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Fantasy Hayaan - Ek Insaan Ya Shaitaan

Hayaan-Insaan Ya shaitan Story kaisi hai..?


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    177

Hayaan

●Naam to Suna Hi Hoga●
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144
Sonpur ke Nivasi ek bar fir Mana Ganv Jaane ke liye taiyaar hai.

Ab Aage...

Update - 5 (A beautiful Incident)


माणा गांव पहुंचकर सभी सोनपुर वासियों ने अपना-अपना डेरा अपने
मन-मुताबिक जगहों पर
सभी ने मिल-जुलकर प्रेम-भाव से जमा लिया,

क्योंकि ज्यादा जगह घेरना ठीक नहीं था सर्दी के मौसम में.
कबीर और उसके पिता जी ने भी एक अच्छी साफ-सुथरी झोपड़ी में अपना सामान और बिस्तर लगा दिया,
अब काम तो कुछ था नहीं
कबीर ने सोंचा चलो थोड़ा गांव भी देख लिया जाए..
वैसे गांव तो ज्यादा बड़ा था नहीं...
घूमते-घूमते गांव के बाहर निकल आया,
जहां नदी की कल-कल मधुर ध्वनि हो रही थी,
कबीर नदी की तरफ बढ़ गया,

नदी का जल एकदम स्वच्छ-शीतल नजर आ रहा था,

सूरज की लालिमा से नदी की शोभा और बढ़ती जा रही थी,

शाम का वक़्त था आसमान में लालिमा छाई हुई थी
यह एक इशारा था कि सूरज डूबने वाला है,

कबीर ने झुककर पानी को अपनी चुल्लू में लिया मुँह में भर लिया,

ज्यों ही पानी उगलने के लिए दूसरी तरफ को मुँह घुमाया..
पानी मुँह को रह गया था न अंदर जा रहा था न ही बाहर को,
एक बेजान पत्थर की मूरत की तरह एक-टक दाहिनी ओर बस घूरता रह गया....

हाँ एक खूबसूरत कन्या को जो न जाने किन खयालों में खोई हुई पेड़ के नीचे बैठी थी...





15 मीन तक घूरते रहने बाद अचानक हलचल सी हुई और कबीर का ध्यान टूटा,

धीरे-धीरे कदमो के साथ उसी तरफ बढ़ता चला गया,

करीब जाकर देखा तो एक बहुत ही खूबसूरत लड़की जैसे कोई खूबसूरत ख्वाब....
अपने ही खयालों में बैठे मुस्करा रही थी,




कबीर के करीब आने की आहट से उस लड़की का भी ध्यान टूट गया,

धीरे से पलकें उठाकर कबीर की तरफ देखा,
बस क्या दोनों की आंखें मिलने की देर थी
दोनो एक-दूजे की आंखों में खो गए.........


कबीर का ध्यान तब टूटा
जब कोई दूर से चिल्लाया...

अरे क्या हुआ भैया कहाँ खड़े हो इतने अंधेरे में,

कबीर खयालों की दुनिया से हक़ीक़त में आ गया तब जाकर अहसास हुआ कि शाम ढल चुकी है,

बेचैन दिल के साथ इधर-उधर
देखने लगा,
अरे लड़की...वो लड़की
तुमने देखा क्या यहाँ....??

आदमी-क्या हुआ भाई कुछ खो गया क्या..?

कबीर- कुछ नहीं, मैं चलता हूँ, अंधेरा काफी हो गया,

और कबीर गुम-सुम सा वापस आ गया अपनी झोपड़ी पर

लेकिन उसका दिल शायद वहीं नदी किनारे रह गया.....
भोजन करके लेट गया....बेचैन होकर,
कल फिर मिलने की आशा लेकर,....
लेकिन यहाँ नींद किसे आ रही थी....

वहीं दूसरी तरफ......

वो लड़की को जब अहसास हुआ कि शाम ढलने वाली है तो उसने कई - बार कबीर को आवाज दी लेकिन कोई प्रतिक्रिया न होने पर अपने घर को चली आयी,

लेकिन दिल उसका भी रुकने को था लेकिन अंधेरा होने के डर से चली गयी,

जब घर पहुंची तो माँ के वही सवाल-जवाब जवान छोकडी होके दिन भर बाहर रहती,

न खुद का खयाल रहता है ना ही मेरा,
घर में मन नही लगता
देख कहती हूँ सुधर जा वरना तेरा ब्याह कर दूंगी फिर रहना एक कोठरी में दुबक के,

लड़की- अरे माई इतना क्यों परेशान होती है आ तो गयी न, अंधेरा होने से पहले,

देख माई तू न ब्याह की धमकी न दिया कर,
न तेरा कोई है मेरे सिवा और न ही मेरा कोई तेरे सिवा,

इसलिए मैं कहीं नही जाने वाली,
माई जल्दी से खाना लगा भूख लगी है, मुझे सोना भी तो है,

दोनो मां-बेटी खाना खाकर एक ही बिस्तर में लेट गए


लड़की को फिर से उस लड़के के बारे में ख़याल आने लगे
लड़की- अजीब था, कुछ बोला ही नहीं, नाम भी नही बताया...??
पहले तो कभी नही देखा...कौन था..??
कितना प्यारा था..??
धत्त पगली... मुझे क्या..?
फिर भी नाम-पता मालूम हो जाता तो ठीक रहता...

कसके अपनी मां को गले लगा लिया,
बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पर, किसके खयालों में खोई है बेटी मीरा..!!

क्या माई तु भी न हद करती है.... सोने दो मुझे...!!

"Pahle he pal main dil haar gya tha,
Har baar samjhaya tha apne mann ko
Phir bhi har baar usi se pyaar kiya tha,

Khud se jyaada hone lga tha uska
Na jaane dil ne kya zid le rkhi thi,
Jb mujhe vo ek khoobsurat si ladki dikhi thi

Lga aisa ki Bhagwan ne shayad meri prem khaani bhi likhi thi,
Jb mughe vo ek khoobsurat si ladki dikhi thi...!!"

और कबीर सपनों की हसीन-वादियों में सो गया...

Aaj ke liye Bas itna hi,
keep supporting
Thank You so much!!

 
Last edited:

Amir

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J
Sonpur ke Nivasi ek bar fir Mana Ganv Jaane ke liye taiyaar hai.

Ab Aage...

Update - 5 (A beautiful Incident)


माणा गांव पहुंचकर सभी सोनपुर वासियों ने अपना-अपना डेरा अपने
मन-मुताबिक जगहों पर
सभी ने मिल-जुलकर प्रेम-भाव से जमा लिया,

क्योंकि ज्यादा जगह घेरना ठीक नहीं था सर्दी के मौसम में.
कबीर और उसके पिता जी ने भी एक अच्छी साफ-सुथरी झोपड़ी में अपना सामान और बिस्तर लगा दिया,
अब काम तो कुछ था नहीं
कबीर ने सोंचा चलो थोड़ा गांव भी देख लिया जाए..
वैसे गांव तो ज्यादा बड़ा था नहीं...
घूमते-घूमते गांव के बाहर निकल आया,
जहां नदी की कल-कल मधुर ध्वनि हो रही थी,
कबीर नदी की तरफ बढ़ गया,

नदी का जल एकदम स्वच्छ-शीतल नजर आ रहा था,

सूरज की लालिमा से नदी की शोभा और बढ़ती जा रही थी,

शाम का वक़्त था आसमान में लालिमा छाई हुई थी
यह एक इशारा था कि सूरज डूबने वाला है,

कबीर ने झुककर पानी को अपनी चुल्लू में लिया मुँह में भर लिया,

ज्यों ही पानी उगलने के लिए दूसरी तरफ को मुँह घुमाया..
पानी मुँह को रह गया था न अंदर जा रहा था न ही बाहर को,
एक बेजान पत्थर की मूरत की तरह एक-टक दाहिनी ओर बस घूरता रह गया....

हाँ एक खूबसूरत कन्या को जो न जाने किन खयालों में खोई हुई पेड़ के नीचे बैठी थी...





15 मीन तक घूरते रहने बाद अचानक हलचल सी हुई और कबीर का ध्यान टूटा,

धीरे-धीरे कदमो के साथ उसी तरफ बढ़ता चला गया,

करीब जाकर देखा तो एक बहुत ही खूबसूरत लड़की जैसे कोई खूबसूरत ख्वाब....
अपने ही खयालों में बैठे मुस्करा रही थी,




कबीर के करीब आने की आहट से उस लड़की का भी ध्यान टूट गया,

धीरे से पलकें उठाकर कबीर की तरफ देखा,
बस क्या दोनों की आंखें मिलने की देर थी
दोनो एक-दूजे की आंखों में खो गए.........


कबीर का ध्यान तब टूटा
जब कोई दूर से चिल्लाया...

अरे क्या हुआ भैया कहाँ खड़े हो इतने अंधेरे में,

कबीर खयालों की दुनिया से हक़ीक़त में आ गया तब जाकर अहसास हुआ कि शाम ढल चुकी है,

बेचैन दिल के साथ इधर-उधर
देखने लगा,
अरे लड़की...वो लड़की
तुमने देखा क्या यहाँ....??

आदमी-क्या हुआ भाई कुछ खो गया क्या..?

कबीर- कुछ नहीं, मैं चलता हूँ, अंधेरा काफी हो गया,

और कबीर गुम-सुम सा वापस आ गया अपनी झोपड़ी पर

लेकिन उसका दिल शायद वहीं नदी किनारे रह गया.....
भोजन करके लेट गया....बेचैन होकर,
कल फिर मिलने की आशा लेकर,....
लेकिन यहाँ नींद किसे आ रही थी....

वहीं दूसरी तरफ......

वो लड़की को जब अहसास हुआ कि शाम ढलने वाली है तो उसने कई - बार कबीर को आवाज दी लेकिन कोई प्रतिक्रिया न होने पर अपने घर को चली आयी,

लेकिन दिल उसका भी रुकने को था लेकिन अंधेरा होने के डर से चली गयी,

जब घर पहुंची तो माँ के वही सवाल-जवाब जवान छोकडी होके दिन भर बाहर रहती,

न खुद का खयाल रहता है ना ही मेरा,
घर में मन नही लगता
देख कहती हूँ सुधर जा वरना तेरा ब्याह कर दूंगी फिर रहना एक कोठरी में दुबक के,

लड़की- अरे माई इतना क्यों परेशान होती है आ तो गयी न, अंधेरा होने से पहले,

देख माई तू न ब्याह की धमकी न दिया कर,
न तेरा कोई है मेरे सिवा और न ही मेरा कोई तेरे सिवा,

इसलिए मैं कहीं नही जाने वाली,
माई जल्दी से खाना लगा भूख लगी है, मुझे सोना भी तो है,

दोनो मां-बेटी खाना खाकर एक ही बिस्तर में लेट गए


लड़की को फिर से उस लड़के के बारे में ख़याल आने लगे
लड़की- अजीब था, कुछ बोला ही नहीं, नाम भी नही बताया...??
पहले तो कभी नही देखा...कौन था..??
कितना प्यारा था..??
धत्त पगली... मुझे क्या..?
फिर भी नाम-पता मालूम हो जाता तो ठीक रहता...

कसके अपनी मां को गले लगा लिया,
बड़ा प्यार आ रहा है अपनी माँ पर, किसके खयालों में खोई है बेटी मीरा..!!

क्या माई तु भी न हद करती है.... सोने दो मुझे...!!

"Pahle he pal main dil haar gya tha,
Har baar samjhaya tha apne mann ko
Phir bhi har baar usi se pyaar kiya tha,

Khud se jyaada hone lga tha uska
Na jaane dil ne kya zid le rkhi thi,
Jb mujhe vo ek khoobsurat si ladki dikhi thi

Lga aisa ki Bhagwan ne shayad meri prem khaani bhi likhi thi,
Jb mughe vo ek khoobsurat si ladki dikhi thi...!!"

और कबीर सपनों की हसीन-वादियों में सो गया...

Aaj ke liye Bas itna hi,
keep supporting
Thank You so much!!
Jisy Hindi ni ati wo Kiya kry ksy read kry ga
 
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