Gentle - OSuke
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Superb....Update 14
अक्षिता जब अगले दिन नींद से जागी तो सर दर्द के साथ ही, उसका सर भारी था और वो अपनी आंखे मलते हुए पलंग पर उठ बैठी थी,
अक्षिता ने अपनी आंखे खोल कर इधर उधर देखा तो अपने आप को अपने रूम मे ना पाकर वो थोड़ा चौकी और फिर जब उसकी नजर कमरे के दरवाजे पर गई तो उसने देखा के स्वरा दरवाजे पर खादी हाथ बांधे उसे देख रही थी और इस वक्त स्वरा काफी सीरीअस लग रही थी
“स्वरा, मैं तुम्हारे कमरे मे क्यू हु?” अक्षिता ने सर पर हाथ रखते हुए पूछा लेकिन स्वरा कुछ नहीं बोली
“स्वरा बता ना, और तुम ऐसे मुझे घूर क्यू रही हो?” अक्षिता ने वापिस पूछा लेकिन कोई जवाब नहीं आया
“स्वरा”
“तुम्हें होश भी है क्या कर रही हो क्या चाहती हो?” स्वरा ने सीरीअसली कहा वही अक्षिता थोड़ा कन्फ्यूज़ थी
“कुछ याद है कल क्या हुआ? तुमने क्या किया? तुम जानती हो ना तुम्हें ऐसी चीजों से दूर रहना है वरना सही नहीं होगा” स्वरा ने थोड़ा गुस्से मे कहा
“अरे पर मैंने किया क्या है” अक्षिता ने पूछा
“तुम कल रात शराब के नशे मे धुत थी पूरी”
“क्या!!!” अक्षिता थोड़ा चौकी
“हा।“
“लेकिन मैंने तो कल ऐसा कुछ नहीं पिया” अक्षिता ने याद करते हुए कहा
“ओके टी अब मुझे ये बताओ के कल इतना क्या पी लिया था के अपन नशे मे है इसका भी तुमको ध्यान नहीं है”
“मैंने बस थोड़ा कोल्डड्रिंक और पानी पिया था और कुछ नहीं” अक्षिता ने कहा, “ओह शीट, वो शायद कुछ और ही था,” अक्षिता ने याद करते हुए कहा, वो सब याद करने की कोशिश कर रही थी
“वो जो भी हो अक्षु तुम जानती हो न ये तुम्हारे किए कितना खतरनाक हो सकता है, तुम्हें कुछ भी हो सकता था” स्वरा ने धीमे से कहा
“सॉरी यार पर मैंने जान बुझ कर नहीं किया है कुछ”
“जाने दो जो हुआ, अब तुम आराम करो, मैंने आंटी को बता ददिया है तुम यहा हो और मैं अब ऑफिस के लिए निकल रही हु” स्वरा ने कहा
“ओह शीट! ऑफिस के बारे मे तो मैं भूल ही गई थी” अक्षिता ने पलंग से उतरते हुए कहा
“अरे आराम से आज वैसे भी छुट्टी है तुम्हारी सो डोन्ट वरी” स्वरा ने अपना हैन्ड्बैग लेते हुए कहा
“छुट्टी?”
“एकांश की मेहरबानी है तुमपे, उसने की दी है”
“क्यू?”
“क्युकी अक्षु डिअर हमारा बॉस जानता था के तुमको हैंगओवर होने वाला है बस इसीलिए”
“लेकिन उसको कैसे पता चला के मैंने पी रखी थी?”
“उसे कैसे पता नहीं चलता वही तो तुम्हें यहा छोड़ कर गया है,” स्वरा ने कहा
“क्या??”
“तुम्हें सही मे कुछ याद नहीं क्या?” स्वरा ने हसते हुए कहा
“बस इतना बता मैंने कुछ उलटी सीधी हरकत तो नहीं की ना?”
“अक्षु बेबी आज छुट्टी है ना तो दिमाग पे जोर दलों सब याद आ जाएगा मुझे लेट मत कराओ” स्वरा ने जाते हुए कहा
“हा हा ठीक है, वैसे ही जो भी किया होगा तुम्हारे और रोहन के सामने ही किया होगा” अक्षिता ने वापिस दिमाग पे जोर डाला
“ना, वहा सब से खास कर अपने बॉस और उसका दोस्त” स्वरा मे मुसकुराते हुए कहा और अक्षिता ने अपने सर पे हाथ मार लिया
“मैंने क्या किया?”
“कुछ नहीं शाम हो बताऊँगी अभी लेट हो जाएगा मुझे”
“अच्छा इतना तो बता दे जब रोहन हमारे साथ था तो एकांश ने मुझे यहा क्यू छोड़ा? अक्षिता ने याद करते हुए कहा क्युकी वो और स्वरा रोहन के साथ उसकी कार मे गए थे
अब स्वरा रुकी
“रोहन तो हमे छोड़ देता लेकिन तुम एकांश को छोड़ ही नहीं रही थी, उसे अपने से दूर ही नहीं जाने दे रही थी एकदम चिपकी हुई थी उससे, वैसे अक्षु एक बात बता तू एकांश सर को अंश कहकर क्यू बुला रही थी?”
स्वरा का सवाल सुन कर अक्षिता थोड़ा चौकी, उसे ध्यान मे आ गया था के उससे नशे मे गलती तो हुई है,
“अब लेट नहीं हो रहा था तुझे?”
“अरे वो देखा जाएगा तुम पहले ये बताओ तुम एकांश को अंश कह कर क्यू बुला रही थी लग रहा था तुम जानती हो उसे”
“ऐसा कुछ नहीं है मैं.... मैं नशे मे थी ना तो बस अब जाओ तुम” अक्षिता ने जैसे तैसे बात टाली
“अच्छा ठीक है मैं ऑफिस के लिए निकल रही हु, ये दवाई लो तुम्हें ठीक लगेगा, किचन मे नाश्ता और नींबुपानी बना के रखा है ले लेना आउए आराम करना” स्वरा ने अक्षिता को दवाई पकड़ाते हुए कहा अक्षिता ने भी दवाई ले ली और स्वरा को बाय करके कल रात के बारे मे सोचने लगी,
कुछ समय बाद जब अक्षिता का सर दर्द कम हुआ तो दिमाग पे थोड़ा जोर डालने के बाद अक्षिता को कल रात का पूरा सीन याद आ गया था, उसे याद आ गया था के वो कैसे एकांश की गॉड मे उसकी बाहों मे थी, उससे चिपकी हुई थी, और इस वक्त अक्षिता के दिमाग मे कई सवाल चल रहे
‘ये क्या कर दिया मैंने’
‘पता नहीं एकांश क्या सोच रहा होगा’
‘इतने लोगों मे मुझे उससे ही भिड़ना था क्या’
‘और मुझे शराब का पता कैसे नहीं चला यार’
‘नहीं ये मैं नहीं होने दे सकती मैं अपने ही डिसिशन के खिलाफ हो रही हु ऐसे तो उससे दूर जाने के मेरे फैसले पर असर पड़ेगा’
‘मैं ये नहीं होने दे सकती’
‘मेरा उससे दूर रहना ही बेहतर होगा’
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दूसरी तरफ एकांश इस वक्त अपने ऑफिस मे था और वो थोड़ा डिस्टर्ब लग रहा था, उसके दिमाग मे कल रात की घटनाए चल रही थी के कैसे अक्षिता उसे उससे दूर नहीं होने दे रही थी, उसे कल नशे मे धुत अक्षिता का बिहैव्यर थोड़ा अलग लगा था
एकांश ने अक्षिता के आंखो में डर इनसिक्योरिटी महसूस की थी, ऐसा लग रहा था कुछ कहना था उसे लेकिन वो अपने आप को रोक रही थी, स्वरा भी एकांश से कुछ कहना चाहती थी लेकिन कह नही पाई थी और यही सब बाते इस वक्त एकांश के दिमाग में घूम रही थी और एकांश के इन खयालों को रोका उसके दरवाजे पर हुए नॉक ने
"कम इन"
दरवाजा खुला और एकांश ने उस ओर देखा तो वहा अमर खड़ा था जो अपने हमेशा वाले मजाकिया अंदाज में नही लग रहा था
"एकांश मुझे तुमसे कुछ जरूरी बात करनी है" अमर ने सीरियस टोन में कहा और उसे ऐसे गंभीर देख एकांश को भी कुछ अलग लगा
"आजा बैठ, मुझे भी तुझसे कुछ बात करनी है" एकांश ने अपना लैपटॉप और फाइल्स बंद करते हुए कहा
"पहले मुझे ये बता तू अक्षिता को स्टॉक क्यों कर रहा था?" इससे पहले के अमर कुछ बोलता एकांश ने सवाल दाग दिया
"मैं भी इसी बारे में बात करने आया हु और तुझे इस बारे में कैसे पता चला" अमर बोला
"मतलब सच है ये, हैना?"
"मैं उसे कोई स्टॉक नही कर रहा था बस कुछ जगह पीछा किया था उसका"
"वही तो जानना है मुझे क्यों किया था?"
"उसकी जिंदगी के बारे में जानने के लिए" अमर ने आराम से कहा
"और तू उसके बारे में क्यों जानना चाहता है?" एकांश को हल्का हल्का गुस्सा आ रहा था
"मुझे लगता है वो कुछ छुपा रही है जो हमे नही पता जो तुझे जुड़ा है बस इसीलिए"
"मतलब?" एकांश थोड़ा अब कंफ्यूज था
"मैं जो पुछु बस तू उसका जवाब दे, मुझे बता तुम दोनो अलग क्यों हुए थे" अमर ने पूछा
"तू सब जानता है अमर" एकांश ने मुट्ठियां भींचते हुए कहा
"तू बता यार"
"वो प्यार नही करती मुझसे इसीलिए"
"और ये किसने कहा"
"तू नशा करके आया है क्या, उसने खुद ने और कौन बोलेगा"
"ये कब बोला उसका और क्यों बोला?"
"जब मैने उसे बताया के मैंने हमारे बारे में घर पर बता दिया है और मेरी मां उससे मिलना चाहती है तब उसने कहा था के वो कोई कमिटमेंट नही चाहती है, सेटल होना नही चाहती है और जब मैने उससे कहा के हम प्यार करते है एकदूसरे से तब इसमें प्रॉब्लम क्या है रिश्ते को आगे लेजाने में क्या दिक्कत है तब उसने कहा के वो मुझसे प्यार नही करती उसे बस मेरा अटेंशन मेरा पैसा प्यारा था मैं नही" एकांश ने पूरी कहानी के सुनाई वही अमर अपने ही खयालों में था
"फिर क्या हुआ?" अमर ने आराम से पूछा
"फिर क्या होना I argued के वो झूठ बोल रही है हमारा रिश्ता कैसा था वगैरा लेकिन वो नहीं मानी, मैंने उससे कहा के मेरी आंखों में देख के कहे के वो मुझसे प्यार नही करती और उसने वो कह दिया, बगैर किसी इमोशन के सीधा मेरी आंखों में देखते हुए" एकांश ने अपनी भावनाओं पे कंट्रोल करते हुए कहा
"फिर तूने क्या किया?"
"करना क्या था मैं एक लड़की के सामने अपने आपको एक लड़की के सामने कमजोर दिखाना नही चाहता था मैं वहा से और उसकी जिंदगी से निकल गया"
"उस इंसीडेंट के बाद कभी अक्षिता ने या तूने एकदूसरे से कॉन्टैक्ट करने को कोशिश की?"
"नही, वो मानो मेरी जिंदगी से गायब सी हो गई थी और उसके बाद मैंने उसे यही इसी ऑफिस में 1.5 साल बाद देखा और मेरा यहा इस ऑफिस में होना उसे नही जम रहा था और उसके बिहेवियर से वो मेरे आसपास नही रहना चाहती ये साफ था" एकांश सब बता रहा था और अमर सारी इन्फो ले रहा था
"लेकिन आज तू ये सब क्यों पूछ रहा है?" एकांश ने पूछा
“एकांश देख, शायद मेरी बात तुक ना बनाए लेकिन सच कुछ अलग है, तुझे ये सब अजीब नहीं लगता? बहुत कुछ है जो तुझे नहीं पता” अमर ने कहा
“क्या??”
“हा, तूने जो बोला जो कुछ तुझे पता है जो हुआ सब अधूरा है”
“तू साफ साफ बताएगा क्या कहना चाहता है?”
“मेरे भाई ऐसा है शायद अक्षिता ने तुझसे झूठ बोला है के वो तुझसे प्यार नहीं करती, तेरी बातों से ऐसा लगता है के उस सिचूऐशन मे कीसी बात ने अक्षिता को वो सब कहने फोर्स किया है, वो कुछ तो छिपा रही है, अब अक्षिता के पास उसके अपने रीज़न हो सकते है, शायद वो तुझसे प्यार करती हो लेकिन कह ना पा रही हो” अमर ने एकांश को पूरा मैटर समझाते हुए कहा
“तू समझ रहा है ना तू क्या कह रहा है? सब बकवास है ये, उसने दिल तोड़ा है मेरा, टु अच्छी तरह जानता है मैंने उसकी वजह से कितना सहा है? और अब तू कह रहा है वो प्यार करती है मुझसे... तू पागल हो गया है क्या?” एकांश ने थोड़ा गुस्से मे कहा, उसकी आंखे भी लाल हो रही थी
“जानता हु भाई सब जानता हु और इसीलिए इस मैटर की गहराई मे जाना चाहता हु, मैंने ऐसे ही उसका पीछा नहीं किया है, मैंने उसके बारे मे उसकी जिंदगी के बारे मे उसके कैरेक्टर के बारे मे जानने के लिए किया और मेरे भाई मैं दावे के साथ कह सकता हु के वो थोड़े अटेन्शन और फेम के लिए कीसी को धोका देने वालों मे से तो नहीं है” अमर एक सास मे बोल गया वही एकांश बस सुन रहा था
“तू खुद सोच तुझे ये सब अजीब नहीं लगता अगर उसे फेम और अटेन्शन ही चाहिए था तो वो तो तेरे साथ रहके भी आसानी से मिल सकता था, वो आंटी से मिल लेती तुम्हारी शादी हो जाती और ये सब आसानी से उसका होता, रघुवंशी परिवार की बहु बनने से कौनसी लड़की मना करेगी, उसकी जगह कोई और लड़की होती तो खुशी खुशी तेरेसे शादी कर लेती लेकिन उसने तुझे रिजेक्ट कर दिया, इसमे कुछ गड़बड़ है ऐसा नहीं लगता तुझे? मतलब अगर उसे पैसा अटेन्शन ही चाहिए था तो ये सब तेरे पास भी था फिर उसने तुझे रिजेक्ट क्यू किया, अगर उसे सच मे तुझे धोका देना होता तो ये तो वो तुझसे शादी करके कर लेती, पैसा मिलता वो अलग लेकिन उसने ये नहीं किया, कुछ तो है जो हमे नहीं पता और वो छिपाने मे माहिर है और अब हमे असल रीज़न पता करना है” इसीके साथ अमर ने अपनी बात खत्म की
अमर की बातों ने एकांश को सोचने पे मजबूर कर दिया था, अमर की बाते एकदम सही थी और ये सवाल तो उसने भी कई बार खुद से किया था के जिस लड़की को उसने इतना चाहा था वो उसे धोका कैसे दे सकती थी
“ठीक है, समझ गया और सच कहू तो मैंने भी सोचा था इस बारे मे लेकिन कभी कुछ जवाब नहीं मिला, ऐसा क्या रीज़न होगा के उसे ये करना पड़ा” अब एकांश भी अपनी सोच मे डूबा हुआ था
“मेरे दिमाग मे एक बात है लेकिन....” अमर बोलते हुए रुका
“क्या बात है बता...”
“तुझे याद है मैंने कहा था के मैंने इसे कही देखा है?” अमर अब भी दुविधा मे था के बताए या नहीं
“हा और अब प्लीज साफ साफ बात”
“मैंने उसे 1.5 साल पहले एक मॉल के बाहर कीसी से बात करते देखा था, इन्फैक्ट वो बात करते हुए रो रही थी” अमर ने कहा और एकांश को देखा
“कौन था वो?” एकांश ने पूछा और अब जो अमर बताने वाला था उसे सुन शायद एकांश को एक काफी बड़ा झटका मिलने वाला था
“तुम्हारी मा.....”
क्रमश:
Jesa socha tha akshita akansh se pyar toh bohot krti hai pr shayad uski koy bimari ke Karan vo akansh se alag ho rhi hai.