्यान से पढ़िए उसमे ये सब बताया गया है, उसमे कई चीजें हैं…

baaki chije dheere dheere kahani me clear ho jaayega lekin ye sawal bar bar uthega ki akhir raaj ki maa kyo chandu ka sath de rhi hai ,isliye ise clear kar rha hu ,aur uske kaarn ko raaj aur uski maa ki batchit me samjhane ki koshis bhi kiya hu fir bhi story me khi na khi use aur clear karne ki koshis karunga taaki ek clear image bnkar samne aaye .......
 

Chutiyadr

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अध्याय 18

रश्मि ……….

पूरा नाम रश्मि सिंह राजपूत,भैरव सिंह राजपूत की इकलौती बेटी ,भैरव सिंह शहर का ट्रांसपोर्ट किंग कहलाता था इसके अलावा भी उसके कई करोगबार थे जिसमे रियल स्टेट का काम मुख्य था ,जिसे उसका भाई भीष्म सिंह देखता था,पैसे और नाम में उनका परिवार हमारे परिवार के ठक्कर का था ,वही हमारी माँ एक दूसरे की सहेली भी थी लेकिन भैरव सिंह सिर्फ पैसे से अमीर नही था बल्कि वो एक बाहुबली भी था ,सामान्य रूप से देखने पर इसका पता नही चलता लेकिन उसका बहुत नाम था ,रियल स्टेट और ट्रांसपोर्ट का काम ही ऐसा था की उन्हें गुंडे पाल कर रखने पड़ते थे,और मैंने सुना था की उसके नाम से ही लोगो की फटती है,शायद कोई कारण उसके पास्ट में छिपा था ,खैर…

उसकी इकलौती बेटी यानी रश्मि मेरी बेस्ट फ्रेंड भी थी और गर्ल फ्रेंड भी ,जो आज मेरे सामने खड़ी थी और मैं उसे अजीब निगगहो से देख रहा था ……..

“ऐसे क्या देख रहे हो ,आजकल तो मुझसे ढंग से बात भी नही करते क्या हो गया है तुम्हे ,मुझसे ज्यादा तो तुम उस काजल मेडम से चिपके रहते हो “

उसका गुस्सा जायज था लेकिन उस बेचारी को क्या बताऊ की मेरे जीवन में क्या चल रहा है ,ऐसे वो ही एक थी जिसपर मैं आंखे बंद करके विस्वास कर सकता था ,उसने जीवन में कभी मुझे अकेला होने नही दिया ,जब मैं चूतिया था तब भी मुझे जी जान से प्यार किया और अब जब मैं फिर से चूतिया बनाया जा रहा हु मुझे उसके प्यार और सहारे की जरूरत महसूस हुई…..

वो मुझे बचपन से जानती थी और मेरे रग रग से वाकिफ भी थी मेरे चहरे को देखकर ही उसे समझ आ गया था की मैं किसी बहुत ही बड़ी मुश्किल से गुजर रहा हु,वो शांत होकर मेरे बाजू में आ बैठी …

“क्या हुआ राज,तू इतने परेशान क्यो हो “

उसने अपना हाथ मेरे हाथो में रख दिया …

“तुम्हे क्या बताऊ रश्मि सोचा था की ताकत मिल जाएगा,आत्मविस्वास आ जाएगा,तो सब कुछ ठीक हो जाएगा लेकिन लगता है की आपके पास जितनी ताकत होती है भगवान भी उसी हिसाब से मुशीबत भी भेजता है,कल को मुझे कोई मतलब नही था की मुझे कोई क्या कहता है ,मुझे तुम प्यार के दो लब्ज जो बोल देती थी दिल खुस हो जाता था ,जंगल से आने के बाद मैं दुनिया दारी में इन्वाल्व होने लगा और देखो इसी दुनियादारी ने मुझे कहा लाकर पटक दिया,पहले मेरे परिवार वाले मुझे कुछ नही समझते थे मुझे ऐसा लगता है ,मैं सोचता था की काश परिवार के लोग बाहर के लोग मुझे इज्जत दे ,जब वो मिलने लगा तो जिम्मेदारी भी आ गई …….”

उसने मेरे बालो को बड़े ही प्यार से सहलाया …

“बताओ तो की क्या हुआ “

मैंने आसपास देखा हम स्टेडियम के बाहर बैठे थे ..

“यंहा नही चलो कही चलते है जन्हा हमे कोई डिस्टर्ब ना करे ..”

वो थोड़े देर सोचने लगी ..

“चलो फिर घर चलते है “

“नही वंहा निशा होगी वो हमे अकेले नही रहने देगी ,क्या तुम्हारे घर जा सकते है ??”

मेरी बात सुनकर वो बेहद ही खुश हो गई

“हा बिल्कुल ,जीवन में पहली बार तुम मेरे घर जाओगे …”

उसने उछल कर कहा ……

“हा अब ससुराल कभी ना कभी तो जाना ही पड़ेगा ना..”

“क्या कहा ..”

“कुछ नही चलो “

वो मेरी बात सुन चुकी थी वो हल्के हल्के मुस्कुरा रही थी ,अभी तक मैंने उसे प्रपोज नही किया था लेकिन साला इसकी जरूरत भी तो नही थी,हम दोनो को पता था …

रश्मि का घर घर नही, बंगला भी नही ,बल्कि कोई किले जैसे था ,एक बड़ा सा महल था और इतने पहरेदार की मुझे लगा मैं किसी राजा महाराजा के महल में आ गया…..

“यार तुम्हारे पापा कोई राजा है क्या ऐसे ल लग रहा है जैसे किसी राजा के महल में आ गया हु “

उसने मुझे अजीब निगहो से देखा ..

“क्या तुम्हे सच में नही पता …”

उसकी बात से मैं चौक गया ..

“क्या ???क्या नही पता ..”

वो मुस्कुराई ..

“चलो दिखाती हु “

वो सच में महल ही था,कमरों में बड़े बड़े राजाओ के पोस्टर लगे थे वही बड़ी बड़ी तलवारे और ढाल लटकी थी ..

“ये हमारे पूर्वज है “

मैंने नीचे नाम पढा …

“इसकी माँ की इनका नाम तो मैंने हिस्ट्री में पड़ा था,तुम राजा प्रताप सिंह महाराज की पोती हो ??”

वो जोरो से हंसी

“नही परपोती “

वो दूसरे तस्वीर की तरफ इशारा करने लगी

“ये मेरे दादा है महाराज कुँवर सिंह ……”

मैं पूरी तरह से चौक गया था क्योकि मुझे पता था की रश्मि अमीर परिवार से है लेकिन इतने बड़े खानदान से होगी इसका अंदाज भी मुझे नही था,इनके पूर्वजो की तो मैं कहानिया सुना करता था …

वही रश्मि में मुझे कभी राजाओ वाला एटीट्यूड भी नही दिखा,एक सिंपल सी स्कूटी में वो स्कूल जाया करती थी ,मेरे जैसा चोदू उसके बचपन का दोस्त था ,या उसके तेवर कुछ शाही जरूर थे लेकिन उम्मीद नही थी की वो रॉयल खानदान से होगी ……

“मुझे कभी लगा नही की तुम रॉयल परिवार से होगी “

वो बस मुस्कुराई ..

“पूरी जयजाद तो सरकार ने ले ली ,पेंशन मिलता था वो भी खत्म ,जो बचा था वो बटवारे के भेट चढ़ गया,और फिर शाही लोगो की शाही बाते,इतने नॉकर चाकर सब की आदत सी हो गई है इन्हें ,इतने बड़े महल को भी तो मेंटेन करना होता है ,देखा जाए तो सब कुछ सम्हलना बहुत ही मुश्किल हो जाता है,मेरे परिवार के अधिकतर लोगो के लिए ये सब दिखावा ही है जिसे हम ढो रहे है ,वो अपने हिस्से का सब बेच कर विदेश में जा बसे,मेरे दादा जी का परिवार ही यंहा बच गया ,और मेरे पापा में वही शाही खून है जिसकी मर्यादा बचाने के लिए वो आज भी संघर्षरत रहते है ,ये सब पहरेदार उसी का नतीजा है ,चलो तुम्हे पिता जी से मिलाती हु ,राजा भैरव सिंह …”

वो थोड़ा मुस्कुराई जिसमे थोड़ी उदासी भी शामिल थी ,रॉयल परिवार के होते है उन बेचारो को ही पता है की वो शान जिनसे उनके पूर्वज रहते है वो कभी वापस नही आ पायेगा ,लेकिन जो बच गया है उसे भी सम्हालना बेहद ही मुश्किल काम है,क्योकि आय का कोई स्रोत नही बचा,बहुत कम शाही परिवार ही है जो आज भी उसी ठाठ से रह रहे है और वो अलग अलग बिजनेस के भरोसे ऐसा कर पा रहे है ,उनमे ही एक इनके पिता भी थे,

बड़ी सी गैलरी से चलते हुए हम पीछे की तरफ पहुचे वंहा एक बड़ा बगीचा था,मैं ये सब ऐसे देख रहा था जैसे राजा महाराजाओ की कहानियों में पहुच गया हु ….

बगीचे में कई मुस्टंडे वर्जिश कर रहे थे,बिल्कुल देशी अखाड़ा स्टाइल में ,वही एक बड़े सिहासननुमा कुर्सी में एक रोबदार इंसान अपने मुछो में ताव देता हुआ बैठा था,रश्मि ने उनकी ओर ही इशारा किया ..

“पिता जी ..”उसने हल्के से कहा ..

,मैं समझ गया था की यही उसके पिता जी है ,सच में किसी राजा से कम नही थे,वो अभी लंगोट में बैठे थे ,एक पहलवान उनके शरीर की मालिस कर रहा था सामने अखाड़े में कुश्ती चल रही थी ,और वो मूंछो में ताव देते हुए बैठे थे …

“पिता जी ये मेरा दोस्त है राज “

“नमस्ते अंकल “

उन्होंने हमे घूर कर देखा ,सच में क्या आंखे थी ,अगर जंगल से आने से पहले मैं इनसे मिलता तो शायद इनकी आंखे देखकर ही मूत देता…

“भइया ये ही वो लड़का है …”

पास ही खड़ा एक आदमी बोल उठा शायद यही रश्मि के चाचा थे,एक पहलवान की तरह बदन वाले और बड़ी बड़ी मूंछो वाले ..

“ओह तो तुम हो हमारी राजकुमारी के खास दोस्त,चंदानी के बेटे …”

मैं कुछ कहता इससे पहले ही रश्मि बोल पड़ी ..

“पिता जी आप भी ना ..”

वो हल्के से हंसा …

“अरे भई अब खास दोस्त ही तो कहूंगा इसे ,जिसके कारण हमारी राजकुमारी स्कूटी से स्कूल जाया करती है ताकि इसे पीछे बिठा कर घुमा सके ,क्यो..और जिसके कारण हमारी फूल सी बेटी अब कराटे सीखने जाया करती है ..”

उनकी बात से मेरी संट हो गई क्योकि इस आदमी को तो सब पता था ,मैं बस मुस्कुराया ..

“अरे बेटे हमे सब पता है ,इसकी स्कूटी के पीछे दो मर्सडीज कार चलती है शायद तुमने कभी देखा नही होगा,ऐसे चंदानी है चूतिया साले ने सभी बेटियों के लिए कार खरीद कर दिया लेकिन उसका इकलौता बेटा पैदल स्कूल जाता है ..”

यानी इन्हें सब कुछ पता था ,लेकिन उससे भी ज्यादा बड़ी बात ये थी की रश्मि मुझे सच में बहुत चाहती थी ,और ना जाने कब से ...मुझे वो दिन याद आये जब मैं उदास होता था और वो मुझे लिफ्ट देती थी तो उसके पीछे बैठने भर से मेरी सारी तकलीफे दूर हो जाती थी ,सच में मैं बहुत ही लक्की आदमी था जो मुझे ऐसी दोस्त मिली थी ……

“राजा साहब ये कराटे वराटे कुछ नही होता सब साला विदेशियों के चोचले है ,असली मजा तो कुश्ती में है, इमने कोई दम नही होता “

वंहा खड़ा एक आदमी बोला,सच में वो कोई दानव सा दिख रहा था ….

“अच्छा ऐसा है तो फिर जाओ दिखाओ की तुमने आजतक क्या सीखा ,हम भी देखे की हमारी बेटी के खास दोस्त में कितना दम है “

उसने रश्मि की ओर देखा और मुस्कुरा दिया,अखाड़े में सभी मुझे ही घूर रहे थे,मैं समझ गया था की ये सीधे सीधे मुझे उस दानव के आगे परोस रहे है ……

मैंने रश्मि की ओर देखा …

“नाक मत कटाना “

वो मस्कुराते हुए बोली ,वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी ,वो भी मेरे मजे ले रही थी ,मुझे देखकर सभी के चहरे में मुसकान आ गई थी ऐसे लग रहा था जैसे ये मुझे बलि का बकरा समझ रहे थे और इन्हें उम्मीद थी की आज मैं इनका पूरा इंटरटेनमेंट करूँगा ….

“क्यो बरखुरदार क्या हुआ “

उसके पिता ने फिर से कहा ,मैंने तावीज निकाली हल्के से उसे चाटा और अपनी टीशर्ट उतार कर अखाड़े में चला गया,वंहा की मिट्टी को अपने माथे में लगा लिया और जांघो में एक ताल मार दी ,असल में ये सब मैंने फिल्मो में देखा था ……

“भइया ट्रेलर तो अच्छा लग रहा है ,अब फ़िल्म शुरू करे “

रश्मि के चाचा ने कहा ,और राजा साहब की आज्ञा मिल गई ….

लकड़ी को चाटने के बाद से मेरे नशो में खून का प्रवाह बढ़ गया था ,दिमाग एकदम शून्य हो गया था जैसे सब कुछ एकदम ही धीरे हो गया हो,जब जब मैं अपने को एकाग्र करने की कोशिस करता मैं बहुत ही एकाग्र हो जाता था,मेरे सामने एक हट्टा कट्टा मुस्टंडा खड़ा था वो भी लंगोट में ,उसने अपनी पोजिशन ले ली ,अब साला मुझे कौन सा कुश्ती आती थी ,वो मुझपर झपटा लेकिन मैंने उसके शरीर को ध्यान से देखा मुझे वो सब स्पॉट नजर आ गए जिस पर मैं अपने मार्शल आर्ट के टेक्निक से वार कर सकता था ,बाकी सब मेरी प्रेक्टिस से हो गया,पहला किक उसके पैरो के पास उसका घुटना थोड़ा मुड़ा वो थोडा लड़खड़ाया ,दूसरा वार उंगलियों से सीधे पसलियों पर,एक चीख निकली और तीसरा पंच मुक्के से माथे के साइड में खून दिमाग में जाने से थोड़े देर के लिए रुक गया ,छोटी सी इंजुरी और वो वही धड़ाम…….

ये सब सिर्फ कुछ 5 सेकंड में ही हो गया और मैं फिर से नार्मल स्टेज में आ चुका था …..

“इसकी माँ का ..”

सभी लोग भौचक्के से उस गिरे हुए पहलवान को ही देख रहे थे ,ऐसे ये कोई मार्शल आर्ट का कमाल नही था,क्योकि पहलवान को गिराना कोई बच्चे का काम नही था लेकिन ये कमाल था मेरी उस लकड़ी का और उससे उत्पन्न एकाग्रता का और मेरी थोड़ी सी प्रेक्टिस का …….

मैं रश्मि की ओर देखा वो भी मुह फाड़े ये सब देख रही थी …

“वाओ “उसके मुह से बस यही निकला

भैरव सिंह कभी मुझे देखते तो कभी उस पहलवान को …

उन्होंने फिर से एक दूसरे पहलवान की ओर इशारा किया ,शायद वो और भी बड़ा पहलवान हो ..

वो अखाड़े में आ चुका था ,पहले वाले से दूसरी पोजिशन ले ली ..

वो फिर मुझपर झपटा …

और मेरा दिमाग फिर से शून्य …..

वो मुझे ऊपर से पकड़ना चाहता था इसलिए मैं घटने के बल बैठ कर उसकी ओर घिसटा ..अपने शरीर को झुकाया और उसके पैरो के बीच से निकल गया ,लेकिन इस दौरान एक पंच उसके जांघो के एक स्पेशल नश पर मार दी जिससे उसका पैर थोड़ी देर के लिए लकवाग्रस्त हो गया,वो लड़खड़ाता हुआ जमीन पर गिरा ,लेकिन उसके गिरने से पहले ही मैं खड़ा होकर पीछे से उसके मेरुदंड (स्पाइनल कार्ड) में अपनी उंगलियों से एक वार कर दिया जो की एक नर्व पर किया वार था जिससे उसके कमर से नीचे का शरीर थोड़ी देर के लिए पैरालाइज हो गया था ,

वो वही गिर गया …

ये सब भी कुछ 5 सेकंड से कम के वक्त में हो गया …

सभी फिर से मुह फाडे ये देख रहे थे ……

“वाह बेटा तुम तो कमाल के फाइटर हो यार ,हमारे बड़े बड़े पहलवानो को एक ही वॉर में चीत कर दिया “इस बार रश्मि का चाचा भीष्म बोल उठा……

वही भैरव सिंह उठा और मेरे पास आया,उसने मेरे पीठ पर शाबासी दी ,वो इतना भारी था की मेरा पूरा शरीर ही हिल गया …

“शाबास बेटे...हमे खुशी है की तुम हमारी बेटी के दोस्त हो “

उनकी बात सुनकर रश्मि भी खुस हो गई ,और आंखों ही आंखों में इशारा किया जैसे कह रही हो ‘क्या बात है ‘

उसके घर वालो ने मेरी बहुत खातिरदारी की ,जितना मैंने भैरव सिंह के बारे में सुना था वो असल में उतना भी खतरनाक आदमी नही था खासकर अपने परिवार के साथ,वो रश्मि को बेहद प्यार करता था,रश्मि पूरे घर की चहेती थी ,अपने पिता की एक ही औलाद भी थी ,वही भीष्म का एक बेटा था जो की छोटा था,हमने साथ ही नाश्ता किया,उसकी चाची और माँ ने जबरदस्ती मुझे नाश्ता खिलाया,और साथ ही मेरे परिवार को लेकर भी बाते हुई ,रश्मि की माँ और चाची मेरी माँ के अच्छे दोस्त थे ..

ये सब हो रहा था और डाइनिंग टेबल में मेरे सामने बैठी रश्मि मुझे मस्कुराते हुए देख रही थी …

मुझे ऐसा लगा जैसे जमाई पहली बार ससुराल आया हो……


इन सबके बाद रश्मि मुझे अपने कमरे में ले गई …

आखिर वो राजकुमारी थी तो कमरा भी वैसा ही था,बेहद ही आलीशान …….

“तो मेरे घर वाले कैसे लगे “

उसने आते ही कहा ,हम उसके कमरे में रखे एक सोफे पर बैठ गए थे ….

“यार पहली बार पता चला की लोग बार बार ससुराल क्यो जाते है ,जब इतनी खातिरदारी हो तो क्यो ना जाए “

वो मुझे मुस्करा कर देखने लगी ..

“अच्छा ऐसी बात है,गधे कहि के “

उसने एक पिलो मेरी ओर फेका और हल्के हल्के मुस्कुराने लगी …

“ऐसे तुमने अपने घर वालो को मेरे बारे में बताया क्या है ..??”

“कुछ भी नही ,मैं जन्हा भी जाती हु हमारे गार्ड मेरे साथ होते है ,ये बात मुझे भी पता होती है लेकिन मैंने तुम्हे कभी नही बताया था ,तो तुम्हारे बारे में चाचा और पापा को पहले से पता था, मैं सबकी लाडली हु तो वो मुझे कभी दुखी नही करते,मैंने उन्हें साफ कहा था की तुम मेरे सबसे अच्छे दोस्त हो ,...”

“सिर्फ दोस्त हु …….”

मैंने रश्मि की आंखों में देखा ,वो भी मुझे ही देख रही थी शमा थोड़ा सुहाना हो चुका था ……

“तो और क्या हो ..??”

रश्मि ने हल्के से कहा,मैं उसके पास सरक गया …

“तुम नही जानती ..??”

अब हमारी सांसे भी एक दूजे से टकरा रही थी …

“तुमने कभी कहा ही नही “

उसने फिर से धीरे से कहा ,उसके होठ फड़फड़ा रहे थे वही उसके दिल की धड़कने इतनी तेज थी की उसकी आवाज मेरे कानो तक भी पहुच रही थी ,मैं अपने होठो को हल्के से उसके होठो के करीब लाने लगा लेकिन उसने अपना चहरा मोड़ लिया ,और मुझे धक्का दे दिया …….

“जुबान से कहने की हिम्मत नही है क्या ...मैं सुनने को बेताब हो गई हु और तुम कुछ कहते ही नही हो ..”

उसने गुस्से से मुझे कहा हालांकि उसका गुस्सा बेहद ही कमजोर था ..

मैंने उसके हाथो को अपने हाथो में थाम लिया..

“अब भी कहने की कोई जरूरत है ??”

“हा है..”

“क्या कहु ..???”

उसनें मुझे गुस्से से देखा

“भाड़ में जाओ “

वो उठ खड़ी हुई और मुझसे दूर जाने लगी ,मैंने तुरंत ही वंहा रखे एक पिलो को उठा लिया और अपने घुटनो के बल प्रपोज करने वाले स्टाइल में बैठ गया …

“रश्मि मेरी जान ...मेरे दिल की धड़कन...जब जब दुनिया ने मुझे ठुकराया तुमने मुझे सहारा दिया,जब जब दिल में उदासी छाई तुमने मुझे खुशी दी ,मैं तुम्हारा धन्यवाद कैसे करू क्योकि उसके लिए मेरे पास कोई शब्द ही नही है,तुमने मुझे जो प्यार दिया है उसके बयान के लिए कोई शब्द पर्याप्त भी नही है …….आई लव यु मेरी जान….लेकिन याद रखना ये सिर्फ 3 ही शब्द है और मेरा प्यारे को बताने के लिए बिल्कुल ही नाकाफी भी …मैं इससे कही ज्यादा तुमसे प्यार करता हु ,इतना की मैं कह भी नही सकता जता भी नही सकता ,दिखा भी नही सकता …….फिर भी मैं कहता हु आई लव यू रश्मि …”

रश्मि मेरे सामने ही खड़ी थी ,उसकी आंखों में आंसू थे ,उसने वो पिलो पकड़ा और मुझे जोरो से मारने लगी ,और सीधे मेरे गले से लग गई ……

“कान तरस गए थे मेरे ये सुनने के लिए लेकिन तुम्हे तो मेरी कोई फिक्र ही नही है आई लव यू ,आई लव यू माय लव ..“

वो मेरे गालो को बेतहासा चूमने लगी और फिर से मुझे जकड़ लिया

,मैं उसके बालो को सहला रहा था ,

“दीदी आप रो क्यो रही हो इसने आपको कुछ कहा क्या ..”

एक भोली सी आवाज सुनकर हम अलग हुए ये भीष्म का बेटा और रश्मि का चहेरा भाई था ..

उसे देखकर हमारे चहरे में मुस्कान आ गई ,और रश्मि ने उसे अपने गोद में उठा लिया …

“नही बाबु ,ये हमारे बड़े अच्छे दोस्त है हल्लो करो ..”

“हैल्लो हम राजकुमार कुँवर सिंह है और आप ..”

उस बच्चे इन मेरी ओर हाथ बढ़ाया …

“बेटा हम आपकी दीदी के दोस्त है राज ..”

“आप राजकुमार नही हो …??”

“नही बेटे हम राजा है राजा राज चंदानी …”

“ये कैसा नाम हुआ ?”बच्चे ने भोली सी आवाज में कहा

मेरी बात को सुनकर रश्मि हँसने लगी ..

“रहने दो तुम्हारे नाम में ये राजा वाजा फिट नही होता ,बाबू चलो जाओ हमे अपने दोस्त के साथ पढाई करनी है “

“ओके दीदी एक पु दो ना “

मैं अचरज से देख रहा था की ये क्या पु है ,लेकिन रश्मि ने उसके गालो में एक जोर की पप्पी दी ,उसने भी रश्मि को एक पप्पी दी तब समझ आया की ये पु क्या है…..

वो वंहा से भागता हुआ बाहर चला गया …

“पापा इसे बहुत प्यार करते है ,इन्हें अपने पिता का नाम दिया है “

मैं रश्मि को ही घूर रहा था …

“क्या हुआ ..”उसने आंखे बड़ी करके कहा

“मुझे भी एक पु दो ना “

वो खिलखिलाई और मेरे कंधे में जोर का मुक्का मार दिया …


 
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