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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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Bhupinder Singh

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भाग:–157


जैसे ही आर्यमणि ने इजाजत दिया, हजारों की तादात में लोग काम करने लगे। इनकी अपनी ही टेक्नोलॉजी थी और ये लोग काम करने में उतने ही कुशल। महज 4 दिन में पूरी साइंस लैब और 5 हॉस्पिटल की बिल्डिंग खड़ी कर चुके थे। वो लोग तो आर्यमणि के घर को भी पक्का करना चाहते थे, लेकिन अल्फा पैक के सभी सदस्यों ने मना कर दिया। सबने जब घर पक्का करने से मना कर दिया तब कॉटेज को ही उन लोगों ने ऐसा रेनोवेट कर दिया की अल्फा पैक देखते ही रह गये।

पांचवे दिन सारा काम हो जाने के बाद राजकुमार निमेषदर्थ ने इजाजत लीया और वहां से चला गया। उसी शाम विजयदर्थ कुछ लोगों के साथ पहुंचा, जिनमे वो बुजुर्ग स्वामी भी थे। विजयदर्थ, स्वामी और आर्यमणि की औपचारिक मुलाकात करवाने के बाद आर्यमणि को काम शुरू करने का आग्रह किया।

आर्यमणि उस बुजुर्ग को अपने साथ कॉटेज के अंदर ले गया। विजयदर्थ भी साथ आना चाहता था, लेकिन आर्यमणि ने उसे दरवाजे पर ही रोक दिया। बुजुर्ग स्वामी और आर्यमणि के बीच कुछ बातचीत हुई और आर्यमणि बाहर निकलकर राजा विजयदर्थ को सवालिया नजरों से देखते.… "राजा विजयदर्थ ये बुजुर्ग तो मरने वाले हैं।"

विजयदर्थ:– मैने तो पहले ही बताया था। स्वामी जी मृत्यु के कगार पर है।

आर्यमणि:– हां बताया था। लेकिन तब यह नही बताया था कि बिलकुल मृत्यु की दहलीज पर ही है। कहीं वो मेरे क्ला को झेल नही पाये तब"…

विजयदर्थ:– ये बुजुर्ग तो वैसे भी कबसे मरने की राह देख रहे, बस इनके विरासत को कोई संभाल ले। एक सुकून भरी नींद के तलाश में न जाने कबसे है।

आर्यमणि:– हां लेकिन फिर भी जलीय मानव प्रजाति के इतने बड़े धरोहर के मृत्यु का कारण मैं बन जाऊं, मेरा दिल गवारा नहीं करता। फिर आपके लोग क्या सोचेंगे... आप कुछ भी कहे लेकिन वो लोग तो मुझे ही इनके मृत्यु का जिम्मेदार समझेंगे।...

विजयदर्थ:– कोई ऐसा नही समझेगा...

आर्यमणि:– ठीक है फिर आपके लोग ये बात अपने मुंह से कह दे फिर मुझे संतुष्टि होगी...

विजयदर्थ:– मैं अपने लोगो का प्रतिनिधि हूं। मैं कह रहा हूं ना...

आर्यमणि:– फिर आप स्वामी को ले जा सकते है। इस आइलैंड पर मैं जबतक हूं, तबतक अपने हिसाब से घायलों का उपचार करता रहूंगा...

विजयदर्थ:– बहुत हटी हो। ठीक है मैं अपने लोगों को बुलाता हूं।

आर्यमणि:– अपने लोगों को बुलाना क्यों है इतना बड़ा महासागर है। इतनी विकसित टेक्नोलॉजी है, हमे कनेक्ट कर दो...

विजयदर्थ ने तुरंत ही अपनी संचार प्रणाली से सबको कनेक्ट किया। आर्यमणि पूर्ण सुनिश्चित होने के बाद बुजुर्ग स्वामी विश्वेश के पास पहुंचे और अपना क्ला उसकी गर्दन से लगाकर अपनी आंखें मूंद लिया... अनंत गहराइयों के बाद जब आखें खुली, आचार्य जी भी साथ थे...

आचार्य जी:– लगता है अब तक दुविधा गयी नही। जब इतने संकोच हो तो साफ मना कर दो और वो जगह छोड़ दो...

आर्यमणि:– आचार्य जी आपने उस शोधक बच्ची की खुशी देखी होती... वो अदभुत नजारा था। मुझे उनकी तकलीफ दूर करने की इक्छा है... बस मुझे वो राजा ठीक नही लगा... धूर्त दिख रहा है। आप एक बार उसके मस्तिस्क में प्रवेश क्यों नही करते...

आर्यमणि की बात पर आचार्य जी मुस्कुराते.… "अपनी बुद्धि और विवेक का सहारा लो"…

आर्यमणि:– आचार्य जी इसका क्या मतलब है। ये गलत है। बस एक छोटा सा काम कर दो। विजयदर्थ के दिमाग में घुस जाओ...

आचार्य जी:– एक ही बात को 4 बार कहने से जवाब नहीं बदलेगा। यादि तुम ऐसा चाहते हो तो पहले वहां कुछ लोगो को भेजता हूं। तुम अलग दुनिया के लोगों के बीच हो और उसके मस्तिष्क में घुसने पर यदि उन्हे पता चल गया तो तुम सब के लिये खतरा बढ़ जायेगा। उस राजा को जांचते हुए और सावधानी से काम करो। और मैं तो कहता हूं कुछ वक्त ऐसा दिखाते रहो की तुम उनके साथ हो। कुछ शागिर्द को शोधक प्रजाति का इलाज करना सिखा कर लौट आओ, यही बेहतर होगा।…

आर्यमणि:– हां शायद आप सही कह रहे है। ठीक है, आप इस वृद्ध व्यक्ति के ज्ञान वाले सनायु तंतु तक मुझे पहुंचा दीजिए.… मैं सिर्फ इसकी यादों से इसका ज्ञान ही लूंगा।

आचार्य जी:– ठीक है मैं करता हूं, तुम तैयार रहो...

कुछ देर बाद आर्यमणि उस बुजुर्ग का ज्ञान लेकर अपनी आखें खोल दिया। आंख खोलने के साथ ही उसने उस बुजुर्ग की यादें मिटाते... "पता नही अब वो विजयदर्थ तुमसे या मुझसे चाहता क्या है? क्ला से आज तक कोई नही मरा। देखते है तुम्हारा क्या होता है?"

खुद में ही समीक्षा करते आर्यमणि बाहर निकला और अपने दोनो हाथ ऊपर उठा लिया। विजयदर्थ खुश होते आर्यमणि के पास पहुंचा... "अब लगता है उन शोधक प्रजाति का इलाज हो जायेगा"…

आर्यमणि:– हां शायद... मैं कुछ दिनो तक प्रयोगसाला में शोध करूंगा… आपके डॉक्टर आ गये जो रूही का इलाज करने वाले है..

विजयदर्थ ने हां में जवाब दिया। आर्यमणि विजयदर्थ से इजाजत लेकर रूही से मिलने हॉस्पिटल पहुंचा। इवान और अलबेली दोनो ही उसके पास बैठे थे और काफी खुश लग रहे थे। तीनो चहकते हुए कहने लगे, उन्होंने स्क्रीन पर बेबी को देखा... कितनी प्यारी है... कहते हुए उनकी आंखें भी नम हो गयी...

आर्यमणि ने भी देखने की जिद की, लेकिन उसे यह कहकर टाल दिया की गर्भ में पल रहे बच्चों को बार–बार मशीनों और किरणों के संपर्क में नही आना चाहिए। बेचारा आर्यमणि मन मारकर रह गया। थोड़ी देर वक्त बिताने के बाद आर्यमणि वहां से साइंस लैब आ गया। रसायन शास्त्र की विद्या जो कुछ महीने पहले आर्यमणि ने समेटी थी, उसे अपने दिमाग में सुव्यवस्थित करते, आज उपयोग में लाना था।

अपने साथ उसने महासागर के साइंटिस्ट, जीव–जंतु विज्ञान के साइंटिस्ट और मानव विज्ञान के साइंटिस्ट भी थे। जो आर्यमणि के साथ रहकर शोधक प्रजाति पर काम करते। पहला प्रयोग उन घास से ही शुरू हुआ। उसके अंदर कौन से रसायन थे और वो मानव अथवा जानवर शरीर पर क्या असर करता था।

इसके अलावा महासागर के तल में पाया जाने वाला हर्व भी लाया गया। सुबह ध्यान, फिर प्रयोग, फिर परिवार और आइलैंड के जंगल। ये सफर तो काफी दिलचस्प और उतना ही रोमांचक होते जा रहा था। करीब 2 महीने बाद सबने मिलकर कारगर उपचार ढूंढ ही लिया। उपचार ढूंढने के बाद प्रयोग भी शुरू हो गये। सभी प्रयोग में नतीजा पक्ष में ही निकला...

जितना वक्त इन प्रयोग को करने में लगा उतने वक्त में लैब में काम कर रहे सभी शोधकर्ता ने आपस की जानकारी और अनुभवों को भी एक दूसरे से साझा कर लिया। आर्यमणि को हैरानी तब हो गई जब जीव–जंतु विज्ञान के स्टूडेंट्स और साइंटिस्ट से मिला। उनके पढ़ने, सीखने और जीव–जंतु की सेवा भावना अतुलनीय थी। बस सही जानकारी का अभाव था और महासागरीय जीव इतने थे की सबको बारीकी से जानने के लिये वक्त चाहिए था।

जीव–जंतु विज्ञान वालों ने यूं तो कुछ नही बताया की उनके पास समर्थ रहते भी वो इतने पीछे क्यों रह गये। लेकिन आर्यमणि कुछ–कुछ समझ रहा था। उनके समर्थ का केवल इस बात से पता लगाया जा सकता था कि एक विदार्थी शोधक के अंदरूनी संरचना जानने के बाद सीधा उसके पेट में जाकर अंदर की पूरी बारीकी जानकारी निकाल आया।

ऐसा नही था की वो विदर्थी पहले ये काम नहीं कर सकता था। ऐसा नही था कि अंदुरूनी संरचना का उन्हे अंदाजा न हो, लेकिन उनका केवल यह कह देना की उनके पास जानकारी नही थी, इसलिए नही अंदर घुस रहे थे... आर्यमणि के मन में बड़ा सवाल पैदा कर गया। आर्यमणि ने महज अपने क्ला से वही जानकारी साझा किया जो उसने बुजुर्ग के दिमाग से लिया था। आश्चर्य क्यों न हो और मन में सवाल क्यों न जन्म ले। आर्यमणि जबतक जीव–जंतु विज्ञान में अपना एक कदम आगे उठाने की कोशिश करता, वहीं जीव–जंतु विज्ञान के सोधकर्ता 100 कदम आगे खड़े रहते। पूरा इलाज महज 3 महीने में खोज निकाला।..

एक ओर जहां इनका काम समाप्त हो रहा था वहीं दूसरी ओर अल्फा परिवार की जिम्मेदारी बढ़ने वाली थी, क्योंकि किसी भी वक्त रूही की डिलीवरी होने वाली थी। अलबेली डिलीवरी रूम में लगातार रूही के साथ रहती थी। अलबेली, रूही के लेबर पेन को अपने हाथ से खींचना चाहती थी...

रूही, अलबेली के सिर पर एक हाथ मारती... "उतनी बड़ी वो शोधक जीव थी। उसका दर्द मुझसे बर्दास्त हो गया, और मैं अपने बच्चे के आने की खुशी तुझे दे दूं। मुझे लेबर पेन को हील नही करवाना"…

अलबेली:– हां ठीक है समझ गयी, लेकिन इतने डॉक्टर की क्या जरूरत थी? क्या दादा (आर्यमणि) को पता नही की एक वुल्फ के बच्चे कैसे पैदा होते हैं।….

रूही:– मैं शेप शिफ्ट करके अपने बच्ची को जन्म नही दूंगी... और इस बारे में सोचना भी मत...

अलबेली:– लेबर पेन से शेप शिफ्ट हो गया तो...

रूही:– मां हूं ना.. अपने बच्चे के लिए हर दर्द झेल लूंगी... और वैसे भी हील करते समय का जो दर्द होता है, उसके मुकाबले लेबर पेन कुछ भी नहीं...

अलबेली:– हे भगवान... कहीं ऐसा तो नहीं की हमने इतने दर्द लिये है कि तुम्हे लेबर पेन का पता ही न चल रहा हो.. क्योंकि लेबर पेन मतलब एक औरत के लिए 17 हड्डी टूटने जितना दर्द...

रूही:– और हमने तो इतने बड़े जीव का दर्द लिया, जिसका दर्द इंसानी हड्डी टूटने से आकलन करे तो...

अलबेली:– 10 हजार हड्डियां... या उस से ज्यादा भी..

रूही:– नीचे देख सिर बाहर आया क्या...

अलबेली नीचे क्या देखेगी, पहले नजर पेट पर ही गया और हड़बड़ा कर वो कपड़ा उठाकर देखी... अब तक रूही की भी नजर अपने पेट पर चली गई... "झल्ली, अंदर मेरी बच्ची के सामने हंस मत, जाकर डॉक्टर को बुला और किसी को ये बात पता नही चलनी चाहिए"…

अलबेली, अपना मुंह अंदर डाले ही... "इसकी आंखें अभी से अल्फा की है, और चेहरा चमक रहा। मुझ से रहा नही जा रहा, मैं गोद में लेती हूं।"

रूही:– अरे अपने ही घर की बच्ची है जायेगी कहां... लेकिन क्यों डांट खाने का माहैल बना रही। आर्यमणि को पता चला की हम बात में लगे थे और अमेया का जन्म हो गया... फिर सोच ले क्या होगा। मैं फसने लगी तो कह दूंगी, मेरा हाथ थामकर अलबेली मेरा दर्द ले रही थी, मुझे कैसे पता चलता...

अलबेली अपना सिर बाहर निकालकर रूही को टेढ़ी नजरों से घूरती... "ठीक है डॉक्टर को बुलाती हूं। तुम पेट के नीचे तकिया लगाओ और चादर बिछाओ... "

रूही अपना काम करके अलबेली को इशारा की और अलबेली जोड़ से चिंखती.… "डॉक्टर...डॉक्टर"..

जैसा की उम्मीद था, पहले आर्यमणि ही भागता आया। यूं तो आया था परेशान लेकिन अंदर घुसते ही शांत हो गया... अलबेली को लगा गया की आर्यमणि को कुछ मेहसूस हो गया था, कुछ देर वह रुका तो आमेया के जन्म का पता भी चल जायेगा..

अलबेली:– बॉस आप नही डॉक्टर को भेजो..

आर्यमणि:– लेकिन वो..

अलबेली धक्का देते.… "तुम बाहर रहो बॉस, लो डॉक्टर भी आ गयी"…

जितनी बकवास रूही और अलबेली की स्क्रिप्ट थी, उतनी ही बकवास परफॉर्मेंस... डॉक्टर अंदर आते ही... "आराम से तो है रूही .. चिल्ला क्यों रही हो"…

जैसे ही डॉक्टर की बात आर्यमणि ने सुना.. वो रूही के करीब जाने लगा। तभी रूही भी तेज–तेज चीखती... "ओ मां.. आआआआ… मर जाऊंगी... कोई बचा लो.. बचा लो".. आर्यमणि भागकर रूही के पास पहुंचा.. उसका हाथ थामते... "क्या हुआ... रूही... आंखें खोलो.. डॉक्टर.. डॉक्टर"…

डॉक्टर:– उसे कुछ नही हुआ, तुम बाहर जाओ.. डिलीवरी का समय हो गया है.…

जैसे ही आर्यमणि बाहर गया। रूही तुरंत अपने पेट पर से चादर और तकिया हटाई। अलबेली लपक कर तौलिया ली और आगे आराम से उसपर अमेया को लिटाती बाहर निकाली… "ये सब क्या है"… डॉक्टर हैरानी से पूछी...

अलबेली उसके मुंह पर उंगली रखकर... "डिलीवरी हो गयी है। अब तुम आगे का काम देखो".... इतना कहकर अलबेली ने कॉर्ड को काट दिया और बच्ची को दोनो हथेली में उठाकर झूमने लगी। इधर डॉक्टर अपना काम करने लगी और रूही अलबेली की खुशी देखकर हंसने लगी।

अलबेली झूमते हुए अचानक शांत हो गई और रूही के पास आकर बैठ गई... रूही अपने हाथ आगे बढ़ाकर, उसके आंसू पोंछती… "अरे, अमेया की बुआ ऐसे रोएगी तो भतीजी पर क्या असर होगा"…

अलबेली, पूरी तरह से सिसकती... "उस गली में हम क्या थे भाभी, और यहां क्या... मेरा तो जीवन तृप्त हो गया।"..

रूही:– पागल मुझे भी रुला दी न... क्यों बीती बातें याद कर रही...

अलबेली:– भाभी, जो हमे नही मिला वो सब हम अपनी बच्ची को देंगे। इसे वैसे ही बड़ा होते देखेंगे, जैसे कभी अपनी ख्वाइश थी...

रूही:– हां बिलकुल अलबेली... अब तू चुप हो जा..

डॉक्टर:– अरे ये बच्ची रो क्यों नही रही..

अलबेली:– क्योंकि इस बच्ची के किस्मत में कभी रोना नहीं लिखा है डॉक्टर... उसके हिस्से का दुख हम जी चुके हैं। उसके हिस्से का दर्द हम ले लेंगे... हमारी बच्ची कभी नही रोएगी...

अलबेली इतना बोलकर अमेया को फिर से अपने हाथो में लेकर झूमने लगी। रूही और अलबेली के चेहरे से खुशी और आंखों से लगातार आंसू आ रहे थे। इधर आर्यमणि जब बाहर निकला, इवान चिंतित होते... "क्या हुआ जीजू, अलबेली ऐसे चिल्लाई क्यों"…

आर्यमणि:– क्योंकि अमेया आ गयी इवान, अमेया आ गयी...

इवान:– क्या सच में.. मै अंदर जा रहा...

आर्यमणि:– नही अभी नही... अभी आधे घंटे का इनका ड्रामा चलेगा। जबतक मैं ये खुशखबरी अपस्यु और आचार्य जी को बता दूं...

आर्यमणि भागकर अपने कॉटेज में गया और ध्यान लगा लिया.… "बहुत खुश दिख रहे हो गुरुदेव"…

आर्यमणि:– छोटे.. ऐसा गुरुदेव क्यों कह रहे...

अपस्यु:– तुम अब पिता बन गये, कहां मार–धार करोगे। तुम आश्रम के गुरुजी और मैं रक्षक।

आर्यमणि:– न.. मेरी बच्ची आ गयी है और अब मैं गुरुजी की ड्यूटी नही निभा सकता। रक्षक ही ठीक हूं।

आचार्य जी:– तुम दोनो की फिर से बहस होने वाली है क्या...

दोनो एक साथ... बिलकुल नहीं... आज तो अमेया का दिन है...

आचार्य जी:– जिस प्रकार का तेज है... उसका दिन तो अभी शुरू हुआ है, जो निरंतर जारी रहेगा। लेकिन आर्यमणि तुम इस बात पर अब कभी बहस नही करोगे की तुम आश्रम के गुरु नही बनना चाहते। दुनिया का हर पिता काम करके ही घर लौटता है। यह तुम्हारे पिता ने भी किया था और मेरे पिता ने भी... तो क्या वो तुमसे प्यार नहीं करते..

आर्यमणि:– हां समझ गया... गलती हो गयी माफ कर दीजिए...

अपस्यु:– पार्टी लौटने के बाद ले लूंगा.. बाकी 7 दिन के नियम करना होगा...

आचार्य जी:– सातवे दिन, पूरी विधि से वो पत्थर जरित एमुलेट पहनाने के बाद ही अमेया को अपने घर से बाहर निकालना और सबसे पहले पूरा क्षेत्र घुमाकर हर किसी का आशीर्वाद दिलवाना... पिता बनने की बधाई हो..

अपस्यु:– पूरे आश्रम परिवार के ओर से बधाई... अब हम चलते है।

आर्यमणि के चेहरे की खुशी... दौड़ता हुआ वो वापस हॉस्पिटल पहुंचा। सभी रूही को घेरे खड़े थे। आर्यमणि गोद में अमेया को उठाकर नजर भर देखने लगा। जैसे ही अमेया, आर्यमणि के गोद में आयी अपनी आंखें खोलकर आर्यमणि को देखने लगी। आर्यमणि तो जैसे बुत्त बन गया था। चेहरे की खुशी कुछ अलग ही थी। वह प्यार से अपनी बच्ची को देखता रहा। कुछ देर बाद सभी रूही को साथ लेकर कॉटेज चल दिये।

कॉटेज के अंदर तो जैसे जश्न का माहोल था। उसी रात शेर माटुका और उसके झुंड को अमेया के जन्म का अनुभव हुआ हो जैसे... शोधक बच्ची जिसका इलाज आर्यमणि ने किया, उसको भी एहसास हुआ था... जंगल के और भी जानवर, जिन–जिन ने अमेया को गर्भ में स्पर्श किया था, सब को अमेया के जन्म का अनुभव हुआ था और सब के सब रात में ही अमेया से मिलने पहुंच गये।
Nice update
 

Zoro x

🌹🌹
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भाग:–134


इस बार अकेला आर्यमणि नही बल्कि पूरा अल्फा पैक एक साथ... पूरा अल्फा पैक मतलब निशांत और संन्यासी शिवम भी... सभी एक साथ एक सुर में बोले..... “आज सात्त्विक आश्रम का भय वहां तक स्थापित होगा, जहां तक ये विकृत नायजो फैले है। आज पूरे ब्रह्मांड में हम अपनी उपस्थिति का प्रमाण देंगे।”

पलक उत्साह से उछलकर, एक बार फिर आर्यमणि के गले लगती.... “मैं भी इस पल का साक्षी होना चाहूंगी।”...

पलक उत्साह में अपनी बात तो कह रही थी लेकिन उसका सामना रूही के गुस्सैल आंखों से हो गया। पलक, आर्यमणि से अलग होकर..... “ओह .... सॉरी रूही बाहिनी, ये दोस्ती के हिसाब से गले लगी थी। सोलस जिंदा तो है। इन सबमें तुम्हे देखना ही भूल गयी”...

रूही, पलक का हाथ खींचकर अपने करीब लायी और फुसफुसाती आवाज में..... “कुछ बचा भी था दोनो के बीच..... बड़ी आयी दोस्ती वाली... दुश्मनी ही निभाना”..

पलक, रूही के भी गले पड़ती.... “इतना क्लारिफिकेशन के बाद अपना हक छोड़ दी, ये खुशी न है।”...

रूही:– क्या तुम्हे बर्दास्त हो रहा, मेरा आर्यमणि के साथ होना...

पलक:– क्या कर सकती हूं। हां दिल जला था, पर इसी को नियति कहते है। हम दोनो का रिश्ता एक दूसरे को झांसे में लेने से शुरू हुआ था, फिर आर्य मुझे धोका देता या मैं आर्य को, लेकिन देते तो जरूर... किसने सोचा था बीच में मैं ही दिल हार बैठूंगी... पर तुम्हारे लिये बेहद खुश हूं। तुम ये बिलकुल डिजर्व करती हो। तुम धोखे की बिसाद पर नही जुड़ी। परछाई की तरह आर्य का साथ दी। तुम्हारे बिना वो नागपुर से नही निकलता। तुन्हते बिना वो इतना नही निखरता। तुम्हारे बिना वो कुछ नही होता। सबसे पहला हक तुम्हारा है...

रूही:– बहुत प्यारा बोली लेकिन फिर भी मेरे मर्द के गले मत लगना... पूरा मैटेरियल टच होता है और फिर कहीं उसके अरमान जाग गये तो...

पलक:– छी.. गंदी...

आर्यमणि:– अब सब जरा खामोश हो जाओ.. पलक के इन चार चमचों का मुंह बांधकर एक दीवार के बीच से बांधो। और पलक के बाकी साथी को उसके दाएं और बाएं से अरेंज करो। सॉरी पलक...

इतना कहकर आर्यमणि ने छोटा सा कमांड दिया और पलक वापस से सिकुड़ गयी। उसके चेहरे से केवल प्लास्टिक को हटाया गया।... “अरे यार ये अजूबा प्लास्टिक किसकी खोज है। परेशान कर रखा है। हड्डियां तक कड़कड़ा जाती है।”...

ओजल:– है ना मस्त ट्रैप...

पलक:– पागल, इसे सबसे शानदार ट्रैप कहते है। आर्य वैसे करने क्या वाले हो...

आर्यमणि:– आश्रम का भय कायम करने की तैयारी है। पहले तो इस भय के खेल में कोई नाम नहीं था, बस कोई औहदा ही होता, लेकिन अब हमारे पास एक नाम है। थोड़ी देर में सब साफ हो जायेगा। निशांत और महा तुम दोनो दूसरी मंजिल पर चले जाओ। वहां से तुम दोनो ये पूरा शो लाइव देख लेना। ओजल और शिवम् सर, दोनो तैयार...

ओजल:– कबसे तैयार हूं...

संन्यासी शिवम्:– बिलकुल गुरुदेव आप शुरू कीजिए...

आर्यमणि ने फिर एक बार अक्षरा को कॉल लगा दिया। अक्षरा फिर एक बार तमतमायी बात करने लगी... “तुम्हारे फोन पर एक लिंक है, बेटी को जिंदा देखना चाहती है तो अपने पति को बता दे। मैं ऑनलाइन इंतजार कर रहा हूं।” इतना कहकर आर्यमणि ने फोन काट दिया।... “अल्फा पैक तैयार हो ना”... सभी एक साथ हां कहने लगे...

आर्यमणि लैपटॉप ऑन करके बैठा था। सामने स्क्रीन पर धीरे–धीरे नायजो के अधिकारी दिखने लगे... डायनिंग टेबल के पर लगे बड़े से परदे पर सबकी एचडी फूटेज आ रही थी। आर्य ने सबको म्यूट कर रखा था, लेकिन आज सब अपने स्क्रीन पर दूसरों को देख सकते थे।

आर्यमणि, कनेक्ट हुये सभी नायजो को संबोधित करते..... “देखो सब शांत रहो... यहां की दीवारों पर देख रहे हो। ये नायजो दीवार की सोभा बढ़ा रहे... अब एक लायक नायजो हाथ उठाओ, जिस से मैं बात कर सकूं”...

स्क्रीन पर बहुत सारे हाथ उठ गये। आर्यमणि का एक इशारा हुआ और चार में से एक चमचा ट्रिस्किस को ओजल ने बीचोबीच चीड़ दिया। पलक की तेज चींख निकल गयी... आर्यमणि, पलक को खींचकर एक थप्पड़ मारते... “अनुशासन सिखाओ सबको। एक लायक को बोला हाथ उठाने, सभी नालायक एक साथ आ गये।”.....

फिर आर्यमणि अपना स्क्रीन पर देखते.... “लगता है परिस्थिति का अंदाजा नहीं तुम्हे... तो ये देखो। और रूही तुमने जितने को कल उस नित्या और तेजस की तरह कांटों की अर्थी पर जहर दिया था, उनका मुंह खोल दो।”..

इतनी बात कहकर आर्यमणि ने स्क्रीन पर डंपिंग ग्राउंड का नजारा दिखाया। एचडी वाइस क्वालिटी एक्सपीरियंस के लिये डंपिंग ग्राउंड के चप्पे–चप्पे पर बिछे माइक को ऑन कर दिया गया था। कैस्टर ऑयल प्लांट फ्लावर के जहर का असर पागल बनाने वाला था। भयावाह... पूर्णतः भयावाह... चारो ओर से आ रही दर्द की भयावह आवाज सुन कर रूह कांप जाये। इस नजारे के साथ बोनस नजारा था, डंपिंग ग्राउंड पर कटे फटे कई नायजो के बीच सैकड़ों पैक किये जिंदा नायजो... वहां का नजारा दिखाने के बाद....

“हां तो नलायकों वो नरभक्षी भारती मुझे आगे की बहुत जानकारी दे चुकी है, जो कल तेजस और नित्या न दे पाये थे। क्या करे मेरे दिये जहर का दर्द ही ऐसा है... मौत आती नही और मौत की ये खौफनाक दर्द जाती नही। दोबारा से, कोई एक लायक नायजो, जिस से मैं बात कर सकूं”... इस बार पृथ्वी नायजो का मुखिया जयदेव अपना हाथ उठाया, आर्यमणि जैसे ही उसका माइक ऑन किया.... “मैं बात करूंगा”... आर्यमणि वापस से उसका माइक बंद करते... “नालायक तू किसी काम का नही है। ओजल”...

आर्यमणि ने जैसे ही ओजल कहा, इस बार एक और चमची सुरैया की लाश 2 टुकड़ों में विभाजित थी। पलक की एक और दर्दनाक चींख, और एक और तमाचा... पलक चिल्लाती हुई कहने लगी.... “किसी पागल को बुलाओ इस पागल से बात करने। तुमलोग समझ क्यों नही रहे। ये 600 नायजो को काट चुका है, जिनमे फर्स्ट लाइन सुपीरियर शिकारी और प्रथम श्रेणी के नायजो थे। 200 को मौत से बदतर दर्द दे रहा... हम 400 को तो बचा लो। या सबको मरते देखोगे”...

पलक की आवाज सुनकर विश्वा देसाई और उज्जवल हड़बड़ा कर आगे आया, आर्यमणि उनका माइक ऑन करते.... “हां बुढ़ाऊ बोल, तू लायक है।”

विश्वा:– भारती को ठीक कर दो, मैं एक पूरे प्लेनेट के राजा से तुम्हारी बात करवा दूंगा।

उज्जवल:– हां विश्वा सही कह रहा है।

आर्यमणि:– हां बुढ़ऊ, अब तो राजा क्या महाराजा से भी बात करवा सकते हो। दोनो की नाजायज औलादे (भारती और पलक) की जान फंसी जो है। वैसे आज कल मेरा मौसा कुछ नही बोलता। मेरी मौसी गुमसुम रहती है...

सुकेश और मीनाक्षी दोनो कुछ–कुछ बड़बड़ाने लगे। चेहरे को भावना से तो लग रहा था गाड़िया रहे हैं। आर्यमणि ने उनका माइक जैसे ही ऑन करके कहा.... “हां मौसा, मौसी”... तभी उधर से गलियों के साथ दोनो कहने लगे.... “तुझे जान से मार देंगे”...... “ओजल”... एक बार फिर ओजल को पुकारा गया और ओजल ने चमचे पारस की लाश गिरा दी। पलक एक बार फिर पागलों की तरह चीख दी। आर्यमणि इस बार स्क्रीन देखते.... “यार बकवास तुम कर रहे, दोस्त पलक के मर रहे। बेचारी मासूम लड़की कितने थप्पड़ खायेगी। अनुसासन ही नही किसी में...लो भारती सुरक्षित आ गयी। अब कनेक्ट करो एक पूरा ग्रह के राजा से.... मैं भी देखूं राजा कैसा दिखता है?”

आर्यमणि जबतक बात में लगा था, रूही, इवान और अलबेली ने मिलकर भारती को हील करके हॉल में ले आयी। भारती के आंख पर चस्मा था और उसके हाथ और पाऊं कुर्सी से बांधकर बिठा दिया गया।

विश्वा:– क्या मैं अपनी बेटी से बात कर लूं..

आर्यमणि:– तुम तो इमोशनल हो गये बुढऊ... करो...

विश्वा:– भारती... भारती...

भारती:– बाबा मुझे मरना है... जिंदा नही रहना...

विश्वा:– क्या जहर अब भी शरीर के अंदर है...

भारती:– नही बाबा, उसका भयानक खौफ है। जिंदा रहना अच्छी बात नहीं होती बाबा। तुम भी मर जाओ, वरना ये आर्यमणि तुमको भी जिंदगी देगा। जिंदगी अच्छी चीज नही होती और जिंदा रहना बिलकुल गलत होता है।

राजा करेनाराय, लाइन पर आ चुका था.... “ये कैसी बातें कर रही है भारती।”... कह तो उधर से वो कुछ रहा था, लेकिन माइक ऑफ थी... इधर उसके लाइन पर आते ही इवान घुस चुका था कंप्यूटर में। करेनाराय को कुछ समझ में नही आया। वो अपनी ओर से बोले जा रहा था, लेकिन कोई जवाब नही मिल रहा था।... “अब ये चुतिया कौन है?” आर्यमणि जान बूझकर अपमान करते हुये पूछा जिसे सबने सुना...

विश्वा:– आर्यमणि ये कैसी बात कर रहे हो। यही तो है, पूरे ग्रह के राजा।

आर्यमणि उसका माइक जैसे ही ऑन किया... “तू है कौन बे”...

आर्यमणि:– मैं वो हूं जिसके वजह से तेरे एक घटिया साथी भारती को जिंदगी अब गलत लगने लगी है और मौत सही। ज्यादा बे, बा, बू, किया तो तेरा हाल भी भारती की तरह कर दूंगा। अब पहले ध्यान से देख उसके बाद बात करते है।

इतना कहकर आर्यमणि हॉल की दीवार से लेकर डंपिंग ग्राउंड का एक टूर करवा दिया। फिर उसके बाद... “हां बे चुतिये देखा मैं कौन हूं।”..

करेनाराय:– तू तू तू...

आर्यमणि:– ओजल...

ओजल ने इस बार रॉयल ब्लड भारती का सर डायनिंग टेबल पर बिछा दिया। एक बार फिर पलक की दर्द भरी चींख निकल गयी। विश्वा अपना सर पीटते हुये स्क्रीन बंद करने ही वाला था... “विश्वा दादा, तुम्हारे और भी बच्चे है और अपने चुतिया राजा से कहो स्वांस की फुफकार से तू, तू, तू करके तू तू तारा गीत न गाये। मुझे बस बात करनी है। लेकिन अनुशासन बिगड़ा तो लाश गिरेगी... हो सकता है अगली लाश तुम लोगों के उभरते नेता पलक की हो। आगे बढ़ते हैं... तो क्या मैं बात कर सकता हूं...

करेनाराय, गुस्से का घूंट पीते.... “बोलो...”

आर्यमणि:– ये बताओ की तुम लोग पृथ्वी से अपना कारोबार बंद करके कब जा रहे?

करेनाराय:– मैं नही जानता...

आर्यमणि:– ये भी चुतिया निकला.. इसे भी नही पता...

करेनाराय:– बदतमीज लड़के तुझे चाहिए क्या?

आर्यमणि:– तू भी नालायक निकला किसी और से बात करवा...

करेनाराय:– रुक तेरे काल के दर्शन करवाता हूं। ब्रह्मांड के तुझ जैसे मामले वही देखती है।

आर्यमणि:– ओह... जल्दी बात करा उस से... तब तक लोगों के मनोरंजन के लिये ओजल ...

आर्यमणि ने ओजल पुकारा और अगले ही पल एकलाफ का धर दो भागों में विभाजित था। और इस घटना को देखकर स्क्रीन पर नई जुड़ी, करेनाराय की आठवी बीवी और उसकी पहली बीवी की बड़ी बेटी से कम उम्र की बाला अजुर्मी जुड़ चुकी थी। आंखों के आगे ऐसा नजारा देखकर वह भन्ना गयी। माहोल को तो पहले ही भांप चुकी थी।

करेनाराय:– वो कुछ बोल रही है माइक ऑन करो उसका...

जैसे ही माइक ऑन हुआ, कान फाड़ बला, बला, बला होने लगा। आर्यमणि एक बार फिर पुकारा, पर इस बार केवल ओजल ही नही बल्कि संन्यासी शिवम् भी मुख से निकला। पलक अपना सर उठा कर देखने लगी, क्योंकि वह वाकई डरी थी। उसे लग रहा था, सबको डराने के चक्कर में कहीं उसके 2–4 साथी शाहिद न हो जाये।

किंतु इस बार ऐसा कुछ न हुआ, बल्कि चमत्कार सा हुआ। चमत्कार वो भी एक बार नही बल्कि 2 बार हुआ। जैसे ही आर्यमणि ने संन्यासी शिवम् और ओजल कहा, तीनो इकट्ठा हुये और अगले ही पल तीनो अजूर्मी के स्क्रीन से दिख रहे थे। एक झलक उसके स्क्रीन से दिखे और अगले ही पल वापस अपनी जगह पर। बस बदलाव में उनके साथ अजुर्मी भी जर्मनी पहुंच चुकी थी।

संन्यासी शिवम् को कुछ ही वक्त हुये थे टेलीपोर्टेशन सीखे। दूसरे ग्रह पर तो क्या अभी पृथ्वी के एक छोड़ से दूसरे छोड़ तक जाना संभव नही था। लेकिन कल्पवृक्ष दंश एक एम्प्लीफायर था जो मंत्र की शक्ति बढ़ा देता। वहीं जादूगर महान की आत्मा जिस स्टोन की माला में कैद थी, एनर्जी फायर, वह तो कल्पवृक्ष दंश से भी बड़ा एम्प्लीफायर था। 2 एम्प्लीफायर पर मंत्र की शक्ति ने वह कमाल किया की तीनो मिलकर गुरु निशि के कत्ल के सबसे बड़े साजिसकर्ता को पृथ्वी ला चुके थे।

अजुर्मी ने आते ही अपने दोनो हाथ और आंख से 2 मिनिट का शो किया। लेकिन वायु विघ्न मंत्र के आगे सब बेकार था। वैसे अब तक टकराए नायजो में अजुर्मी थी सबसे खतरनाक। जितना भू–भाग ये खुली आंखों देख सकती थी, वह पूरा भू–भाग ही लेजर की खतरनाक लाल रौशनी की चपेट में होता। इतना ही नहीं बल्कि पूरे भू–भाग को लेजर मे डुबाने के बाद मात्र अजुर्मी के हाथों के इशारे होते और वह लेजर सैकडों किलोमीटर के क्षेत्र को अपनी चपेट में ले चुका होता।

इसे यदि थोड़ा आसान करके समझे और लेजर को पानी मान ले तो... अजुर्मी की नजरें उठी और जितनी दूर देख सकती थी, फिर देखने में पूरा ही हिस्सा आता था, लंबाई चौड़ाई और ऊंचाई... जिसे की सामान्य आंखों से देख सकते थे। तो अजुर्मी की नजरें उठी और जितना हिस्सा उसके आंखों ने कैप्चर किया, उस पूरे हिस्से में पानी ही पानी। फिर अपने हाथ के इशारे से जैसे ही उसे धकेला, वह पानी बिलकुल अपनी ऊंचाई बनाते हुये पल भर में सैकड़ों किलोमीटर का सफर तय कर लेता था।

ऐसी खतरनाक शक्ति से होने वाली तबाही का अंदाजा ही लगाया जा सकता था। मानो अजुर्मी अपने नजरों में एटम बॉम्ब समेटे घूम रही थी। अब ऐसी शक्ति जिसके पास हो वो यदि गुमान करे तो कोई अचरज वाली बात नही। अजुर्मी की वास्तविक उम्र 78 साल थी और अब तक कुल 1 करोड़ लोगों को मार चुकी थी, जिनमे 90% तो इंसान थे।

पृथ्वी पर उसके मुख्य कारनामों में, नायजो को एक पूरे टापू पर बसाने के लिये वहां के समस्त जीवों को वह पलक झपकने से पहले मार चुकी थी। भारत से लेकर समस्त एशिया और अफ्रीका तक में वह कुल 8500 गांव को सिर्फ इसलिए वीरान कर चुकी थी, क्योंकि उस जमीन पर नायजो को बसाना था तथा कारोबार खड़ा करने के लिये जमीन खाली करवाना था। अजूर्मी खुद में एक तबाही थी, जिसके आगे सभी नायजो सर झुका लेते थे। 5 ग्रहों में अजुर्मी के ऊपर बस कुछ चंद नायजो ही बचते थे, जिनसे अजुर्मी हुक्म लिया करती थी।

पहले तो अल्फा पैक के पास कोई नाम नहीं था। आज की प्रस्तावित मीटिंग में किसी बड़े औहदे वाले विकृत नायजो को टेलीपॉर्ट करके लाना था। किंतु गुरु निशि के मुख्य साजिशकर्ता का नाम जबसे बाहर आया था, पूरा अल्फा पैक बिना उस साजिशकर्ता का इतिहास जाने, उसे ही मिट्टी में मिलाने का फैसला कर चुकी थी। शायद अजुर्मी अपने खौफनाक शक्ति से सबको मिट्टी में भी मिला सकती थी, किंतु अस्त्र और शस्त्र के खेल में उलझकर उसकी सारी शक्तियां फिसड्डी साबित हो गयी।

अस्त्र जिन्हे फेंककर हमला किया जाता है। जैसे बंदूक से निकली गोली, कोई तीर, या हाथों से फेंका गया भला। जितने भी अस्त्र होते है, वह चलाने वाले के शरीर के किसी भी हिस्से से जुड़े नही होते और लगभग सभी अस्त्रों का हमला हवाई मार्ग से होता है। ऐसे हमलों को वायु विघ्न मंत्र पल भर में काट देता। जबकि शस्त्र को पकड़कर उस से हमला किया जाता है। जैसे की लाठी, तलवार, भला या अन्य हथियार जिन्हे हाथ में लेकर हमला किया जाता है। अजुर्मी के आंखों का लेजर वाकई बहुत ज्यादा खरनाक था। लेकिन संन्यासियों और अल्फा पैक के बीच उसकी ये शक्ति दम तोड़ चुकी थी।

आर्यमणि लाइव स्क्रीन पर अजुर्मी को एक थप्पड़ मारते... “ओ बेवकूफ प्राणी, ये सब तिलिस्मी शक्ति यहां काम ना आया, तभी तो तुम्हारे जैसे कीड़े कुछ दीवारों से टंगे है, तो बहुत सारे पीछे कचरे की तरह फेंके गये है। इसे भी पैक करो जरा मैं बात कर लूं।”...

पैक का ऑर्डर होते ही अजुर्मी पहले प्लास्टिक से, फिर उसके ऊपर मजबूत जड़ों में पैक हो गयी और उसे भी डंपिंग ग्राउंड में फेंक दिया गया। आर्यमणि वापस से स्क्रीन पर आते.... “क्यों बे चूतियो तुम वहां से कुछ भी धमकी दोगे और हम सुन लेंगे। कुछ देखा, कुछ सुना, कुछ समझा”....

तभी बीच में करेनाराय टोकते... “मेरी बीवी... वो, वो कैसे ले गये उसे यहां से पृथ्वी पर”...

आर्यमणि:– कब, कहां, क्यों, और कैसे का जवाब तु अपने लोगों से बाद में ले लेना फिलहाल....

करेनाराय:– मेरी बीवी को ऐसे जानवरों की तरह पैक करके कहां ले जा रहे?

आर्यमणि:– साला अनुशासन ही नही है। शिवम सर, ओजल... (मन में विश्वा कह दिया)..

दोनो अंतर्ध्यान होकर विश्वा के पास पहुंचे और ओजल उसे, उसी के घर पर चीरकर संन्यासी शिवम् के साथ लौट आयी।..... “अब देखो अनुसासन का परिचय न दोगे, और ऐसे बीच में बात काटते रहोगे तो क्या मैं केवल यहां प्यादों को मारने का शो दिखाता रहूं। अब सब शांत होकर पहले देखो, सुनना बाद में”...

करेनाराय:– कुछ भी करने से पहले मेरा प्रस्ताव सुन लो...

आर्यमणि:– हां बोल...

करेनाराय:– हम पृथ्वी छोड़ देंगे... तुम अजुर्मी के साथ बाकियों को भी छोड़ दो...

आर्यमणि, सबको म्यूट करते..... “तू शो इंजॉय कर चुतिये। यहां जिसे मैंने बात करने बुलाया था, पलक और पलक अपने जिन 56 साथियों (30 पलक के लोग+ 22 पलक के ट्रेनी + 4 चमचे) के साथ आयी थी, उनमें से 52 ही जिंदा जायेंगे। हालांकि इसके 4 दोस्त जो स्क्रीन पर कट गये, उसकी वजह तुम लोगों की अनुशासनहीनता थी, वरना वो भी जीवित रहते.. तो पहले शो इंजॉय करो उसके बाद पृथ्वी छोड़ने पर बात होगी...

स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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भाग:–135


स्क्रीन सीधा डम्पिग ग्राउंड गया। माहोल तैयार था और आर्यमणि के एक कमांड से 40 फिट का एरिया 40 फिट नीचे घुस गया (छोटे–छोटे बॉम्ब का कमाल था, जिसे अपस्यु ने वुल्फ हाउस के बाहर लगवाया था)। उतना नीचे गिरते ही कई जीवित नायजो का प्लास्टिक फट गया। वो नीचे से ही चीखने और चिल्लाने लगे। नजरों से लेजर और अपने हाथों से हवा, आंधी, तूफान इत्यादि उठाने लगे। कई नायजो तो गड्ढे के ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहे थे परंतु कुछ फिट ऊपर चढ़ने के बाद नीचे गिर जाते। खुद को गड्ढे से बाहर निकालने के जितने जतन कर सकते थे, कर रहे थे।

बड़े बड़े फोकस लाइट उस गड्ढे को पूरा रौशन कर रहे थे, जहां नायजो की फंसी अपार भीड़ को देखा जा सकता था। अचानक ही चारो ओर से जड़ें फैलनी शुरू हो गयी। मोटे–मोटे कांटों वाली जड़ें हर नायजो के शरीर मे घुस रहा था। एक के ऊपर एक चारो ओर से गोल–गोल घुमाकर नायजो के ऊपर नायजो को कांटों की अर्थी पर लीटा दीया गया।

सभी जिंदा नायजो 40 फिट के गड्ढे में कांटों की अर्थी पर लेटे थे। रूही ने उनके दर्द पर तड़का लगाते हुये सबको एक जैसा ट्रीटमेंट दिया। और कैस्टर ऑयल के जहर का स्वाद सबने एक साथ चखा। सभी पीड़ित नायजो एक जैसा दर्द महसूस कर रहे थे। छोटे–छोटे मक्खी कैमरा उड़ते हुये नीचे फसे नाजयो के चेहरे पर फोकस कर रहे थे। स्क्रीन देख रहे लोग स्क्रीन क्या देखेंगे, चारो ओर से आती चींख पर अपना कलेजा पकड़कर बैठ गये। लागातार आधे घंटे तक सबको चींख सुनाने के बाद खेल शुरू हुआ सबको जिंदा जलाने का।

इसके लिये आर्यमणि खुद भी डंपिंग ग्राउंड तक गया। अल्फा पैक के हर वुल्फ ने जमीन पर पड़े एक जड़ को छू रखा था। साफ देखा जा सकता था की अल्फा पैक के सभी वुल्फ की नब्ज से काला द्रव्य बहते हुये जड़ों में उतर रहा था। और वहां से नीचे पूरे कांटों की अर्थी में फैलता जा रहा था। स्क्रीन पर तो मात्र बड़ा सा विशालकाय गड्ढा दिख रहा था, जहां से पागल कर देने वाली चिंखे निकल रही थी। कैमरा इतने क्लोज एंगल में था कि सैकड़ों नयजो का बड़ा खुला मुंह कैप्चर हो रहा था। खासकर अजुर्मी के ऊपर तो 4 कैमरा अलग–अलग एंगल से फोकस था।

तभी लोगों ने देखा बड़े से कुवानुमा गड्ढे में एक पतली लाइन जलते जा रही थी। सबको समझते देर न लगी की यह आग थी। वह आग जैसे ही नीचे पहुंची, धू–धू–धू करती लपटें कुएं के बाहर तक 40–45 फिट ऊंची उठ रही थी। वुल्फ पैक के टॉक्सिक इतने ज्यादा प्रजवलनशील थे कि उसके सामने एलपीजी भी फेल हो जाये। और नीचे लिपटी जड़ें, जलने के बाद पहले कोयला बनती फिर कोयला जलकर राख बनता। इतने में तो सब स्वाहा हो जाना था।

10 मिनट तक उन्हे लगातार जलाते दिखाने के बाद आर्यमणि पुनः स्क्रीन पकड़ते.... “तो जैसा की आप सबने देखा और मेहसूस किया की, गुरु निशि और उसके शिष्यों को जलकर कैसा लगा होगा। कैसा लगा होगा उनके अभिभावक को, जिनके पास उनके बच्चों के मरने की सूचना तो थी, पर उस जगह साबूत कुछ न बचा था। तुम सब कान खोलकर सुन लो... पृथ्वी खाली करने के लिये मैं तुम सबको 3 साल का वक्त देता हूं। यहां जितने काम अधूरे है, उन्हे समेटो और चलते बनो। हां लेकिन कई अपराधिक मामलों में जितने विकृत नायजो नेता दोषी है, उनके पास भी केवल 3 साल का वक्त है। खुद को दर्द भरी मौत से बचाना है तो आसान मौत का तरीका खुद ढूंढ लेना। वरना भागकर ब्रह्मांड के किसी भी कोने में छिप जाओ, वहां जाकर केवल तुम्हे ही नही मारूंगा, बल्कि विश्वास मानो उस जगह से समस्त नायजो को ही साफ कर दूंगा।”

“जो 3 साल का वक्त मैने तुम्हे दिया है, उन 3 साल में यदि एक भी इंसान को तुम्हारे वजह से खरोच भी आयी तो फिर मैं काल बनकर आऊंगा। फिर तुम्हे मौत नही दूंगा बल्कि दर्द भरी जिंदगी दूंगा। मेरे कांटे तुम्हे बदन के हर हिस्से में घुसे होंगे। तुम अपनी हीलिग की वजह से मारोगे नही और जड़ों के पोषण से तुम भूखे रहोगे नही। बस कांटों के दर्द का मजा अपने अनंत काल के जीवन तक लेते रहोगे। और इस पूरे संधि का गवाह बना तू करेनाराय, खास ख्याल रखना की संधि टूटे न वरना मेरा पहला शिकार तू होगा।”

करेनाराय, इशारों में माइक ऑन करने कहा। आर्यमणि ने जैसे ही माइक ऑन किया..... “तू कितने मार सकता है। हमारी संख्या भी जनता है? तुझे पहले ही कहा था, मेरो बीवी को छोड़ दे, लेकिन तु नही माना। अब तेरी इस बदसुलूकी का अंजाम पृथ्वी के समस्त इंसान भुगतेंगे। उन्हे जब पता चलेगा की हम कौन है और क्या कर सकते है, तब वो थर–थर मूतेंगे। हमारे कदमों में बिछ जायेंगे।”..

आर्यमणि:– हमारे माथे पर क्या कुछ लिखा है। मैं तेरी बीवी को छोड़ देता और कुछ दिन शांत होकर मेरे खिलाफ ही साजिश रचती। और ये जो तू धमकी दे रहा है ना इंसान भुगतेंगे... नाना ऐसे मामलों में जवाब तो अपनी अलबेली ही देगी... अलबेली इस चुतिये राजा को जरा ठीक से समझाओ...

अलबेली:– “सुन बे फटे दूध की खट्टी औलाद, चुतिये पृथ्वी के इंसान तो तेरे जुल्म पहले से भुगत रहे। तू इस बात का डर क्यों दिखा रहा की भुगतेंगे। हां पर तू शायद इंसान को ठीक से समझता न है। तो पहले तुझे मैं इंसान से परिचय करवा दूं। इंसान की उत्पत्ति के पहले, उनकी उत्पत्ति के वक्त और उनकी उत्तपत्ति के बाद भी पृथ्वी जो था, कई विशाल और खूंखार जानवर का घर हुआ करता था। ये बड़े–बड़े डायनाशोर जो अकेले ही लाखो इंसानों को मार सकते थे। उस दौर में शायद मारे भी होंगे लेकिन आज विलुप्त है।”

“जंगल का राजा शेर, इंसानों के मुकाबले कहीं ज्यादा ताकतवर होता है। आज वो विलुप्त के कगार पर है और इंसान उनका संरक्षण कर रहे। साले फटे ढोल के बेसुरा नतीजा ठीक से जानता भी है क्या इंसान को? इंसान वो है जो अपने उत्पात मचाने की ताकत से ईश्वर तक को पृथ्वी पर आने के लिये विवश कर चुके। उतना ही नही उन उत्तपाती इंसानों को ईश्वर अपने ईश्वरीय रूप में नही मार सकते थे, इसलिए इंसान को मारने के लिये ईश्वर तक को इंसान बनकर जन्म लेना पड़ा। तू ऐसे इंसान को घुटनों पर लायेगा जिनकी दुनिया में हम जैसे वेयरवोल्फ, इक्छाधरी नाग, अनेकों तरह के सुपरनैचुरल अपना अस्तित्व छिपाकर जीते है। कसम से एक बार अपने अस्तित्व का प्रमाण तू इंसानों के बीच दे दे, फिर तो हम छुट्टियां मनाने जायेंगे और तुझे जो अपने समुदाय के संख्या पर गुमान है, उसे फिर वही इंसान संरक्षित करके कहेंगे... “विलुप्त नायजो को मारना कानूनन अपराध होगा।” कुछ समझ में आया की नही मंद बुद्धि। इंसान जो है वो तेरे बाप है और पृथ्वी पर बाप बेटे के सामने झुकते नहीं।”

आर्यमणि:– कुछ समझ में आया बेसुरा नतीजा। इसलिए जहां है वहां शांति से राज कर और यहां पृथ्वी से अपने जैसों को समेटकर चलता बन। नही, यदि चुलक ज्यादा मची हो तो आज के बाद तुम में से कोई भी किसी इंसान को खरोच देकर बताना... पहले तो मैं ही इंसानो के सामने तुम्हारे अस्तित्व को उजागर कर दूंगा। साथ ही साथ करेनाराय तुझे मैं कांटों की ऐसी चिता पर लिटाऊंगा जिसके दर्द से तुझे भी जिंदा रहना गलती लगने लगेगा।

आर्यमणि अपनी बात कहकर लाइन डिस्कनेक्ट कर दिया। सभी सिस्टम समेट लिये। पलक तेजी से खुद को आजाद करती गुस्से में आर्यमणि पर चिल्लाने लगी...

आर्यमणि, पलक का गुस्सा समझते... “धीरे से थप्पड़ मारने पर वो रिएक्शन नहीं आता, जो तुम दे रही थी। क्या समझी?”

पलक, खुद को पूरा शांत करती.... “मैं थप्पड़ के लिये नही चिल्लाई। खैर, मैं समझ रही हूं, क्यों तुमने कहा था कि “पहले हमारे पास कोई नाम नहीं, लेकिन अब है।”... यदि मैं अजुर्मी का नाम नही बताती तो शायद यहां करेनाराय को टेलीपोर्ट करके लाते...

आर्यमणि:– हां बिलकुल सही समझी...

पलक:– सही वक्त पर मेरे मुंह से एक नाम निकल गया वर्ना दुश्मन को ठीक से न पहचान पाने के भूल की सजा भुगत रहे होते..

रूही:– क्या मतलब सजा भुगत रहे होते?

पलक:– आर्य ने तो टेलीपोर्ट करके अजुर्मी जैसे पापी को कोई मौका नहीं दिया, सीधा यहां ले आया। नतीजा पक्ष में रहा। पर करेनाराय बिलकुल उसका उलट शिकार होता। उसके पास अचानक पहुंचकर अजुर्मी की तरह टेलीपोर्ट नही कर सकते थे।

रूही:– ऐसा क्यों..

पलक:– “गुरियन नामक एक पूरा प्लेनेट है। शायद पृथ्वी से भी बहुत बड़ा प्लेनेट होगा। उस प्लेनेट पर 300 करोड़ नायजो आबादी बसती है। उस पूरी आबादी को अकेला करेनाराय नियंत्रित करता है। पृथ्वी का पहला एक्सपेरिमेंटेड बॉडी और लगभग 450 वर्ष की आयु। नायजो की कुछ खास बातें तुम सबको समझनी जरूरी है। नायजो की शक्तियां कहीं न कहीं प्रकृति से जुड़ी है और प्रकृति से जुड़े रहस्य को खोज निकालने में वो माहिर होते है। सोलस, नायजो इतिहास और रहस्य की पुस्तक ले आओ”...

“तुम सब इस पुस्तक को जरूर पढ़ना। बाकी संक्षिप्त जानकारी मैं करेनाराय के बारे में दे देती हुं। वह अनोखे पत्थरों का जानकर है और उनके इस्तमाल करने में महारत हासिल किया है। कोई भी यदि करेनाराय को बिना उसकी मर्जी के छूने जायेगा तो वह एक अभेद जाल में फंसकर रह जायेगा। उसके सीने पर लटक रहा सौभाग्य पत्थर वह पत्थर है, जिसका सौदा तो हुर्रीयेंट और विषपर प्लेनेट पर बसने वाले नायजो के मुखिया भी करना चाहते है।”

“इन दो ग्रहों के नायजो आज भी अपने पुराने धरोहर को गुप्त रूप से आगे बढ़ाते है जिनमे... जड़ी–बूटी विज्ञान, दुर्लभ पत्थर विज्ञान, कंबाइंड नेचुरल एंड आर्टिफिशियल साइंस और हाई–टेक मॉडर्न साइंस आते है। यूं समझ लो की विषपर और हुर्रीयेंट के नायजो ऊंचे दर्जे के नायजो है, जो अपने बारे में किसी से बात नही करते। अपने किसी भी टेक्नोलॉजी का राज नही खोलते। हमे बस उनका बनाया समान मिलता है जिन्हे हम इस्तमाल कर सकते है, लेकिन वह बनता कैसे है इस बात को जान नही सकते।”

“करेनाराय ने वह सौभाग्य पत्थर कहां से पाया किसी को नही पता। लेकिन उस पत्थर के गुण अजूबे है। ये पत्थर न तो किसी प्रकार का विध्वंश फैलता है ना ही इसके कोई वास्तविक प्रत्यक्ष गुण है। केवल अप्रत्यक्ष गुण है और उस गुण के चलते यह पत्थर ऊंचे कुल वाले विषपर और हुर्रीयेंट प्लेनेट के नायजो को भी चाहिए। सौभाग्य पत्थर सौभाग्य लाता है। अप्रत्यक्ष रूप से तो इसके बहुत फायदे हैं लेकिन यदि बात करे किसी हमले की तो”...

“किसी भी प्रकार का हमला क्यों न हो। घटना छोटी, मध्यम या कितनी ही बड़ी क्यों न हो... सौभाग्य पत्थर अपने धारक को हर घटना से दूर रखता है। अब करेनाराय को सुई चुभोने जाओ या उसे एटम बॉम्ब से मारो, सौभाग्य पत्थर दोनो ही घटना को निष्क्रिय कर देगा। निर्जीव चीज निष्क्रिय हो तो किसी को पता नही चलता। किंतु सोचकर देखो यदि तुम करेनाराय के ऊपर हाथ रखे और हाथ रखते ही निष्क्रिय अवस्था में आ जाओ तब”..

आर्यमणि:– हम्मम... मतलब वो करेनाराय डरा नही बल्कि उल्टा वो हमले की तैयारी कर रहा होगा। मैने बहुत बड़ी बेवकूफी कर दी...

पलक:– अंदर से खून उबाल मार रहा है। क्या कहूं तुम्हारे इस बेवकूफी पर। फिर से एकतरफा योजना जहां दुश्मन को पूर्ण रूप से जाने बगैर फैसला किये। इस बार इंसानों की जान वाकई खतरे में है। अब तो आमने–सामने की लड़ाई होगी, जिसमे पता न कितना जान जायेगा।

ओजल:– थोड़े बेवकूफ है तो अब पूरा बेवकूफ बना जाये... चलो करेनाराय को वाकई में डराया जाये। जो पत्थर करेनाराय से ऊंचे खून वाले, न जाने किस–किस ग्रह के नायजो न ले पाये उसे हम लेकर आते हैं।

सभी एक साथ.... “मतलब”..

ओजल:– मतलब साफ है कि आज यहां से करेनाराय को बिना डराये गये, तब वह इंसानों के लिये और खासकर अपने परिवार के लिये बड़ा खतरा बन जायेगा। तो चलो उसके सौभाग्य पत्थर को छीनकर न सिर्फ करेनाराय को डराए, बल्कि समस्त नायजो के उन सभी वीर को डरा दे, जो अलौकिक वस्तु अपने पास रखकर खुद को वीर समझते हैं। करेनाराय आज एक उधारहण बनकर उभरेगा जिसकी हालत देख दूसरे नायजो कितना भी बलवान क्यों न हो, खौफ में आ जायेगा...

आर्यमणि:– हां लेकिन ये होगा कैसे... अभी–अभी तो उसकी बीवी को उसके प्लेनेट से टेलीपोर्ट किया था। अभी तो वो पूरे सुरक्षा का इंतजाम कर चुका होगा। ऊपर से करेनाराय के पास वो पत्थर भी है... वहां जाने का मतलब खुद की जान ऐसे फेंक कर आ जाना..

रूही:– ये लड़की ना हाथ से निकल गयी है। पता न इसके दिमाग में क्या चलते रहता है। ठीक है जा, लेकिन जिंदा आना...

आर्यमणि:– रूही.... ये क्या कह रही हो.... हम कोई और रास्ता देखते है। इतना खतरा उठाकर नही जाना...

ओजल:– ओ जीजू भरोसा रखो.... उसे डराना जरूरी है। शिवम् सर और निशांत मेरे साथ चल रहे। आपलोग इंतजार करो...

निशांत जो अब तक सेकंड फ्लोर पर छिपा सब कुछ लाइव देख रहा था, वह नीचे आया। आर्यमणि अपने बाजू से एनर्जी फायर निकालकर संन्यासी शिवम् के हाथ में दे दिया। तीनो ही सीधा टेलीपोर्ट होकर करेनाराय के महल के बड़े से उस कमरे में थे, जहां करेनाराय अपने बड़े–बड़े आला अधिकारियों के साथ बैठा हुआ था।

जैसे ही तीनो टेलीपोर्ट होकर पहुंचे, तीनो जिस स्थान पर थे, उसके चारो ओर पॉइंट बन गये, और देखते ही देखते उन पॉइंट्स से तेज रौशनी सिलिंग तक गयी। यह पॉइंट्स एक गोल घेरे का निर्माण कर रहे थे जिसमे संन्यासी शिवम्, ओजल और निशांत फ्रीज हो चुके थे। पर ये क्या रौशनी के बने एक गोले में तीनो ही फ्रिज थे और उस हॉल के दूसरे हिस्से में भी तीनो नजर आ रहे थे।

इधर तीनो जैसे टेलीपोर्ट होकर उस स्थान पर पहुंचे, निशांत का भ्रम जाल उसी वक्त फैल चुका था। हां लेकिन वो लोग भी तब चौंक गये, जब उनके भ्रम को ही फ्रिज कर दिया गया और वास्तविक रूप में तीनो कहां थे ये सबको नजर आने लगा था।

निशांत:– ओजल जो भी सोचकर आयी थी उसे अभी ही कर दो। इनकी शक्ति तो देखो, मेरे भ्रम तक को कैद कर लिये।

“बस हो ही गया”.... कहते हुये ओजल अपने नब्ज काट चुकी थी। बहते खून के साथ फ्रीज होने के मंत्र वो पढ़ चुकी थी। और चूंकि ओजल एक नायजो थी, इसलिए उसके मंत्र के प्रभाव से वहां माजूद हर नायजो फ्रीज हो चुका था, सिवाय करेनाराय के...

कारेनाराय:– हरामजादी मुझे फ्रीज तो नही कर पायी, लेकिन अब देख मैं क्या करता हूं...

कारेनाराय की बात समाप्त हुई और अगले ही पल वापस से कई बिंदु तीनो को चारो ओर से घेर लिये। हां लेकिन इस से पहले की आगे उन्हे फ्रीज किया जाता, करेनाराय खुद ही फ्रिज हो चुका था। हुआ ये की कल्पवृक्ष दंश की मदद से ओजल पूरा माहोल फ्रीज कर चुकी थी। बस 2 सेकंड का वक्त चाहिए था करेनाराय को जड़ों में जकड़ने के लिये, जिसका मौका खुद करेनाराय ने दे चुका था, अपना डायलॉग मारकर। बस उतने ही वक्त में करेनाराय जड़ों की चपेट में था और जड़ों की कई साखा पर न सिर्फ वह सौभाग्य पत्थर लटक रहा था बल्कि 112 और अनोखे पत्थर थे...
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

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भाग:–136


ओजल और निशांत तेजी दिखाते हुये उन पत्थरों को इकट्ठा करने लगे।.... “तुम्हे कैसे यकीन था कि करेनाराय जड़ों ने लिपटा जायेगा”..

ओजल:– जड़े तो प्रकृति है, और भाला प्रकृति किसी के बदन को छुए तो इसमें मुझे नही लगता की कोई भी पत्थर उसे दुश्मन समझेगा...

निशांत:– कम समय में कमाल की समीक्षा... चलो यहां से चला जाये...

बिना वक्त गवाए ओजल अपना काम पूरा करके सबके साथ वापस लौट आयी। जैसे ही वह पहुंची, रूही ओजल के कलाई को पकड़कर.... “शिवम भैया, इस लड़की को जल्दी से अपने साथ ले जाओ वरना बली प्रथा से जादू के चक्कर में ये एक दिन अपनी जान ले लेगी”...

ओजल बड़े प्यार से अपनी दीदी के गले लगी। ये स्पर्श और एहसास ही कुछ अलग था।... “जा रही हूं दीदी, और बली प्रथा से जादू को अलविदा कहकर लौटूंगी।”..

पलक तालियां बजाती... “कमाल का विश्वास और कमाल का काम.. जब इतना कर लिये तो कारेनाराय को लेते ही चले आते। उसकी जिंदगी समाप्त कर देते फिर तो सब एलियन पृथ्वी छोड़ आज ही भाग जाते”...

संन्यासी शिवम्:– या पृथ्वी पर अनचाहा युद्ध का खतरा आ जाता। किसी को अपने क्षेत्र से भागना हो तो उन्हे डराना चाहिए। और यदि युद्ध चाहिए तो जान से मार देना चाहिए। यह ठीक उसी प्रकार से था पलक जैसे मरते हुये विकृत नायजो को तुमने चाकू मारने का विचार दिया। वह मर तो रहे ही थे। खोने को कुछ न था, फिर क्या चाकू चलाए, उनका नतीजा सबके सामने था। करेनाराय अब पूर्ण रूप से डरा होगा। उसके साथ–साथ वो लोग भी सकते में आ गये होंगे जिन्हें लगता होगा की अपने तिलिस्म के दम पर वह कुछ भी कर सकते है। आज के मीटिंग का मकसद ही डराना था जो पूरा हुआ।

आर्यमणि:– सही कहे शिवम् सर.. हम सब भी यहीं सभा समाप्त करते है, लेकिन इतने सारे दुर्लभ पत्थर का करे क्या? चूंकि पलक इसकी जानकर है इसलिए इसे समझने के बाद अभी ही इसपर कोई फैसला लेकर चलेंगे.....

पालन ने अपने खास साथी सोलस को इशारा किया। वह तुरंत ही एक बैग के साथ लौटा। पलक बैग से एक छोटी सी चमचमाती छेनी, हथौड़ी और एक चिमटा निकाली। एक पत्थर को सोलस ने चिमटे से पकड़ा और पलक ने छेनी से उस पत्थर को तराशना शुरू किया। एक इंच लंबे, चौड़े और मोटे पत्थर के बीच से चमकता हुआ छोटा मोती जैसा हिस्सा निकाली। सोलस के लाये बैग से 4 इंच चौड़ा और 12 इंच लम्बा एक प्लेन पत्थर के टुकड़े की सतह पर उस मोती से पत्थर को कुछ देर घिसने के बाद.... “लो ये पत्थर अपने सबसे प्रबल रूप में आ गया है। देखना चाहोगे कमाल”.....

इतना कहकर पलक ने वह पत्थर मुट्ठी में दबाया और दौड़ लगा दी... वह ऐसे दौड़ी जैसे अदृश्य हो गयी हो। लोगों ने जब भी उसे देखा अपनी जगह पर ही देखा, लेकिन उनके आस पास की चीजें कब अस्त व्यस्त हुई पता भी नही चला। रुक कर जब वो अपनी मुट्ठी खोली, उसके हाथ में बस धूल ही धूल थे..

पूरा अल्फा पैक बड़े ध्यान देखने लगा। मन में जिज्ञासा आना लाजमी था, और सवाल अपने आप होटों पर... “अभी इस पत्थर की मदद से कोई जादू हुआ था क्या? और ये पत्थर कणों में कैसे तब्दील हो गया?

पलक:– “आराम से सब बताती हूं। पत्थर की शक्तियों को जितना इस्तमाल करेंगे, वह पत्थर उतना ही अपने अंत के करीब जायेगी। पत्थर का मूल रूप उसके मध्य में होता है, जिसके ऊपर पत्थर की कठोड़ परत पड़ी होती है। जैसे की अभी लाये पत्थर में से ये पत्थर गति को इतना बढ़ा देता है कि लोग अदृश्य लगने लगते है। परंतु यह पत्थर एक बार इस्तमाल में लाये जाने के बाद ध्वस्त हो गया।”

“प्रयोग में लाये जाने के हिसाब से पत्थर की शक्ति निर्भर करती है। अब जैसे ओजल के दंश का पत्थर, वह एक अलौकिक और अंतहीन पत्थर है। इसका कितना भी प्रयोग करो कहीं से भी क्रैक नही होगा। उसके बड़े से आकर को देखो। मूल रूप से पत्थर का मध्य भाग जो मोती से ज्यादा बड़ा नहीं होता बस उतना ही काम का हिस्सा रहता है, और वो हिस्सा जितना कवर रहेगा उतना ही असर कम दिखाएगा। परंतु ओजल के दंश का पत्थर जो है वह अपने मूल रूप में है। इतना बड़ा दुर्लभ पत्थर पूरे ब्रह्मांड में बहुत ही मुश्किल से मिलेंगे।”

“अंतहीन पत्थर काफी दुर्लभ होते है, मिलना मुश्किल और मिल गया तो संभालना मुश्किल और संभाल लिये तो दुश्मनों से अपना जान बचाना मुश्किल... उसके अलावा निचले स्तर के पत्थर आते है, जिन्हे मैं कैटिगरी 1, 2, और 3 में बांटे हूं... कटीगरी 3 के पत्थर एक बार ही प्रयोग में लाये जा सकते है। जिस पत्थर को अभी सबने देखा। कैटोगरी 2 के पत्थर 10 साल तक चलते है, लेकिन जैसे–जैसे प्रयोग में आता जायेगा, उसका असर धीरे–धीरे कम होता जायेगा और फिर दम तोड़ देगा। पहले कैटोगेरी के प्रयोग में लाये जाने वाले पत्थर का कितना भी इस्तमाल करो उसका असर कभी कम नही होता, लेकिन कोई निश्चित नही की कब उन पत्थरों में क्रैक आ जाये और वो नष्ट हो जाये। हां लेकिन ऐसे पत्थर को पौराणिक तरीके से बचाने का उपाय पहले से है। हिंदू आस्था के प्रतीक शिव लिंग के कई अलौकिक रूप को ऐसे ही संरक्षित किया जाता है। उन विधि को यदि पूरे नियम से माने जाये तो कैटिगरी 1 के पत्थर को अंतहीन पत्थर को तरह इस्तमाल कर सकते हैं। फिर उनसे मिलने वाले लाभ कभी कम न होंगे न कभी खत्म होंगे और कैटोगारी 1 के पत्थर मिलने में थोड़े आसान भी होते हैं।

आर्यमणि:– पत्थरों की अद्भुत जानकारी तुम्हे मिली कहां से...

पलक:– मैं पिछले कई महीनों से बस इसी पर रिसर्च तो कर रही हूं। दुनियाभर के बड़े–बड़े पुस्तकालय को ही छान रही थी। जितनी जानकारी जहां से भी मिली, बटोर रही थी।

संन्यासी शिवम:– पलक तुम सभी पत्थरों को यहां तरासो। उनके गुण और अवगुण सभी को बताओ। किस वर्ग का कौन सा पत्थर है, वो भी बताना। फिर मैं बताऊंगा की उन पत्थरों को आसानी से संरक्षित कैसे रख सकते हैं और प्रयोग में लाये जाने वाले एक भी पत्थर कैसे प्रयोग करने वाले से कभी चुराया नही जा सकता...

पलक खुशी से उछल गयी। उछलकर वह सीधे संन्यासी शिवम के गले लग गयी। रूही पलक को उनसे अलग करती.... “मतलब अब शिवम् सर पर डोरे डाल रही।”..

पलक:– अब क्या दूसरों पर भी डोरे न डालूं.. क्या चाहती है, तेरे पति पर ही डोरे डालूं...

रूही:– नाना मैं तो तुझे तेरी उस हाहाकारी की याद दिला रही थी जिसके बारे में तुमने बताया था... एक पहले से है, तब क्यों सबके गले पड़ रही...

आर्यमणि:– चुप हो जाओ रे तुम सब। इन लड़कियों की बात समाप्त ही नही होती... लो पत्थरों का ढेर लग गया।

पत्थरों के ढेर में वह पत्थर भी था जो आचार्य जी निकलते वक्त आर्यमणि और अपस्यु को दिये थे। डायनिंग टेबल पर कुल मिलाकर 848 पत्थर थे। सब लोगों की मदद से काम जल्द ही समाप्त हो गया। एनर्जी फायर और नागमणि को छोड़कर कुल 22 पत्थर थे जो अंतहीन पत्थर थे। ज्यादातर अंतहीन पत्थर सुकेश के घर से चोरी की हुई पत्थरों में से था। कुछ पलक पास अंतहीन पत्थर थे तो कुछ पत्थर करेनाराय से मिला था।

128 पत्थर जो थे वह कैटोगारी 1 के पत्थर थे, जिन्हे संभाल कर रखते तो अंतहीन इस्तमाल किया जा सकता था। इन पत्थरों में वह पत्थर भी सामिल थे जो अल्फा पैक को मंत्र सिद्ध करने दिये गये थे। बचे हुये पत्थर को भी अलग–अलग कैटोगारी में बांटा जा चुका था।

संन्यासी शिवम वहां मजूद जितने भी आज के साथी थे, महा से लेकर 52 नायजो और अल्फा पैक, सबको तरासे हुये पत्थर मिले। लेकिन उन्हें यूं ही हाथ में नही दिया गया। बल्कि सन्यासी शिवम् के बड़े से योजन में ओजल और निशांत ने हिस्सा लिया। उन लोगों ने पलक से वह अनोखी धातु मांगी जिसे हाइवर मेटल कहते थे और जो सूरज की भट्टी में तपकर तैयार होता था।

उनकी मदद से तीनो ने मिलकर सबके लिये एमुलेट बनाया। अभिमंत्रित एमुलेट जिसके मध्य में एक बड़ा पत्थर लगा सकते थे और धातु के उस गोलाकार बॉक्स के बीच में कई सारे मोती जैसे पत्थरों को भी रखा जा सकता था। हर एमुलेट उसके पहनने वाले के नाम से अभिमंत्रित किया गया। यदि किसी कारणवश किसी भी वायक्ति की मृत्यु हुई फिर वह एमुलेट स्वतः ही आश्रम पहुंच जाएगी।

कोई चोर एमुलेट को एक क्षण के लिये चुरा जरूर सकता था, लेकिन अगले ही क्षण वो एमुलेट गायब होकर उसके धारक के पास पहुंच जायेगी। कोई ऐसा मंत्र नही था जो एमुलेट को उसके मंत्र से अलग कर सके क्योंकि एक संपूर्ण सुरक्षा घेरे के बीच मंत्र को सिद्ध किया गया था। कोई साधक उसे तोड़ने की कोशिश करता तो पहले सुरक्षा मंत्र को तोड़ना पड़ता, जिसके लिये उसे खुद सामने आकर आश्रम के विरुद्ध लड़ाई लड़नी पड़ती। कई अलौकिक एमुलेट की रचना की गयी जिसमे कम से कम एक पत्थर डालकर सबको सौंप दी गयी।


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सबसे ज्यादा मेहनत अल्फा पैक और पलक के एमुलेट पर किया गया। जिसे हर मानक चिह्न को सिद्ध करते, ग्रहों की संपूर्ण दिशा को साधकर वह एमुलेट बनाया गया था। सबसे ज्यादा पत्थर आर्यमणि के एमुलेट में ही थे, जिसमे 25 तराशे हुये अंतहीन एनर्जी स्टोन को एक चेन में लगाया गया था, जिसके बीच एक रक्षा स्टोन था, जिसे आचार्य जी ने दिया था। ठीक वैसे ही एमुलेट की रचना बाकियों के लिये भी किया गया था, जिसमे पत्थर की संख्या कम या ज्यादा हो सकती थी।

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सबको अपना अपना एमुलेट मिल गया था। तराशा हुआ सौभाग्य पत्थर संन्यासी शिवम ने ओजल को उसकी सूझ–बूझ और बुद्धिमता के लिये दे दिये। पलक के पास जो 5 स्टोन थे वह भी अंतहीन स्टोन ही थे, जिसे उसके एमुलेट में डाल दिया गया था। इसके अलावा पलक के एमुलेट में 6 कैटोग्री 1 वाले तराशे पत्थर भी थे, जिन्हे सन्यासी शिवम् अपनी स्वेक्षा से पलक को सौंपे थे। सबसे ज्यादा खतरे के बीच पलक ही थी, इस बात को ध्यान में रख कर।

इतनी अलौकिक वस्तु पाकर पलक और उसकी टीम काफी खुश थी। सबके एमुलेट में तराशे हुये कई नये पत्थरों को रखा जा सकता था। पलक ने एमुलेट के तर्ज पर ही एक बड़ा बॉक्स बनवाया, जिसके अंदर जो पत्थर एक बार गयी, फिर कभी चोरी न हो सके। क्योंकि उसे पता था, नायजो के पास अलौकिक पत्थरों की कमी नहीं थी।

बातों के दौरान ही पलक अपनी शक्तियों के राज से पर्दा उठाती हुई कहने लगी... “मैं शक्ति के पीछे नही थी और न ही मैं प्रथम श्रेणी की नायजो हूं। मेरे पास तो केवल बिजली की शक्ति थी, जिसका ज्ञान मुझे गुरु निशि के आश्रम से लौटने के बाद हुआ था। तुम सब विश्वास नही करोगे, उस छोटी उम्र में मैं कितनी विचलित थी और दिमाग पर पूरे समाज से ही अपनी मां के खोने का बदला लेना था। मैने वैसा किया भी। अपने बाप को बिजली के झटके दिये। अपनी मां को दिया। दोनो मुंह फाड़कर मुझ पर ऐसे हंसे जैसे मेरे विचलित मन की खिल्ली उड़ा रहे हो।”

वह मेरे गुस्से का कारण पूछते रहे पर मैं पूछ न सकी की मेरी मां, अब मुझे मां क्यों नही लगती। धीरे–धीरे वक्त बिता और मैं अपनी शक्ति को अपना अभिशाप समझने लगी, जो मेरे पास तो थी पर किसी काम की नही थी। क्या करूं क्या न करूं कुछ समझ ने नही आ रहा था। मायूसी ने ऐसा घेर रखा था कि मैं पूरी दुनिया से ही अलग–थलग हो गयी। मेरी 10 वर्ष की आयु रही होगी जब अमरावती में मैने किसी महात्मा के मुख से गुरु निशि की एक बहुप्रचलित बात सुनी.... “शक्ति का पास में होना किसी को बलवान नही बनता। शक्तियों के साथ धैर्य और संतुलन ही आपको बलवान बनाता है।”...

“इस छोटे से वाक्य ने मेरी जिंदगी को जैसे बदल दिया हो। 10 साल की आयु के बाद से ही मैं अपने बिजली की ताकत को निखारती रही। बस फिर धीरे–धीरे वही शक्तियां निखरती चली गयी। मेरे आंखों में कौन सी शक्ति है, वो मैं नही बता सकती, क्योंकि उसका ज्ञान मुझे भी नही। जो चीज कहीं दूर से इरिटेट करती है, उसे उड़ाने के ख्याल से देख लो और बूम।”..

पलक की बात को सभी ने बड़े ध्यान से सुना। आर्यमणि ने वहीं से अपस्यु को भी कॉल लगा दिया। वो भारत तो पहुंच चुका था लेकिन अभी योजनाबद्ध काम शुरू करने से पहले बाकी चीजों पर ध्यान दे रहा था। आर्यमणि के कहने पर अपस्यु ने पलक के साथ एक साल काम करने पर राजी हो गया। हालांकि अपस्यु का कहना था... “मैं तो मात्र कुछ इंसान से भिड़ने जा रहा है, राह ज्यादा मुश्किल नही होगी।”

जबकि आर्यमणि का कहना था कि... “सबसे ज्यादा खतरे के बीच वही जा रहा क्योंकि इंसान से बड़ा धूर्त कोई नही और धूर्त के बीच जीत चाहिए तो धैर्य जरूरी है। धैर्य किसे कहते हैं वो पलक से सीखना साथ में उस से पत्थर के रहस्य को भी समझाना।”

हालांकि आर्यमणि का अपस्यु से संपर्क करने के पीछे एक छिपा मकसद भी था। बात जब आखरी चरण में थी तब आर्यमणि ने इशारा दिया और अपस्यु टेलीपैथी के जरिए आर्यमणि से मन के भीतर संवाद करने लगा, जहां आर्यमणि ने अपनी मनसा जाहिर करते हुये कहा.... “पलक की परख करनी जरूरी है। मैं भरोसा करके बार–बार धोखा नही खाना चाहता। इसके अलावा पलक यदि सही है तो पलक और तुम्हारी कहानी लगभग एक सी है। दोनो के पिता ने ही मां का साया बड़ी बेरहमी से छीन लिया। पलक को जब अपने मां के कातिलों के बीच धार्य से काम करते देखोगे तब तुम्हे भी बुरे से बुरे परिस्थिति में धैर्य रखने का साहस मिलेगा।

आर्यमणि और अपस्यु की बातें समाप्त हो चुकी थी। इधर पलक भी सब पैक करके तैयार थी। वह महा और कुछ लोगों के साथ पोलैंड निकलती, जहां उसके दो विश्वशघाती दोस्त प्रिया और सार्थक से हिसाब लेने के बाद भारत पहुंचती... जाने से पहले आर्यमणि ने नकली अनंतकीर्ति की पुस्तक पलक को दे दिया। अंततः जर्मनी की सभा समाप्त हुई। अल्फा पैक पलक और महा को छोड़ने वुल्फ हाउस की सीमा तक पैदल ही निकले।

कुछ दूर चलते ही पलक आर्यमणि से कहने लगी.... “अच्छा हुआ याद आ गया। तुमने जब समान ढूंढने वालों को साफ किया था, उसमे कोई मोनक नाम का लड़का मिला था...

आर्यमणि:– नही जानता, मतलब मर गया है।

पलक:– 220 में अपने काम के 2 ही लोग थे। उसके बचने को भी सभावना नही लगती... चलो कोई न, किसी और को ढूंढना होगा।

आर्यमणि:– मैने एक एलियन को कैद में अब तक रखा है, नाम है जुल...

पलक:– क्या कहा तुमने...

आर्यमणि:– जुल...

पलक एक बार फिर उछली। उसे देख रूही ने जैसे भांप लिया और आर्यमणि को खींचकर अपने पीछे करती... “जुल के आगे बोल जूली”...

पलक खुश होकर रूही के ही गले लगती... “अरे वही तो अपने काम का बंदा है।”

आर्यमणि:– लेकिन वो तो एक्सपेरिमेंट बॉडी वाला नायजो है।

पलक:– उसे सोलस ने सेलेक्स्ट किया था, आंख मूंदकर भरोसा कर सकती हूं।...

आर्यमणि:– 80 इंसान और एक नाजयो का पता भेज दिया हूं। छुड़ा लेना... चलो अब तुम्हे निकालना चाहिए... हम भी यहां से सब समेटकर निकलेंगे...

पलक एक नजर रूही को देखकर मुश्कुराई। तेजी से वह आर्यमणि के होटों को चूमी और अपने कान पकड़ कर भागी। पीछे से रूही भी भागी लेकिन आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर रोक लिया। यहां तो खुशियां छाई थी। हंसी मजाक और छेड़–छाड़ के बीच सब विदा हो रहे थे। किंतु दूसरी ओर... नायजो समुदाय को अल्फा पैक ने वह नजारा दिखाया था कि सभी भय के साए में थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Zoro x

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भाग:–137






पलक एक नजर रूही को देखकर मुश्कुराई। तेजी से वह आर्यमणि के होटों को चूमी और अपने कान पकड़ कर भागी। पीछे से रूही भी भागी लेकिन आर्यमणि उसका हाथ पकड़कर रोक लिया। यहां तो खुशियां छाई थी। हंसी मजाक और छेड़–छाड़ के बीच सब विदा हो रहे थे। किंतु दूसरी ओर... नायजो समुदाय को अल्फा पैक ने वह नजारा दिखाया था कि सभी भय के साए में थे।

सबको छोड़ने के बाद अल्फा पैक वुल्फ हाउस में आ गया। रूही की घूरती नजर और उसके गुस्से से बचने के लिये आर्यमणि सबको बातों में ही उलझाकर रखा था। लेकिन फिर भी बीच–बीच में रूही तंज मार ही देती। सभी मेहमान चले गये थे, सिवाय स्थानीय रेंजर मैक्स और उसकी टीम। वह जड़ों में लिपटे तीसरे फ्लोर पर आराम कर रहे थे।

आर्यमणि ने उन सबकी कुछ पल की यादस्स्त मिटाई। कुछ औपचारिक मेल–मिलाप हुआ और वहां से वो लोग भी विदा लिये। एक दिन विश्राम के बाद संन्यासी शिवम और निशांत भी जाने के लिये तैयार थे। उन दोनो के साथ ओजल भी निकल रही थी। थोड़े भावनात्मक क्षण थे, नम आंखों से ओजल भी विदा हुई।

अलबेली:– माहोल पूरा शांत, अब आगे क्या?

इवान:– आगे अब मुख्य काम में शादी ही है।

रूही:– किसकी दिलफेक गुरुदेव की, जो सबकी चुम्मी लिया करता है।

आर्यमणि:– रूही अब बस भी करो। पलक ने जबरदस्ती किया था, तुम वहीं थी।

रूही:– हां मैं थी आर्य। उसने जबरदस्ती किया और तुमसे तो पीछे हटा ही नही गया न। तुम्हे तो बड़ा मजा आ रहा था क्यों...

आर्यमणि:– अच्छा सुनो मैं क्या कह रहा था...

रूही:– हां आचार्य जी ने २१ दिसंबर का डेट निकाला है, तब तक कुछ अय्यासी ही कर लेता हूं।

आर्यमणि:– काहे रूही काहे.. काहे इतना ओवररीक्ट कर रही हो?

रूही:– चुम्मा तो छोटा–मोटा मैटर है, सबके मुंह में मुंह लगाए घूमते रहो। मैं हूं ही मूर्ख जो इतनी पिद्दी जैसी बात पर रिएक्ट करने लगी। हूं कौन मैं, गांव की एक गंवार और तुम अमेरिकन सिटीजन...

8 मार्च देर शाम की घटना थी। 9 मार्च बीता, 10 मार्च बीता, 12 मार्च बीता... जर्मनी गया कैलिफोर्निया आया पर रूही का गुस्सा और ताने में एक प्रतिसत की भी कमी नही आयी। सब बहुत दिनों बाद अपने कॉटेज पहुंचे थे। अल्फा पैक आते ही साफ सफाई में लग गया जबकि आर्यमणि बर्कले की स्थानीय खबर लेने निकला।

बर्कले छोड़ने के ठीक एक रात पहले जो घटना हुई थी। वही घटना जिसमे अल्फा पैक को एक अलग ही तरह का नशा दिया गया था और कुछ अजीब से प्राणियों से अल्फा पैक भिड़ी थी। उसी संदर्भ में जानकारी लेने निकला। कुछ देर स्कूल, और जंगल का दक्षिणी हिस्सा छानबीन करने के बाद आर्यमणि सीधा रूही की मासी नेरमिन के इलाके में घुसा। चूंकि उस रात नेरमिन पैक के 10 वुल्फ भी मारे गए थे, इसलिए नेरमिन का पूरा पैक ही आर्यमणि को घूर रहा था...

आर्यमणि:– आज तुम्हारे पैक के हाव–भाव बदले हुये है नेरमिन...

नेरमिन:– अभी तो जंग होनी बाकी है। लूकस और हमारे 9 वुल्फ को क्यों मारा...

ओशुन:– बात ही क्यों करना, सीधा साफ कर दो... वैसे भी अकेला आया है...

तभी अल्फा पैक की दहाड़ एक साथ गूंजी.... “मेरी जान को सीधा साफ कर दोगी, इतनी हिम्मत.... जो दूसरों का शरीर नोचकर उनसे नशा का समान बनाते हो, उनमें इतना गुरुर”...

रूही चिल्लाती हुई अपनी बात कही और आर्यमणि को ऐसा घुसा मारी की उसका नाक टूट गया.... “हम पैक है और किसी वुल्फ के इलाके में घुसना हो तो पैक लेकर घुसा करो। फिर वो दोस्त हो या दुश्मन।”..

नेरमिन:– मतलब मैं तुम्हारी दुश्मन हो गयी? तुम्हे तमीज सीखने की जरूरत है रूही।

रूही:– और अपने बहन की बेटी और उसके परिवार के साथ जो साजिश रची थी, वो तो बड़ा तमीज वाला था न नेरमिन।

रूही की बातें नेरमिन से बर्दास्त न हुई। आवेश में आकर रूही को खींचकर एक तमाचा मारती.... “मेरे 10 लोगों को बर्बरता से मारने के बाद मुझे ही सुना रही है। मैं तो खुद कही थी ना जो भी अल्फा पैक से भिड़ने जायेगा, वो अपनी हालत का खुद जिम्मेदार होगा। फिर यदि लूकस और उसके दोस्त तुमसे भिड़े तो तुम लोग बेशक जो चाहे करते, लेकिन उसके सर को यूं कुचल कर हटाना नही चाहिए था। मुझे भी देखना था कि किसकी गलती थी।”..

रूही:– किसकी गलती थी, उसका पता तक नहीं लगा पायी या सब पहले से ही पता था। वो वाहियात नशीली दवा तुम्हारे पैक के वुल्फ ने दी थी, जिसके असर के कारण मेरी बहन ओजल नब्ज काटे खून को भूमि पर बहा रही थी। मैं और आर्य पूरे स्कूल के बीच एक दूसरे को ऐसे चूमे जैसे कोई आवारा जिस्म की आग में पागल हो गये थे। मेरा भाई इवान और अलबेली इतनी बेसुध थी कि कोई भी इन्हे लतों से मार रहा था और दोनो नग्न अवस्था में पड़े हुये थे।

ओशुन:– तो क्या अब तुम्हारे नशे के भी जिम्मेदार हमारे पैक के बीटा ही थे, जिन्हे तुमलोगाें ने ऐसे मारा की उसके दिमाग से कुछ यादें भी नही लीया जा सके। मूर्ख तो नही समझी हमें, जो ये न समझ सके की कौन नशे का समान बना भी रहा था और इस्तमाल भी कर रहा था। और सजा तो उन्हे मिली, जिसने इस राज का पता लगाया होगा। मां मेरी बातों पर गौर करो...

रूही की भीषण तेज दहाड़ जो चारो ओर गूंज रही थी। इसी के साथ रूही, अलबेली और इवान तीनो एक साथ पंजे झटक कर अपने क्ला बाहर निकालते..... “तो फिर इतनी बातें ही क्यों? चलो एक दूसरे को मारकर सीधा फैसला ही कर लेते है।”

रूही की दहाड़ पर अल्फा पैक जोश में और आज तो रूही की दहाड़ फर्स्ट अल्फा नेरमिन को भी जैसे चुनौती दे रही हो। उसकी दहाड़ से सभी शून्न पड़ गये, सिवाय ओशुन के।.... “मैं इकलौती वेयरकायोटी हूं, जो इतना सक्षम हो चुकी हूं कि तुम जैसों की आवाज से कंट्रोल में न आऊं।”

आर्यमणि:– जब रूही तुम्हे चीड़ रही होगी तब अपने वेयरकायोटी होने का धौंस देना। बहरहाल मैं यहां नेरमिन और उसके पैक की राय जानना चाहता हूं कि पूरे मामले वो क्या सोच रहे है?

नेरमिन के पैक का एक अल्फा.... “आग दोनो ही पैक के सीने में बराबर लगी है। हमने 10 बीटा खोये तो अल्फा पैक के अंदर भी अपने सदस्य को कहीं खो न देते उसका अक्रोश देखा जा सकता है।

दूसरा अल्फा:– हां हम दोनो के ही सीने में एक जैसी आग लगी हुई है।

नेरमिन का पूरा पैक एक साथ.... “दो साथी पैक ही एक दूसरे के जान के दुश्मन बने है, पूरा मामला क्या है?”...

आर्यमणि:– रूही तुम सबको लेकर पीछे हटो और थोड़ी शांत हो जाओ। नेरमिन चलो पहले विश्वास जगाते हैं।

नेरमिन ने सहमति में अपना सर हिलाया और दोनो कदम आगे बढ़ाकर एक दूसरे के सामने आये। क्ला एक दूसरे के गर्दन में घुसे थे और दोनो एक दूसरे की यादों में देख रहे थे। आर्यमणि अपनी यादों में सीधा उस दिन को दिखा रहा था, जिस दिन यह पूरी घटना हुई थी। जबकि आर्यमणि, नेरमिन के दिमाग में बचपन के 8 भाई–बहनों को देख रहा था, जिसमें रूही की मां फेहरीन भी थी। क्या अद्भुत प्रेम था, वर्णन कर पाना मुश्किल। जितनी देर में नेरमिन आर्यमणि के एक दिन की यादाश्त ली, आर्यमणि नेरमिन की पूरी याद को खंगाल चुका था।

नेरमिन झटके के साथ आर्यमणि से अलग होती.... “राजकुमारी कैरोलिन को मार डाले।”... ये वही राजकुमारी थी, जिसे उस रात ओजल ने अपने कल्पवृक्ष दंश से चीड़ दिया था।

आर्यमणि:– जो मर गये उनपर बाद में चर्चा करेंगे, पहले उस रात की घटना पर बात कर ले।

नेरमिन:– हां वो रात... शायद हम दोनो सहयोगी पैक को आखरी चरण तक पहुंचाने की साजिश किसी तीसरे ने रची थी, जो कामयाब रहा। यही नहीं बल्कि उस साजिशकर्ता ने न जाने कितने वुल्फ पैक को बेवजह की दुश्मनी में फंसा दिया वो तो आने वाले वाला वक्त ही बताएगा। अब तो लाशों का खेल शुरू होगा। वेयरवोल्फ और वेमपायर एक बार फिर आमने–सामने होंगे।

आर्यमणि:– वेमपायर हां... तो वो ठंडे बेजान शरीर वाले वेमपायर थे। और वो साजिशकर्ता कौन था, क्योंकि लूकस की भागीदारी यही कहती है कि भेदी तुम नही तो तुम्हारे पैक से कोई होगा...

नेरमिन:– मेरे पैक में इतने होशियार वुल्फ नही जो किसी के खून और अंदुरूनी अंग से किसी प्रकार का नशा बनाने की जानकारी रखते हो। सिवाय एक के जो हम दोनो को अच्छे से जनता था। हम दोनो को तो अच्छे से जानता ही था साथ में पृथ्वी पर पाए जाने वाले अन्य सुपरनेचुरल के बारे में भी अच्छी जानकारी रखता है।

आर्यमणि, नेरमिन को बड़ी ही हैरानी से देखते हुये.... “तुम्हारे इशारे किसके ओर है नेरमिन”..

नेरमिन:– वही जिसका नाम तुम्हारे दिमाग में गूंज रहा है, लेकिन मुंह से लेना नही चाहते... बॉब...

आर्यमणि:– बॉब.. क्या कहा तुमने बॉब... खैर पहली बात तो ये बॉब ने किया नही होगा और यदि बॉब ने किया भी होगा तो ये समझ लो की उसे किसी ने अपने वश में किया था....

नेरमिन:– इतना भरोसा...

आर्यमणि:– आज–कल बहुत कम लोगों पर यकीन होता है। पर जिनपर यकीन होता है फिर वो सामने से भी कुछ गलत करते हुये नजर आये, तो दिमाग में यही चलता रहेगा की पीछे से कोई और करवा रहा है।

नेरमिन:– अब ये तो बॉब के मिलने के बाद ही पता चलेगा।

आर्यमणि:– बॉब यदि जिंदा होगा तो आज ना कल मिल ही जायेगा।

नेरमिन:– क्यों जिसपर इतना यकीन है, उसे ढूंढने भी नही जाओगे...

आर्यमणि:– मामूली चाबुक के दम पर एक शेर से इंसान तमाशा करवा सकता है। मैं ताकतवर के पीछे जा सकता हूं, लेकिन एक दिमाग वाले के पीछे कभी नही। जो भी साजिशकर्ता है, उसे पता होगा की मुझे बॉब चाहिए और बॉब मुझे उसी स्वरूप में चाहिए जैसा मैं उसे जानता हूं। इसलिए बॉब की फिकर नही है, मैं जबतक फसूंगा नही या मर नही जाता तबतक बॉब को कुछ नही होगा। बाकी जिसे दुश्मनी निकालनी है, वो मेरे पीछे आये।

नेरमिन:– दिमाग की कमी तो तुम्हारे पास भी नहीं। इसलिए शायद उस राजकुमारी कैरोलिन को चिड़ने के बाद गायब हो गये थे।

आर्यमणि:– गायब हुआ नही था, बल्कि कुछ निजी काम से गया था।

नेरमिन:– चलो मान लिया, तो क्या जब साजिशकर्ता के ऊपर बात हो गयी है, तो हम वेमपायर के बारे में बात कर ले।

आर्यमणि:– हां बिलकुल...

नेरमिन:– “वेयरवोल्फ और वेमपायर उत्पत्ति के समय से ही एक दूसरे के दुश्मन रहे है। हालांकि वेमपायर शुरू से ही वेयरवोल्फ का इस्तमाल करते आया था, लेकिन बाद में जबसे वेयरवोल्फ हावी हुये वेमपायर को छिपना पड़ गया। हमे अर्जेंटीना से बर्कले भी इसलिए बुलाया गया था, ताकि वेमपायर पर शिकंजा कसा जा सके। लगभग 40 वर्ष पूर्व एक संधि हुई, जिसमे वेमपायर काउंसिल अपनी दुनिया समेटकर फिर कभी किसी के रास्ते में न आने का करार किये। बदले में उन्हें भी कोई परेशान न करे।”

“राजकुमारी कैरोलिन दरअसल इंसानी दुनिया में न्यूयॉर्क पुलिस डिपार्टमेंट की डिटेक्टिव थी, वो भी सबसे कम उम्र की। उसका पिता, भुआन, एक यूएस सीनेटर है। यूं समझ लो कैरोलिन का बड़ा सा परिवार, वेमपायर और बाकी दुनिया के बीच की दीवार है और उस दीवार में तुमने सुराख कर दिया है। सायद उन्हे अब तक कातिल मिले नही या तुम्हारे गायब होने के कारण वह तुम्हे ढूंढ न पाए, वजह जो भी हो। लेकिन वो लोग कुछ महीनो से शांत है, इसका मतलब जरूर किसी जलजले की तैयारी कर रहे है।”

आर्यमणि:– तुम लोग अपनी जान बचाओ। बाकी देखते है, ये दुश्मनी का जलजला क्या रंग लाता है? वैसे वेमपायर के बारे में मैने सुना था कि वह दिन की रौशनी में नही निकल सकते। फिर ये किस प्रकार के वेमपायर है जो दिन में निकल सकते हैं?

नेरमीन:– तुमने वेमपायर के बारे में जब सुना होगा, तब साथ में एक अल्केमिस्ट का जिक्र भी हुआ होगा। उसी अल्केमिस्ट का कमाल है जो आज के वक्त के बहुत से वेमपायर खुद को मोडिफाई कर चुके है।

“अब ये क्या है? लगता है तुम्हारा कहा जलजला आज ही तो नही आ गया।?”... आर्यमणि ऊपर आसमान में हुई हलचल को देखते हुये कहने लगा।

बात किसी नतीजे पर पहुंचती उस से पहले ही 4–5 हेलीकॉप्टर सर के ऊपर मंडराने लगे। धूल के आंधी के बीच सभी हेलीकॉप्टर लैंड हो रहा था। कड़क काली वर्दी, वर्दी पर तरह–तरह के हथियार टंगे हुये। हाथों में कमाल के एसल्ट–राइफल, जिसकी लाल रौशनी केवल अल्फा पैक के ऊपर ही थी। सबकी वर्दी के पीछे एफबीआई लिखा हुआ था। बस 2 लोगों को छोड़कर जो काले टैक्सिडो में थे।

“सबकी नली तुम्हारे पैक के ऊपर ही है आर्य। शायद ये वो जलजला नही जो तुम सोच रहे। क्या कांड कर आये जो एफबीआई आयी है?”... नेरमिन फुसफुसाई...

आर्यमणि:– तुम्हे कैसे पता ये वो जलजला नही है..

नेरमिन:– यहां दिमाग नही चला रहे। इतने लोगों में बस चार लोगों को छांटे है। यदि वेमपायर द्वारा प्रायोजित ये घटना होती तो बंदूक की नली हम सब पर होती। क्योंकि जब लूकस नशे के खेल में सामिल था तो पहले उसके बारे में ही जानकारी खंगालते न।

आर्यमणि:– हम्म... बात तो तुम्हारी सही है। वैसे मैं बता दूं कि ये कैरोलिन और उसके साथ जितने भी लोग थे, वो थे बहुत खतरनाक मोडिफाइड। हो सके तो अपनी जान बचाओ और अपने पैतृक पैक के पास एमेजोन की जंगल लौट जाओ। उन्हे मेरी तलाश ही करने दो। अपने और अपने पैक को बचाओ।

नेरमिन:– और लूकस की संदिग्ध मौत से जैसे उन्हे कुछ पता ही नही चलेगा। किसी ने हम दोनो को बुरी तरह फसाया है।

आर्यमणि:– लूकस का पाता लगाने के बाद यदि तुम तक पहुंचे तो उनसे कह देना तुम्हे कुछ खबर नही की वह किन लोगों के साथ क्या कर रहा था। आशंका की सुई हमारे पैक पर डालना। और उन्हे डायवर्ट करते हुये भी कह देना की जिसने भी लूकस और साथ में तुम्हारे 9 लोगों को मारा था, वही असली दोषी है। उसकी तलाश तुम भी कर रही। जो की सत्य है और उन्हें यकीन करना होगा।

नेरमिन:– हां सुझाव अच्छा है लेकिन तुम्हे क्या लगता है, क्या मैं ऐसा करूंगी?

आर्यमणि:– चिंता मत करो, रूही तक उनके हाथ नही पहुंचेंगे... मैं जानता हूं कि तुम फेहरीन के एक भी बच्चो को कुछ नही होने दे सकती। पर ये भी मत भूलो की वो किसके पैक का हिस्सा है। वैसे भी दिसंबर में हमारी शादी है, उसकी तैयारी करनी है या नही?...

नेरमिन:– और इन दूसरी ससुराल वालों का क्या, जो तुम सबको अभी लेने आये है? दिसंबर तक फ्री हो पाओगे या हम बिना दूल्हा और दुल्हन के ही शादी की तैयारी करे?

आर्यमणि:– वादा रहा अपने समय से पहुंचेंगे... तुम बस तैयारी करके रखो...

नेरमिन:– हेल्लो मेरे होने वाले दामाद, मेरी बेटी को शादी से कम से कम 2 हफ्ते पहले भेज देना। क्या समझे... और हां ये अलग से फोन करके न कहना पड़े की उसके भाई को भी... दोनो की शादी होनी है न..

“एडम ये सब अपने घुटनों पर क्यों नही। सबको हथकड़ी पहनाओ और लेकर चलो।”.... हेलीकॉप्टर लैंड कर चुकी थी। बिलकुल फिल्मी अंदाज में वुल्फ पैक को तुरंत ही गन पॉइंट पर घेर लिया गया था। आर्यमणि और नेरमिन की बात पर विराम लगाते हुये एक टैक्सीडो वाला हाई–क्लास व्यक्ति पहुंचा और कमांडिंग एजेंट को हथकड़ी पहनाने का हुक्म दे डाला।

“हथकड़ी पहनाओ” सुनकर ही रूही पूरा भड़क गयी। ठीक उस टैक्सिडों वाले के सामने खड़ी होकर, गुस्से से लाल आंखें दिखाती.... “हथकड़ी पहना लिये फिर तो बात तुम्हारे हाथ से निकल जायेगी। जहां ले चलना है ले चलो, पर कोई बदतमीजी बर्दास्त नही करेंगे।”..

"पीछे खड़ी हो जाओ... सुना नही तुमने पीछे खड़ी हो जाओ।”.... रूही जब अपनी बात कह रही थी, ठीक उस वक्त एक एफबीआई एजेंट भी रूही के करीब पहुंचकर 2 बार माना किया। रूही जब नही मानी तब वह जैसे ही रूही को हाथ लगाने गया, इवान ने उसे ऐसा लात मारा की वह ऑफिसर कई फिट पीछे चला गया।

जैसे ही यह घटना हुई, हर गण का सेफ्टी लॉक खुल चुका था। उधर उनका सेफ्टी लॉक खुला इधर आर्यमणि गण निकालकर उस टैक्सिडो वाले के ऊपर तानते..... “मुझे नही पता की तुम लोग यहां क्यों आये हो। लेकिन जब मेरी होने वाली पत्नी ने कुछ बोल दिया और वो मैं कर सकता हूं, तो जरूर करूंगा। दम है तो हथकड़ी पहनाकर ले जाकर दिखा।”..

वहां का पूरा माहोल ही जैसे इंटेंस हो चला हो। चारो ओर से हवाएं भी जैसे गंभीर ध्वनि निकाल रही थी। जो जिस अवस्था में थे वहीं जैसे जम गये थे और हमला करने को लगभग तैयार।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Zoro x

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भाग:–138


वहां का पूरा माहोल ही जैसे इंटेंस हो चला हो। चारो ओर से हवाएं भी जैसे गंभीर ध्वनि निकाल रही थी। जो जिस अवस्था में थे वहीं जैसे जम गये थे और हमला करने को लगभग तैयार।

बॉम्ब की पिन जैसे खींच दी गयी हो और धमाका कभी भी हो सकता था। किंतु अक्सर ही ऐसी परिस्थिति में कोई न कोई समझदार तो आगे आता ही है। ठीक वही यहां भी हुआ। 2 टैक्सिडो पहने अधिकारी पहुंचे थे। एक ने तो हथकड़ी पहनाने कह दिया लेकिन दूसरी वो अर्ध–वृद्ध महिला जो पीछे खड़ी थी.... “रिलैक्स ब्वॉयज अपने हथियार नीचे करो। और तुम भी आर्यमणि, तुम भी अपना हथियार नीचे करो।”..

रूही:– हमारा नाम जानती हो मतलब पूरी रिसर्च करके आयी हो?

महिला:– हां पूरी रिसर्च की हूं। तुम सब कौन हो और क्या कर सकते हो, ये हम जानते है। कोई भी तुम में से किसी को हथकड़ी नही पहना रहा इसलिए अब तुम सब भी रिलैक्स हो जाओ।

नेरमिन:– तुम सब के मामले में दखलंदाजी के लिये माफ करना। तो क्या मैं और मेरी टीम यहां रुके या जायें?

महिला:– हां तुम जा सकती हो और आर्यमणि तुम अपने लोगों को लेकर मेरे साथ चलो...

आर्यमणि:– कहां जाना है?

महिला:– तुम्हारे सभी सवालों के जवाब मिल जायेंगे.... अभी फिलहाल बिना किसी सवाल के चलो...

आर्यमणि अल्फा पैक के ओर देखते..... “चलो फिर”

रूही:– चलने से पहले हमे जरा आपस में बात करनी है। तुमलोग जरा हमे जगह दोगे...

महिला:– हां क्यों नही... ब्वॉयज चार कदम पीछे।

रूही सबको लेकर छोटा सा घेरा बनाती... “हमारे अपने पंगे कम है क्या, जो इनके साथ जाएं?”

इवान:– हां दीदी सही कह रही है। जीजू मना कर दो इन एफबीआई वालों को...

अलबेली:– अरे ये शासन–प्रशासन के लोग है। इनका काम नही करोगे तो ये हमारा जीना हराम कर देंगे...

इवान:– जब मैं इन्हे चीड़ दूंगा, तब भी ये परेशान करेंगे क्या?

रूही:– शाबाश, अब कुछ–कुछ तू मर्दों जैसी बातें करने लगा है।

अलबेली:– किस ग्रह से आये हो दोनो। पागलों 6 अरब से ज्यादा की इंसानी आबादी है, कितने को चिड़ोगे।

इवान:– हम इतने लोगों को क्यों चिड़ने लगे। बस यहां कुछ लोगों को चीड़ देंगे। या जड़ों में लपेटकर यादाश्त मिटा देते हैं।

आर्यमणि:– 9 महीने खाली ही तो बैठे हैं। शादी दिसंबर में है और हमारा नया बना दुश्मन वेमपायर जो है, उनकी पकड़ अमेरिका के शासन–प्रशासन के भीतर है। हम भी देखते हैं कि एफबीआई वालों को हमसे क्या काम है। काम करने लायक हुआ तो कुछ दोस्त हम भी बना लेंगे। क्या कोई बुराई है?

रूही:– नही कोई बुराई तो नही है, लेकिन फ्री में कोई काम नही करेंगे।

आर्यमणि:– हां ठीक है वो बाद में देखते है। पहले पता तो चले की हमसे करवाना क्या चाहते हैं?

रूही:– ठीक है फिर चलो देखते है।

आर्यमणि ने इशारा किया और सभी हेलीकॉप्टर में लोड हो गये। हेलीकॉप्टर कैलिफोर्निया के एक मिलिट्री बेस पर लैंड हुई। वहां से अल्फा पैक को एक मीटिंग हॉल में बिठाया गया। आर्यमणि मन के संवादों में पहले ही समझा चुका था कि अपने हर सेंसेज प्रयोग करने सिवाय आंखें। और इस मीटिंग हॉल में एनिमल इंस्टिंक्ट वाली आंखों की ही जरूरत थी, क्योंकि वह मीटिंग हॉल लगभग अंधेरा था।

अल्फा पैक तकरीबन आधा घंटा उस मीटिंग हॉल में थे। जहां बिठाया गया था, वहीं बैठे रहे। मुंह से एक शब्द नही निकल रहे थे किंतु दिमाग के अंदर संवाद जारी था। कुछ लोग इन पर बाहर से नजर बनाए थे लेकिन वह भी अचंभित थे। चारो (आर्यमणि, रूही, अलबेली और इवान) किसी प्रोफेशनल की तरह पेश आ रहे थे।

आधे घंटे बाद उस मीटिंग हॉल की लाइट जली और उस हॉल में एक जाना पहचाना चेहरा दाखिल हुआ। आते ही अपना परिचय देते हुये कहने लगा.... “मैं कर्नल नयोबी हूं। मैंने ही तुम सबको यहां बुलाने की सिफारिश की थी।”

अल्फा पैक उसे हैरानी से देख रहा था। मुख से कुछ न निकला लेकिन मन के संवादों में.... “ये तो उस रात कैरोलिन के साथ था न। उनके प्रशिक्षित सेना का मुखिया।”

आर्यमणि:– शांत रहो और मुझे बात करने दो..

नयोबि:– क्या हुआ, इतने हैरान क्यों हो?

आर्यमणि:– कहीं बाहर चलकर बात करे...

नायोबी:– बाद में बहुत मौके मिलेंगे... अभी फिलहाल उस मामले को समझ ले, जिसकी वजह से तुम्हे यहां बुलवाया है।

आर्यमणि ने सहमति जताया, तभी मीटिंग हॉल के प्रोजेक्ट पर बर्फ में ढका एक पूरा भू–भाग दिखाया जाने लगा। उस बड़े से भू–भाग के बीच एक बड़े निर्माण का थ्रीडी इमेज चलने लगा। फिर निर्माण की बारीकियां समझाया गया। इमारत का जितना निर्माण ऊपर होना था, उस से कहीं ज्यादा पेंचीदा उसके नीचे का निर्माण था। 3 तल भू–तल निर्माण था।

पूरा निर्माण अच्छे से समझाने के बाद नयोबी.... “हम यह निर्माण कार्य अंटार्टिका महाद्वीप में करना चाह रहे थे। 6 बार कई लोग सर्वे के लिये वहां गये। कुछ लोग लौटकर आये और बहुत से लोग रहशमयी तरीके से गायब हो गये। किसी को कुछ पता नही की वहां क्या हुआ था? और न ही बर्फ पर किसी इंसान या जानवर के पाऊं के निशान पाये गये थे। तुम्हारा काम होगा उस रहश्मयी चीज का पता लगाना और निर्माण कार्य में किसी प्रकार की बाधा न आने देना।”...

आर्यमणि:– इतना बड़ा निर्माण करना वो भी अंटार्टिका जैसे महाद्वीप में, मुझे नही लगता की 10 वर्ष से पहले निर्माण कार्य पूर्ण होगा। मुझे माफ करो और अपने काम के लिये किसी और को ढूंढ लो।

नयोबि:– मैं यहां तुम्हारे सामने कोई प्रस्ताव नहीं रख रहा। मैने तुम्हे काम समझाया दिया है और तुम्हे ये करना होगा।

आर्यमणि:– पूरे निर्माण तक मैं वहां रहूं, सवाल ही पैदा नही होता। फिर यूएस के मिलिट्री एजेंसी का ऑर्डर हो या एफबीआई एजेंसी का....

आर्यमणि साफ मना कर चुका था। नयोबि आगे कुछ कहता उस से पहले ही एफबीआई की महिला अधिकारी मीटिंग हॉल में शिरकत करती.... “बात शुरू करने से पहले मैं अपना परिचय दे दूं। मेरा नाम जूलिया है और मैं एफबीआई की ज्वाइंट डायरेक्टर हूं। आर्यमणि तुम समझ सकते हो मामला कितना गंभीर है, जो एफबीआई के ज्वाइंट डायरेक्टर को ही सीधे ऑर्डर मिले है। हम अपना काम सही–गलत हर तरीके से करवाना जानते है। तुम्हे काम की जानकारी हो गयी है। पूरे निर्माण कार्य तक तुम मत रुको, बस मेरे काम की बात सुना दो।”

आर्यमणि:– मैं नवंबर के आखरी हफ्ते तक कैलिफोर्निया लौट आऊंगा। इस बीच मैं वहां के रहस्य को सुलझाकर मै लौट आऊंगा। यदि रहस्य नही सुलझा तो भी मैं नवंबर में लौटूंगा और अगले साल जनवरी से रहस्य को सुलझाने की कोशिश करूंगा। 2 बातें मैं साफ कर दूं, पहला ये की विषम परिस्थिति में मैं अपने और अपने लोगों की जान बचाऊंगा, तुम्हारे लोग मेरी जिम्मेदारी नही है। दूसरा यदि मै रहस्य सुलझाने में कामयाब रहा तो मुझे अपनी पसंद का एक क्रूज शिप चाहिए।

नयोबि:– एक क्रूज शिप??? उसका क्या करोगे?

आर्यमणि:– महासागर की सैर पर निकलूंगा...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया.... “क्या कहा तुमने, तुम्हे एक ऐसा क्रूज चाहिए जो महासागर की लंबी दूरी तय कर सके। कीमत भी जानते हो क्या होगी?”

आर्यमणि:– उस कीमत से तो कम ही होगी जिसमे कई बार लोग पूरे तैयारी के साथ अंटार्टिका जाते हो और कुछ लोग अपनी जान बचाकर वहां से भागते हो। एक बार का ही कितना नुकसान हुआ होगा। फिर तो ये नुकसान 6 बार हो चुका है। कीमत तो सही है।

ज्वाइंट डायरेक्टर:– “तुम सीधा हार्ड कैश कीमत बताओ”...

रूही:– 50 मिलियन यूएसडी। उस से एक पैसा कम नही...

आर्यमणि:– लेकिन रूही..

रूही:– अब तुम जरा चुप रहो। ये लोग तुमसे मोल–भाव कर सकते हैं, लेकिन मुझसे नही। 50 मिलियन फाइनल...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– होश में भी हो कितना मांग रही। इतने में तो प्राइवेट आर्मी आ जायेगी... इतना नही दे सकते...

आर्यमणि:– तो हमारी पसंद का एक क्रूज ही दे दो...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– अब कोई एक ही बात कर लो। मैं किसकी सुनु...

रूही:– आर्य अब तुम बीच में नही बोलोगे। 50 मिलियन यूएसडी फाइनल...

ज्वाइंट डायरेक्टर जूलिया:– इतना नही दे पाऊंगी। मैं बजट बहुत ज्यादा खिंचूंगी तो भी 50000 डॉलर से ज्यादा नही दे सकती...

रूही:– क्या??? मेंहतना सीधा 1% कर दी... स्त्री हो मोल भाव अच्छे से आता है। लेकिन मैं भी नागपुर की बस्तियों में पली हूं, अपना हक छोड़ने वाली नही। 50 मिलियन से एक पैसा कम नही।

मोल भाव चलता रहा। जूलिया यहां तक कह चुकी थी कि यदि ज्यादा पैसे मांगते रहे तो अंटार्टिका में ही अटका देंगे और पैसे तो भूल ही जाओ। एक लंबे से डिस्कशन के बाद 1 मिलियन यूएसडी में रूही ने फाइनल कर लिया। फाइनल करने के बाद आर्य को देखती हुई कहने लगी.... “4–5 करोड़ में तुम्हारा जहाज बन जायेगा। अब मुंह मत लटकाओ, मैने कुछ पैसे ज्यादा ही मांगे है।”...

आर्यमणि अपने दोनो हाथ जोड़ते.... “हां तुम सर्वज्ञाता हो।”...

जूलिया:– क्या हुआ, खुश नही हुये क्या? कीमत कम लग रही है क्या?

आर्यमणि:– कहां एक क्रूज की बात चल रही थी और कहां तुमने एक मिलियन में निपटा दिया।

जूलिया:– तुम्हे क्या लगता है, क्या तुम बात करते तो अलग नतीजा निकलता। हां लेकिन यदि तुमने प्रोजेक्ट शुरू करवा दिया तब तुम्हारे क्रूज का जो भी बिल होगा उसका 50% भुगतान की जिम्मेदारी मैं निजी तौर पर देख लूंगी। लेकिन इसके लिये पहले तुम्हे...

आर्यमणि:– हां बिलकुल... बिना किसी बाधा के निर्माण कार्य शुरू हो जाये। तो कब निकलना है...

जूलिया:– जितनी देर में तुम सब अपनी पैकिंग करके यहां पहुंचोगे, रवाना होने में उतनी ही देर है। बिना वक्त गवाये पैकिंग करके लौटो। और हां अपने साथ आर्म्स एंड एम्यूनेशन मत लाना। उसकी हमारे पास कोई कमी नही।

आर्यमणि:– हमे बहुत ज्यादा जरूरत पड़ती भी नही। घर तक किसी को छोड़ने बोलोगी या पैकिंग करने पैदल ही जाना होगा।

जूलिया:– इतना वक्त नहीं है, तुम हेलीकॉप्टर से जाओ...

लगभग एक घंटे में अल्फा पैक अपने समान के साथ वापस आ चुके थे। बड़ा सा विमान उनकी प्रतीक्षा में रनवे पर ही खड़ा था। लगभग 500 लोगों को लेकर वह विमान उड़ गया। उसके पीछे 2 बड़े–बड़े कार्गो विमान भी उड़े। यूनाइटेड स्टेट से उड़ान भरकर चिली देश में कुछ देर का हाल्ट लिया और वहां से अंटार्टिका के लिये उड़ान भर चुके थे।

अंटार्टिका वर्क स्टेशन पर तीनो विमान लैंड हुये। यहां से लगभग 400 मिल की दूरी पर वह जगह थी जहां निर्माण कार्य संपन्न होना था। एक छोटे से औपचारिक मीटिंग के बाद कर्नल नयोबी अपने 18 लोग की टीम और अल्फा पैक के साथ उस जगह के लिये रवाना हो गये। जरूरत के पर्याप्त सामान और 2 मालवाहक हेलीकॉप्टर में सभी लोग सवार होकर उस स्थान तक पहुंचे।

मध्य में एक बड़ा सा टेंट लगाकर पाल चढ़ाया गया। यहां सबका मीटिंग हॉल, खाने की जगह जो कह लीजिए। उसी के चारो ओर, 10 छोटे–छोटे टेंट लगाये गये थे। कुछ देर विश्राम करने के बाद फिर आगे की रणनीतियों पर चर्चा होती। बाकी सब तो गये विश्राम करने लेकिन अल्फा पैक जो पिछले कुछ दिन से कई सवालों के साथ सफर कर रहे थे, वह सीधा नयोबी के टेंट में घुसे।

नयोबि:– हां मुझे उम्मीद थी की वक्त मिलते ही पहले तुम लोग मेरे पास ही आओगे।

आर्यमणि:– हमे तुम्हारे बेमपायर काउंसिल और करार के बारे में पता है। तो क्या मैं ये मान लूं की तुम इतनी दूर केवल अपना बदला लेने आये हो?

नयोबि:– देखो बदला मुझे नही चाहिए लेकिन मेरे समुदाय के लोग जब तुम्हारे बारे में पता लगा लेंगे, तब मजबूरी में मैं भी उनके साथ खड़ा रहूंगा। फिलहाल कोई बदला नही। मै शुद्ध रूप से यहां यूएस गवर्नमेंट का काम करने आया हूं।

आर्यमणि:– मैं समझा नही... तुम्हारे समुदाय के लोग मेरे बारे में क्यों पता लगाएंगे...

नयोबि:– हमारे समुदाय को पता है कि राजकुमारी कैरोलिन की जान किसी अज्ञात ग्रुप ने लिया, जिसकी पहचान हम कर नही सके। मैं और मेरे साथ आये सभी 48 लड़ाका ने यही कहा था।

आर्यमणि:– इतनी मेहरबानी की वजह...

नयोबि:– मैने तुम्हारे बारे में पता किया। गलती हमारी थी, जो पूरा मामला पता लगाये बिना किसी को भी दोषी समझ लिये। इसका खामियाजा भी उठाना पड़ा। हां लेकिन अब मामला फसा हुआ है। हमारे समुदाय (वेमपायर) को इस से फर्क नही पड़ता की कैरोलिन की जान किन हालातों में गयी। उन्हे तो बस बदला चाहिए, जिसे मैं और मेरे लोगों ने कुछ देर के लिये रोक दिया है। बाकी आगे का नही कह सकता...

आर्यमणि:– आगे फिर वही होगा, खून–खराबा। खैर धन्यवाद दोस्त।

आर्यमणि अपनी बात समाप्त कर वहां से जाने लगा। तभी नयोबि रोकते.... “सुनो आर्यमणि”..

आर्यमणि:– हां...

नयोबि:– हमारे तकनीक और प्रशिक्षित लड़ाके को तुमने हरा कैसे दिया? वो भी 5 वेयरवोल्फ हम 50 पर भरी पड़ गये?

आर्यमणि:– कुछ चीजें बताकर नही समझाया जा सकता। उसके लिये खुद की बुद्धि और सामने वाले को परखना पड़ता है।

एक सवाल जो अल्फा पैक के मन में घर कर बैठा था, उसका जवाब तो मिल चुका था। अब जिस काम के लिये यहां आये थे, उसे जल्द से जल्द समाप्त कर अंटार्टिका के बाहर निकलना था। एक महीने तक आर्यमणि और अल्फा पैक इसी काम पर लगे रहे। अंटार्टिका के विषम जलवायु में मात्र बर्फीले जगह को झेलने वाले जानवर जैसे की सील, पेंगुइन इत्यादि ही मिलते, वो भी तटिया क्षेत्र में मिला करते थे। जिस जगह निर्माण कार्य होना था वहां से तो तट दूर–दूर तक नही था। जिस जगह अल्फा पैक ठहरे थे, वहां उनके अलावा वेमपायर को छोड़कर किसी अन्य जीवों का कहीं कोई संकेत नहीं था।

जांच परताल करते हुये लगभग महीने दिन के ऊपर बीत चुके थे। मार्च गया अप्रैल भी जाने वाला था, लेकिन जिस खतरे की बात कही गयी थी वह इतने दिनो में कहीं नही दिखा। नयोबि ऊबकर एक छोटा सा मीटिंग बुलाते... “लगता है हमें या तो गलत जानकारी मिली थी या फिर हमारा सामना जिन दुश्मनों से है वह काफी शातिर है।”

आर्यमणि:– क्या बात है... इतने दिन बाद दिमाग की बत्ती जली है। वैसे यदि ये मान ले की दुश्मन बहुत शातिर है, तो तुम्हारे इस समीक्षा की वजह.....

नयोबि:– शातिर इसलिए क्योंकी जिन 6 बार हमला हुआ था, यहां पूरा क्रू पूरे समान के साथ पहुंचे थे। निर्माण कार्य जिस दिन शुरू किये, उसी रात बहुत से लोग समान सहित गायब हो गये।

आर्यमणि:– हम्मम।।। मतलब मेरा अंदेशा सही है...

नयोबि:– क्या ... वही जो मै सोच रहा, हमारे दुश्मन शातिर है?

आर्यमणि:– नही... पहली बात वो हमारे दुश्मन नही, बल्कि हम उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करने आये है, इसलिए हम दुश्मन हुये।

नयोबि:– जो भी कहना चाह रहे हो खुलकर कहो...

आर्यमणि:– महीने दिन से ऊपर हम यहां किसी टूरिस्ट की तरह है, इस बात से यहां के मूल निवासी को कोई परेशानी नही। वहीं जैसे ही उन्हें आभाष होगा कि हम उनकी जमीन पर जबरदस्ती कब्जा कर रहे। कुछ निर्माण करना चाह रहे है। ऐसी परिस्थिति में वो लोग हरकत में आ जायेंगे।

नयोबि:– तुमने अभी लोग कहा। तो क्या वो इंसान की कोई प्रजाति है, जो यहां के जलवायु को एडॉप्ट कर चुके हैं?

आर्यमणि:– नही... शायद ये जलवायु ही उनके लिये बनाया गया था। हां लेकिन आगे कुछ भी उनके बारे में कहने से पहले उनसे एक मुलाकात करना तो बनता है।

नयोबि:– वो जो छिपकर शिकार करते हैं, उनसे मिलने की चाहत... कहीं मौत से मिलना तो नही चाह रहे आर्यमणि...

आर्यमणि:– क्यों तुम 18 प्रशिक्षित वेमपायर होकर डर रहे। जबकि तुम्हारे शरीर मे ही पता न इन–बिल्ट कितने फीचर्स हो।

नयोबि:– वीरता और पागलपन में अंतर होता है। दुश्मन जिन्हे हम जानते नही वह हमेशा चौंका जाते है। हाल में ही हम ये भुगत चुके है।

आर्यमणि:– इस मामले में अपनी तो किस्मत ही खराब रही है नयोबि। हर बार मामला उलझने के बाद ही हमें दुश्मन की ताकत का पता चलता है। भले ही पहले से हम कितना भी होमवर्क करने की कोशिश क्यों न करे, साला दुश्मन का पूरा पता लगा ही नहीं पाते। इसलिए बिना जाने ही सही आज उनसे मुलाकात तो करनी ही होगी।

नयोबि:– चलो फिर हम भी तुम्हारे पीछे ही लटक जाते है। लेकिन उनसे मुलाकात करने के लिये तुम क्या करने वाले हो...

आर्यमणि:– बस देखते जाओ....

आर्यमणि का इशारा हुआ। पूरा अल्फा पैक एक साथ टेंट के बाहर आया। आर्यमणि ने रूही, अलबेली और इवान को कुछ समझाया। तीनो एक साथ मुस्कुराते.... “ये कुछ ढंग का काम हुआ, वरना पिछले कई दिनों से बस छानबीन वाला फालतू काम कर रहे थे।”..

आर्यमणि:– तो फिर जाओ छा जाओ...

तीनो ने मिलकर एक बड़े इलाके को अपने क्ला से मार्क कर दिया। उनके चार छोड़ पर चार वुल्फ। आर्यमणि का इशारा होते ही सभी ने अपने एम्यूलेट को पकड़कर मंत्र पढ़ा और मंत्र पढ़ने के बाद पूरे जोड़ का पंच बर्फ के ऊपर दे मारा। ऐसा आवाज आया जैसे कई किलो आरडीएक्स एक साथ ब्लास्ट हो गया हो।

अंटार्टिका के सतह पर लगभग एक से डेढ़ किलोमीटर की मोटी बर्फ की परत होती है। चारो के एमुलेट में एनर्जी स्टोन लगे थे। इनका चलाया मुक्का जादुई रूप से काम किया और जिस जगह इनका मुक्का पड़ा वहां ढांचा ही ढह गया था। आर्यमणि के कोने पर तो और भी ज्यादा असर देखने मिला। चुकी उसके पास तो 25 एनर्जी स्टोन एक क्रम में जुड़ा था। आर्यमणि सब बात को ध्यान में रखकर मात्र नपा–तुला मुक्का मारा था, किंतु वहां की बर्फ जैसे फटकर चकनाचूर हो गयी हो और बड़ा सा गड्ढा दिखने लगा था।

नयोबि जब तक बाहर आता तब तक तो ये लोग पंच चला चुके थे। किसी ने देखा ही नहीं की वहां पंच चला या बॉम्ब फटा। हां जैसा इंपैक्ट था उसे देखकर वेमपायर को यही लगा की चारो ने चार पॉइंट पर ब्लास्ट किया था। नयोबि अपने टीम के साथ गुस्से में बाहर आते..... “तुम्हे पता भी है, अंटार्टिका में पर्यावरण को हानि नहीं पहुंचा सकते। फिर यहां ब्लास्ट क्यों किये।”...

रूही:– जाकर अंदर छिप जाओ बच्चे क्योंकि यहां असली एक्शन शुरू होने वाला है।

नयोबि:– यहां चल क्या रहा है आर्यमणि? मुझे ऐसा क्यों लग रहा है कि तुम और तुम्हारे लोग बहुत कुछ जानते हुये भी हमसे जानकारी छिपा रहे हो।

आर्यमणि:– अपने हथियार नीचे डाल दो नयोबि वरना तुम अपने और अपने लोगों के मौत के जिम्मेदार स्वयं होगे..

नयोबि:– ये कैसा जलजला और तूफान आया है?

बातों के दौरान ही वहां की सतह पर भूकंप जैसे झटके महसूस होने लगे थे। बर्फीली हवाएं इतनी तेज बह रही थी कि कुछ भी देख पाना मुश्किल था। अल्फा पैक शायद खतरे को भांप चुकी थी, लेकिन नयोबि और उसके लोगों को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनका सामना किनसे है।

बर्फीली हवाओं को चिड़कर जब वे प्रत्यक्ष रूप से सामने आये, हर किसी का कलेजा बूफर के समान तेज–तेज धम–धम करने लगा। फिर चाहे वह आर्यमणि खुद भी क्यों न हो जिसे अंदेशा था कि उसका सामना किनसे होने वाला है, लेकिन फिर भी उन्हें सामने देखकर धड़कने बढ़ी जरूर थी।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 

Zoro x

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भाग:–140


डेढ़ महीने बाद पुलिस की एक बड़ी सी उड़न तस्तरी वैन के लेजर वेब किरणों में सभी कैद थे। सभी लोग पोर्ट होकर सीधा वैन की सलाखों के पीछे गये। सलाखों के ऊपर एक बड़ा सा बोर्ड भी टंगा था.... “सलाखों से 1 फिट की दूरी बनाए रखे।”...

वेमपायर पिछले 15 दिनो से भूखे थे इसलिए इतनी हिम्मत बची नही थी कि उठ भी पाते। अल्फा पैक को वैसे भी कहीं भागना नहीं था इसलिए चुपचाप उनके साथ चले जा रहे थे। वैन कई जगहों से होते हुये उन्हे कहीं ले जाकर सीधा ड्राप कर दिया। एक बार फिर सब के सब नीचे गिड़ रहे थे। आंख जब खुली तब सभी लोग किसी अंडरग्राउंड जेल में थे। सर के ऊपर लगभग 800 मीटर की ऊंचाई पर छत था, जो खुलता और बंद होता था।

जैसे ही वो लोग जेल में गिरे लेजर किरणों के वेब में जकर लिये गये और उन्हे ले जाकर कॉफिन से कुछ ही बड़े सेल में पटक दिया गया। हर सेल में एक छोटा बेड, बेड के ऊपर कुछ किताबे, दीवार पर छोटा सा टीवी और कोने में एक छोटा सा कमोड था। जैसे ही आर्यमणि अपने सेल में पहुंचा टीवी पर एक बड़ा सा चेहरा आने लगा.... “मेरा नाम डीवी–कोको–मारुयान–जूनियर–1 है। तुम मुझे कोको कह सकते हो। मैं इस जेल का वार्डन हूं और तुम सब यहां मेरी देख–रेख में हो। 3–3 घंटे की शिफ्ट में तुम लोग माइनिंग करोगे। 1 घंटे का आध्यात्मिक सेशन होगा। 4 घंटे तुम लोग वॉकिंग एरिया में अपने रिस्क पर घूम सकते हो और बाकी के वक्त तुम अपने सेल में रहोगे।”..

आर्यमणि:– मेरे कुछ सवाल है।

जैसे ही आर्यमणि बोला उसके अगले ही पल पूरे सेल के अंदर से घुसे निकले और धमाधाम आर्यमणि को पीट दिया। टीवी पर फिर एक बार वार्डन कोको की आवाज गूंजी.... “और हां यहां तुम्हे चुप रहना का पूरा अधिकार है। जेल के किसी भी अधिकारी से किसी भी प्रकार की बात करने की कोशिश को नियम का उलंघन माना जायेगा और ऐसी सूरत में सजा के तौर पर आपको 8–8 घंटे की शिफ्ट में माइनिंग करनी होगी। पहली बार था इसलिए तुम्हे छोड़ रहा हूं बौने।”

स्क्रीन की आकाशवाणी बंद हो गयी और आर्यमणि खुद से ही बात करते..... “किस मनहूश घड़ी में मैने इनसे मिलने का सोचा।”.... कुछ ही पल में बीते उन एक महीने की कहानी याद आ गयी जब अल्फा पैक अंटार्टिका निर्माण क्षेत्र में पहुंचा था। कुछ दिन की जांच पड़ताल के बाद आर्यमणि ने यही नतीजा निकाला कि... “जमीन के नीचे कोई छिपी दुनिया है और वहां हो सकता है एक विलुप्त प्रजाति, जिसे देखने के दावे आधुनिक वक्त में भी होते रहे है किंतु किसी के पास कोई प्रमाण नहीं।”

पूरा अल्फा पैक ही फिर हिम–मानव और उसकी छिपी दुनिया को देखने के लिये इच्छुक हो गया। कुछ दिन और समय बिताकर कुछ और तथ्य बटोरे गये। पता यह चला की जितने भी टीम अब तक गायब हुई थी, वह निर्माण करने के लिये कुछ न कुछ खुदाई जरूर किये थे। जब तक वहां निर्माण कार्य की शुरवात नही हुई किसी भी प्रकार का हमला नही हुआ था।

तकरीबन महीना दिन तक सारे तथ्यों को ध्यान में रखकर अल्फा पैक ने अंततः हिम–मानवों से मिलने की योजना बना लिया। योजना के अंतर्गत ही चारो ने बर्फ की मोटी सतह पर विस्फोट किया था। हां लेकिन पूर्वानुमान सबका ही पूरी तरह गलत हो गया। अल्फा पैक को लगता था कि हिम–मानव खोह और कंदराओं में छिपकर रहने वाले समुदाय है जो किसी भी सूरत में अपने अस्तित्व को जाहिर नही होने देते।

बाकी सारे तथ्यों का आकलन तो लगभग सही था सिवाय एक के... “हिम–मानव खोह और कंदराओं में रहने वाले लोग है जो आधुनिक सभ्यता से कोसों दूर है।”...हालांकि जब पहली मुलाकात हुई थी और हाथों में ये बड़े–बड़े तलवार लेकर हिम–मानव को हमला करते देखे, फिर कुछ वक्त के लिये आर्यमणि को अपनी थ्योरी पर यकीन हुआ। किंतु यह यकीन ज्यादा देर नहीं टीका। कुछ ही वक्त में पता चल गया की हिम–मानव का समुदाय कितना विकसित है।

पहले तो अजीब से कैद में लगभग डेढ़ महीने बिताये, जहां शायद अल्फा पैक और वेमपायर को परखा गया था। आर्यमणि ने यह भी सह लिया। उसे यकीन था कि जब वह कानूनी प्रक्रिया के लिये अदालत पहुंचेगा तब हिम–मानव समुदाय गंभीरता से उसकी बात सुनेगा। किंतु सारे अरमान मिट्टी में मिल गये क्योंकि बिना किसी सुनवाई के ही सजा हो गयी।

जेल के पहले दिन किसी से कोई काम नही करवाया गया। शाम के 5 बजे सबके सेल खुल गये और हॉल में 4 घंटे घूमने की खुली छूट भी मिली। जिस फ्लोर पर आर्यमणि और बाकियों का सेल था, वहां सभी बौने ही थे। मतलब इंसान थे। अंडाकार बने फ्लोर पर मिलों दूर जहां तक नजर जाये केवल और केवल इंसान ही थे। सभी अपने सेल से एक बार बाहर आये, नीचे हॉल को देखा और वापस अपने सेल में चले गये।

आर्यमणि के ठीक बाजू वाला जो इंसान था, वह उन्ही में से एक था जो पिछले साल अंटार्टिका सर्वे के लिये आया और रहश्मयि तरीके से गायब हो गया था। आर्यमणि अपने दिमाग पर थोड़ा जोड़ डालते.... “ओय सुनो पेड्रो रफ्ता।”.. आर्यमणि 3–4 बार चिल्लाया, कोई सुनवाई नही। आश्चर्य तो यह भी था कि जितने इंसान बाहर निकले थे वो सब एक बार नीचे हॉल को देखने के बाद वापस अपने सेल में घुस चुके थे। सिवाय अल्फा पैक और वेमपायर के, जो पूरा मामला समझना चाह रहे थे। आर्यमणि के आगे जितने भी सेल थी, वहां अल्फा पैक और वेमपायर को रखा गया था।

रूही, आर्यमणि की आवाज सुनकर उसके ओर आयी लेकिन आर्यमणि आंखों के इशारे से उसे चुपचाप हॉल में जाने कहा और खुद उस पेड्रो रफ्ता के सेल के सामने खड़ा हो गया। आर्यमणि जैसे ही खड़ा हुआ बिजली के वेब ने आर्यमणि को जकड़ लिया और सेल के किनारे से कई सारे मुक्के निकालकर आर्यमणि पर धमाधम हमला कर दिया। आर्यमणि मुक्के खाते.... “हेल्लो पेड्रो मैं आर्यमणि हूं। वहीं निर्माण करने आया था जहां से तुम गायब हुये थे।”...

पेड्रो, आर्यमणि को इशारों में समझाया की वह कुछ बोल नहीं सकता। आर्यमणि उसकी मजबूरी समझते.... “देखो मैं नही जानता की तुम किस मजबूरी से नीचे हॉल में नही जा रहे। लेकिन विश्वास मानो, यदि हॉल में अपनी मर्जी से घूमना रिस्क है तो आज ये रिस्क दूसरे उठाएंगे। यदि इस जेल से बाहर निकलना चाहते हो तो नीचे हॉल तक चलो।”...

आर्यमणि को लगातार मुक्के पड़ते रहे। वह फिर भी पेड्रो से बात करता रहा। अपना प्रस्ताव रखने के बाद आर्यमणि कुछ देर और वहां खड़ा होकर मुक्का खाता रहा, लेकिन पेड्रो बाहर आने की हिम्मत नही जुटा पाया। अंत में आर्यमणि उस से एक बार नजर मिलाया और जैसे ही वहां से आगे बढ़ने लगा, पेड्रो भी अपने सेल से निकला और चुपचाप आर्यमणि के आगे बढ़ गया।

दोनो जब सीढ़ियों पर थे तब पेड्रो अपना मुंह खोला.... “संभवतः तुम लोग आज ही इस जेल में आये होगे और नीचे तुम्हारे साथी होंगे।”...

पेड्रो हॉल के उस हिस्से को दिखा रहा था जहां हिम–मानव की भिड़ लगी हुई थी और उस भिड़ के बीच न तो अल्फा पैक और न ही बेमपायर कहीं नजर आ रहे थे। आर्यमणि उस ओर देखते..... “पुराने कैदी, हम नए कैदियों की रैगिंग ले रहे है क्या?”..

पेड्रो:– हां खतरनाक तरीके की रैगिंग जो तब तक झेलनी होगी जब तक हम यहां की जेल में है। यहां से निकलने के बाद किसी बिग–फूट (हिम–मानव का अमेरिकन नाम) के घर पर जिल्लत भरी नौकरी करनी होगी।

आर्यमणि:– अच्छा तुम अदालत गये थे क्या?

पेड्रो:– नही... एक बड़े से टावर पर 4 दिन भूखे–प्यासे रखने के बाद सीधा इस जेल में पटक दिया। यहां महीने दिन की सजा काटने के बाद कोर्ट का ऑर्डर डाकिया लेकर आया था, जिसमे मुझे 5 साल की कैद मिली और उसके बाद सीधा एक पते पर जाना होगा जिसके घर में मुझे नौकर का काम मिला है। वहां साफ लिखा था जेल से निकलने के बाद हम पूरे देश में आजादी से रह सकते हैं, बस अपने जैसे बौने इंसान पैदा नही कर सकते।

आर्यमणि:– हम्मम... और नीचे हॉल की क्या कहानी है?

पेड्रो:– जब तक मुंह बंद रखोगे तब तक बेज्जत करते रहेंगे। यदि कहीं मुंह खुल गया तो बेज्जत करने के साथ–साथ मारते भी है। इनका मारना तब तक नही रुकता जब तक मरने की नौबत नही आ जाती।

दोनो बात करते हुये हॉल के विभिन्न हिस्सों से गुजर रहे थे। जहां से भी गुजरे हिम–मानव उन्हे घूर रहे थे। आर्यमणि भिड़ के बीच से रास्ता बनाते पेड्रो के साथ कुर्सी पर बैठा। बैठने के बाद पेड्रो से एक मिनट की इजाजत लेते..... “रूही इतनी भीड़ क्यों है।”...

“ये लो इन बौनों का मुखिया आ गया। तेरी ये छमिया रूही सबसे पहले स्ट्रिप डांस करेगी। उसके बाद जितनी भी लड़कियां हैं वो एक–एक करके सामने आयेगी। तू इन सबके कपड़े बटोरेगा।”.... भिड़ से एक हिम–मानव बोला और बाकी सब हंसने लगे।

आर्यमणि:– अल्फा पैक मुझे पेड्रो के साथ इत्मीनान से बात करनी है, आसपास की भिड़ खाली करो....

“ए चुतिये तू क्या बोला?”.... कोई हिम–मानव बोला। इधर उसकी आवाज बंद हुई उधर इवान ने हिम मानव के पाऊं पर ऐसा लात जमाया की उसके हाथी समान मोटे पाऊं के हड्डियां टूटने की आवाज सबको सुनाई दी। दर्द बिलबिलाते जैसे ही वह नीचे बैठा, अलबेली अपने दोनो पंजे से उसके थुलथुला पेट के मांस को जकड़ ली और पूरी ताकत से अपने सर के ऊपर उठाकर दूर फेकती.... “मेरे बॉस ने कहा तुम चूतियो को दूर फेकना है।”

“मारो... मारो... मारो... मारो इन बौनों को।”..... भिड़ चिल्लाई... अल्फा पैक दहाड़े और फिर जो ही लात और घुसे की बारिश हुई। साइज में इतने बड़े थे की रूही, अलबेली और इवान उनके लात–हाथ के नीचे से निकलकर लात और घुसे बरसा रहे थे। जहां कहीं भी उनका लात और घुसा पड़ता अंग भंग हो जाता। दर्द से बिलबिलाने की आवाज चारो ओर से आने लगी।

उनका दर्द से बिलबिलाना सुनकर दूसरे फ्लोर के सारे इंसानी कैदी अपने सेल से बाहर आ गये और वहां का नजारा देखकर तेजी से हॉल के ओर दौड़ लगा दिये। हॉल के चारो ओर सिटियां बजने लगी। लोगों की हूटिंग होने लगी। वैसे यहां हिम–मानव कैदियों की कमी नही थी लेकिन अल्फा पैक अपने चैरिटी में कोई कसर नहीं छोड़ रहे थे।

आर्यमणि अपने पास निर्जीव समान बैठे सभी वेमपायर को देखते...... “नयोबि तुम्हे और तुम्हारी टीम को क्या हो गया?”...

नयोबि:– हम किस मुंह से माफी मांगे। तुम हम पर भरी थे। तुम सब भी भूखे थे। मांस फाड़कर उन्हे कच्चा चबा जाना तुम्हारा नेचर है। बावजूद इसके हमें जिंदा छोड़ दिये।

आर्यमणि:– सुनो नयोबि, पहली बात तो ये की अल्फा पैक वेजिटेरियन है। दूसरी बात हम तुम्हारे खून की प्यास को समझ सकते थे। अल्फा पैक जानती थी कि तुम जो खून पी रहे उसे तुम अपने लैब में कृत्रिम तरीके से बनाते हो। न की किसी इंसान या जानवर का खून पीते हो। इसलिए चिल मारो और जाकर अल्फा पैक की मदद करो यार। तोड़ो सालों को, और तोड़ने में कोई रहम मत करना... तब तक मैं अपने मेहमान पेड्रो से कुछ बात कर लूं। हां पेड्रो आगे कोई जानकारी...

पेड्रो:– बस इतना ही की ये लोग हमें किसी भी सूरत में अपनी दुनिया से बाहर नही जाने देंगे।

आर्यमणि:– ऐसे कैसे यहां से जाने नही देंगे, वो तुम मुझ पर छोड़ दो। तुम तो बस यहां की जानकारी साझा करो...

पेड्रो:– “हम लोग जहां है वह हीरो की खान है। यहां पर नायब किस्म के हीरे पाये जाते है, जिनका इस्तमाल ये लोग बड़े–बड़े बिल्डिंग बनाने में करते हैं। यूं समझ लो पूरे अंटार्टिका महाद्वीप ही इनका पूरा देश है। इनके पूरे देश में केवल गोमेद नदी के तट से लगे हिस्से से सूरज की रौशनी आती है, और वही रौशनी फिर इन हीरे के जरिए पूरे देश में फैलता है। यूं समझ लो की इन लोगों के पास सूर्य ऊर्जा को फैलाने का कृत्रिम टेक्नोलॉजी है।”

“पूरे देश को 5 हिस्से में बांट दिया गया है। मध्य हिस्सा को पीक राज्य कहते है। क्षेत्रफल में सबसे बड़ा और रोलफेल देश की राजधानी।मध्य भाग के अलावा चार और भाग है, जो ईस्ट, वेस्ट, नॉर्थ और साउथ में बटे है। ईस्ट राज्य को वॉल ईस्ट राज्य पुकारते है। वेस्ट राज्य को डुडम राज्य, नॉर्थ को हिमगिरि और साउथ को ब्रुजानो। यहां कुल 78 करोड़ बिग–फूट आबादी बसती है। यहां एक लाख इंसानी आबादी भी है, लेकिन वो सब अंटार्टिका में रिसर्च करने आये टीम के बंधक है, जिन्हे फिर कभी अपने प्रांत का मुंह देखना नसीब नही होगा।”

“बात यदि बिग–फूट की करे तो बस ये लोग इंसानों के मुकाबले बड़े साइज के है बाकी है ये भी इंसान ही और तकनीक रूप से काफी उन्नत। वैसे बाहुबल और सुरक्षा के लिहाज से भी रोलफेल देश काफी उन्नत है। क्राइम यहां काफी कम है इसलिए पूरे देश में मात्र 26 जेल है, जिसमे सबसे बड़ा जेल यही है। मेरे पास जितनी जानकारी थी वह मैने साझा कर दिया।”

आर्यमणि उसे हैरानी से देखते.... “भाई तू भी मेरी तरह टावर से सीधा जेल आ गया फिर इतनी जानकारी कहां से जुटा लिया।”..

पेड्रो:– मैं सीआईए का एक इन्वेस्टिगेटिंग ऑफिसर हूं। मेरी एजेंसी मुझे जानकारी जुटाने के ही पैसे देती है। दरसल साल में 60 दिन बिग–फूट कैदी जेल से बाहर जाते है। उन 60 दिनो में बहुत से पुराने इंसानी कैदीयों से मुलाकात हुई। उनमें से कुछ तो तीसरी या चौथी बार सजा काट रहे थे... बस उन्ही लोगों से सारी जानकारी जुटाई है...

आर्यमणि:– कमाल ही कर दिया। अब जरा बैठ जाओ, और खेल का आनंद लो...

आर्यमणि पेड्रो को छोड़ा और रण में कूदा। अल्फा पैक पहले से ही कइयों की चीख निकाल चुके थे। लेकिन वो कई हिम–मानव इकट्ठा भिड़ के मुकाबले चंद ही थे। आर्यमणि अपनी तेज दहाड़ से सबका ध्यान अपनी ओर खींचा और उसके बाद तो बड़े–बड़े साइज के वजनी मानव ताश के पत्तों की तरह पहले हवा में उड़े और फिर नीचे जमीन पर बिछ गये।

आर्यमणि उनके मुकाबले साइज में इतना छोटा था की मात्र उनके कमर तक आ रहा था। लेकिन दौड़ते हुये रास्ते में आने वाले हर हिम–मानव को अपने कंधे से इतना तेज धक्का मरता की वह हवा में ऊपर उड़ जाते और कर्राहते हुये नीचे लैंड करते। अगले चार घंटे तक यही खेल चलता रहा। और जब हॉल में घूमने का समय समाप्त हुआ तब लगभग 40 हजार हिम–मानव घायल कर्राह रहे थे। वहां की हालत किसी उजड़े स्थान से कम न था।

जैसे ही समय समाप्त होने की घोषणा हुई। सभी कैदी अपने–अपने सेल में चले गये। सिवाय घायल हिम–मानव और अल्फा पैक के। आर्यमणि अपने पैक को एक नजर देखते..... “जड़ों के बीच से सबको हील करो ताकि इनकी ये फालतू लेजर वाली बेब हमें कहीं भी पोर्ट न कर सके।”

आर्यमणि का हुक्म और अगले ही पल पूरे अल्फा पैक जड़ों में ढंके थे। लगभग 4 किलोमीटर लंबा जेल का वह पूरा हिस्सा था जिसमे चारो ओर जड़ें फैल गयी और फैलने के बाद हर घायल को जकड़ लिया। जैसे–जैसे घायल हील होते जा रहे थे उनके ऊपर से जड़ें हटती जा रही थी। वो लोग जैसे ही खड़े होते सीधा भागकर अपने सेल में पहुंचते।

लगभग एक घंटे तक सबको हील करने के बाद अल्फा पैक भी अपने सेल में थे। अगले दिन सुबह के ठीक 6 बजे सबके सेल खुल गये। एक बार फिर तकनीकी गुणवत्ता का परिचय देते हुये सभी कैदियों को लाइट द्वारा पोर्ट करके सीधा माइनिंग एरिया में भेज दिया गया।

प्रचुर मात्रा में धातु और खनिज के भंडार थे। किंतु वहां न तो किसी भी प्रकार के खनिज और न ही धातु की खुदाई करनी थी। बल्कि माइनिंग एरिया के किसी एक पॉइंट पर पटक दिया गया था। वहां से करीब 8 किलोमीटर का रास्ता तय करने के बाद जहां पहुंचे वहां का नजारा देखकर आंखें चौंधिया गयी। बड़े–बड़े क्रिस्टलनुमा पहाड़ खड़े थे। उन पहाड़ों को ही तोड़कर जमा करना था। अल्फा पैक बड़ी ही तेजी के साथ खुदाई कर रहे थे। चारो अन्य मजदूरों के मुकाबले 10 गुणा ज्यादा तेज गति से काम कर रहे थे।

काम करते हुये 3 घंटे पूरे हो गये लेकिन ये चारो अभी और काम करना चाह रहे थे इसलिए वापस गये ही नही। शिफ्ट जब बदल रही थी इसी बीच सबसे नजरें चुराकर आर्यमणि खुदाई के दौरान चुराये हुये अलग तरह के दिख रहे क्रिस्टल के बड़े टुकड़े को अपने पास से निकाला और पलक जिस हिसाब से सिखाई थी, बिलकुल उसी हिसाब से 2 जोड़ी पत्थर तराशकर सबके एमुलेट में डाल दिया।

रूही:– ये किस प्रकार का पत्थर है, आर्य।

आर्यमणि:– मुझे नही पता की यह किस प्रकार का पत्थर है, लेकिन जिस प्रकार का भी है, है यह दुर्लभ पत्थर। सबके एमुलेट में 2 जोड़ी पत्थर डाल दिया हूं। चलो देखा जाये इन पत्थरों के प्रयोग से क्या नया देखने मिलता है?

आर्यमणि ने जैसे ही शक्ति परीक्षण के लिये कहा अल्फा पैक के सभी सदस्य तैयार हो गये। हर कोई अपने एम्यूलेट को हाथ लगाकर मंत्र पढ़ा और फोकस केवल नये पत्थर ही थे।मंत्र पढ़ने के बाद हर किसी ने सभी विधि कोशिश कर लिया लेकिन कोई भी जान न सके की उन पत्थरों में ऐसा क्या खास था। किसी भी प्रकार की नई चीज उभरकर सामने नही आयी।

खैर वक्त कम था इसलिए बचे हुये लगभग 150 तराशे पत्थर को सबने अपने–अपने एम्यूलेट में छिपाया और काम पर लग गये। अल्फा पैक अपना दूसरा शिफ्ट भी शुरू कर चुके थे। बिना रुके लगातार काम करते रहे और 6 घंटे की ड्यूटी बजाने के बाद लगभग 1 बजे अपने सेल में थे।

रोज की तरह ही शाम को 5 बजे सबके सेल खुले। आज भी कल जैसा ही नजारा था। सभी इंसान बाहर आये एक बार हॉल के देखा और वापस अपने सेल मे। केवल वह सीआईए ऑफिसर पेड्रो ही था जो अल्फा पैक और वेमपायर के साथ नीचे हॉल तक जाने की हम्मत जुटा सका। आज जितने भी हिम–मानव थे इनसे दूरियां बनाकर ही चल रहे थे।
बहुत ही शानदार लाजवाब अपडेट भाई
 
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