Luckyloda
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Chudayi k liye tadah ko kya bakhubi btaya hai aapne ....पर अब ज़्यादा सोचने का वक़्त नही था
अनु सही कह रही थी
इतने में तो सुधीर के जाने का टाइम हो जाएगा
इसलिए उसने ना चाहते हुए भी अनु को हाँ कर दी
उन दोनों माँ बेटी के बीच आज तक इतना कुछ हो चूका था की ये बात भी अब मामूली लग रही थी
पर शेफाली ने उसे पूरी हिदायत दी की सर को पता नही चलना चाहिए की वो ये सब देख रही है
इतना कहकर वो अपने बेडरूम की तरफ चल दी
और सुधीर सर को वहां भेजने के लिए कहा
अनु किसी हिरनी की तरह उछलती हुई सर के पास गयी, जो अपना बेग पैक करके जाने की तैय्यारी कर चुके थे
अनु : “अर्रे सर….इतनी भी क्या जल्दी है…अभी तो आपको थोड़ी और मेहनत करनी है..”
इतना बोलकर उसने मॉम और अपने बीच की सारी बातचीत उन्हे सुना डाली
सुधीर भी अनु की हिम्मत की दाद दिए बिना नही रह सका
अभी से ये हाल है तो शादी के बाद तो वो पता नही क्या-2 करेगी
ये सोचकर ही उनका लॅंड खड़ा होने लगा, जिसे उन्होने अपने हाथ से दबा कर शांत किया.
अनु : “इस शेर को दबाओ मत सर जी, जाओ, मॉम इंतजार कर रही है…मैं भी वही खड़ी रहूंगी दरवाजे के बाहर, आपकी परफॉरमेंस देखने…”
जिस बात के लिए शेफाली ने अनु को मना किया था, वो उसने खुलकर सुधीर सर को बोल डाली थी
आख़िर वो भी तो उस उत्तेजना को महसूस करे जो वो कर रही थी जब सर उसे और मॉम को छुपकर देख रहे थे
अब टेबल के दूसरी तरफ आ चुकी थी अनु
और इसमे पहले से ज़्यादा मज़ा आने वाला था
सर अपना बेग रखकर शेफाली के बेडरूम की तरफ चल दिए
पहुँचे तो देखा की शेफाली बेड पर बैठी फोन में कुछ चेक कर रही है
सुधीर को समझ नही आया की क्या करे
वो बोला : “अच्छा …शेफाली..अब मैं चलता हूँ ….”
शेफाली ने अपनी नशीली आँखो से उन्हे देखा और धीरे से फुसफुसाई : “इतनी भी क्या जल्दी है सुधीर…कुछ देर रुक नही सकते क्या ?”
ये वो पल था सुधीर के लिए जब वक़्त ठहर सा गया
उसका पूरा शरीर सुन्न सा पड़ गया
वो उसे नशीली आँखो से देखती हुई अपनी संगमरमरी कमर मटकाती हुई उसकी तरफ आई और उसका हाथ पकड़ कर बेड पर बिठा लिया
सुधीर इस वक़्त उसके सम्मोहन में खोकर रह गया था
कुछ देर पहले जिस औरत को अपनी बेटी के साथ सैक्स करते हुए देखा था उसने
वो इस वक़्त उसे अपने सपनो की अप्सरा के रूप में दिख रही थी
सुर्ख आँखे
अधीर होंठ
सुराहीदार गर्दन और नीचे
सांसो के साथ उठता गिरता वक्षस्थल
जिसकी लकीर अंदर बसी एक रहस्यमयी दुनिया की तरफ इशारा कर रही थी
कुरती के उपर से उसके दाने सॉफ चमक रहे थे
जिन्हे उसने चूसा भी था और उनका रसपान भी किया था
वो उसे एक बार फिर से अपनी तरफ बुला रहे थे
वो कुछ नही बोल पाया
बस उसकी तरफ देखता रहा
पहल शेफाली ने ही की
उसके चेहरे को अपनी कोमल उंगलियो से पकड़कर अपनी तरफ खींचा और उसके होंठो पर अपने बर्फ़ीले होंठ रख दिए
सस्स्स्स्स्स्सस्स की आवाज़ के साथ वो उसे चूसने लगी जैसे सिज़्लर बन रहा हो
अब उसे होश आया
उसकी मोहमाया से निकल कर वो यथार्थ पर उतार आया
और उसका साथ देने लगा
पर अपने हाथो को उसने चाहते हुए भी उसके मोटे स्तनों पर नही रखा
आज वो इस्तेमाल होना चाहता था
जैसा वो उसके साथ करती
वो करवाना चाहता था
इसलिए किस्स करते-2 उसने अपने शरीर को पीछे की तरफ बेड पर गिरा दिया
शेफाली भी उसकी जाँघ पर जाँघ रखकर साइड पोज़ में उसके हाथ पर अपने स्तनों को रगड़ती हुई उसे चूमती रही…
फिर चूमते-2 वो उसकी सुधीर की गर्दन पर उतर आई
अब भी सुधीर अपने हाथो से उसकी पीठ को पकड़ कर अपने उपर नही घसीट रहा था
बस निश्चल सा पड़ा हुआ था बेड पर
शेफाली भी उसके इस बर्ताव से हैरान थी
पर आग ही इतनी लगी थी उसके अंदर की उसे इस बात से कोई फ़र्क नही पड़ रहा था की वो कैसा बर्ताव कर रहा है
उसे तो बस उसका लॅंड चाहिए था
जिसे उसने पेंट के उपर से इस वक़्त पकड़ लिया था
सुधीर का पूरा शरीर झनझना उठा
आधे घंटे पहले ही उसने अपने लॅंड का पानी उन माँ बेटी को देखकर उसी कमरे के बाहर झाड़ा था
अब एक बार फिर से वो उसे पकड़ कर अगली परफॉरमेंस की डिमांड कर रही थी
थोड़ा मुश्किल तो था
पर उसे अपने छोटे सिपाही पर पूरा विश्वास था की अगर शेफाली का साथ मिले तो वो इस लड़ाई पर विजय पा ही लेगा
शेफाली ने अपनी कुरती निकाल फेंकी, कसी हुई ब्रा में उसके मोटे स्तन कहर ढा रहे थे, उसने सुधीर की शर्ट के बटन भी खोल दिए
अब शर्ट को निकालने का काम तो वो कर ही सकता था, वो उसने किया भी
और शर्ट निकाल कर फिर से उसी मुद्रा में लेट गया
शेफाली की लंबी सिसकारियाँ उसके कानो के पास गूँज रही थी..
शेफाली ने उसकी जीप खोल दी
पर आगे बढ़ने से पहले उसने दरवाजे की झिर्री की तरफ देखा
जहाँ से उसे पता था की अनु वो सब देख पा रही होगी
ये वो पल था जब अगर शेफाली चाहती तो अपने होने वेल पापा का लॅंड उसे ना दिखाती
पर सैक्स होती ही ऐसी कुत्ती चीज़ है की अपना उल्लू सीधा करने के लिए रिश्तों को भी ताक पर रख देता है
और इस वक़्त शेफाली के उपर सैक्स का भूत सर चड़कर बोल रहा था
आज शायद अनु कहती की उसे भी अपने होने वाले पापा से चुदना है तो शायद वो मना ना कर पाती
चूत की आग ही इतनी जोरों से लगी हुई थी की उसका पूरा बदन एक अंगार बनकर रह गया था
सुधीर भी शेफाली को बाहर देखता देखकर मुस्कुरा दिया
वो जानता था की शेफाली अनु को देख रही है और उसके दिल में इस वक़्त एक जंग चल रही होगी
पर उसे तो इस वक़्त मज़ा आ रहा था
अपने आप को शेफाली के हवाले करके और अनु को छुपकर उनका खेल देखते हुए
वो जानता था की आज अगर उसके सिपाही ने उसका ढंग से साथ दे दिया तो अनु के दिल में उसके लॅंड के लिए इज़्ज़त बढ़ जाएगी
क्योंकि उसकी परफॉरमेंस यानी चुदाई वो पहली बार देख रही थी
जो आज नहीं तो कल उसकी भी करनी थी सुधीर को
शेफाली ने कुछ देर तक उसे देखा और फिर से अपने काम में लग गयी
उसने सुधीर की बेल्ट खोली, पेंट के हुक खोलकर उसे नीचे उतार दिया
अंडरवीयर में एक छोटा सा पहाड़ बनकर खड़ा था सुधीर का लॅंड
शेफाली के लिए तो वो बुर्ज खलीफा था, क्योंकि वो बिल्कुल पास से देख रही थी
पर अनु के लिए भी किसी कुतुब मीनार से कम नही था
ऐसा लग रहा था जैसे एकसाथ 4 समोसे भर दिए हो अंडरवीयर में
जिसे शेफाली अपनी चूत की चटनी लगाकर खाने वाली थी
लॅंड तो मोटा था ही सुधीर का
उसके टटटे भी काफ़ी मोटे ताजे थे
अंडरवीयर का ऐसा भरंवापन औरतों को काफ़ी पसंद आता है
शेफाली ने लपलपाति जीभ निकालते हुए उसका अंडरवीयर भी खींच कर निकाल फेंका
अब वो पूरा नंगा था बेड पर
अपना खड़ा लॅंड लिए, बेड पर लेटा था
अनु की तो साँसे ही उखड़ने लगी उस सीन को देखकर
वो जानती थी की उस लॅंड पर कितना बड़ा हक है उसका
पर इस वक़्त उसे अपनी माँ के हाथ में सौंप चुकी थी वो
काश वो खुद होती उस बेड पर
ये सोचते ही उसका खुद का हाथ अपनी चूत पर जा पहुँचा और वहां से एक पिचकारी निकल कर उसकी उंगलियों को भिगो गयी
अंदर शेफाली से अब और ज़्यादा सब्र नही हो रहा था
उसने आनन फानन में अपने बचे हुए कपड़े भी निकाल फेंके और खुद भी पूरी नंगी हो गयी
और फिर अपना मुँह खोकर उसने सीधा सुधीर के लॅंड पर प्रहार कर दिया
सुधीर सीसीया उठा
“आआआआआआआआअहह………. शेफाली………ध्ईईईईईरेsssssssss …… मेरी ज़ाआाआआआअन्न्न धीरे……”
लंड पर दाँत लगने की चुभन क्या होती है , आज सुधीर को पता चली
शेफाली ने उसके लॅंड को अपने हाथ मे पकड़ा और धीरे-2 उसे चाटने लगी
जीभ से उसके छेद को कुतरने लगी
उसकी बॉल्स को सहलाकर जीभ से नहलाने लगी और फिर उन्हे भी एक-2 करके चूसने लगी
ऐसा लग रहा था जैसे वो दरवाजे के पीछे खड़ी अपनी बेटी को सैक्स का पाठ पड़ा रही हो
और अनु वो सब देखकर कुछ नया सीख भी रही थी
आख़िर इतने सालों का तुजुर्बा जो था उसकी माँ को
लॅंड को पूरा उपर तक खींचकर शेफाली जब उसकी बॉल्स को चाट रही थी तो उसकी जीभ नीचे तक चली गयी
बेचारा सुधीर काँप कर र्गया जब उसने शेफाली की जीभ को गांड के छेद पर महसूस किया
बेचारा किसी छोटे बच्चे की तरह अपनी दोनो टांगे हवा में उठा कर चीख पड़ा
“आआआआआआहह शेफाली……….उम्म्म्ममममममममममममममममममम……आज क्या करके मनोगी…..उफफफफफफफफफफफफ्फ़……”
शेफाली कुछ नही बोली और अपने काम में लगी रही
आज वो सुधीर को हर मज़ा देना चाहती थी
और बाहर , अनु का पयज़ामा भी उतर चूका था
उंगलिया फ़च्छ करके अंदर दाखिल हो चुकी थी
और उसकी उंगलियाँ किसी पिस्टन की तरह अपनी चूत के अंदर बाहर होने लगी
अंदर का माहौल भी गर्म हो चूका था…
अब देर करना सही नही लग रहा था शेफाली को भी
वो बेड पर चढ़ गयी और सुधीर के दोनो तरफ टांगे फेला कर उसके लॅंड के ठीक उपर अपनी चूत को अड्जस्ट किया..
एक पल के लिए दोनो ने एक दूसरे की आँखो मे देखा और फिर देखते-2 सुधीर के लॅंड ने अंदर दाखिल होना शुरू कर दिया
शेफाली के चेहरे के भाव बदलने लगे
ऐसा लग रहा था जैसे नीचे से लॅंड की ठोकर पाकर सारा खून उपर की तरफ आ गया है
मुम्मे पहले से ज़्यादा सख़्त हो गये
गुदाज पेट अंदर की तरफ चिपक गया
गर्दन की नसें तन कर बाहर निकल आई
आँखे सुर्ख हो उठी , उनमें लाल डोरे तेर गये
कुल मिलाकर ये एहसास ही था जिसके लिए शेफाली इतनी देर से तड़प रही थी
Aksar khade land k sath to dimag kaam kart ahi nahi.....magar garam chut k sath to pagal ho jata hai ......
Bhut shandaar update











