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Incest बालकनी में मां और बेटा (short story)

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Esac

Maa ka diwana
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कुछ देर बाद मेरे सास ससुर उठ गए और मैं उनको नाश्ता सर्व करने लगी की तभी गुड्डू भी हमारे रूम से बाहर आ गया। वो भी नहा कर रेडी हो चुका था लेकिन पता नहीं क्यों उसको देखते ही मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया और मैंने शर्म से अपनी आंखे नीचे कर लि। पता नही मेरे साथ ये क्या हो रहा था।


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गुड्डू ने मुझे देखा और उसके चेहरे पर मुस्कान आ गई लेकिन मेरी हिम्मत ही नहीं हो रही थी की मैं उसे सर उठा कर देख सकू। मैं चुप चाप बिना उसकी और देखे फिर से रसोई में चली गई और मन में सोचने लगी की ये मुझे क्या हो रहा है।

तभी थोड़ी देर बाद गुड्डू वही रसोई में आ गया। मेरे सांसे तेज होने लगी मैं गुड्डू की तरफ नही देख पा रही थी।

गुड्डू - "मम्मी..."

मेरी सांसे और तेज हो गई

"क्या हुआ मम्मी... सब ठीक तो है"


मैं कुछ नही बोली बस वैसे ही उसकी तरफ पीठ करके खड़ी रही। सांसे अभी भी तेज थी।

"मम्मी... आप मुझे नाराज़ हो क्या"

मेरा कोई जवाब न आने पर गुड्डू ने पीछे से ही मेरा हाथ पकड़ लिया।

"मम्मी आपको मेरी कसम... क्या आप कल की वजह से मुझसे नाराज़ हो।"

मैं - "न.न.. नही तो"

गुड्डू - "फिर आप मेरी तरफ क्यों नही देख रही हो आपको मेरी कसम है, बताओ मम्मी वरना आप मेरा मरा...."

मैने जल्दी से मुड़ कर अपनी हथेली से उसका मुंह बंद कर दिया।

"खबरदार अगर फिर से एक कुछ कहा तो, मुझसे बुरा कोई नही होगा"

गुड्डू ने मेरी उसी हथेली को चूम लिया और फिर मेरी बाजू को पकड़ कर कहा

"फिर बताओ मुझसे दूर क्यों भाग रही हो"

मैं शर्मा कर और मुस्कुरा कर अपनी नज़रे नीचे कर लि

"ऐसा कुछ नही है"

गुड्डू ने मेरी मुस्कुराहट देख ली और वो समझ गया की मैं कल रात के कारण बिल्कुल भी नाराज नहीं हूं उसने मेरी कमर में हाथ डाल कर मुझे खुदकी और खीच लिया।

"अच्छा तो बताओ कल की रात कैसी रही"

उसके अचानक मुझे अपनी ओर खींच लेने से मैं थोड़ा घबरा गई, लेकिन उसके सवाल ने मुझे फिर से शर्म से भर दिया। मैंने बिना कुछ कहे उसकी बाहों में ही अपनी नजरें नीचे कर लीं। गुड्डू ने धीरे से मेरी ठोड़ी को अपनी उंगली से ऊपर किया, और मैं किसी नाजुक कली की तरह उसकी उंगली के एक इशारे से उसकी ओर देखने लगी। इतना करीब किसी मां बेटे को नहीं होना चाहिए।


हम दोनों इस वक्त बहुत करीब थे। उसकी आंखों में एक अनकही बात थी, और मेरी धड़कनें तेज हो गईं। उस नजदीकी में, जिसे सिर्फ हमारी निगाहें समझ सकती थीं। उसकी मासूमियत और उस पल की गहराई ने मुझे असमंजस में डाल दिया।

मेरे दिल में एक तूफान सा उठ रहा था, लेकिन गुड्डू की निगाहों में एक अजीब सी शांति थी। उस पल, ऐसा लग रहा था जैसे समय ठहर गया हो। तभी अचानक वो अपने होंठो को मेरी और बढ़ने लगा मैंने भी बिना कुछ कहे सिर्फ अपनी आंखे बंद कर ली और अपने कांपते हुए होंठो को उसकी और कर दिया।



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हम दोनो के होंठ एक दूसरे जुड़ चुके थे उसके होंठों की गर्मी मुझे महसूस हो रही थी और ऐसा लग रहा था जैसे दुनिया में इसे ज्यादा आराम और कही नही है। मैं अपना एक हाथ उसके सर के पीछे ले जाने लगी की तभी मुझे याद आया की घर में मेरे सास ससुर भी है मैं तुरत गुड्डू से अलग हो गई।
 
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Esac

Maa ka diwana
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मेरे इस तरह अलग हो जाने के कारण गुड्डू को कुछ समझ नही आया और उसने हैरानी से मेरी और देखा

"क्या हुआ मम्मी"

मैं - "तेरे दादा दादी घर में ही है"

गुड्डू - "तो क्या हो गया"

मैं - "बुद्धू उनको पता चल गया तो हम दोनो के लिए अच्छा नहीं होगा"

गुड्डू - "कुछ नही होगा मम्मी, मैं हूं ना।"

मैं - "नही मतलब नहीं"

गुड्डू - "मतलब दुनिया के डर से आप मुझे प्यार नही करेगे?"

मैं - "ये कैसी बात कर रहा है गुड्डू। अगर किसी को पता चल गया तो हम कही के नही रहेंगे।"

गुड्डू - "मेरे सवाल का जवाब दो, हां या ना"

मुझे गुड्डू की नासमझी पर थोड़ा गुस्सा आ गया

"हां नही करूंगी"

तभी बाहर से मेरी सास की आवाज़ आई

"बहु.... हम दोनो मालती(मेरी दूर की ननद) के घर जा रहे है आज वहां आशीष की नौकरी लगने की खुशी में पूजा है। आते हुए शाम हो जाएगी, गुड्डू का और घर का ध्यान रखना"

ये सुनते हुए मेने गुड्डू को देखा जो मुझे ही देख रहा था। थोड़ी देर मुझे देखने के बाद वो रसोई से बाहर चला गया और मैं सोचने लगी की कही गुड्डू मुझसे नाराज़ तो नही हो गया। "हे भगवान ये मेने क्या कर दिया, मैं गुड्डू को कैसे नाराज कर सकती हूं।"

ऐसा नहीं था की मेने गुड्डू को पहले नही डांटा था लेकिन आज उसका नाराज होना मेरी जान ले रहा था मेरी आंखो में आंसुओ की बूंदे आने लगी।

तभी थोड़ी देर में गुड्डू फिर से रसोई में आया। मैं उसे देख कर उससे माफी मांगने ही वाली थी की उसने मेरा हाथ पकड़ लिया और मुझे रसोई से बाहर ले जाने लगा। उसकी पकड़ बहुत मजबूत थी मुझे अंदाजा नहीं था की मेरा छोटा सा बेटा अब इतना ताकतवर हो चुका है हालाकि में उसकी ताकत कल रात को ही देख चुकी थी लेकिन ये कुछ अलग ही था। मैं बिना कुछ कहे उसे पीछे पीछे चलने लगी।



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बाहर आ कर मेने देखा की घर में अब कोई नही था मेरे सास ससुर अब जा चुके थे। गुड्डू मेरी कलाई पकड़ कर मुझे सीढ़ियों तक ले जाने लगा वो कुछ नही बोल रहा था और न ही मेरी हिम्मत जो रही थी कुछ कहने की। मैं बस किसी पतंग की तरह उसके पीछे पीछे चलती जा रही थी।
 
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Esac

Maa ka diwana
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गुड्डू मुझे उसी तरह पकड़ कर छत पर ले आया और घर के पीछे की तरफ जहां से सिर्फ एक सुनसान सड़क दिखती थी वहां ले जाकर खड़ा कर दिया। हमारा घर एक अमीर इलाके में था इसीलिए यहां सभी घर बहुत दूर दूर थे और आम तौर पर घरों की छतों पर बहुत कम लोग आते थे साथ ही साथ हम लोगो की छतों की तीन दीवारे 6 फीट से ऊंची थी सिवाए एक दीवार के जो घर के पीछे की सुनसान सड़क की तरफ थी। वो दीवार सिर्फ 3.5 फीट की थी और गुडु ने मुझे वही खड़ा कर दिया था।

मैने वहां खड़े हो कर उस सुनसान सड़क को देखा वहां सिर्फ कुछ कुत्तों के अलावा दूर दूर तक कोई नहीं था। तभी गुड्डू मेरे पीछे आ कर खड़ा हो गया और मेरी कमर को पकड़ कर अपने लन्ड को मेरी साड़ी के ऊपर से मेरी गांड़ पर लगाने लगा।

मैं घबरागयी
"क्या कर रहा है बेटा, अभी सुबह दिन का वक्त है। चारो और उजाला है"

गुड्डू ने कोई जवान नही दिया मैं बस दीवार को पकड़ कर उसके लोड़े की लंबाई को अपनी गांड़ से महसूस करने लगी। पता नही कैसे लेकिन अब गुड्डू को हटाने की हिम्मत मेरे अंदर नही थी।

"मत कर बेटा, इस दिन के उजाले में हमे कोई भी देख सकता है"

तभी गुड्डू ने कहा
"दुनिया के डर से मुझे प्यार नही करोगी?"

ये वही सवाल था जो गुड्डू ने रसोई में पूछा था जिससे वो मुझे नाराज़ हो गया था लेकिन पता नहीं क्यों अब मैने बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया

"करूंगी"

ये सुनते हुए गुड्डू ने एक हाथ मेरे बूब्स पर रख दिया और दूसरे हाथ से मेरी साड़ी और पेटीकोट उठाने लगा। उसने जांघो तक मेरी साड़ी उठा ली थी मैं थोड़ा डर रही थी लेकिन पता नहीं मुझे क्या हुआ मैने गुड्डू को ये कहा

"मान जाइए ना गुड्डू जी... कोई देख लेगा"




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जी हां मेने अपने सगे बेटे गुड्डू को ' गुड्डू जी ' कहा। आज सुबह से ही उसे सिर्फ गुड्डू बोलना मेरे दिल को अच्छा नहीं लग रहा था मुझे लग रहा था जैसे मैं कोई गलती कर रही हूं लेकिन अब मुझे समझ आ गया था की वो गलती क्या थी। मेरा दिल और दिमाग चाहता है की मैं गुड्डू जी से तमीज़ से बात करूं। लेकिन मेरी ये बात सुन कर गुड्डू रूक गया।

गुड्डू - "क्या कहा आपने"

मुझे थोड़ी शर्म महसूस हुई लेकिन मेने बिना हिचक के उसी तरह खड़े हुए फिर से अपनी बात दोहराई।

मैं - " मान जाइए ना गुड्डू जी... हमे दिन में कोई देख सकता है"

ये बोल कर मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया लेकिन अब उससे तू लगा कर बात करने को मेरा मन नहीं मान रहा था।

मेरे मुंह से अपने लिए जी सुन कर गुड्डू के चेहरे पर मुस्कान आ गई लेकिन उसने फिर भी मेरी साड़ी को फिर से ऊपर करना शुरू कर दिया। अब मेरे मुंह से कुछ नही निकल रहा था न ही मैं गुड्डू को हटाने की कोशिश कर रही थी। गुड्डू ने मेरी साड़ी और पेटीकोट को उठा कर मेरी मेरी कमर तक ला दिया और मेरी कमर को छू कर मुझे झुकने का इशारा किया। मैं बिना कुछ कहे बस दिन के उजाले में अपने घर की छत पर दीवार का सहारा लिए घोड़ी बनने लगी।



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Esac

Maa ka diwana
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मेरे झुक जाने के कारण मेरी नंगी और गोरी गांड़ गुड्डू की आंखों के सामने आ गई। उसने कल रात को भी इसे देखा था लेकिन दिन के उजाले में मेरी परफेक्ट आकार की गांड़ को देख कर उसके मुंह से पानी आने लगा। मेरी गान्ड पर अब सिर्फ मेरी पेंटी थी। लेकिन गुड्डू के हाथ मेरी साड़ी को पकड़े हुए थे। उसने मुझसे कहा

"पकड़ो इसे"

और मैंने बिना कुछ कहे किसी गाय की तरह उसका कहां मान कर खुद अपनी साड़ी को जो मेरी गांड़ के ऊपर थी उसे पकड़ लिया ताकि वो फिर से नीचे न गिर जाए।
गुड्डू ने मेरी पैंटी को पकड़ा और नीचे करने लगा मेरी चूत जो पहले से ही गीली थी उसके सामने आने लगी। मेरी चूत का पानी मेरी पेंटी पर लग गया था जिसके कारण मेरी पैंटी मेरी चूत से थोड़ी चिपक गई थी।


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पेंटी के उतरते ही मेने सिसकारी ली।

"सीईईईईई... आह ... गुड्डू जी"

गुड्डू ने मेरी पैंटी उतार दी अब मेरी नंगी चूत दिन के उजाले में उसकी आंखो के सामने थी। मेरी नंगी गांड़ पर हाथ रखते हुए उसने मुझसे कहा।

"अगर मैं अब 'गुड्डू जी' हूं तो आप कौन हुई?"

मैं उसकी बात का मतलब समझ गई मैने बिना झिझके कहा।

"श्रद्धा.... आपकी श्रद्धा"

अपनी एक उंगली मेरी नंगी चूत पर फेरते हुए उसने कहा

"सिर्फ़ अभी के लिए?"

उसकी मर्दाना उंगली का एहसास मेरी नाजुक चूत पर होते जी मेरी फिर से सिसकारी निकल गई


"सीईई नही जी,.... हमेशा के लिए"

गुड्डू ने ये सुनते ही अपनी उंगली मेरी चूत में घुसा दी और दर्द, मज़े और मस्ती में मेरी आंखे ऊपर हो गई और मैने एक जोर की आह भरी।
गुड्डू उसी तरह मेरे ऊपर झुक गया और मुझसे कहा।

"वो देख रही है सामने"

मैने सामने देखा सुनसान सड़क पर सिवाए कुत्तों के कोई नही था। मैने सवालिया नज़रों से गर्दन घुमा कर गुड्डू को देखा। तो उसने कहा।

"उन कुत्तों को देख कैसे उस कुतीया के पीछे भाग रहे है।"

मैने ध्यान से देखा सच में कुछ कुत्ते एक कुतीया के पीछे भाग रहे थे गुड्डू ने अपनी बात पूरी की उसकी एक उंगली अभी भी मेरी चूत में थी।

"वो कुत्ते उस कुतीया को चोदने के लिए उसके पीछे लगे है, जानती है आगे क्या होगा"

मैने सिसकते हुए कहा "आह.£££ क्या होगा"

गुड्डू - "अब उन कुत्तों में से उस कुतीया को अपने लिए कोई एक कुत्ता चुनना होगा जो उन सब कुत्तों में सबसे ताकतवर होगा और जिसमे सबसे ज्यादा दम होगा"

ये बोलते हुए गुड्डू अपनी उंगली मेरी चूत में अंदर बाहर कर रहा था।


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मुझे अब बहुत ज्यादा मज़ा आ रहा था तो मैने खुद ही पूछ लिया।

"फिर क्या होगा... अम्म्म्म गुड्डू जी"

गुड्डू - "फिर वो दमदार कुत्ता उस कुतीया का जिंदगी भर के लिए मालिक बन जाएगा और वो कुतीया अपनी पूरी जिंदगी सिर्फ उसी से चुदवाएगी और सिर्फ उसी के पिल्ले पैदा करेगी"

गुड्डू की ये बाते मुझे मदहोश करती जा रही थी तभी मेने देखा की उस कुतीया ने सच में एक कुत्ते को चुन लिया और वो कुत्ता उस कुतीया को पकड़ कर एक दूसरे कोने में ले गया और सबके सामने उसकी चूत चाटने लगा।



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ये देख कर पता नही क्यों मुझे गुड्डू का मुझे पकड़ कर छत पर लाना याद आने लगा और मैं और भी ज्यादा गर्म होने लगी। तभी गुड्डू ने मेरे कान के बिलकुल पास आकर कहा।
"तू भी वैसी ही एक कुतीया है... बोल है ना?"

मैं मस्ती में सिसकते हुए "हन्नआह"

गुड्डू - "तुझे भी अपने लिए दमदार कुत्ता चाहिए न"

मैं - "हां......"

गुड्डू - "कौन है वो कुत्ता जिसको तूने चुना है?"

मैं बुरी तरह सिसकते हुए "आह्ह्ह्ह्ह.... आप"

गुड्डू - "कौन है तेरा मालिक?"

मैं - "आह्ह्ह आप हो"

गुड्डू ने मेरी चूत में अपनी उंगली की रफ्तार बढ़ा दी और मेरे कान के बिलकुल पास आ कर कहा सांसे भरते हुए कहा

गुड्डू - "मेरी श्रद्धा कुतीया... किसके बच्चे पैदा करेगी?"

मैं इस सवाल का मतलब जानती थी और इसका जवाब भी अब मेरे दिमाग में साफ हो गया था लेकिन ये सवाल सुन कर और गुड्डू की उंगली रफ्तार के कारण मैं बुरी तरह झड़ने लगी और तेज़ तेज़ आन्हें भरते हुए चिल्लाने लगी


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"आहझआह्ह्ह्ह्.....आपके... आपके गुड्डू जी..... ईआईईईईई मैं सिर्फ आपके बच्चे पैदा करूंगी"
 

Esac

Maa ka diwana
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मैं बुरी तरह चिल्लाते हुए झड़ने लगी। मैं अब भूल चुकी थी की मैं कौन हूं और कहां खड़ी हूं अब मुझे गुड्डू की ही चाहत थी। छत पर खुले आम झड़ते हुए मेने अपने मन की बात बता दी थी और गुड्डू भी यही चाहता था। मैने अपनी साड़ी को पकड़े हुए झड़ रही थी और आन्हे भर रही थी।

अब गुड्डू ने अपनी उंगली मेरी चूत से निकाल ली और मैं हांफने लगी मुझे दिन दुनिया का कोई होश नही था। अब गुड्डू बैठा और उसने मेरी गांड़ पर अपना मुंह लगा दिया।

मैं - "क्या... कर रहे हो आप, सीईई वो गंदी जगह है"

गुड्डू -"मेरी श्रद्धा का कोई हिस्सा गंदा नही है"

गुड्डू की इस बात पर मुझे बहुत प्यार आया। गुड्डू ने निचे झुक कर पहले मेरे दोनों चुत्तड़ो को बारी बारी से चूमा और फिर गर्दन झुका कर जीभ निकाल कर मेरी जांघो को चाटने लगा। गुड्डू आज अपनी इक्छा पूरी कर रहा था।



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मैं आराम से चुत्तड़ उचकाए गुड्डू को उसकी इच्छा पूरी करने दे रही थी। गुड्डू ने जांघो और चुत्तड़ो को चाट चाट कर अपनी लार से गीला कर दिया।

गुड्डू, मेरे बदन की खुशबू को अपनी सांसो में भरते हुए मेरी चूत के पानी में गीली हो चुकी मेरी जांघो के ऊपर अपने होठो से चूम रहा था और फिर बुर के रस से भीगी हुई टांगो को चाट लिया। मेरा पूरा बदन सिहर गया और मेरे मुंह से आनंद से सिस्कारिया निकलने लगी और मेने अपनी गांड को और ज्यादा उचका दिया। मैं चुत चटवाने के अहसास में डूबी सिसकारियां लेने लगी और गुड्डू एक भूखे कुत्ते की तरह दोनों हाथो से मेरे चुत्तड़ो को थाम कर ऊपर से निचे तक जीभ से चलाने लगा।


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कुछ ही देर में मेरी पूरी चूत गुड्डू की लार से गीली हो गई। गुड्डू बिलकुल उसी कुत्ते की तरह चुत से चिपका हुआ था।

वैसे भी अब हम में और उस कुत्ते कुतीया के जोड़े में कोई फर्क नही था। हम भी उन सड़क के कुत्तों की तरह दिन के उजाले में सारे आम काम लीला का आनंद ले रहे थे। मैं तो कहूंगी की अब हम उन जानवरो से भी ज्यादा आगे आ गए थे क्युकी मैं और गुड्डू सगे मां और बेटा थे।
 

Gary1511

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मैं बुरी तरह चिल्लाते हुए झड़ने लगी। मैं अब भूल चुकी थी की मैं कौन हूं और कहां खड़ी हूं अब मुझे गुड्डू की ही चाहत थी। छत पर खुले आम झड़ते हुए मेने अपने मन की बात बता दी थी और गुड्डू भी यही चाहता था। मैने अपनी साड़ी को पकड़े हुए झड़ रही थी और आन्हे भर रही थी।

अब गुड्डू ने अपनी उंगली मेरी चूत से निकाल ली और मैं हांफने लगी मुझे दिन दुनिया का कोई होश नही था। अब गुड्डू बैठा और उसने मेरी गांड़ पर अपना मुंह लगा दिया।

मैं - "क्या... कर रहे हो आप, सीईई वो गंदी जगह है"

गुड्डू -"मेरी श्रद्धा का कोई हिस्सा गंदा नही है"

गुड्डू की इस बात पर मुझे बहुत प्यार आया। गुड्डू ने निचे झुक कर पहले मेरे दोनों चुत्तड़ो को बारी बारी से चूमा और फिर गर्दन झुका कर जीभ निकाल कर मेरी जांघो को चाटने लगा। गुड्डू आज अपनी इक्छा पूरी कर रहा था।



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मैं आराम से चुत्तड़ उचकाए गुड्डू को उसकी इच्छा पूरी करने दे रही थी। गुड्डू ने जांघो और चुत्तड़ो को चाट चाट कर अपनी लार से गीला कर दिया।

गुड्डू, मेरे बदन की खुशबू को अपनी सांसो में भरते हुए मेरी चूत के पानी में गीली हो चुकी मेरी जांघो के ऊपर अपने होठो से चूम रहा था और फिर बुर के रस से भीगी हुई टांगो को चाट लिया। मेरा पूरा बदन सिहर गया और मेरे मुंह से आनंद से सिस्कारिया निकलने लगी और मेने अपनी गांड को और ज्यादा उचका दिया। मैं चुत चटवाने के अहसास में डूबी सिसकारियां लेने लगी और गुड्डू एक भूखे कुत्ते की तरह दोनों हाथो से मेरे चुत्तड़ो को थाम कर ऊपर से निचे तक जीभ से चलाने लगा।


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कुछ ही देर में मेरी पूरी चूत गुड्डू की लार से गीली हो गई। गुड्डू बिलकुल उसी कुत्ते की तरह चुत से चिपका हुआ था।

वैसे भी अब हम में और उस कुत्ते कुतीया के जोड़े में कोई फर्क नही था। हम भी उन सड़क के कुत्तों की तरह दिन के उजाले में सारे आम काम लीला का आनंद ले रहे थे। मैं तो कहूंगी की अब हम उन जानवरो से भी ज्यादा आगे आ गए थे क्युकी मैं और गुड्डू सगे मां और बेटा थे।
Too hot mjqa agya
 
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Esac

Maa ka diwana
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गुड्डू मेरी बूर का स्वाद लेने में मगन था की तभी मेरी नजर फिर से उस कुत्ते और कुतीया के जोड़े पर गई लेकिन अब वो कुत्ता उस कुतीया की चूत नही चाट रहा था बल्कि वो उस पर चढ़ चुका था।

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मुझसे भी अब नही रहा जा रहा था। मैने गुड्डू के सर पर हाथ फेरते हुए कहा

"सुनिए जी.... आह्ह्ह् देखिए वो अब क्या कर रहे है"

गुड्डू मेरी बात सुन कर उठा और सड़क की तरफ देखने लगा उसने भी उन जानवरो की लीला देख ली और वो मेरी बात का मतलब समझ गया। गुड्डू ने अपना पजामा खोल दिया और अपने नंगे लन्ड को मेरी नंगी चूत से टच करता हुआ मेरे ऊपर आगे की और झुक गया। मैने अभी भी अपनी साड़ी को पकड़ कर नीचे जाने से रोका हुआ था जिसके कारण अब गुड्डू का नंगा लौड़ा सीधा मेरी नंगी और गीली चूत से टकरा रहा था। मेरे मुंह से फिर से सिसकारी निकल गई।

गुड्डू ने मेरे ऊपर झुकते हुए मेरे कान के पास आकर कहा

"मेरी श्रद्धा कुतीया को क्या चाहिए?"

मुझे शर्म आ रही थी लेकिन मैं अब बहुत ज्यादा गरम हो चुकी थी इसीलिए मै खुद अपनी गांड़ को गुड्डू के लुंड पर रगड़ने लगी।


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लेकिन गुड्डू उसे मेरी चूत में जाने से रोक रहा था। मैने सिसकते हुए कहा

"गुड्डू जी... आह.. वो देखिए ना"

गुड्डू - " देख लिया श्रद्धा लेकिन वहां है क्या?"

मैं - "जी.. जी वो दोनो को देखिए वो क्या कर रहे है"

गुड्डू - "क्या कर रहे है श्रद्धा?"


मुझसे अब सबर करना मुश्किल होता जा रहा था मैने फिर भी अपने आप को संभालते हुए कहा

"जी वो कुत्ता अपनी कुतीया पर चढ़ा हुआ न, आह्ह्ह्ह् आप भी चढ़ जाओ ना मुझ पर गुड्डू जी"

गुड्डू - "चढ़ा हुआ तो हूं श्रद्धा और कैसे चढ़ू?"

मैं समझ गई मेरा कुत्ता भी मुझे उस कुतीया की तरह ही पूरा बेशर्म बनाना चाहता है और अब मेरा बांध टूटने लगा था मैं झिझकते हुए बोलने लगी

"जी.. वो जी वो कुत्ता है न"

गुड्डू - " हां श्रद्धा वो कुत्ता ..."

मैं - "वो.. वो कुत्ता उस कुतीया पर चढ़ कर"

अब गुड्डू मेरी चूत पर अपना लोड़ा फेरने लगा और उसने कहा "हां चढ़ कर क्या कर रहा है"

मैं भी मस्ती में अपनी गांड़ को ऊपर नीचे करने लगी मेरे लिए सांस लेना भी मुश्किल हो रहा था



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"वो उस कुतीया की पुसी में अपना पेनिस डाल रहा है"

गुड्डू - "ये क्या होता है श्रद्धा, हिंदी में बोलो"

तड़प के कारण मेरी टांगे कपने लगी थी मुझसे नही रहा गया और मैने बिना कुछ सोचे समझे बोल दिया

"गुड्डू जी वो कुत्ता उस कुतीया की चूत को अपने लोड़े से चोद रहा है"



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गुड्डू ने अब अपना लोड़ा मेरी चूत के छेद पर लगा दिया असीम आनंद के करण मेरी आंखे बंद होने लगी फिर उसने कहा

"तो तुम क्या चाहती हो श्रद्धा?"



मैं अब पूरी तरह दीवानी हो चुकी थी मैने मस्ती में अन्हे भरते हुए कहा

"आह्ह्ह्ह्ह मैं भी आपकी कुतीया हू , गुड्डू जी। मुझे भी उसी तरह चोदिए ना।"


मैं पागल हो गई थी मेरे बेटे ने मुझे पूरी तरह पागल बना दिया था अब मुझे कोई लाज और शर्म नही थी मैं अब बस उससे चुदाना चाहती थी चाहे कही भी ही कैसे भी हो।

गुड्डू - "श्रद्धा अभी दिन के उजाले में सबके सामने छत पर किसी ने हमे देख लिया तो"

मैं - "आआहन्नन्... देख लेने दीजिए न... गुड्डू जी... बस आप आपकी श्रद्धा कुतीया को चोदिये। इस्सस मुझे बस आपसे चुदना है जान।"
 
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Premkumar65

Don't Miss the Opportunity
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मैं श्रद्धा श्रीवास्तव उम्र 36 दिखने में जवान और खूबसूरत। कोई नही बोल सकता की मेरा एक बेटा भी है। आप लोग खुद देख लीजिए।

images-7
ये खूबसूरती के गुण मुझे मेरी मां से मिले थे पता नही क्यों लेकिन हमारे परिवार की औरतों पर बढ़ती उम्र नही दिखती। हालाकि मैं सिर्फ 36 साल की ही हूं लेकिन आप लोग तो जानते ही है की आम औरतों की उम्र 30 के बाद ही दिखने लग जाती है।

Shraddha-Kapoor1-3
पर मेरी उम्र का पता नही लगता, मैं आज भी किसी कॉलेज की लड़की की तरह ही दिखती हूं और ये खुद मेरे बेटे ने मुझे बताया है🤭
good intro.
 
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