आदरणीय बड़े भाई,
मेरा दुःख क्या है?? मुझे ही ज्ञात नहीं है, जीवन में
जरूरत की सारी सुविधा है। लेकिन कुछ महीनों से मुझे एक अजीब सी दुविधा होने लगी है। मुझे अंजाना सा डर लगता हैं। बाजार मे किसी को अपनी तरफ देखते हुए देखता हूँ तो ऐसा लगता हैं ये मुझे क्यो देख रहा है? जब भी किसी से कोई वार्ता हो रही तो मुझे चिड़चिड़ाहट होने लगती हैं, जबकि उस वार्ता को शुरू मैने ही किया हो। जब भी fb या इंस्टा पर कोई रील वीडियो या पोस्ट देखता हूँ तो मुझे ख्याल आता है ये पोस्ट मेरे पास कैसे आ गयी। क्या मेरा फोन हैक हो गया है। घर में किसी से बात करू तो उन्हे मेरी बाते पसंद नहीं आती, दुकान पर कोई ग्राहक आता है तो सामान होते हुए उसे मना कर देता हूँ।
मेरे दिमाग में अजब गजब ख्याल आते रहते हैं, बस सोचता रहता हूँ, खूब कोशिश करता हूँ इन फालतू के खायलो से बाहर निकल कर वास्तविक जीवन में आ जाऊ। लेकिन मन में एक कल्पना लोक बन गया है। सभी के साथ होते हुए भी मै उनके साथ नही होता। मेरे कुछ शुभ चिंतक ने नोटिस किया है और उन्होंने मुझे दिनचर्या बदलने को कहा, मैने बदलाव लाने की कोशिश की लेकिन कल्पना लोक से बाहर नही आ पा रहा हूँ।
क्या मुझे मानिसक रोग होने वाला है??
क्या मै पागल हो रहा हूँ??
क्या ये mमोबाइल ज्यादा चलाने की वजह से हो गया है।
कृपा कर उचित सलाह दे